गर्भ निरोध की दृष्टि से देखा जाए तो जीवन का पांचवा दशक विशेष जरूरतों और विशेष परिस्थितियों वाला समय होता है| इस दौरान पति-पत्नी की उम्र बढ़ने के साथ- साथ संभोग की बारंबारता तो कमी हो जाती है, पर गर्भ – निरोध के अभाव में गर्भधारण की सम्भावना बनी रहती है|
अधिकतर महिलाएं अपनी उम्र के चौथे दशक में सम्भावित रूप से प्रजनन योग्य होती हैं, फिर भी लगभग सभी की बच्चों की इच्छा पूरी हो चुकी होती है| पैंतीस की उम्र के बाद गर्भधारण जच्चा और बच्चा दोनों के स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण होता है| इसलिए रजोनिवृत्ति – पूर्व की बाद वाली अवस्था में गर्भधारण एक अवांछनीय घटना है| अत: विश्व भर में रजोनिवृत्ति – पूर्व के बाद वाली अवस्था में महिलाओं को सूराक्षित, प्रभावी और स्वीकार्य गर्भ निरोधन को उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए|
पैंतीस वर्ष से अधिक आयु की धूम्र पान न करने वाले स्वस्थ महिलाओं की ले एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दोनों की निम्न खुराक वाली गर्भनिरोधक गोलियां उपयुक्त हैं|
रजोनिवृत्ति – पूर्व की अंतिम अवस्था वाली महिलाओं के लिए केवल प्रोजेस्ट्रोन वाले गर्भ – निरोधक (गोलियां इम्पलांट, सूई द्वारा दिए जाने वाले वाले, अत: गर्भाशय तरीके) उपयुक्त होते हैं| जिन महिलाओं के लिए एस्ट्रोजन की अनुशंसा नहीं की गई उनके लिए इन गर्भ निरोधकों की अलग भूमिका होती है|
अत: गर्भाशय गर्भ – निरोधक उपकरण (आई.यू.सी.डी.) कॉपर वाले(जैसे कॉपर टी) और प्रोजेस्टेजन निकालने वाले आईयूडीएस दोनों ही काफी असरकारक, लंबे समय तक प्रभावकारी और रजोनिवृत्ति – पूर्व की अंतिम अवस्था वाली महिलाओं के लिए सूराक्षित हैं|
विध्न पद्धतियों (कंडोम) उन रजोनिवृत्ति – पूर्व वाली महिलाओं के लिए विकल्प बन सकती हैं जिनके संभोग की बारम्बारता कम है| कंडोम एचआईवी के संक्रमण और अन्य यौन रोगों से भी रक्षा करता है|
उन महिलाओं के लिए जिन्हें अब परिवार नहीं बढ़ाना, पुरूष या महिला बंध्याकरण (स्टारलाइजेशन) सबसे अच्छा गर्भ- निरोधक विकल्प है|
स्रोत : वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इन्डिया
अंतिम बार संशोधित : 3/5/2020
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