लकवा (मांसपेशी की कमजोरी) प्रायः तब होता हिया जब बच्चा छोटा होता है| आमतौर पर बीमारी के समय जैसे गंभीर सर्दी-जुकाम तथा बुखार या कई बार दस्त लगे हों| लकवा शरीर की किसी मांसपेशी को प्रभावित कर सकता है परन्तु यह ज्यादातर प्रभावित मांसपेशी सुखी जैसी लगती है|
लकवा ग्रस्त होने के समय वह अंग किसी भी तरह सीधा नहीं रह सकता, चूँकि वह सिकुड़ गया है या कुछ निश्चित ‘संकुचन’ पूर्ण मांसपेशी के कारण है| प्रभावित अंग की मांसपेशी एवं हड्डियाँ दूसरे अंगों की अपेक्षा पतली हो जाती हैं| दूसरों के मुकाबले ठीक विकास नहीं कर पाते, इसी कारण छोटे रह जाते हैं| दिमाग और बुद्धि प्रभावित नहीं होती है| महसूस की शक्ति भी नहीं प्रभावित होती है| घुटने के झटके और अन्य नसों के प्रकटाव प्रभावित अंग में घट अथवा समाप्त हो जाते हैं| लकवा उतना ख़राब नहीं होता परन्तु उसके साथ दूसरी समस्याएँ जैसे:- संकुचन,रीढ़ की हड्डी का झुकना तथा अंग की स्थिति बिगड़ना भी हो जाता है|
स्रोत:- जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस पूरे भाग में शिशु के क्रमिक विकास के anअंतर्गत ...
इस भाग में बच्चों में पोलियोग्रस्त बच्चे के दैनिक ...
इस भाग में पोलियोग्रस्त बच्चे की जरुरत के अनुसार उ...
इस भाग में बच्चों में पोलियो के कारण हुए जोड़ों के ...