भारत नशीली दवाओं के नियंत्रण पर सभी तीन संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशनों का एक हस्ताक्षरकर्ता है और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में एक सक्रिय भागीदार कर रहा है। और ऐसा करना जारी रखेगा। यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और प्रस्तावों के तहत अपनी सभी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा। वास्तव में, एनडीपीएस अधिनियम,1985 के अधिनियमन के पीछे एक प्रयोजन विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के तहत अपने दायित्वों को पूरा करना है।
जहाँ आवश्यक और संभव होगा, विभिन्न मंत्रालयों / विभागों/ संगठनों के सदस्यों के साथ प्रतिनिधिमंडलों को भेजा जाएगा जिससे मामलों पर प्रतिनिधिमंडल के भीतर चर्चा की जा सके और निर्णय लिए जा सकें।
भारत किसी भी अन्य देश के साथ जो एनडीपीएस से संबंधित मामलों में भारत के साथ विपक्षीय काम करने की इच्छा रखता है, विपक्षीय समझौते और समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करेगा। समझौते यथासंभव व्यापक होंगे जिसमें दवाओं की आपूर्ति और मांग नियंत्रण और वैध व्यापार के सभी पहलुओं को शामिल किया जाएगा। समझौते की समीक्षा करने और उस पर काम करने के लिए विपक्षीय बैठकों में इनकी पैरवी की जाएगी। विपक्षीय सहयोग निम्नलिखित पर ध्यान केन्द्रित करेंगे -
क. परिचालनात्मक आसूचना, जब्ती के आँकड़ों, कानूनों की प्रतियों को साझा करने और नियंत्रित परिदान, संयुक्त अभियान के माध्यम से दवा की आपूर्ति में कमी पर सहयोग
ख. दवा की मांग में कमी पर सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुभव बांटना।
ग. वैध व्यापार और स्वापक औषधियों और मन -प्रभावी पदार्थों के उपयोग को बढ़ावा देना। भारत दुनिया में सबसे बड़े दवा उत्पादकों में से एक है और यह सबसे सस्ती कीमतों पर दवाइयों का उत्पादन करता है। यह दुनिया भर में चिकित्सा उपयोग के लिए स्वापक औषधियों और मन -प्रभावी पदार्थों को सुनिश्चित करने में अपनी जिम्मेदारी को साझा करता है।
घ. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण - भारत किसी भी देश की सहायता करेगा जिसे इसकी जरूरत है और अन्य देशों से वह नया सीखेगा, जिसे उसे सीखने की जरूरत है। अन्य देशों की सहायता करने के लिए हमारी सुविधाओं और संसाधनों का उदारतापूर्वक इस्तेमाल किया जाएगा।
अंतर्राष्ट्रीय बैठकें और प्रचालन उस तंत्र की रचना करते हैं जो विभिन्न देशों के लिए विशिष्ट लक्ष्यों और प्रयोजनों की दिशा में मिलकर काम करने के लिए जरूरी हैं। अधिक महत्वपूर्ण बात यह है, कि वे भारत के अधिकारियों के लिए अन्य देशों के अधिकारियों के साथ एक उत्कृष्ट और एक से एक तालमेल और समझ विकसित करने का अवसर प्रदान करते हैं जो देश के लिए एक अमूल्य संपत्ति है। जहाँ तक संभव हो, भारत सभी अंतर्राष्ट्रीय बैठकों और प्रचालनों में भाग लेगा जिसमें उसे आमंत्रित किया जाए या जिसका वह एक पार्टी है। अंतर्राष्ट्रीय मादक पदार्थ नियंत्रण के लिए उभरते चिंता के विषय क्षेत्रों की पहचान के लिए भारत अभियान शुरू करेगा तथा मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठकों और सेमिनार आयोजित करेगा और चिंता के विषय क्षेत्रों के समाधान के लिए प्रचालन शुरू करेगा।
भारत ने नशीली दवाओं के नियंत्रण के क्षेत्र में काफी विशेषज्ञता हासिल की है। यह अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करेगा और ऐसी सहायता प्रदान करेगा, जो जहां तक संभव हो, किसी अन्य देश द्वारा वांछित हो। विशेषज्ञता के इस तरह के आदान - प्रदान विपक्षीय स्तर पर, क्षेत्रीय स्तर पर यूएनओडीसी और अंतर्राष्ट्रीय स्वापक नियंत्रण ब्यूरो सहित अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के माध्यम से किया जा सकता है। जहां कहीं संभव होगा, भारत उन अन्य देशों के साथ भी संयुक्त रूप से काम करेगा, जो ऐसी सहायता प्रदान करते हैं, जिससे उन देशों को सहायता प्रदान की जा सके जिसे इसकी जरूरत है।
उपलब्ध संसाधनों की सीमाओं के भीतर, भारत संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा चलाए परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए सभी संभव वित्तीय सहायता प्रदान करेगा।
13 से 17 दिसंबर 2010 तक, अंतर्राष्ट्रीय स्वापक नियंत्रण बोर्ड (आईएनसीबी) ने भारत के लिए एक मिशन का संचालन किया और देश में नशीली दवाओं के नियंत्रण के क्षेत्र में शामिल सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों के साथ तथा प्रशामक देखभाल और नशेड़ी के इलाज और पुनर्वास के क्षेत्र में सक्रिय गैर सरकारी संगठनों के साथ के भी बातचीत की। बाद में, मिशन के अवलोकन पर आधारित अंतर्राष्ट्रीय स्वापक नियंत्रण ब्यूरो की सिफारिशों को भारत सरकार द्वारा प्राप्त किया जा चुका है।
कथित सिफारिशों को विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और एजेंसियों द्वारा अनुसरण किए जाने वाले "कार्य योजना" में शामिल किया गया है। उसे संलग्न किया जाता है। इस योजना को विभाग के वेबसाइट पर जाकर देखा जा सकता है
स्रोत: राजस्व विभाग, वित्त मंत्रालय, भारत सरकारअंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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