कैंसर एक विश्वव्यापी रोग है| इसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व मे होनेवाली कुल मौतों का एक बड़ा हिस्सा कैंसर द्वारा होता है| यह संख्या कुल मौतों का लगभग 13 प्रतिशत है|
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार 2008 में कैंसर से 76 लाख लोगों की मौत हुई थी| इस अंक में कैंसर पर विशेष जानकारी दे रहे हैं दिल्ली के प्रतिष्ठित डॉक्टर|
इस रोग के अधिकांश मामलों मे टय़ूमर का निर्माण होता है| यह एक ऐसा रोग है जिसमें शरीर की कोशिकाओं का एक समूह असीमित रूप से वृद्धि करता है अर्थात कोशिका विभाजन अनियंत्रित हो जाता है| कैंसर कोशिकाएं आस-पास के स्वस्थ उत्तकों पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर देतीं हैं और रक्त के साथ मिलकर पूरे शरीर मे फैल जाती हैं| हालांकि सारे टय़ूमर कैंसर नहीं होते हैं|
धूम्रपान-सिगरेट या बीड़ी, के सेवन से मुंह,गले, फेंफड़े, पेट और मूत्राशय का कैंसर होता है|
तंबाकू, पान, सुपारी, पान मसालों, एवं गुटकों के सेवन से मुंह, जीभ खाने की नली, पेट,गले, गुर्दे और अग्नाशय (पेनक्रियाज) का कैंसर होता है|
शराब के सेवन से श्वास नली, भोजन नली, और तालू में कैंसर होता है|
धीमी आंच व धुंए में पका भोजन (स्मोक्ड) और अधिक नमक लगा कर संरक्षित भोजन, तले हुए भोजन और कम प्राकृतिक रेशों वाले भोजन का सेवन करने से बड़ी आंतों का कैंसर होता है|
कुछ रसायन और दवाइयों से पेट, यकृत और मूत्राशय का कैंसर होता है|
लगातार घाव पैदा करने वाली परिस्थितियों से त्वचा, जीभ, होंठ, गुर्दे, पित्ताशय और मूत्राशय का कैंसर होता है|
कम उम्र में यौन संबंध और अनेक पुरुषों से यौन संबंध के कारण बच्चेदानी के मुंह का कैंसर होता है|
पूरे विश्व में कैंसर से होनेवाली मौतों में 22 प्रतिशत और फेंफड़े के कैंसर से होनेवाली मौतों में 71 प्रतिशत सिर्फ तंबाकू के कारण होती हैं|
कुछ आम तौर पर होनेवाले कैंसर :
पुरुष : मुंह, गला, फेंफड़े, भोजन की नली, पेट और पुरूष ग्रंथी (प्रोस्टेट)
महिला : बच्चेदानी का मुंह, स्तन, मुंह, गला, ओवरी
कैंसर आज महामारी के रूप में उभर रहा है मगर सही जानकारी के अभाव में लाखों लोग इलाज नहीं करा पा रहे हैं| चिकित्सा विज्ञान ने कैंसर पर काबू पाने के लिए आज दवाइयों समेत ऐसी कई तकनीक इजाद कर ली है जिनसे इस बीमारी को हराया जा सकता है|
शरीर के किसी भी अंग में घाव , जो न भरे|
लंबे समय से शरीर के किसी भी अंग में दर्दरहित गांठ या सूजन|
स्तनों में गांठ या रिसाव| मल-मूत्र, उल्टी, थूक में खून आना|
आवाज में बदलाव, निगलने में दिक्कत, मल-मूत्र की सामान्य आदत में परिवर्तन, लंबे समय तक लगातार खांसी|
पहले से बनी गांठ, मस्सों व तिल का अचानक तेजी से बढ़ना और रंग में परिवर्तन या पुरानी गांठ के आस-पास नयी गांठों का उभरना|
बिना कारण वजन घटना, कमजोरी आना या खून की कमी|
औरतों में- स्तन में गांठ, योनी से अस्वाभाविक खून बहना, दो माहवारियों के बीच व यौन संबंधों के तुरंत बाद तथा 40-45 वर्ष की उर्म में माहवारी बंद हो जाने के बाद खून बहना|
अलग-अलग कैंसर के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं| आम तौर पर होनेवाले कैंसर मुंह और गले के कैंसर हैं| इसके कई लक्षण हैं, जो साधारण व्यक्ति भी आसानी से पहचान सकता है, जैसे - मुंह में छाले पड़ना, निगलने में परेशानी होना, पानी पीने में तकलीफ होना इत्यादि| महिलाओं में पीरियड खत्म होने पर भी खून का आते रहना बच्चेदानी का कैंसर होने का लक्षण है| स्तन कैंसर के मामले पुरुषों मे भी देखने को मिल रहे हैं| हालांकि उनकी संख्या अभी बहुत कम है| यह कांख से लेकर स्तन के ऊपरी हिस्से में होता है| इसके लक्षण महिलाओं के समान ही होते हैं, जैसे- स्तन मे गांठ पड़ना, इसके आकार मे परिवर्तन, लगातार बहाव होना, सूजन होना इत्यादि| इस तरह के लक्षण नजर आने पर इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए| कैंसर का पता चलने के बाद घबराना नहीं चाहिए और तुरंत इसका इलाज शुरू करवाना चाहिए|
कैंसर का इलाज तीन तरीकों से किया जा सकता है- इसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी शामिल हैं| कैंसर की जांच करते वक्त सबसे पहले बायोप्सी की जाती है| बायोप्सी में कैंसर से पीड़ित शरीर का छोटा हिस्सा निकाला जाता है और उसका परीक्षण किया जाता है| कैंसर के पहले चरण में सर्जरी के माध्यम से आप इलाज करा सकते हैं| सर्जरी के माध्यम से चिकित्सक द्वारा शरीर के कैंसर प्रभावित हिस्से को निकाल दिया जाता है| तीसरे या चौथे चरण पर खड़े कैंसर को ठीक करने के लिए सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी में से किन्हीं दो तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है| कीमोथेरेपी में दवाई दी जाती है| इस विधा से कैंसर की स्टेज को कम किया जाता है| जैसे यदि कैंसर चौथे चरण में है तो कीमोथेरेपी की मदद से उसे दूसरे स्टेज में लाया जा सकता है| कीमोथेरेपी का इस्तेमाल हर प्रकार के कैंसर में नही किया जाता| कीमोथेरेपी में दी जानेवाली दवाइयों का असर शरीर की कैंसर कोशिकाओं के अलावा अन्य कोशिकाओं पर भी पड़ता था| मगर अब बाजार में टारगेटेड थेरेपी भी आ गयी है, जो सिर्फ कैंसर कोशिकाओं पर ही अपना असर करती है, अन्य कोशिकाओं पर इसका कोई प्रभाव नही पड़ता| 70 फीसदी कैंसर पीड़ितों का रेडियोथेरेपी से भी इलाज किया जाता है| इसमें शरीर के अंदर स्थित कैंसर कोशिकाओं को रेडिएशन के जरिए खत्म किया जाता है| रेडियोथेरेपी लगभग डेढ़ महीने तक की जाती है| जितना जल्द इलाज शुरू हो, मरीज के ठीक होने की संभावना प्रबल होगी|
जवाब : कैंसर से निबटने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है इस संबंध में जागरूकता फैलाना| भारत के ग्रामीण इलाकों समेत एक बड़े भाग में आज भी कैंसर के प्रति कई भ्रम हैं, जैसे- कैंसर का कोई इलाज संभव नहीं है, कैंसर से मौत निश्चित है| अगर हमें कैंसर से निबटना है, तो सबसे पहले जागरूकता लानी आवश्यक है| लोगों में जागरूकता फैलेगी, तो वह सावधान तो होगें ही, साथ ही समय पर इलाज करा कर इस बीमारी से बच भी सकेगें|
जवाब : यह कहना थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि कभी लक्षण देर से दिखाई देते हैं तो कभी तत्काल ही नजर आने लगते हैं| वैसे जब भी कैंसर के बारे में पता चलें तो तुरंत इलाज शुरू करा देना चाहिए|
जवाब : आमतौर पर कैंसर का इलाज छह माह तक चलता है| वहीं मरीज की स्थिति के आधार पर इलाज का समय बढ़ाया भी जा सकता है| इलाज इस पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज में है|
जवाब : जी हां, ऐसा जरूरी नही कि यदि किसी व्यक्ति को एक बार कैंसर हो गया तो उसे दोबारा नहीं होगा| कैंसर दोबारा और कई बार भी हो सकता है|
जवाब : कैंसर ना हो, इसके लिए सावधानी बरतें| शराब का सेवन कम करें, धूम्रपान, तंबाकु आदि से तो दूर ही रहें|
यह कैंसर के उपचार की एक विधि है जिसमें टय़ूमर प्रतिरोधी दवाइयों का मानक मात्र में उपयोग किया जाता है| इसका उपयोग रोग निवारण, जीवन अवधि को बढ़ाने या फिर लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है| इसका प्रयोग कैंसर के अन्य उपचारों जैसे-रेडियेशन थेरेपी, सजर्री, हाइपरथर्मिया के साथ मिलाकर किया जाता है| कीमोथेरेपिक एजेंट का मुख्य कार्य तेजी से विभाजित हो रही कोशिकाओं को नष्ट करना है, जो कैंसर कोशिकाओं का मुख्य गुण है| लेकिन इसके कारण सामान्य लेकिन तेजी से वृद्धि करनेवाली अन्य कोशिकाएं जैसे-बोन मैरो, पाचन तंत्र और बाल भी प्रभावित होते हैं| यही इसका साइड इफेक्ट है| कीमो के कारण प्रजनन तंत्र, लाल रक्तकणों पर प्रभाव पड़ता है, मुंह के छाले हो सकते हैं और कब्ज हो जाता है| बाल झड़ते हैं, लेकिन पुन: उग आते हैं| सिर के साथ शरीर के अन्य हिस्सों के भी बाल झड़ जाते हैं|
दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर देश के श्रेष्ठ कैंसर हॉस्पिटल में से एक है| इसकी स्थापना 1996 मे इंद्रप्रस्थ कैंसर सोसाइटी एंड रिसर्च सेंटर द्वारा की गई थी| इसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा द्वारा किया गया था|
इसकी शुरुआत 152 बेड की क्षमता के साथ हुई थी| वर्तमान में इसकी क्षमता 302 बेड की है| स्टेट ऑफ आर्ट फैसिलिटी के साथ कैंसर के उपचार और निदान की व्यवस्था न सिर्फ इसे उत्तर भारत बल्कि पूरे भारत मे खास स्थान दिलाती है| शुरुआत से लेकर अबतक भारत और विदेश के लगभग एक लाख 50 हजार मरीज यहां आ चुके हैं जो सेंटर ऑफ एक्सेलेंस के रूप मे इसकी योग्यता को सिद्ध करता है| इस हॉस्पिटल की स्थापना का उद्देश्य अत्याधुनिक तकनीक और मानवीयता के साथ कैंसर का उपचार उपलब्ध कराना है|
इस हॉस्पिटल द्वारा सजिर्कल ऑनकोलॉजी, रेडियेशन ऑनकोलॉजी, मेडिकल ऑनकोलॉजी, पेडियेट्रिक हिमेटोलॉजी ऑनकोलॉजी, बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन की सेवाएं दी जाती हैं| यहां 14 बेड की क्षमता वाला आाइसीयू है जहां प्रति साल लगभग 1200 मरीजों को एडमिट किया जाता है| आइसीयू सभी प्रकार के अत्याधुनिक इक्विपमेंट्स से सुसज्जित है| यहां मौजूद बोन मेरो ट्रांसप्लांट यूनिट, इंटेंसिटी मॉय़ूलेटेड रेडियोथेरेपी टेक्निक, इमेज गाइडेड रेडियेशन थेरेपी, दा विंसी रोबोटिक सिस्टम और ट्र बीम तकनीक उत्तर भारत में अपने प्रकार की पहली तकनीक है| यह इस हॉस्पिटल की अत्याधुनिक तकनीक के साथ अपनी सेवा की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है|
यह तकनीक न सिर्फ टय़ूमर में उपस्थित कैंसर कोशिकाओं को अपना निशाना बनाती है बल्कि स्वस्थ कोशिकाओं के बीच उपस्थित कैंसर कोशिकाओं को भी शुद्धता के साथ नष्ट करती है| वहीं ट्र बीम तकनीक बहुत ही कम समय में अति शुद्ध उपचार उपलब्ध कराती है| इस संस्थान में 40 पीइटी-सीटी मशीन लगे हुए हैं| पीइटी-सीटी अर्थात पॉजि़ट्रॉन इमीशन टोमोग्राफी एक ऐसी परमाणु चिकित्सा इमेजिंग तकनीक है जो शरीर की कार्यात्मक प्रक्रियाओं की त्रि-आयामी छवि या चित्र उत्पन्न करती है|
यह पहला ऐसा संस्थान है जहां पीइटी-एमआरआइ फ्यूजन और एमआरआई गाइडेड बायोप्सी की सुविधा उपलब्ध कराई गयी है| यहां मुंह के कैंसर के लिये सीओटू लेजर, डायलिसिस यूनिट, डेंटल डिपार्टमेंट और इ-बस फैसिलिटी जैसी सेवायें उपलब्ध हैं जो मरीजों के बेहतर उपचार को सुनिश्चित करती हैं|
हॉस्पिटल द्वारा दी जानेवाली अन्य सुविधाओं में पेडियेट्रिक रोगियों के लिये प्लेरूम, प्रेयर रूम फैसिलिटी, साइकोलॉजी काउंसलिंग, कैफिटेरिया, बैंक, एटीएम फैसिलिटी, फोटोकॉपियर फैसिलिटी, 24 घंटे खुली रहने वाली फार्मेसी, पार्किग जोन, लाउंड्री, लग्गेज रूम इत्यादि हैं| इसके अलावा हॉस्पिटल की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन, एडमिशन, मरीज का बिल, और अभी हाल में ही उपचार से ठीक हुए रोगियों की लिस्ट मौजूद है|
राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, सेक्टर-5, रोहिणी, दिल्ली-110085
हेल्पलाइन:011-47022222 ; अपॉइंटमेंट:011-47022070 ; इमेल-info@rgcirc.org
क. टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई - www.tmc.gov.in
ख. किदवई मेमोरियल इंस्टिट्यूट ऑफ ऑनकोलॉजी, बेंगलुरु – www.kidwai.kar.nic.in
ग. राजीव गांधी कैंसर इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर, दिल्ली – www.rgcirc.org
घ. महावीर कैंसर संस्थान, पटना – www.mahavircancersansthan.com
ङ. नेताजी सुभाष चंद्र बोस कैंसर रिसर्च इंस्टिट्यूट, कोलकाता - www.nscri.in
स्त्रोत: दैनिक समाचारपत्र
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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