बीसवीं सदी के अंत में महिलाओं की औसत जीवन क्षमता 55 वर्ष थी| इस तरह तब महिला की रजोनिवृत्ति जीवन के अंतिम वर्षों में होती थी| पर आज महिलाओं की जीवन क्षमता 80 वर्ष है| महिलाओं के लिए यह सचमुच खुश होने की बात है| रजोनिवृत्ति प्रजनन शक्ति का अंत मात्र है, जीवन या सक्रियता का अंत नहीं| आप रजोनिवृत्ति पर नए जीवन की शूरूआत कर सकती हैं और अपनी नई मिली आजादी के साथ (यानी आपका परिवार बस चुका होता है, और माहवारी, गर्भधारण आदि का कोई झंझट नहीं रहता) आप बाद के तीस वर्ष आराम से बिता सकती हैं| इस स्वभाविक घटना कों सकारात्मक रूप में लेना और जीवन के प्रजननहीन वर्षों को जीवन के सबसे सशक्त और रचनात्मक वर्ष बनाना आप पर निर्भर करता है| रजोनिवृत्ति के बाद किस तरह आप एक स्वस्थ्य और रोग – मुक्त जीवन बिता सकती हैं?
जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का मतलब है कि आप रजोनिवृत्ति को अपने जीवन के मध्य काल की एक स्वाभाविक घटना के रूप में स्वीकार करें| जहाँ तक संभव हो स्वाभविक रूप में, या अपने डॉक्टर की मदद से रजोनिवृत्ति के लक्षणों से दृढ निश्चय के साथ निबटें| रजोनिवृत्ति के समय तक आपका परिवार बस चुका होता है, आपको हर महीने अपनी माहवारी की तारीख याद रखने की जरूरत नहीं होती, यानी माहवारी का कोई झंझट नहीं होता तो इस तरह से आपको बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने और अपनी इच्छा से कार्य करने के लिए एक नई आजादी मिलती है|
रजोनिवृत्ति के आरंभ में अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ के साथ गहराई और विस्तार से विचार – विमर्श करें| पूर्ण रोग वैज्ञानिक जाँच और आपके डॉक्टर द्वारा दिए गए आवश्यक सुझावों से आपको काफी मदद मिलेगी| कभी-कभी अपने डॉक्टर के साथ अपने रोग के लक्षणों और समस्याओं पर बातचीत करने मात्र से आप मानसिक रूप से राहत महसूस करेंगी| इस परिवर्तनकारी दौर में आपको ऐसे मित्र की जरूरत होती है जिससे आप अपने मन की बात कह सकें और उचित जानकारी व सुझाव प्राप्त कर सकें | इसलिए एक मैत्रीपूर्ण डॉक्टर ढूंढें|
अपनी जीवन शैली अपनाएं| स्वस्थ जीवन शैली का स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है| वजन को नियंत्रण में रखना और तनावों को वश में करना – ये जीवन शैली के दो अतिरिक्त पहलू हैं जो अच्छे स्वास्थ्य में योगदान करते हैं|
कोई भी एक भोजन ऐसा नहीं है जिसमें सभी स्वास्थयवर्द्धक गुण मौजूद हों| सन्तुलित आहार ही सही रूप से संयोजित भोजन होता है जो आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है| एक सेब रोज खा कर आप डॉक्टर के पास जाने से बच नहीं सकते है, या ही सुबह 10 आंवले खा कर आप अपने याददाश्त नहीं बढ़ा सकते|
अविकसित देशों में जहाँ भोजन की कमी और जनसंख्या – विस्फोट सामान्यत: देखने को मिलता है, प्रमुख स्वास्थ्य संबंधी खतरा भोजन में मिलावट का होता है| इससे बचें|
सन्तुलित आहार में भी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद रहते हैं, जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, मिनरल और पानी| रजोनिवृत्ति के तत्काल पूर्व और बाद की अवस्था में महिलाओं को अन्य पोषक तत्वों के साथ- साथ अनेक प्रकार के निम्न वसायुक्त, दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ लेने चाहिए ताकि उनकी दैनिक कैलशियम संबंधी जरूरतें पूरी हो सकें|
हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका को ऊतकों की मरम्मत करने और नए ऊतक बनाने के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है|
कार्बोहाइड्रेट हमारे शारीर के लिए सबसे सस्ता और बना- बनाया ईंधन होते हैं जो हमें कार्य करने के लिए ऊर्जा व शक्ति प्रदान करते हैं| हमारे शरीर के मस्तिष्क, हृदय और लीवर जैसे महत्वपूर्ण अंगों को उचित प्रकार से कम करने के लिए ग्लूकोज की जरूरत होती है|
स्वास्थ्य के लिए खाद्य
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खाद्य समूह |
न्यूनतम परिणाम प्रतिदिन |
कुल अंक |
आपके अंक |
स्वास्थ्यवर्द्धक गुण |
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शाकाहारी |
मांसाहारी |
1. सर्वोत्तम प्रोटीन, विटामिन बी व लोहा 2 सर्वोत्तम प्रोटीन, कॉलेस्ट्राल, विटामिन ए बी, लोहा, विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत 3 उच्च किस्म की प्रोटीन कैल्शियम, रिबोफ्लेविन, थोड़ा लोहा 4. कैलोरी, द्वितीय श्रेणी प्रोटीन, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स 5. कैलोरी व विटामिन बी अगर विशुद्ध न हो 6. विटामिन ए, बी,व सी, रफेज, थोड़ी कैलोरी व लोहा 7. कैलोरी, कुछ प्रोटीन विटामिन बी सी और लोहा 8. कुछ कैलोरी, विटामिन सी, रफेज 9. कैलोरी, पशु वसा- मक्खन, घी, विटामिन, ए,डी,ई, के वनस्पति वसा जैसे तेल, जरूरी वसा अम्ल
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1 |
मीट, मछली, मुर्गा |
3 औंस |
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15 |
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2 |
अंडा |
एक प्रतिदिन |
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10 |
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3 |
दूध |
मांसाहारी: 1 गिलास (8 औंस ) शाकाहारी 1:1-1/2 से 2 गिलास (12 से 16 औंस) |
20 |
15 |
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4 |
अन्न |
शाकाहारी 14 औंस |
15 |
10 |
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5 |
दाल |
3 औंस |
15 |
10 |
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6 |
पत्तेदार और पीली हरी सब्जियाँ |
4 औंस |
10 |
10 |
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7 |
आलू, अन्य सब्जियाँ व मटर |
4 औंस |
10 |
10 |
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8 |
फल |
1 फल प्रतिदिन (संतरा, केला, नाशपाती) |
10 |
10 |
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9 |
खाना पकाने का वसा व मक्खन |
4 चाय चम्मच (2 औंस) |
10 |
10 |
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10 |
पानी |
8 से 10 गिलास |
10 |
10 |
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वसाएं शरीर का आरक्षित ईंधन होती हैं| वे बचत बैंक खाते की तरह होती हैं| वसाएं सबसे खर्चीला और ठोस आहार हैं जिनसे प्रोटीन या कार्बोहाइड्रेट की तुलना में 2 (गुना अधिक कैलोरियाँ प्राप्त होती हैं| मक्खन और घी जैसी पशु वसाओं में विटामिन ए,डी,ई, और के होता है, जबकि वेजिटेबल तेलों में विटामिन ए और डी. नहीं होते| वसाओं में आवश्यक चर्बीयुक्त एसिड भी होते हैं जो शरीरिक विकास और पोषण के लिए जरूरी हैं| वेजिटेबल तेलों में आवश्यक वसायुक्त एसिड प्रचुर मात्रा में मिलते हैं,जबकि घी, मक्खन और पशु वसाओं में आवश्यक वसायुक्त एसिड कम होते हैं| इसलिए सन्तुलित पोषण के लिए यह जरूरी है कि हम कुछ कैलोरियाँ वेजिटेबल तेलों से भी प्राप्त करें|
विटामिन जीवन के लिए आवश्यक तत्व है| प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट के विपरीत विटामिन न तो ऊर्जा प्रदान करते हैं और न ही वे ऊतकों का निर्माण करने में सहायक होते हैं| वे शरीर के विभिन्न कार्यों के नियमनकर्त्ता हैं और पोषक तत्वों का उपयोग करने में शरीर की सहायता करते हैं| सन्तुलित खुराक में विटामिन बी- कॉमप्लेक्स ( यानी बी समूह के विभिन्न विटामिन), विटामिन सी, ए, डी, ई, और के मिलते हैं| यदि आप प्रतिदिन सन्तुलित आहार नहीं लेती तो आप विटामिन पूरक (सप्लीमेंट) ले सकती हैं| रजोनिवृत्ति के बाद कुछ महिलाओं में विटामिन ई लेने से उत्तापन (हाट फ्लश) और पांव की मरोड़ आदि में कमी आती है|
विटामिन की तरह मिनरल्स भी कोई कैलोरी प्रदान नहीं करते| पर वे (क) शरीर के ऊतकों के विकास और मरम्मत के लिए और (ख) शरीर के विभिन्न कार्यों के नियमन के लिए आवश्यक होते हैं| मिनरल्स में आयरन कैलशियम, फास्फोरस, आयोडीन, सोडियम और पोटाशियमशामिल हैं|
आयरन हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओ के निर्माण केलिए आवश्यक है| आयरन की कमी से अनीमिया (रक्ताल्पता) हो सकता है जो कि विकासशील देशों में बहुत ही सामान्य है|
मजबूत हड्डियों और दांतों के लिए कैल्शियम आवश्यक है| इसके अलावा रक्त का क्लाट (थक्का) बनाने के लिए भी यह आवश्यक है| कैल्शियम शरीर में विभिन्न मांसपेशियों के संकूचन में भी मदद करता है| कैल्शियम के बिना हमारी मांसपेशियां अतिसंवेदनशील हो जाती हैं| यदि आपकी खुराक में दुग्ध उत्पाद शामिल नहीं है तो कैल्शियम की गोलियां लें जिनमें विटामिन दी और सी भी शामिल हो क्योंकी ये विटामिन हड्डियों को बनाने के लिए आवश्यक है|
कितना कैलशियम लें |
आयु 25 से 50 वर्ष 100 मिग्रा./ प्रतिदिन |
आयु 50 से 60 वर्ष 1500 मिग्रा./ प्रतिदिन |
हार्मोन थेरेपी के मामले में 1,000 मिग्रा./प्रतिदिन |
पोषक तत्वों के अलावा हमें पानी और ऑक्सीजन की जरूरत भी होती है| हमारे शरीर की सभी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं में जैसे कि पाचन, संचरण और मल- विसर्जन – में पानी की जरूरत होती है| हमारे शरीर के ताप- नियमन में भी पानी की भूमिका होती है| पानी कैलोरी- मुक्त होता है, इसलिए हम भी को हर दिन 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए|
1. भोजन करते समय प्रसन्न और तनावमुक्त रहें| इससे अओके पाचन में सुधार होगा| अच्छे स्वास्थ्य के लिए भोजन के समय हमारी मानसिक स्थिति उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी कि हमारा भोजन|
2. प्रतिदिन सभी खाद्य समूहों में से एक चीज को शामिल करके सन्तुलित आहार खाएँ|
3. नियमित अन्तराल के बाद भोजन करें| एक बार में भारी भोजन करके पेट पर अतिरिक्त भर डालना और फिर अगली बार भोजन न करना गलत है|
4. भोजन को स्वच्छतापूर्ण से ढंग से पकाएं और आकर्षक ढंग से परोसें|
धूम्र बीमारी और अकाल मृत्यु का अकेला सबसे बड़ा कारण है जिसे रोका जा सकता है| धूम्रपान अस्थि – भंग को खतरे को दोगुना कर देता है| अध्ययनों से पता चला है कि जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उनकी अस्थि – सघनता एस्ट्रोजन बनने में कमी आने करण अधिक निम्न हो जाती है|
लम्बे समय तक शराब का सेवन अस्थि – द्रव्यमान को घटा देता है और अस्थि भंग के खतरे को बढ़ाता है| किन्तु अल्प मात्रा में मदिरा का सेवन करना यानी एक या दो ड्रिंक्स प्रति दिन लेना हानिकर प्रतीत नहीं होता|
नियमित ह्ल्का वजन उठाने वाला व्यायाम अच्छा रहता हैं क्योंकि इससे हड्डियों को, और साथ ही शरीर के लगभग सभी अंगों को लाभ मिलता ई| व्यायाम से पेशियों की शक्ति, समन्वयन और लचकीलेपन में वृद्धि होती है| व्यायाम वृद्धि लोगों सहित सामान्यत: सभी आयु-समूह के लोगों के लिए लाभदायक होता है| इससे शरीर चुस्त-दुरूस्त रहता है और गिरने व हड्डी टूटने की संभावना कम हो सकती है|
कौन – सा विशेष व्यायाम आपको लाभ पहूंचायेगा?
आप तेज पैदल चलने, साइकल चलाने, तैरने जैसे व्यायामों से शूरूआत कर सकती हैं| योग और ध्यान लगाना (मेडिटेशन) शारीरिक और मानसिक तंदुरूस्ती के लिए लाभकारी होता है|
योनि की पेशियों को सिकोड़ने वाली कसरत (केगेल्स) – याद हैं आपको अपने प्रजनन आयु के दिनों की यह कसरत? जिसे घर में, हर रेड लाईट पर करने को कहा जाता था| अब वही केगेल्स करने के दिन लौट आए हैं| इससे योनि को सहारा देने वाली पेशियाँ मजबूत और स्वस्थ बनती हैं| साथ ही इससे मूत्रत्याग करने में असंयम को ठीक करने में भी मदद मिलती है|
व्यायाम के साथ जब आप शरीरिक और मानसिक स्वस्थता के स्थिति में पंहुचती हैं तभी आपको महसूस होता है कि यह अनुभव कितना अच्छा रहा| जितना अधिक आप यह व्यायाम करेंगी उतनी ही शांत और तनावहीन, उतनी ही जीवंत और युवा महसूस करेंगी अपने आप को| इसलिए अपनी यह कसरत आज ही शुरू कर दें और शीघ्र ही अपने यौवन पूर्ण जोश से अपने जीवन साथी को चकित कर दें|
रजोनिवृत्ति के बाद की आवधि में महिलाओं को योनि की क्षीणता और सूखेपन की वजह से संभोग करते समय दर्द होता है इससे यौन जीवन में दिलचस्पी भी कम हो सकती है| शुरू में आप योनि के रूखेपन को दूर करने के लिए योनि स्नेह्कों (लूब्रिकेंट्स) का उपयोग करें|
यौन कार्य को जारी रखने से महिला योनि क्षीणता से बच सकती है, संभोग के समय दर्द में कमी आ सकती है और उसकी यौन रुचि जीवित रह सकती है| जीवन के उत्तरार्ध में यौन रूप से सक्रिय रहना ही योनि को स्वस्थ रखने की कूंजी है| इसके अलावा, प्रेम में संलग्न रहना जीवन में अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है|
खूब सारा पानी और हर्बल चाय पी कर थर्मोस्टेट (थापस्थाई) की छुट्टी कर दें| हल्की खुराक लें और अधिक बार लें और कल्पना करें कि ताप कुंडलिनी ऊर्जा की तरह आपके मेरुदंड में जीवनी शक्ति की भांति ऊपर चढ़ रहा है|
अक्सर तैरना या तब में स्नान करना अच्छा रहता है|
स्रोत : वॉलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इन्डिया
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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