जैसे ही प्रस्ताव प्राप्त होगा, संबंधित प्रभाग द्वारा एक अभिस्वीकृति दी जाएगी। यदि प्रस्ताव निर्धारित मानदंडों/दिशा निर्देशों के अनुसार नहीं है तथा संबंधित योजना के प्रारूप में प्रस्तुत नहीं किया गया है तो इसे मुखयालय में विभागाध्यक्ष/उप-महानिदेशक के तथा संबंधित क्षेत्रीय समिति में क्षेत्रीय प्रतिनिधि एवं सदस्य संयोजक के अनुमोदन से प्रभाग के स्तर पर अस्वीकृत किया जा सकता है।
अनिवार्य दस्तावेजों सहित निर्धारित प्रारूप में प्राप्त प्रस्तावों को कम्प्यूटरीकृत फाईल संख्या दी जाएगी। प्रस्ताव की जांच डेस्क अवस्था पर प्रभाग द्वारा की जाएगी। यदि सूचना/दस्तावेज पूर्ण नहीं हैं तो प्रस्ताव से जुड़े सभी प्रश्नों तथा बकाया मुद्दों को समेकित तरीके से उठाया जाएगा जिन्हें पंजीकृत डाक अभिस्वीकृति देय के जरिए स्वयंसेवी संगठन को सूचित किया जाएगा। स्वैच्छिक संगठन को मांगा गया स्पष्टीकरण/दस्तावेज अधिकतम 45 दिनों की अवधि में प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। यदि उक्त अवधि के भीतर स्वैच्छिक संगठन से कोई अनुक्रिया प्राप्त नहीं होती है तो प्रस्ताव को अस्वीकृत किया जा सकता है तथा संबंधित स्वैच्छिक संगठन को आगे और संदर्भ भेजे बिना फाइल को बंद कर दिया जाएगा।
आवेदक से आवश्यक सूचना/दस्तावेज प्राप्त होने पर निधिकरण पूर्व मूल्य निरुपण (पीएफए) के लिए मामले पर आगे और कार्रवाई की जाएगी। निधिकरण पूर्व मूल्य निरुपण किए जाने के पश्चात् परियोजना प्रस्ताव को निर्णय हेतु राष्ट्रीय स्थायी समिति/क्षेत्रीय समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।
प्रस्ताव के डेस्क मूल्य निरुपण के पश्चात्, कपार्ट निधिकरण पूर्व मूल्य निरुपण के लिए अपने पैनल में शामिल सुविधा-कारक सह मूल्यांकनकर्ता (एफसीई) को निम्नलिखित पहलुओं की जांच करने के लिए प्रतिनियुक्त करेगा :-
पंजीकरण प्राधिकारियों के समक्ष आवधिक रूप से रिपोर्टें तथा विवरणियां दायर करना, आयकर विवरणियां, यदि कोई हों, दायर करना, एफसीआरए अपेक्षाओं का अनुपालन इत्यादि।
राष्ट्रीय स्थायी समिति/कार्यकारिणी समिति/क्षेत्रीय समिति द्वारा प्रस्ताव का एक बार अनुमोदन कर दिए जाने पर परियोजना के क्रियान्वयन के लिए ब्यौरेवार शर्तों एवं निबंधनों के साथ एक स्वीकृति पत्र स्वैच्छिक संगठन को उनकी स्वीकृति हेतु जारी किया जाएगा। स्वीकृति पत्रों की प्रतियां संबंधित स्थानीय सांसदों तथा विधायकों, जिला कलेक्टरों, डीआरडीए के परियोजना निदेशकों , ब्लॉक विकास अधिकारियों तथा ग्राम पंचायत, प्रधान/सरपंच को पृष्ठांकित की जाएंगी। लाभार्थियों की कुल संख्या के साथ-साथ विभिन्न श्रेणीकरणों के अनुसार उनका ब्यौरा, उदाहरणार्थ लिंग, गरीबी रेखा से ऊपर/गरीबी रेखा से नीचे, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा निःशक्त व्यक्ति को स्वीकृत पत्र के साथ विशिष्ट रूप से निर्दिष्ट किया जाएगा यदि कपार्ट द्वारा आशोधन किए गए हैं।
स्वीकृति की शर्तों तथा निबंधनों की स्वीकृति के संकेत के रूप में, स्वीकृति आदेश जारी होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर स्वैच्छिक संगठन द्वारा निम्नलिखित दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने की आशा की जाती है। यदि स्वैच्छिक संगठन से कोई संसूचना प्राप्त नहीं होती तो कपार्ट 30 दिन का समय देते हुए पंजीकृत डाक अभिस्वीकृति देय द्वारा एक अनुस्मारक जारी करेगा अन्यथा स्वीकृति निरस्त हो जाएगी/वापस ले ली जाएगी। दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए समय बढ़ाने हेतु, कपार्ट का विशिष्ट पूर्ण अनुमोदन प्राप्त किया जाना आवश्यक है।
क) कपार्ट द्वारा प्रदत्त सहायता की पेशकश स्वीकार करते हुए निर्धारित प्रारूप में सोसायटी का मूल संकल्प। इसमें विशिष्ट रूप से करार निष्पादित करने, कपार्ट को सूचना देने, इत्यादि की शक्तियों के प्रत्यायोजन का उल्लेख भी किया जाएगा।
ख) प्रत्येक गतिविधि के लिए प्रस्तावित आवश्यक समय-सीमा के साथ क्रियान्वयन योजना।
ग) प्रबंधन समिति के संघटन में अथवा संगम ज्ञापन में संशोधनों /परिवर्तनों, यदि कोई हो, को अनुसमर्थन पत्र/पंजीकरण प्राधिकरियों के पास परिवर्तन दायर करने के साक्ष्य पत्र के साथ उपलब्ध कराया जाएगा।
स्वैच्छिक संगठन से विधिवत स्वीकृत शर्तें एवं निबंधन प्राप्त होने पर प्रथम किस्त को स्वैच्छिक संगठन द्वारा प्रस्तुत कार्ययोजना की युक्तिसंगतता, अंतर्ग्रस्त गतिविधियों के स्वरूप, परियोजना की अवधि तथा स्वीकृत राशि की प्रमात्रा के आधार पर 15 दिनों के भीतर निर्मुक्त किया जाएगा। सामान्य रूप से, परियोजना के संबंध में प्रस्तुत भौतिक एवं वित्तीय कार्य योजना के आधार पर संपूर्ण अनावर्ती अनुदान तथा छः माह से अनधिक आवर्ती अनुदान की मात्रा को मदवार ब्यौरों की पूर्ण प्रमाण दर्शाते हुए प्रथम किस्त के रूप में निर्मुक्त करने पर विचार किया जाएगा।
प्रथम किस्त की प्राप्ति के तत्काल पश्चात् परियोजना धारक मुहर लगी रसीद प्रस्तुत करेगा तथा कपार्ट को परियोजना के आरम्भ की तिथि की सूचना देगा।
प्रथम किस्त निर्मुक्त किए जाने के पश्चात्, परियोजना धारक कपार्ट द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार छः माह के पश्चात् एक द्विवार्षिक वास्तविक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा जिसमें की गई गतिविधियों के ब्यौरे, अवधि के लिए नियत प्रमात्रात्मक एवं गुणात्मक लक्ष्यों की तुलना में परियोजना की उपलब्धियां, लाभार्थियों की सूची, लेखापरीक्षित/अलेखापरीक्षित प्राप्ति तथा भुगतान लेखा एवं उपयोगिता प्रमाणपत्र, परियोजना के कुछ चित्र तथा परियोजना के क्रियान्वयन के दौरान सामना की जा रही समस्याओं संबंधी एक रिपोर्ट स्पष्ट रूप से निर्दिष्ट की जाएगी। अनुदान की दूसरी किस्त की निमुर्क्ति के लिए अनुरोध प्रथम छः माह की अवधि पूर्ण होने के अधिकतम 30 दिनों के भीतर कपार्ट को प्रस्तुत की जाएगी।
तब कपार्ट 5 दिनों के भीतर पैनल में शामिल एक सुविधाकारक-सह-मूल्यांकनकर्ता (एफसीई)/अनुवीक्षणकर्ता दल को प्रतिनियुक्त करेगा जो परियोजना का मध्यावधिक मूल्यांकन करने के लिए परियोजना क्षेत्र का दौरा करेगा तथा 45 दिनों के भीतर मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
कपार्ट अनुवीक्षणकर्ताओं द्वारा मध्यावधि निरुपण तथा द्वितीय किस्त की निर्मुक्ति मध्यावधि मूल्यांकन करने के लिए सुविधाकारक-सह-मूल्यांकनकर्ता प्रतिनियुक्त करने का निर्णय निम्नलिखित पर आधारित होगा :-
सुविधाकारक-सह-मूल्यांकनकर्ता के निष्कर्ष के आधार पर, द्वितीय तथा तदनंतर किस्तें निर्मुक्त की जाएंगी। परियोजना के स्वरूप, अवधि तथा अंतर्ग्रस्त विभिन्न विशेषताओं के आधार पर परियोजना के एक या अधिक मध्यावधिक/समवर्ती मूल्यांकन किए जाएंगे।
मध्यावधि मूल्यांकन के दौरान, अनुवीक्षणकर्ता से निम्न की जांच करने की आशा की जाती है :-
अनुवीक्षणकर्ता द्वारा इन कारकों के आधार पर अगली किस्त की निर्मुक्ति करने की आशा की जाती है।मूल्यांकन रिपोर्ट कार्य की प्राप्ति की तिथि से 45 दिनों के भीतर सुविधाकारक-सह-मूल्यांकनकर्ता द्वारा कपार्ट को प्रस्तुत की जाएगी। मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच कपार्ट द्वारा परियोजना धारक द्वारा सूचित की गई प्रगति को ध्यान में रखते हुए की जाएगी। प्रगति रिपोर्ट, प्राप्ति एवं भुगतान लेखा, उपयोगिता प्रमाणपत्र तथा मध्यावधिक मूल्यांकन रिपोर्ट की जांच के पश्चात् 15 दिनों के भीतर दूसरी/तदनंतर किस्त की निर्मुक्ति के संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
शेष अनुदान पर पूर्ववर्ती किस्तों में निर्मुक्त अनुदान के संतोषजनक निष्पादन तथा उपयोगिता एवं मध्यावधिक/समवर्ती मूल्यांकन रिपोर्टों को ध्यान में रखकर छःमाही किस्तों में निर्मुक्ति हेतु विचार किया जाएगा।
कुल अनुदान के 10 प्रतिशत को प्रतिधारित रखा/रोका जाएगा तथा संतोषजनक पूर्ति/अंतिम प्रगति रिपोर्ट/लेखापरीक्षित प्राप्ति एवं भुगतान तथा आय एवं व्यय के लेखा विवरणों एवं उपयोगिता प्रमाणपत्र की प्राप्ति के पश्चात् संगठन को उसकी प्रतिपूर्ति की जाएगी। परियोजना धारक को इस 10 प्रतिशत राशि के लिए पृथक उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है यदि उसके लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र अंतिम लेखों में प्रस्तुत कर दिया गया हो।
स्वैच्छिक संगठन द्वारा परियोजना की पूर्ति के 30 दिनों के भीतर कपार्ट को निम्नलिखित दस्तावेजों सहित पूर्ति रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाना प्रत्याशित है :-
पूर्ति रिपोर्ट तथा अन्य अंतिम दस्तावेज प्राप्त होने पर कपार्ट 15 दिनों के भीतर पश्य -मूल्यांकन के लिए सुविधाकारक-सह-मूल्यांकनकर्ता को नियुक्त करेगा जिसका संचालन निम्न संबंधी सूचना प्राप्त करने के लिए किया जाएगा :-
आवधिक मूल्यांकनों के अतिरिक्त कपार्ट द्वारा स्वैच्छिक संगठनों के व्यापक मूल्यांकन किए जाते हैं। ऐसे मूल्यांकन सामान्यतः व्यावसायिक संस्थाओं या विशेषज्ञ दलों द्वारा निम्नलिखित मामलों में किए जाते है :-
प्राप्त पूर्ति रिपोर्ट तथा लेखापरीक्षित लेखा विवरणों तथा उपयोगिता प्रमाणपत्र की जांच की जाएगी तथा टिप्पणियां, यदि कोई हो, स्वैच्छिक संगठन को 30 दिनों के भीतर अनुपालनार्थ सूचित की जाएंगी।
इसी प्रकार परियोजना के क्रियान्वयन संबंधी पश्य मूल्यांकन रिपोर्ट में किए गए अवलोकन, यदि कोई हों स्वैच्छिक संगठन को सूचित किए जाएंगे तथा फाइल को बंद करने के लिए कार्रवाई करने से पूर्व 30 दिनों के भीतर इसका अनुपालन प्राप्त किया जाएगा।
उपर्युक्त के परिणाम के अध्यधीन, फाईल को बंद कर दिया जाएगा तथा बंद करने संबंधी पत्र मूल्यांकन रिपोर्ट सहित सभी निर्धारित दस्तावेज प्राप्त होने की तिथि से एक महीने के भीतर जारी कर दिया जाएगा/ आंकड़ाधार को अद्यतन कर दिया जाएगा।
निधिकरण प्रतिबंधों तथा काली सूची में डालने के लिए प्रक्रियाविधि अगली सहायता समाप्त (एफएएस) स्वैच्छिक संगठनों को निम्नलिखित आधारों पर निधिकरण प्रतिबंधों के अंतर्गत रखा जा सकता है :-
संगठन को कपार्ट द्वारा अधिरोपित प्रतिबंधों की सूचना लिखित में दी जाएगी। इसे तीन माह की अवधि के भीतर दोष (षों) को सुधारने का अवसर भी प्रदान किया जाएगा जिसके न किए जाने पर संगठन को काली सूची में डालने के लिए निर्धारित प्रक्रियाविधि आरंभ की जाएगी। अपेक्षाओं का अनुपालन करने वाले स्वयंसेवी संगठनों को प्रतिबंधित श्रेणी से हटा दिया जाएगा।
किसी संगठन, जहां उपर्युक्त मदों में से किसी भी मद का प्रथमदृष्टया साक्ष्य है, के कार्यकरण के संबंध में शिकायत प्राप्त होने पर उक्त संगठन पर स्वीकृतियों एवं निधियों की निर्मुक्ति के संबंध में प्रतिबंध लगाए जाएंगे जब तक कि शिकायत की जांच नहीं कर ली जाती/परिणामों के संबंध में निर्णय नहीं ले लिया जाता।
स्वैच्छिक संगठनों को निम्नलिखित आधारों पर कालीसूची में डाला जा सकता है :-
संगठन को काली सूची में डालने के पश्चात् उसको एक माह की अवधि के भीतर प्रश्नाधीन निधि की वसूली हेतु नोटिस तामील किया जाएगा। नोटिस की तामील करने में संगठन के विफल होने पर उक्त राशि की वसूली हेतु उपयुक्त कानूनी कार्रवाई कपार्ट द्वारा आरंभ की जाएगी।
संगठन को आदेश जारी किए जाने की तिथि से 3 महीने के भीतर काली सूची में डाले जाने के आदेश के विरूद्ध अपील करने का अवसर प्राप्त होगा। इस अपील पर निर्णय हेतु कपार्ट की कार्यकारिणी समिति द्वारा विचार किया जाएगा। निर्णय की सूचना संगठन को दे दी जाएगी।
परियोजना के प्रस्तावों को अस्वीकार करते समय, कपार्ट अस्वीकृति पत्र में अस्वीकृति के कारणों का स्पष्ट उल्लेख करेगा। अस्वीकृति के कारणों को मोटे तौर पर निम्नानुसार दर्शाया जा सकता है तथा इसकी सूचना प्रस्ताव के प्रस्तुतीकरण के 180 दिनों के भीतर आवेदक को दे दी जाएगी :-
स्रोत: ज़ेवियर समाज संस्थान पुस्तकालय, कपार्ट, एन.जी.ओ.न्यूज़, ग्रामीण विकास विभाग,भारत सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 11/12/2019
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