हम, यद्यपि अपनी दृष्टि द्वारा प्राप्त सूचना के आधार पर ही कार्य करते हैं, फिर भी, बहूत ही कम संदर्भों में हम देखने की प्रक्रिया को महत्व देते हैं। दृष्टि तथा श्रवण को दूरस्थ संवेदन कहा जाता है। रुचि और स्पर्श अपने शरीर के संवेदन महसूस करते हैं, परंतु संवेदन हमें अपने शरीर से बाहर की सूचनाएँ प्रदान करता है।
दृष्टि सभी संवेदनों से प्रमुख है। इस संवेदन के द्वारा प्राप्त होने वाली सूचना की किस्म अतुलनीय होती है। विकास के प्रत्येक क्षेत्र के भीतर स्वतंत्र रूप से कार्य करने और अधिकांश व्यवहारों को करने के लिए दृष्टि का उपयोग करने की योग्यता बहुत महत्वपूर्ण होती है। वस्तुओं को पकड़ने, उनकी और देखने और रखपाल की ओर देखकर मुस्कुराने, खिलौने के साथ खेलने, छिपे खिलौनों या वास्तुशास्त्रओं को तलाशने, सहयोगियों के साथ खेलने आदि जैसी बातें दृष्टि क्षति के कारण प्रभावित हो जाती हैं। दृष्टि एक सतत या सिलसिलेवार या या निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, जबकि अन्य संवेदी क्षणिक और तरंगी होती हैं। दृष्टि अन्य संवेदनाओं के लिए शिक्षक की तरह काम करती है।
जब बच्चा पैदा होता है तो उसकी दृष्टि क्षमता बहुत ही सीमित होती है। यद्यपि भ्रूण के जीवनकाल में सबसे पहले बनने वाला संवेदी अंग यही है, फिर भी जन्म के समय का सबसे कम विकसित दृष्टि संवेदन ही होता है।
दृष्टि कौशलों का विकास सुव्यवस्थित सिलसिला है। जन्म के समय दृष्टि व्यवहार प्राथमिक रूप से परवर्ती होते हैं और बच्चे की दृष्टि प्रौढ़ व्यक्ति की दृष्टि की तरह तेज नहीं होती। सामान्य दृष्टि विकास होने के लिए, शारीरिक और दैहिक प्रक्रियाओं का घटना जरूरी है। यह माना जाता है कि ये प्रक्रियाएं आरंभिक दृष्टि अनुभवों और साथ ही साथ तांत्रिक परिपक्वन पर आश्रित होती है।
दृष्टि सीखी हुई प्रक्रिया होती है जो, जिसे देखा जाता है उसे अर्थ प्रदान करती है। आरंभ में, बच्चा हल्के प्रेरकों पर ध्यान देने योग्य होता है और बाद में वह प्रकाश का अनुसरण करना सीख जाता है। यद्यपि लगता है कि बच्चा, अपने आरंभिक जीवन में अपनी माँ का चेहरा देख रहा है, परंतु सच्चाई यह है कि 3 महीनों की आयु में पहुँचने के बाद ही वह चेहरों की साफ तौर से पहचानने का कौशल हासिल कर पाता है।
ये आरंभिक कौशल ही परिपक्व दृष्टि कौशलों के विकास जैसे – दृष्टि मार्गदार्शिता पहुँच, माता – पिता के चेहरों की आकृतियों या अभिव्यक्तियों की नकल करने, गुड़िया, खिलौने आदि के साथ खेलने के लिए प्रगति आधार बनता है।
अपने बच्चे की दृष्टि की जाँच करने के लिए निम्नलिखित चार्ट का उपयोग करें। यह बच्चे की आयु के अनुसार दृष्टि कौशलों को दर्शाता है।
क्षेत्र |
क्र. सं. |
मद |
आयु |
लक्ष्य बंधन |
1 |
प्रकाश की ओर घूरता है |
1 माह |
लक्ष्य बंधन |
2 |
व्यक्ति की ओर क्षणिक नजर |
1 माह |
खोज/ट्रेकिंग |
3 |
आँखों से चलने – फिरने |
2 माह |
स्थान निर्धारण |
4 |
ध्वनि के स्रोत की ओर देखता है |
2 माह |
स्थान निर्धारण |
5 |
प्रकाश की दिशा की ओर देखता है |
2 माह |
खोज/ट्रेकिंग |
6 |
प्रकाश के आड़ा पीछा करता है |
2 माह |
नेत्र संपर्क |
7 |
आदमियों के चेहरा देखकर मुस्कुराता है (सामाजिक मुस्कुराहट) |
3 माह |
आत्म जागरूकता |
8 |
स्वयं के हाथों को देखता है |
3 माह |
ट्रेकिंग |
9 |
प्रकाश का खड़ी दिशा में पीछा |
4 माह |
ई. एच. सी. + |
10 |
पहुँचने का प्रयास |
4 माह |
ई. एच. सी. + |
11 |
मुंह में दृष्टि, लक्ष्यों को रखता है (मुंह बाकर देखना) |
4 माह |
खोज/ट्रेकिंग |
12 |
प्रकाश का आड़े, खड़े और रास्ते पर पीछा |
4 माह |
ई. एच. सी. + |
13 |
दिखने वाले लक्ष्यों तक सफलता से पहुँच उन्हें पकड लेता है |
5 माह |
पर्यावरण के प्रति जागरूकता |
14 |
मानकों जैसी छोटी चीजों को देखता है। |
5 माह |
दृष्टि बदलना |
15 |
एक से दूसरी वस्तु को देने योग्य |
6 माह |
पर्यावरण के प्रति जागरूकता |
16 |
6 फीट के अंतर से ही एक जैसे चेहरों को पहचानता है। |
6 माह |
स्वा जागरूकता |
17 |
आईने में प्रति छाया को देखकर मुस्कुराता है |
6 माह |
ई. एच. सी. + |
18 |
एक हाथ से दुसरे हाथ में वस्तुओं को बदलता है। |
6 माह |
ई. एच. सी. + |
19 |
मानकों जैसी चीजों को उठा लेता है |
7 माह |
ई. एच. सी. + |
20 |
वस्तु को हाथ में लेकर और विवरणों के लिए देखता है |
7 माह |
संपर्क |
21 |
माँ के चेहरे के गुस्सा, खुशी आदि भावों के प्रति प्रतिक्रिया |
8 माह |
ई. एच. सी. + |
22 |
लिखने पर दिलचस्पी दिखाता है |
8 माह |
अनुसरण |
23 |
अन्यों की मुस्कान, क्रोध आदि भावों की नकल करता है |
9 माह |
पर्यावरण के प्रति जागरूकता |
24 |
फर्नीचर के नीचे गुम खिलौनों को ढूँढता है |
10 माह |
ई. एच. सी. + |
25 |
आज्ञा देने पर क्यूबों को कप में रखता है |
10 माह |
ई. एच. सी. + |
26 |
पेपर के टुकड़े या अनाज के दानों जैसी छोटी वस्तुओं को उठा लेने में रुचि दिखाता है। |
11 माह |
अनुकरण |
27 |
बाय – बाय, गुड मार्निंग जैसी क्रियाओं की नकल करता है। |
11 माह |
ई. एच. सी. + ट्रेकिंग दृष्टि विचलन |
28 |
वस्तुओं के एक हाथ से निकाल दूसरी तरफ ले जाने पर एक तरफ से दूसरी तरफ देखता है |
12 माह |
घूरना |
29 |
बारी – बारी से नजदीक और दूर की वस्तुओं को देखता है |
12 माह |
ई. एच. सी. + |
30 |
क्रेयान से लिखता है |
14 माह |
पर्यावरण के प्रति जगरूकता |
31 |
चित्रों की पुस्तकों में दिलचस्पी |
14 माह |
ई. एच. सी. + |
32 |
तीन क्यूबों से सरल संरचना बनाता है |
18 माह |
ई. एच. सी. + |
33 |
आड़ी – खड़ी रेखाओं को दोहराता है |
24 माह |
पर्यावरण के प्रति जगरूकता |
34 |
छिपी वस्तुओं को नजरों से ढूंढता है |
24 माह |
ई. एच. सी. + |
35 |
8 क्यूबों से टावर बनाता है |
27 माह |
ई. एच. सी. + |
36 |
वृत्त और त्रिकोण जिसे सरल आकारों का मिलान करता है |
36 माह |
ई. एच. सी. + |
37 |
वृत्त की नकल कर सकता है |
36 माह |
ई. एच. सी. + : आँख, हाथ का समन्वयन
इस जाँच सूची में बचकने के कौशल करने की क्षमता के साथ जिस क्षेय्र और आयु मेव्ह उन्हें करता दर्शाया गया है, जो उसे सामान्य रूप में हासिल हो जाते हैं। यदि आपको लगता है कि आपका बच्चा अपनी आयु के अनुसार उक्त कार्यकलाप नहीं करता है, तो अप अपने बच्चे की पसंद के आवश्यक कार्यकलाप खोजने के लिए विकासीय कार्यकलापों केकक में जाएँ सुदृश्य एकक में जाएँ।
यदि आप में से कोई भी व्यवहार अपने बचे में देखें तो तत्काल नेत्र चिकित्सक/डॉक्टर से संपर्क कर उनका परामर्श लें।
यदि निम्न में से कोई हो तो दृष्टि समस्या का संदेह करें।
क्र. सं. |
व्यवहार |
1 |
आँख की पुतली का अत्यधिक तेज गति से घूमना |
2 |
आँख की पुतली अंदर/ऊपर/नीचे या एक दुसरे से भिन्न घूमती हों। |
3 |
आँखों को अत्यधिक मलना |
4 |
एक आँख का बंद रहना या पलक का आवरण पड़ा रहना। |
5 |
नजदीक से काम करते समय चेहरे की नसों का तनना। |
6 |
नजदीक से काम करते समय तिरछा देखना/पलक झपकते रहना/भौहें चढ़ाना/चेहरे की आकृति को बिगाड़ना। |
7 |
अत्यधिक भद्दा |
8 |
देखते समय सिर को झुकाना या आगे लाकर धंसाना। |
9 |
दृष्टि परिक्षण के लिए वस्तुओं को आँखों के काफी नजदीक लाकर पकड़ता हो। |
10 |
आँखों को लगातार तिरछा रखना या दोनों आँखों को एक साथ घुमाने में असफल होना। |
11 |
तेज प्रकाश की प्रतिक्रिया में बेचैनी जाहिर करता है (फोतोफोबिया) |
12 |
चलते समय चीजों से टकरा जाता है। |
13 |
सुपरिचित चेहरों को देखकर भी प्रतिक्रिया नहीं करता है। |
14 |
वस्तुओं तक सीधे पहुंचने में योग्य नहीं |
15 |
सूर्यास्त के बाद देखने में कठिनाई। |
क्र. सं. |
दृष्टि संकेत |
1 |
आँखों में लाली |
2 |
आँखों से अत्यधिक मात्रा में पानी रिसना |
3 |
पोपटों पर या बरौनियों में पपड़ियाँ बनना |
4 |
आँखों की पुतलियों का असमान आकर |
5 |
अंजनहारी का बार – बार होना, सूजी पलकें |
6 |
शिथिल पलकें |
7 |
सूखी, झुर्रीदार या गेंदली आँखें |
8 |
एक/ दोनों पुतलियों का भूरा/सफेद होना |
9 |
आकृति, आकार या बनावट में आँखों में अनियमितताओं का होना |
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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