অসমীয়া   বাংলা   बोड़ो   डोगरी   ગુજરાતી   ಕನ್ನಡ   كأشُر   कोंकणी   संथाली   মনিপুরি   नेपाली   ଓରିୟା   ਪੰਜਾਬੀ   संस्कृत   தமிழ்  తెలుగు   ردو

वकीलों की भूमिका

वकीलों की भूमिका

भूमिका

जब किशोर कानून की प्रमुख ताकत कल्याण का दर्शन थी, तब वकीलों की कोई आवश्यकता नहीं थी।न्यायाधीश, वकीलों व अन्य अपराध प्रक्रिया सम्बंधी बचाओं की उपस्थिति को गैर जरूरी और कल्याण व्यवस्था के बाल बचाव के ध्येय की रूकावटें मानते थे। ऐसे ही प्रक्रिया में शामिल वकील किशोर न्यायालय को असली न्यायालय की तरह नहीं देखते थे।

बी सी ए 1948 के अंतर्गत, किसी नौजवान अपराधी को वकील की सहायता लेने का अधिकार नहीं था।

“कानूनी कार्य करने वालों का किशोर न्यायालय के सामने पेश-होना: - मौजूद समय में लागू किसी कानून को न मानते हुए, कोई भी वकील किशोर न्यायालय में चल रही किसी प्रक्रिया या मामले में हाजिर होने का हक़दार नहीं है, जब तक कि किशोर न्यायालय की यह राय न हो जन हित में किसी वकील का हाजिर रहना आवश्यक है, ऐसे किसी मामले या प्रक्रिया में और इसके कारणों को लिखित रूप से दर्ज करने के साथ वकील की हाजिरी को अधिकारिक स्वीकृति दी जाती है।

परिचित

कानूनी हस्तक्षेप को “जनहित” में जरूरी माना जाता था न कि बच्चे के हित में।बच्चा के हित में।बच्चा किशोर न्यायालय की दया में होता था जो कि बाल कल्याण अधिकारी (निगरानी) के रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए उसका भविष्य तय करने थे।इससे अनिश्चितता फैलती थी और किशोर न्यायालय की विचारधारा और इच्छा पर अज्ञात फैसले होते थे।

कल्याण के दर्शन के विरोधियों ने किशोर फैसलों कि अनियमितता को मामला बनाया और मांग की कि किशोरों को भी उन संवैधानिक और प्रक्रियात्मक सुरक्षा के दायरे में लाया जाए जिनके अंतर्गत वयस्क आरोपियों को लाया जाता है।इसी तरह किशोर न्याय की परिकल्पना बनी, सबनिस ने “न्याय” की व्याख्या न्यायसंगत की तरह की है।“ इसका अर्थ है किसी को उसके लिए शि चीज देना और यह सुनिश्चित करना कि समुदाय व देश के पास मौजूदा संसाधनों व सुविधाओं का न्यायसंगत व सामान वितरण ही असली न्याय यह सुनिश्चित करता है या उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हरेक व्यक्ति को, समय आने पर, अपने स्वभाविक या हासिल किए अधिकारों का फायदा उठाने का मौका मजले और इससे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि मौके का फायदा उठाने के लिए जरूरी आर्थिक संसाधनों को मुहैया कर पाने का मौका मिलने का अधिकार ताकि उसे शारीरिक, सामाजिक, बौद्धिक और मनोवैज्ञानिक जरूरतों से संतुष्टि मिल सके।”

वकीलों की मौजूदगी किशोर को न्याय सुनिश्चित करने में आवश्यक होती है।यह बेहतर होगा की कोई ऐसा वकील किशोर का मामला पेश करे जिसे किशोर कानून गहराई में इसके मूलतत्व तक मालूम हो।किशोर, अपनी उम्र के कारण, वकीलों के बगैर अपने मामले की जाँच में शामिल होने से वंचित रह जाते हैं।वे कानूनी भाषा, प्रक्रिया व छोटी छोटी बैटन को नहीं समझ पाते, बीजिंग नियमों द्वारा पहली बार किशोर न्याय को अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखा गया और किशोर न्याय प्रक्रिया के कानूनी प्रतिनिधित्व की जरूरत समझी गई।

15.2 पूरी प्रक्रिया में किशोर को यह अधिकार होगा कि कानूनी सलाहकार द्वारा उसका प्रतिनिधित्व किया जाए और जिस देश में भी मुफ्त कानूनी सहायता का प्रावधान हो वहाँ उसे वह मिल सके।

अंतराष्ट्रीय व्यवहार के साथ तालमेल में किशोर न्याय अधिनियम 1986 ने पहले बार वकील उपस्थिति की आज्ञा किशोर न्यायालय में आदिकर के रूप में दी।फ़िलहाल, संयूक्त सरकारी वकील सरकार का मामला रखता है, और बयान वकील किशोर का पक्ष का प्रतिनिधित्व किशोर न्याय बोर्ड का समक्ष रखता है।

भारतीय संविधान की अनुच्छेद 39ए में प्रावधान है कि, “राज्य यह सुनिश्चित करेगा की कानूनी व्यवस्था की कार्य न्याय को बढ़ावा दे और समान मौकों के आधार पर बना हो और, खास तौर पर, कानूनी सहायता मुफ्त मुहैया करवाए चाहे वह सही कानून या योजनाओं या किसी अन्य प्रक्रिया के जरिए हो, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आर्थिक या किन्हीं अन्य असमर्थताओं के कारण किसी भी नागरिक को न्याय से वंचित न किया जाए।” इस संवैधानिक प्रावधान को आगे बढ़ाते हुए भारत सरकार ने कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1957 को लागू किया और राज्यों ने अपनी अपनी कानूनी सहायता योजना बनाई हैं जिन में किशोर भी शामिल हैं।महाराष्ट्र राज्य ने महाराष्ट्र राज्य (जिलों व बाल गृहों में विजिट) प्रोजेक्ट नियमों 1993 को बनाया जिनमें बच्चों के लिए कानूनी सहायता का प्रावधान दिया गया है।इन नियमों के अंतर्गत बाल गृहों में जिला या तालुका कानूनी सहायता एवं सलाह समिति द्वारा बच्चों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए एक ड्यूटी सलाहकार का एक और काम है इस बात की जाँच करना कि बच्चे किन परिस्थितियों में रखे गए हैं, उन्हें शिक्षा व व्यवसायिक प्रशिक्षण मुहैया करवाया जाता है या नहीं, उन्हें किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया गया है या नहीं और उनकी शिकायतें क्या हैं।सर्वोच न्यायालयों ने भी राज्य कानूनी सहायता बोर्ड को निर्देश दिया है कि वे बाल अपराधियों के लिए वकील मुहैया करवाएं।मानक नियमों में नियम 14 में किशोरों के लिए कानूनी सहायता मुहैया करवाने का प्रावधान है और किशोर न्याय बोर्ड को यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों को यह अधिकार मिले।

चूंकि ज्यादातर किशोर इस स्थिति में नहीं होते कि कोई वकील नियुक्त कर सकें इसलिए देरी को रोकने के लिए, यह आदर्श स्थिति होगी कि एक कानूनी सहायता वकील किशोर न्याय बोर्ड की सभी बैठकों में मौजूद रहे ताकि जब भी जरूरत हो तो उसकी सहायता ली जा सके।यह किशोर न्याय बोर्ड के लिए सबसे असंगत है कि वह किशोर की जाँच को आगे बढ़ाए जिसका मामला कोई पेश नहीं करता या किसी किशोर को सरकारी गवाह से पूछताछ करने की कहा जाए उसके वकील के बिना।सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि गरीब आरोपी को मुफ्त कानूनी सहायता नहीं मुहैया करवाई जाती तो, कानूनी प्रक्रिया खुद ही अनुच्छेद 21 के विरोध में होने का खतरा झेलेगी।इसके आगे सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है कि वह किसी गरीब आरोपी को मुफ्त कानूनी सेवा करें न सिर्फ कानूनी प्रक्रिया के दौरान बल्कि तब भी उसे पहली बार मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया हो और जब उसे समय समय पर हिरासत में लिया जाए, सिर्फ तभी किसी आरोपी व्यक्ति को अपनी प्रक्रिया के दौरान कानूनी सलाह मिल सकती है, वह जमानत की अर्जी, किशोरी होने की अर्जी, छूटने की अर्जी इत्यादि दायर कर सकता है।यही प्रक्रिया किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष भी चलनी चाहिए।

किशोर न्याय बोर्ड में मामले को देखने के लिए एक एपीपी नियुक्त किया जाना चाहिए।जब कोई एपीपी किशोर न्याय बोर्ड से न जुड़ा हो तो वह नियमित रूप से हाजिर नहीं रहता और लगातर बदलता रहता है, और किशोरों के मामले तय तिथियों में आगे नहीं बढ़ पाते, इस आधार पर कि एपीपी या तो गैर हाजिर हैं या फिर उन्हें मामले को समझने के लिए वक्त चाहिए।

स्रोत: चाइल्ड लाइन इंडिया, फाउन्डेशन

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



© C–DAC.All content appearing on the vikaspedia portal is through collaborative effort of vikaspedia and its partners.We encourage you to use and share the content in a respectful and fair manner. Please leave all source links intact and adhere to applicable copyright and intellectual property guidelines and laws.
English to Hindi Transliterate