राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) की स्थापना की घोषणा बजट भाषण में की गई थी ताकि निधि के मांगपूर्ति में अंतर को कम किया जा सके और सुधार की प्रक्रिया में, विशेषतः वितरण क्षेत्र में तत्परता लाई जा सके, जिसके लिए भारी पूंजी निवेश आवश्यक होता है| विद्युत क्षेत्र की मूल्यावान श्रृंखला में वितरण क्षेत्र एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है जिससे इस क्षेत्र को समग्र स्थायित्व देने के लिए राजस्व की वसूली हो पाती है|
ग्यारहवीं योजना में विद्युत क्षेत्र के लिए निधियों की आवश्यकता का अनुमान 10,59.515 करोड़ रूपये का लगाया गया है, जिसमें 5,91,734 करोड़ रूपये विद्युत उत्पादन क्षेत्र के लिए 15,875 करोड़ रूपये विद्यमान विद्युत संयंत्रों के नवीनीकरण और आधुनिकीकरण के लिए तथा 4,49,577 करोड़ रूपये पारेषण और वितरण क्षेत्र के लिए भी शामिल हैं| वितरण क्षेत्र में वास्तविक व्यय 11वीं योजना के दौरान विभिन्न कारणों से अनुमान से बहुत कम है, जिसके परिणामस्वरूप निधि का बहुत बड़ा अंतर आ गया है| राष्ट्रीय विद्युत निधि का सृजन इसलिए अधिक सुसंगत हो गया है चूँकि यह बारहवीं योजना के दौरान योजनाबद्ध विद्युत उत्पादन में निवेशों के अनुरूप बनाने के लिए यूटिलिटी को प्रोत्साहित करेगा|
भारत सरकार ने एनईएफ (ब्याज सब्सिडी योजना) को अनुमोदित कर दिया है ताकि ब्याज सब्सिडी वितरण क्षेत्र में पूंजी निवेश को बढ़ावा दिया जा सके, जिसे वितरण परियोजनाओं के अधीन विभिन्न पूंजीगत कार्यों के लिए सरकारी और प्राइवेट विद्युत यूटिलिटियों द्वारा लिए जाने वाले ऋण पर सुधार के उपाय के रूप में जोड़ा गया है| यह योजना पूरे देश में लागू होगी और सभी वितरण परियोजनाओं पर विचार किया जाएगा| राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना और आरएपीडीआरपी परियोजनाओं के अधीन आने वाले कार्य इसके पात्र नहीं होंगे ताकि निवेश में दोहरेपन और अनुदान/सब्सिडी का ओवरलैपिंग न होना सुनिश्चित किया जा सके|
विद्युत मंत्रालय ने राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) स्थापित करने के बारे में कार्यालय ज्ञापन संख्या 24/01/2012एनईएफ/एपीडीआरपी दिनांक 14 मार्च, 2012 (प्रतिलिपि अनुबंध-1 के रूप में संग्लन) जारी की है| विद्युत मंत्रालय ने कार्यालय ज्ञापन सं. 24/01/2012एनईएफ/एपीडीआरपी दिनांक 13 फरवरी, 2012 (प्रतिलिपि अनुबंध- II II के रूप में संग्लन) के जरिए एक संचालक समिति का भी गठन किया है ताकि इस योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके|
3.1 इन दिशानिर्देशों में, जब तक प्रसंग में अन्यथा अपेक्षित न हों:-
4.1 राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) का लाभ उठाने के लिए पात्र प्रतिष्ठान: सभी राज्य विद्युत प्रतिष्ठान, राज्य विद्युत विभाग और विद्युत वितरण और फुटकर आपूर्ति करने केलिए लाइसेंस के अनुसार आपूर्ति क्षेत्र के अंतर्गत फुटकर उपभोक्ताओं को बिजली की बिक्री के कारोबार में लगे राज्य और संघ राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र दोनों की वितरण कम्पनियां, एनईएफ योजना के अधीन ब्याज सब्सिडी का लाभ उठाने की पात्र होंगी|
4.२ पात्र परियोजनाएं: राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के अधीन सभी वितरण क्षेत्र की ढांचागत पूंजी परियोजनाएं पात्र हैं बशर्ते कि प्रस्तवित कार्य का आर-एपीआरडीपी योजना के माध्यम से वित्तपोषण न किया गया हो| जिन परियोजनाओं के लिए भारत-सरकार से कोई अन्य अनुदान/सब्सिडी पहले से प्राप्त/आबंटित की गई हो, वे भी इस योजना के अधीन पात्र नहीं होंगी| पात्र परियोजना की दृष्टान्त सूची अनुबंध-III में संग्लन है| आर-एपीआरडीपी की भांति किया जाने वाला कार्य भी इस योजना के अधीन पात्र होगा|
पात्र परियोजनाओं के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों से प्रतिष्ठानों द्वारा लिए गए ऋण पर उस स्थिति में एनईएफ का लाभ देने पर विचार किया जा सकता है जब भारत सरकार ने या भारत सरकार की ओर से कोई राहत न दी गई हो|
अधिसूचित फ्रैंचाइजी क्षेत्र में यूटिलिटी द्वारा अथवा यूटिलिटी की ओर से फ्रैंचाइज द्वारा किया गया पूंजीगत कार्य भी एनईएफ योजना के अधीन लाभ के पात्र होंगे, बशर्तें कि एनईएफ योजना की उपलब्धता के प्रावधान का फ्रैंचाइजी की नियुक्ति के सम्बन्ध में बोली दस्तावेज में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया हो| यूटिलिटी के कार्य-निष्पादन के मापदंड पर पात्र सब्सिडी के मूल्यांकन के सम्बन्ध में विचार किया जायेगा| पात्र ब्याज सब्सिडी यूटिलिटी को जारी की जाएगी और वह यूटिलिटी फ्रैंचाइजी के साथ परस्पर व्यवस्था करेगा| ताकि उपभोक्ताओं को इस योजना के अधीन लाभ मिल सके|
संचालन समिति इस योजना के अधीन पात्रता के लिए किसी अन्य प्रकार की परियोजना को शामिल कर सकती है|
4.3 पात्र ऋण: उधारदाताओं (आरईसी, पीएफसी, अन्य वाणिज्यिक बैंकों और द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय वित्तीय संस्थानों) द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं पर वित्त वर्ष 2012-2013 और वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान संचालन समिति द्वारा विचार किया जायेगा, बशर्तें कि संचालन समिति को प्रस्ताव प्रस्तुत करने से पहले इन परियोजनाओं की अधीन उधारदाताओं द्वारा कोई संवितरण न किया गया हो|
4.4 कार्यान्वयन के दौरान ऋण की रकम बढ़ाना: कार्यान्वयन की अवधि के दौरान ऋण की रकम बढ़ाने पर केवल उसी स्थिति में विचार किया जायेगा, यदि उधारदाताओं द्वारा मूल स्वीकृति में लागत वृद्धि की गई हो| परियोजना के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन के कारण किसी वृद्धि पर विचार नहीं किया जायेगा|
4.5 ब्याज सब्सिडी की अवधि: राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के अधीन किसी भी पात्र परियोजना को दिए जाने वाले ऋण की अवधि अधिकतम 13 वर्ष होगी अर्थात ब्याज सब्सिडी की अवधि ऐसी परियोजना के मामले में वर्ष 2025-26 और वर्ष 2026-27 तक बढ़ाई जा सकती है, जो क्रमशः वर्ष 201२-13 और 2013-14 के दौरान स्वीकृति की गई हों|
5:1. एनईएफ योजना के अधीन लाभ चाहने वाली यूटिलिटी क पैरा 5.3 के अधीन दी गई पूर्व पात्रता शर्तों को पूरा करना होगा| पूर्व पात्रता शर्तों को पूरा करने वाली यूटिलिटी का तब मूल्याकंन किया जायेगा और पैरा 5.4 में दिए गए मापदंडों के अनुसार उनकी उपलब्धि पर उन्हें अंक दिए जायेंगे| इसके बाद यूटिलिटी को पैरा 5.5 के अधीन दिए गए समग्र प्राप्त अंकों के आधार पर ब्याज सब्सिडी का हिसाब लगाने के लिए वर्गीकृत किया जायेगा| यूटिलिटी को इन शर्तों के मूल्यांकन के लिए प्रति वर्ष अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करने होंगे|
5.२ पैरा 5.3 और 5.4 के अधीन दी गई शर्तों को लागू करने के आधार पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के दो समूह बनाए गए हैं
(क) समूह I: संघ शासित प्रदेशों और विशेष श्रेणी तथा केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्यों में स्थित यूटिलिटी
विशेष राज्य और केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्य हैं: हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, ओड़िशा, पश्चिम बंगाल, आंध्रप्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और गोवा|
ऐसे संघ राज्य क्षेत्र हैं: चंडीगढ़, पांडेचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह, दमन और दीव, दादर और नगर हवेली तथा लक्षद्वीप|
(ख) समूह II: विशेष श्रेणी तथा केन्द्रित राज्यों में स्थित यूटिलिटी:
विशेष श्रेणी राज्य हैं: पूर्वोतर राज्य (असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड), सिक्किम, उतराखंड , हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर|
केन्द्रित (फोकस्ड) राज्य हैं: बिहार और झारखण्ड
समूह I और II के अधीन आने वाली यूटिलिटी को आगे निम्लिखित उप-समूह में रखा गया है|
राज्य बिजली बोर्डों के पुनर्गठन की पूर्व पात्रता शर्त विद्युत विभागों पर लागू नहीं होगी|
पिछले वर्ष की सब्सिडी की रकम प्राप्त हो गई है और राज्य के वार्षिक बजट में चालू वर्ष के लिए प्रावधान किया गया है| उधारकर्ता (उधारकर्ताओं) को इस पूर्व पात्रता शर्त के अनुपालन की पुष्टि के बारे में अधिप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगें|
लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों को प्रस्तुत करने की पूर्व पात्रता शर्त विद्युत विभाग पर लागू नहीं होगी|
लेकिन राज्य विद्युत विभाग के रूप में कार्य करने की वाली युतिलिटियों को उसी प्रकार वार्षिक संसाधन योजना प्रस्तुत करनी होगी जैसे योजना आयोग या राज्य योजना आयोग को प्रस्तुत की जाती है|
यदि यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के 30 नवंबर को या उससे पहले वित्तीय सहायता चाहता हो तो एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा चालू वर्ष के लिए टैरिफ आदेश जारी किया जाना चाहिए|
यदि यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के नवंबर माह के बाद वित्तीय सहायता चाहता हो तो चालू वर्ष का टैरिफ आदेश एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा जारी किया जाना चाहिए और आगामी वित्त वर्ष के लिए टैरिफ याचिका यूटिलिटी द्वारा दाखिल कर दी जानी चाहिए|
(ख) समूह : विशेष राज्य श्रेणी और केन्द्रित राज्य से भिन्न राज्य में विद्युत यूटिलिटी/प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटी
क्रम सं. |
पूर्व पात्रता शर्तें |
राज्य में विद्युत यूटिलिटी/प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटी |
(i) |
एसईआरसी/जेईआरसी का प्रचालन |
√ |
(ii) |
कारोबार योजना तैयार करना |
√ |
(iii) |
राज्य बिजली बोर्डों का पुनर्गठन |
√ |
(iv) |
राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करना |
√ |
(v) |
लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे |
√ |
(vi) |
टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना |
√ |
(√) अनुपालक आवश्यक (x) छूट प्राप्त
उपयुक्त पूर्व पात्रता शर्तों का अनुपालन नीचे दिए अनुसार किया जाएगा
एसईआरसी/जेईआरसी को यूटिलिटी के राज्य में परिचालित किया गया है और फुटकर टैरिफ के निर्धारण के लिए विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 62 के अनुसार समुचित आयोग द्वारा टैरिफ आदेश जारी कर दिया गया है|
यूटिलिटी द्वारा अभिनिर्धारित तरीकों से वित्तीय लक्ष्यों का उल्लेख करते हए 5 वर्ष की अवधि के वित्तीय कारोबार और/या स्थायी लाभकारिता की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत की जाएगी|
उपयुक्त प्रयोजन के लिए कारोबार योजना का अनुपालन किया जायेगा|
अथवा
यदि राज्य सरकार से सहायता लेकर कारोबार योजना तैयार की जा रही हो तो इसके लिए राज्य सरकार का अनुमोदन अपेक्षित है| कारोबार में दर्शाए गए निवेश को एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए|
विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 131 के अनुसार राज्य बिजली बोर्डों का पुनर्गठन किया गया है|
राज्य बिजली बोर्ड के पुनर्गठन के लिए निम्लिखित मानदंड पूरे करने आवश्यक है:
पिछले वर्ष की सब्सिडी की रकम प्राप्त हो गई है और राज्य के वार्षिक बजट में चालू वर्ष के लिए प्रावधान किया गया है| उधारकर्ता(उधारकर्ताओं) को इस पूर्व पात्रता शर्त के अनुपालन की पुष्टि के बारे में अधिप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे|
यदि ब्याज सब्सिडी को जारी करने के मांग करते समय राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति वर्ष के लिए सब्सिडी जारी नहीं की गई हो तो अनुमोदित ब्याज सब्सिडी उस वर्ष विशेष के लिए संवितरण नहीं की जाएगी|
यूटिलिटी (निजी वितरण कम्पनियों के अलावा) द्वारा वित्त वर्ष (एन-२) के लिए लेखापरीक्षित वार्षिक खाता प्रस्तुत करना होगा, जहाँ कि (एन-२) वह चालू वित्त वर्ष हो| लेकिन प्राइवेट वितरण कम्पनियों को वित्त वर्ष (एन-२) के लिए लेखापरीक्षित वार्षिक खाता प्रस्तुत करना होगा, बशर्तें कि प्रतिष्ठान चालू वित्त वर्ष (एन) के 30 सितंबर से पहले वित्तीय सहायता चाहता हो और यदि चालू वित्त वर्ष (एन) के 01 अक्तूबर को या उसके बाद एनईएफ के अधीन वित्तीय सहायता माँगी गई हो पिछले वित्त वर्ष (एन-1) लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत किये जाने चाहिए|
यदि यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के 30 नवंबर को या उससे पहले वित्तीय सहायता चाहता हो तो एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा चालू वर्ष के लिए टैरिफ आदेश जारी किया जाना चाहिए|
यदि यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के नवंबर माह के बाद वित्तीय सहायता चाहता हो तो एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा जारी किया जाना चाहिए और आगामी वित्त वर्ष के लिए टैरिफ याचिका यूटिलिटी द्वारा दाखिल कर दी जानी चाहिए|
(ग) समूह II : विशेष राज्य श्रेणी और केन्द्रित राज्य से भिन्न राज्य में विद्युत यूटिलिटी/प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटी
क्रम सं. |
पूर्व पात्रता शर्तें |
राज्य में विद्युत यूटिलिटी/प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटी |
(i) |
एसईआरसी/जेईआरसी का प्रचालन |
√х |
(ii) |
कारोबार योजना तैयार करना |
√ |
(iii) |
राज्य बिजली बोर्डों का पुनर्गठन |
х |
(iv) |
सब्सिडी जारी |
√ |
(v) |
लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे |
х # |
(vi) |
टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना |
х |
(√) अनुपालन आवश्यक (х) छुट प्राप्त
# राज्य विद्युत विभागों द्वारा ऐसी वार्षिक संशाधन योजना प्रस्तुत करनी होगी जैसे योजना आयोग या राज्य योजना विभाग को प्रस्तुत की जाती है|
उपयुक्त पूर्व पात्रता शर्तों का अनुपालन नीचे दिए अनुसार किया जाएगाः
(i) राज्य विद्युत विनियामक आयोग (एसईआरसी/जेईआरसी) का प्रचालन
राज्य विद्युत विनियामक आयोग (एसईआरसी/जेईआरसी) के प्रचालन की पूर्व पात्रता शर्त लागु होगी|
(ii) कारोबार योजना तैयार करना
यूटिलिटी द्वारा अभिनिर्धारित तरीकों से वित्तीय लक्ष्यों का उल्लेख करते हुए 5 वर्ष की अवधि के वित्तीय कारोबार और/या स्थायी लाभकारिता की विस्तृत कार्य योजना प्रस्त्तुत की जाएगी|
उपयुक्त पूर्व पात्रता शर्तों का अनुपालन नीचे दिए अनुसार किया जायेगा:
यदि राज्य सरकार से सहायता लेकर कारोबार योजना तैयार की जा रही हो तो इसके लिए राज्य सरकार का अनुमोदन अपेक्षित है| कारोबार में दर्शाए गए निवेश को एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए|
(iii) राज्य बिजली बोर्डों (एसईबी) का पुनर्गठन
इस समूह में राज्य विद्युत विभाग को इस शर्त को पूरा करने से छुट दी गई है|
(iv) राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करना
पिछले वर्ष की सब्सिडी की रकम प्राप्त हो गई है और राज्य के वार्षिक बजट में चालू वर्ष के लिए प्रावधान किया गया है| उधारकर्ता(उधारकर्ताओं) को इस पूर्व पात्रता शर्त के अनुपालन की पुष्टि के बारे में अधिप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे|
यदि ब्याज सब्सिडी को जारी करने के मांग करते समय राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति वर्ष के लिए सब्सिडी जारी नहीं की गई हो तो अनुमोदित ब्याज सब्सिडी उस वर्ष विशेष के लिए संवितरण नहीं की जाएगी|
(v) लेखापरीक्षित वार्षिक खाते
लेखापरीक्षित वार्षिक लेखों को प्रस्तुत करने की पूर्व पात्रता शर्त विद्युत विभाग पर लागू नहीं होगी| लेकिन राज्य विद्युत विभाग के रूप में कार्य करने वाली यूटिलिटियों की उसी प्रकार वार्षिक संसाधन योजना प्रस्तुत करनी होगी जैसे योजना आयोग या राज्य योजना आयोग को प्रस्तुत की जाती है|
(vi) टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना
इस समूह में राज्य विद्युत विभाग को इस शर्त को पूरा करने से छुट दी गई है|
(घ) समूह II : विशेष राज्य श्रेणी और केन्द्रित राज्य से भिन्न राज्य में विद्युत यूटिलिटियों /प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटियाँ
क्रम सं. |
पूर्व पात्रता शर्तें |
राज्य में विद्युत यूटिलिटियाँ /प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वा यूटिलिटियाँ |
(i) |
एसईआरसी/जेईआरसी का प्रचालन |
√ |
(ii) |
कारोबार योजना तैयार करना |
√ |
(iii) |
राज्य बिजली बोर्डों का पुनर्गठन |
х* |
(iv) |
सब्सिडी जारी |
√ |
(v) |
लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे |
х* |
(vi) |
टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना |
√ |
*इन पूर्व पात्रता शर्तों को, योजना के प्रचालन के तीन साल के बाद, समूह-1 के अंतर्गत यूटिलिटी जो राज्य में विद्युत यूटिलिटि/ निजी वितरण कम्पनियों के रूप में कार्यरत है को पूर्व पात्रता शर्तों के साथ गठबंधित किया जाना होगा|
उपयुक्त पूर्व पात्रता शर्तों का अनुपालन नीचे दिए अनुसार किया जायेगा:
कारोबार योजना तैयार करना
युटिलिटियों द्वारा अभिनिर्धारित तरीकों से वित्तीय लक्ष्यों का उल्ल्लेख करते हुए 5 वर्ष की अवधि के वित्तीय कारोबार और/या स्थायी लाभकारिता की विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत की जाएगी|
उपर्युक्त प्रयोजन के लिए कारोबार तैयार करना
अथवा
यदि राज्य सरकार से सहायता लेकर कारोबार योजना तैयार की जा रही हो तो इसके लिए राज्य सरकार का अनुमोदन अपेक्षित है| कारोबार में दर्शाए गए निवेश को एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए|
(iii) राज्य बिजली बोर्डों (एसईबी) का पुनर्गठन
इस श्रेणी के अंतर्गत आने वाली यूटिलिटी को योजना के प्रचालन से तीन वर्ष तक इस पूर्व पात्रता की शर्त के अनुपालन से छूट प्राप्त हैं| यह पूर्व पात्रता शर्त इस योजना के प्रचालन के तीन वर्ष बाद लागू होगी और समूह 1 अधीन आने वाली राज्य विद्युत यूटिलिटी/प्राइवेट वितरण कम्पनी के रूप में कार्य करने वाली यूटिलिटी पर यह पूर्व शर्त लागू होगी|
राष्ट्रीय विद्युत निधि योजना के शुरू हो जाने के तीन वर्ष बाद राज्य बिजली बोर्डों को राज्य विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 131 के अनुसार राज्य बिजली बोर्डों का पुरार्गठित किया जाना होगा और राज्य बिजली बोर्ड के पुनर्गठन के लिए निम्लिखित मानदंड पूरा करना होगा:
(iv) राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करना
पिछले वर्ष की सब्सिडी की रकम प्राप्त हो गई है और राज्य के वार्षिक बजट में चालू वर्ष के लिए प्रावधान किया गया है| उधारकर्ता(उधारकर्ताओं) को इस पूर्व पात्रता शर्त के अनुपालन की पुष्टि के बारे में अधिप्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे|
यदि ब्याज सब्सिडी को जारी करने के मांग करते समय राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति वर्ष के लिए सब्सिडी जारी न की गई हो तो अनुमोदित ब्याज सब्सिडी उस वर्ष विशेष के लिए संवितरण नहीं की जाएगी|
(v) लेखापरीक्षित वार्षिक खाते ‘
यदि वित्त वर्ष (एन-२) के लिए राज्य विद्युत यूटिलिटी (प्राइवेट वितरण कम्पनियों से भिन्न) के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे उपलब्ध न हों, जहाँ एन चालू वित्त है, तो यूटिलिटी द्वारा नवीनतम उपलब्ध लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत किये जाने होंगे|
लेकिन इन यूटिलिटियों को इस योजना के चालू होने के तीन वर्ष बाद इससे जुड़ना होगा, उन्हें समूह 1 के अधीन राज्य विद्युत युतिलिटी के रूप में कार्य करने वाली यूटिलिटी की शर्त को पूरा करना होगा|
प्राइवेट कम्पनियों को उस स्थिति में वित्त वर्ष (एन-२) के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे प्रस्तुत करने होंगे, यदि वे चालू वर्ष (एन) के 30 सितम्बर से पहले वित्तीय सहायता चाहते हो और यदि चालू वित्त वर्ष (एन) के 01 अक्तूबर को यह उसके बाद एनईएफ के अधीन वित्तीय सहायता माँगी गई हो तो पूर्ववर्त्ती वित्त वर्ष (एन-10 के लेखापरीक्षित वार्षिक लेखे प्रस्तुत किये जाने चाहिए|
(vi) टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना
राज्य विद्युत यूटिलिटी के रूप में कार्य करने वाली यूटिलिटी के सम्बन्ध में उस स्थिति में एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा चालू वर्ष का टैरिफ आदेश जारी किया जाना चाहिए, यदि यह यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के ३० नवंबर को या उससे पहले वित्तीय सहायता चाहती हो| यदि यह यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के नवंबर के माह के बाद वित्तीय सहायता चाहती हो तो एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा चालू वर्ष के सम्बन्ध में टैरिफ आदेश जारी किया जाना चाहिए और आगामी वित्त वर्ष के लिए टैरिफ याचिका यूटिलिटी द्वारा दाखिल कर दी जानी चाहिए|
5.4 आधारभूत मापदंडों के आधार पर ब्याज सब्सिडी का मूल्यांकन
उपयुक्त पूर्व पात्रता शर्तों को पूरा करने वाली यूटिलिटी का मूल्याकंन किया जायेगा और आधारभूत मापदंडों के अनुसार उनकी उप्लाधियों पर अंक दिए जाएँगे|
इस योजना के अधीन दी जाने वाली ब्याज सब्सिडी की पात्रता समूह I और समूह II के अंतर्गत आने वाली यूटिलिटी द्वारा किये जाने वाले विभिन्न सुधारात्मक उपायों की प्राप्ति में कुल कुल अंक प्राप्त करने पर निर्भर करेगा|
उपलब्धियों का हिसाब लगाने के लिए आधार वर्ष वित्त वर्ष (एन-1) होगा| उदाहरणार्थ, वित्त वर्ष 12-13) (एन) की ब्याज सब्सिडी का मूल्यांकन करने के लिए आधार वर्ष 11-12 (एनं) होगा| कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में कमी और अंतर (रूपये/केडब्ल्यूएच) (एसीएस –सब्सिडी प्राप्ति के आधार पर औसत राजस्व) में कमी को वित्त वर्ष एन के सम्बन्ध में वित्त वर्ष एन-1 को हिसाब में लिया जायेगा|
क) पात्रता के मापदंड:
यूटिलिटी के स्तर पर कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों का हिसाब यूटिलिटी के लेखापरीक्षित वार्षिक खातों के आधार पर नोडल एंजेंसी द्वारा नियुक्त स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ता द्वारा लगाया जायेगा| वित्त वर्ष (एन) के लिए कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में कमी वित्त वर्ष (एन-1) के आधार पर उस वर्ष में दावे का हिसाब लगाया जायेगा जब सब्सिडी का दावा किया जाता है अर्थात् वित्त वर्ष 12-13 (एन) की ब्याज सब्सिडी का मूल्याकंन करने के लिए वित्त वर्ष 2011-12 (एन -1) आधार वर्ष होगा|
कुल तकनीकी और वाणिज्यिकों हानियों में कमी के अंकों का आनुपातिक हिसाब लगाया जायेगा अर्थात् अंकों का आबंटन आनुपातिक आधार पर किया जायेगा|
यदि पिछले वर्ष के दौरान कुल वाणिज्यिक और तकनीकी हानियाँ 6% से कम रही हों तो कोई अंक नहीं दिया जायेगा| समग्र 8% के कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों तक पहुँचने पर यूटिलिटी से अपेक्षा की जाएगी कि वह अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए उसी स्तर को बनाये रखे|
कुल तकनीकी और वाणिज्यिकों हानियों में कमी का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित मापदंड के अनुसार यूटिलिटी को अंक दिए जायेंगे:
यूटिलिटी |
समूह-I |
समूह-II |
कुल लाभ-हानियों में की गई |
प्राप्तांक |
प्राप्तांक |
पिछले वर्ष के दौरान 10% तक कमी |
50 |
75 |
पिछले वर्ष के दौरान 8% तक कमी |
40 |
60 |
पिछले वर्ष के दौरान 6% तक कमी |
30 |
45 |
(ii) प्राप्त सब्सिडी (रूपये/केडब्ल्यूएच) के आधार पर राजस्व अंतर में कमी
प्राप्त सब्सिडी के आधार राजस्व अंतर(रूपये/केडब्ल्यूएच) आपूर्ति की औसत लागत (एसीएस)- सब्सिडी के के आधार पर राजस्व (एआरआर)
(iii) यूटिलिटी के स्तर पर राजस्व अंतर (रूपये/केडब्ल्यूएच) के अंतर में कमी का हिसाब यूटिलिटी के लेखापरीक्षित लेखों के आधार पर नोडल एंजेंसी द्वारा सूची में शामिल किये गए स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ता द्वारा लगाया जायेगा| वित्त वर्ष (एन) के लिए राजस्व अंतर रूपये/केडब्ल्यूएचके अंतर में कमी यदि वह वर्ष एन हो, जिसके लिए सब्सिडी का दावा किया जा रहा है तो उसका हिसाब आधार वर्ष (एन-1) के आधार पर लगाया जायेगा अर्थात् वित्त वर्ष 12-13 (एन) की ब्याज सब्सिडी का मूल्याकंन करने के लिए वित्त वर्ष 2011-12 (एन -1) आधार वर्ष होगा|
राजस्व अंतर रूपये/केडब्ल्यूएच) में कमी के अंकों को आनुपातिक आधार पर निकाला जायेगा अर्थात् अंक आनुपातिक आधार पर दिए जाएँगे और यदि पिछले वर्ष के दौरान अंतर में कमी 15% से कम रहो तो कोई अंक नहीं जाएँगे|
अंतर में कमी की उपलब्धि के लिए निम्नलिखित के लिए मापदंड के अनुसार यूटिलिटी को अंक दिए जाएँगे:
यूटिलिटी |
समूह-I |
समूह-II |
अंतर में आई कमी |
|
|
यदि प्राप्त सब्सिडी के आधार पर प्रति इकाई प्राप्त औसत राजस्व, औसत लागत पूर्ति से अधिक रहा हो |
प्राप्तांक |
प्राप्तांक |
पिछले वर्ष के दौरान 25% तक अंतर में कमी |
40 |
25 |
पिछले वर्ष के दौरान 20% तक अंतर में कमी |
30 |
20 |
पिछले वर्ष के दौरान 15% तक अंतर में कमी |
20 |
15 |
(vii) इक्विटी पर उपलब्धि (आरओई)
समूह-I के लिए
यदि एसईआरसी/जेईआरसी ने इस सबंध में राष्ट्रीय टैरिफ नीति के पैरा 5.3 (क) और या/ एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा जारी किये गए लागू विनियमों के अनुसार आरओई या आरओसीई या कोई अन्य परिलब्धि की अनुमति दी गई हो, तो यूटिलिटी को कुल पांच अंक दिए जायेंगे अन्यथा कोई अंक नहीं दिया जायेगा| इस मापदंड का मूल्यांकन एसईआरसी/जेईआरसी के संगत आदेशों की प्रमाणित प्रतिलिपियों के रूप में यूटिलिटी द्वारा प्रस्तुत की गई सूचना के आधार पर किया जायेगा|
समूह-II के लिए
इस मापदंड के अनुसार, इन युटिलिटियों को कोई अंक नहीं दिए जायेंगे| लेकिन यदि एसईआरसी/जेईआरसी ने 31 मार्च, 2014 तक आरओई या आरओसीई या कोई अन्य परिलब्धि की अनुमति दी गई हो, तो यूटिलिटी को इन दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 5.6 में उल्लिखित दडों के प्रावधान को भूगतान पड़ेगा| 31 मार्च, 2014 के बाद इन मापदन्डों का मूल्यांकन यूटिलिटियों द्वारा एसईआरसी/जेईआरसी के संगत आदेशों की प्रमाणित प्रतिलिपियों क्र रूप में प्रस्तुत सूचना के आधार पर किया जायेगा|
(iv) बहुवर्षीय टैरिफ (एमवाईटी) विनियम की अधिसूचना
समूह-I के लिए
यदि एसईआरसी/जेईआरसी उस यूटिलिटी के लिए एमवाईटी विनियम जारी किया हो तो कुल पांच अंक दिए जायेंगे अन्यथा कोई अंक नहीं दिया जायेगा| इस मापदंड का मूल्यांकन एसईआरसी/जेईआरसी के संगत आदेशों की प्रमाणित प्रतिलिपियों के रूप में यूटिलिटी द्वारा प्रस्तुत की गई सूचना के आधार पर किया जायेगा|
समूह-II के लिए
इस मापदंड के अनुसार, इन युटिलिटियों को कोई अंक नहीं दिए जायेंगे| लेकिन यदि एसईआरसी/जेईआरसी ने 31 मार्च, 2014 तक इस यूटिलिटी के लिए एमवाईटी विनियम जारी किया हो तो इन दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 5.6 में उल्लिखित दडों के प्रावधान का सामना करना पड़ेगा| 31 मार्च, 2014 के बाद इन मापदन्डों का मूल्यांकन यूटिलिटियों द्वारा एसईआरसी/जेईआरसी के संगत आदेशों की प्रमाणित प्रतिलिपियों क्र रूप में प्रस्तुत सूचना के आधार पर किया जायेगा|
5.5 ब्याज सब्सिडी की दर का हिसाब लगाने के लिए वर्गीकरण
पैरा 5.4 में उल्लिखित मापदंडों के सम्बन्ध में इन प्रतिष्ठानों के कुल अंकों के आधार पर उन्हें निचे दिए अनुसार ब्याज सब्सिडी दर के हिसाब के लिए वर्गीकृत किया जायेगा:
क) समूह-I के अधीन आने वाली युतिलिटियों के सबंध में
श्रेणी |
प्राप्तांक (कुल 100 अंकों में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
75 से अधिक या 75 के बराबर |
5 |
श्रेणी ख |
75 से कम लेकिन 50 से अधिक या 50 के बराबर |
4 |
श्रेणी ग |
50 से कम लेकिन 35 से अधिक या 35 के बराबर |
3 |
टिप्पणी: 35% से कम अंक प्राप्त करने वाली यूटिलिटियां ब्याज सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होंगी|
ख) समूह-II के अधीन आने वाली युतिलिटियों के सबंध में
(i) 31मार्च, 2014 तक लागू
श्रेणी |
प्राप्तांक (कुल 100 अंकों में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
60 से अधिक या 60 के बराबर |
7 |
श्रेणी ख |
60से कम लेकिन 40 से अधिक या 40 के बराबर |
6 |
श्रेणी ग |
40 से कम लेकिन 30 से अधिक या 30 के बराबर |
5 |
टिप्पणी: 30% से कम अंक प्राप्त करने वाली यूटिलिटियां ब्याज सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होंगी|
(ii)3अप्रैल , 2014 के बाद से लागू
श्रेणी |
प्राप्तांक (कुल 100 अंकों में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
75 से अधिक या 75 के बराबर |
7 |
श्रेणी ख |
75 से कम लेकिन 50 से अधिक या 50 के बराबर |
6 |
श्रेणी ग |
50 से कम लेकिन 35 से अधिक या 35 के बराबर |
5 |
टिप्पणी: 35% से कम अंक प्राप्त करने वाले प्रतिष्ठान ब्याज सब्सिडी के लिए पात्र नहीं होंगी|
5.6 दंड का प्रावधान
(क) यदि समुचित आयोग द्वारा समूह 1 के अधीन आने वाली यूटिलिटी को राष्ट्रीय टैरिफ नीति या लागू राज्य विनियमों के अनुसार ‘आरओई या आरओसीई’ या किसी अन्य उचित वापसी का 31मार्च, 2014 तक कोई लाभ नहीं दिया जाता, तो यूटिलिटी को ब्याज सब्सिडी के 0.25% की वापसी के रूप में दंड देना होगा| यह दंड लागू सब्सिडी से 0.25% की कटौती करके देना होगा न कि लागू सब्सिडी के 0.25% की दर से|
(ख) यदि समूह II के अधीन आने वाली यूटिललिटियों को समुचित आयोग द्वारा 31मार्च, 2014 तक बहुवर्षीय टैरिफ की अनुमति नहीं दी जाती, तो यूटिलिटियों को ब्याज सब्सिडी के 0.25% की वापसी के रूप में दंड देना होगा| यह दंड लागू सब्सिडी से 0.25% की कटौती करके देना होगा न कि लागू सब्सिडी के 0.25% की दर से|
6.1 राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी) योजना के अधीन स्वीकृति के लिए प्रस्ताव करना
क) सभी परियोजनाओं के प्रस्तावों की राज्य स्तर पर वितरण सुधार समिति (डीआरसी) द्वारा सिफारिश की जानी चाहिए| प्राइवेट डिस्कॉम की पात्र परियोजनाओं को भी एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा अनुमोदित किया जायेगा|
ख) उधारकर्ता/यूटिलिटी पात्र परियोजना के लिए ऋण की स्वीकृति के साथ-साथ अपने उधारदाता के माध्यम से इस योजना के अधीन पात्रता के मूल्यांकन के लिए नोडल एंजेसी से सम्पर्क करेगा|
ग) नोडल एजेंसी इस योजना के अधीन पात्रता के लिए स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता से उस प्रस्ताव का मूल्यांकन करवाएगी|
घ) स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता के मूल्यांकन के आधार पर नोडल एजेंसी इस प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी और तदनुसार विचारार्थ संचालन समिति से सिफारिश करेगी|
ड.) नोडल एजेंसी संचालन समिति के निर्णय की सूचना सम्बन्धित उधारदाता और उधारकर्ता/यूटिलिटी को देगी|
च) उधारदाता अपने उचित विवेक को अपनाएगा और उधारकर्ता/यूटिलिटी को ऋण की रकम का संवितरण शुरू करेगा|
(छ) उधारकर्ता/यूटिलिटी अपने उधारदाता के माध्यम से नोडल एंजेंसी द्वारा मुहैया कराए गए टेम्पलेट के अनुसार (परन्तु इस तक सिमित नहीं होकर) अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करेगा|
6.२ ब्याज सब्सिडी की दर और सब्सिडी की मात्रा का (वार्षिक आधार पर) मुल्यांकन करने के लिए
(क) उधारकर्ता/यूटिलिटी अपने उधारदाता के माध्यम से निर्धारित फामेंट में अपेक्षित सूचना प्रस्तुत करेगा ताकि पैरा 5.3 के अनुसार पूर्व पात्रता का अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके और ब्याज सब्सिडी की दर और प्रतिपूर्ति के आधार पर सब्सिडी की रकम की मात्रा के सम्बन्ध में पैरा 5.4 के अनुसार पात्रता के मापदंड का हिसाब लगाया जा सके|
(ख) सम्बन्धित उधारकर्ता/यूटिलिटी अपने उधारदाता के माध्यम से सम्बन्धित उधारदाता द्वारा विधिवत सत्यापित अन्य संगत दस्तावेजों सहित ऋण की प्रतिपूर्ति और अदा किये गए वास्तविक ब्याज के विवरण प्रस्तुत करेगा|
(ग) प्रत्येक श्रंखला के अनुसार वास्तविक संवितरण और ब्याज की अदायगी के अनुसार ऋण की प्रत्येक श्रृंखला के सम्बन्ध में ब्याज सब्सिडी का हिसाब अलग से लगाया जायेगा|
(घ) नोडल एजेंसी स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता के माध्यम से उधारकर्ता/यूटिलिटी के प्रस्ताव का मूल्यांकन करेगी ताकि ब्याज सब्सिडी सुनिश्चित की जा सके और विचारार्थ संचालन समिति को उस प्रस्ताव के सम्बन्ध में सिफारिश की जा सके|
(ड.) संचालन समिति के अनुमोदन के बाद सम्बन्धित वर्ष के लिए ब्याज सब्सिडी की रकम नोडल एंजेंसी के माध्यम से उधारदाता को दी जाएगी| उधारदाता नोडल एंजेसी से ब्याज सब्सिडी प्राप्त होने पर उधारकर्ता को ब्याज सब्सिडी देगा|
(च) ब्याज सब्सिडी उधार की अवधि में वार्षिक आधार पर दी जाएगी|
ब्याज सब्सिडी का दावा करते समय उधारकर्ता/यूटिलिटी अपने उधारदाता के माध्यम से नोडल एंजेसी द्वारा मुहैया कराए गए टेम्पलेट के अनुसार (परन्तु इस तक सिमित ना होकर) जानकारी प्रस्तुत करेगा|
6.3 अनुवर्ती वर्षों में राष्ट्रीय विद्युत निधि के अधीन सहायता का लाभ उठाते रहने के लिए शर्तें
(क) राष्ट्रीय विद्युत निधि योजना की अधीन ये लाभ स्थिति में अनुवर्ती वर्षों में भी उधारकर्ताओं को मिलते रहेंगे यदि वे इन दिशानिर्देशों के पैरा 5.3 के अधीन दी गई पूर्व पात्रता की शर्तों को पूरा करेंगे|
(ख) उपर्युक्त के अलावा, ब्याज सब्सिडी का लाभ उठाते रहने के के लिए निम्नलिखित अपेक्षाओं को भी पूरा करना होगा:
(1) उधारकर्ता द्वारा उधारदाता को समय पर अदायगी करना
(२) ब्याज सब्सिडी का उस मस्य यूटिलिटी द्वारा स्पष्ट रूप से उल्लेख करना होगा जब वह एसईआरसी/जेईआरसी को वार्षिक वित्तीय अपेक्षाएँ, (यदि लागू हो) दाखिल कर रहे हों ताकि ये लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँच सकें|
6.4 परियोजना के समापन तक उसकी मोनिटरिंग
(क) उधारकर्ता, उधारदाता द्वारा स्वीकृति प्रस्ताव की शर्तों के अनुसार पात्र परियोजनाओं के अधीन कार्य का समापन सुनिश्चित करेगा|
(ख) उधारकर्ता अपने उधारदाता के माध्यम से नोडल एंजेंसी द्वारा मुहैया कराए गए टेम्पलेट के अनुसार (परन्तु इस तक सिमित ना होकर) जानकारी प्रस्तुत करेगा|
7.1 नोडल एजेंसी
सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के प्रचालन और कार्यान्वयन के लिए आरईसी नोडल एजेंसी होगी| आरईसी इस योजना के अधीन नोडल प्वॉइंट होगा और वह उधारकर्ताओं, उधारदाताओं, संचालन समिति और विद्युत मंत्रालय जैसे हितधारकों के साथ समन्वय करेगा| नोडल एजेंसी सेवा प्रभारों के रूप में उधारकर्ताओं से स्वीकृत ऋण की रकम के 0.5% का दावा नीचे दिए अनुसार करेगी:
(क) संचालन समिति द्वारा ब्याज सब्सिडी के अनुमोदन की स्वीकृति के समय (पहले वर्ष में) सेवा प्रभार का 30% (अर्थात स्वीकृत ऋण की रकम के 0.5% का 30%)
(ख) शेष रकम का दावा अनुवर्ती 14 वर्ष में पात्र सेवा प्रभारों के 5% की दर से 14 समान वार्षिक किश्तों में किया जायेगा अथवा ऋण की अवधि के अनुसार शेष समान वार्षिक किश्तों में किया जायेगा, वशर्ते कि ऋण की अवधि अपेक्षाकृत कम हो|
7.2 नोडल एंजेंसी निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार होगी:
(क) उधारकर्ता द्वारा वार्षिक आधार पर प्रस्तुत किए गए पूर्व पात्रता शर्तों और पात्रता के मापदंडों का मूल्यांकन करने के लिए स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता की नियुक्ति,
(ख) स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किये गए मूल्यांकन के अनुसार प्रस्तावों का वार्षिक मूल्यांकन
(ग) स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा किये गए मूल्यांकन के आधार पर उधारकर्ताओं के ब्याज सब्सिडी दावों का सत्यापन करना और संचालन समिति के अनुमोदन के लिए ऋण प्रस्तावों पर ब्याज सब्सिडी की सिफारिश करना|
(घ) इस योजना के अधीन पात्र समझी गई सभी यूटिलिटी और ब्याज सब्सिडी जारी रखने का अनुमोदन चाहने वाली सभी युटिलिटियों की योजना में निर्धारित सुधार सम्बन्धी लक्ष्यों के लिए हिताधिकारियों द्वारा प्राप्त किये गे लक्ष्यों के आधार पर यूटिलिटी के सम्बन्ध में ब्याज सब्सिडी की दर की पात्रता की अधिसूचना जारी करना|
(ड.) प्रस्तावों की मंजूरी के सम्बन्ध में संचालन समिति का अनुमोदन प्राप्त करने सहित आवश्यक कार्य करना और पात्र उधारकर्ता/यूटिलिटी को ब्याज सब्सिडी की अदायगी करना|
(च) भारत सरकार से वार्षिक रूप से ब्याज सब्सिडी की रकम प्राप्त करना और उसे उधारकर्ताओं के समय-समय पर संवितरण करने, सेवा प्रभारों की अदायगी करने और अन्य प्रासंगिक लागतों आदि के लिए अलग बैंक खाते में रखना|
7.3 संचालन समिति: राष्ट्रीय विद्युत निधि)ब्याज सब्सिडी योजना) के संचालन समिति के अध्यक्ष सचिव (विद्युत/विशेष सचिव (विद्युत)/ अपर सचिव (विद्युत होंगे और उसमें योजना, व्यय विभाग, आर्थिक कार्य विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण और उर्जा दक्षता ब्यूरो के प्रतिनिधि भी होंगे|
संचालन समिति के निम्नलिखित कार्य होंगें:
(क) राष्ट्रीय विद्युत निधि)ब्याज सब्सिडी योजना) के संचालन सम्बन्धी दिशानिर्देशों को अनुमोदित करना
(ख) इस योजना के अधीन ब्याज सब्सिडी के पात्र प्रस्तावों को अनुमोदित करना|
(ग) उधारकर्ताओं की ब्याज सब्सिडी जारी करने का अनुमोदन देना|
(घ) निधि के उपयोग और शर्तों के अनुपालन सम्बन्धी कार्यक्रम का मोनिटरिंग करना|
(ङ) कठिनाइयों को दूर करने के लिए पूर्व पात्रता शर्तों में परिवर्तन/आशोधन, यदि कोई हों, को अनुमोदित करना और इस योजना का सुचारू संचालन करने में सहायता प्रदान करना|
7.4 उधारकर्ता: उधारकर्ता निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार होंगें:
(क) राष्ट्रीय विद्युत निधि(ब्याज सब्सिडी योजना) के अधीन लाभ उठाने के लिए संचालन समिति के अनुमोदन के लिए नोडल एजेंसी को उधारदाता के माध्यम से विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करना|
(ख) परियोजना के प्रगति और संवितरण की विवरणों के सम्बन्ध में नोडल एजेंसी को अद्यतन जान्काई देना|
(ग) उपभोक्ताओं के लाभ के लिए वार्षिक खातों में प्राप्त ब्याज सब्सिडी को दर्शाना
(घ) निर्धारित फमेंट के अनुसार नोडल एजेंसी को अपेक्षित सुचना मुहैया करांना|
7.5 स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता: प्रस्तावों के मूल्यांकन के लिए संचालन समिति के अनुमोदन से नोडल एजेंसी द्वारा स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ताओं की नियुक्ति की जाएगी| इस योजना के अधीन, स्वतंत्र मूल्यांकनकर्ता निम्नलिखित कार्यों के लिए जिम्मेदार होंगे:
(क) पूर्व पात्रता की शर्तों के अनुपालन के लिए प्रस्तावों का मूल्यांकन करना और मुल्यांकन केलिए नोडल एजेंसी को रिपोर्ट प्रस्तुत करना|
(ख) पात्रता के मापदंड, के अधीन प्रत्येक आधारभूत मापदंडों के विरुद्ध उधारकर्ताओं की उपलब्धियों का मूल्यांकन करना, कुल अंकों, ब्याज सब्सिडी की दर तथा मात्रा की गणना करना|
8.1 राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के अधीन वित्तीय लेन-देन राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक निधि अनरण (एनईएफटी) के माध्यम से किया जायेगा|
8.२ भारत सरकार से प्राप्त सभी निधियों को नोडल एजेंसी के अलग बैक खाते (एनईएफ) में अंतरित किया जायेगा|
8.3 नोडल एजेंसी एनईएफ खाते का उपयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए निधियों के लेन-देन हेतु करेगी:
(क) सम्बन्धित उधारकर्ता/यूटिलिटी को दिए जाने के लिए सम्बन्धित उधारदाताओं को समय-समय पर सब्सिडी का संवितरण
(ख) पैरा 7.1 में निर्धारित तंत्र के अनुसार स्वीकृत ऋण की रकम के 0.5% की दर से सेवा प्रभार अपने खाते में डालना|
(ग) स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ताओं को अदायगी
(घ) अन्य प्रासंगिक व्यय
9.1 नोडल एजेंसी आरईसी के मुख्यालय, स्कोप काम्पलेक्स, लोदी रोड, नई दिल्ली में एनईएफ योजना के प्रबंधन और प्रचालन के लिए एनईएफ प्रकोष्ठ स्थापित करेगी| एनईएफ प्रकोष्ठ एनईएफ योजना के प्रचालन की तारीख से काम करना आरंभ करेगा| सभी प्रकार का संप्रेषण, पूछताछ, सूचना आदि आवश्यक होने पर ई-मेल/औचारिक पत्र के माध्यम से किया जायेगा|
9.२ नोडल एंजेंसी ‘एनईएफ नोडल अधिकारी’ के रूप में एक अधिकारी नियुक्त करेगी जो किसी भी संप्रेषण, पूछताछ, सूचना आदि के लिए प्रत्येक उधारकर्ता के नामित नोडल अधिकारी (अधिकारीयों) के साथ ही संव्यवहार करेगा| उधारकर्ता का नोडल अधिकारी उनके सम्बन्धित संगठन का/के प्राधिकृत हस्ताक्षर होंगे|
नोडल एजेंसी इस योजना के सम्बन्ध में एक वेबसाइट तैयार करेगी जिसमें इस योजना से सम्बन्धित सूचना और नोडल एजेंसी के नोडल अधिकारी सहित मुख्य अधिकारियों के सम्पर्क उपलब्ध होंगे|
ब्याज सब्सिडी चाहने वाले, एनईएफ सहायता जारी रखने या परियोजना की मोनिटरिंग और प्रस्ताव के टेम्पलेट के अनुसार मूल्यांकन करने के इच्छुक व्यक्ति प्रस्तावों की स्वीकृति के लिए उधारकर्ता द्वारा सभी सुचना प्रस्तुत की जाएगी| यह सूचना टाईप की हुई प्रति और सॉफ्ट प्रति के रूप में होगी| टाईप प्रति तीन प्रतियों में प्रस्तुत की जायगी जबकि सॉफ्ट प्रति के रूप में होगी| जबकि सॉफ्ट कॉपी सीडी के रूप में यह ई-मेल के माध्यम से प्रस्तुत की जाएगी|
9.3 निम्नलिखित के सम्बन्ध में नोडल एजेंसी और उधारकर्ता के बीच संप्रेषण के माध्यम के रूप में ई-मेल का उपयोग किया जायेगा:
(क) आंकड़ों में विसंगति या अतिरिक्त आंकड़े मांगने के सम्बन्ध में नोडल एजेंसी द्वारा की जाने वाली पूछताछ
(ख) उधारकर्ता द्वारा नोडल एजेंसी को पूछताछ का उत्तर और/या अतिरिक्त सूचना प्रस्तुत करना| यदि सूचना की मात्रा बहुत अधिक हो तो उसे सीडी के रूप में प्रस्त्तुत करना होगा
(ग) एनईएफ प्रकोष्ठ के नोडल अधिकारी द्वारा वांछित या उधारकर्ता के नोडल अधिकारी (अधीकारियों) द्वारा अपेक्षित कोई अन्य संप्रेषण
9.4 नोडल एजेंसी को अग्रेषित किये जाने के लिए उधारकर्ता द्वारा उधारदाता को प्रस्तुत की जाने वाली सभी सूचना निर्धारित फमेंट में होनी चाहिए और वह सुपाठ्य होनी चाहिए अन्यथा उसे रद्द कर दिया जायेगा|
9.5 नोडल एजेंसी को यह अधिकार है कि वह यदि आवश्यक समझे तो ब्याज सब्सिडी के प्रस्ताव और उसका हिसाब लगाने के लिए मूल्यांकन करने/मुल्यानिरुपन करने के प्रयोजन के लिए अतिरिक्त सुचना मांग सकती है|
यदि इन दिशानिर्देशों के किसी भी प्रावधान को लागू करने में कोई कठिनाई पैदा होती है तो संचालन समिति आशोधन और संशोधन करके ऐसी समुचित कार्रवाई कर सकती है जो इन कठिनाइयों को दूर करने के लिए आवश्यक और त्वरित हो|
ये दिशानिर्देशों संचालन समिति द्वारा दिनांक 30.04.2012 को आयोजित अपनी बैठक में दिए गए अनुमोदन के अनुसार जारी किये जा रहे हैं|
(संजीव कुमार)
निदेशक (वितरण)
सेवा में,
प्रतिलिपि निम्नलिखित के प्रषित:
कार्यक्रम कार्यान्वयन विभाग, सरदार पटेल भवन, नई दिल्ली|
प्रतिलिपि निम्मलिखित को प्रेषित:
विद्युत मंत्री के निजी सचिव/ राज्य मंत्री के निजी सचिव|
सचिव (विद्युत) के प्रधान निजी सचिव
अपर सचिव (एएल) के प्रिंसीपिल स्टाफ अधिकारी|
सयुक्त सचिव वितरण) के वैयक्तिक सहायक/संयुक्त सचिव एवं वित्त सलाहकार के निजी सचिव|
अनुबंध -1
कार्यालय ज्ञापन
विषय: वितरण क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए वितीय संस्थानों (पीएफसी,आरईसी और अन्य वित्तीय संथान) द्वारा संविततिरत किये जाने वाले ऋण पर ब्याज दरों में आर्थिक सहायता के लिए राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना)
उपर्युक्त योजना से सम्बन्धित व्यय को वर्ष 2011-12 के लिए अनुदान संख्या 75 विद्युत मंत्रालय के अधीन निम्नलिखित शीर्षों में नामे डाला जाएगा और अनुवर्ती वर्षों में तदनुरूप लेखा शीर्षों में नामे डाला जाएगा|
2801 विद्युत (मुख्य शीर्ष) |
(उप-मुख्य शीर्ष) |
(लघु शीर्ष) |
29 राष्ट्रीय विद्युत निधि |
29.00.33 सब्सिडीज |
यह कार्यालय ज्ञापन विद्युत् मत्रालय के वित्त विंग द्वारा उनकी डायरी संख्या 27/वित्त/13.03/2012 के जरिये दी गई सहमति से जारी किया जाता है|
(अरुण कुमार सिंह)
अपर सचिव, भारत सरकार
सेवा में,
१. सभी राज्यों के मुख्य सचिव
२. सभी राज्यों सरकारों के उर्जा/विद्युत सचिव
३. राज्य विद्युत बोर्डों के अध्यक्ष/ राज्य विद्युत युतिलिटियों के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक|
४. अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, रूरल इलेक्ट्रॉफिकेशन कापोरेशन लिमिटेड, नई दिल्ली|
राज्यों और संघ शासित क्षेत्रों के सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र दोनों की राज्य विद्युत युतिलिटियों, राज्य विद्युत विभाग और वितरण कम्पनियों (डिस्कॉम) का पात्रता के लिए विचार किया जायेगा|
संचालन समिति द्वारा तय की गई वितरण योजना वित्तपोषण के लिए पात्र होंगी और ऐसी योजना की श्रेणियों की संकेतात्मक सूची अनुबंध-II में दी गई है| इस सूची में शामिल श्रेणियों की चालू स्वीकृति योजनाओं पर भी विचार किया जायेगा|
एक ही योजना को अनुदान और सब्सिडी देने में दोहरापन न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए वितरण योजन की यह सब्सिडी ऐसे कस्बों के लिए होगी जिनकी संख्या 30,000 (विशेष श्रेणी के मामलों में 10,000) से कम हो और सभी ग्रामीण से क्षेत्रों के लिए केवल गैर आर-एपीडीआरपी और गैर-आरजीजीवीवाई परियोजनाओं ही इस योजना के अधीन सब्सिडी की पात्र होंगी|
ऋण की स्वीकृति पर वर्ष 2012-13 और वर्ष 2013-14 से विचार जायेगा और इसकी वापसी की अवधि 10 वर्ष होगी| ब्याज सब्सिडी की अवधि 14 वर्ष होगी बशर्ते कि वे शर्तों को पूरा करते हों|
इस योजना के अधीन राज्यों की दो श्रेणियों होंगी:
विशेष श्रेणी के राज्य हैं: पुर्वोतर के सभी राज्य, सिक्किम, उतराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर| केन्द्रित राज्य होंगें: बिहार और झारखण्ड चूँकि उनकी प्रति व्यक्ति आय (उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार) राष्ट्र की औसत प्रति व्यक्ति आय से कम थी और वहाँ यूटिलिटियाँ अनबंडल्ड नहीं हैं
पात्रता की पूर्व शर्तें
|
विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्यों की युटिलिटियाँ
|
विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ विद्युत विभाग
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ और विद्युत विभाग के अलावा अन्य
|
|
क |
राज्य विद्युत विनियामक आयोग (एसईआरसी) का प्रचालन: पिछले वर्ष के लिए विद्युत अधिनियम, 200३ की धारा 62 के अनुसार टैरिफ आदेश जारी करने क लिए एसईआरसी का गठन और टैरिफ याचिका, यदि कोई हो, के आधार पर चालू वर्ष के लिए टैरिफ जारी करना| |
√ |
х |
√ |
ख |
कारोबार योजना तैयार करना: वित्तीय कारोबार और/या स्थायी लाभकारिता के सम्बन्ध में पांच वर्ष की अवधि के लिए विस्तृत कारोबार योजना प्रस्तुत करना, जिसमें अभिनिर्धारित तरीकों के अनुसार वित्तीय लक्ष्य, ऐसे मामले में राज्य सरकार द्वारा कारोबार योजना का अनुमोदन, यदि कारोबार योजना में राज्य सरकार का सहयोग लेने पर विचार किया गया हो और एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा कारोबार योजना में निवेश के अनुमोदन का उल्लेख किया गया हो| |
√ |
√ |
√ |
|
|
विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्यों की युटिलिटियाँ
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ विद्युत विभाग
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ और विद्युत विभाग के अलावा अन्य
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ग |
राज्य विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 131 के अनुसार राज्य बिजली बोर्डों का पुनर्गठन: नए गठित यूटिलिटियों के लिए आरंभिक शेष का तुलन पत्र तैयार करना, अंतरण योजना की अधिसूचना, विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण कार्यों के लिए कम्पनियों का गठन करना और नई गठित यूटिलिटियों द्वारा प्रचालन शुरू करना| |
√ |
х |
х |
घ |
सब्सिडी: विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 62 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करना| |
√ |
√ |
√ |
ड. |
लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत करना |
√ |
х |
√ |
च |
टैरिफ याचिका समय पर दाखिल करना |
√ |
х |
√ |
केन्द्रीय विद्युत विनियामक आयोग द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार
क) विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 65 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी जारी करने के लिए दी गई लिखित प्रतिबद्धता को पात्रता सुनिश्चित करने के लिए ग्राह्य किया जायेगा| राष्ट्रीय विद्युत निधि के अधीन जिस वर्ष यूटिलिटी द्वारा वित्तीय सहायता मांगी गई है, उस चालू वर्ष की सब्सिडी के मामले में यदि प्रतिबद्धता के अनुसार राज्य सरकार द्वारा यह निधि जारी नहीं की गई है तो इस योजना के अधीन ब्याज दर की सब्सिडी तत्काल वापस ले ली जाएगी|
ख) यदि कोई यूटिलिटी चालू वित्त वर्ष के 30 सितम्बर से पहले वित्तीय सहायता चाहता है तो उसे चालू वित्त वर्ष से पूर्ववर्ती वर्ष में यूटिलिटी द्वारा लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत करने होंगे| यदि राष्ट्रीय विद्युत निधि के अधीन वित्तीय सहायता चालू वित्त वर्ष के 01 अक्तूबर को या उसके बाद मांगी गई हो तो पूर्ववर्ती वित्तीय वर्ष के लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत करने होंगे|
२. सुधारात्मक उपायों के आधार पर अंक देने का मापदंड
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्यों की युटिलिटियाँ
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ विद्युत विभाग
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विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ और विद्युत विभाग के अलावा अन्य
|
क़ |
कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में कमी: (कुल तकनीकी और वाणिज्यिकों क्षतियों के सम्बन्ध में अंक आनुपातिक रूप से दिए जाएँगे अर्थात् यदि कुल तकनीकी और वाणिज्यिकों क्षतियों में कमी के सम्बन्ध में दी गई प्रतिशतता से कम 6% से कम रही हो तो कोई अंक नहीं दिया जायेगा| कुल तकनीकी और वाणिज्यिकों क्षतियों 8% प्राप्त करने पर उस यूटिलिटी से अपेक्षा की जाएगी कि वह अधिकतम अंक प्राप्त करने के लिए उस प्रतिशतता को बनाए रखेगा|
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-पिछले वर्ष में 10% तक कमी (50 अंक)
- पिछले वर्ष में 8% तक कमी (40 अंक)
- पिछले वर्ष में 6% तक कमी (30 अंक)
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-पिछले वर्ष में 10% तक कमी (75 अंक)
- पिछले वर्ष में 8% तक कमी (60 अंक)
- पिछले वर्ष में 6% तक कमी (45 अंक)
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-पिछले वर्ष में 10% तक कमी (75 अंक
- पिछले वर्ष में 8% तक कमी (60 अंक)
- पिछले वर्ष में 6% तक कमी (45 अंक)
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ख |
अंतर में (रूपये/केडब्ल्यूएच) (एसीएस प्राप्त सब्सिडी के आधार पर औसत राजस्व) (यदि अंतर में कमी के लिए निर्धारित प्रतिशतता से कम उपलब्धि होती है तो आनुपातिक रूप से अंकों में कटौती की जाएगी|यदि पिछले वर्ष में 15% से कम अंतर में कमी होती है तो कोई अंक नहीं दिया जायेगा)| |
-औसत राजस्व >एसीएस (40 अंक)
-पिछले वर्ष में 25% तक अंतर कमी (30 अंक)
- पिछले वर्ष में 20% तक अंतर कमी (20 अंक)
- पिछले वर्ष में 15% तक अंतर कमी (10 अंक)
|
-औसत राजस्व >एसीएस (25 अंक)
- पिछले वर्ष में 25% तक अंतर कमी (20 अंक)
- पिछले वर्ष में 20% तक अंतर कमी (15 अंक)
- पिछले वर्ष में 15% तक अंतर कमी (10 अंक)
|
-औसत राजस्व >एसीएस (25 अंक) - पिछले वर्ष में 25% तक अंतर कमी (15 अंक) - पिछले वर्ष में 15% तक अंतर कमी (10 अंक)
|
ग |
इक्विटी पर परिलब्धि राष्ट्रीय टैरिफ निति के अनुसार एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा इक्विटी पर वापसी में छूट |
5 अंक |
दंड का प्रावधान |
दंड का प्रावधान |
घ |
बहुवर्षीय टैरिफ एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा बहुवर्षीय टैरिफ सम्बन्धी अधिसूचना जारी करना| |
5 अंक |
दंड का प्रावधान |
दंड का प्रावधान |
टिप्पणी:
i) उपयुर्क्त 2(क) के अनुसार कुल कुल तकनीकी और वाणिज्यिक हानियों में कमी का मूल्याकंन करने के लिए, इसके तौर-तरीकों को संचालन समिति द्वारा तय किया जायेगा|
ii) उपयुर्क्त 2(ख) के अनुसार अंतर में कमी का मूल्याकंन उस वित्त वर्ष से पूर्ववर्ती दो वित्त वर्षों के लेखापरीक्षित वार्षिक खातों के आधार पर किया जायेगा, जिस वर्ष मूल्याकंन किया जाता है| इसमें ऐसे विविध विभाग शामिल नहीं होंगे जिनका मूल्याकंन योजना आयोग की संसाधन योजना के आधार पर किया जाता है|
उपयुर्क्त 2(ग) के अनुसार इक्विटी पर वापसी और 2(घ) के अनुसार बहुवर्षीय टैरिफ का मूल्यांकन यूटिलिटियों/विद्युत विभागों द्वारा प्रस्तुत ऐसी सूचना के आधार पर किया जायेगा, जिसे एसईआरसी के संगत आदेश की pramnप्रमाणित प्रतियों सहित यथा अपेक्षित तरीके से विधिवत प्रमाणित किया गया हो|
३.(क) विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों से भिन्न राज्यों की युटिलिटियों का वर्गीकरण उपर्युक्त 2 के अनुसार पर निकाले गए समेकित अंकों के आधार पर किया जायेगा| इन युतिलिटियों को सब्सिडी की ब्याज दर के लिए श्रेणी और पात्रता इस प्रकार तय की जाएगी|
श्रेणी |
अंक (100 में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
75 से अधिक या उसके के बराबर |
5 |
श्रेणी ख |
75 से कम लेकिन 60 से अधिक या उसके बराबर |
4 |
श्रेणी ग |
50 से कम लेकिन 35 से अधिक या उसके बराबर |
3 |
ख) विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ/ विद्युत विभागों का श्रेणीकरण:
उपर्युक्त मापदंडों के आधार पर प्राप्त समेकित अंकों के आधार पर नीचे दिए अनुसार युतिलिटियों को ब्याज दर में सब्सिडी के लिए श्रेणीबद्ध और पात्र समझा जायेगा:
(31मार्च, 2014 तक)
श्रेणी |
अंक (100 में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
60 से अधिक या उसके बराबर |
7 |
श्रेणी ख |
60से कम लेकिन 40 से अधिक या उसके बराबर |
6 |
श्रेणी ग |
40 से कम लेकिन 30 से अधिक या उसके बराबर |
5 |
3अप्रैल, 2014 से आगे:
श्रेणी |
अंक (100 में से) |
ब्याज दर में सब्सिडी (%) |
श्रेणी क |
75 से अधिक या उसके बराबर |
7 |
श्रेणी ख |
75 से कम लेकिन 50 से अधिक या उसके बराबर |
6 |
श्रेणी ग |
50 से कम लेकिन 35 से अधिक या उसके बराबर |
5 |
४.दंड
विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों की युटिलिटियाँ द्वारा उपर्युक्त 2 (ग) और 2 (घ) में उल्लिखित मापदंड का 31 मार्च 2014 तक अनुपालन किया जाना चाहिए| 31 मार्च 2014 तक मापदंड को पूरा नहीं किया जाता है तो इन मापदंड को पूरा करने तक निम्नलिखित दंड लगाया जायेगा:
एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा बहुवर्षीय टैरिफ सम्बन्धी अधिसूचना जारी करना| |
0.25% की ब्याज सब्सिडी को वापस लेना |
राष्ट्रीय टैरिफ निति के अनुसार एसईआरसी/जेईआरसी द्वारा इक्विटी पर वापसी प्रदान करना| |
0.25% की ब्याज सब्सिडी को वापस लेना |
उपर्युक्त 0.25% का दंड लागू सब्सिडी से काटा जायेगा न कि लागू सब्सिडी के 0.25% से| |
(क) यदि उपर्युक्त पैरा 1 अनुसार पूर्व शर्तों का पालन नहीं किया जाता है तो यूटिलिटी/विद्युत विभाग राष्ट्रीय विद्युत निधि के पात्र नहीं होंगे|
(ख) उनकी गतिविधियों को वार्षिक आधार पर मोनिटरिंग किया जायेगा और तदनुसार ब्याज दर की सब्सिडी का हिसाब लगाया जायेगा| इसके अलावा, ब्याज दर में सब्सिडी केवल निम्नलिखित स्थितियों में लागू होगी:
- यूटिलिटी/विद्युत विभागों द्वारा समय पर अदायगी करना|
- युटिलिटियों द्वारा चालू वित्त वर्ष से पूर्ववर्ती वित्त वर्ष के लेखापरीक्षित वार्षिक खाते प्रस्तुत करना (लेकिन ये खाते विद्युत विभाग द्वारा प्रस्तुत नहीं किये जायेंगे), जिसमें मुल्यांकन किया जाता है|
- विद्युत अधिनियम, 2003 की धरा 65 के अनुसार राज्य सरकार द्वारा वित्त वर्ष से पूर्ववत्ती वर्ष के लिए जारी की जा चुकी हो, जिसमें मूल्याकंन किया जाता है|
- एसईआरसी को एआरआर दाखिल करने समय यूटिलिटी द्वारा ब्याज सब्सिडी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जायेगा ताकि उसका लाभ उपभोक्ताओं को दिया जा सके|
- विशेष श्रेणी और केन्द्रित राज्यों के बिजली बोर्डों का इस योजना के प्रचालन के तीन वर्ष के अंदर विद्युत अधिनयम की धारा 131 के अनुसार पुनर्गठन हो जाना चाहिए|
राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के माध्यम से वितरण क्षेत्र के लिए वित्तपोषण किये जाने वाली पात्र वितरण योजनाओं का विवरण
1.33 केवी/66 की वोल्टता स्तर की वितरण योजनाओं को निम्नलिखित में शामिल किया जा सकता है:
२. प्रतियोगी बोली के माध्यम से चुने गए संभावित इनपुट आधारित फ्रैचाइजी और डीडीजी योजना को इस योजना के अधीन प्रोत्साहित किया जायेगा| इन फ्रैचाइजी से अपेक्षा की जाती है कि वे अनुरक्षण, उठाईगिरी और चोरी निवारण, राजस्व वसूली, उर्जा लेखाकरण और लेखापरीक्षा आदि जैसे विभिन्न तकनीकी और वाणिज्यिक सुधारों को करें| इसके अलावा, फ्रैचाइजी इस सिस्टम में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक क्षतियों को कम करने में भी योगदान देंगें|
3. इन कस्बों का करी आर—एपीडीआरपी में किये गए कार्य की भांति होना चाहिए| इस योजना के अधीन आने वाली इन परियोजनाओं की लेखाकरण और लेखापरीक्षा प्रणाली राज्य यूटिलिटी के आईटी रोड मैप के अनुसार होनी चाहिए और आर—एपीडीआरपी के अधीन स्थापित आईटी प्रणाली से आसानी से इंटीग्रेट हो पाये| इस योजना के अधीन प्रस्तावित आईटी प्रणाली को राज्य यूटिलिटी के आईटी परामर्शदाता/आईटी प्रभाग द्वारा स्वीकृति दी जानी चाहिए|
4. आर—एपीडीआरपी के अंतर्गत नही आने वाले शहरों के लिए वितरण सुदृढ़ीकरण योजना को इस योजना के अधीन लाया जा सकता है अर्थात ऐसे शहरों और नगरों को, जिनमें 15% से कम कुल तकनीकी और वाणिज्यिक क्षतियाँ हों|
5. मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (विद्युत/उर्जा) की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर वितरण सुधार समितियां इन परियोजनाओं के प्रस्तावों की सिफारिश करेंगे|
6. संचालन समिति के अनुमोदन से कोई अन्य वितरण योजना|
नोडल एंजेसी, उधारदाता, स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ताओं, उधारकर्ता और संचालन समिति की भूमिका और परिभाषा
(क) नोडल एंजेंसी
(ख) उधारदाता:
(ग) स्वतंत्र मुल्यांकनकर्ता
(घ) ‘उधारकर्ता’ से तात्पर्य है राज्य विद्युत यूटिलिटी/राज्य विद्युत विभाग और वितरण कम्पनियां (डिस्कॉम), जिनमें सरकारी और प्राइवेट दोनों डिस्कॉम तथा फ्रैचाइजी शामिल हैं| निर्धारित शर्तों का पालन करते हुए, उधारकर्ता इस सब्सिडी का लाभार्थी होगा|
(ङ) ‘संचालन समिति: इस योजना की संचालन समिति का अध्यक्ष सचिव (विद्युत)/विशेष सचिव (विद्युत) अपर सचिव (विद्युत) होंगे और इसमें योजना आयोग, व्यय विभाग, आर्थिक कार्य विभाग, वित्तीय सेवा विभाग, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण और बीईई के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे| संचालन समिति अनुबंध –III में उल्लिखित सूची में दी गई राष्ट्रीय विद्युत निधि योजना के अधीन पात्र प्रस्तावों को स्वीकृति देगी| पात्रता की पूर्व शर्तें संचालन समिति की अनुमति/अनुमोदन से बदली जा सकती हैं ताकि इस योजना के प्रचालन में आने वाली कठिनाइयों का दूर किया जा सके
फ्लो चार्ट: राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी) योजना
कार्यालय ज्ञापन
आर्थिक कार्य सम्बन्धी मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने दिनांक 13/12/2011 को आयोजित अपनी बैठक में राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) (ब्याज सब्सिडी योजना) के गठन के प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है ताकि सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र दोनों की राज्य विधुत यूटिलिटियों, वितरण कम्पनियों (डिस्कॉम) को प्राइवेट और सरकारी वित्तीय संस्थाओं से लिए गए ऋण पर ब्याज सब्सिडी दी जा सके जिससे वितरण क्षेत्र के आधारभूत ढांचे में सुधार हो सके|
२. राष्ट्रीय विद्युत निधि (एनईएफ) के लिए एक संचालन समिति का गठन किया जा रहा है जिसका स्वरुप इस प्रकार होगा:
I. सचिव (विद्युत)/विशेष सचिव (विद्युत) अपर सचिव (विद्युत)- अध्यक्ष
२. अध्यक्ष, केन्द्रीय विद्युत प्राधिकरण
3. प्रधान सलाहकार (उर्जा, योजना आयोग)
4. संयुक्त सचिव, वित्त मंत्रालय (व्यय विभाग)
5. संयुक्त सचिव, वित्त मंत्रालय (आर्थिक कार्य विभाग)
6. संयुक्त सचिव, वित्त मंत्रालय (वित्तीय सेवा विभाग)
7. अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, रूरल इलेक्ट्रीफिकेशन कारपोरेशन –सदस्य –सचिव
8. सचिव (उर्जा), उत्तर प्रदेश सरकार
9. सचिव (उर्जा), महाराष्ट्र सरकार
10. प्रधान सचिव (उर्जा), आन्ध्र प्रदेश सरकार
11. प्रधान सचिव (उर्जा), पश्चिम बंगाल सरकार
12. संयुक्त सचिव एवं वित्त सलाहकार, विद्युत मंत्रालय
13. संयुक्त सचिव (वितरण), विद्युत मंत्रालय
14. निदेशक (वितरण), विद्युत मंत्रालय
(क) योजना के प्रचालन के दिशानिर्देशों को अंतिम रूप देना
(ख) अनुबध-1 में दी गई सांकेतिक सूची में उल्लिखित राष्ट्रीय विद्युत निधि योजना के अधीन पात्र प्रस्तावों को मंजूरी देना|
(ग) इस योजना के प्रचालन में आने वाली किसी कठिनाई को दूर करने के लिए पात्रता की पूर्व शर्ते में आशोधन करने पर विचार करना\
(घ) निधियों के उपयोग की प्रगति को मोनिटरिंग करना
(ङ) इस योजना के कार्यान्वयन के लिए सभी अन्य आवश्यक निर्णय भी लेना|
(जी.स्वान जा लियन)
राष्ट्रीय विद्युत निधि (ब्याज सब्सिडी योजना) के माध्यम से वितरण क्षेत्र के लिए वित्तपोषण किये जाने वाली पात्र वितरण योजनाओं का विवरण
1.33 केवी/66 की वोल्टता स्तर की वितरण योजनाओं को निम्नलिखित में शामिल किया जा सकता है:
२. प्रतियोगी बोली के माध्यम से चुने गए संभावित इनपुट आधारित फ्रैचाइजी और डीडीजी योजना को इस योजना के अधीन प्रोत्साहित किया जायेगा| इन फ्रैचाइजी से अपेक्षा की जाती है कि वे अनुरक्षण, उठाईगिरी और चोरी निवारण, राजस्व वसूली, उर्जा लेखाकरण और लेखापरीक्षा आदि जैसे विभिन्न तकनीकी और वाणिज्यिक सुधारों को करें| इसके अलावा, फ्रैचाइजी इस सिस्टम में कुल तकनीकी और वाणिज्यिक क्षतियों को कम करने में भी योगदान देंगें|
3. इन शहरों का कार्य आर—एपीडीआरपी में किये गए कार्य की भांति होना चाहिए| इस योजना के अधीन आने वाली इन परियोजनाओं की लेखाकरण और लेखापरीक्षा प्रणाली राज्य यूटिलिटी के आईटी रोड मैप के अनुसार होनी चाहिए और आर—एपीडीआरपी के अधीन स्थापित आईटी प्रणाली से आसानी से इंटीग्रेट हो पाये| इस योजना के अधीन प्रस्तावित आईटी प्रणाली को राज्य यूटिलिटी के आईटी परामर्शदाता/आईटी प्रभाग द्वारा स्वीकृति दी जानी चाहिए|
4. आर—एपीडीआरपी के अंतर्गत नही आने वाले शहरों के लिए वितरण सुदृढ़ीकरण योजना को इस योजना के अधीन लाया जा सकता है अर्थात ऐसे शहरों और नगरों को, जिनमें 15% से कम कुल तकनीकी और वाणिज्यिक क्षतियाँ हों|
5. मुख्य सचिव/प्रधान सचिव/सचिव (विद्युत/उर्जा) की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर वितरण सुधार समितियां इन परियोजनाओं के प्रस्तावों की सिफारिश करेंगे|
6. कोई अन्य वितरण योजना संचालन समिति के अनुमोदन से जारी की जाएगी|
(i) क्षति कम करने के उपाय जिनका उद्देश्य वितरण तंत्र में तकनीकी और वाणिज्यिक क्षतियों को कम करना है|
(ii) प्रणाली के उच्चीकरण और सुदृढ़ीकरण का उद्देश्य वितरण की समग्र क्षमता को बढ़ाना है ताकि बिजली की भावी मांग को पूरा किया जा सके|
(iii) प्रचालन सम्बन्धी दक्षता बढ़ाना
(iv) उपभोक्ता सम्बन्ध/प्रबंधन/शिकायत निवारण
स्रोत:- विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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