बकरी पालन से संबंधित आवश्यक बातें
बकरी पालन से संबंधित आवश्यक बातें
बकरी पालकों को निम्नलिखित बातों पर ध्यान देनी चाहिए
- ब्लैक बंगाल बकरी का प्रजनन बीटल या सिरोही नस्ल के बकरों से करावें।
- पाठी का प्रथम प्रजनन 8-10 माह की उम्र के बाद ही करावें।
- बीटल या सिरोही नस्ल से उत्पन्न संकर पाठी या बकरी का प्रजनन संकर बकरा से करावें।
- बकरा और बकरी के बीच नजदीकी संबंध नहीं होनी चाहिए।
- बकरा और बकरी को अलग-अलग रखना चाहिए।
- पाठी अथवा बकरियों को गर्म होने के 10-12 एवं 24-26 घंटों के बीच 2 बार पाल दिलावें।
- बच्चा देने के 30 दिनों के बाद ही गर्म होने पर पाल दिलावें।
- गाभीन बकरियों को गर्भावस्था के अन्तिम डेढ़ महीने में चराने के अतिरिक्त कम से कम 200 ग्राम दाना का मिश्रण अवश्य दें।
- बकरियों के आवास में प्रति बकरी 10-12 वर्गफीट का जगह दें तथा एक घर में एक साथ 20 बकरियों से ज्यादा नहीं रखें।
- बच्चा जन्म के समय बकरियों को साफ-सुथरा जगह पर पुआल आदि पर रखें।
- बच्चा जन्म के समय अगर मदद की आवश्यकता हो तो साबुन से हाथ धोकर मदद करना चाहिए।
- जन्म के उपरान्त नाभि को 3 इंच नीचे से नया ब्लेड से काट दें तथा डिटोल या टिन्चर आयोडिन या वोकांडिन लगा दें। यह दवा 2-3 दिनों तक लगावें।
- बकरी खास कर बच्चों को ठंढ से बचावें।
- बच्चों को माँ के साथ रखें तथा रात में माँ से अलग कर टोकरी से ढक कर रखें।
- नर बच्चों का बंध्याकरण 2 माह की उम्र में करावें।
- बकरी के आवास को साफ-सुथरा एवं हवादार रखें।
- अगर संभव हो तो घर के अन्दर मचान पर बकरी तथा बकरी के बच्चों को रखें।
- बकरी के बच्चों को समय-समय पर टेट्रासाइकलिन दवा पानी में मिलाकर पिलावें जिससे न्यूमोनिया का प्रकोप कम होगा।
- बकरी के बच्चों को कोकसोडिओसीस के प्रकोप से बचाने की दवा डॉक्टर की सलाह से करें।
- तीन माह से अधिक उम्र के प्रत्येक बच्चों एवं बकरियों को इन्टेरोटोक्सिमिया का टीका अवश्य लगवायें।
- बकरी तथा इनके बच्चों को नियमित रूप से कृमि नाशक दवा दें।
- बकरियों को नियमित रूप से खुजली से बचाव के लिए जहर स्नान करावे तथा आवास में छिड़काव करें।
- बीमार बकरी का उपचार डॉक्टर की सलाह पर करें।
- नर का वजन 15 किलो ग्राम होने पर मांस हेतु व्यवहार में लायें।
- खस्सी और पाठी की बिक्री 9-10 माह की उम्र में करना लाभप्रद है।
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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