भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (सेकी) नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जिसकी स्थापना 20 सितम्बर, 2011 को जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के कार्यान्वयन और उसमें निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए की गई थी। सौर ऊर्जा क्षेत्र को समर्पित यही अकेला केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है। इसे मूल रूप में कम्पनी अधिनियम, 1956 के तहत धारा 25 (लाभ के लिए नहीं) कम्पनी के रूप में शामिल किया गया था।
तथापि, भारत सरकार के निर्णय के जरिए इस कम्पनी को हाल ही में कम्पनी अधिनियम, 2013 के तहत धारा 3 कम्पनी में परिवर्तित किया गया है। समस्त नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को कवर करने के लिए कम्पनी के अधिदेश को भी व्यापक बनाया गया है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, विशेषतौर से सौर ऊर्जा के वर्तमान दृष्टिकोण में, इस क्षेत्र के विकास में सेकी की प्रमुख भूमिका है। यह कम्पनी नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनेक योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए जिम्मेदार है, जिनमें प्रमुख जेएनएनएसएम के अधीन बड़े पैमाने की ग्रिड सम्बद्ध परियोजनाओं के लिए वीजीएफ योजनाएं, सौर उद्यान योजना और ग्रिड सम्बद्ध सौर रूफटॉप योजना है और इनके साथ-साथ रक्षा योजना, कनाल-टाप योजना, भारत-पाक सीमा योजना आदि जैसी काफी अन्य विशेषीकृत योजनाएं हैं। इसके अलावा, सेकी ने अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए टर्नकी आधार पर सौर परियोजना विकास का कार्य किया है। इस कम्पनी के पास विद्युत व्यापार लाइसेंस है और इसके द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजनाओं के अधीन स्थापित परियोजनाओं से सौर विद्युत के व्यापार के जरिए इस क्षेत्र में यह सक्रिय है।
विजन
प्रचुर सौर विकिरण का इस्तेमाल कर नया ‘हरित भारत’ बनाना और देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करना ।
मिशन
सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर अनुसंधान और विकास सहित नई प्रौद्योगिकियों का विकास करने और लगाने में अग्रणी होना ।
बड़े पैमाने पर सौर अधिष्ठापनों , सौर संयंत्रों और सौर उद्यानों का विकास करने में अग्रणी होना और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा देना और वाणिज्यीकरण करना ताकि यह भारत के दूर-दराज़ क्षेत्रों में पहुँच सके ।
सौर तापीय प्रणालियां गर्म जल, गर्म वायु वाष्प आदि के रूप में ताप पैदा करके सौर विकिरणों का इस्तेमाल कर सौर ऊर्जा का उपयोग करती हैं जो बड़़े पैमाने पर विद्युत के उत्पादन, स्पेस तापन, स्पेस्र कूलिंग कम्युनिटी कुकिंग प्रक्रिया तापन आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनेक अनुप्रयोग को पूरा करने के लिए लगाई जा सकती है। इन अनुप्रयोगों का हीट एक्सचेंजरों के रूप में सौर ऊर्जा एकत्रकों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जो सौर विकिरण ऊर्जा को ट्रांसपोर्ट मीडियम (अथवा हीट ट्रांसफर फ्लूइड, सामान्यत: वायु, जल अथवा तेल) को आन्तरिक ऊर्जा में बदल देता है। इस प्रकार एकत्रित सौर ऊर्जा या तो सीघे गर्म जल अथवा स्पेस स्थितीय उपकरण को फ्लूड परिचालित कर अथवा तापीय ऊर्जा भडंराण टैंक से ले जायी जाती है जो रात्रि और/अथवा मेघाच्छन्न दिनों में इस्तेमाल के लिए ली जा सकती है। सौर तापीय प्रणालियां गैर- सकेंद्रीय अथवा संकेंद्रीय किस्मों की हो सकती है। ये अनुप्रयोग, अपेक्षित तापमान और आर्थिक व्यवहार्यता पर निर्भर करते हुए स्थिर (स्टेशनरी) अथवा सूर्य-ट्रेकिंग मेकेनिज्म हो सकते है।
पीवी, जो एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जो धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है, नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग की सबसे तेज उत्पादक भागों में से एक है। भारत सहित अनेक देशों में यह पहले से ही सुस्थापित है और 21वीं शताब्दी की प्रमुख प्रौद्योगिकियों में से एक प्रौद्योगिकी होने जा रही है। इस भाग का विकास करने वाले कुछेक कारक ये हैं:- कार्बन उत्सर्जन, ऊर्जा सुरक्षा और जीवश्म ईंधन की बढ़ती हुई कीमतें के प्रति चिन्ता।
पारम्परिक सौर सैल सिलिकॉन से तैयार किए जाते हैं, और सामान्यता ये सर्वाधिक कार्यक्षम होते है। अनाकार सिलिकान अथवा गैर-सिलिकॉन सामग्री जैसे केडमियम टेल्युराइड से तैयार किए गए पतले फिल्म सौर सैल गॉण उत्पादन सौर सैल हैं, और समूचे प्रतिष्ठापनों में बृहत शेयर प्राप्त कर रहे है।
उच्च कार्यक्षम पीवी सामग्री को डिजाइन कराने के लिए तृतीय-उत्पादन सौर सेलों में नई सामग्री की किस्मों और नेनो प्रौद्यागिकी आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
सौर विद्युत लागत में कमी सम्भाव्यता सौर प्रौद्योगिकियों की दक्षता में सुधार के साथ अत्यधिक सहसम्बद्ध है। जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन ने उत्तरोत्तर और सकेंद्रित अनुसंधान अवसंरचना विकास पर विचार किया है। भारतीय सौर ऊर्जा निगम नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा गठित सौर ऊर्जा अनुसंधान परामर्शी परिषद का सदस्य है जो सौर क्षेत्र में मौजूदा अनुसंधान अवसंरचना का विश्लेषण करेगा और इसके बाद एक ऐसा ढांचा स्थापित करेगा जो जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन के विजन के साथ सम्मिलित होने में देश में अनुसंधान और विकास गतिविधियों में तेजी लाने के लिए सहायक वातावरण सृजित करेगा। भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यकलाप निम्नलिखित हैं:
भारतीय सौर ऊर्जा निगम सौर ऊर्जा केन्द्र के सहयोग से सौर विकिरण मापन संवेदकों के लिए अंशशोधन सुविधा स्थापित करने के लिए एक अनुसंधान और विकास परियोजना पर कार्य कर रहा है। इस परियोजना का उद्देश्य का चुनिंदा स्थानों पर सौर विकिरण आंकड़ों का विश्लेषण करने का उद्देश्य है।
आई आई टी राजस्थान में सौर तापीय पार्क
भारतीय सौर ऊर्जा निगम आईआईटी जोधपुर में सौर तापीय प्रौद्योगिकी प्रदर्शन पार्क स्थापित करने के लिए अनुसंधान और विकास परियोजना में सक्रिय रूप से शामिल है। इसमें प्रत्येक 5 मेगावाट क्षमता की तीन यूनिट स्थापित करने की परिकल्पना की गई है जिसमें सी एल एफ आर, सोलर टावर और बीम डाउन सी एस पी जैसी अनेक प्रौद्योगिकियों/विशेषताओं के साथ सात संयंत्र शामिल होंगे।
सेकी सौर ऊर्जा के क्षेत्र में निम्नलिखित तकनीकी सेवाएं प्रदान करता है-
परियोजना प्रबन्धन परामर्शी (व्यावहार्यत अध्ययन, यथोचित परिश्रम, डीपीआर तैयार करना, बोली-प्रक्रिया प्रबन्धन, कमीशनिंग तक परियोजना की निगरानी करना शामिल है लेकिन इन तक ही सीमित नही है I
स्रोत: भारतीय सौर ऊर्जा निगम लिमिटेड (सेकी)अंतिम बार संशोधित : 3/20/2023
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