অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

जनन करने वाले महिला और पुरुष के अंग

सुजाक और क्लेमैडिया

  • यह रोग यौन सम्पर्क से फैलते हैं
  • अगर किसी व्यक्ति में सुजाक और क्लेमैडिया एक साथ हो जाए तो दोनों का इलाज भी एक साथ होने चाहिए|

लक्षण

पुरुषों में                             महिलाओं में

-पेशाब करते समय पीड़ा                      -शुरू में कोई खास लक्षण नहीं दिखता

हाँ पेशाब करते समय पीड़ा हो सकती है

-शिशन(पेशाब नली) से पीब की बूंद निकलना     -अगर सूजाक वाली महिला माँ बनने वाली

हो तो उसे जल्दी ही इलाज करवा लेना चाहिए

-अन्डकोशों में सूजन और दर्द                  -उसके होने वाले बच्चे को भी यह रोग हो   सकता है| वह अन्धा हो जा सकता है|


हफ़्तों या महीनों बाद

-एक या दोनों टांगों में, टखनों और कलाइयों      - पेट के निचले हिस्से में दर्द सूजन और

में दर्द वाला सूजन                           जलन

-पूरे शरीर में दाने या छाले                    - मासिक धर्म की समस्याएं

- महिला बाँझ भी हो जा सकती है

  • पुरुषों में ये लक्षण छुतहा स्त्री के साथ मैथुन करने के बाद उसे पांच दिन में दिखने लगता है |
  • कभी-कभी तीन हपते बाद ही लक्षण दिखता है
  • महिलाओं में महीनों या वषों बाद भी लक्षण नहीं दीखते हैं| लक्षण भले ही न दिखे पर उसे छूत तो हो ही जाता है|

उपचार

  • पहले यह रोग पैनसिलिन से दूर हो जाता है, पर अब डाक्टर दूसरे असरदार दवाइयां देते हैं|
  • अगर पेट  के निचले हिस्से में दरद हो और बुखार भी आता हो तो डाक्टरी इलाज जरूर करवाएं|
  • हर उस व्यक्ति का इलाज करना चाहिए जिसने सूजाक के रोगी के साथ मैथुन किया हो
  • सभी बच्चों को सूजाक और अंधेपन से बचने का उपाय करें|

आतशक

आतशक एक आम पर खतरनाक रोग है|  यह रोग भी मैथुन से ही लगता है|

लक्षण

  • पहले प्रजनन अंग पर मुंहासे, छाले या खुले घाव के रूप में प्रगट होता है
  • घाव में बहुत सारे रोगाणु होते हैं जो तेजी से फैलते हैं|
  • घाव में कोई दर्द नहीं भी हो सकता है
  • अगर घाव महिला के योनी के अन्दर हो तो नहीं दिखता है, लेकिन छूत फैला देता है|
  • घाव कुछ दिन रहता है, फिर भर जाता है|  लेकिन बीमारी अन्दर ही अन्दर फैलती रहती है|
  • ह्पतों और महीनों बाद गला खराब हो सकता है, हल्का बुखार लग सकता है, मुंह में छाले हो सकते हैं या जोड़ों में सूजन आ सकती है|
  • पूरे शरीर में पीड़ा देने वाले मुंहासे निकल आते हैं
  • गोल छल्लेदार चकते निकल आते हैं
  • हाथों या पांवो में खुजली वाले ददोरे निकल आते हैं
  • अक्सरहां ये लक्षण अपने आप खतम हो जाते हैं
  • व्यक्ति समझता है कि वह ठीक हो गया
  • लेकिन बिना इलाज के यह रोग किसी भी अंग को नुकसान पहुंचा सकता है
  • वह आदमी दिल का रोगी हो जा सकता है
  • उसे फालिज या पागलपन हो सकता है, कई अन्य समस्यांए भी आ सकती हैं|

उपचार

  • इस रोग का डाक्टरी इलाज पूरी तरह कराना चाहिए
  • पैन्सिलिन के इलाज से फायदा होता है
  • गर्भवती या दूध पिलाने वाली महिला को जांच करवा लें कि उसके लिए पेंसिलिन उचित है या नहीं|

एड्स – एच. आई. वी.

  • एड्स रोग भी छुतहा होता है, एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है
  • एड्स शरीर कि रोगों से लड़ने वाली शक्ति को धर देता है
  • एड्स पीड़ित रोगी आसानी से बीमार पड़ सकता है
  • वह कई तरह कि बिमारियों के गिरफत में आ सकता है जैसे- दस्त न्यूमोनिया, टी.बी. चमड़ी का कैंसर|
  • ज्यादा रोगी इन्हीं बीमारियों से मर जाते हैं, क्योंकि वे रोगों का मुकाबला नहीं कर पाते हैं|
  • एड्स किसी व्यक्ति में खून, विर्य्र या योनी से बहने वाले श्राव से दूसरे व्यक्ति के शरीर में पहुंचते हैं|
  • एड्स रोगी के साथ मैथुन करने से यह रोग हो जाते हैं|  एक से अधिक व्यक्ति के साथ संभोग करने से एड्स बीमारी होने का अवसर अधिक हो जाता है|
  • इंजेक्शन को अगर साफ न किया  जाए तो एड्स कि बीमारी तुरत हो सकती है
  • गर्भवती महिला से अगर एड्स हो तो बच्चा भी एड्स का रोगी पैदा होता है|
  • यह सोचना गलत है कि एड्स हाथ मिलाने, साथ रहने, खेलने या खाने से भी फैलता है |
  • यह भी सोचना गलत है कि एड्स के साथ भोजन करने से, एक ही शौचालय जाने से या मच्छर से या मख्ही से फैलता है|

लक्षण

  • अलग़-अलग व्यक्तियों एड्स के लक्षण अलग-अलग होते हैं
  • आम रोगों कि तरह इसके विशेष लक्षण होते हैं
  • धीरे-धीरे वजन घटना
  • एक महीने ज्यादा दस्त लगना
  • एक महीने तक बुखार आता जाता हो|

नीचे दिए गए लक्षणों में एक या एक अधिक लक्षण भी हो सकते हैं|

  • एक महीने से काफी खांसी आना
  • मुंह के पास छाले निकलना
  • शरीर के किसी हिस्से में सूजी हुई लसीली गांठे
  • चमड़ी पर दानें
  • मस्से, घाव या छाले का निकलना, इनका जल्दी ठीक न होना
  • हर समय थकावट महसूस करना
  • टी.बी. का हो जाना|

उपचार : अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज खोजा नहीं जा सका है

  • अभी तक कोई दवा नहीं निकली है
  • जो रोग होता है केवल उसी का इलाज होता है
  • दस्त लगने पर ओ.आर.एस. का घोल समय-समय पर पिलाएँ
  • बुखार लगने पर उसकी गोलियाँ दें
  • उसे भरपूर स्नेह दें ताकि वह बिना तकलीफ के मर सके|

बचाव

  • उसी व्यक्ति के साथ संभोग करें जिसे यह रोग न हो एक से अधिक लोगों के साथ यौन संबंध न रखें खास कर पुरुष या स्त्री वेश्या, नशीली दवा लेने वाला व्यक्ति|एस.टी.डी.(यौन संबंधी रोगों)का इलाज तुरंत कराएं|
  • इंजेक्शन नये सिरिंज से लें या फिर निश्चित हो जाएँ कि इंजेक्शन और सुई को काफी देर तक उबलते पानी में रखा गया है|
  • रोगी के खून, दस्त उल्टी, खुले घाव से एड्स फ़ैल सकता है| उनसे बचें |
  • पसीने या खून से सने कपड़ों को भी न छुएं
  • मैथुन करते समय कन्डोम का उपयोग करें
  • एच. आई.बी. विषाणु से ग्रषित व्यक्ति के खून का उपयोग नहीं किया जाए|

स्त्रोत: संसर्ग, ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate