एनएसएफ़डीसी की स्थापना भारत सरकार द्वारा 08 फरवरी, 1989 में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम (एनएसएफ़डीसी) के नाम से की गयी थी। इसकी स्थापना कंपनी आधनियम 2013 की धारा 8 के अधीन रूप पूर्ण स्वामित्व वाले उपक्रम के रूप में की गई।
इसको गरीबी रेखा के दुगुने से नीचे जीवन-यापन करने वाले व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निधियाँ जुटाना तथा उनकी ब्यवस्था करने का कार्य सौंपा गया है। यह संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा नामित राज्य सरणी अभिकरणों के माध्यम से लक्ष्य समूह को आय सृजक योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
इसका प्रबंधन एक निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें केन्द्रीय सरकार, राज्य अनुसूचित जाति विकास निगमों, वित्तीय संस्थाओं एवं अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी सदस्य होते हैं।
द्विविभाजन
तत्कालीन राष्ट्रीय अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम का दो अलग निगमों (अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों प्रत्येक के लिए एक) में द्विभाजन की घोषणा संबंधी भारत सरकार के आदेशों के परिणामस्वरूप, नेशनल शेडयूल्ड कास्ट्स फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन अब दिनांक 10.04.2001 से अनन्य रूप से अनुसूचित जातियों के विकास के लिए कार्य कर रहा है।
इसे गरीबी रेखा के दुगुने (डीपीएल) से कम [वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र में वार्षिक पारिवारिक आय रु.98,000/-और शहरी क्षेत्र में रु.1,20,000/- है] पर जीवन-यापन करने वाले व्यक्तियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, आर्थिक सशक्तिकरण के लिए निधियाँ जुटाना तथा उनकी व्यवस्था करने का कार्य सौंपा गया है। यह संबंधित राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों और अन्य चैनल भागीदारों जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, एनबीएफसी-एमएफआई, झारक्राफ्ट, नेडफी इत्यादि द्वारा नामित राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (एससीए) के माध्यम से लक्ष्य समूह को आय अर्जक योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
इसका प्रबंधन एक निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें केंद्रीय सरकार, राज्य अनुसूचित जाति विकास निगमों, वित्तीय संस्थाओं एवं अनुसूचित जातियों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी सदस्य होते हैं।
दृष्टि
गरीबी रेखा के दुगुने से कम पर जीवन-यापन करने वाले अनुसूचित जाति के व्यक्तियों के सामाजिक-आर्थिक विकास के माध्यम से सुव्यवस्थित प्रकार से गरीबी को कम करने के लिए, चैनलाइजिंग एजेंसियों और अन्य विकास भागीदारों के साथ प्रभावी, उत्तरदायी और सहयोगात्मक तरीके से प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में कार्य करना।
लक्ष्य
वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार और कौशल विकास एवं अन्य नवीन पहलों के माध्यम से अनुसूचित जातियों की समृद्धि को बढ़ाने में सहायता करना।
एनएसएफडीसी से आशय है नेशनल शेड्यूल्ड कास्ट्स फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन। इसकी स्थापना भारत सरकार द्वारा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंर्तगत 8फरवरी, 1989 को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा-8 (पूर्व में कंपनीअधिनियम,1956 की धारा-25) के अधीन लाभ निरपेक्ष कंपनी के रूप में की गई।
एनएसएफडीसी का पता क्या है?
एनएसएफडीसी का प्रधान कार्यालय दिल्ली में है। इसका पूरा पता तथा संपर्क नंबर निम्नलिखित है -
नेशनल शेड्यूल्ड कास्ट्स फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कार्पोरेशन,
14वीं मंजिल, स्कोप मीनार, कोर 1 व 2, लक्ष्मी नगर, दिल्ली - 110 092
फोन: 011-22054392, 22054394, 22054396.
फैक्स:011-22054395 ई-मेल:support-nsfdc[at]nic[dot]in
वेबसाइट: www.nsfdc.nic.in
इसके तीन आँचलिक कार्यालय मुंबई, कोलकाता और बैंगलूरू में स्थित हैं।
इसकी स्थापना गरीबी रेखा के दुगने से कम परजीवन-यापन करने वाले अनुसूचित जाति केपरिवारों के व्यक्तियों के योजनाबद्ध तरीके से कौशल उन्नयन सहित आर्थिक सशक्तिकरण के लिए वित्त पोषित करने हेतु की गई थी ।
अधिदेश (मिशन)-वित्तीय सहायता के प्रवाह में सुधार और कौशल विकास एवं अन्य नवीन पहलों के माध्यम से अनुसूचित जातियों की समृद्धि को बढ़ाने में सहायता करना।
एनएसएफडीसी का मुख्य उद्देश्य गरीबी रेखा के दुगने से नीचे रहने वाले अनुसूचित जाति के परिवारों के व्यक्तियों के आर्थिकसशक्तिकरण के लिए उन्हें वित्त पोषित करना, ऋण की सुविधा देना और उनके लिए निधियाँ जुटाना है।
क्या एनएसएफडीसी सभी अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को ऋण उपलब्ध कराता है?
जी नहीं, एनएसएफडीसी केवल आर्थिक दृष्टि से गरीब अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को ऋण उपलब्ध कराता है अर्थात् अनुसूचित जाति के व्यक्ति जिनकी वर्तमान में वार्षिक पारिवारिक आय गरीबी सीमा रेखा की दुगनी आय सीमा(डीपीएल) वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रुपए98,000/- वार्षिक एवं शहरी क्षेत्रों के लिए रुपए 1,20,000/-वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए।
क्या ऋण पाने की योग्यता केवल जाति एवं आर्थिक स्थिति पर आधारित है?
जी हाँ,परंतु जाति एवं आर्थिक स्थिति के अलावा आवेदकों का किसी व्यवसाय में व्यावहारिक अनुभव या संबंधित क्षेत्र में कौशल एवं उद्यमिक क्षमता का होना भी जरूरी है ताकि वे अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक कर सकें।
क्या ऋण योजनाओं में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है?
जी हाँ, एनएसएफडीसी द्वारा अनुसूचित जाति की जनसंख्या के आधार पर नोशनलरूप से आबंटित निधियों में से लाभार्थियों की कुल संख्या और कुल वित्तीय राशि इन दोनों शीर्षों में महिलाओं के लिए 40% रखा गया है। जिनमें महिलाला भार्थियों को 0.5%-1% की रेंज में छूट दी जातीहै ।
क्या महिलाओं के लिए अलग से ऋण योजना है ?
जी हाँ, महिलाओं के लिए महिला समृद्धि योजना,महिला किसान योजना और नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना नामक तीन अलग ऋण योजनाएं है।
एनएसएफडीसी संबंधित राज्य/संघ राज्य सरकारों द्वारा नामित चैनलाइजिंग एजेंसियों जैसे कि राज्य अनुसूचित जाति विकास निगमों (एससीडीसी),सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक (पीएसबी),क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और अन्य संस्थानों (प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न के अंत में दी गई सूची के अनुसार)के माध्यम से लक्ष्य समूहों के लिए आय अर्जक योजनाओं के लिए ऋण उपलब्ध कराता है।
एनएसएफडीसी कृषि एवं अन्य समवर्गीय, औद्योगिक एवं सेवा क्षेत्रों में आय अर्जक गतिविधियों के लिए तथा व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा के लिए ऋण उपलब्ध कराता है।
एनएसएफडीसी में निम्नलिखितऋण योजनाएं हैं-
(i) मियादी ऋण योजना,
(ii) लघु ऋण वित्त योजना,
(iii) महिला समृद्धि योजना
(iv) महिला किसान योजना
(v) शिल्पी समृद्धि योजना
(vi) लघुव्यवसाय योजना
(vii) नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना
(viii) हरितव्यवसाय योजना
(ix) शैक्षणिक ऋण योजना
(x) वोकेशनल शिक्षा एवं प्रशिक्षण ऋण योजना और
(xi) आजीविकामाइक्रो फाइनेंस योजना।
मियादी ऋण योजना के लिए कुछ निर्देशात्मक योजनाएँ निम्नलिखित हैं-
लघु ऋण वित्त योजना के लिए कुछ निर्देशात्मक योजनाएँ निम्नलिखित हैं-
महिला समृद्धि योजना के लिए कुछ निर्देशात्मक योजनाएँ निम्नलिखित हैं -
महिला किसान योजना के अंतर्गत महिला लाभार्थियों को कृषि और/अथवा संयुक्त खेती की योजनाएं जैसे सब्जी उगाना, फूलोत्पादन, डेयरी, मुर्गी पालन, अन्य किसी भी प्रकार की खेती इत्यादि के लिए ऋण दिया जाता है ।
महिला किसान योजना की पात्रता क्या है ?
महिला किसान योजना में कृषि जमीन महिला लाभार्थी के नाम अथवा उनके पति के साथ संयुक्त नाम पर होनी चाहिए । यदि कृषि भूमि केवल पति के नाम पर हो तो पति को एनएसएफडीसी का लाभार्थी नहीं होना चाहिए, और पति को उस महिला लाभार्थी द्वारा महिला किसान योजना ऋण से उस जमीन पर (पति के नाम की) कोई आर्थिक कार्य करने पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
शिल्पी समृद्धि योजना के अंतर्गत एनएसफडीसी ऐसे पात्र लाभार्थीगण को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है,जो शिल्पकार है और जिनके पास विकास आयुक्त (हस्ताशिल्प),कपड़ा मंत्रालय,भारत सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा जारी शिल्पकार,पहचान पत्र है और जिन्हें अपने यूनिट को चलाने के लिए निधि की आवश्यकता है ।
लघु व्यवसाय योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक लाभार्थियों को लघु उद्योगों में अधिक से अधिक निवेश करने के लिए वित्तीय सहायता दे कर उनकी आवश्यकताओं को पूरा करना है।
क्या एनएसएफडीसी की एकल महिला/विधवा/अपने परिवार की मुखिया महिलाओं को सहायता प्रदान करने के लिए कोई योजना है?
जी हाँ,एकल महिला/विधवा/अपने परिवार की मुखिया महिलाओं को आय अर्जक गतिविधियों को करने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु एनएसएफडीसी की नारी आर्थिक सशक्तिकरण (एनएएसवाई) योजना है ।
एनएएसवाई के अंतर्गत,निगम को एनएसएफडीसी की किसी भी योजना के तहत प्रवर्तक के किसी अंशदान पर आग्रह किए बिना और राज्य चैनलाइजिंग एजेंसी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही मार्जिन और सब्सिडी को ध्यान में रखते हुए गरीबी रेखा से कम पर जीवन यापन करने वाली पात्र महिला लाभार्थियों को यूनिट लागत का रू 10,000/-अथवा 50%, जो भी कम है,का ऋण उपलब्ध कराता है।
जी हाँ,योजना के तहत शामिल लाभार्थियों के लिए हेंड होल्डिंग कार्य करने के उद्देश्य के लिए अनुदान के रूप में प्रति यूनिट अधिकतम रु.4,000/- की सीमा में ऋण राशि का 2% उपलब्ध कराया जाता है।
जी हाँ,योजना के तहत शामिल लाभार्थी प्रथम ऋण लेने के दो वर्ष के बाद व्यापार बढ़ाने के लिए आगे भी वित्तीय सहायता लेने के लिए पात्र हैं बशर्तें कि चुकौती नियमित है ।
किसी विशिष्ट योजना के अंतर्गत प्रभारित ब्याज दर के अनुसार एनएएसवाई के अंतर्गत दरें लागू की जाती हैं ।
एनएएसवाई के तहत ऋण को तिमाही किश्तों में मोरेटोरियम अवधि सहित अधिकतम 10 वर्षों में चुकाना होता है । वास्तविक चुकौती अवधि आर्थिक कार्य के प्रकार और आय अर्जन पर आधारित होगी।
यदि किसी के पास कृषि योग्य जमीन है परंतु सिंचाई के कोई साधन नहींहै तो क्या सिंचाई हेतु ऋण मिल सकता है ?
जी हाँ, सूखी जमीन में सिंचाई के साधन हेतु बोरवेल, स्प्रिंकलर, ड्रिप इत्यादि सिंचाई के उपकरणों के लिए ऋण मिल सकता है ।
इन योजनाओं की परियोजना लागत की सीमा, ऋण राशि की सीमा और ब्याज दर को नीचे की तालिका में बताया गया है-
क्रम सं.
|
ऋण योजना
|
परियोजना लागत
|
ऋण की सीमा (परियोजना/ शिक्षा लागत का प्रतिशत)
|
ब्याजदर एससीए से
|
ब्याजदर लाभार्थियों से
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1.मियादी ऋण योजना |
||||||
|
क
|
5.00 लाख रुपए तक
|
90%
|
3%
|
6% |
|
|
ख |
5.00 लाख रुपए से अधिक तथा 10.00 लाख रुपए तक
|
90%
|
5%
|
8%
|
|
|
ग
|
10.00 लाख रुपए से अधिक तथा 20.00 लाख रुपए तक
|
90%
|
6%
|
9%
|
|
|
घ
|
20.00 लाख रुपए से अधिक तथा 27.00 लाख रुपए तक
|
90%
|
7%
|
10%
|
|
2.
|
लघुऋण वित्त
|
50,000/-रुपए तक
|
90%
|
2%
|
5%
|
|
3.
|
महिला समृद्धि योजना
|
50,000/-रुपए तक
|
90%
|
1%
|
4%
|
|
4.
|
महिला किसान योजना
|
50,000/- रुपए तक
|
90%
|
2%
|
5%
|
|
5.
|
शिल्पी समृद्धि योजना
|
50,000/- रुपए तक
|
90%
|
2%
|
5%
|
|
6.
|
लघु व्यवसाय योजना
|
2.00/-लाख रुपए तक
|
90%
|
3%
|
6%
|
|
7.
|
नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना
|
एनएसएफडीसी की योजनाओं के लिए निर्धारित यूनिट लागत के अनुसार वित्तीय सहायता |
90%
|
1%
|
4%
|
|
8.
|
हरितव्यवसाय योजना
|
रु. 1.00 लाख तक
|
रु.0.92 लाख तक
|
1%
|
3% |
|
रु. 1.00 लाख से अधिक और 2 .00 लाख तक
|
रु.1.80 लाख तक
|
2% |
5% |
|||
9. |
शैक्षणिक ऋण योजना
|
भारत में रु. 1.00 लाख तक
|
90%
|
पुरुष
|
1.5%
|
4% |
महिला
|
1.00%
|
3.5%
|
||||
विदेश में रु. 20.00 लाख तक
|
90%
|
पुरुष
|
1.50%
|
4% |
||
महिला
|
1.00%
|
3.5% |
||||
10. |
वोकेशनल शिक्षा औरप्रशिक्षण ऋण योजना
|
छ: माह से एक वर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए 1.00 लाख |
100%
|
पुरुष
|
1.50%
|
4%
|
एक वर्ष से दो वर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए 1.50 लाख
|
100%
|
महिला
|
1.00%
|
3.5%
|
||
11.
|
आजीविका माइक्रो फाइनेंस योजना
|
रु.60,000 तक
|
रु.54,000
|
पुरुष
|
5%
|
13%
|
महिला
|
4%
|
12%
|
केवल मियादी ऋण में ही आवेदक को अपनी पूंजी भी लगानी होती है ताकिआवेदक की भी भागीदारी परियोजना में सुनिश्चित हो सके । आवेदक (प्रवर्तक) का अंशदान इस प्रकार है –
क्रम सं.
|
परियोजना/इकाई की लागत
|
परियोजना/इकाई लागत की प्रतिशतता के रूप में प्रवर्तक का कम से कम अंशदान
|
(i)
|
1.00 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए
|
इस पर बल नहीं दिया जाता है ।
|
(ii) (iii)
|
1.00 लाख रुपए से अधिक तथा 2.50 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए 2.50 लाख रुपए से अधिक तथा 5.00 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए |
2% 3%
|
(iv)
|
5.00 लाख रुपए से अधिक तथा 10.00 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए |
5%
|
(v)
|
10.00 लाख रुपए से अधिक तथा 20.00 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए
|
7%
|
(vi)
|
20.00 लाख रुपए से अधिक तथा 30.00 लाख रुपए तक की परियोजना लागत के लिए |
1%
|
जी नहीं, ऋण वितरण के बाद लाभार्थियों को अपने व्यवसाय में मजबूत होने तक मूलधन की चुकौती शुरू नहीं की जाती। सामान्यतः व्यवसाय की प्रकार/प्रकृति के आधार पर 6 से 9 महीने के बाद मोरेटोरियम अवधि के बाद मूलधन की चुकौती शुरू होती है। अपितु ब्याज की चुकौती तो संवितरण के तुरंत बाद शुरु हो जाती है और ब्याज की चुकौती पर कोई मोरेटोरियम अवधि नहीं है ।
.योजनावार चुकौती अवधि इस प्रकार है-
क्रम सं.
|
ऋण योजना
|
चुकौती अवधि (अधिकतम)
|
चुकौती का प्रकार
|
1. |
मियादी ऋण
|
ऋणकी चुकौती वित्तीय स्थिति के आधार पर या दस वर्षों के अंदर, जो भी पहले हो।
|
तिमाही/छमाही/अर्धवार्षिक किस्त में
|
2
|
लघु ऋण वित्त
|
90 दिनों के अधिस्थगनकाल सहित अधिकतम तीन वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
3 |
महिला समृद्धि योजना
|
90 दिनों के अधिस्थगनकाल सहित अधिकतम तीन वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
4
|
महिला किसान योजना
|
एक वर्ष केअधिस्थगनकाल सहित अधिकतम दस वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
5
|
शिल्पी समृद्धि योजना
|
एक वर्ष के अधिस्थगनकाल सहित अधिकतम पाँच वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
6
|
लघुव्यवसाय योजना
|
एक वर्ष के अधिस्थगनकाल सहित अधिकतम छ:वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
7
|
नारी आर्थिक सशक्तिकरण योजना
|
एक वर्ष के अधिस्थगन काल सहित अधिकतम दस वर्षों के अंदर।
|
तिमाही किस्त में
|
8 |
हरितव्यवसाय योजना
|
6 माह कीअधिस्थगन काल सहित अधिकतम 6 वर्ष के अंदर
|
तिमाही किस्त में
|
9
|
शिक्षा ऋण योजना
|
पाठ्यक्रम पूरा होने के छह माह बाद अथवा रोजगार प्राप्ति, जो भी पहले हो। विलंबन काल सहित पॉच वर्ष है और कुलऋण अवधि दस वर्ष से अधिक न हो।
|
तिमाही किस्त में
|
10.
|
वोकेशनल शिक्षा औरप्रशिक्षण ऋण योजना
|
चुकौती छह माह के विलंबन काल सहित छ:माह से अधिक और एकवर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए – 5 वर्ष एक वर्ष से अधिक और दोवर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए –7 वर्ष
|
तिमाही किस्त में
|
11
|
आजीविका माइक्रो फाइनेंस योजना
|
3 माह की अधिस्थगन काल सहित 3 वर्षों की अवधि के अंदर ।
|
तिमाही किस्त में
|
दुबारा ऋण लेने की स्थिति इस प्रकार है –
क्रम सं.
|
योजना
|
दुबारा ऋण लेने की स्थिति
|
1
|
मियादी ऋण योजना
|
जी हाँ,रुपए 2.00 लाख तक की इकाई लागत के पुनर्भुगतान होने पर दुबारा ऋण लेने के पात्रहैं।
|
2
|
लघु ऋण वित्त योजना
|
जी हाँ,पहले लिए गए ऋण की चुकौती नियमित रूप से समय पर करने पर लाभार्थी एनएसएफडीसी से दुबारा ऋण ले सकते हैं।
|
3
|
महिला समृद्धि योजना
|
जी हाँ,पहले लिए गए ऋण की चुकौती नियमित रूप से समय पर करने पर लाभार्थी एनएसएफडीसी से दुबारा ऋण ले सकते हैं।
|
4
|
महिला किसान योजना
|
जी हाँ,एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र हैं।
|
5
|
शिल्पी समृद्धि योजना
|
जी हाँ, एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र हैं।
|
6
|
लघुव्यवसाय योजना
|
जी हाँ,2.00लाख तक यूनिट लागत के लिए एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र हैं।
|
7
|
नारीआर्थिक सशक्तिकरण योजना
|
2.00 लाख से यूनिट लागत के लिए एक बार ऋण लेने के बाद जी हाँ,दुबारा ऋण लेने के पात्र हैं।
|
8
|
हरितव्यवसाय योजना
|
एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र नहीं हैं।
|
9
|
शिक्षा ऋण योजना
|
एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र नहीं हैं।
|
10
|
वोकेशनल शिक्षा औरप्रशिक्षण ऋण योजना
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एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र नहीं हैं।
|
11
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आजीविका माइक्रो फाइनेंस योजना
|
जी हाँ,एक बार ऋण लेने के बाद दुबारा ऋण लेने के पात्र हैं।
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यह ऋण विशेष रूप से अनुसूचित जातियों के शिल्पियों, जिनके पास विकास आयुक्त (हस्तशिल्प), कपड़ा मंत्रालय,भारत सरकार अथवा राज्य सरकार द्वारा जारी शिल्पकार पहचान पत्र धारक को छोटे शिल्प वस्तुओंके निर्माण के लिए दिया जाता है।
एनएसएफडीसी से ऋण आवेदन करने के लिए अपने राज्य में संबंधित चैनलाइजिंग एजेंसी से संपर्क करना होता है। जहाँ एनएसएफडीसी के प्रपत्र में व्यवसाय संबंधी विवरण एवं जाति, पारिवारिक आय, व्यावसायिक अनुभव एवं व्यवसाय विशेष से संबंधित कागज़ात चैनलाइजिंग एजेंसी कार्यालय में जमा करने होते हैं। राज्य-वार एससीए के नाम एवं संपर्क नंबर इस पैम्पलेट के अंतिम पृष्ठ पर दिए हैं।
जी हाँ, सेवा क्षेत्र के अंतर्गत एनएसएफडीसी से विभिन्न प्रकार की गाडि़योंजैसे ऑटो रिक्शा, जीप,कार, टैक्सी, ट्रेक्टर, पिकअप वैन, छोटे वाणिज्यिक वाहन, छोटी बसें इत्यादि के लिए ऋण प्रदान करता है । ये ऋण केवल आवेदक के स्वयं-चालन के लिए दिए जाते है । इन ऋणों के लिए आवेदक के नाम का वाणिज्यिक ड्राइविंग लाइसेंस, परमिट आदि का होना जरूरी है । एक आवेदक को मात्र एक वाहन के लिए ही ऋण प्रदान किया जाता है । लाभार्थी अपनी इच्छानुसार वाहन के मॉडल का चयन कर सकता है।
जी हाँ, लाभार्थी अपनी इच्छा के अनुसार योजना का चुनाव कर सकता है। योजना का चुनाव करते समय लाभार्थी को अपने कौशल, निपुणता, स्थानीय आवश्यकता, संसाधन एवं व्यावहारिक अनुभव को ध्यान में रखना चाहिए।
शिक्षाऋण सरकार से मान्यताप्राप्त शैक्षणिक संस्थानों द्वारा चलाए जा रहे पाठ्यक्रमों के लिए प्रदान किया जाता है । वर्तमान में निम्नलिखित पूर्णकालिक व्यावसायिक/तकनीकी शिक्षा क्षेत्र के पाठ्यक्रमों के लिए उपलब्ध कराया जाता है
(i) इंजीनियरिंग, मेडिकल, दंत चिकित्सा, प्रबंधन, सूचना प्रौद्योगिकी, होटल मैनेजमेंट, आर्किटेक्चर, फिजियोथेरेपी, बायो-टेक्नालजी, कानून, शिक्षा,पत्रकारिता इत्यादिक्षेत्रों में पूर्णकालिक व्यावसायिक/तकनीकी पाठ्यक्रम के लिए।
(ii).व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसेसीए/आईसीडब्ल्यूए/सीएस/एएमआईई/एफआईए/आईईटीई ।
(iii)मान्यता प्राप्त संस्थानों सेएमफिल/पीएचडी के डॉक्टरेट स्तर पर अध्ययन जैसी उच्च शिक्षा।
ऋण देने के अलावा एनएसएफडीसी लक्ष्य समूह के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को प्रतिवर्ष सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से उभरते हुए व्यवसाय क्षेत्रों में कौशल एवं उद्यमिता प्रशिक्षण प्रदान करता है। इन कार्यक्रमों के लिए एनएसएफडीसी प्रशिक्षण संस्थनों को राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों के माध्यम से शतप्रतिशत अनुदान देता है।
क्या इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कोई वृत्तिका (stipend) दी जाती है?
जी हाँ, इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के दौरान लाभार्थियों को प्रतिमाह रुपए 1500/- की दर से वृत्तिका का प्रावधान है। जिससे लाभार्थी अपने आवश्यक खर्चों को पूरा कर सकें।
वर्तमान में कौशल प्रशिक्षण निम्नलिखित क्षेत्रों में दिए जा रहे हैं -
कौशल प्रशिक्षण के बाद लाभार्थियों को संबंधित क्षेत्रों में नियोजन सहायता (Placement assistance) दी जाती है । इसके साथ ही ऐसे लाभार्थी जो स्वरोजगार इकाई स्थापित करना चाहते हैं, उन्हें निःशुल्क उद्यमिक मार्गदर्शन के साथ एनएसएफडीसी/चैनेलाइजिंग एजेंसियों की ऋण योजनाओं और आवेदन प्रक्रिया की जानकारी भी दी जाती है ।
कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों को स्थानीय समाचार पत्रों में समय-समय पर विज्ञापित किया जाता है। एनएसएफडीसी की ओर से कौशल प्रशिक्षण देने वाली संस्थाओं की एक चयन प्रक्रिया है। इसके लिए एनएसएफडीसी की चैनेलाइजिंग एजेंसियों से संपर्क किया जा सकता है, जिनके नाम और संपर्क नंबर इस पैम्पलेट के अंत में दिए गए हैं।
जीहां,एनएसएफडीसी ने छ: माह या उससे अधिक और 2 वर्ष तक की अवधि की वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण पाठ्यक्रम करने के लिए अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को ऋण देने के लिए वोकेशनल शिक्षा औरप्र शिक्षण ऋण योजना 08.02.2014 को शुरू की है ।
योजनांतर्गत प्रशिक्षणार्थी की पात्रता इस प्रकार है-
(i)प्रशिक्षणार्थी अनुसूचित जाति समुदाय का होना चाहिए।
(ii)प्रशिक्षणार्थी के परिवार की वार्षिक परिवारिक आय गरीबी सीमा रेखा के दुगने आय सीमा(बीपीएल) [वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्र के लिए 81,000/- रुपए वार्षिक तथा शहरी क्षेत्र के लिए1,03,000/- रुपए वार्षिक से अधिक नहीं होनी चाहिए]
(iii)प्रशिक्षणार्थी ने मंत्रालय /विभाग /सरकारी संग न द्वारा चलाए जा रहे अथवा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा सहायता प्राप्त कंपनी/ सोसाईटी/ अथवा राज्य कौशल मिशन/ राज्य कौशल निगम के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया होना चाहिए जिससे सरकारी संस्थान /सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्राधिकृत संस्थान द्वारा प्रमाणपत्र/ डिप्लोमा/ डिग्री इत्यादि प्राप्त हो सके।
वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण कोर्स छ: माह से दो वर्ष की अवधि का होना चाहिए और वह मंत्रालय/ विभाग/ सरकारी संस्थान न द्वारा चलाए जा रहा हो अथवा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा सहायता प्राप्त कंपनी / सोसाईटी/ संस्थान अथवा राज्य कौशल मिशन/ राज्य कौशल निगम के पाठ्यक्रम में दाखिला लिया होना चाहिए जिससे सरकारी संस्थान /सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्राधिकृत संस्थान द्वारा प्रमाणपत्र / डिप्लोमा/ डिग्री इत्यादि प्राप्त हो सके।
इस योजना में, ऋण की पात्रता के लिए प्रशिक्षणार्थी की आयु संबंधी कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है। तथापि, यदि प्रशिक्षणार्थी अवयस्क है, माता पिता ऋण दस्तावेज निष्पादित कर सकते हैं, चैनेलाइजिंग एजेंसी उससे वयस्क होने पर अनुसमर्थन का पत्र लेगी । अधिकतम आयु की सीमा का निर्धारण चैनेलाइजिंग एजेंसी द्वारा किया जा सकता है और यदि व्यक्ति बेरोजगार है तथा 50 वर्ष कीआयु है,और वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण लेने का इच्छुक है,तब सभी मामलों पर पृथकत: विचार किया जा सकता है ।
वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए शामिल किया गया व्यय -
वित्त की प्रमात्रा नीचे दिए अनुसार है-
उपयुक्त प्रश्न में दिए खर्चों को पूरा करने के लिए आवश्यक आधारित वित्त का 100% व्यय जो कि निम्नलिखित सीमा में हो-
छ: माह या उससे अधिक और एक वर्ष तक के पाठ्यक्रम के लिए
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1,00,000/- रु. तक
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एक वर्ष से अधिक और दो वर्ष तक के पाठ्यक्रम के लिए
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1,50,000/- रु. तक
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नोट- यदि लागत अधिक हो तो लाभार्थी द्वारा वहन किया जाएगा।
क्या ऋण की चुकौती के लिए कोई विलंबन काल है?
जीहां, पाठ्यक्रम पूरा होने अथवा
रोज़गार पाने, जो भी पहले हो जाता है, के छ:माह बाद से।
वोकेशनल शिक्षा और प्रशिक्षण ऋण की चुकौती लागू छ: माह की मोरेटोरियम अवधि सहित तिमाही किस्तों में होगी -
छ: माह से अधिक और एक वर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए
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5 वर्ष
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एक वर्ष से अधिक और दो वर्ष तक की अवधि के कोर्स के लिए
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7 वर्ष
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जी नहीं, ऋणी, ऋण की चुकौती शुरू होने के बाद कभी-भी ऋण चुका सकता है । समय से पहले चुकौती करने पर ऋणी से कोई समय पूर्व चुकौती प्रभार नहीं मांगा जाएगा ।
यदि कोर्स 08.02.2014 से पहले शुरू हुआ है तो क्या ऋण मिल पाएगा?
जी नहीं,कोर्स योजना के आरंभ होने की तारीख अर्थात् 08.02.2014 के बाद ही शुरू होना चाहिए ।
एनएसएफडीसी से ऋण के संबंध में यदि कोई शिकायत है तो किससे संपर्क किया जा सकता है?
एनएसएफडीसी के ऋण संबंधी यदि कोई शिकायत है तो निम्नलिखित से संपर्क किया जा सकता है-
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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