हरित क्रांति के फलस्वरूप देश में आज न केवल खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर है बल्कि एक निर्यातक देश कि स्थिति में आ गया है। देश का कोना-कोना अन्नोत्पदन में काफी प्रगति किया है। अन्नोत्पदन में किसानों को काफी श्रम एवं पूंजी लगाना पड़ता है|अत्: अनाज को भण्डारण में नुकसान से बचाना हमारा राष्ट्रीय कर्तब्य होना चाहिए।
अनाजों का नुकसान भंडार गृहों में विभिन्न प्रकार के कीड़े मकोड़े, चूहे, छिपकली आदि से होता है। चूहे के आक्रमण को तो हम देख सकते हैं और उसका निदान कर लेते हैं लेकिन कीड़े मकोड़े के आक्रमण को हम देख नहीं पाते हैं, और इस तरह से नुकसान ज्यादा हो जाता है। और किसानों को कभी-कभी बहुत आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। अनाजों में अमूनन कीड़े-मकोड़े का आक्रमण उसमे उपस्थित नमी की मात्रा के कारण होता है। भण्डारण के समय अगर अनाजों को पूर्णरूपेण सूखा कर भंडारण किया जाये तो कीड़े-मकोड़े का आक्रमण कम होगा। वैशाख के धूप में अनाजों को तीन – चार रोज सूखा लिया जाय तो उसमें पानी कि मात्रा अमूनन कम होकर दस प्रतिशत के आसपास आ जाती है तो उस स्थिति में भण्डारण करने से कीड़ों आदि से नुकसान कम होगा। सिर्फ धूप में सुखाना ही पर्याप्त नही होगा। अच्छे भंडारण के लिए सूखे अनाजों को वैसे पात्र तथा कोठी, बखारी, सिडबीन, बोरियों आदि में इस तरह से रखा जाय कि हवा का आना जाना कम हो यानि वर्तनों को एयर टाइट कर दिया जाय। उसके लिए जरुरी है कि कोठियों, सीड बीनों और बोरियों में अनाज इस तरह से रखा जाय कि हवा का आना जाना रुक जाय और उस माध्यम का तापक्रम अधिक रहे तो कीड़ों का न तो आक्रमण होगा और न तो उन माध्यमों में वे अपने अंडों और पिल्लुओ (लार भी) का भरण पोषण कर सकेंगे और आपका अनाज सुरक्षित रहेगा। भंडारण के लिए भंडारित अनाजों में पानी कि मात्रा कम करना, भंडारित माध्यम यानि बोरों, कोठीयों, सीड बीनों में आक्सीजन (हवा) का प्रवेश कम करना और इन माध्यमों में गर्मी (तापक्रम) बढ़ाकर रखा जाय तो अनाज में परजीवियों का आक्रमण कम होगा।
परजीवियों के अलावे अनाजों का नुकसान चूहे, छुछ्न्दर आदि हानिकारक जंतुओं से भी होता है। ये जंतु सिर्फ अनाज को खाकर अन्न को बर्बाद ही नहीं करते बल्कि अनाजों में पैखाना, पेशाब कर अनाज के गुण और यहाँ तक कि कई तरह के बिमारियों के कीटाणु, फफूंदी आदि जीवों के द्वारा जन्म देते हैं। चूहे और छुछ्न्दर से रक्षा करने के लिए भंडारण गृहों में इसका प्रवेश रोकना चाहिए और उसके लिए भंडार गृहों के विभिन्न छिद्रों या रास्तों को बन्द कर देना चाहिय जिससे चूहों का प्रवेश बाधित हो जाय। भंडार गृहों में यदाकदा और अलग अलग स्थानों पर अनटो में जिंक फास्फाइड मिलाकर छोटे-छोटे गोलियों को रख देना चाहिए। इन गोलियों को खाकर ये चूहे छुछुन्दर मर सकते हैं| हाँ, इन गोलियों को व्यवहार करने में सावधानी बरतनी चाहिए| खाने-पीने के चीजों से बचाकर, बच्चों और महिलाओं को भी इन गोलियों के बारे बता देना चाहिए। बड़े-बड़े भंडार गृहों या गोदामों में अनाजों का भंडारण अमूनन बोरों में और उन बोरियों को छाल्लियों में रखकर किया जाता है। कभी-कभी ऐसा पाया गया है कि छाल्लियों कि लम्बाई और ऊंचाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है| बोरियों को लकड़ी के टुकड़ों पर रखना चाहिए और बीच-बीच में रास्ता रखना चाहिए ताकि प्रतिरोधात्मक उपाय यानि छिड़काव या धूलों (पाउडरों) का छिड़काव बोरों के छाल्लियों पर किया जा सके।
अनाजों को सुरक्षित रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए जिसे अपनाकर किसान, गृहणी या अन्य लोग अपने अनाजों को सुरक्षित कर सकेंगे।
१. भंडार गृहों तथा कोठी, बखारी, बोरियों को साफ सुथरा रख कर ही अनाज (सूखा हुआ) रखें| कोठियों या भंडार गृहों के छिद्रों को बन्द कर देना चाहिए।
२. कोठियों या बीनों को दस प्रतिशत बी.एच.सी. पाउडर से छिड़काव कर देना चाहिए| बोरियों को गरम पानी में उबल दें टो और अच्छा होगा।
३. अनाजों में नीम का पत्ते सूखे हुए या सूखे बीजों को मिलाकर रखा जाय टी अनाज सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
४. कोठियों या बीनों में प्रति ३८ क्यूबिक मीटर जगह के लिए अल्युमिनियम फास्फाइड का सात गोली उनके सतह पर रखकर अनाजों का भंडारण करें टो अनाज सुरक्षित रखा रहेगा।
५. जहाँ तक हो सके अनाज को लोहे के चादरों से बने बीनों में ही रखें या ऐसे जगह रखें जहाँ कोठियों या बखारी में पानी का प्रवेश न हो सके। हवा का प्रवेश कम से कम हो।
६. बोरियों या कोठियों को सीधे जमीन पर न रखकर ईंट या लकड़ी के चबूतरे पर रखें।
७. अगर बोरियों में ही अनाज रखा गया है तो उनको भूसा घरों में बोरों के उपर भूसा रख दें इससे पानी का प्रवेश रोकने में सहूलियत होगी।
बोरियों, कोठीयों में रखे गये अनाजों तथा गेहूं, धान, चावल, दालों में प्रति क्विंटल इ.डी.वी. एम्पुल प्रति क्विंटल तीन मि. ली. व्यवहार कर या इ.डी.सी. मिक्सचर ५०० मि.ली. प्रति मेट्रिक टन के हिसाब से अनाजों में रखकर भी अनाजों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
स्त्रोत: हलचल, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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