संपूर्ण रूप से कार्य करनेवाली दोनों किडनी किसी कारणवश अचानक नुकसान से थोडे समय के लिए काम करना कम या बंद कर दे, तो उसे हम एक्यूट किडनी फेल्योर कहते है। एक्यूट किडनी फेल्योर को एक्यूट किडनी इंजुरी भी कहते है
एक्यूट किडनी फेल्योर होने के मुख्य कारण निम्नलिखित है:
इसके अलावा फेल्सीफेरम मलेरिया और लैप्टोस्पाइरोसिस, खून में गंभीर संक्रमण, किडनी में गंभीर संक्रमण, किडनी में विशेष प्रकार की सूजन, स्त्रियों में प्रसव के समय खून के अत्यधिक दबाव का होना या ज्यादा खून का बह जाना, दवा का विपरीत असर होना, साँप का डसना, स्नायु पर अधिक दबाव से उत्पन्न जहरीले पदार्थों का किडनी पर गंभीर असर होना इत्यादि एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण हैं।
एक्यूट किडनी फेल्योर के लक्षण:
एक्यूट किडनी फेल्योर में किडनी की कार्यक्षमता में अचानक रुकावट होने से अपशिष्ट उत्पादकों का शरीर में तेजी से संचय होता है एवं पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स के संतुलन में गड़बड़ी हो जाती है। इन कारणों से रोगी में किडनी की खराबी के लक्षण तेजी से विकसित होते हैं।
ये लक्षण अलग-अलग मरीजों में विभिन्न प्रकार के, कम या ज्यादा मात्रा में हो सकते हैं।
किडनी फेल्योर के लक्षणों के अलावा जिन कारणों से किडनी खराब हुई हो उस रोग के लक्षण भी मरीज में दिखाई देते हैं, जैसे जहरी मलेरिया में ठंड के साथ बुखार आना ।
जब कोई रोग के कारण किडनी खराब होने का संदेह हो एवं मरीज में उत्पन्न लक्षणों की वजह से किडनी फेल्योर होने की आशंका हो, तब तुरंत खून की जाँच करा लेनी चाहिए। खून में क्रीएटिनिन और यूरिया की अधिक मात्रा किडनी फेल्योर का संकेत देती है। पेशाब तथा खून का परीक्षण, सोनोग्राफी वगैरह की जाँच से एक्यूट किडनी फेल्योर का निदान, इसके कारण का निदान और एक्यूट किडनी फेल्योर के कारण शरीर में अन्य विपरीत प्रभाव के बारे में जाना जा सकता है।
एक्यूट किडनी फेल्योर में दोनों किडनी अचानक खराब होने से रोग के लक्षण ज्यादा मात्रा में दिखाई देते हैं।
रोग के शुरू में पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए।
इस रोग का उपचार रोग के कारण, लक्षणों की तीव्रतां और लेबोरेटरी परीक्षण को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग मरीजों में भिन्न-भिन्न होता है। इस रोग के गंभीर रूप में तुरंत उचित उपचार कराने से मरीज को जैसे पुर्नजन्म मिलता है, तो दूसरी तरफ उपचार न मिलने पर मरीज की मृत्यु भी हो सकती है।
एक्यूट किडनी फेल्योर के मुख्य उपचार निम्नलिखित हैं:
1. किडनी खराब होने के लिये जिम्मेदार रोग का उपचार
2. खाने पीने में परहेज रखना
3. दवा द्वारा उपचार
4. डायालिसिस
1. एक्यूट किडनी फेल्योर के लिए जिम्मेदार रोग का उपचार
किडनी फेल्योर के मुख्य कारणों में उल्टी, दस्त या फेल्सीफेरम मलेरिया हो सकता है, जिसे नियंत्रण में रखने के लिए त्वरित उपचार करना चाहिए। खून के संक्रमण पर नियंत्रण के लिए विशेष एंटीबायोटिक्स देकर उपचार किया जाता है। रक्तकण टूट गये हों, तो खून देना चाहिए।
२. खाने में परहेज
3. दवाओं द्वारा उपचार
हमारा मुख्य लक्ष्य है किडनी को बचाना और किडनी को किसी भी प्रकार की जटिलता से मुक्त रखना।
4. डायालिसिस : डायालिसिस क्या है ?
याद रखें की डायालिसिस एक कृत्रिम प्रक्रिया है, जो क्षतिग्रस्त किडनी के कार्यों को पूर्ण करता है। किडनी काम नहीं करने के कारण शरीर में जमा होने वाले अनावश्यक पदार्थो, पानी, क्षार एवं अम्ल जैसे रसायनों को कृत्रिम विधि से दूर कर खून का शुद्धिकरण करने की प्रक्रिया को डायालिसिस कहते है।
डायालिसिस के दो प्रकार है : पेरिटोनियल और हीमोडायालिसिस
डायालिसिस की जरुरत कब पडती है ?
एक्यूट किडनी फेल्योर के सभी मरीजों का उपचार दवाई और खाने में परहेज़ रखकर किया जाता है । लेकिन जब किडनी को ज्यादा नुकशान हो गया हो तब सभी उपचार करने के बावजूद रोग के लक्षण बढ़ते जाते है, जो जानलेवा हो सकते है ।
ऐसे कुछ मरीजों में डायालिसिस जरुरी हो जाता है । सही समय पर डायालिसिस के उपचार से ऐसे मरीज को नया जीवन मिल सकता है। शरीर में पानी की मात्रा अत्यधिक बढ़ जाना, पोटैशियम व एसिड की मात्रा बढ़ जाना इत्यादि किडनी के ख़राब होने का संकेत देते हैं।
इस रोग में डायालिसिस का विलम्ब जानलेवा तथा समय पर डायालिसिस जीवनदान दे सकता है ।
डायालिसिस कितनी बार करना पड़ता है ?
एक्यूट किडनी फेल्योर की रोकथाम
एक्यूट किडनी फेल्योर में डायालिसिस की आवश्यकता कुछ दिनों के लिए ही पड़ती है ।
स्त्रोत: किडनी एजुकेशन
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
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