ऑटोमेटेड टेलर मशीन एक कंप्यूटरीकृत मशीन है जो कि बैंक के ग्राहकों को बैंक शाखा जाने की जरूरत के बिना ही नकदी निकालने एवं अन्य वित्तीय और गैर वित्तीय लेनदेन के लिए अपने खाते तक पहुँचने की सुविधा प्रदान करती है।
गैर बैंकों द्वारा स्थापित, उनके स्वामित्व वाले एवं उनके द्वारा परिचालित किए जाने वाले एटीएम को व्हाइट लेबल एटीएम कहा जाता है। गैर-बैंक एटीएम परिचालक भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिकृत होते हैं।
i) व्हाइट लेबल एटीएम परिदृश्य में, एटीएम मशीन और एटीएम परिसर में प्रदर्शित किया जाने वाला लोगो बैंक की जगह डबल्यूएलए परिचालक का होगा। तथापि, ग्राहक के लिए, डबल्यूएलए का प्रयोग करना किसी अन्य बैंक के एटीएम (कार्ड जारी करने वाले बैंक से इतर) के उपयोग करने की तरह ही होगा।
ii) वर्तमान में डबल्यूएलए में नकदी जमा को स्वीकार करने की अनुमति नहीं है।
गैर–बैंक संस्थाओं को डबल्यूएलए की स्थापना करने की अनुमति देने के पीछे कारण था कि बढ़ी हुई /विस्तृत ग्राहक सेवा के लिए एटीएम के भौगोलिक विस्तार को बढ़ाया जाए।
बैंकों द्वारा जारी किए गए एटीएम/एटीएम कम डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और ओपेन प्रीपेड कार्ड (जिनमें नकद आहरण की अनुमति है) विभिन्न लेनदेनों के लिए एटीएम/डबल्यूएलए में उपयोग किए जा सकते हैं।
नकदी निकालने के साथ-साथ एटीएम/डबल्यूएलए ग्राहकों को कई अन्य सेवाएं/सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। इनमें से कुछ सेवाएँ निम्नलिखित हैं:
एटीएम/डबल्यूएलए में लेनदेन के लिए, ग्राहक अपने कार्ड को एटीएम/डबल्यूएलए में प्रवेश/स्वाइप करता है और अपनी व्यक्तिगत पहचान संख्या (पिन) की प्रविष्टि करता है। समान्यतया आसान परिचालन को सुनिश्चित करने के लिए लेनदेन, विकल्प सूची के अनुसार किए जाते हैं।
पिन संख्यात्मक पासवर्ड है जिसे बैंक द्वारा ग्राहकों को कार्ड जारी करते समय अलग से भेज दिया जाता है/सुपुर्द कर दिया जाता है। अधिकतर बैंकों के ग्राहकों को प्रथम प्रयोग के बाद पिन बदलने की आवश्यकता होती है। ग्राहक को यह पिन नंबर बैंक के कर्मचारियों सहित किसी को भी नहीं बताना चाहिए। ग्राहक को नियमित अंतराल पर अपना पिन नंबर बदलते रहना चाहिए।
हाँ, बैंकों द्वारा भारत में जारी कार्डों का प्रयोग भारत में किसी भी बैंक/ व्हाइट लेबल एटीएम में किया जा सकता है।
हाँ, दिनांक 01 नवंबर 2014 से बैंक को अपने बचत खाता धारकों को निम्नलिखित अनुसार कुछ न्यूनतम मुफ्त लेनदेन अवश्य उपलब्ध कराने होंगे:
I. किसी भी स्थान में बैंक के खुद के एटीएम में लेनदेन: बैंकों को अपने बचत बैंक खाता धारकों को एक महीने में न्यूनतम पाँच लेनदेन (वित्तीय और गैर वित्तीय दोनों को मिलाकर) अवश्य मुफ्त देने चाहिए, चाहे एटीएम किसी भी स्थान में क्यों न हो।
II. मेट्रो शहरों में किसी अन्य बैंक के एटीएम पर किए जाने वाले लेनदेन: छ: मेट्रो शहरों में उदाहरणार्थ मुंबई, नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू और हैदराबाद में स्थित एटीएम के मामले में बैंकों को अपने बचत बैंक खाता धारकों को एक महीने में न्यूनतम तीन मुफ्त लेनदेन (वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेनों सहित) अवश्य प्रदान करने चाहिए।
III. गैर –मेट्रो स्थानों पर किसी अन्य बैंक के एटीएम पर लेनदेन: अन्य स्थानों पर बैंकों को बचत बैंक खाता धारकों को अन्य बैंक के एटीएम पर एक महीने में न्यूनतम पाँच मुफ्त लेनदेन (वित्तीय और गैर-वित्तीय लेनदेनों सहित) अवश्य प्रदान करने चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक ने केवल एटीएम पर मुफ्त लेनदेनों की न्यूनतम संख्या को अनिवार्य किया है। बैंक अपने ग्राहकों को और अधिक संख्या में मुफ्त लेनदेन प्रदान कर सकते हैं।
बुनियादी बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए) पर उपर्युक्त लागू नहीं होता है क्योंकि, बीएसबीडीए से किए गए आहरण इस प्रकार के खातों से संबन्धित शर्तों के अधीन होते हैं।
हाँ, ग्राहकों से एटीएम पर किए गए लेनदेन के संबंध में शुल्क लिया जा सकता है यदि वे निर्धारित मुफ्त लेनदेनों की संख्या (जैसा कि, उपर्युक्त प्रश्न संख्या 10 के उत्तर में दर्शाया गया है) से अधिक बार लेनदेन करते हैं। यदि कोई बैंक शुल्क लेने का निर्णय लेता है तो ग्राहक के बैंक द्वारा प्रति लेनदेन अधिकतम 20/- रुपये (और सेवा कर, यदि कोई हो) शुल्क के रूप में लिए जा सकते हैं।
कार्ड खोने की जानकारी होने पर ग्राहक को कार्ड जारीकर्ता बैंक से तत्काल संपर्क करना चाहिए और बैंक से कार्ड को ब्लॉक करने का अनुरोध करना चाहिए।
बैंकों से यह अपेक्षित है कि वे संबन्धित अधिकारियों के नाम व नंबर/टोल फ्री नंबर/हेल्पडेस्क नंबर एटीएम परिसर पर प्रदर्शित करें। इसी तरह से डबल्यूएलए में संबन्धित अधिकारियों के नाम व नंबर/टोल फ्री नंबर/हेल्पलाइन नंबर प्रदर्शित किए जाते हैं ताकि, किसी विफल/विवादास्पद लेनदेन के संबंध में शिकायत दर्ज कराई जा सके।
ग्राहक को यथाशीघ्र, कार्ड जारी करने वाले बैंक के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए। यह प्रक्रिया तब भी लागू होगी जब लेनदेन अन्य बैंक/गैर बैंक के एटीएम पर किया गया हो। डबल्यूएलए के मामले में उनके एटीएम पर विफल हुए लेनदेन के संबंध में शिकायत दर्ज कराने के लिए संपर्क नंबर/ टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध होते हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक के निर्देशानुसार, बैंकों द्वारा शिकायत की तारीख से 7 कार्यदिवसों के भीतर ग्राहक के खाते में राशि पुनः जमा करना अनिवार्य कर दिया गया है।
हाँ, दिनांक 1 जुलाई, 2011 से प्रभावी, बैंकों को विफल हुए एटीएम लेनदेन की शिकायत प्राप्त होने की तिथि से 7 कार्यदिवसों से अधिक विलंब होने पर ग्राहकों को रुपये 100/- प्रतिदिन के हिसाब से क्षतिपूर्ति करनी होगी। यह क्षतिपूर्ति ग्राहक द्वारा बिना किसी दावे के उसके खाते में जमा की जानी है। यदि लेनदेन के 30 दिनों के भीतर शिकायत दर्ज नहीं की गयी है तो ग्राहक अपनी शिकायत के निवारण में होने वाले विलंब हेतु क्षतिपूर्ति का हकदार नहीं होगा।
यदि ग्राहक को कार्ड जारी करने वाले बैंक द्वारा शिकायत का समाधान नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थितियों में ग्राहक स्थानीय बैंकिंग लोकपाल का सहारा ले सकता है।
डबल्यूएलए के उपयोगकर्ताओं के पास भी वैसा ही शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध है जैसा कि बैंकों के एटीएम के उपयोगकर्ताओं के विफल / विवादित लेनदेन के लिए उपलब्ध है। जबकि, इस प्रकार के डबल्यूएलए में होने वाले विफल लेनदेनों से संबंधित प्राथमिक जिम्मेदारी कार्ड जारी करने वाले बैंक की होगी, प्रायोजक बैंक इस संबंध में आवश्यक सहायता प्रदान करेगा और इस बात को सुनिश्चित करेगा कि, वाइट लेबल एटीएम ऑपरेटर (डबल्यूएलएओ) जारीकर्ता बैंक को संगत रिकॉर्ड और सूचना उपलब्ध कराए।
एटीएम कार्ड की वैधता अवधि समाप्त होने अथवा खाते के बंद होने की स्थिति में ग्राहक को कार्ड को नष्ट कर देना चाहिए। इसे फेंकने से पूर्व इसकी मैग्नेटिक स्ट्रिप/ चिप सहित कार्ड को चार हिस्सों में काट देना चाहिए।
स्त्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
अंतिम बार संशोधित : 9/26/2019
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