प्रस्तावना एवं पृष्ठभूमि- अध्याय -1
73वें एवं 74वें संविधान संशोधन द्वारा भारत सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढिकरण एवं सुशासन हेतु विकेन्द्रित स्तर पर ग्रामीण व शहरी विकास की योजनाएं स्थानीय स्तर पर जनता की आवश्यकताओं, प्राथमिकताओं एवं आंकाक्षाओं के अनुरूप वार्ड सभा/ग्राम सभा स्तर से तैयार की जायेगी। ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में समुदाय की पूर्ण जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए केन्द्र एवं राज्य से प्राप्त राशि के आधार पर एकीकृत पंचवर्षीय/वार्षिक जिला योजनाओं को ग्राम सभा, पंचायत समिति, जिला परिषद की साधारण सभा एवं जिला आयोजना समिति के अनुमोदन उपरांत पंचायती राज संस्थाओं द्वारा क्रियान्वित की जायेगी।
14वें वित्त आयोग की सिफारिशों में उल्लेखित आयोग की पंचाट अवधि (वर्ष 2015 - 2020) में सभी राज्यों को लगभग राशि रूपये 2.00 लाख करोड़ शत् प्रतिशत ग्राम पंचायतों के सर्वांगीण विकास हेतु ग्राम पंचायतों के खातों में हस्तांतरित किये जायेंगे। नागरिकों की बुनियादी न्यूनतम जरूरतों की पूर्ति के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना का जमीनी स्तर पर निर्माण कर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जायेगा। ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध संसाधनों, स्थानीय क्षमताओं, वंचित समूह, नागरिकों व जनप्रतिनिधियों का विकास से संबंधित अनुभवों का समावेश, केन्द्र एवं राज्य की निधियों का समुचित उपयोग, विशेष योग्यजन, वरिष्ठ नागरिकों तथा सामाजिक व आर्थिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यकता महसूस की गई कि ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण एवं प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक विस्तृत राज्य विशिष्ट मार्गदर्शिका मानवीय अधिकार के तौर पर सभी का विकास तर्ज पर तैयार की जाए । आशा करते है कि यह मार्गदर्शिका ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण एवं प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित समस्त हितधारकों (Stakeholders) के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
योजना निर्माण से पूर्व की तैयारियाँ - अध्याय -2
योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन हेतु समितियों का गठन
ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण, प्रभावी क्रियान्वयन व समीक्षा, बजट प्रावधान, संसाधनों इत्यादि पर निर्णय हेतु पंचायती राज के तीनों स्तरों पर समितियों का गठन किया जायेगा, जो निम्नानुसार है :-
2.1 राज्य स्तर
- राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCC) का गठन प्रमुख शासन सचिव, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज की अध्यक्षता में किया गया है। जिसमें योजना निर्माण से संबंधित समस्त विभाग एवं सेक्टरों के शासन सचिव/प्रमुख शासन सचिव सदस्य है। तथा शासन सचिव एवं आयुक्त, पंचायती राज सदस्य सचिव है। यह समिति राज्य स्तर पर योजना निर्माण से संबंधित नीतिगत निर्णय, मार्गदर्शिका, दिशा-निर्देशों का निर्धारण, समस्त विभागों एवं सेक्टरों के मध्य समन्वय, समय-समय पर योजना निर्माण व क्रियान्वयन की समीक्षा कर आवश्यक निर्देश प्रदान करेगी। इस समिति की वर्ष में कम से कम 2 बैठकें अनिवार्य रूप से आयोजित की जायेगी, आवश्यकता होने पर अधिक बैठकें आयोजित की जा सकती है।
- जिला आयोजना प्रकोष्ठ (District Plan Cell) राज्य स्तर पर शासन सचिव एवं आयुक्त, पंचायती राज विभाग के अधीन जिला आयोजना प्रकोष्ठ क्रियाशील है, जिसके प्रभारी संयुक्त शासन सचिव है। यह प्रकोष्ठ राज्य में विकेन्द्रीकृत, सहभागी नियोजन से संबंधित समस्त कार्यवाही व संबंधित विभागों/सेक्टरों से समन्वय स्थापित कर पंचवर्षीय/वार्षिक जिला योजना के निर्माण हेतु नीतिगत निर्णय, मार्गदर्शिका, दिशा-निर्देशों, प्लान सीलिंग, बजट प्रावधान इत्यादि से यथासमय जिलों को अवगत करवायेगा।
- राज्य संदर्भ समूह (SRG) राज्य स्तर पर राज्य संदर्भ समूह का गठन कर दिया गया है, जिसमें विकेन्द्रीकृत नियोजन से संबंधित कार्यरत अधिकारी, अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाएं, गैर-सरकारी/सामुदायिक संगठन, स्वैच्छिक संगठन एवं विश्वविद्यालय से विषय विशेषज्ञ सदस्य है। यह समूह राज्य में विकेन्द्रीकृत नियोजन हेतु समय-समय पर समस्त हितधारकों (Stakeholders) का क्षमतावर्द्धन राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD), जयपुर के साथ करते हुए विकेन्द्रीकृत नियोजन हेतु अपने सुझावों से समय-समय पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति को अवगत करवायेगा। इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान को प्रशिक्षण मॉड्यूल एवं संदर्भ सामग्री विकसित करने में सहयोग, राज्य स्तर पर आयोजित विभिन्न क्षमतावर्द्धन प्रशिक्षणों में दक्ष प्रशिक्षक की भूमिका, जिलें व पंचायत समिति स्तर पर आयोजित प्रशिक्षणों का पर्यवेक्षण, विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण प्रक्रिया में ग्राम पंचायतों को आवश्यक सहयोग, नियोजन प्रक्रिया एवं सफल क्रियान्वयन हेतु हैल्पलाईन के रूप में कार्य करते हुए क्षेत्र में योजना निर्माण संबंधित समस्याओं का समाधान करेगा।
2.2 जिला स्तर
- जिला स्तरीय समन्वय समिति (DLCC) का गठन जिला कलक्टर की अध्यक्षता में किया गया है। जिसमें योजना निर्माण से संबंधित समस्त विभाग एवं सेक्टरों के जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य है तथा मुख्य आयोजना अधिकारी, जिला आयोजना प्रकोष्ठ सदस्य सचिव है। यह समिति जिला स्तर पर राज्य से योजना निर्माण से संबंधित नीतिगत निर्णय, मार्गदर्शिका, दिशा-निर्देशों की पालना, समस्त जिला स्तरीय विभागों एवं सेक्टरों के मध्य समन्वय, समय-समय पर योजना निर्माण व क्रियान्वयन की समीक्षा, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का समेकन कर जिला एकीकृत विकास योजना का निर्माण कर जिला आयोजना समिति के समक्ष अनुमोदन हेतु रखेगी।
- जिला संदर्भ समूह (DRG) जिला स्तर पर जिला संदर्भ समूह का गठन किया गया है, जिसमें विकेन्द्रीकृत नियोजन से संबंधित कार्यरत अधिकारी, अधिशाषी अभियंता, अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी, गैर-सरकारी/सामुदायिक संगठन, स्वैच्छिक संगठन एवं महाविद्यालयों से विषय विशेषज्ञ सदस्य है। यह समूह जिलें में विकेन्द्रीकृत नियोजन हेतु समय-समय पर समस्त हितधारकों (Stakeholders) का क्षमतावर्द्धन, प्रशिक्षणों में दक्ष प्रशिक्षक की भूमिका, जिलें व पंचायत समिति स्तर पर आयोजित प्रशिक्षणों का पर्यवेक्षण, विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण प्रक्रिया में आवश्यक सहयोग, नियोजन प्रक्रिया एवं सफल क्रियान्वयन हेतु हैल्पलाईन एवं मोबाईल यूनिट के रूप में कार्य करते हुए क्षेत्र में योजना निर्माण संबंधित समस्याओं का समाधान करेगा। जिलें संदर्भ समूह के तकनीकी सदस्य जिलें स्तरीय गतिविधियों एवं कार्यों का तकनीकी परीक्षण कर एकीकृत जिला विकास योजना के नियोजन में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
- जिला आयोजना समिति (DPC) संविधान के अनुछेद 243 ZD में जिलों हेतु विकास योजनाओं का प्रारूप तैयार करने के लिए जिला आयोजना समिति की परिकल्पना की गईं है। संविधान के इस अनुछेद के अनुसरण में राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 121 में जिला प्रमुख की अध्यक्षता में जिला आयोजना समिति गठन किया गया है,जिसमें कुल 25 सदस्य होंगे। इनमें से 20 सदस्य जिलें के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों की जनसंख्या के अनुपात में जिला परिषद एवं नगर – निकायों के निवार्चन प्रतिनिधियों में से होंगे तथा 5 नाम निर्देशित सदस्य होंगे, इनमें 3 पदेन सदस्य (जिला कलक्टर मुख्य कार्यकारी व अति.मुख्य कार्यकारी अधिकारी) एवं 2 सदस्य (संसद सदस्य, विधानसभा सदस्य या राज्य सरकार द्वारा नाम निर्देशित स्वैचित अभिकरणों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों में से) होंगे। इस समिति का मुख्य कार्य जिलें की पंचायत समिति, जिला परिषद एवं नगर – निकायों द्वारा तैयार की गई वार्षिक योजनाओं का समेकन, सामान्य हित के मुद्दों पर कार्य, योजना की प्रगति की समीक्षा, मध्यवर्ती मुल्यांकन, आवश्कतानुसार समिति की बैठक आयोजना, वार्षिक योजना का अनुमोदन इत्यादि कार्य करेगी। मुख्य आयोजना अधिकारी जिला आयोजना समिति के सचिव होंगे तथा मुख्य आयोजना अधिकारी कार्यालय,जिला आयोजना समिति के सचिवालय के रूप में कार्य करेगा।
2.3 पंचायत समिति स्तर
- पंचायत समिति स्तरीय समन्वय समिति (BLCC) का गठन उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में किया गया है, जिसमें योजना निर्माण से संबंधित समस्त विभाग एवं सेक्टरों के ब्लॉक स्तरीय अधिकारी सदस्य है तथा विकास अधिकारी, पंचायत समिति सदस्य सचिव है। यह समिति ब्लॉक स्तर पर जिले से योजना निर्माण से संबंधित नीतिगत निर्णय, मार्गदर्शिका, दिशा-निर्देशों की पालना, समस्त ब्लॉक स्तरीय विभागों एवं सेक्टरों के मध्य समन्वय, समय-समय पर योजना निर्माण व क्रियान्वयन की समीक्षा, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का समेकन उपरांत ब्लॉक स्तरीय एकीकृत विकास योजना का निर्माण कर पंचायत समिति की साधारण सभा के समक्ष अनुमोदन हेतु रखेगी।
- ब्लॉक संदर्भ समूह (BRG) ब्लॉक स्तर पर ब्लॉक संदर्भ समूह का गठन किया गया है, जिसमें विकेन्द्रीकृत नियोजन से संबंधित कार्यरत अधिकारी, सहायक अभियंता, अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी, गैर–सरकारी/सामुदायिक संगठन, स्वैच्छिक संगठन एवं महाविद्यालयों से विषय विशेषज्ञ सदस्य है। यह समूह ब्लॉक में विकेन्द्रीकृत नियोजन हेतु समय-समय पर समस्त हितधारकों (Stakeholders) का क्षमतावर्द्धन, विभिन्न क्षमतावर्द्धन प्रशिक्षणों में दक्ष प्रशिक्षक की भूमिका, ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित प्रशिक्षणों का पर्यवेक्षण, विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण प्रक्रिया में आवश्यक सहयोग, नियोजन प्रक्रिया एवं सफल क्रियान्वयन हेतु हैल्पलाईन एवं मोबाईल यूनिट के रूप में कार्य करते हुए क्षेत्र में योजना निर्माण संबंधित समस्याओं का समाधान करेगा। ब्लॉक संदर्भ समूह के तकनीकी सदस्य ब्लॉक स्तरीय गतिविधियों एवं कार्यों का तकनीकी परीक्षण कर एकीकृत ब्लॉक विकास योजना के नियोजन में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
2.4 ग्राम पंचायत स्तर
- ग्राम पंचायत समन्वय समिति (GPCC) का गठन सरपंच की अध्यक्षता में किया गया है, जिसमें योजना निर्माण से संबंधित ग्राम पंचायत स्तरीय विभागों के कर्मचारी सदस्य है तथा पदेन ग्राम सेवक सदस्य सचिव है। यह समिति ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं एवं प्राथमिकताओं पर आधारित समन्वित रूप से ग्राम पंचायत विकास योजना का अंतिम प्रारूप तैयार कर योजना का ब्लॉक संदर्भ समूह से तकनीकी परीक्षण उपरांत ग्राम सभा से अनुमोदन करवाकर क्रियान्वयन एवं समीक्षा करेगी। इस समिति की प्रत्येक त्रैमास में एक बैठक आवश्यक रूप से आयोजित की जायेगी।
- तकनीकी सहयोग दल (TSG) ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी सहयोग दल का गठन किया गया है, जिसमें विकेन्द्रीकृत नियोजन से संबंधित कार्यरत कर्मचारी, अनुभवी सेवानिवृत अधिकारी, गैर-सरकारी/सामुदायिक संगठन, स्वैच्छिक संगठन सदस्य है । यह समूह ग्राम पंचायत में विकेन्द्रीकृत नियोजन हेतु समय-समय पर समस्त हितधारकों (Stakeholders) का क्षमतावर्द्धन, मार्गदर्शन व विकेन्द्रीकृत योजना निर्माण प्रक्रिया में आवश्यक सहयोग ग्राम पंचायत समन्वय समिति को प्रदान करेंगे। तकनीकी सहयोग दल प्रत्येक वार्ड से एक महिला एवं एक पुरूष का स्वैच्छिक सदस्य के रूप में चिन्हित कर वातावरण निर्माण, आवश्यकताओं की पहचान एवं ग्रामसभा में अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी हेतु जागरूक करेंगे ।
- प्रशिक्षण (Training) उपरोक्त समस्त समिति, संदर्भ समूह एवं तकनीकी सहयोग दलों का प्रशिक्षण इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान, जयपुर द्वारा विकेन्द्रीकृत ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण प्रक्रिया के क्षमतावर्द्धन हेतु समय-समय पर आयोजित किये जायेंगे।
कार्य एवं संस्थागत व्यवस्था-अध्याय – 3
- राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के तीनों स्तर पर समन्वय समितियों का गठन कर ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के नियोजन में आवश्यक भूमिकाओं का निर्वहन करते हुए समावेशी विकेन्द्रीकृत ग्राम पंचायत स्तरीय विकास योजनाओं का निर्माण किया जायेगा।
- ग्राम पंचायत स्तर पर राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा क्रियान्वित की जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों को पंचायती राज अधिनियम के तहत 11वीं अनुसूची में वर्णित 29 विषयों यथा- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षित पेयजल व्यवस्था, स्वच्छता, गरीबी उन्मूलन, रोजगार को बढ़ावा, विद्युतिकरण, रोड़ एवं पुलिया, आवास, कृषि एवं सहायक सेवाएं, सामाजिक सुरक्षा, पर्यटन इत्यादि को दृष्टिगत रखते हुए उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण किया जायेगा, जिसमें ग्राम पंचायत की निजी आय में बढ़ोतरी के लिए व्यवहारिक गतिविधियों का समावेश भी किया जाये।
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध समस्त संसाधनों (प्राकृतिक, मानवीय एवं वित्तीय संसाधन) का ग्राम पंचायत स्तरीय तकनीकी सहयोग दल के द्वारा आंकलन कर ग्राम पंचायत समन्वय समिति (GPcc) को उपलब्ध करवायेंगे।
- ग्राम पंचायत स्तरीय तकनीकी समूह ग्राम पंचायत के प्राकृतिक संसाधन, बुनियादी ढांचा एवं सेवाएं, प्रमुख संकेतांक संबंधी आंकड़े एवं विकास का आंकलन, स्थानीय प्रशासनिक तंत्र, वित्तीय जानकारी, त्वरित उन्नति के लिए नये क्षेत्र तथा ग्राम पंचायत का SWOC (सामर्थ्य, कमजोरी, अवसर एवं चुनौती) विश्लेषण कर ग्राम पंचायत समन्वय समिति को अवगत करवाते हुए ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण में सहयोग प्रदान करेंगे।
- राज्य स्तर से पंचायती राज विभाग व अन्य विभागों द्वारा ग्राम पंचायतों को विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों में हस्तांतरित की जाने वाली राशि के अनुसार सहभागी विकेन्द्रीकृत ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण करवाया जायेगा।
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के दौरान ध्यान रखा जाये कि कुल प्रस्तावित ग्राम पंचायत विकास योजना में कम से कम 40 प्रतिशत राशि का व्यय सामाजिक मुद्दों/गतिविधियों जैसे—पूरक पोषण, कुपोषण, बच्चों एवं महिलाओं में अरक्तता, लिंगानुपात में सुधार, बालिका शिक्षा, महामारी नियंत्रण, शिशु एवं महिला मृत्यु दर में सुधार, संस्थागत प्रसव, पंचायत को खुले में शौचमुक्त करना, महिला सशक्तिकरण इत्यादि पर किया जायेगा।
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण प्रक्रिया से पूर्व वार्ड वाईज चयनित सोशल मॉबलाईजर ग्राम पंचायत विकास योजना के लिए उपलब्ध होने वाली राशि व योजना की महत्वत्ता को बताते हुए ग्राम पंचायत की मूलभूत आवश्यकताओं को सम्मिलित करने हेतु समुदाय के समस्त नागरिकों को ग्राम सभा में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने हेतु अपील करेगा।
- सोशल मॉबलाईजर वार्ड की आवश्यकताओं से तकनीकी सहयोग दल एवं ग्राम पंचायत समन्वय समिति को अवगत करवायेगा।
- ग्राम पंचायत समन्वय समिति को सोशल मॉबलाईजर एवं तकनीकी सहयोग दल द्वारा पी.आर.ए. एवं अन्य सहभागी प्रयोगों का इस्तेमाल कर किये गये विश्लेषण, ग्राम पंचायत की आवश्यकताएं तथा ग्राम पंचायत विकास हेतु क्रियान्वित किये जाने वाली चिन्हित गतिविधियों से अवगत कराते हुए ड्राफ्ट ग्राम पंचायत विकास योजना बनाने में सहयोग प्रदान करेंगे। (ग्राम पंचायत स्तरीय तकनीकी सहयोग दल एवं ग्राम पंचायत समन्वय समिति आवश्यकतानुसार ब्लॉक स्तरीय संदर्भ समूह से तकनीकी सहयोग समय-समय पर ले सकेंगे ।)
- ग्राम पंचायत समन्वय समिति ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं अनुसार बनाये गये ड्राफ्ट ग्राम पंचायत विकास योजना का ब्लॉक संदर्भ समूह से तकनीकी परीक्षण उपरांत ग्राम सभा के पटल पर गतिविधियों की प्राथमिकता तय कर अनुमोदन हेतु रखा जायेगा।
- अनुमोदित ग्राम पंचायत विकास योजना ग्राम पंचायत कार्यालय से संबंधित पंचायत समिति कार्यालय को संकलन हेतु अग्रेषित की जायेगी। पंचायत समिति स्तर पर समस्त ग्राम पंचायतों की विकास योजनाओं का समेकन कर पंचायत समिति स्तरीय कार्यो/गतिविधियों को सम्मिलित करते हुए पंचायत समिति की साधारण सभा से अनुमोदन करवाकर जिला स्तरीय समन्वय समिति को अग्रेषित करेंगे । पंचायत समिति ग्राम सभा से अनुमोदित हुए कार्यों एवं गतिविधियों में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकेगी, अपितु पंचायत समिति अपने क्षेत्राधीन किसी ग्राम पंचायत के अति आवश्यक कार्य अथवा गतिविधि को जुड़वाने के लिए ग्राम सभा से आग्रह कर सकती है।
- अनुमोदित पंचायत समिति विकास योजना पंचायत समिति कार्यालय से संबंधित जिले को संकलन हेतु अग्रेषित की जायेगी। जिला स्तर पर समस्त पंचायत समितियों की विकास योजनाओं का समेकन कर जिला स्तर के कार्यो/गतिविधियों को सम्मिलित करते हुए जिला परिषद की साधारण सभा से अनुमोदन करवाकर तत्पश्चात् जिला आयोजना समिति से अनुमोदन करवाकर पंचायती राज विभाग को अग्रेषित करेंगे।
समुदाय की सहभागिता, आवश्यकताओं का आकंलन तथा प्रबंधन-अध्याय -4
- ग्राम पंचायत स्तर पर वार्ड वाईज ग्रामीणों की आवश्यकताओं एवं उपलब्ध संसाधनों, द्वितीय समंकों तथा वर्तमान में क्रियान्वित की जा रही योजनाओं/कार्यक्रमों का पी.आर.ए. आधार पर वर्तमान स्थिति का विश्लेषण किया जायेगा।
- पी.आर.ए. गतिविधियां जैसे-सामाजिक मानचित्रण, ग्राम पंचायत स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों, युवा समूहों, बालक-बालिकाओं, कृषकों, जल ग्रहण विकास समिति, जल उपयोग समूह, अनु.जाति, अनु.जनजाति, अल्पसंख्यक, विशेष योग्यजन, वरिष्ठ नागरिक, मुख्य धारा से वंचित परिवार, बधुआ मजदूर, बाल मजदूर, घुमंतू परिवार, प्रवासी, मैला ढोने वाले परिवार, किन्नर इत्यादि के साथ लक्षित मुद्दों पर विचार-विमर्श (FGD) कर आवश्यकताओं का आंकलन किया जायेगा।
- प्रोजक्टाईजेशन–ग्राम पंचायत विकास योजना में चिन्हित गतिविधियों के लिए वित्तीय आवंटन तकनीकी सहायता समूह एवं ग्राम पंचायत समन्वय समिति की आवश्यकताओं के अनुसार पंचायत समिति एवं जिला स्तरीय अधिकारियों से विचार-विमर्श कर किया जायेगा।
- इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान, जयपुर द्वारा पंचायत समिति एवं जिला संदर्भ समूह के सदस्यों को प्रशिक्षित किया जायेगा। साथ ही प्रत्येक जिलें पर गैर सरकारी संस्थाओं तथा सक्रिय स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को भी प्रशिक्षित किया जायेगा, जो विकेन्द्रीकृत सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण में सहायता एवं मॉनेटरिंग में सहयोग प्रदान करेंगे।
वित्तीय संसाधन-अध्याय -5
- चौदहवें वित्त आयोग की पंचाट अवधि 2015-16 से 2019-20 तक (5 वर्ष) है। 14वें वित्त आयोग द्वारा वित्तीय वर्ष 2015-16 से मूल अनुदान तथा वर्ष 2016-17 से कार्य निष्पादन अनुदान ग्राम पंचायतों को देने का प्रावधान किया गया है। कार्य निष्पादन अनुदान के लिये आयोग द्वारा निर्धारित मानदण्डों को पूर्ण करने हेतु विभाग द्वारा पृथक से दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
- उददेश्य एवं अनुमत कार्य :- चौदहवें वित्त आयोग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में दी जाने वाली मूलभूत सुविधाओं की गुणवत्ता को सुधारने पर बल दिया गया है ताकि इन सुविधाओं के उपयोगकर्ताओं द्वारा इनका भुगतान करने की रजामन्दी बढ सके। अतः इस अनुदान का उपयोग स्वच्छता जिसमें सेप्टेज प्रबंधन शामिल है, सीवरेज, जल निकासी एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, जल आपूर्ति, स्ट्रीट लाईट, स्थानीय ग्राम पंचायतों की सड़कों एवं फुटपाथों, पार्को, खेल मैदानों तथा कब्रिस्तान एवं शमशान स्थलों का रखरखाव जैसी मूलभूत सेवाओं को प्रदान करने एवं सुदृढ करने हेतु किया जाना चाहिए। आयोग की सिफारिशों के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को दिये गये अनुदान को केवल मूलभूत सेवाओं, जो कि उन्हें संबंधित विधियों द्वारा सौंपी गई हो, पर खर्च करने के लिए निर्दिष्ट किया जाये।
- सम्पादित करवाये जाने वाले प्रमुख कार्य :- चौदहवें वित्त आयोग के तहत प्रदत्त अनुदान का उपयोग निम्नलिखित मूलभूत सेवाओं एवं गतिविधियों पर किया जा सकेगा –
- पेयजल आपूर्ति हेतु कुंओं एवं पानी की सार्वजनिक टंकियों का निर्माण ।
- बावड़ियों, टांकों, कुओं, पनघट, हैंडपम्प आदि जिनसे पेयजल आपूर्ति हो, सुदृढ़ हो सके, का जीर्णोद्धार/निर्माण/संवर्धन/तथा खराब हैंण्डपम्पों का उचित संधारण कराना।
- पेयजल संग्रहण स्थानों जैसे कुएँ, पानी की टंकियॉ इत्यादि से ग्रामीण जन के आवासों/शिक्षण संस्थाओं/सामुदायिक भवनों आदि तक पेयजल आपूर्ति हेतु आवश्यक पाईपलाईन बिछाने की व्यवस्था करना।
- भूमिगत जलस्त्रोंतो से पेयजल आपूर्ति हेतु टंकियों में जल संग्रहण करने हेतु यदि आवश्यकता प्रतीत होती हो तो, यंत्र/मोटर के संधारण की उचित व्यवस्था करना।
- सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं और पुरूषों के लिए पृथक-पृथक सार्वजनिक शौचालयों/चल शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित राजकीय शिक्षण संस्थानों में बालक-बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- पंचायत क्षेत्रों में गंदे पानी के निकास हेतु नालियों का निर्माण ।
- तरल एवं ठोस अपशिष्ठ के निपटान एवं निकास के लिए व्यवस्था करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में आयोजित किये जाने वाले हाट बाजार, मेला स्थल, सार्वजनिक प्रदर्शनी स्थल आदि के लिए चल शौचालयों की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
- पंचायत क्षेत्र में कूडे करकट के निपटान एवं सामान्य साफ-सफाई बनाये रखने हेतु उपयुक्त व्यवस्था करना।
- पंचायत क्षेत्र में ऐसे स्थल जहां गंदे पानी के एकत्रित होने की संभावना हो जिससे मच्छर पनपने अथवा बीमारी फैलने का अंदेशा हो सकता हो, का चिनीकरण कर उपचारात्मक उपाय करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सूखे शौचालयों को फ्लश वाले शौचालयों में बदलना और यदि कही हो तो, मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की उपयुक्त व्यवस्था करना।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक सम्पत्तियों का रखरखाव ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में पार्को एवं मैदानों का रखरखाव ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, फुटपाथों, कब्रिस्तान एवं शमशानों का रखरखाव ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में स्ट्रीट लाईट एवं प्रकाश व्यवस्था ।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सेप्टैज प्रबंधन एवं सीवेज प्रबंधन संबंधी कार्य ।
- ऐसे अन्य कार्य जिनसे 14वें वित्त आयोग द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों में उपरोक्तानुसार विनिर्दिष्ट उद्देश्यों की पूर्ति संभव हो सके।
- कार्यकारी ऐजेन्सी :- चौदहवें वित्त आयोग के तहत प्रदत्त अनुदान के उपयोग हेतु कार्यकारी एजेन्सी ग्राम पंचायत ही होगी। जिला परिषद एवं पंचायत समिति उक्त अनुदान के सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करने हेतु पर्यवेक्षण एवं अनुश्रवण के लिए उत्तरदायी होगी।
- राशि का अन्तरण - ग्राम पंचायतों हेतु चौदहवें वित्त आयोग के तहत प्राप्त होने वाली अनुदान राशि की शत् प्रतिशत राशि केवल ग्राम पंचायतों को नवीनतम राज्य वित्त आयोग, जिसकी सिफारिशें स्वीकार कर ली गई है, द्वारा निर्धारित वितरण शुल्क (Distribution Formula)के आधार पर बैंकिंग चैनल के माध्यम से उनके बैंक खाते में हस्तांतरित की जायेगी। ग्राम पंचायतों को होने वाले अन्तरण की सूचना विभाग द्वारा मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, अति. मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद तथा लेखाधिकारी, जिला परिषद को ई-मेल के माध्यम से प्रेषित की जाएगी । यह सूचना विभागीय वेबसाईट पद पर भी उपलब्ध कराई जाएगी ।
- उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं आगामी किस्त जारी करना -
- ग्राम पंचायतों को चौदहवें वित्त आयोग के अंतर्गत प्राप्त होने वाली राशि के हस्तांतरण एवं उपयोगिता प्रमाण पत्र से संबंधी व्यवस्था ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-4 में अंकित प्रावधानों के अनुसार होगी। इस भाग 4 में के निर्देश संख्या 45 में उपयोगिता/पूर्णता प्रमाण पत्र, राशि समायोजन (निर्देश संख्या 55) पर पूर्ण प्रावधान अंकित है।
- चौदहवें वित्त आयोग के अंतर्गत ग्राम पंचायतों को प्राप्त होने वाली अनुदान राशि का उपयोग इन दिशा-निर्देशों के अनुसार सुनिश्चित किया जाएगा । ग्राम पंचायत द्वारा अनुदान राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र यथाशीघ्र संबंधित पंचायत समिति में प्रेषित किया जाएगा ।
- ग्राम पंचायतों द्वारा उपयोग की जाने वाली अनुदान राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र ग्राम पंचायतों से प्राप्त करने और जिला परिषद को प्रस्तुत करने हेतु विकास अधिकारी, संबंधित पंचायत समिति उत्तरदायी होंगे।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद का यह दायित्व होगा कि जिला परिषद के क्षेत्राधिकार में आने वाली पंचायत समितियों से प्राप्त होने वाले उपयोगिता प्रमाण पत्रों को प्राप्ति के 7 दिवस के भीतर पंचायती राज विभाग, मुख्यालय को अनिवार्य रूप से प्रेषित कर दिया जाए ।
5.7 चौदहवें वित्त आयोग के अंतर्गत राज्य को 5 वर्ष में निम्नानुसार राशि प्राप्त होगी –
क्र.स
|
मद का नाम
|
2015-16
|
2016-17
|
2017-18
|
2018-19
|
2019-20
|
कुल राशि
|
1.
|
मूल अनुदान
|
1471.95
|
2038.17
|
2354.92
|
2724.22
|
3681.01
|
12270.27
|
2.
|
परफोरमेंस ग्राण्ट
|
_
|
267.35
|
302.55
|
343.58
|
449.89
|
1363.37
|
योग
|
1471.95
|
2305.52
|
2657.47
|
3067.80
|
4130.90
|
13633.64
|
5.8 चौदहवें वित्त आयोग के साथ-साथ अन्य वित्तीय संसाधन निम्नानुसार :-
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु वित्तीय संसाधनों का आकंलन वर्तमान में
क्रियान्वित योजनाओं/कार्यक्रमों, पंचायत के स्वयं के संसाधनों से आय, अन्तर्राष्ट्रीय एवं
अन्य सामाजिक संस्थाएं, दानदाताओं, गैर सरकारी संस्थाओं, स्वैच्छिक संस्थाएं एवं
सामुदायिक सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) के वित्तीय संसाधनों को सम्मिलित कर ग्राम पंचायत
विकास योजना के निर्माण हेतु वित्तीय संसाधन का आकंलन किया जायेगा।
- केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं/कार्यक्रमों से प्राप्त वित्तीय संसाधन जैसे-14वां वित्त आयोग, महात्मागांधी नरेगा, इंदिरा आवास, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM),
स्वच्छ भारत मिशन (SBM), जल ग्रहण विकास योजना, राज्य वित्त आयोग, पंचायती राज संस्थाओं निबंध राशि, राज्य क्षेत्र विशेष योजनाएं इत्यादि को ग्राम पंचायत के वित्तीय संसाधन में सम्मिलित कर ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण किया जायेगा।
- समुदाय अथवा दानदाताओं द्वारा धनराशि, सामग्री एवं मानव संसाधन में स्वैच्छिक अंशदान को भी सम्मिलित किया जायेगा।
- उक्त दिशा-निर्देश वित्त (आर्थिक मामलात) विभाग की आई.डी. संख्या 271500465 दिनांक 14.10.2015 से अनुमोदित है।
वातावरण निर्माण-अध्याय -6
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु समुदाय में जागरूकता एवं सहभागिता प्राप्त करने हेतु निम्न कार्य/गतिविधि मुख्य रूप से आयोजित की जायेगी।
- राज्य स्तर से माननीय मुख्यमंत्री महोदय की ओर से सभी सरपंचों को ग्राम पंचायत विकास योजना की महत्वत्ता को दृष्टिगत रखते हुए तथा ग्राम पंचायतों को राज्य स्तर से आवंटित वित्तीय संसाधन से अवगत कराते हुए विकेन्द्रीकृत सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु पत्र प्रेषित किया जायेगा।
- प्रत्येक वार्ड से एक महिला एवं एक पुरूष जैसे–भारत निर्माण स्वयं सेवक, नेहरू युवा केन्द्र के सदस्य, स्काउट एवं गाईड, राष्ट्रीय स्वयं सेवक, साक्षरता प्रेरक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशासहयोगिनी, ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति, स्वयं सहायता समूह तथा वार्ड सदस्य इत्यादि का स्वैच्छिक सदस्य के रूप में चिन्हित कर, योजना निर्माण का वातावरण निर्माण, आवश्यकताओं की पहचान एवं ग्रामसभा में अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी के लिए वार्ड वाईज जागरूकता लायेंगे ।
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के वातावरण हेतु प्रचार–प्रसार के साधन जैसे सूचना,शिक्षा एवं संचार (IEC), समुदाय आधारित संस्थान (CBO)/गैर सरकारी संगठन (NGO) के माध्यम से, टी.वी., रेडियों व अखबार, सार्वजनिक स्थानों पर डोंडी पिटवा कर, नुक्कड़ नाटक, कलाजत्था, दीवार लेखन, नोटिस, होर्डिंग के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जायेगा। पैम्फ्लेट छपवाकर एवं लाउड स्पीकर के माध्यम से कार्यक्रम का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के वातावरण हेतु महिला स्वयं सहायता समूह एवं महिला फोरम द्वारा महिला सभा, वार्ड सभा व ग्राम सभा में अधिक से अधिक महिलाओं की भागीदारी हेतु जागरूक करेंगे।
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के वातावरण के दौरान बिना लागत की गतिविधियों यथा- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं, बाल विवाह की रोकथाम, स्वच्छ भारत मिशन एवं सम्पूर्ण टीकाकरण इत्यादि का भी प्रचार-प्रसार करें।
वर्तमान स्थिति का विश्लेषण-अध्याय -7
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु समुदाय में जागरूकता एवं सहभागिता प्राप्त करने हेतु निम्न कार्य/गतिविधि मुख्य रूप से आयोजित की जायेगी।
- ग्राम पंचायत स्तर पर तकनीकी सहयोग दल का गठन किया जायेगा, जो ग्राम पंचायत की आवश्यक मूलभूत सुविधाएं, आधारभूत संरचना, महत्वपूर्ण सूचकांक, वर्तमान में क्रियान्वित की जा रही राज्य एवं केन्द्रीय योजनाएं/कार्यक्रम, उपलब्ध प्राकृतिक एवं वित्तीय संसाधन, ग्राम स्तर पर उपलब्ध प्राथमिक एवं द्वितीय समंकों इत्यादि की सूचनाएं संकलित कर ग्राम पंचायत के अन्तराल (GAP) को चिन्हित कर प्रोफाईल तैयार करेंगे।
- वर्तमान में संचालित की जा रही योजनाओं/कार्यक्रमों का Critical Evaluation कर योजनाओं पर किए जा रह निवेश का नतीजा सफल हो (Successful outcomes) इस हेतु आवश्यक गतिविधियों/कार्यों को ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में सम्मिलित करेंगे।
- प्रत्येक वार्ड स्तर पर चयनित कम्यूनिटी मॉबिलाईजर (एक महिला एवं एक पुरूष), स्वयं सहायता समूह के सदस्य अपने वार्ड में वार्तावरण निर्माण के साथ-साथ समुदाय के विश्लेषण अनुसार आवश्यकताओं को चिन्हित कर तकनीकी सहयोग दल को ग्राम पंचायत समन्वय समिति के माध्यम से उपलब्ध करवाकर ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण करेंगे।
- तकनीकी सहयोग दल ग्राम पंचायत समन्वय समिति के साथ समुदाय के बीच उपस्थित होकर ग्राम पंचायत के SWOC (सामर्थ्य, कमजोरी, अवसर एवं चुनौती) विश्लेषण कर, निष्कर्ष का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में करेंगे।
- तकनीकी सहयोग दल पी.आर.ए. टूल के माध्यम से ग्राम सभा में विकास से वंचित व लक्षित समूह जैसे–महिला, युवा, बच्चे, किशोर-किशोरियां, अनु.जाति, अनु.जनजाति, अल्पसंख्यक, विशेष योग्यजन, वरिष्ठ नागरिक, मुख्य धारा से वंचित परिवार, बधुंआ मजदूर, बाल मजदूर, घुमंतू परिवार, प्रवासी, मैला ढोने वाले परिवार, किन्नर इत्यादि साथ चर्चा कर उनकी आवश्यकताओं का चयन तथा विश्लेषण कर गतिविधियों को ग्राम पंचायत विकास योजना में समावेश करवायेंगे।
सहभागिता आधारित नियोजन-अध्याय -8
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण हेतु ग्राम स्तर पर उत्सव जैसा माहौल तैयार किया जायेगा, जिसमें समुदाय के सभी वर्गों के महिला एवं पुरूष बढ़-चढ़कर एक साथ विकास की प्राथमिकताओं का निर्धारण कर ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण प्रक्रिया में सहयोग करेंगे।
- पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों के तहत विकास योजना निर्माण के लिए आयोजित ग्राम सभाओं में आवश्यक कोरम (गणापूर्ती) पर विशेष ध्यान देते हुए अधिक से अधिक संख्या में ग्रामवासी उपस्थिति होकर विकास योजना निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभायेंगे।
- ग्राम सभा आयोजन में समुदाय की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर पद स्थापित सरकारी कर्मचारी/अधिकारियों जैसे—साथिन, आशासहयोगिनी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ए.एन.एम., महिला स्वयं सहायता समूह, महिला वार्ड पंच को विशेष जिम्मेदारी देते हुए महिला ग्राम सभाओं में महिलाओं की अधिक से अधिक सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने तथा नेहरू युवा केन्द्र, किसान संघ, स्काउट एवं गाईड, भारत निर्माण स्वयंसेवक, ग्रामीण युवा व पुरूष/महिला वार्ड पंच को ग्राम सभा में समुदाय की सक्रिय भागीदारी हेतु जिम्मेदारी दी जायेगी।
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण हेतु ग्राम सभाओं का आयोजन इस प्रकार किया जाये कि विकास योजना में समुदाय की आवश्यक जरूरतें प्राथमिकता के अनुसार ग्राम पंचायत के उपलब्ध वित्तीय संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए समाविष्ट हो, ताकि समुदाय का विकास एवं ग्राम सभा के प्रति विश्वास बना रहे, न कि अनावश्यक रूप से सभी आवश्यकताओं की मात्र चाहत सूची (Wish List) बनकर ही रह जाये, जिनका क्रियान्वयन ही नहीं किया जा सके।
- ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में स्थानीय गैर सरकारी संस्थाओं/स्वैच्छिक संस्थाओं/स्वयं सहायता समूह का सहयोग ग्राम पंचायत स्तर के स्थानीय विकास की आवश्यकताओं की चिन्हित करने हेतु पी.आर.ए. गतिविधियों जैसे-सामाजिक एवं वित्तीय मानचित्रण, लक्षित समूह चर्चा (FGD), ट्रान्जेक्ट वॉक्स (Transect Walks), मैट्रिक्स रैकिंग (Matrix Ranking) इत्यादि का प्रयोग कर समुदाय की आजीविका, कौशल विकास, आधारभूत सुविधाएं, सामाजिक सेवाएं तथा सीमांत समूहों की आवश्यकताओं का चुनाव कर सकेंगे। ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत कर्मचारी/अधिकारियों को पी.आर.ए. गतिविधियों का विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान कर समुदाय की अति आवश्यक जरूरतों का चयन जनसहभागिता आधार पर सुनिश्चित करते हुए ग्राम सभा के समक्ष रखेंगे।
- ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित ग्राम सभाओं में क्षेत्र के अधिकारी/कर्मचारी की उपस्थिति अनिवार्य रूप से अपेक्षित है। उपस्थित कर्मचारी/अधिकारी अपने विभाग की समस्त योजनाएं/कार्यक्रम/गतिविधि मय वित्तीय प्रावधानों से ग्रामसभा में समुदाय को अवगत कराते हुए पंचायत विकास योजना निर्माण में अपना सहयोग प्रदान करेंगे।
- ग्राम सभाओं में अपेक्षित वर्ग अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग/विशेष योग्य जन/महिला, किन्नर, वरिष्ठ नागरिक इत्यादि की आवाज को उठाने एवं ग्राम पंचायत विकास योजना में इनकी आवश्यकताओं को विशेष स्थान दिलवाने हेतु महिला स्वयं सहायता समूह, युवा कार्यकर्ता, प्रबुद्ध व्यक्ति एवं धार्मिक नेता इत्यादि का सहयोग लिया जाए ।
- ग्राम सभा आयोजन से पूर्व स्वयं सहायता समूह, तकनीकी सहयोग दल, ग्राम पंचायत समन्वय समिति, महिला सभाओं में वार्ड वाईज चिन्हित आवश्यकताओं को समेकित कर उपलब्ध वित्तीय संसाधनों सहित ग्राम सभा के समक्ष चर्चा कर ग्राम पंचायत विकास योजना में सम्मिलित करवायेंगे।
- पेसा (PESA) क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा का आयोजन राजस्थान पंचायती राज अधिनियम के अनुसार राजस्व ग्रामवार किया जाता है। अतः इन क्षेत्रों के लिए विकास योजना उपलब्ध वित्तीय संसाधनों एवं आवश्यकताओं के आधार पर राजस्व ग्रामवार बनाई जायेगी।
लक्ष्य एवं प्राथमिकता निर्धारण-अध्याय -9
- दृष्टिपत्र – ग्राम पंचायत विकास योजना के दीर्घकालीन एवं वार्षिक उद्देश्यों के निर्धारण हेतु वार्ड एवं ग्रामसभा के दौरान उपस्थित समस्त जनसमुदाय अपने ग्राम पंचायत के विकास हेतु किये जाने वाले दीर्घकालीन उद्देश्यों पर एकमत होते हुए पंचवर्षीय योजना तथा वार्षिक कार्ययोजना में, की जाने वाली गतिविधियों का निर्धारण उपलब्ध संसाधन अनुसार तैयार कर ग्राम पंचायत विकास कार्य प्राथमिकता आधार पर क्रियान्वित करेंगे।
- प्राथमिकता निर्धारण
- ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं के प्राथमिकता निर्धारण के दौरान पी.आर.ए. तकनीक जैसे- मैट्रिक्स (सांचा), प्रिफ्रेंस रैकिंग (वरीयता क्रमांक), ब्रॉनस्टॅमिंग (विचारमंथन) व ओपिनियन पोल (जनमत सर्वेक्षण) इत्यादि का इस्तेमाल कर उपलब्ध ग्राम पंचायत की आवश्यकताओं की सूची पर ग्राम सभा में चर्चा कर ग्राम पंचायत विकास की प्राथमिकता का निर्धारण किया जायेगा।
- ग्राम पंचायत समन्वय समिति, तकनीकी सहायता समूह एवं स्वयं सहायता समूह ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के दौरान सुनिश्चित करेंगे कि वार्ड वाईज, अपेक्षित समूह (जैसे-अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग/विशेष योग्य जन/महिला इत्यादि) की आवश्यकताएं प्राथमिकता अनुसार विकास योजना में समाविष्ट कर ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण करेंगे।
- दीर्घकालीन ग्राम पंचायत विकास योजना की गतिविधियों को वार्षिक कार्ययोजना बनाने के दौरान प्राथमिकता अनुसार निकालकर उपलब्ध वित्तीय संसाधनों जैस-14वें वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग, निर्बन्ध राशि, केन्द्रीय प्रवर्तित योजना, राज्य विशिष्ट योजना, निजी आय व स्वैच्छिक दान व अंशदान के साथ मिलान कर ग्राम पंचायत विकास योजना की नवीनतम मार्गदर्शिका के अनुसार करेंगे।
योजना निर्माण, क्रियान्वयन व मूल्यांकन-अध्याय -10
- ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण से पूर्व चिन्हित आवश्यकताओं की प्राथमिकता के उपरांत उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के अनुरूप गतिविधि का निर्माण कर तकनीकी परीक्षण हेतु संबंधित विभाग एवं सेक्टरों के कार्य उनके पंचायत समिति स्तरीय अधिकारियों को प्रेषित किये जायेंगे। पंचायत समिति के अधिकारी अपने-अपने विभाग/सेक्टर से संबंधित कार्यो/गतिविधियों का तकनीकी एवं वित्तीय मापदण्डों के अनुसार छांटकर परियोजना का निर्माण करेंगे। प्रत्येक परियोजना निम्न प्रारूप में तैयार करेंगे :-
- उद्देश्य
- किये जाने वाले कार्य व उत्तरदायित्वों का निर्धारण
- समय-सीमा
- अपेक्षित उत्पादन
- गुणवत्ता के मापदण्ड
- लागत निर्धारण उपलब्ध वित्तीय संसाधनों के अनुरूप
- मोनेटरिंग व मूल्यांकन
- अंतिम परिणाम
- निरंतर सहयोग एवं पर्यवेक्षण-ग्राम पंचायत विकास योजना के निर्माण के दौरान विभिन्न गतिविधियों/कार्यों का वर्गीकरण विभागवार व सेक्टरवार किया जायेगा। विभाग एवं सेक्टर के गतिविधियों की तकनीकी परीक्षण एवं सहयोग हेतु संबंधित विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ग्राम पंचायत समन्वय समिति व तकनीकी सहयोग दल को समय-समय पर अपेक्षित सहयोग प्रदान करते रहेंगे। पंचायती राज विभाग को हस्तांतरित विभाग जैसे-शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, कृषि, एवं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभागों से संबंधित गतिविधियों/कार्यो का नियोजन, क्रियान्वयन एवं पर्यवेक्षण पंचायती राज विभाग के साथ संबंधित विभाग के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा अपेक्षित सहयोग ग्राम पंचायत कार्यालय को समय-समय पर प्रदान करेंगे। मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन (एस.बी.एम.), जलग्रहण एवं भू–संरक्षण इत्यादि विभागों के आधारभूत सरंचना निर्माण के कार्यो में निरंतर सहयोग एवं पर्यवेक्षण संबंधित विकास अधिकारी, परियोजना अधिकारी (नरेगा), ब्लॉक समन्वयक (एस.बी.एम.) इत्यादि के द्वारा किया जायेगा। ग्राम पंचायत समस्त विभागों एवं सेक्टरों की गतिविधियों/कार्यो की रिर्पोटिंग निर्धारित प्रपत्रों में ऑनलाईन आधार पर संबंधित अधिकारियों को करेगी, जिसकी प्रति मुख्य आयोजना अधिकारी को भी प्रेषित की जायेगी। प्रधान एवं पंचायत समिति सदस्य अपने-अपने क्षेत्र में विकास योजना निर्माण हेतु आयोजित ग्राम सभाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु अपना सहयोग प्रदान करेगें।
- स्थाई समितियों द्वारा निरंतर मॉनेटरिंग-पंचायती राज अधिनियम के तहत गठित विभिन्न स्थाई समितियां अपने अधिकार क्षेत्र अंतर्गत गतिविधियों की प्रतिमाह सतत् मॉनेटरिंग करेगी।
- ग्राम पंचायत विकास योजना की गतिविधियों का क्रियान्वयन पंचायती राज संस्थानों द्वारा किया जायेगा। क्रियान्वित कार्यो/गतिविधियों की गुणवत्ता की जांच समय-समय पर पंचायती राज विभागों के तकनीकी अधिकारियों द्वारा की जायेगी।
- क्रियान्वित की गई गतिविधियों/कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण किया जायेगा तथा राज्य / जिला स्तर से स्वतंत्र एजेन्सी के द्वारा मूल्यांकन करवाकर प्रतिवेदन पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित किये जायेंगे।
तकनीकी स्वीकृति-अध्याय -11
- चौदहवें वित्त आयोग के तहत कार्यो की स्वीकृति एवं सम्पादन संबंधी व्यवस्था :- योजनांतर्गत कार्यो का संपादन विभाग द्वारा जारी ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-1 में अंकित प्रावधानों एवं प्रक्रिया के अनुरूप ही किया जायेगा। यह निर्देशिका विभागीय परिपत्र कमांक 18/2015 दिनांक 18.8.15 के द्वारा जारी की गई है, जो विभागीय वेबसाईट पर भी उपलब्ध है। इस निर्देशिका को निम्न पांच भागों में बनाया गया है –
भाग एवं नामकरण
|
भाग में महत्वपूर्ण निर्देश/संबंधित
|
भाग 1 - सामान्य प्रावधान,
|
कार्य स्वीकृत करने की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान
|
भाग 2 - कार्य सम्पादन से पूर्व की प्रक्रिया,
|
कार्यकारी संस्था एवं स्वीकृतिकर्ता अधिकारी एवं अभियान्त्रिकी से संबंधित प्रक्रियाएं
|
भाग 3 - कार्य सम्पादन की प्रकिया।
|
कार्यकारी संस्था, अभियान्त्रिकी शाखा
|
भाग 4 - कार्य सम्पादन के बाद की प्रकिया
|
अभियान्त्रिकी शाखा, कार्यकारी संस्था, नियंत्रक अधिकारी एवं लेखा शाखा
|
भाग 5 - अन्य प्रावधान
|
|
उपरोक्त समस्त भाग एवं इनमें अकित दिशा-निर्देश सरल भाषा में अंकित है। अतः प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा निधियों का उपयोग करने से पूर्व इस निर्देशिका के प्रत्येक प्रावधान की पूर्ण जानकारी प्राप्त की जाएँ एवं इसकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग- 1 में कार्यों की स्वीकृतियां जारी करने, संशोधन,शिड्यूल ऑफ पावर्स, सम्पत्तियां का रख-रखाव एवं मरम्मत कराने हेतु आवश्यक प्रावधान (निर्देश संख्या 8), दर अनुसूची, भूमि स्वामित्व, कार्यवाही निष्पादन की निर्धारित अवधि आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग- 2 में वार्षिक कार्य योजना (निर्देश संख्या 20), विभिन्न मूलभूत संसाधन स्वीकृत करने के न्यूनतम मापदण्डों (निर्देश संख्या 21), कार्यों के सम्पादन के पश्चात् अनिवार्य अपेक्षित स्थिति (निर्देश संख्या 22), निर्माण कार्यों के तकनीकी मापदण्ड (निर्देश संख्या 23), कार्यकारी संस्था (निर्देश संख्या 24), नियंत्रक अधिकारियो एवं फील्ड के अभियन्ता के मुख्य उत्तरदायित्व (निर्देश संख्या 25), तकमीना (निर्देश संख्या 26-27), सामग्री कृय प्रक्रिया (निर्देश संख्या 28) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग- 3 में कार्यकारी संस्था के कर्तव्य उत्तरदायित्व (निर्देश संख्या 29), पेयजल स्रोत स्थापना हेतु प्रक्रिया (निर्देश संख्या 31), मस्टररोल (निर्देश संख्या 32), कार्य सम्पादन प्रक्रिया में अभियान्त्रिकी शाखा से संबंधित बिन्दु यथा - रिकोर्ड ऐन्ट्री एवं उनका सत्यापन (निर्देश संख्या 35), गुणवत्ता नियंत्रण (निर्देश संख्या 36-37), कार्यों की निरीक्षण प्रक्रिया (निर्देश संख्या 38) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग- 4 में कार्य सम्पादन के बाद के विभिन्न संस्थाओ की भूमिकाएं (निर्देश संख्या 39), मूल्यांकन की आवश्यकता एवं प्रक्रिया (निर्देश संख्या 40-47), दोष चिन्हीकरण अवधि (निर्देश संख्या 48), समय पर कार्य न करने पर प्रावधान (निर्देश संख्या 49),कार्यकारी संस्थाओं के लिए कार्य सम्पादन के दौरान एवं बाद की प्रक्रिया (निर्देश संख्या 50), मूल्यांकन अथवा जांच पर अपील (निर्देश संख्या 51), परिसम्पति पंजिका (निर्देश संख्या 52), सम्पत्तियों का हस्तान्तरण (निर्देश संख्या 53), किश्त जारी करने एवं व्यय राशि भुगतान की पारदर्शिता व्यवस्था(निर्देश संख्या 54) एवं नियंत्रक अधिकारी की भूमिका (निर्देश संख्या 55) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग- 4 में अन्य समस्त प्रावधान आदि अंकित है, इनकी पूर्ण पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- प्रत्येक कार्यकारी संस्था को यह स्पष्ट किया जाता है कि ग्रामीण कार्यनिर्देशिका 2015 के प्रावधानों की अवहेलना होने पर कार्यकारी संस्था व्यक्तिशः जिम्मेदार होगी।
- योजनांतर्गत प्राप्त राशि का मासिक लेखा ग्राम पंचायतों द्वारा पंचायत समिति को आगामी माह की 5 तारीख तक एवं पंचायत समिति द्वारा जिला परिषद को 7 तारीख तक जिला परिषद द्वारा विभाग को पंचायत समितिवार प्रगति 10 तारीख तक प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
- मासिक प्रगति प्रपत्र एफएफसी/1 (वित्तीय प्रगति), एफएफसी/2 (भौतिक प्रगति) एवं एफएफसी/3 (बकाया उपयोगिता प्रमाण-पत्र) में प्रस्तुत की जाएगी ।
उक्त दिशा-निर्देश वित्त (आर्थिक मामलात) विभाग की आई.डी. संख्या 271500465 दिनांक 4.10.2015 से अनुमोदित है। ग्राम पंचायत विकास योजना की अन्य निर्धारित गतिविधियों/कार्यो की तकनीकी स्वीकृति प्रदान करने हेतु निम्न प्रक्रिया अपनाई जायेगी –
पंचायत समिति स्तर
- विकास योजनाओं की गतिविधियों/कार्यो का तकनीकी परीक्षण एवं तकनीकी अनुमोदन अपने
अधिकार की सीमा तक पंचायत समिति स्तर पर संबंधित विभागों के अधिकारियों द्वारा
किया जायेगा।
- साधारण सभा की बैठक में प्रधान, ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों, सरपंच, ग्राम सेवक इत्यादि की उपस्थिति में विकास योजना की गतिविधियों/कार्यों का अनुमोदन किया जायेगा।
- ग्राम सभा से अनुमोदित गतिविधि/कार्यो में किसी भी स्तर से परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा, अपितु तकनीकी परीक्षण उपरांत संशोधन हेतु ग्राम सभा को पुनः प्रेषित किये जा सकेंगे।
जिला स्तर
- जिला स्तर पर विकास योजनाओं की उन गतिविधियों/कार्यो की तकनीकी स्वीकृति प्रदान की जायेगी, जो ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
- जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में जिला प्रमुख, जिला परिषद सदस्य एवं अधिकारियों की उपस्थिति में विकास योजना की गतिविधियों/कार्यो की समीक्षा कर अनुमोदन हेतु जिला आयोजना समितियों को अग्रेषित की जायेगी।
- ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का अंतिम अनुमोदन जिला आयोजना समिति द्वारा किया जायेगा।
ग्राम पंचायत विकास योजना के तकनीकी अनुमोदन की समय-सीमा –
- ग्राम पंचायत विकास योजना की गतिविधियों/कार्यो का ग्राम सभा के अनुमोदन के 15 दिन के
भीतर पंचायत समिति द्वारा तकनीकी अनुमोदन किया जाए ।
- ग्राम पंचायत विकास योजना की गतिविधियों/कार्यों के प्रस्ताव पंचायत समिति द्वारा प्रेषित
दिनांक से 15 दिन के भीतर जिला परिषद पर प्रस्तावों का तकनीकी अनुमोदन किया जाए ।
योजना का अनुमोदन-अध्याय -12
ग्राम पंचायत विकास योजना की निर्धारित गतिविधियों/कार्यों के अनुमोदन हेतु निम्न प्रक्रिया अपनाई जायेगी –
ग्राम पंचायत स्तर –
- ग्राम पंचायत विकास योजना का अनुमोदन ग्राम सभा द्वारा किया जायेगा।
पंचायत समिति स्तर -
- ग्राम पंचायत विकास योजनाओं का ब्लॉक स्तर पर संकलन कर उसमें पंचायत समिति के कार्य/गतिविधियां समाविष्ट कर ड्राफ्ट पंचायत समिति विकास योजना का साधारण सभा की
बैठक में अनुमोदन किया जायेगा।
जिला स्तर –
- पंचायत समितियों से प्राप्त विकास योजनाओं का जिला स्तर पर संकलन कर उसमें जिला परिषद के कार्य/गतिविधियां तथा शहरी क्षेत्र की योजनाओं को समाविष्ट कर ड्राफ्ट जिला विकास योजना का जिला परिषद की साधारण सभा की बैठक में अनुमोदन किया जायेगा।
- साधारण सभा द्वारा अनुमोदित ड्राफ्ट प्लान का जिला आयोजना समिति द्वारा अनुमोदन किया जायेगा।
समावेशित विकास योजना की समय-सीमा –
- ग्राम पंचायत विकास योजना की गतिविधियों/कार्यों के प्रस्ताव पंचायत समिति द्वारा प्रेषित दिनांक से 15 दिन के भीतर जिला परिषद पर प्रस्तावों का तकनीकी अनुमोदन किया जाए ।
अनुलग्नक 1
ग्राम पंचायत एक दृष्टि में
तालिका -1 सामान्य जानकारी
क्र.सं.
|
विवरण
|
इकाई
|
मान
|
1. |
भौगोलिक क्षेत्रफल
|
वर्ग कि.मी.
|
|
2. |
कुल जनसंख्या (जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार)
|
संख्या
|
|
3. |
राजस्व ग्राम
|
संख्या
|
|
4. |
ढाणियां
|
संख्या
|
|
5. |
सड़क से जुड़ा हुआ
|
हाँ /नहीं
|
|
6. |
रेल सेवा से जुड़ा हुआ—(हॉ/नहीं), निकटतम रेलवे स्टेशन से दूरी
|
कि.मी.
|
|
7. |
बस सेवा से जुड़ा हुआ
|
हाँ/नहीं
|
|
8. |
निकटतम कृषि उपजमंडी समिति से दूरी
|
कि.मी
|
|
9. |
अटल सेवा केन्द्र
|
हाँ /नहीं
|
|
10. |
पुलिस चौकी
|
हाँ/नहीं
|
|
11. |
कार्यरत पटवारी/ग्राम सेवक/एएनएम /आशा कुल संख्या सहयोगिनी/आंगनबाडी कार्यकर्ता/शिक्षक/ पेयजल/ बिजली/कृषि विभाग के कार्मिक (चिन्हित ( ) करें)।
|
कुल संख्या
|
|
12. |
ग्राम पंचायत से गुजरने वाली नदियां
|
हाँ/नहीं
|
|
13. |
तालाब/ बावडी/पोखर
|
हाँ/नहीं
|
|
14. |
लघु, मध्यम एवं वृहद बांध
|
हाँ /नहीं
|
|
तालिका -2 भूमि व कृषि क्षेत्र संबंधी जानकारी
क्र.सं.
|
विवरण
|
इकाई
|
मान
|
1
|
कुल भूमि
|
हेक्टेयर
|
|
2
|
कुल कृषि योग्य भूमि (बागवानी सहित)
|
हेक्टेयर
|
|
3
|
सिंचित भूमि
|
हेक्टेयर
|
|
4
|
गैर सिंचित भूमि
|
हेक्टेयर
|
|
5
|
वर्षा पोषित कृषि भूमि
|
हेक्टेयर
|
|
6
|
प्रमुख फसलें एवं क्षेत्रफल
|
हेक्टेयर
|
|
|
रबी
|
हेक्टेयर
|
|
|
खरीफ
|
हेक्टेयर
|
|
|
जायद
|
हेक्टेयर
|
|
7
|
चारागाह भूमि
|
हेक्टेयर
|
|
8
|
वनों का क्षेत्रफल
|
हेक्टेयर
|
|
9
|
प्रमुख खनिज के नाम
1............ 2.............. 3..............
|
संख्या
|
|
10
|
कुल पशुधन -
|
संख्या
|
|
दुधारू पशु -
|
|
|
अन्य पशु -
|
|
|
11
|
पंजीकृत डेयरी
|
हाँ /नहीं
|
|
12
|
पंजीकृत मुर्गीपालन/मत्स्य पालन /सूअर पालन /बकरी पालन फार्म (सही चिन्हित करें)
|
हाँ /नहीं
|
|
तालिका -3 वर्गवार जनसंख्या (2011)
क्र.सं.
|
वर्ग
|
पुरुष
|
महिला
|
कुल
|
1
|
अनुसूचित जाति
|
|
|
|
2
|
अनुसूचित जन जाति
|
|
|
|
3
|
अन्य पिछड़ वर्ग
|
|
|
|
4
|
अल्पसंख्यक वर्ग
|
|
|
|
5
|
सामान्य वर्ग
|
|
|
|
6
|
कुल पेंशन धारक
|
|
|
|
|
वृद्धावस्था-
|
|
|
|
|
विधवा
|
|
|
|
|
विकलांग
|
|
|
|
|
पालनहार
|
|
|
|
|
अन्य
|
|
|
|
तालिका – 4 सार्वजानिक बुनियादी ढांचा और सेवाएँ
क्र.सं.
|
विवरण
|
उपलब्धता
|
यदि नहीं तो ग्राम पंचायत से दूरी कि. मी.
|
1
|
पक्की सड़क
|
हॉ/नहीं
|
|
2
|
बस सेवा
|
हॉ/नहीं
|
|
3
|
विध्दुत कनेक्शन
|
हॉ/नहीं
|
|
4
|
स्व्च्छ पेयजल की उपलब्धता
|
हॉ/नहीं
|
|
5
|
जल निकास प्रणाली
|
हॉ/नहीं
|
|
6
|
ग्राम पंचायत भवन
|
हॉ/नहीं
|
|
7
|
राशन की दुकान
|
हॉ/नहीं
|
|
8
|
पटवार घर
|
हॉ/नहीं
|
|
9
|
ए.एन.एम./पटवार/ग्राम सेवक आवास (चिन्हित ( )करें
|
हॉ/नहीं
|
|
10
|
पशु चिकित्सालय
|
हॉ/नहीं
|
|
11
|
कृत्रिम गर्भधान केन्द्र
|
हॉ/नहीं
|
|
12
|
गौशालाओं एवं आवारा पशुओं के ठहरने का बाड़ा
|
हॉ/नहीं
|
|
13
|
डाकखाना (पोस्ट ऑफिस)
|
हॉ/नहीं
|
|
14
|
बैंक/सहकारी बैंक/सहकारी समिति (सही चिन्हित करें)।
|
हॉ/नहीं
|
|
15
|
सार्वजनिक पुस्तकालय
|
हॉ/नहीं
|
|
16
|
बीज संग्रहण केन्द्र
|
हॉ/नहीं
|
|
17
|
सामुदायिक भवन
|
हॉ/नहीं
|
|
18
|
आंगनबाड़ी केन्द्र/प्राथमिक स्कूल/ माध्यमिक
स्कूल/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (चिन्हित (/) करें ।
|
हॉ/नहीं
|
|
19
|
यात्री प्रतिक्षालय
|
हॉ/नहीं
|
|
20
|
टेलीफोन/ब्रॉडबैंड व इंटरनेट सुविधा
|
|
|
21
|
कूल परिसम्पत्तियों की संख्या
|
संख्या
|
|
|
उपयोगी सरकारी भवन -
|
संख्या
|
|
|
अनुपयोगी सरकारी भवन की संख्या
|
संख्या
|
|
तालिका -5 बुनियादी ढांचा और सेवा गुणवत्ता : आंगनबाड़ी
क्र.सं.
|
सुविधा
|
मानक
|
उपलब्धता हॉ/नहीं
|
नहीं तो वास्तविक दूरी कि.मी.
|
1
|
मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र(150 से 300)
|
गांव से 1 कि.मी. के भीतर
|
हॉ/नहीं
|
|
2
|
आंगनबाड़ी केन्द्र
|
400 से 700 की जनसंख्या पर
|
हॉ/नहीं
|
|
3
|
आंगनबाड़ी भवन
|
स्वंय का/किराये का
|
हॉ/नहीं
|
|
4
|
आंगनबाड़ी केन्द्रों पर कार्यरत मानव संसाधन (AWW और सहायक)
|
प्रत्येक आंगनबाड़ी में 2 AWW और 1 AWH
|
संख्या
|
|
5
|
शौचालय सुविधा
|
शौचालय
|
हॉ/नहीं
|
|
6
|
जल सुविधा
|
पेयजल कनेक्शन
|
हॉ/नहीं
|
|
7
|
हाथ धोने का स्थान
|
पर्याप्त जल और साबुन सहित हाथ धोने के लिए अलग स्थान
|
हॉ/नहीं
|
|
8
|
उपकरण
|
वजन मापने की मशीन, खिलौने,शैक्षणिक उपकरण, प्लेट, कटोरियां, नैपकिन, कंघा एवं नेल कटर
|
हॉ/नहीं
|
|
तालिका -6 बुनियादी ढांचा और सेवा गुणवत्ता : स्कूल
क्र.सं.
|
सेवा
|
सुविधा
|
मानक
|
वास्तविक स्थिति हॉ/नहीं
|
अ.
|
प्राथमिक/उ.प्रा. शाला
1.
|
प्राथमिक/उ.प्रा. शाला
|
प्रत्येक राजस्व ग्राम/बस्ती में 1 कि.मी. क्षेत्र में
|
|
|
2.
|
शाला भवन
|
कच्चे/पक्के भवन
|
|
3.
|
पेयजल
|
हैडपम्प/नलकूप/ कुआं/ बावडी
|
|
4.
|
शौचालय सुविधा
|
बालक- हॉ/ नहीं
|
|
बालिका– हॉ/नहीं
|
|
5.
|
कक्षा कक्ष
|
प्रत्येक 30 छात्रों पर एक कक्ष
|
|
6.
|
स्टाफ
|
प्रत्येक 35 छात्रों पर एक अध्यापक
|
|
7.
|
मिड डे मील हेतु रसोईघर
|
कच्चा/पक्का
|
|
8.
|
रसोई गैस कनेक्शन
|
गैस की उपलब्धता
|
|
9.
|
छात्रावास
|
बालक
|
|
बालिका
|
|
10
|
अन्य सुविधाएं -खेल का मैदान व अन्य
|
प्रति विद्यालय 1 खेल मैदान
|
|
ब.
|
माध्यमिक शाला
1.
|
माध्यमिक शाला
|
स्थानीय स्थितियों के अनुसार उपलब्धता
|
|
|
2.
|
शाला भवन
|
|
|
3.
|
पेयजल
|
हैडपम्प/नलकूप/ कुआं/ बावडी
|
|
4.
|
शौचालय सुविधा
|
बालक- हॉ/नहीं ।
|
|
बालिका - हॉ/नहीं ।
|
|
5.
|
कक्षा कक्ष
|
प्रत्येक 40 छात्रों पर एक कक्ष
|
|
6
|
स्टाफ
|
प्रत्येक 40 छात्रों पर एक अध्यापक
|
|
7.
|
छात्रावास
|
बालक-
|
|
बालिका -
|
|
8.
|
अन्य सुविधाएं
|
अपेक्षित मानक के पुस्तकालय/
प्रयोगशालाएं और खेल सुविधाएं ।
|
|
स.
|
उच्च माध्यमिक शाला 1.
|
उच्च माध्यमिक शाला
|
स्थानीय स्थितियों के अनुसार
|
|
|
2.
|
शाला भवन
|
स्वयं के पक्के भवन
|
|
3.
|
पेयजल
|
हैडपम्प/नलकूप/कुआं/बावडी
|
|
4.
|
शौचालय सुविधा
|
बालक- हॉ/नहीं
|
|
बालिका - हॉ/नहीं
|
|
5.
|
कक्षा कक्ष
|
प्रत्येक 40 छात्रों पर एक कक्ष
|
|
6.
|
स्टाफ
|
प्रत्येक 40 छात्रों पर एक अध्यापक
|
|
7.
|
छात्रावास
|
बालक-
|
|
बालिका -
|
|
8.
|
अन्य सुविधाएं
|
अपेक्षित मानक की पुस्तकालय
प्रयोगशालाएं व खेल का मैदान
|
|
तालिका -7 बुनियादी ढांचा और सेवा गुणवत्ता : स्वास्थ्य
क्र.स.
|
सेवा/सुविधा
|
मानक
|
वास्तविक स्थिति।
(हॉ/नहीं/संख्या
|
1
|
उप स्वास्थ्य केन्द्र
|
प्रत्येक 5000 की जनसंख्या
|
|
2
|
संस्थागत प्रसव हेतु प्रसव रूम की सुविधा
|
|
|
3
|
कार्यरत कार्मिकों की संख्या
|
ए.एन.एम.
|
1
|
|
|
जी.एन.एम
|
1
|
|
|
एमपीडब्ल्यू
|
2
|
|
|
कार्यकर्ता
|
3
|
|
4
|
अत्यावश्यक उपकरण
|
मेडिकल किट, ओआरएस, डिलीवरी किट,
मेज, बीपी, उपकरण और स्टेथोस्केप
|
|
5
|
भवन चारदीवारी सहित
|
स्वंय का पक्का भवन
|
|
6
|
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र
|
प्रत्येक 30,000 की जनसंख्या पर
|
|
7
|
कार्यरत कार्मिक
|
कपाउडर
|
1
|
|
|
स्वास्थ्य सहायक,
|
2
|
|
|
महिला सहायक,
|
1
|
|
|
लिपिक
|
1
|
|
|
ड्राइवर
|
1
|
|
|
च. श्रे. क.
|
5
|
|
8.
|
ऑपरेशन थिएटर, एम्ब्युलेंस व दवाओं के भण्डारण हेतु स्थान
|
1. ऑपरेशन थिएटर व उपकरण
|
|
|
2. एम्बूलेंस
|
|
|
3. दवाओं का पर्याप्त भंडार
|
|
9.
|
आयुर्वेदिक औषधालय
|
1. वैद्य
|
|
|
2. कम्पाऊंडर
|
|
10.
|
होम्योपैथिक औषधालय
|
1. चिकित्सक
|
|
|
2. कम्पाऊडर
|
|
|
3. पर्याप्त दवाईयां
|
|
|
|
|
|
|
|
तालिका –8 आवश्यक दस्तावेजों की स्थिति
क्र.सं.
|
सेवा
|
संख्या
|
1
|
बी.पी.एल. कार्ड धारक
|
|
2
|
राशन कार्ड धारक
|
|
3
|
खाद्य सुरक्षा प्राप्त कार्ड धारक
|
|
4
|
भामाशाह कार्ड धारक
|
|
5
|
आधार कार्ड धारक
|
|
6
|
मनरेगा जॉब कार्ड धारक
|
|
तालिका -9 ग्राम पंचायत के वित्तीय स्त्रोत एवं आय
क्र.सं.
|
स्त्रोत
|
केन्द्र/राज्य/अन्य
|
राशि हजार रू.में
|
|
14वां वित्त आयोग
|
|
|
|
एस.एफ.सी.
|
|
|
|
निर्बध राशि
|
|
|
|
मनरेगा
|
|
|
|
मेवात/डांग/मगरा/देवनारायण/बीएडीपी
|
|
|
|
IWRM (यूरोपियन यूनियन)
|
|
|
|
स्वच्छ भारत मिशन (SBM)
|
|
|
|
पंचायतों की कर आय
|
|
|
|
पंचायतों की गैर कर आय (फीस) की सूचना तालिका–9 दिये गये निर्देश में से देखकर भरें।
|
|
|
तालिका -10 घरेलू सुविधाएं
क्र.सं.
|
सेवा
|
संख्या
|
|
कच्चे घरों में रहने वाले परिवार
|
|
|
इंदिरा/मुख्यमंत्री आवास से लाभांवित परिवार
|
|
|
आवास विहीन पात्र परिवार
|
|
|
विधुत कनेक्शन रहित घर विधुत कनेक्शन रहित घर
|
|
|
पेयजल आपूर्ति रहित घर
|
|
|
शौचालय विहीन घर
|
|
|
ईंधन हेतु मिट्टी के तेल का उपयोग करने वाले घर
|
|
|
रसोई गैस कनेक्शन वाले घर
|
|
|
गोबर गैस/सौर चूल्हा प्रयुक्त घर
|
|
|
परम्परागत ईंधन प्रयुक्त करने वाले घर
|
|
|
निःशुल्क पट्टा आवंटन से वचिंत पात्र परिवारों की संख्या
|
|
|
रियायती दर पर पट्टा प्राप्ति से वंचित पात्र परिवारों की संख्या
|
|
तालिका–11 पेयजल एवं स्वच्छता
|
क्र.सं.
1.
|
जल स्त्रोत
|
कार्यरत
|
ठीक होने योग्य
|
नकारा
|
|
अ
|
कुआ
|
|
|
|
|
ब
|
बावडी
|
|
|
|
|
स
|
तालाब
|
|
|
|
|
द
|
टांका
|
|
|
|
|
य
|
हैंडपम्प
|
|
|
|
|
र
|
नलकूप
|
|
|
|
|
ल
|
जी.एल.आर.
|
|
|
|
|
व
|
अन्य टंकियां (जनताजल/पनघट इत्यादि.....)
|
|
|
|
|
2.
|
वर्षा जल संग्रहण
|
|
अ
|
छत जल संग्रहण
|
|
|
|
|
ब
|
अन्य व्यवस्था
|
|
|
|
|
पेयजल आपूर्ति व्यवस्था
|
|
3.
|
पेयजल आपूर्ति व्यवस्था
|
लीकेज की संख्या
|
टूट-फूट
|
नकारा
|
|
अ
|
जी.एल.आर.
|
|
|
|
|
ब
|
पाईप लाईन
|
|
|
|
|
स
|
जनता जल
|
|
|
|
|
द
|
पनघट
|
|
|
|
|
य
|
अन्य
|
|
|
|
|
स्वच्छता
|
|
4.
|
स्वच्छता
|
ढाणी/मोहल्लों की संख्या जहां नाली/कचरा निस्तारण की व्यवस्था है।
|
व्यवस्था से वंचित मोहल्लों की संख्या
|
|
अ
|
नाली की व्यवस्था ब ठोस कचरा निस्तारण
की व्यवस्था
|
|
|
|
|
ब
|
ठोस कचरा निस्तारण
की व्यवस्था
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
Table-इमेज 1
Table-इमेज 2
पेज ३८- 42
ग्राम पंचायत विकास योजना वर्ष ....... के निर्माण हेतु भौतिक प्रपत्र (सेक्टर/विभाग .....)
ग्राम पंचायत - एक दृष्टि हेतु 11 तालिकाओं में सूचना भरने हेतु दिशा – निर्देश
तालिका - 1
के क्र.सं. (1) में संबंधित ग्राम पंचायत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल राजस्व रिकॉर्ड के मुताबिक दर्ज करें, क्र.सं. 2) जनगणना2011 की जनसंख्या दर्ज की जाएँ, क्र.सं. (3) में संबंधित राजस्व ग्रामों/ ढाणियों की संख्या दर्ज करें। क्र.सं. (4) में यदि ग्राम पंचायत डामरीकृत सड़क मार्ग से जुडी है तो हॉ पर () का निशान लगावें यदि नहीं है तो निकटतम सड़क मार्ग से दूरी Km में दर्ज की जाए । क्र.सं. (5) में रेल्वे से जुडा है तो हाँ पर (७) का निशान लगावें यदि नहीं है तो निकटतम रेल्वे स्टेशन से दूरी Km में दर्ज की जाए । क्र.सं. 6) में यदि बस सेवा है तो (हाँ) को (5) किया जाए नहीं की दशा में निकटतम सुविधा स्थल की दूरी Km में दर्ज करें। क्र.सं. (7) में निकटतम कृषि उपजमंडी समिति की दूरी Km में दर्ज करनी है। क्र.सं. (8) में अटल सेवा केन्द्र की उपलब्धता/अनुपलब्धता हेतु हाँ/नहीं पर () का निशान लगाना है। क्र.सं. (७) में पुलिस चौकी की स्थिति हाँ/नहीं में () लगाना है। क्र.सं. (10) में ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यरत कुल राजकीय कार्मिकों की संख्या दर्ज करनी है। क्र.सं. (11) में ग्राम पंचायत से यदि नदियां गुजरती है तो हाँ/नहीं पर (5) का निशान लगाना है। क्र.सं. (12) में ग्राम पं० में तालाब/बावड़ी व पोंखर है तो हाँ/नहीं पर (5) का निशान लगाना है। क्र.सं. (13) में लघु, मध्यम व वृहद बांध है तो हाँ/नहीं पर (5) का निशान लगाना है। तालिका-1 की समस्त (13) बिन्दुओं की सूचना ग्राम सेवक द्वारा विभिन्न पक्षों से संपर्क कर भरी जाएँगीं ।
तालिका – 2
के क्र.सं. (1) में ग्रा०पं० की कुल भूमि जो तालिका (1) के कॉलम (1) से समतुल्यता रखती हेक्टेयर में दर्ज करें। क्र.सं. (2) में बागवानी सहित Land revenue शाखा के रिकॉर्ड के अनुसार कुल कृषि योग्य भूमि हेक्टेयर में दर्ज करें। क्र.सं. 3) में सिंचित भूमि, क्र.सं. (4) में गैर सिंचित कृषि भूमि, क्र.सं. (5) में सिंचित व गैर सिंचित के अलावा वर्षा-पोषित कृषि भूमि क्र.सं. 6) में ग्राम पंचायत में रबी, खरीफ व जायद मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसलों का नाम व क्षेत्रफल हेक्टेयर में दर्ज करें | क्र.सं. (7) में ग्राम पंचायत की चारागाह भूमि को हेक्टेयर में, क्र.सं. (8) में ग्राम पंचायत के वनों का क्षेत्रफल हेक्टेयर में दर्ज करें | क्र.सं. (7) में ग्राम पंचायत में निकाल जाने वाले खनिज पदार्थों के नाम दर्ज करना है। क्र.सं. (10) में कुल पशुधन की इकजाई संख्या अंकित कर दुधारू और गैर दुधारू पशुओं की अलग-अलग संख्या भी दर्शानी है। क्र.सं. (11) में पंजीकृत डेयरी की उपलब्धता हां/नहीं में दर्ज करें। क्र.सं. (12) में पंजीकृत मुर्गीपालन / मत्सय पालन / सुअर पालन / बकरी पालन फार्म है तो हाँ / नहीं में (5) लगाना है। उक्त सूचनाएं ग्राम सेवक द्वारा ग्राम पंचायत के पटवारी, खनिज विभाग व पशु पालन विभाग से सूचना प्राप्त कर भरनी है।
तालिका – 3
में क्र.सं. 1 से 5 में क्रमशः SC/ST/OBC/Minorities व General समुदाय की Male/ Female व Total जनसंख्या दर्ज करें तथा क्र.सं. (6) में कुल पेंशनधाराकों की संख्या इकजाई व पृथक-पृथक वृद्धावस्था, विधवा व विकलांगो व पालनहारों के अनुसार Male Female व कुल के कॉलम में दर्ज करें। यह सूचना ग्रामसेवक द्वारा विकास अधिकारी कार्यालय से सम्पर्क कर भरनी है।
तालिका -4
में सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और सेवाओं की सूचना क्र.सं 1 से 24 में निम्नानुसार ग्राम सेवक संबंधित विभाग के कार्मिक से पूछताछ कर दर्ज करें- क्र.सं (1) में पक्की सडक की उपलब्धता की सूचना हॉ / नहीं पर (१) का निशान लगाना यदि नहीं तो निकटतम दूरी कि.मी. में दर्ज करनी है। क्र.सं (2) में बस सेवा हेतु हाँ / नहीं पर (6) का निशान तथा नहीं की दशा में निकटतम स्थान की दूरी कि.मी. में अंकित करनी है। क्र.सं (3) में विद्युत कनेक्शन हेतु हाँ / नहीं पर (१) का निशान तथा नहीं की दशा में निकटतम स्थान की दूरी कि.मी. में अंकित करनी है। क्र.सं (4) में स्वच्छ पेयजल हेतु हॉ /नहीं पर (5) का निशान तथा नहीं की दशा में निकटतम स्थान की दूरी कि.मी. में अंकित करनी है। क्र.सं (5) में जल निकास प्रणाली हेतु हाँ / नहीं पर (१) का निशान लगाना है। क्र.सं (6) में ग्राम पंचायत भवन, क्र.सं (7) में राशन की दुकान, क्र.सं (8) पटवार घर, क्र.सं (9) में (एएनएम/पटवारी/ग्राम सेवक हेतु) आवास संबधी, क्र.सं (10) में पशु चिकित्सालय, क्र.सं (11) में कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र की ,क्र.सं (12) गौशाला एवं आवारा पशुओं के ठहरने हेतु बाड़ा की उपलब्धता, क्र.सं (13) में डाकखाना /पोस्ट ऑफिस, क्र.सं (14) में सभी प्रकार के बैंक / सहकारी बैंक, सहकारी समिति सहित, क्र.सं (15) में सार्वजनिक पुस्तकालय, क्र.सं (16) में बीज संग्रहण केन्द्र, क्र.सं (17) में सामुदायिक भवन, क्र.सं. (18) में आंगनबाड़ी केन्द्र / प्राथमिक स्कूल / माध्यमिक स्कूल / प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता, क्र.सं (19) में यात्री प्रतिक्षालय, क्र.सं (20) में टेलिफोन / ब्रॉडबैंड व इंटरनेट की सुविधा, क्र.सं (21) में कुल परिसम्पत्तियों की संख्या इकजाई व उपयोगी तथा अनुपयोगी भवनों की पृथक-पृथक संख्या दर्ज करनी है।
तालिका -5
में आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति क्र.सं. (1) से (6) में ग्राम सेवक द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्मिक की सहायता से निम्नानुसार दर्ज करनी है- क्र.सं. (1) में मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र की उपलब्धता हाँ / नहीं पर (सही) का निशान लगाना है तथा नहीं की दशा में निकटतम दूरी कि.मी. में अंकित करनी है। इसी तरह क्र.सं. (2) में आंगनबाड़ी केन्द्र की स्थिति, क्र.सं. (3) में आंगनबाड़ी भवन की स्थिति हॉ / नहीं में दर्ज करनी है।, क्र.सं. (4) में आंगनबाड़ी केन्द्रों में कार्यरत कार्मिकों की संख्या दर्ज करें, क्र.सं. (5) में शौचालय की सुविधा, क्र.सं. (6) में जल सुविधा, क्र.सं. (7) में हाथ धोने के स्थान तथा क्र.सं. (8) में उपकरण की उपलब्धता को हॉ / नहीं में (1) करना है तथा नहीं की दशा में जिस बिन्दु पर लागू हों उससे संबंधित कॉलम में ही निकटतम दूरी दर्ज करें ।
तालिका – 6
में ग्राम सेवक द्वारा शिक्षा विभाग के कार्मिकों / जिला सांख्यिकी कार्यालय से सूचना प्राप्त कर निम्नानुसार भरनी है- सर्वप्रथम क्र.सं. अ - में प्राथमिक / उच्च प्राथमिक शालाओं की सेवा / सुविधा के कॉलम में बिन्दू संख्या 1 से 10 तक की सूचनाएं क्रमशः ग्राम पंचायत में अवस्थित प्राथमिक / उच्च प्राथमिक स्कूलों की उपलब्धता, भवनों की उपलब्धता, पेयजल, शौचालय सुविधा, कक्षा का मापदण्ड, स्टाफ का मापदण्ड, मिड डे मील हेतु रसोईघर, गैस कनेक्शन, छात्रावास–बालक / बालिका तथा अन्य सुविधाओं की स्थिति हॉ / नहीं में दर्ज करनी है।
क्र.सं. ब - माध्यमिक शालाओं की सूचना क्र.सं. (1) से (8) में ग्राम सेवक निम्नानुसार दर्ज करें –सेवा / सुविधा के कॉलम (1) में माध्यमिक शाला के प्रावधान के अनुसार, कॉलम (2) में स्कूल भवन , कॉलम (3) में पेयजल, कॉलम (4) में शौचालय सुविधा – बालक / बालिकाओं हेतु अलग-अलग हॉ / नहीं पर (१) का निशान लगाकर तथा नहीं की दशा में वास्तविक स्थिति दर्शानी हैं उपलब्ध जगह का नाम इत्यादि अंकित करना है। कॉलम (5) में कक्षा की स्थिति, कॉलम (6) में स्टाफ के मापदण्ड तथा कॉलम (7) में छात्रावास–बालक/बालिकाओं का अलग-अलग दर्शाना है, कॉलम (8) में अन्य सुविधाओं की स्थिति हॉ / नहीं में दर्ज करनी है।
क्र.सं. स - उच्च माध्यमिक शाला के सेवा. / सुविधा के कॉलम के बिन्दू (1) से (8) में उच्च माध्यमिक शाला से संबंधित सूचना ग्राम सेवक दर्ज करें। कॉलम (1) से (8) तक की समस्त सूचनाएं क्र.सं. ब के कॉलम की तरह ही हॉ/नहीं में दर्ज करें।
नोट :- तालिका संख्या 8 के क्र.सं. अ में प्राथमिक शाला में 1 से 5 तक की कक्षा, उच्च प्राथमिक में 6 से 8 तक की कक्षा, माध्यमिक में 9 से 10 तक, उच्च माध्यमिक में 11 से 12 तक की कक्षाओं को सम्मिलित किया जाना है।
तालिका – 7
में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं संबंधी जानकारी क्र.सं. 1 से 7 तक की जानकारी ग्राम सेवक द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों/कार्यकर्ताओं से जानकारी जुटा कर भरनी है। क्र.सं. (1) उपस्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता हॉ / नहीं में दर्ज करनी है। क्र.सं. 2) में संस्थागत प्रसव हेतु प्रसव रूम की उपलब्धता हां / नहीं में दर्ज करनी है। (3) कार्मिकों की संख्या 1 से 4 तक में हॉ / नहीं में दर्ज करनी है। क्र.सं. (4) में अत्यावश्यक उपकरणों, क्र.सं. (5) में चारदीवारी भवन की सूचना, क्र.सं. 6) में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता, क्र.सं. (7) में कार्यरत कार्मिकों की स्थिति तथा क्र.सं. (8) में ऑपरेशन थिएटर, एम्ब्युलेंस व भण्डारण व्यवस्था की सूचना हॉ / नहीं में दर्ज करनी है। क्र.सं. (9) में आयुर्वेदिक औषधालय में वैध, कम्पाऊंडर व दवाईयों की स्थिति हॉ / नहीं में दर्ज करनी है। इसी तरह क्र.सं. (10) होम्योपैथिक औषधालय में चिकित्सक, कम्पाऊंडर व दवाईयों की स्थिति हॉ / नहीं में दर्ज करनी है।
तालिका – 8
में क्रम संख्या 1 से 5 तक की सूचना ग्राम सेवक द्वारा विकास अधिकारी / जिला रसद अधिकारी / जिला परिषद कार्यालय / सूचना प्रौधोगिकी विभाग इत्यादि से सूचना प्राप्त कर दर्ज करनी है। क्रम संख्या (1) में कुल बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या, (2) में कुल राशनकार्ड धारकों की संख्या, (3) में खाद्य सुरक्षा प्राप्त कार्ड धारकों की संख्या, (4) में भामाशाह कार्ड धारकों की संख्या (5) आधार कार्ड धारकों की संख्या, (6) में मनरेगा जॉब कार्ड धारकों की संख्या अंकित करनी है।
तालिका – 9
में वित्तीय वर्ष में ग्राम पंचायत को विभिन्न स्त्रोतों यथा- केन्द्रीय / राज्य सरकार की योजनाओं / अनुदानों, Exp.- FFC / SFC, Untide Fund, Mnarega, IWRM, Janta Jal Yojana / आजीविका मिशन / स्वच्छ भारत मिशन (SMB), Mewat, Dang देवनारायण, बीएडीपी योजना तथा RD & PR की अन्य समस्त योजनाओं, ग्राम पंचायतों की कर आय / गैर कर आय पंचायतों गैर कर आय के स्त्रोत मुख्य रूप से निम्न प्रकार है जैसे- 1. आवेदन एवं ट्रान्सक्रिप्ट शुल्क 2. मूल निवास, जाति एवं आय प्रमाण पत्र शुल्क 3. नामांतकरण 4. बिजली एवं नल कनेक्शन के अनापत्ति प्रमाण पत्र शुल्क 5. राशन कार्ड, जन्म, मृत्यु एवं विवाह पंजीयन शुल्क 6. पक्के निर्माण की स्वीकृति शुल्क 7. नक्शा पुर्नस्थ्यापन शुल्क 8. बिना नक्शे के निर्माण को नियमितिकरण शुल्क 9. पेट्रोल व डीजल पम्प से वार्षिक शुल्क 10. ढाबा, रेस्टोरेन्ट एवं रियासी होटलों से वार्षिक शुल्क 11. खनन, मोबाईल टावर, होटल, मोटल एवं गेस्ट हाऊस के अनाप्ति प्रमाण पत्र शुल्क 12. मछली एवं हाट ठेके 13. सुखे पेड़ो एवं अनुउपयोक्त भूमि की बिक्री 14. दुकानों से किराया 15. अनुबन्धों से आय 16. पुराने गृहों के पट्टों पर विकास शुल्क 17. भूमि के अस्थाई उपयोग पर शुल्क (मेले इत्यादि) 18. मृत मवेशियों की चमड़ी संग्रह का ठेका 19. सार्वजनिक शौचालय एवं स्नानगार व गन्दे नालों का वार्षिक ठेका 20. थड़ी, फूटपाथ उपयोगकर्ता एवं ठेले वालों से पठाव शुल्क इत्यादि की सूचना क्र.सं. 1 से 9 में ग्राम सेवक द्वारा रूपयों में राज्य सरकार के दिशा-निर्देशानुसार दर्ज करनी है।
तालिका – 10
में ग्राम सेवक द्वारा घरेलू सुविधाओं से संबंधित सूचना- क्रम संख्या (1) में कच्चे घरों वाले परिवारों की संख्या, (2) में Indira / CM आवासों से लाभान्वित परिवारों की संख्या, (3) में आवासविहीन पात्र परिवारों की संख्या, (4) में विद्युत कनेक्शन रहित घरों की संख्या, (5) पेयजल आपूर्ति से वंचित घरों / परिवारों की संख्या, (6) में शौचालय विहीन घरों / परिवारों की संख्या, (7) में ईंधन के तौर पर केरोसीन का इस्तेमाल करने वाले कार्डधारक परिवारों की संख्या, (8) में रसोई गैस उपभोक्ता परिवारों की संख्या, (9) में गोबर गैस / सौर चूल्हा उपभोक्ता परिवारों की संख्या तथा (10) में परम्परागत ईंधन- लकडी / कोयला व गोबर के कडे प्रयोग करने वाले परिवारों की अनुमानित संख्या ग्राम सेवक द्वारा संबंधित जिला परिषद कार्यालय/सीपीओं कार्यालय / जिला कलेक्टर कार्यालय / सरपंच / वार्डपंच से प्राप्त कर दर्ज करें। क्र.सं. (11) में ग्राम पंचायत क्षेत्र में निःशुल्क पट्टा आवंटन से वंचित पात्र परिवारों की संख्या तथा क्र.सं. (12) में ग्राम पंचायत क्षेत्र में रियायती दर पर पट्टो से वंचित पात्र परिवारों की संख्या दर्ज करनी है।
तालिका – 11
में ग्राम सेवक द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता से संबंधित सूचना ग्राम पंचायत के वार्डपंचों / पीएचईडी विभाग के कार्मिक तथा जल प्रणाली/स्वच्छता से सम्बद्ध लोगों से जानकारी प्राप्त कर - क्रम संख्या 1 के बिन्दु (अव) तक जल स्रोतों के माध्यम के क्रियाशील होने, अक्रियाशील तथा नकारा की वस्तुस्थिति दर्ज करनी है। इसी तरह क्र.सं. 2 के बिन्दु (अ-ब) में वर्षा जल संग्रहण व्यवस्था के कार्यरत / अकार्यरत व नकारा कर स्थिति दर्ज करनी है। इसी तरह क्र.सं. 3 के बिन्दु (अ-य) तक पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के बारे में लिकेज, टूट -फूट व नकारा की स्थिति दर्ज करनी है। अन्त में क्र.सं. 4 के बिन्दू (अ-ब) में स्वच्छता बाबत नाली व ठोस कचरा निस्तारण व्यवस्था से सम्बद्ध ढाणी / मोहल्लों की संख्या दर्ज करनी है।
भौतिक व वित्तीय प्रपत्र में सूचना भरने हेतु दिशा – निर्देश
ग्राम पंचायत विकास योजना वर्ष....................के निर्माण हेतु भौतिक व वित्तीय प्रपत्र में सूचना भरने
हेतु दिशा – निर्देश –
A. भौतिक लक्ष्यों हेतु निर्धारित प्रपत्र की सूचना सेक्टर / विभागवार भरने हेतु निम्नांकित प्रक्रिया अपनायी जायेंगी –
सर्वप्रथम – सेक्टर / विभाग.....................का नाम लिखकर संबंधित ग्रा. पं........ पं.समिति.... ..................जिला परिषद..................में संबंधित ग्रा.पं. / पं.स./ जि.प. का नाम लिखा जायेंगा।
- कॉलम (2) में प्रस्तावित गतिविधि व कार्य का नाम लिखा जायेंगा, इसी तरह कॉलम (3) में प्रस्तावित कार्य/गतिविधि के स्थान का नाम तथा सड़क व पानी की सप्लाई की लाईन की स्थिति में प्रारम्भिक व अन्तिम स्थान का उल्लेख करें। कॉलम (4) में कार्य की इकाई सं ./ मी./ कि.मी. में दर्शायी जायें। कॉलम (5) में कार्य पूर्ण किये जाने की अनुमानित अवधि दर्शायी जायेंगी। कॉलम (6) ग्राम सभा द्वारा निर्धारित प्राथमिकता का क्रम I, II, III दर्शाया जायें। कॉलम (7) में कार्य से संबंधित स्थाई समिति का नाम लिखा जायें, कॉलम (8) में कार्य / योजना / गतिविधि से लाभान्वित समूहों यथा SC / ST / OBC / Minorities / महिलायें /विकलांग व सामान्य का विवरण दर्ज करें। सामूहिक की दशा में समस्त लिखे। कॉलम (9) में लाभान्वित समूह की अनुमानित व्यक्तियों की संख्या दर्ज करनी है। कॉलम (10) में कार्य / गतिविधि से संबंधित ग्राम सभा की बैठक का दिनांक व प्रस्ताव संख्या दर्ज करनी है।कॉलम (11) कार्यकारी एजेंसी का नाम तथा कॉलम (12) में आवश्यकतानुसार विशेष विवरण दर्ज करना है।
- कुल योग के कॉलम में जरूरत के मुताबिक आवश्यकतानुसार योग दर्ज करना है।
- अन्त में सरपंच, ग्राम सेवक व ग्राम पंचायत समन्वय समिति के अध्यक्ष के हस्ताक्षर प्रपत्र पूर्ण भरने पर संबंधित ग्राम सेवक द्वारा करवाये जायेंगें तथा सम्पूर्ण सूचना को आवश्यकतानुसार पढ़कर सुनाया जायें।
B. वित्तीय प्रस्तावों हेतु सूचना निर्धारित प्रपत्र में सेक्टर / विभागवार निम्नानुसार भरा जायेंगा -
सेक्टर /विभाग, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद का नाम दर्ज करें।
- कॉलम (1) में कार्य/गतिविधि का नाम लिखे, कॉलम (2) में प्रस्तावित कार्य / गतिविधि का स्थान / स्थानों का विवरण दर्ज करें, कॉलम (3) में ईकाई-सं ./ मी./ किमी. में दर्ज करें, कॉलम (4) नया अथवा पूर्व के पुराने को पूरा कराने हेतु तो पुराना लिखे, कॉलम (5) में प्रस्तावित कार्य की अनु. लागत राशि रूपयों में (हजारों) में दर्ज करनी है। कॉलम 6,7,8,9 व 10 में प्रस्तावित कार्य / योजना व गतिविधि को पूर्ण करने हेतु सरकार / निजीआय / जनसहयोग व अन्य साधनों से प्राप्त धनराशि को दर्ज करना है। कॉलम (11) में प्रस्तावित कार्य / गतिविधि से उत्पन्न रोजगार दिवसों की अनुमानित संख्या दर्ज करनी है।
- कुल योग के कॉलम में जरूरत के मुताबिक आवश्यकतानुसार योग दर्ज करना है।
- अन्त में सरपंच / वार्डपंच / ग्राम सेवक / अन्य कार्मिकों के हस्ताक्षर प्रपत्र पूर्ण भरने पर संबंधित ग्राम सेवक द्वारा करवाये जायेंगें तथा सम्पूर्ण सूचना को आवश्यकतानुसार पढ़कर सुनाया जायें।
इस तरह उक्त दोनों प्रपत्रों में संकलित सभी विभागों की सूचनाओं को इकजाई किया जाकर अनुमोदन हेतु ग्राम सभा में रखा जायेंगा। तत्पश्चात् कार्यवाही कर विकास अधिकारी के माध्यम से जिला परिषद और अन्ततः राज्य सरकार को योजना प्रेषित की जायेंगी।
अनुलग्नक-2
पंचम राज्य वित्त आयोग के दिशा-निर्देश
विषय - पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट अन्तर्गत की गई सिफारिशों के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को देय अनुदान के उपयोग हेतु दिशा-निर्देश।
पंचम राज्य वित्त आयोग, राजस्थान द्वारा प्रस्तुत अंतरिम प्रतिवेदन (वर्ष 2015-16 के लिए) के अंतर्गत की गई सिफारिशोंनुसार पंचायती राज संस्थाओं को देय कुल अनुदान राशि में से 85 प्रतिशत राशि मूलभूत एवं विकासशील कार्यो के लिए, 10 प्रतिशत राशि प्रशासन के मानकों डाटा बेस्ड के संधारण, राष्ट्रीय प्राथमिकता स्कीमों के क्रियान्वयन एवं क्षमतावर्द्धन संबंधी कार्यों हेतु तथा 5 प्रतिशत राशि लेखाओं, अभिलेखों एवं आस्ति पंजिका का संधारण सुनिश्चित करने, अतिरिक्त राजस्व जुटाने के प्रयत्न और सभी पात्र व्यक्तियों के नामांकन को और भामाशाह कार्ड वितरण को पूर्ण किये जाने आदि कार्यो के निष्पादन के लिए प्रोत्साहन अनुदान के रूप में उपलब्ध करायी जायेंगी।
आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतरिम प्रतिवेदन (वर्ष 2015-16 के लिए) के अंतर्गत की गई सिफारिशोंनुसार राज्य के स्वयं के शुद्ध कर राजस्व के 7.182 प्रतिशत हिस्से का वितरण वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं एवं नगरीय स्थानीय निकायों के मध्य 75.1 एवं 24.9 प्रतिशत के अनुपात में किये जाने एवं राशि का वितरण जिलेवार निर्धारित भारांकन के आधार पर जिले की जिला परिषद को 5 प्रतिशत, पंचायत समितियों को 15 प्रतिशत एवं ग्राम पंचायतों को 80 प्रतिशत हिस्सा राशि दिये जाने की संस्तुति की गई है।
संस्तुति अनुसार राज्य के शुद्ध कर राजस्व में से पंचायती राज संस्थाओं को उपलब्ध कराई गई राशि के उपयोग हेतु निम्नानुसार दिशा निर्देश जारी किये जाते है :-
(अ) मूलभूत एवं विकास कार्यो के लिए हस्तांतरित की जाने वाली 85 प्रतिशत राशि के उपयोग हेतु दिशा-निर्देश
1) जिला परिषद, पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायतों को यह राशि निर्बध अनुदान (Untied Fund) के रूप में उपलब्ध कराई जायेंगी। जिला परिषदें, पंचायत समितियां एवं ग्राम पंचायतें इस राशि का उपयोग ऐसे विकास कार्यो, जिन्हें किसी अन्य योजनाओं / प्रोग्राम के अंतर्गत कार्यान्वित नहीं किया जा सकता है, को संपादित करने हेतु कर सकेगी।
2) जिला प्रमुखों / प्रधानों एवं सरपंचों के मानदेय एवं भत्तों तथा पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को देय भत्तों का भुगतान वित्त विभाग द्वारा अनुमोदित दरों से इस मद अंतर्गत प्राप्त राशि से किया जायेंगा।
3) पंचायती राज संस्थाओं को प्रदत्त अनुदान का सबसे अच्छा उपयोग किस जनसेवा के लिए किस रूप में क्या होगा इसका निर्णय संबंधित पंचायती राज संस्था द्वारा किया जायेंगा परंतु उसे इस अनुदान से इन जन सेवाओं के लिए नये या अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने की इजाजत नहीं होगी। राज्य वित्त आयोग के तहत पंचायती राज संस्थाओं को प्राप्त होने वाली अनुदान राशि के प्रथम चार्ज के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल व्यवस्था बाबत् जल योजना के प्रत्यक्ष सम्पूर्ण व्यय (वेतन, मानदेय, मजदूरी, विद्युत व्यय, रख-रखाव, पुर्नस्थापना आदि) वहन किया जाना है एवं पंचायत समितियों के अधीन कार्यरत हैण्डपम्प मिस्त्रियों एवं फिटर्स के वेतन भत्तों का भुगतान इस मद अंतर्गत प्राप्त राशि से किया जायेगा।
4)पंचायती राज संस्थाएं राज्य वित्त आयोग पंचम के अंतर्गत उपलब्ध कराई जा रही राशि से आधारभूत नागरिक सेवाओं के सृजन, संवर्धन एवं रखरखाव से संबंधित निम्नांकित कार्य संपादित कर सकेगी :-
- ठोस कचरा प्रबंधन से संबंधित कार्य।
- गलियों एवं सड़कों पर प्रकाश व्यवस्था ।
- शवदाह एवं कब्रिस्तान का रख-रखाव ।
- पेयजल आपूर्ती ।
- स्वच्छता (जिसमें व्यक्तिगत / सार्वजनिक शौचालयों, मूत्रालयों का निर्माण शामिल है) एवं सफाई व्यवस्था ।
नोट :- व्यक्तिगत शौचालयों के लिए प्रोत्साहन राशि का भुगतान स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में राशि उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में ही वेसलाईन सर्वे 2012 में शामिल परिवारों को ही किया जा सकेगा।
- स्वच्छता एवं जल संरक्षण के उद्देश्य से आंतरिक सड़कों, सीमेंट कांकरीट रोड़ (सी.सी.प्री-कॉस्ट, इंटरलॉकिंग ब्लॉक, पत्थर / ईट खरंजा सहित) मय नाली निर्माण के कार्य अनुमत होंगे। इन कार्यों पर योजनांतर्गत उपलब्ध कराई गई राशि की अधिकतम 60 प्रतिशत सीमा तक राशि खर्च की जा सकेगी।
- कम्प्यूटराजेशन, क्षमता विकास एवं आधारभूत ढांचे का सृजन।
- ऑडिट फीस का भुगतान।
- बस अड्डे, प्याऊ एवं सार्वजनिक सम्पत्तियों को रख-रखाव ।
- पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जन प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण।
(ब) राष्ट्रीय और राज्य प्राथमिकता स्कीमों के लिए हस्तांतरित की जाने वाली 10 प्रतिशत राशि के
उपयोग हेतु दिशा-निर्देश
प्रशासनिक स्तर में सुधार हेतु राष्ट्रीय व राज्य प्राथमिकता स्कीम्स की राशि का उपयोग निम्नलिखित मदों पर किया जायेगा :-
- ई-गवर्नेन्स / अटल सेवा केन्द्रों के सुचारू संचालन के लिए।
- . डेटा बेसों का संधारण में सहयोग के लिए।
- . सूचना प्रोद्यौगिकी के उपयोग के लिए।
- . राजस्व गतिमानता प्रयास–क्षमता वर्धन की प्रक्रिया के लिए।
- . लिंग संवेदनशीलता - 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं के प्रचार-प्रसार के लिए।
- . जनता जल योजना के रखरखाव (ओ. और एम.) को सम्मिलित करते हुए पेयजल व्यवस्थाओं के लिए।
- पेयजल के लिए आर.ओ. प्रणाली के लिए।
- . जल संरक्षण के प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता के लिए।
- . वृक्षारोपण के प्रचार–प्रसार एवं जागरूकता के लिए।
- एल.ई.डी. लाइटों के प्रयोग के प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता के लिए।
- सौलर लाईटों के प्रचार-प्रसार एवं जागरूकता के लिए।
- स्वच्छ भारत अभियान/ खुले में शौच से मुक्त गांव के लिए प्रयास।
- मुकदमें बाजी से मुक्त गांव के प्रचार–प्रसार एवं जागरूकता के लिए।
(स) (निष्पादन हेतु प्रोत्साहन अनुदान (5 प्रतिशत) की पात्रता)
पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा प्रस्तुत अंतरिम प्रतिवेदन के बिन्दु संख्या-22 के अंतर्गत 5 प्रतिशत राशि लेखाओं, अभिलेखों एवं आस्ति पंजिका का संधारण सुनिश्चित करने, अतिरिक्त राजस्व जुटाने के प्रयत्न और सभी पात्र व्यक्तियों के नामांकन को और भामाशाह कार्ड वितरण को पूर्ण किये जाने आदि कार्यों के निष्पादन के लिए प्रोत्साहन अनुदान के रूप में उपलब्ध कराये जाने के क्रम में पंचायती राज विभाग द्वारा पृथक से गाईड लाईन जारी किये जाने की अपेक्षा की गई है। प्रोत्साहन अनुदान राशि के उपयोग के संबंध में विभाग द्वारा पृथक से दिशा-निर्देश जारी किये जायेंगे।
1) राशि का हस्तांतरण
पंचायती राज संस्थाओं हेतु प्रदत्त जिलेवार कुल राशि का हस्तांतरण पंचायती राज विभाग द्वारा जिला परिषद एवं पंचायतसमितियों के पी.डी. खातों में एवं ग्राम पंचायतों को बैंकिंग चैलन के माध्यम से किया जायेगा। जिलें को आवंटित कुल राशि में से 5 प्रतिशत राशि का उपयोग जिला परिषदों द्वारा, 15 प्रतिशत राशि का उपयोग पंचायत समितियों द्वारा और शेष 80 प्रतिशत राशि का उपयोग ग्राम पंचायतों द्वारा किया जायेगा। पंचायती राज संस्थाओं हेतु प्रदत्त राशि में से पंचम राज्य वित्त आयोग द्वारा राज्य के 33 जिलों हेतु राशि आवंटन के संबंध में निर्धारित किये गये सूत्र के आधार पर प्रत्येक जिलें को आवंटित होने वाली कुल राशि में से प्रत्येक किश्त की कुल राशि का 5 प्रतिशत राशि का अंतरण पंचायती राज विभाग द्वारा जिला परिषदों के पी.डी. खातों में किया जायेंगा। प्रत्येक जिलें को आवंटित होने वाली राशि में से पंचायती राज विभाग द्वारा वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर जनसंख्या के अनुपात में प्रत्येक किश्त की कुल राशि का 15 प्रतिशत आवंटन पंचायत समितियों हेतु संबंधित पंचायत समितियों के पी.डी. खातों में कर दिया जायेंगा। शेष 80 प्रतिशत राशि का आवंटन ग्राम पंचायतों हेतु सरपंच ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में कर दिया जायेंगा। जिला परिषदों, पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों को होने वाले अंतरण की सूचना विभागीय वेबसाईट पर अपलोड कर दी जायेंगी।
जिला परिषदों द्वारा पंचायत समितियों के पी.डी. खातों एवं ग्राम पंचायतों के बैंक खातों में उक्तानुसार किये जाने वाले हस्तांतरण की पुष्टि की सूचना ईमेल / फैक्स द्वारा पंचायती राज विभाग को तत्काल उपलब्ध कराई जायेंगी। इस हेतु ईमेल एड्रेस rajpr_cao1@rediffmail.com होगा |
2) राशि के उपयोग की शक्तियां एवं लेखा सम्प्रेषण
ग्राम पंचायतों द्वारा योजनान्तर्गत प्राप्त राशि का मासिक लेखा संबंधित पंचायत समिति को आगामी माह की 5 तारीख तक अनिवार्य रूप से प्रस्तुत किया जायेंगा। पंचायत समितियों द्वारा ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समिति को प्राप्त कुल राशि का मासिक व्यय विवरण जिला परिषद को प्रतिमाह 10 तारीख तक एवं जिला परिषदों द्वारा ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों एवं उन्हें प्राप्त कुल राशि का मासिक व्यय विवरण प्रतिमाह 15 तारीख तक विभाग को प्रस्तुत किया जायेंगा। इन लेखों में योजनान्तर्गत संपादित किये जा रहे कार्यों पर हुए व्यय, बैंक खातों में योजनान्तर्गत उपलब्ध राशि, गत माह में इन कार्यों हेतु आहरित राशि एवं भौतिक प्रगति का विवरण सम्मिलित किया जायेंगा।
- योजनान्तर्गत कार्यो का संपादन प्रचलित ग्रामीण कार्य निर्देशिका, 2015 में अंकित तकनीकी मापदण्डों एवं प्रावधानों के अनुरूप किया जायेंगा। प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी स्वीकृतियां जारी करने की शक्तियां प्रचलित ग्रामीण कार्य निर्देशिका के अनुरूप रहेगी।
- पंचायती राज संस्थाओं द्वारा कार्यो का निष्पादन राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के अध्याय 10 के अनुरूप तथा समय-समय पर किये गये संशोधनों / दिशा - निर्देशों के अंतर्गत किया जायेंगा।
3) कार्यो का पर्यवेक्षण
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी / अति. मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद द्वारा राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के नियम 336 (20) के अनुसार तथा विभाग द्वारा समय – समय पर जारी निर्देशानुसार पर्यवेक्षण किया जायेंगा।
- विकास अधिकारी, पंचायत समिति द्वारा राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1996 के नियम 334 2) के अनुसार तथा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशानुसार पर्यवेक्षण किया
जायेंगा।
- कनिष्ठ अभियंता, पंचायत समिति द्वारा राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1996 के नियम 346 के अनुसार तथा विभाग द्वारा समय - समय पर जारी निर्देशानुसार कार्य किये जायेंगे।
- योजनान्तर्गत कराये गये कार्यों का पर्यवेक्षण एवं भौतिक सत्यापन तकनीकी अधिकारियों / कर्मचारियों द्वारा ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 में दिये गये प्रावधानों के अनुसार तथा विभाग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशानुसार पर्यवेक्षण किया जायेंगा।
4) उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र संबंधी व्यवस्था
- आवंटित राशि का उपयोग कर व्यय राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र / कार्यपूर्णता प्रमाण पत्र अविलम्ब उपलब्ध कराना कार्यकारी संस्था का दायित्व होगा।
- विकास अधिकारी, पंचायत समिति यह सुनिश्चित करे कि योजनान्तर्गत कराये गये कार्यो की माप पुस्तिका की लेखाकर्मी द्वारा गणितीय गणना की जांच कर ग्राम पंचायत द्वारा प्रस्तुत लेखों का योगादि की जांच कर उपयोगिता प्रमाण पत्र को जिला परिषद में समायोजन हेतु नियमित रूप से प्रेषित किया जा रहा है।
- समायोजन हेतु कार्य की स्वीकृति राशि, वास्तविक व्यय, मूल्याकंन राशि में से जो भी कम हो वह राशि ली जायेंगी।
- उपयोगिता एवं पूर्णता प्रमाण पत्रों की जांच प्रचलित ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 के अनुरूप की जायेंगी।
- मुख्य कार्यकारी अधिकारी / अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद का दायित्व होगा कि प्रत्येक माह की 15 तारीख तक पंचायत समितियों से प्राप्त उपयोगिता प्रमाण पत्र तथा भौतिक प्रगति को इकजाई कराकर जिला परिषद स्तर पर रजिस्टर का संधारण करावें तथा प्रगति रिपोर्ट पंचायती राज विभाग को संलग्न प्रपत्र में प्रेषित करें |
5) कार्यो की स्वीकृति एवं सम्पादन संबंधी व्यवस्था :-
- योजनान्तर्गत कार्यों का संपादन विभाग द्वारा जारी ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-1 में अंकित प्रावधानों एवं प्रक्रिया के अनुरूप ही किया जायेगा। यह निर्देशिका विभागीय परिपत्र क्रमांक 18 / 2015 दिनांक 18.08.2015 के द्वारा जारी की गई है, जो विभागीय वेबसाईट पर भी उपलब्ध है। इस निर्देशिक को निम्न पांच भागों में बनाया गया है –
भाग एवं नामकरण
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भाग में महत्वपूर्ण निर्देश / संबंधित
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भाग 1 -सामान्य प्रावधान
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कार्य स्वीकृत करने की प्रक्रिया संबंधी प्रावधान
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भाग 2 –कार्य सम्पादन से पूर्व की प्रक्रिया
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कार्यकारी संस्था एवं स्वीकृतिकर्ता अधिकारी एवं अभियान्त्रिकी से संबंधित प्रक्रियाएं
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भाग 3 -कार्य सम्पादन की प्रक्रिया
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कार्यकारी संस्था, अभियान्त्रिकी शाखा
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भाग 4 -कार्य सम्पादन के बाद की प्रक्रिया
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अभियान्त्रिकी शाखा, कार्यकारी संस्था, नियंत्रक अधिकारी एवं लेखा शाखा
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भाग 5 -अन्य प्रावधान
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- उपरोक्त समस्त भाग एवं इनमें अंकित दिशा-निर्देश सरल भाषा में अंकित है। अतः प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा निधियों का उपयोग करने से पूर्व इस निर्देशिका के प्रत्येक प्रावधान की पूर्ण जानकारी प्राप्त की जायें एवं इसकी पालना सुनिश्चित की जाएँ ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-1 में कार्यो की स्वीकृतियां जारी करने, संशोधन, शिड्यूल ऑफ पावर्स, सम्पत्तियां का रख-रखाव एवं मरम्मत कराने हेतु आवश्यक प्रावधान (निर्देश संख्या 8), दर अनुसूची, भूमि स्वामित्व, कार्यवाही निष्पादन की निर्धारित अवधि आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जायें।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-2 में वार्षिक कार्य योजना (निर्देश संख्या 20), विभिन्न मूलभूत संसाधन स्वीकृत करने के न्यूनतम मापदण्डों (निर्देश संख्या 21), कार्यो के सम्पादन के पश्चात् अनिवार्य अपेक्षित स्थिति (निर्देश संख्या 22), निर्माण कार्यो के तकनीकी मापदण्ड (निर्देश संख्या 23), कार्यकारी संस्था (निर्देश संख्या 24), नियंत्रक अधिकारियों एवं फील्ड के अभियन्ता के मुख्य उत्तरदायित्व (निर्देश संख्या 25), तकमीना (निर्देश संख्या 26-27), सामग्री क्रय प्रक्रिया (निर्देश संख्या 28) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जायें ।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-3 में कार्यकारी संस्था के कर्तव्य उत्तरदायित्व (निर्देश संख्या 29), पेयजल स्त्रोत स्थापना हेतु प्रक्रिया (निर्देश संख्या 31), मस्टरोल (निर्देश संख्या 32), कार्य सम्पादन प्रक्रिया में अभियान्त्रिकी शाखा से संबंधित बिन्दु यथा - रिकोर्ड ऐन्ट्री एवं उनका सत्यापन (निर्देश संख्या 35), गुणवत्ता नियंत्रण (निर्देश संख्या 36-37), कार्यों की निरीक्षण प्रक्रिया (निर्देश संख्या 38) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जायें।
- ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 भाग-4 में विभिन्न संस्थाओं की भूमिकाएं (निर्देश संख्या 39), मूल्यांकन की आवश्यकता एवं प्रक्रिया (निर्देश संख्या 40-47), दोष चिन्हीकरण अवधि (निर्देश संख्या 48), समय पर कार्य न करने पर शास्ती (निर्देश संख्या 49), कार्यकारी संस्थाओं के लिए कार्य सम्पादन के दौरान एवं बाद की प्रक्रिया (निर्देश संख्या 50), मूल्यांकन अथवा जांच पर अपील (निर्देश संख्या 51), परिसम्पति पंजिका (निर्देश संख्या 52), सम्पत्तियों का हस्तांतरण (निर्देश संख्या 53), किश्त जारी करने एवं व्यय राशि भुगतान की पारदर्शिता व्यवस्था (निर्देश संख्या 54) एवं नियंत्रक अधिकारी की भूमिका (निर्देश संख्या 55) आदि अंकित है, इनकी पालना सुनिश्चित की जायें। इन दिशा - निर्देशों में विनिर्दिष्ट नहीं किए गये शेष समस्त बिन्दुओं के संबंध में प्रचलित ग्रामीण कार्य निर्देशिका 2015 के प्रावधान लागू होंगे। यहां यह स्पष्ट किया जाता है कि राज्य वित्त आयोग की राशि के उपयोगिता पर श्रम/सामग्री का कोई न्यूनतम अनुपात लागू नहीं होगा।
योजना की राशि का व्यय करते समय वित्तीय नियमों / प्रक्रियाओं / RTPP Act / RTPP Rules एवं समय-समय पर जारी दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित की जायेंगी।
उपरोक्त दिशा - निर्देशों की अक्षरशः पालना सुनिश्चित करने का दायित्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी / अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद का होगा।
ये दिशा - निर्देश राज्य वित्त आयोग पंचम द्वारा प्रस्तुत अंतरिम प्रतिवेदन के अनुसरण में जारी किये जा रहे है।
ये दिशा - निर्देश वित्त विभाग की आई डी संख्या 271500511 दिनांक 11.12.2015 द्वारा प्रदत्त सहमति के आधार पर जरी किये जाते हैं I
स्रोत:
पंचायती राज विभाग, राजस्थान सरकार