वृद्धों लोगों, विशेषकर अकेले रहने वालों की हिफजित और सुरक्षा, न केवल वरिष्ठ नागरिकों के सरोकार और चिंता का विषय है, वह उनके परिवारों और बेहतर समुदाय का दायित्व भी है | अनेकों कारणों से वृद्ध लोगों को अपने परिवारों से दूर रहना पड़ता है, इस कारण व खासतौर पर सुरक्षा जोखिमों का शिकार होने की स्थिति में होते हैं |
अकेले रहना असुरक्षा की भावनाएं पैदा कर सकता है | व्यक्ति को अपनी निजी सुरक्षा व अपने घर की चिंता पैदा हो सकती है | इसलिए, परिवार, समुदाय तथा सभी सरोकार रखने व्यक्तियों/ संस्थाओं को इन मुद्दों को लेकर चिंता करनी चाहिए और उनके समाधान तलाश ने चाहिए | आपको अपराध से बचाने के कुछ सरल उपाय निम्न हैं :
क) इन मुददों पर विशेषज्ञतापूर्ण सलाह पाने के लिए पुलिस अधिकारी से सम्पर्क करें |
ख) स्थानीय कोलोनियों में नेबरहुड वाच स्कीम शुरू कर सकती हैं इन में भागीदारी करना न केवल आपके इलाके में अपराध रोकने में सहायक होगा, बल्कि वह आपको पड़ोसियों की मदद करने व उन्हें सलाह देने का एक अवसर भी प्रदान करेगा | यह एक जाहिर सा परामर्श हैं, पर आप अपने इलाके की सीनियर सिटीजन वेल्फेयर एसोसिएशन से भी संपर्क कर सकते हैं | अगर आपके इलाके में इस तरह का संगठन नहीं है, तो आप उसे बनाने की पहल कर सकते हैं |
ग) अपने दरवाजों और खिड़कियों में ऐसी व्यवस्था करें कि आपकी मर्जी के विरूद्ध कोई उनसे अंदर प्रेवश न कर सकें |
घ) अपने दरवाजे में मैजिक आई लगवाएं |
च) सुबह या शाम की सैर के लिए हमेशा समूह में जाएँ |
छ) अपने नौकर का नाम- पता वैगरा की पुलिस से पुष्टि कराएँ |
ज) अजनबियों या नौकरों के सामने घरेलू रहस्यों/सम्पति इत्यादि के बारे में बात न करें |
जब आप अकेले होते हैं, तो आपको दुर्घटना घटित होने की आंशका सताने लगती है | लेकिन, कुछ सावधानियाँ बरत कर आप उनके जोखिम को काफी हद तक कम कर सकतें हैं |
क) उन चीजों की जाँच कर लें जिनसे आपको संभावित तौर तर जोखिम हो सकता है | जैसे सलवटों भरा कालीन, बिजली के ढीले, तार, सीढ़ियों पर कम रोशनी |
ख) बाथ में उतरते और उसमें से निकलते वक्त विशेष सावधानी बरतें | रबर की मैट तथा पकड़ने के लिए सही जगह पर लगाई गई रेलिंग आपको अपना संतुलन बनाए रखने में सहायता देगी |
ग) ऊँचे शैल्फ तक पहुँचने के लिए उचकने या बहुत नीचे बने कर्बोड्स तक झुकने की कोशिश न करें, क्योंकी इससे आपको चक्कर आ सकते हैं और आपका संतुलन बिगड़ सकता है |
अधिकांश अकेले रहने वाले लोगों के साथ कभी विरले ही कोई गंभीर दुर्घटना घटित होती है | लेकिन, तब भी ज्यादा बेहतर है की आप अप्रत्याशित के लिए तैयार रहें निम्न उपाय सुझाव जाते हैं :
क) अपने डॉक्टर, निकट संबंधियों व मित्रों से संबंधित विवरण ऐसी जगह रखें, जहाँ वे दिखाई दें | जैसे टेलीफोन की मेज पर या अपने कमरे के कैलेंडर पर | आप इन विवरणों को बड़े अक्षरों में लाल या हरी स्याही से लिख सकते हैं | इससे आपका पड़ोसी या आपका परिचारक फौरन मदद की लिए संपर्क कर सकेगा |
ख) जरूरी चीजों, जैसे गैस, बिजली व पानी सप्लाई करने वालों के फोन नंबर ऐसी जगह रखें जहाँ वे दिख सकें | इससे वे आसानी से उपलब्ध हो सकेगें |
ग) किसी आपात स्थिति में सबसे अच्छे मददगार आपके पड़ोसी ही ही सकते हैं | आपात स्थिति में उन्हें फोन करें या उनके घर जाएँ ताकि वे आपकी मदद के लिए आ सकें | अगर आप बाहर जा रहें हैं, तो उन्हें बता कर जाएँ |
घ) सामुदायिक अलार्म लगवाने के बारे में सोचें |
अपने जीवन को अधिक आनंदमय बनाने के लिए आप कई सकारात्मक काम कर सकते हैं |
क) पता लगाएँ कि क्या आपके इलाके में कोई सामाजिक क्लब या डे केयर सेंटर है | वहाँ नियमित रूप से जाने की कोशिश करें |
ख) कुछ नया सीखने के बारे में सोचें | कोलोनी के डे केयर सेंटर या सीनियर सिटीजन एसोसिएशन या रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन को कंप्यूटर लिटरेसी, बागवानी, गाने, योग इत्यादि का कोई छोटी आवधि का कोर्स शुरू करने के लिए तैयार किया जा सकता है |
ग) किसी पैन फ्रेंड को पत्र लिखने के बारे में सोचें | ऐसे मित्र रेडियो चैनलों या इंटरनेट इत्यादि के जरिए तलाशें जा सकते हैं |
घ) सीनियर सिटीजन एसोसिएशन या रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन इत्यादि के सदस्य बनें ताकि आप समुदायिक कार्यों में संलग्न हो सकें | इससे आपका समुदाय से निरंतर सम्पर्क बना रहेगा |
च) अगर आप अकेले रहते हैं, तो कोई पालतू जानवर रखें | वह अच्छा साथी हो सकता है | अगर कुत्ता या बिल्ली पालना मुश्किल हो, तो कोई पक्षी पाल लें |
अकेले रहने वाले वृद्ध लोग अपने पड़ोसियों पर भरोसा कर सकते हैं | जरूरत के समय व फौरन मदद दे सकते हैं इसलिए, अपने पड़ोसियों से मित्रतापूर्ण संबंध बनाएं | इस भाग में इस संबंध कुछ सुझाव दिए गए हैं |
क) पड़ोसी को चाय पर बुलाएं | यह उससे जान- पहचान का एक अच्छा तरीका है | संभव है की उस इलाके में नए आए युवा लोग अतीत के किस्से सुनने में दिलचस्पी रहते हों|
ख) पड़ोसियों से जान - पहचान हो जाने के बाद, उनके पास महत्वपूर्ण सम्पर्क नंबर छोड़ दें ताकि जरूरत के समय वे मदद कर सकें |
ग) अगर आपका पड़ोसी बीमार है तो उसके लिए खरीददारी करने, उसके बच्चे को संभालने, कुत्ते को घूमाने का प्रस्ताव रखें |
घ) सुलभ बनें और अपने पड़ोसियों को बताएँ की वे आपके पास कभी भी आकर अपनी आपसी समस्याओं के बारे में कर सकते हैं
च) स्थानीय नेबरहुड वाच समूह के सदस्य बनें |
अगर पड़ोसियों से बात भर करना नकाफी लगता है, तो उनके विवादों और झगड़ों में मध्यस्थता करें | आप उनमें समझौता करा झगड़ा दूर कर सकते हैं मध्यस्थता करना एक अच्छा काम है, क्योंकी इससे पड़ोसियों के बीच आपस में अच्छे संबंध बने रहते हैं | मध्यस्थता करने में आपको निष्पक्ष रहना चाहिए | इस काम में आम तौर पर एज से दो घंटे लग सकते हैं | सभी को अपनी बात कहने का अवसर मिलना चाहिए और किसी के बोलते वक्त बीच में बाधा नहीं डालनी चाहिए |
अगर कोई अपराध हो रहा है तो पुलिस बुलाएं | मसलन, अगर शांति भंग हो रही है या कोई हिंसक हो रहा है | लेकिन ध्यान रखें की पुलिस बुलाने पर मामले को अनौपचारिक स्तर पर सुलझाने की संभावना कम हो जाती है | याद रखें की पुलिस की अपनी काफी व्यस्तताएं हैं, इसलिए छोटे- मोटे मामलों में उन्हें बुलाने से बचना चाहिए |
पड़ोसियों के साथ कुछ समस्याएँ केवल मतभेद या दूसरों के प्रति लापरवाही से कहीं ज्यादा गंभीर होती हैं | वे समाज विरोधी व्यवहार की श्रेणी में आ सकती हैं | इस तरह के व्यवहार से निपटने के लिए निम्न कदम उठाए जा सकते हैं :
अपेक्षाकृत कम विकसित इलाकों में दुर्व्यवहार की घटनाओं के बारे में सीमित आंकड़ों के संकलन के कारण, अपराधिक रिकार्ड, मीडिया रिपोर्ट, समाज कल्याण संबंधी रिकार्ड तथा लघूस्तारीय आध्ययनों जैसे गैर – आंकड़ापरक स्रोतों के आधार पर वृद्ध लोगों से दुर्व्यवहार, उनके शोषण या परित्याग की घटनाओं को प्रतिनिधि आंकड़ों के रूप में लिया जा सकता है | इस तरह की सूचनाओं में एक भारत संबंधी निष्कर्ष भी शामिल है उसके अनुसार ग्रामीण इलाके में लिए गए एक छोटे नमूने में सत्तर की उम्र से अधिक 50 व्यक्तियों से | 20 प्रतिशत का कहना था की उन्हें उनके घरों में नजरअंदाज किया जाता है |
हिन्दू एडोप्शन्स व मेंटेनेंस एक्ट, 1956 धारा 20 (3)
यह धारा इस सुस्थापित सामान्य दायित्व को वैधानिक दर्जा प्रदान करती है कि एक हिन्दू बालक (पुरूष या स्त्री) तब तक अपने वृद्ध या बीमार आभिभावक का भरण- पोषण, जब तक वे स्वयं ऐसा करने में समर्थ नहीं हो जाते | पुराने हिन्दू कानून के तहत वृद्धों व बीमारी के अधिकार को बस इस हद तक बरकरार रखा गया है | (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर, 1973 की धारा 125 (1) (डी)
भरण - पोषण एक व्यापक अर्थो वाला शब्द है और इसकी व्याख्या भोजन, वस्त्र, आवास, चिकित्सा व उपचार प्रदान करने के रूप में की जाती है | अगर अभिभावकों का आय का कोई अपना स्रोत नहीं है, या सम्पत्ति नहीं है तो बच्चे उनके भरण- पोषण के दायित्व से इस आधार पर नहीं बच सकते की वे अपने साधनों से अपना माता- पिता का भरण – पोषण करना बच्चों का नैतिक दायित्व है, लेकिन कानून उन्हें यह जिम्मेदारी केवल उस स्थिति से सौंपता है जब उनके माता- पिता स्वयं ऐसा करने में असमर्थ हों |
1996 में हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एक अभिभावक भरण- पोषण विधेयक पारित किया था | इसे अभी भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलना शेष है |
कमोबेश इसी विधेयक की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार ने एक विधेयक तैयार किया है |
गोवा सरकार से मिले पत्र के अनुसार वह भी अभिभावक भरण- पोषण विधेयक लाने की दिशा में पहल करने की योजना बना रही है |
भारत के शहरी इलाकों में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार के सभी रूप सामने आते हैं | वृद्ध लोगों को आर्थिक, भावनात्मक और कभी – कभी शारीरिक दुर्व्यवहार तक सहन करना पड़ता है | दुर्व्यवहार का सबसे आम रूप है – वृद्ध लोगों और उनकी जरूरतों को नजरअंदाज कर देना | लेकिन, भारत में इस समस्या से निपटने के लिए कोई कानून नहीं है |
‘वृद्धों के साथ भूमंडलीय स्तर पर दुर्व्यवहार रोकने का टोरोंटो घोषणापत्र’, 2002 वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार रोकने के उद्देश्य से की गई एक अंतर्राष्ट्रीय घोषणा है | इंटरनेशनल नेटवर्क फॉर प्रिवेंशन ऑफ एल्डर एब्यूज नामक संगठन की स्थापना 1997 में हुई थी | यह दुनिया भर में वृद्ध लोगों के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को रोकने के लिए वचनबद्ध है और अपने इस संकल्प के एक अंग के रूप में वह संसार भर में सूचनाएं प्रसारित करता है |
एजवैल- हेल्पलाइन
एजवैल फाउन्डेशन ने दिल्ली में वृद्ध लोगों के लिए एक हेल्प लाइन शुरू की है | इस लाइन पर स्वयंसेवी वृद्धों के चिकित्सीय व भावनात्मक मुददों को सुनने व कानूनी तथा वित्तीय परामर्श देने के लिए हमेशा उपलब्ध होता है | हेल्प लाइन न. हैं: 2983, 6484, 2983, 0484 | सम्पर्क करने के पता हैं : एम्- 4 लाजपत नगर 2, नई दिल्ली – 110024|
हेल्पएज इंडिया
हेल्पएज इंडिया ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए चेन्नई में हेल्प लाइन सेवा शुरू की है | न. है 1253 |
डिग्निटी फाउंडेशन हेल्प लाइन
डिग्निटी हेल्पलाइन दरअसल डिग्निटी कम्पेनियनशिप सर्विस के एक टेलीफोन एक्स्टेंशन के रूप में शुरू की गई थी | कठिन स्थितियों में वृद्धों के आपातकालीन मदद की प्रकृति ने इस हेल्पलाइन के कामकाज को ही बदल दिया | अब यह पूरी तरह वृद्धों के मदद करने व उन्हें बचाने के काम के प्रति समर्पित है | योग्य सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा विपत्ति में मदद मांगने वाले वृद्धों के टेलीफोन सुने जाते हैं | हेल्पलाइन के नंबर हैं – मुम्बई 2389807, चेन्नई 26473165, कोलकाता 24941314.
अगर वृद्धावस्था में कोई व्यक्ति स्वस्थ व आत्मनिर्भर जीवन जीता है, तो वह गरिमा के साथ वृद्ध हो सकता है | इसके लिए, मनुष्य द्वारा बनाए गए व प्राकृतिक वातावरण को यदि सोच – विचार करके बाधा या अवरोधों से मुक्त बना दिया जाए, तो इससे वृद्धों को अपने घर में बहुत आराम व सुविधा का अहसास होगा | इसके चलते, उन्हें ओल्ड ऐज होम की देखभाल की जरूरत नहीं पड़ेगी| निर्मित परिवेश को अवरोध मुक्त बनाने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए जा रहें हैं |
वृद्ध व्यक्ति कभी गिर जाने या बीमारी के कारण अस्थायी या स्थायी रूप से शारीरिक असमर्थता का शिकार हो सकते हैं | तब उन्हें व्हील चेयर या वॉकर इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ सकती है | अत: घर के प्रवेश पथ/द्वार को किसी रैम्प के द्वारा या कम चढ़ाई वाली ढलानें बना कर ऐसा रूप दिया जा सकता है की उस स्थिति में वृद्धों को कोई असुविधा न हो |
जहाँ तक संभव हो भूमि स्थित तल पर रहें और घर के युवा लोगों को ऊपर की मंजिल इस्तेमाल करने दें | अगर आप ऊपर की मंजिल पर रहते हैं, तो सीढ़ियों को बहुत सावधानी के साथ धीरे- धीरे चढ़ें | सीढ़ियों चढ़ते वक्त रेलिंग को पकड़ कर चढ़े | सीढ़ियों का फर्श यानी उन पर पैर टिकाने वाली जगह चिकनी नहीं होनी चाहिए | उन पर फिसलन से बचाने वाली नोजिंग (सीढ़ियों के किनारे) होनी चाहिए, जैसी की नीचे के चित्र में दिखाई गई हैं | उभरी हुई नोजिंग के मुकाबले ढ़ालानदार नोजिंग ज्यादा बेहतर होती हैं, क्योंकि इससे उन लोगों को दिक्कत नहीं आती, जो छड़ी या वॉकर की मदद से चलते हैं | ये चीजें सीढ़ियों के नोकदार या उभरे किनारों में अटक सकती हैं | इसके अलावा, दो सीढ़ियों को मिलाने वाली जगह खुली नहीं होनी चाहिए | सीढ़ियों को इस तरह बनाया जाना चाहिए कि उनकी ऊँचाई और चौड़ाई बराबर हो | वृद्ध को आराम देने के लिए सीढियाँ बराबर और कम ऊंचाई की होनी चाहिए |
वृद्धों को गिरने से बचाने के लिए, सीढ़ियों पर एक समान रोशनी होनी चाहिए |
हर जीने की पहली और आखिरी सीढी की ऊंचाई और चौड़ाई को अलग- अलग रंगों से रंगना चाहिए ताकि उन्हें साफ-साफ देखा जा सके | इससे वृद्ध व्यक्ति को उन्हें चढ़ने में डर नहीं लगेगा|
घर के भीतर और आसपास के परिवेश में बरामदों, रास्तों और बागीचे की पगडण्डीयों में फूलदान, डस्टबिन जैसी चीजों की भरमार नहीं होनी चाहिए | जहाँ भी संभव है, तमाम उपकरणों व फिटिंग्स को जुड़ी हुई हालत में होना चाहिए | इन सावधानियों से वृद्ध व्यक्तियों को अपने घर में आत्मनिर्भरता की भावना महसूस होगी और वे आसानी के साथ अपने रोजमर्रा के कामकाज कर पाएँगे | हकीकत में इससे उन्हें सक्रिय रहने का प्रोत्साहन मिलेगा |
वृद्ध लोग सबसे अधिक बार टॉयलेट में ही गिरते हैं | वहाँ फर्श पानी बिखरने के कारण फिसलन भरा हो जाता है | फर्श को फिसलन – प्रतिरोधी टाइलों या रबड़ मैट्स की मदद से ऐसा बनाया जा सकता है कि फिसलने का खतरा न रहे | eइस्तेमाल के बाद टॉयलेट को सूखा रखना चाहिए | चप्पलें आरामदेह होनी चाहिए और उनमें रबड़ का सोल लगा होना चाहिए | इस्तेमाल की 50 मि. मि. व्यास की छड़ों के द्वारा टॉयलेट में ग्रैब बार या पकड़ने की छड़ें लगाई जा सकती हैं | इन प्रबंधो के बाद, वृद्ध लोग उम्र या बीमारी से कमजोर होने के बावजूद, अधिक आत्मविश्वास के साथ टॉयलेट का उपयोग कर पाएँगे | वृद्धावस्था के पहले से ही व्यक्ति को पश्चिमी तरीके की सीट पर बैठने का अभ्यास कर लेना चाहिए, क्योंकी बाद की उम्र में वे बैठने में अधिक सुविधाजनक होती हैं | घुटनों के जोड़ों में दर्द की शिकायत रखने वाले वृद्ध लोगों के लिए ऐसी सीट आरामदेह रहेगी | सेनिटेरी फिटिंग्स में एक्शन हैंडल लगवाए जा सकते हैं ताकि अथ्राइटिस ग्रस्त उँगलियों और कलाइयों को उन्हें इस्तेमाल करने में आसानी रहे |
घर में फर्नीचर को रखने की व्यवस्था सरल और बाधारहित होनी चाहिए | इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण थोड़ा लड़खड़ाने के बावजूद, वृद्ध लोगों को घर के भीतर चलने-फिरने में आसानी रहेगी | फर्नीचर आरामदेह भी होना चाहिए | सीटें बहुत नीची नहीं होनी चाहिए अन्यथा वृद्धों को उठने में दीक्कत आएगी |
ज्यादातर वृद्ध लोगों की नजर कमजोर हो जाती है | आँखे तेज रोशनी की चौंध को बर्दाश्त करने में असमर्थ हो सकती हैं | ज्यादातर बेहतर है कि जहाँ तक संभव हो तेज धुप और भीतर की कृत्रिम रोशनी की सीधी चौंध को खत्म करने की व्यवस्था की जाए | भीतर की रोशनी और बाहर फैली रात के अँधेरे के बीच के अंतर (कन्ट्रास्ट) को ठीक खिड़कियाँ के बाहर की जगह में बल्ब जला कर कम किया जा सकता है |
स्विच – प्लेट किसी सुगम जगह लगाई जानी चाहिए और आसानी से उनकी पहचान करने के लिए उन पर और दीवारों पर अलग- अलग रंग किया जाना चाहिए | घर के भीतर कॉरिडोर और बाहर के रास्तों या उनके किनारों के रंग अलग होने से वृद्ध लोगों को आत्मविश्वास के साथ उन पर चलने में मदद मिलेगी |
ज्यादातर वृद्ध लोगों की सुनने की शक्ति कम हो जाती है कमरों की ध्वनि व्यवस्था को उपयुक्त रूप देने के लिए कुछ सरल उपाय किए जा सकते हैं | अपहोलेस्टरी, टेपेस्ट्री, कालीन और दरियाँ ध्वनि को जज्ब करने वाली सामग्री से बने होने चाहिए | इससे शब्दों की गूँज खत्म करने में मदद मिलेगी और इस तरह आम बातचीत साफ सुनाई देगी |
वृद्ध लोगों में संक्रमण प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है | इसलिए, जितना संभव हो भीतर का वातावरण साफ- सुथरा होना चाहिए | हमारा सुझाव है की भीतर की दीवारों की सतहें चिकनी और समतल होनी चाहिए | दीवारों पर प्लास्टर ऑफ़ पेरिस के लेप के द्वारा उन्हें यह रूप दिया जा सकता है | चिकनी दीवारों पर धुल और मकड़ी के जाले नहीं जमेंगे | इसके अलाव चिकनी दीवारें और उनके गोल कोनों के होते त्वचा पर चोटें नहीं लगेंगी | अन्यथा वृद्धों में त्वचा का लाचिलापन कम होने के कारण उन्हें खंरोचें आ सकती हैं |
ज्यादातर वृद्ध लोग पारिवारिक परिस्थितियों या ख़राब स्वास्थ्य के कारण अकेलापन और अवसाद महसूस करते हैं, इसलिए सुन्दर व मन को प्रसन्न करने वाली घर के भीतर की सजावट उनके उत्साह व मनोबल को बढ़ाने में बहुत मदद दे सकता है | कोई खिड़की या बाल्कनी तलाशें जहाँ से आप अपने मनबहलाव के लिए बाहर के ससांर को आते- जाते देख सकें |
स्त्रोत: हेल्पेज इंडिया/ वोलंटरी हेल्थ एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया
अंतिम बार संशोधित : 2/14/2020
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