नर पशु का वीर्य कृत्रिम ढंग से एकत्रित कर मादा के जननेन्द्रियों (गर्भाशय ग्रीवा) में यन्त्र की सहायता से कृत्रिम रूप से पहुंचाना ही कृत्रिम गर्भाधान कहलाता है।
साहीवालः- इसका जन्म स्थान पश्चिमी पाकिस्तान के मांगी हैं। परन्तु उत्तरप्रदेश के चक्रगजरिया पशुधन प्रक्षेत्र लखनऊ में सरंक्षण दिया जा रहा है। इसका लंबा सिर, औसत आकार का | माथा, सग छोटे तथा मौटे, टांगें छोटी, अन पूर्ण विकसित व बड़े, रंग लाल या हल्का लाल तथा कभी-कभी सफेद धब्बे। उन्नत पोषण से 2700 से 3200 कि.ग्रा.एक ब्यांत में दुग्ध की मात्रा तथा अधिकतम 16 से 20 लीटर दूध देने की क्षमता रखती है।
तालिका : प्रादेशिक नस्लों के गुण
नस्ल |
प्रथम ब्याने की आयु(माह) |
दो ब्यांत का मध्यकाल(माह) |
दुग्ध मात्रा एक ब्यांत काल(कि.ग्रा.) |
औसत दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन(कि.आ.) |
अधिकतम उत्पादन प्रतिदिन(कि.ग्रा.) |
हरियाणा |
58.8+-0.4 |
19.5+-0.5 |
1136+-34 |
4.0 ली |
6.4 ली |
साहीवाल |
40.2+-0.2 |
15.0+-0.6 |
15.0+-0.6 |
5.8 ली |
8.2 ली |
अवर्णित |
59+-2.5 |
18.7+-1 |
18.7+-2 |
1.6 ली |
3.5 ली |
हरियाणाः- इसका जन्म स्थान रोहतक, हिसार, दिल्ली तथा क्यान करें पश्चिमी उत्तर प्रदेश हैं इसका चेहरा लंबा व संकरा, माथा चपटा, गलकंलब छोटा, रंग सफेद या हल्का भूरा, पूंछ लंबी, पैर मजबूत व लंबे। यह नस्ल कृषि कार्य हेतु अत्यंत उपयुक्त है व दूध भी देती है। भली प्रकार पोषण से 10 से 15 लीटर प्रतिदिन दूध देने की क्षमता रखती है।
क्या करें
1. आवास हवादार, कायादार व भूमि समतल हो
क्या न करें
3. दुधारू पशु को दौड़ाये या भगाए नहीं, इससे अयन में चोट लग सकती है।
तालिका: ऋतुकाल/गर्मी के लक्षण
क्र0 |
लक्षण |
प्रारम्भिक |
मध्यकाल |
अन्तिम |
1 |
बर्ताव |
अन्य पशुओं से अलग रहेगी |
पुनः झुण्ड में मिल जायेगी परन्तु बर्ताव अलग दिखेगा |
सामान्य हो जायेगी |
2 |
उद्भिग्नता |
उद्भिग्न दिखेगी |
उद्भिग्न हो जायेगी कभी-कभी दूसरे पशुओं पर चढ़ेगी |
धीरे-धीरे सामान्य हो जायेगी |
3 |
भूख |
कम खायेगी |
बहुत कम |
सामान्य |
4 |
रम्भाना |
कभी-कभी |
अधिकतर |
न के बराबर |
5 |
दुग्ध उत्पादन |
कम |
बहुत कम |
सामान्य होने लगता है |
6 |
चाटना (दूसरे पशुओं को) |
चाटेगी |
चाटेगी |
कभी-कभी |
7 |
सांड के चढ़ने या दूसरे पशु के चढ़ने पर शांत खड़े रहना |
कभी-कभी दिखेगा |
अक्सर सामान्य प्रक्रिया
|
न के बराबर |
8 |
मूत्र त्याग |
रह-रहकर मूत्रत्याग |
रह-रहकर मूत्रत्याग |
सामान्य मूत्रत्याग |
9 |
योनि मार्ग |
हृल्का सूजन |
सूजन |
सामान्य होने लगता है। |
10 |
योनि मार्ग की श्लेष्मा |
गीली व गुलाबी |
चमकीली गुलाबी लाल |
सामान्य होना |
11 |
शरीर का तापक्रम |
सामान्य |
सामान्य से 1-2 डि.से अधिक सामान्य होना
|
सामान्य होना |
स्त्रोत: पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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