स्वचालित टेलर मशीन (एटीएम) की पहली व्यावसायिक शुरुआत 1960 के दशक में की गई थी। एटीएम की शुरुआत एक महत्वपूर्ण तकनीकी विकास साबित हुई जिसने वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों को 24X7 वातावरण में सेवाएं प्रदान की सुविधा दी। एटीएम ने ग्राहकों को जब भी नकदी की आवश्यकता हो, उनके निकटतम एटीएम में उसे उपलब्ध कराकर उनकी सुविधा में इजाफा किया है।
वित्तीय संस्थानों ने अपने एटीएम में सुरक्षा के उन्नयन और धोखाधड़ी के लिए गुंजाइश कम करने की की कई रणनीतियां लागू की है। इनमें शामिल हैं एटीएम की स्थापना के लिए सुरक्षित स्थान का चयन, निगरानी वीडियो कैमरों की स्थापना, दूरस्थ निगरानी की स्थापना, कार्ड की जानकारी अनधिकृत रूप से पढ़कर निकाल लिए जाने के विरुद्ध समाधान, और एटीएम या इंटरनेट पर लेनदेन के समय उनकी व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के विभिन्न तरीकों की जानकारी देकर उपभोक्ताओं की जागरूकता बढ़ाना।
जालसाज़ एटीएम कार्ड स्लॉट में प्लास्टिक की फिल्म का एक टुकड़ा तह कर डालता ताकि वह कार्ड को पकड़ ले और मशीन द्वारा उसे बाहर फेंकने की अनुमति न दे। उपभोक्ता समझता है की उसका कार्ड मशीन में फंस गई है और वह नहीं जान पाता है कि कार्ड स्लॉट के साथ छेड़छाड़ की गई है।
एक बार डाला गया कार्ड फंस जाता है तो जालसाज़ एक जायज कार्डधारक के रूप में शिकार को अपना सुरक्षा कोड पुनः दर्ज करने का सुझाव देता है। जब कार्डधारक अंततः निराश होकर चला जाता है, तो जालसाज़ कार्ड निकालकर गुप्त रूप से देखा गया कोड दर्ज कर देता है। एक और तरीका है छोटे कैमरों और "स्किमर्स" नामक ऐसे उपकरणों द्वारा एकत्रित डेटा का उपयोग जो बैंक खाते की जानकारी पकड़कर रिकार्ड कर लेते हैं। इसमें जोखिम कम होता है क्योंकि इसमें जालसाज़-शिकार के बीच कोई संवाद नहीं होता तथा जालसाज़ की अनुपस्थिति कार्डधारक को थोड़ा अधिक बेपरवाह बना देती है तथा वह पासवर्ड की सुरक्षा के बारे में कम सजग हो जाता है।
एटीएम धोखाधड़ी की एक और दिलचस्प विधि है जालसाज़ द्वारा "डुप्लीकेट एटीएम" जिसमें ऐसे सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है जो उन मशीनों पर टाइप किए गए पासवर्ड रिकॉर्ड कर लेता है। उसके बाद डुप्लीकेट कार्ड निर्मित किए जाते हैं और चोरी के पासवर्ड का उपयोग कर पैसे निकाले जाते हैं। कभी-कभी ऐसी धोखाधड़ी अंदरूनी होती है जिसमें कार्ड जारी करने वाली कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है। ऐसी धोखाधड़ी का तरीका चाहे जो कुछ भी हो लेकिन यह निश्चित रूप से अवैध है और संबंधित देश के कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है। हालांकि सज़ा के बावजूद संभव है कि इस प्रक्रिया में खो गया धन वापस नहीं मिले। इस प्रकार, एक अपराधी को सजा हालांकि अन्य अपराधियों के लिए निवारक साबित होंगी तथापि यह चोरी की संपत्ति की बहाली का सबसे अच्छा तरीका नहीं हो सकता। इसलिए, निवारक निगरानी और एटीएम धोखाधड़ी जोखिम बीमा कराना सही दृष्टिकोण प्रतीत होता है।
एटीएम का उपयोग करते समय सावधान रहें, खासकर तब जबकि नकद प्राप्त हो रहा हो। उस दौरान इन सावधानियों का पालन करें:
अंधेरे के समय: किसी साथी के साथ जाएं।
स्त्रोत : सूचना सुरक्षा शिक्षा और जागरूकता (ISEA), सी डैक, हैदराबाद
अंतिम बार संशोधित : 1/20/2023
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