आर.टी.जी.एस का विस्तृत रूप वास्तविक समय सकल भुगतान है। आर.टी.जी.एस प्रणाली एक ऐसा निधि अंतरण पद्धति है जिसमें एक बैंक से दूसरे बैंक में मुद्रा का अंतरण 'वास्तविक समय' और 'सकल' आधार पर होता है। यह बैंकिंग चैनल द्वारा मुद्रा अंतरण का सबसे तेज माध्यम है। 'वास्तविक समय' में भुगतान से तात्पर्य है भुगतान संव्यवहारों के लिए प्रतीक्षा अवधि नहीं होती है। संव्यवहारों के प्रसंस्कृत होते ही उनका निपटान हो जाता है।'सकल भुगतान' से तात्पर्य हैं, संव्यवहारों का बिना किसी अन्य संव्यवहार के लिए प्रतीक्षा किए एक के लिए एक आधार पर निपटान होना। इस प्रकार भारतीय रिज़र्व बैंक की खाता बही में मुद्रा अंतरण होने पर भुगतान को अंतिम और अप्रतिसंहरणीय माना जायेगा।
ई.एफ.टी और एन.ई.एफ.टी इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण के माध्यम हैं जिनमें आस्थगित निवल भुगतान (डी.एन.एस) आधार पर परिचालन होता है और संव्यवहारों का निपटान बैचों में होता है। डी.एन.एस. में निपटान किसी विशेष समय पर होता है। उस समय तक सभी संव्यवहार स्थगित रहते है जैसे सप्ताह के दिनों में एन.ई.एफ.टी का भुगतान एक दिन में छह बार (पूर्वान्ह 9.00 बजे, 11.00 बजे, 12.00 बजे अपरान्ह 13.00 बजे, 15.00 बजे और 17.00 बजे) होता है और शनिवार को तीन बार (पूर्वान्ह 9.00 बजे, 11.00 बजे और 12.00 बजे)। निर्धारित निपटान समय के बाद शुरू किसी भी संव्यवहार को अगले निर्धारित निपटान समय तक इंतजार करना होगा। इसके विपरीत आर.टी.जी.एस में संव्यवहार पूरी आर.टी.जी.एस कार्य अवधि के दौरान लगातार होते रहते हैं।
आर.टी.जी.एस प्रणाली मूल रूप से बड़े मूल्य की राशियों के लिए है। आर.टी.जी.एस से प्रेषित की जाने वाली न्यूनतम राशि रूपये एक लाख है। आर.टी.जी.एस संव्यवहारों के लिए उच्च राशि की सीमा नहीं है। ई.एफ.टी और एन.ई.एफ.टी संव्यवहारों के लिए न्यूनतम और अधिकतम राशि निर्धारित नहीं की गई है।
साधारण परिस्थितियों में प्रेषण बैंक द्वारा निधियों का अंतरण करते ही हिताधिकारी शाखा को वास्तविक समय पर ही निधियॉ प्राप्त होना अपेक्षित है। हिताधिकारी शाखा को निधि अंतरण संदेश प्राप्त होने के दो घंटे के भीतर ही हिताधिकारी के खाते में निधियॉ जमा करनी हाती हैं।
भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राप्तकर्ता बैंक में मुद्रा जमा होने का संदेश प्रेषण बैंक को भेजा जाता है। इसी आधार पर प्रेषण बैंक प्रेषिती ग्राहक को प्राप्तकर्ता बैंक में मुद्रा जमा होने के बारे में सूचित कर सकता है।
हाँ। ऐसी अपेक्षा की जाती है कि प्राप्तकर्ता बैंक द्वारा हिताधिकारी के खाते में राशि तत्काल ही जमा की जायेगी। यदि किसी कारणवश मुद्रा जमा नहीं की जाती, प्राप्तकर्ता बैंक को उस मुद्रा को दो घंटे के भीतर वापस करना होगा। प्रेषक बैंक द्वारा एक बार मुद्रा वापस प्राप्त कर लेने के बाद, ग्राहक के खाते में मूल डेबिट कर देगा।
आर.टी.जी.एस सेवा खिड़की ग्राहकों के संव्यवहारों के लिए सप्ताह के दिनों में पूर्वान्ह 9.00 बजे से उपरान्ह 16.30 बजे तक एवं शनिवार को पूवान्ह 3.00 बजे से अपरान्ह 12.30 बजे तक भारतीय रिज़र्व बैंक में निपटान के लिए उपलब्ध रहती है, तथापि बैंकों द्वारा अपनाया जाने वाला समय बैंक शाखाओं के ग्राहक समय के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
बैंकों द्वारा विभिन्न इलेक्ट्रानिक उत्पादों पर लगाए जाने वाले सेवा प्रभारों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक विस्तृत ढांचा अधिदेशित किया गया है जो इस प्रकार है:
क) आवक संव्यवहार : निशुल्क कोई प्रभार न लिया जाए।
ख) जावक संव्यवहार:
1 लाख रूपये से 5 लाख रूपये तक: प्रति संव्यवहार के लिए अधिकतम 25 रूपये।
5 लाख रूपये से अधिक – प्रति संव्यवहार अधिकतम 50 रूपये।
प्रेषण ग्राहक को आर.टी.जी.एस प्रभावी करने के लिए निम्नलिखित जानकारी देना आवशयक होगा:
हिताधिकारी ग्राहक आई.एफ.एस.सी कूट को अपनी शाखा से प्राप्त कर सकता है। आई.एफ.एस.सी कूट चेक के पन्ने पर भी होता है। हिताधिकारी को प्रेषिती ग्राहक को यह कूट संख्या और बैंक शाखा का विवरण भेजना होगा।
नहीं। भारत में सभी बैंक शाखाएं आर.टी.जी.एस से नहीं जुड़ी हैं। 2008 तक 56000 से अधिक शाखाएं आर.टी.जी.एस से जुड़ चुकी है। इस शाखाओं की सूची आर.बी.आई की वेबसाइट https://rbi.org.in/Scripts/Bs_viewRTGS.aspx पर उपलब्ध है।
यह प्रेषण ग्राहक और प्रेषण बैंक के बीच हुई व्यवस्था पर निर्भर करता है। कुछ बैंक इंटरनेट सुविधा के साथ यह सेवा उपलब्ध कराते है। हिताधिकारी बैंक के खाते में निधियाँ जमा होने पर, प्रेषण ग्राहक को उसकी बैंक से ई मेल अथवा मोबाइल पर संक्षिप्त संदेश के माध्यम से पुष्टि की जाती है।
अपनी बैंक/शाखा से संपर्क करें। मामले का समाधान संतोषजनक रूप से नहीं होने पर आर.बी.आई के ग्राहक सेवा विभाग से निमलिखित पते पर संपर्क करना चाहिए।
मुख्य महाप्रबंधक
भारतीय रिज़र्व बैंक
ग्राहक सेवा विभाग
पहली मंज़िल, अमर भवन, फोर्ट
मुंबई 400001
किसी विशिष्ट दिवस में आर.टी.जी.एस में एक दिन में लगभग 80000 संव्यवहार होते है जिनका मूल्य लगभग रूपये 2700 बिलियन होता है।
आर.टी.जी.एस के माध्यम से निधियों का अंतरण करने के लिए भेजनेवाली बैंक शाखा और प्राप्तकर्ता बैंक शाखा दोनों को ही आर.टी.जी.एस से जुड़ा होना चाहिए। आर.टी.जी.एस से जुड़ी शाखाओं में यह सूची सुलभ रूप से उपलब्ध है। इसके अलावा आर.बी.आई की वेबसाइट https://rbi.org.in/Scripts/Bs_viewRTGS.aspx ) पर जानकारी उपलब्ध है।
यह ध्यान में रखते हुए कि 10000 शहरों/ कस्बों और तालुका स्थानों पर 56000 से अधिक शाखाएं आर.टी.जी.एस प्रणाली से जुड़ी हैं, यह जानकारी प्राप्त करना कठिन नहीं होगा।
स्त्रोत: रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
अंतिम बार संशोधित : 10/11/2019
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