अनुसूचित जातियों की सूची में किसी समुदाय को शामिल करने संबंधी मानदंड यह है कि वह समुदाय ''अस्पृश्यता की पारंपरिक प्रथा के कारण सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से बहुत ही पिछड़ा'' हो।
इस संबंध में अनुसूचित जाति के व्यक्ति को उस क्षेत्र के नामजद प्राधिकारी, अर्थात् उप-मंडलीय अधिकारी/तहसीलदार को आवेदन करना होता है जहां वह स्थायी रूप से रहता है। नामजद अधिकारी आवेदक के दावे का सत्यापन करने के बाद प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
इसे राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन से प्राप्त किया जा सकता है। कुछेक राज्यों ने अपने डेडिकेटिड वेबपोर्टलों के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने की व्यवस्था की हुई है।
संविधान के अनुच्छेद 341(1) के तहत जारी आदेश के अनुसार, व्यक्तियों द्वारा स्वयं को हिन्दू, सिख या बौद्ध धर्म का घोषित करने पर ही उन्हें उस धर्म के अंतर्गत अनुसूचित जाति का सदस्य माना जाता है।
जी, नहीं।
जी, नहीं। मार्गदर्शी सिंद्धांत यह है कि कोई भी व्यक्ति जो जन्म से अनुसूचित जाति का नहीं है या उसे केवल इस कारण से अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं समझा जाएगा कि उसने अनुसूचित जाति के सदस्य से विवाह किया था।
जी, हां। कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति का हो, वह गैर-अनुसूचित व्यक्ति के साथ विवाह करने पर भी अनुसूचित जाति का सदस्य बना रहेगा।
किसी दंपति, जिनमें से पति या पत्नी अनुसूचित जाति का सदस्य है, उनकी संतति का निर्णय करने के लिए जो निर्णायक जांच-पद्धति अपनाई जाति है उसमें यह तय किया जाता है कि क्या बच्चे को अनुसूचित जाति के समुदाय ने अपने समुदाय के सदस्य के रूप में स्वीकार कर लिया है और उसका पालन-पोषण उसी वातावरण एवं उसी समुदाय में हुआ है अथवा नहीं। यदि बच्चे को अनुसूचित जाति समुदाय ने स्वीकार कर लिया है और उसकी परवरिश अनुसूचित जाति से संबंधित पति या पत्नी के समुदाय के वातावरण में हुई है तो तब उस बच्चे को अनुसूचित जाति का बच्चा माना जाएगा। तथापि, प्रत्येक मामले की जांच गुणावगुणों के आधार पर की जाति है।
अनुसूचित जातियों की सूची राज्य विशिष्ट होती है। अत: अनुसूचित जाति का कोई भी सदस्य अपने ही मूल राज्य में अनुसूचित जाति के लाभ प्राप्त करने का पात्र है। अनुसूचित जाति समुदाय का कोई सदस्य, जो एक राज्य से दूसरे राज्य में माइग्रेट करता है वह माइग्रेशन के राज्य से अनुसूचित जाति के लाभ प्राप्त करने का पात्र नहीं है।
उदाहरण : यदि पंजाब राज्य का अनुसूचित जाति का कोई व्यक्ति राजस्थान में माइग्रेट करता है, तो वह राजस्थान के अनुसूचित जातियों को मिलने वाले लाभ नहीं प्राप्त कर सकेगा, लेकिन वह अपने मूल राज्य पंजाब के लाभ प्राप्त करता रहेगा। किन्तु वह केन्द्र सरकार एवं इसकी एजेंसियों के अंतर्गत उपलब्ध लाभ प्राप्त करने का पात्र होगा, भले ही वह राजस्थान में हो।
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय के संबंध के माध्यम से यह तय किया है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341(1) के तहत अनुसूचित जाति आदेश को अनिवार्यत: उसी रूप में पढ़ा जाए जैसा वह है और यह न्यायालयों, न्यायाधिकरणों और अन्य एजेंसियों को खुली छूट नहीं देता है कि वे अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन या आशोधन करें। ऐसा केवल अनुच्छेद 341 के खण्ड(2) को ध्यान में रखते हुए संसदीय अधिनियम द्वारा किया जा सकता है।
स्त्रोत: सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 3/29/2023
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