भारत में सूखे से संबंधित तथ्य
सूखे से संबंधित तथ्य
भारत में सूखा मुख्यतः दक्षिणी-पश्चिमी मानसून (जून-सितंबर) के नहीं आने के कारण होता है। सूखे से प्रभावित क्षेत्रों को अगले मानसून तक प्रतीक्षा करना पड़ता है। पूरे देश में 73% से अधिक वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के दौरान ही प्राप्त होती है।
वर्षा से संबंधित आंकड़े
वर्षा से संबंधित उपलब्ध आंकड़े से सूखा के संबंध में यह पता चलता है कि-
- देश के कुल क्षेत्र में से 16 % सूखा संभावित क्षेत्र है। वार्षिक रूप से देश में करीब 5 करोड़ लोग सूखे के संकट से प्रभावित होते हैं।
- बुआई किये गये क्षेत्र में से कुल 68% क्षेत्र अलग-अलग मात्रा में सूखा प्रभावित हैं,
- 35% क्षेत्र में 750 मिली मीटर से 1125 मिली मीटर तक वर्षा होती है और ये सूखा संभावित क्षेत्र हैं।
- देश के शुष्क (19.6%), अर्द्ध-शुष्क (37%) और उप-नमी (21%) क्षेत्रों में अधिकतर सूखा संभावित क्षेत्र पाये जाते हैं जो कि इसके कुल जमीन वाले भाग 32.90 करोड़ हेक्टेयर का 77.6% में फैला हुआ है।
- भारत में वार्षिक औसत वर्षा 1160 मिली मीटर होती है। हालांकि 85% वर्षा 100-120 दिनों तक (दक्षिणी-पश्चिमी मानसून के दिनों में) हीं होती है।
- 33% क्षेत्र में 750 मिली मीटर से भी कम वर्षा होती है और ये गंभीर सूखा संभावित क्षेत्र हैं।
- 21% क्षेत्र में 750 मिली मीटर से भी कम वर्षा होती है (द्विपीय क्षेत्र और राजस्थान)।
- 10 वर्षों में से 4 वर्ष अनियमित वर्षा होती है।
- सिंचाई क्षमता 140 मिलियन एचए हैं (76 एमएचए सतह + 64 एमएचए धरती के अंदर का पानी)।
- धरती के अंदर के पानी की कमी और सतही पानी की सीमितता से यह इंगित होता है कि बुआई वाले सभी क्षेत्र की सिंचाई नहीं की जा सकती है।
- आबादी में वृद्धि, तेजी से होती औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, फसल तीव्रता और धरती के अंदर कम होते पानी स्तर आदि के कारण प्रति व्यक्ति पानी उपलब्धता कम हो रही है। यह समस्या और अधिक होने वाली है।
- शुद्ध परिणाम- कुछ भागों या अन्य भागों में सूखा होना अवश्यंभावी है।
स्त्रोत-
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
0 रेटिंग्स और 0 कमैंट्स
रोल ओवर स्टार्स, इसके बाद रेट को क्लिक करें।
© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.