भंडारण तकनीक का उपयोग छत/कैचमेन्ट क्षेत्र से संग्रहित वर्षाजल को सीधे टैंक में उपयोग के लिये किया जाता है। भंडारण टैंक ज़मीन के ऊपर, थोड़े भूमिगत या पूरे भूमिगत बनाए जा सकते हैं। भूमि के ऊपर बने टैंक में सरंचना की समस्याओं/लीकेज का पता लगाना आसान होता है, रख-रखाव एवं सफाई आसान होती है और भंडारित जल निकालना सरल होता है।
भंडारण टैंक के ऊपर ढक्कन होना चाहिए ताकि जल प्रदूषित न हो पाए। इसमें पानी लेने, टैंक की सफाई और अतिरिक्त जल के निकास के लिए उचित स्थानों पर पाइप होने चाहिए। इन्हें क्रमश: नल या निकासी, निकासी पाइप और ओवरफ्लो पाइप कहते हैं। इसके लिए 20-25 मि.मी. व्यास के पी.वी.सी. या जी.आई. पाइप प्रयुक्त हो सकते हैं।
टैंक के अधिकतम क्षमता की डिज़ाइन बनाने के लिए निम्न मानदंडों पर विचार करना चाहिए:
1. छत/कैचमेंट क्षेत्र का नाप
2. वर्षा की गहनता
3.अक्षेत्र का जल-विज्ञान जिसमें शामिल होते हैं जलभृत की प्रकृति और विस्तार, मिट्टी की सतह, स्थलाकृति आदि।
फिल्टरः फिल्टर का उपयोग कंकड, पत्ते, मिट्टी या अन्य प्रदूषकों को छत/कैचमेंट क्षेत्र से एकत्रित वर्षाजल के टैंक में जाने से पहले रोकने के लिए किया जाता है।
पहला फ्लशः वर्षा ऋतु के आरंम्भ में या लंबे समय बाद वर्षा होने पर छत आमतौर पर गंदी होती है और वर्षाजल में भी हवा के कई प्रदूषक होते हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पहले दौर की वर्षा का पानी बहा दिया जाये और वह प्रणाली में प्रवेष न करें।
टैंक की क्षमताः टैंक की क्षमता पर्याप्त होनी चाहिए ताकि सर्वोच्च वर्षा से आने वाला पानी उसमें संग्रहित रहे।
स्त्रोत : जल एवं स्वच्छता सहारा संगठन; राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन; जल स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, राजस्थान सरकार
अंतिम बार संशोधित : 6/8/2019
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