कान सुनने के लिए होता है| कोई भी आवाज बाहर से होते हुए छेद से होते हुए बीच वाले हिस्से में पहुँचती है| वहां से आवाज नाडीयों से होकर दिमाग में पहुंचती है|
दिमाग आवाज की व्याख्या करता है, तभी हमें पता चलता है कि आवाज किसी व्यक्ति की है, या पक्षी की या मशीन से निकली आवाज है| अगर नली में किसी तरह की रूकावट हो जाती है तो हमें धीमी आवाज सुनाई देती है|
अगर नली बुरी तरह से खराब हो जाए तो हमें कुछ भी सुनाई नहीं देगा| कान की बनावट दिमाग से जुड़ी है| कान की खराबी से दिमाग के रोग भी हो सकते हैं|
कान में मैल जमना : कान को मदद पहुँचाने के लिए एक तरह की लसीली चीज निकलती रहती है| सूखने पर यह कान की नली से बाहर की तरफ निकलता है|
कभी-कभी यह लसीली चीज कठोर हो जाता है और कान की नली को जाम कर देता| इसलिए कान की सफाई की जरूरत होती है|
उपचार:
कान की मैल को नरम करने के लिए कान में तीन चार बूंद नारियल का तेल डालें| तीन दिनों तक रोज डालें| इसके साफ सुई देने वाले पिचकारी में साफ पानी से कान की सफाई करें| ध्यान रहे कि पानी का धार तेज नहीं हो वरना कान का परदा फट जा सकता है|
उपचार
लक्षण
उपचार
बचाव
अगर जल्दी उपचार नहीं किया गया तो खतरनाक रोग हो सकता, बच्चे कि मौत भी हो सकती है|
उपचार
नाक के काम
नाक से साँस लिया जाता है| इसके अन्दर बलगम और बाल के रोएं होते हैं| ये रोएं सांस लेने के दौरान गरमी, नमी, धूल, जीवाणु आदि को छानने के बाद फेफड़ों में हवा पहुंचाती है| नाक का काम सूंघना भी है|
साइनस बहुत सालों तक रहने वाला एक खतरनाक बीमारी है| यह नाक कि हड्डी में होता है| इसके कारण नाक के आस-पास कि चमड़ी के अन्दर बलगम, पीब भर सकता है|
लक्षण
उपचार
ठीक न होने पर डाक्टरी सहायता लें, इसका आप्रेशन भी होता है|
उपचार
बचाव
लक्षण
अंतिम बार संशोधित : 3/5/2020
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