स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 के जरिए सतत विकास के साथ ही व्यापक स्तर पर जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने और कचरा तथा खुले में शौच से मुक्त शहरों की दिशा में प्रगति सुनिश्चित करने की प्रक्रिया जहाँ एक ओर शुरू की जाएगी वहीं दूसरी ओर जीवन सुगमता सूचकांक के माध्यम से शहरी नियोजन और प्रबंधन को प्रभावी बनाने का काम किया जाएगा। भारत के शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता की स्थिति पर सालाना सर्वेक्षण रिपोर्ट - स्वच्छ सर्वेक्षण जारी की। इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन-एसबीएम ओडीएफ+ और एसबीएम ओडीएफ++ के लिए दिशानिर्देश, जनभागीदारी बढ़ाने के लिए वेब पोर्टल -स्वच्छ मंच, जीवन सुगमता सूचकांक, जीवन सुगमता सूचकांका डैशबोर्ड का शुभारंभ किया गया।
पूरे देश में 4 जनवरी से 31 जनवरी के बीच सभी शहरों में स्वच्छ सर्वेक्षण कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य शहरों को कचरा और खुले में शौच से मुक्त कराने के प्रयास में व्यापक स्तर पर जन भागीदारी सुनिश्चित करना तथा समाज के सभी वर्ग के लोगों के लिए शहरों को जीने लायक बेहतर स्थान बनाने के प्रति जागरूकता पैदा करना है। सर्वेक्षण के जरिए लोगों को शहरों में साफ-सफाई के लिए किए जा रहे कार्यों की विश्वसनीय और प्रमाणिक जानकारी उपलब्ध कराने की भी कोशिश होगी।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2019 की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है :-
1. ऑनलाइन क माध्यम से डिजिटल सर्वे
2. सर्वेक्षण के संकेतक/प्रश्नावली में 5000 अंक होंगे, जबकि 2018 के सर्वेक्षण के ऐसे सर्वेक्षण में 4000 अंक रखे गए हैं।
3. सर्वेक्षण के लिए डाटा संकलन का काम नीचे दर्शाए गए चार प्रमुख स्रोतों से किया जाएगा, जिनमें सेवा स्तर पर हुई प्रगति, प्रत्यक्ष निगरानी, लोगों से प्राप्त फीडबैक और प्रमाणन शामिल है।
4. सेवा स्तर पर हुई प्रगति की श्रेणी में एक नया घटक जोड़ा गया है, जिसे नीचे दिए गए चित्र के जरिए दर्शाया गया है।
5. प्रमाणन (कचरा और खुले में शौच से मुक्त शहरों के लिए स्टार रेटिंग का प्रोटोकॉल)
आवास और शहरी मामलों के मत्रालय ने शहरों को स्टार रेटिंग देने के लिए दो अलग-अलग मानक निर्धारित किए हैं।
स्टार रेटिंग के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित 12 मानकों के आधार पर शहरों का आकलन किया जाएगा। इसमें शहरों में नालियों और जल स्रोतों की साफ सफाई, प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों के दौरान निकलने वाले कचरे के निपटान आदि बातें शामिल हैं। इन कार्यों की कड़ी समीक्षा के बाद ही किसी शहर को स्टार रेटिंग दी जाएगी।
पिछले चार वर्षों के दौरान स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहरों में साफ-सफाई की निगरानी करने के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव आया है। मंत्रालय अब साफ-सफाई के कार्यों का आकलन बनाए गए शौचालयों की संख्या के आधार पर नहीं बल्कि ऐसे वार्डों और शहरों की संख्या के आधार पर करता है, जहां शौचालय बनाए गए हैं। किसी शहर को ओडीएफ प्रमाण पत्र देने से पहले ओडीएफ के लिए तय प्रोटोकॉल का अनुपालन पूरी सख्ती के साथ किया जाता है। देश में अब तक 18 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 3223 शहरों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया है।
ओडीएफ+ और एसबीएम ओडीएफ++ प्रोटोकॉल के तहत लोगों को शौचालय की सुविधा मिलने, शौचालयों की साफ सफाई और मल निकासी प्रबंधन जैसी बातें भी शामिल की गई हैं।
इस वेब पोर्टल के जरिए स्वच्छ भारत मिशन में जन भागीदारी को प्रोत्साहित करने का काम किया गया है। इस पोर्टल के जरिए शहरों को कचरा और खुले में शौच मुक्त बनाने के अभियान में शामिल होने वाले लोगों और संगठनों को एक साथ लाने का प्रयास किया जाएगा।
जीवन सुगमता सूचकांक आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की पहल है, जिसके जरिए शहरों में बसने वाले लोगों के जीवन को आसान बनाने का प्रयास किया गया है। इस सूचकांक पर किसी शहर का आकलन चार प्रमुख मानकों के आधार पर किया जाता है, जिसमें संस्थागत प्रबंधन, सामाजिक और आर्थिक स्थिति तथा बुनियादी ढांचे की स्थिति शामिल है। इन चार मानकों का आगे 15 उपश्रेणियों और 78 संकेतों में वर्गीकरण किया गया है।
स्त्रोत: पत्र सूचना कार्यालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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