ग्रामीण सड़क संपर्क आर्थिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुंच का संवर्धन करते हुए और फलस्वरूप भारत में कृषि आय और उत्पादक रोजगार अवसरों का अधिक मात्रा में सृजन करते हुए ग्रामीण विकास का न केवल एक मुख्य घटक है वरन् स्थायी रूप से गरीबी निवारण कार्यक्रम का भी एक मुख्य भाग है। पिछले वर्षों में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए राज्य और केन्द्र स्तरों पर किए गए प्रयासों के बावजूद देश में अभी भी लगभग 40 प्रतिशत बसावटें बारहमासी सड़कों से नहीं जुड़ी हुई है। यह सर्वविदित है कि जहां पर सड़क संपर्क मुहैया भी कराया गया है वहां निर्मित सड़कों की हालत (खराब निर्माण अथवा रख-रखाव की वजह से) ऐसी नहीं है कि उन्हें बारहमासी सड़कों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सके।
१. इस स्थिति को सुधारने के मद्देनजर सरकार ने 25 दिसम्बर, 2000 को प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना शुरु हुई। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) शत-प्रतिशत केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना है। इस कार्यक्रम के लिए हाई स्पीड डीजल (एचएसडी) पर 50 प्रतिशत उपकर निर्धारित है।
1 पीएमजीएसवाई का मुखय ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों से न जुड़ी बसावटों को बारहमासी सड़कों (आवश्यक पुलियों और क्रास-ड्रेनेज)
2 पीएमजीएसवाई में उन जिलों में मौजूदा सड़कों को सुधारने (निर्धारित मानदंडों के अनुसार) की अनुमति दी जाएगी जहां निर्दिष्ट जनसंख्या (उपर्युक्त पैरा 2.1 का संदर्भ लें) वाली सभी बसावटों को बारहमासी सड़क संपर्कता प्रदान की गई है। तथापि, यह नोट किया जाए कि सुधार-कार्य कार्यक्रम का केन्द्र बिन्दु नहीं है और इस स्थिति में यह उन राज्यों के राज्य आबंटन के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है जहां अभी भी सड़कों से न जुड़ी बसावटें मौजूद हैं। सुधार कार्य में कोर नेटवर्क में सामान्य और सभी सड़कों को बारहमासी सड़कों में बदलने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
1 प्रधान मंत्री सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की भावना और उद्देश्य सड़क से न जुड़ी बसावटों को बेहतर बारहमासी सड़कें प्रदान करना है। यह सुनिश्चित किया जाए कि नए सड़क संपर्क (अर्थात् सड़कों से न जुड़ी बसावटों को जोड़ना) के प्रावधान को कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखकर वरीयता दी जाएगी।
2 उपर्युक्त पैरा 2.1 बसावटों की जनसंखया के आकार से संबंधित है। जनगणना 2001 में दर्ज की गई जनसंखया बसावट के जनसंखया आकार को निर्धारित करने का आधार होनी चाहिए तथा इसी के आधार पर जिला ग्रामीण सड़क योजनाएं और कोर नेटवर्क बनाए/संशोधित किए जाने चाहिए।
3 सड़कों से न जुड़ी बसावट वह बसावट है जिसमें निर्दिष्ट आकार (उपर्युक्त पैरा 2.1 का संदर्भ लें) की जनसंखया है जो बारहमासी सड़क अथवा सड़क से जुड़ी बसावट से कम से कम 500 मीटर या इससे अधिक (पहाड़ों के मामले में 1.5 कि.मी. पैदल दूरी) की दूरी पर स्थित है।
4 सड़कों से न जुड़ी बसावटों को बारहमासी सड़क अथवा अन्य मौजूदा बारहमासी सड़क से पहले से ही जुड़ी समीपवर्ती बसावटों से जोड़ा जाना होता है जिससे सड़कों से न जुड़ी बसावट में प्राप्त न होने वाली सेवाएं (शिक्षा, स्वास्थ्य, विपणन सुविधाएं आदि) निवासियों को मिल सकें।
5 इस कार्यक्रम के लिए इकाई राजस्व गांव अथवा पंचायत न होकर एक बसावट है। क्षेत्र में रहने वाली जनसंखया के समूह, जो लंबे समय तक स्थान नहीं बदलते हैं, बसावट करते हैं। देद्गाम, धानिस, तोलास, माजरस, हैम्लिट आदि बसावटों की व्याख्या के लिए सामान्य रूप से प्रयोग में आने वाले शब्द हैं। एक राजस्व गांव / ग्राम पंचायत में एक या इससे अधिक बसावटें हो सकती हैं। जनसंखया आकार को निर्धारित करने के प्रयोजनार्थ 500 मीटर की दूरी के भीतर (पहाड़ियों के मामले में पैदल दूरी 1.5 कि.मी.) सभी बसावटों की जनसंखया को एक साथ शामिल किया जा सकता है। समूहगत नीति अनेक बसावटों खासकर पहाड़ी / पर्वतीय क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क के प्रावधान को सक्षम बनाएगी।
6 कोर नेटवर्क सड़कों (रूट्स) का ऐसा अल्प नेटवर्क है जो कम से कम एक बारहमासी सड़क संपर्कता के जरिए चुनिंदा क्षेत्रों में सभी पात्र बसावटों को अनिवार्य सामाजिक आर्थिक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जरूरी है।
7 कोर नेटवर्क में थ्रू रूट्स और लिंक रूट्स द्गाामिल हैं। थ्रू रूट वे हैं जिनसे कई संपर्क सड़कों या कई गांवों से ट्रेफिक आकर चलता है और यह उच्च श्रेणी की सड़कों अर्थात् जिला सड़कों या राज्य अथवा राष्ट्रीय राजमार्ग के जरिए सीधे विपणन केंद्रों से जुड़े होते हैं। लिंक रूट वे सड़कें हैं जो किसी एक बसावट या बसावटों के एक समूह को थ्रू रूटों या जिला सड़कों से जोड़ती हैं और ये विपणन केन्द्रों तक जाती हैं। लिंक रूट सामान्यतः किसी बसावट की सीमा खत्म होने पर समाप्त हो जाते हैं हालांकि थ्रू रूट दो या अधिक लिंक रूटों को मिलाकर तथा मुखय सड़क या विपणन केन्द्र से उत्पन्न होते हैं।
8 यह सुनिश्चित किया जाए कि पीएमजीएसवाई के अंतर्गत शुरु किया गया प्रत्येक सड़क कार्य कोर नेटवर्क का भाग है। सड़क संपर्क के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उन सड़कों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो संयोगवद्गा अन्य बसावटों के काम आती हैं। दूसरे शब्दों में मूल उद्देश्य (2003 तक 1000+ / 500+ बसावटों तथा 2007 तक 500 / 250 बसावटों को शामिल करना) से समझौता किए बिना उन सड़कों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जो अधिक आबादी के काम आती है। इस प्रयोजनार्थ, हालांकि मैदानी क्षेत्रों में सड़क से 500 मीटर की दूरी वाली बसावटों को सड़क से जुड़ा हुआ माना गया है, पर्वतीय क्षेत्रों यह दूरी 1.5 कि.मी. (पथ की लंबाई) होनी चाहिए।
9 पीएमजीएसवाई केवल ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करेगा। द्राहरी सड़कें इस कार्यक्रम के क्षेत्र से बाहर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी पीएमजीएसवाई केवल उन्हीं ग्रामीण सड़कों को कवर करती है जो पहले से ही ''अन्य जिला सड़कों'' तथा ''ग्राम सड़कों'' के रूप में वर्गीकृत थीं। अन्य जिला सड़कें ऐसी सड़कें हैं जो उत्पादन वाले ग्रामीण क्षेत्रों में काम में आती हैं और बाजार केन्द्रों, तालुका (तहसील) मुखयालयों, ब्लाक मुखयालयों या अन्य मुखय सड़कों तक जाने का मार्ग देती हैं। ग्राम सड़कें ऐसी सड़कें हैं, जो गांवों / बसावटों या बसावट के समूहों को एक-दूसरे से तथा उच्च श्रेणी की समीपवर्ती सड़क से जोड़ती हैं। पीएमजीएसवाई के अंतगर्त मुखय जिला सड़कों, राज्य राजमार्ग और राष्ट्रीय राजमार्ग को शामिल नहीं किया जा सकता है चाहे वे ग्रामीण क्षेत्रों में ही आती हों। यह नई सड़क संपर्कता या उन्नयन कार्यों पर लागू है।
10 पीएमजीएसवाई में केवल एकल सड़क संपर्कता की ही व्यवस्था है। यदि कोई बसावट पहले ही बारहमासी सड़कों के जरिए किसी अन्य सड़क से जूड़ी बसावट से जुड़ी हुई है तो उस बसावट में पीएमजीएसवाई के अंतर्गत कोई अन्य कार्य शुरु नहीं किया जा सकता है।
11 सड़कों से न जुड़ी बसावटों के लिए सड़क संपर्क का प्रावधान नए सड़क संपर्क के रूप में माना जाएगा। नए सड़क संपर्क में मिट्टी कार्य स्तर से वांछित विनिर्देद्गान तक सड़कों का निर्माण समाविष्ट है तथा इसलिए उसमें निरपवाद रूप से कुछ मिट्टी कार्य शामिल होगा। पहाड़ी क्षेत्रों के मामले में काट-छांट शामिल होगा। तथापि, मौजूदा ग्रेवल या डब्ल्यू बी एम सड़कें नए सड़क संपर्क कार्य के रूप में स्वीकार करने के योग्य नहीं होगी चाहे वहां पर कैरेज-वे और सड़क को चौड़ा करने का कुछ मिट्टी कार्य हुआ है। ऐसे सड़क, जिस पर केवल मिट्टी कार्य किया गया है (तथा ग्रेवल सड़क नहीं) संबंधी कार्य को नए सड़क संपर्क के रूप में माना जाएगा।
12 उन्नयन में, अनुमति मिलने पर (उपर्युक्त पैरा 2.2 देखें) यातायात अध्ययनों के अध्याधीन ग्रेवल अथवा वाटर बांऊड मैकेडम (डब्ल्यू बी एम ) स्तर से वांछित तकनीकि विनिर्देद्गानों के स्तर तक अथवा सड़कों को चौड़ा करने में विद्गिाष्ट बदलाव कार्य शामिल होगा। क्रास ड्रैनेज कार्य का प्रावधान ही पीएमजीएसवाई के अंतर्गत उन्नयन कार्य के रूप में माना जाएगा। ग्रेवल सड़क वह सड़क होती है जिस का निर्माण सुसंघटित बजरी तथा रोड़ी सामग्री का उपयोग करके किया जाता है, जो संतोद्गाजनक रूप से पक्की होती है और गीली होने पर फिसलनदार नहीं होती है। वाटर बांऊड मैकेडम सड़क की वह परत है जो मद्गाीन द्वारा बारीक या टुकड़े वाली सामग्री से रिक्त स्थान को पूरी तरह भर कर तैयार की जाती है।
13 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का मुखय लक्ष्य सम्पर्क विहीन बसावटों को बारहमासी सम्पर्क सड़क प्रदान करना है। बारहमासी सड़क वह है जो सभी मौसम में प्रयोग के लायक होती है। इसका तात्पर्य यह है कि सड़क के अंतगर्त उपयुक्त आर-पार नालियों जैसे पुलियों, छोटे पुलों एवं सेतुकों का निर्माण किया गया हो और जिसमें उचित संखया एवं अवधि में यातायात की रूकावट को मंजूरी दी गयी हो। पैदल पथ पर हर मौसम में काम में आने लायक होना चाहिए परन्तु इसमें यह आवश्यक नहीं है कि इस पर खड़ंजा लगाया जाए या चौरस बनाया जाए या तारकोल बिछाकर पक्का किया जाए।
14 ऐसी सड़कें भी हो सकती हैं, जिन्हें सामान्य मौसम की सड़कें मानी जाती हों। दूसरे शब्दों में, आरपार नालियों के कार्यों के अभाव में वे मात्र द्राुश्क मौसम में उपयोगी होती हैं। ऐसी सड़कों का बारहमासी सड़कों में बहलाव सुधार माना जाएगा। मात्र आरपार नालियों के कार्यों के प्रावधान को भी सुधार माना जाएगा। परन्तु यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के समस्त सड़क कार्यों में अपेक्षित आरपार नालियों के कार्यों का प्रावधान एक अत्यावश्यक तत्व समझा गया है।
15 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तारकोल बिछी या सीमेंट से बनी सड़कों की मरम्मत करने की अनुमति नहीं दी गयी है, भले ही सतह की स्थिति खराब हो गयी हो।
16 प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तगर्त बनायी गयी ग्रामीण सड़कें तकनीकी विशिष्टताओं के अनुरूप हों। इसमें ग्रामीण सड़क नियम-पुस्तिका (आई आर सीः एस पी 20:2002) में बताए अनुसार इण्डियन रोड्स कांग्रेस द्वारा निर्धारित विशिष्टताओं को अपनाया जाएगा।
स्त्रोत
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस भाग में अधिक फसलोत्पादन के लिए लवणग्रस्त मृदा स...
इस पृष्ठ में अनुसूचित जाति कल्याण से सम्बंधित अनुस...
इस भाग में अस्पताल जाने की स्थितियों में किन बातों...
इस भाग में वैशाली जिले की राजापाकड़ प्रखंड की महिल...