लकवाग्रस्त एक बच्चा जो इस प्रकार से घिसटता है और वह कभी भी अपने पांव सीधे नहीं कर पाता उसमें धीरे-धीरे इस प्रकार के संकुचन पैदा हो सकते हैं जिससे वह अपने कूल्हों, घुटनों एवं पिंडलियों को सीधा नहीं रख सकता|
कुल्हे या पुट्ठे की समस्या: के कारण शिथिलता या क्रियाहीनता तथा मांसपेशी का पतला या कमजोर होना शामिल है| कुल्हे के दर्द और विस्थापन को जाँच लें|
फिरा या मुड़ा पाँव: जन्म के साथ होता है|
‘इर्बस पालिसी’ या एक हाथ या पाँव के कुछ भाग में लकवा, जोकि जन्म के दौरान कंधे की क्षति से आती है|
कुष्ठ: हाथ या पाँव का लकवा बड़े बच्चों में धीरे-धीरे शुरू होता है| प्रायः वहाँ पर त्वचा में धब्बे तथा स्पर्श शुन्यता होती है| रीढ़ की हड्डी में तपेदिक होने के कारण, धीरे-धीरे या अचानक शरीर के निचले भाग में लकवा हो सकता है
सुषुम्मा नाड़ी की क्षति : या पैर या हाथ से जुडी खास नस का ख़राब होना| आमतौर पर गंभीर रुप से पीठ या गर्दन की चोट के मामलों में देखा गया है कि लकवाग्रस्त अंग की महसूस शक्ति समाप्त हो जाती है|
लैथरिज्म : इसमें नीचे के सभी अंग लकवाग्रस्त होते हैं| वस्तुतः लैथरिज्म में अंगों में कड़ापन आ जाता है|
स्पाइना बायफिडा – यह जन्मजात होता है| पैरों में महसूस की शक्ति घट जाती है| और प्रायः पीठ में कूबड़ (या शल्यक्रिया से निशान) आ जाते हैं|
जिन बच्चों में उनके जोड़ों या हड्ड्यों में खराबी, या गंभीर रूप से विटामिन ‘सी’ का आभाव, या जोड़ों के दर्द के साथ मियादी बुखार, जोकि पोलियो के कारण लकवा से हो, आदि हैं तो उन्हें अपने अंग संचालन में कठिनाई हो सकती है| इन चीजों को ध्यान में रखते हुए ध्यान पूर्वक जाँच करानी चाहिए|
लकवा या मांस पेशी विकृति के अन्य कारण – पोलियो की भाँति फ्लोपी लकवा के कई कारण हैं| इनमें से सर्वाधिक सामान्य ही ‘गुलियान बार-ए’ पैरालिसेस है| जो एक वायरस के संक्रमण, विषाक्तता यह अनजाने कारणों से हो सकता है| यह बिना चेतावनी के पाँव से शुरू होकर में फैल सकता है| कई बार महसूस शक्ति घट जाती है| प्रायः शक्ति धीरे-धीरे वापस आती है| पूरी तरह से या थोड़ी सी, हफ्तों या महीनों के बाद| पुनर्स्थापन और रोकथाम पोलियो की भांति दूसरी समस्याएँ हैं|
स्रोत:- जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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