हम ऐसा मानते थे कि उच्च रक्तचाप शहरों की समस्या है जहॉं यह बैठ कर काम करने वालों को होता है। अब हम जानते हैं कि गॉंवों में रहने वालों को भी यह शिकायत होती है। गॉंवों में भी लोगों के रहन सहन में बदलाव आ रहा है। इसके अलावा आनुवांशिक कारणों से भी यह रोग हो सकता है।
मोटापा, अधिक कोलेस्ट्रोल वाला खाना खाना (मॉस, अंडे आदि), धुम्रपान करना, बहुत अधिक नमक खाना आदि रहन सहन से संबंधित कारण हैं जिनसे उच्च रक्तचाप की शिकायत होने की संभावना होती है। उच्च रक्तचाप आनुवांशिक कारणों से भी होता है। यानि अगर किन्हीं मॉं बाप में यह हो तो उनके बच्चों को भी यह बीमारी हो सकती है। गुर्दों को नुकसान से भी उच्च रक्तचाप की शिकायत हो सकती है। गर्भ हेतु विषरक्तता भी उच्च रक्तचाप का एक कारण होता है। पर ऐसे में यह शिकायत केवल गर्भावस्था में और बच्चा होने तक रहती है।
किसी भी उम्र में रक्तचाप के एक हद से ज़्यादा बढ़ना असामान्य होता है। रक्तचाप (दाब) को मिली मीटर मरकरी में नापा जाता है। प्रकुंचन के लिए इसका सामान्य मान 100 से 140 मिली मीटर मरकरी और अनुशिथिलन के लिए इसका मान 60 से 90 होता है।
रक्तचाप नीचे दिए गए तरीके से नापना चाहिए:
प्रकुंचन रक्तचाप 140 से ज़्यादा और अनुशिथिलन रक्तचाप 90 से ज़्यादा होना सामान्य नहीं है। पर एक व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोगी तभी कह सकते हैं अगर उसका प्रकुंचन रक्तचाप 160 से ऊपर हो और / या जब अनुशिथिलन रक्तचाप 95 से ऊपर हो। सामान्य और असामान्य रक्त दाब के बीच एक बीच की स्थिति होती है। अनुशिथिलन उच्च रक्तचाप लंबे समय में ज़्यादा नुकसानदेह होता है। दूसरी ओर प्रकुंचन उच्च रक्तचाप से दिमाग में रक्त स्त्राव हो सकता है। प्रकुंचन रक्तचाप अकसर 180 तक पहुँचा होता है। कई बार यह रक्तचाप 280 तक भी पहुँच जाता है। यह मान मेनोमीटर में बना अधिकतम मान है। यह स्थिति खतरनाक होती है और रक्तचाप तुरंत कम करना ज़रूरी होता है।
अकसर यह पता ही नहीं चल पाता कि किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप की शिकायत है। यह चुपचाप म़त्यु प्रदान करने वाली बीमारी है। इसके असर काफी देरी से सामने आते हैं। और जब तक ये सामने आते हैं दिल, गुर्दों, दिमाग, आँख के रेटीना आदि को काफी नुकसान हो चुका होता है। दिमाग में रक्त स्त्राव से लकवा मार जाना (स्ट्रोक), दिल का दौरा पड़ना, गुर्दों का फेल हो जाना या देखने में समस्या इसके गंभीर असर हैं। कुछ (सब नहीं) लोगों में उच्च रक्तचाप से नीचे दिए गए लक्षणों में से कुछ दिखाई देते हैं।
ऊपर दिए गए कारणों से यह ज़रूरी है कि रक्तचाप की नियमित रूप से जांच हो। हांलाकि कुछ लोगों में नाड़ी से ही उच्च रक्तचाप का पता चल जाता है, परन्तु इसे मापने से ही इसकी सही जांच हो सकती है। उन सभी लोगों में इसकी नियमित जांच करना ज़रूरी है जिनमें इसका खतरा हो। चालीस साल की उम्र के बाद सभी लोगों में, उन लोगों में जिनके परिवारों में उच्च रक्तचाप का इतिहास हो और उन लोगों में जिनमें ऊपर दिए गए लक्षणों में से कोई भी हों, हर छ: महीने में रक्तचाप की जांच ज़रूरी होती है।
इलाज के बारे में सिर्फ डाक्टर ही फैसला कर सकते हैं। क्या इलाज होना है यह इस पर निर्भर करता है कि रक्तचाप कितना ज़्यादा है, अंगों को कितना नुकसान हुआ है, उम्र कितनी है आदि। यह चिरकारी बीमारी है इसलिए इसकी दवाइयाँ व इलाज भी ज़िंदगी भर चलते हैं। कुछ बुनियादि सिद्धांत नीचे दिए गए हैं।
खाने में नमक कम या बंद करना महत्वपूर्ण है क्योंकि नमक से रक्त दाब बढ़ता है। रोगी को अपने खाने में बिल्कुल और नमक नहीं डालना चाहिए और असल में बेहतर तो यह है कि बिना नमक का खाना खाए।
जितना ज़्यादा शरीर का वजन होता है रक्तचाप भी उतना ही ज़्यादा होता है। मोटे लोगों को अपना वजन और चर्बी कम करने की ज़रूरत होती है। अगर किसी व्यक्ति का वजन अपनी उम्र और लिंग के लिए मानक वजन से 10 प्रतिशत ज़्यादा हो तो यह वजन ज़्यादा में आएगा। ज़्यादातर वजन नापने के पैमानों पर आपको वजन संबंधित चार्ट मिल जाएंगे।
एक अन्य आसान फॉर्मूला है बॉडी मास इंडैक्स। शरीर के भार (किलो ग्राम में) को लंबाई के वर्ग से भाग देने से बॉडी मास इंडैक्स मिलता है। उदाहरण के लिए अगर शरीर का भार 65 किलो हो और लंबाई 1।65 मीटर हो तो बॉडी मास इंडैक्स 23।5 होगा। यह बॉडी मास इंडैक्स सामान्य है। 20 से 25 के बीच बॉडी मास इंडैक्स सामान्य होता है। अगर बॉडी मास इंडैक्स 35 से ऊपर हो तो यह मोटापा है। और बॉडी मास इंडैक्स 30 से 35 के बीच होने का मतलब है वजन ज़्यादा होना।
हल्की कसरत जैसे चलना कई तरह से मददगार होता है। इससे शरीर की कैलरीज़ जलती हैं, मानसिक तनाव कम होता है और दिल मजबूत होता है।
डॉक्टर सही दवाइयों का चुनाव करेंगे। रोगी को रोज़ नियमित रूप से दवाई लेने की सलाह दें। कुछ दवाइयों के कई प्रतिक्रियाएं होती हैं। जैसे कि लेटे से उठने में रक्त दाब के अचानक कम हो जाने से अक्सर बेहोशी हो जाती है (चक्कर आ जाता है)। रोगी को सलाह दें कि वो उठने के बाद पॉंच मिनट के लिए बैठे रहें और उसके बाद ही कुछ और करें।
अगर गंभीर उच्च रक्त दाब की स्थिति हो (जिसके लक्षण ऊपर दिए गए हैं) तो इसके लिए निफेडीपाइन की 5 मिली ग्राम की दवा से इलाज करें। इस दवा को पीस कर जीभ के नीचे रखें। इससे रक्तचाप कॉफी कम हो जाता है। यही दवा मुँह से खाने पर इसका असर धीरे होता है। और इलाज के लिए रोगी को डॉक्टर को दिखाएं।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 6/19/2023
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