कामकाज के बदलते ढर्रे, अत्यधिक तनाववाली नौकरियों, असंतुलित खान-पान, सिगरेट और शराब के सेवन, व्यायाम से परहेज जैसी वजहों से बड़ी संख्या में भारतीय जीवनशैली संबंधी बीमारियों की तरफ बढ़ रहे हैं| हाल के वर्षो के आंकड़े बताते हैं कि बढ़ती चिकित्सा सुविधा के बावजूद जानलेवा रोगों के मामलों में बढ़ोतरी का रुझान है| पिछले कई वषों से स्वास्थ्य सेवा संबंधी खर्चो में सबसे ज्यादा महंगाई देखी जा रही है| इसकी वजह से लोग इन खर्चो को अपनी नियमित आमदनी से उठा पाने में असमर्थ हो रहे हैं|
स्वास्थ्य संबंधी खर्च में वृद्धि केवल अस्पताल में भर्ती के खर्च के कारण नहीं है| कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के मामले में दवाइयों का खर्च भी कई गुना बढ़ चुका है| इससे यह साफ है कि किसी व्यक्ति को महज अस्पताल भरती के परंपरागत कवर पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि गंभीर बीमारी (क्रिटिकल इलनेस) कवर पर भी विचार करना चाहिए| चूंकि, हममें से अनेक लोग खुद या अपने नियोक्ता के जरिये मेडिक्लेम/स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी पहले ही ले चुके होते हैं, सो हम गंभीर बीमारी कवर को महज वैसी ही एक और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं| इसलिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी और गंभीर बीमारी पॉलिसी का फर्क समझना जरूरी हो जाता है|
पारंपरिक स्वास्थ्य पॉलिसियों के तहत अस्पताल भर्ती और कुछ मामलों में घर पर इलाज के खर्चे का भुगतान होता है| लेकिन गंभीर बीमारी की स्थिति में हमारे ऊपर चिकित्सीय खर्चो की अपेक्षा कहीं अधिक वित्तीय बोझ दूसरी तरह से पड़ सकता है| ऐसे रोगों के कारण नौकरी करने की आपकी योग्यता ‘पूर्ण या आंशिक’ और ‘अस्थायी या स्थायी’ रूप से खत्म हो सकती है| बीमारी की वजह से आपकी जीवनशैली बदल सकती है| ऐसी क्षति बीमा के कवर से कहीं ज्यादा हो सकती है| और यहीं पर काम आती है, गंभीर बीमारी बीमा पॉलिसी|
आप गंभीर बीमारी पॉलिसी को अलग बीमा पॉलिसी के रूप में खरीद सकते हैं, या फिर स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ राइडर के रूप में ले सकते हैं| भारत में अधिकतर बीमा कंपनियां अतिरिक्त प्रीमियम के भुगतान पर जीवन बीमा/स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में बढ़ोतरी के रूप में गंभीर बीमारी का बीमा भी उपलब्ध कराती हैं| इसे वर्तमान बीमा पॉलिसी का मूल्य-वर्धन कहा जा सकता है| गंभीर बीमारी कवर को खास तौर पर हृदयाघात, हृदय धमनियों की बाइपास सजर्री, पक्षाघात, कैंसर, गुर्दे की निष्क्रियता, लकवा जैसे जीवनशैली संबंधी रोगों पर होनेवाले भारी खर्च और संबंधित उपचार की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है| इससे मिलने वाली एकमुश्त रकम देख-भाल और इलाज के खर्च, स्वास्थ्य लाभ के लिए जरूरी खर्च चुकाने, कर्ज की अदायगी, उपाजर्न क्षमता में कमी के कारण बंद आमदनी की भरपाई वगैरह के काम आ सकती है|
स्त्रोत: दैनिक समाचारपत्र
अंतिम बार संशोधित : 2/28/2020
इस आलेख में चोट से बचाव के विषय में विस्तार से जान...
इस भाग में कैंसर बीमारी के विशेषज्ञ ने अद्यतन जानक...
इस आलेख में 108 आपातकालीन प्रतिक्रिया सेवा के विषय...
इस भाग में अस्पताल जाने की स्थितियों में किन बातों...