सूचना का अधिकार| 3. इस अधिनियम के उपबंधों के लोक प्राधिकारियों अधीन रहते हुए, सभी नागरिकों को सूचना की बाध्यताएं| का अधिकार होगा|
4.(1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी-
क) सम्यक रूप से सूचीपत्रित और अनुक्रमणिकाबद्ध अपने सभी अभिलेखों को किसी ऐसी रीति और रूप में रखेगा, जो इस अधिनियम के अधीन सूचना के अधिकार को सुकर बनाता है और सुनिश्चित करेगा की ऐसे सभी अभिलेख जो कम्प्यूटरीकृत किये जाने के के लिए समुचित है, युक्तियुक्त समय के भीतर हैं और संसाधनों की उपलभ्यता के अधीन रहते हुए हैं, कम्प्यूटरीकृत और विभिन्न प्रणालियों पर सम्पूर्ण देश में नेटवर्क के माध्यम से सम्बद्ध हैं जिससे कि ऐसे अभिलेख तक पहुँच को सुकर बनाया जा सके,
ख) इस अधिनियम के अधिनियम से एक सौ बीस दिन के भीतर,-
1) अपने संगठन की विशिष्टियाँ, कृत्य और कर्तव्य,
2) अपने अधिकारीयों और कर्मचारियों की शक्तियाँ और कर्तव्य,
3) विनिश्चय करने की प्रक्रिया में पालन की जाने वाली प्रक्रिया जिसमें पर्यवेक्षण और उत्तरदायित्व के माध्यम सम्मिलित हैं,
4) अपने कृत्यों के निर्वहन के लिए स्वयं द्वारा स्थापित माप मान
5) अपने द्वारा या अपने नियंत्रणाधीन धारित या अपने कर्मचारियों द्वारा अपने कृतियों के निर्वहन के लिए प्रयोग किये गए नियम, विनिमय, अनुदेश, निर्देशका और अभिलेख,
6) ऐसे दस्तावेजों के, जो उसके द्वारा धारित या उसके नियंत्रणाधीन हैं, प्रवर्गों का विवरण ,
7) किसी व्यवस्था की विशिष्टियाँ जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के सम्बन्ध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं,
8) ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के विवरण जिनमें दो या अधिक व्यक्ति है, जिनका उसके भागरूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के बैठकों के कार्यवृत तक जनता की पहुँच होगी, 25
9) अपने अधिकारीयों और कर्मचारियों की निर्देशिका
10)अपने प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी द्वारा प्राप्त मासिक पारिश्रमिक जिसमें उसके विनिमयों में यथाउपबंधित प्रतिकर की प्रणाली सम्मिलित है,
11)सभी योजनाओं, प्रस्तावित व्ययों और किये गए संवितरणों पर रिपोर्टों की विशिष्टियाँ उपदर्शित करते हुए अपने प्रत्येक अभिकरण को आबंटित बजट, 30
12)सहायिकी कार्यक्रमों के निष्पादन की रीति जिसमें आबंटित राशि और ऐसे कार्यक्रमों के फायदाग्राहियों के ब्यौर सम्मिलित हैं,
13)अपने द्वारा अनुदत्त रियायतों, अनुज्ञापत्रों या प्राधिकारों के प्राप्तिकर्त्ताओं की विशिष्टियाँ, 35
14)किसी इलेक्ट्रॉनिक रूप में सुचना सम्बन्ध में ब्यौर, जो, उसको उपलब्ध हों या उसके द्वारा धारित हों,
15)सुचना अभिप्राप्त करने के लिए नागरिकों को उपलब्ध सुविधाओं की विशिष्टियाँ , जिनके अंतर्गत किसी पुस्कालय या वाचन कक्ष के यदि लोक उपयोग के लिए अनुरक्षित हैं तो कार्यकरण घंटे सम्मिलित हैं,
16)लोक सुचना अधिकारीयों के नाम, पदनाम और अन्य विशिष्टियाँ,
17)ऐसी अन्य सुचना, जो विहित की जाए, प्रकाशित करेगा और तत्पश्चात इन प्रकाशनों को प्रत्येक वर्ष में अद्यतन करेगा,
ग) महत्वपूर्ण नीतियों की विरचना करते समय या ऐसे विनिश्चयों की घोषणा करते समय, जो जनता को प्रभावित करते हों, सभी सुसंगत तत्थों को प्रकाशित करेगा,
घ) प्रभावित व्यक्तियों को अपने प्रशासनिक या न्यायिककल्प विनिश्चयों के लिए कारण उपलब्ध कराएगा, 10
(२) प्रत्येक लोक अधिकारी का निरंतर या प्रयास होगा कि यह स्वप्रेरणा से संसूचना के विभिन्न साधनों के माध्यम से, जिसके अंतर्गत इंटरनेट भी हैं, नियमित अंतरालों पर जनता को उतनी सूचना उपलब्ध कराने के लिए उपधारा (1) के खण्ड (ख) की अपेक्षाओं के अनुसार उपाय करे, जिससे कि जनता को सुचना प्राप्त करने के लिए इस अधिनियम का कम से कम अवलम्ब हो|
15 (3) उपधारा (1) के प्रयोजन के लिए, प्रत्येक सूचना को विस्तृत रूप से और ऐसे प्ररूप और रीति में प्रसारित किया जायेगा, जो जनता के लिए सहज रूप से पहुँच योग्य हो सके|
(4) सभी सामग्री को, उस क्षेत्र में लागत प्रभावशीलता, स्थानीय भाषा और संसूचना की अत्यंत प्रभावी पद्धति को ध्यान में रखते हुए, प्रसारित किया जायेगा तथा सूचना तक, यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी के पास इलेक्ट्रॉनिक प्ररूप में संभव सीमा तक निशुल्क या माध्यम की
20 ऐसी लागत पर या ऐसी मुद्रण लागत कीमत पर जो विहित की जाए, सहज पंहुच होनी चाहिए|
उपधारा (3) उपधारा (4) के प्रयोजनों के लिए ;प्रसारित’ से सूचना पट्टों, समाचारपत्रों, लोक उदघोषणाओं, मिडिया प्रसारणों, इंटरनेट या किसी अन्य युक्ति के माध्यम से जिसमें किसी लोक प्राधिकारी के कार्यालयों का निरीक्षण सम्मिलित है, जनता को सूचना की जानकारी देना या संसूचित कराना अभिप्रेत हैं|
25 5. (1) प्रत्येक लोक प्राधिकारी, इस अधिनियम के अधिनियम के सौ दिन के भीतर उतने अधिकारियों, लोक सूचना अधिकारी का पदनाम को, जितने इस अधिनियम के अधीन सूचना के लिए अनुरोध करने वाले व्यक्तियों को सूचना प्रदान करने के लिए आवश्यक हों, सभी प्रशासनिक एककों या उसके अधीन कार्यालयों, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारियों या राज्य सूचना अधिकारियों के रूप में अभिहित करेगा|
30 (२) उपधारा (1) के उपबन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्रत्येक लोक प्राधिकारी, इस अधिनियम के अधिनियम के सौ दिन के भीतर किसी अधिकारी को प्रत्येक उपमंडल स्तर या अन्य उप जिला स्तर पर इस अधिनयम के अधीन सूचना या अपीलों के लिए आवेदन प्राप्त करने और तुरंत उसे या धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन विनिदिष्ट वरिष्ठ अधिकारी या यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को अग्रेषित करने के लिए यथास्थिति, केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक सूचना अधिकारी के रूप में पदाभिहित करेगा:,
35 परन्तु यह कि वहाँ सूचना या अपील के लिए कोई आवेदन यथास्थिति, किसी केन्द्रीय सहायक लोक सुचना अधिकारी या किसी राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी या किसी केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी को दिया जाता है, वहाँ धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिदिष्ट उत्तर के लिए अवधि की संगणना करने में पांच दिन की अवधि जोड़ दी जाएगी| (3) प्रत्येक लोक सूचना अधिकारी, सूचना की मांग करने वाले व्यक्तियों के अनुरोधों पर कारवाई करेगा और ऐसी सूचना की मांग करने वाल्व व्यक्तियों को युक्तियुक्त सहायता प्रदान करेगा|
40 (4) यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, ऐसे किसी अन्य अधिकारी की सहायता की मांग कर सकेगा, जिसे वह अपने कृत्यों के समुचित निर्वहन के लिए आवश्यक समझे|
(5) कोई अधिकारी, जिसकी उपधारा (4) के अधीन सहायता चाही गई है, उसकी सहायता चाहने वाले यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को सभी सहायता प्रदान करेगा और इस अधिनियम के उपबंधों के किसी उल्लंघन के प्रयोजनों के लिए ऐसे अन्य अधिकारी को यथास्थिति, केन्द्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी समझा जायेगा|
(6) (1) कोई व्यक्ति, जो इस अधिनियम के अधीन कोई सूचना अभिप्राप्त करना चाहता है, लिखित में या इलेक्ट्रॉनिक युक्ति के माध्यम से अंग्रेजी या हिन्दी में या क्षेत्र की राजभाषा जिसमें आवेदन किया जा रहा है, ऐसी फीस के साथ, जो विहित की जाये- 5
(क) सम्बन्धित लोक प्राधिकरण के यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी,
(ख) यथास्थिति, केद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी,
को, उसके द्वारा माँगी गई सूचना की विशिष्टियाँ विनिदृष्टि करते हुए अनुरोध करेगा: 10
परन्तु जहाँ ऐसा अनुरोध लिखित में नहीं किया जा सकता है, वहाँ यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को सभी युक्तियुक्त सहायता मौखिक रूप से देगा, जिससे कि उसे लेखबद्ध किया जा सके| 15
(२) सूचना के लिए अनुरोध करने वाले आवेदक से सूचना का अनुरोध करने वाल्व आवेदक से सुचना का अनुरोध करने वाले अनुरोध के लिए किसी कारण को
या किसी अन्य व्यक्तिगत ब्यौरे को, सिवाय उसके जो उससे सम्पर्क करने वाले आवश्यक हों देने की अपेक्षा नही की जाएगी|
(3) जहाँ, किसी ऐसी सूचना के लिए अनुरोध करते हुए कोई आवेदन किसी लोक प्राधिकारी को किया जाता है- 20
1) जो किसी अन्य लोक प्राधिकारी द्वारा धारित की गई है, या
2) जिसकी विषय-वस्तु किसी अन्य लोक प्राधिकारी के कृत्यों से अधिक निकट रूप से सम्बन्धित है,
वहाँ, वह लोक प्राधिकारी, जिसको ऐसा आवेदन किया जाता है, उस अन्य आवेदन या उसके ऐसे भाग को, जो समुचित हों, उस अन्य लोक प्राधिकारी को अंतरित करेगा और ऐसे अंतरण के सम्बन्ध में आवेदक को तुरंत सूचना देगा:
परन्तु यह कि इस उपधारा के अनुसरण में किसी आवेदन का अंतरण यथासाध्य शीघ्रता से किया जायेगा, किन्तु किसी भी दशा में आवेदन की प्राप्ति की तारीख से पांच दिनों के पश्चात् नहीं किया जायेगा|
7. (1) धारा 5 की उपधारा (२) के परंतुक या धारा 6 की उपधारा (3) के परंतुक के अधीन रहते हुए, धारा 6 के अधीन के प्राप्त होने पर, यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी यथासंभवशीघ्रता से, और 30 किसी भी दशा में अनुरोध की प्राप्ति के तीस दिन के भीतर, ऐसी फीस के संदाय पर, जो विहित की जाये, या तो सुचना उपलब्ध कराएगा या धारा 8 और धारा 9 में विनिर्दिष्ट कारणों में से किसी कारण से अनुरोध को अस्वीकार करेगा:
परन्तु जहाँ माँगी गई जानकारी का सम्बन्ध किसी व्यक्ति के जीवन या स्वतंत्रता से है, वहाँ वह अनुरोध प्राप्त होने के अड़तालीस घंटे के भीतर उपलब्ध कराई जाएगी:
(२) यदि लोक सूचना अधिकारी, उपधारा (1) के अधीन विनिदृष्टि अवधि के भीतर सूचना के लिए अनुरोध विनिश्चय करने में असफल रहता है, यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के बारे में यह समझा जायेगा कि उसने अनुरोध को नामंजूर कर दिया|
(3) जहाँ, सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में किसी और फीस के संदाय पर सूचना उपलब्ध कराने का विनिश्चय किया जाता है, वहाँ यथास्थिति केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को,
5 (क) उपधारा (1) के अधीन विहित फीस के अनुसरण में रकम निकालने के लिए की गई संगणनाओं के साथ उसके द्वारा यथाअवधारित सूचना उपलब्ध कराने की लागत के रूप में और फीस के ब्यौर देते हुए उससे उस फीस को जमा करने का अनुरोध करते हुए कोई संसूचना भेजेगा और उक्त संसूचना के प्रेषण और फीस के संदाय के बीच मध्यवर्ती अवधि को उस धारा में निद्रिष्ट तीस दिन की अवधि की संगणना करने के प्रयोजन के लिए अपवर्जित किया जायेगा,
10 (ख) प्रभारित फीस की राशि या उपलब्ध कराई गई पहुँच के प्ररूप के बारे में, जिसके अंतर्गत अपील प्राधिकारी की विशिष्टियाँ, समय-सीमा, प्रक्रिया और कोई अन्य प्ररूप भी है, विनिश्चय के पुनर्विलोकन के सम्बन्ध में उसके अधिकार से सम्बन्धित सूचना देते हुए, कोई संसूचना भेजेगा|
15 (4) जहाँ, इस अधिनियम के अधीन अभिलेख या उसके किसी भाग तक पहुँच अपेक्षित है ऐसा व्यक्ति, जिसको पहुँच उपलब्ध कराई जानी है, संवेदनात्मक रूप से निःशक्त है, वहाँ यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी सूचना तक पहुँच को समर्थ बनाने के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा जिसमें निरीक्षण के लिए ऐसी सहायता कराना सम्मिलित है, जो समुचित हो|
(5) जहाँ, सूचना तक पहुँच मुद्रित या किसी इलेक्ट्रॉनिक प्ररूप में उपलब्ध कराई जानी है, वहाँ आवेदक, उपधारा (6) के अधीन रहते हुए, ऐसी फीस का संदाय करेगा, जो विहित की जाये|
20 परन्तु धारा 6 की उपधारा (1) और धारा 7 की उपधारा (1) और उपधारा (5) के अधीन विहित फीस युक्तियुक्त होगी और ऐसे व्यक्तियों से, जो गरीबी की रेखा के नीचे है, कोई फीस प्रभारित नही की जाएगी, जैसा समुचित सरकार द्वारा अवधारित किया जाये| (6) उपधारा (5) में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ कोई लोक प्राधिकारी उपधारा (1) में विनिदृष्टि समय-सीमा का अनुपालन करने में असफल रहता है, वहाँ सूचना के लिए अनुरोध करने वाले व्यक्ति को प्रभार के बिना सूचना उपलब्ध कराई जाएगी|
25 (7) उपधारा (1) के अधीन कोई विनिश्चय करने से पूर्व, यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी धारा 11 के अधीन किसी तीसरे पक्षकार द्वारा किये गए अभ्यावेदन को ध्यान में रखेगा|
(8) जहाँ, किसी अनुरोध को उपधारा (२) के अधीन अस्वीकृत किया गया समझा गया है, वहाँ लोक सूचना अधिकारी अनुरोध करने वाले व्यक्ति को, -
1) ऐसी अस्वीकृति के कारण,
2) वह अवधि, जिसके भीतर ऐसी अस्वीकृति के विरुद्ध कोई अपील की जा सकेगी, और
3) अपील प्राधिकारी की विशिष्टियाँ, संसूचित करेगा|
35 (9) किसी सूचना को साधारणतया उसी प्रारूप में उपलब्ध कराया जायेगा, जिसमें उसे माँगा गया है, जब तक कि यह लोक प्राधिकारी के संशोधनों को अवनुपाती रूप से विचलित न करता हो या प्रश्नगत अभिलेख की सुरक्षा या संरक्षण के प्रतिकूल न हो|
8. (1) इस अधिनियम में अन्ताविर्ष्टि किसी सूचना के प्रकार बात के होते हुए भी, इसमें अन्यथा किये जाने से छूट उपबंधित के सिवाय, निम्नलिखित सूचना को प्रकट करने से छूट दी जाएगी, अथार्त: -
40 (क) सूचना जिसके प्रकटन से,
1) भारत की प्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, रणनीति वैज्ञानिक या आर्थिक हित विदेश से सम्बन्ध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो, या
2) किसी अपराध को करने का उद्दीपन होता हो:
(ख) सूचना, जिसके प्रकटन से किसी न्यायालय या अधिकरण द्वारा अभिव्यक्त रूप से निषिद्ध किया गया है या जिसके प्रकटन से न्यायालय क अवमान होता हो,
(ग) सूचना जिसके प्रकटन से संसद या किसी राज्य के विधान-मंडल के विशेषधिकार भंग हो सकते हो,
(घ) सूचना, जिसमें वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार गोपनीयता या बौद्धिक संपदा, सम्मिलित है, जिसके प्रकटन से किसी तीसरे पक्षकार की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान होता है: 5
परन्तु यह कि ऐसी सूचना को प्रकट किया जा सकेगा लोक सूचना अधिकारी का या समाधान हो जाता है कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित समाविष्ट है,
(ड.) किसी व्यक्ति को उसकी वैशवासिक नातेदारी में उपलब्ध सूचना:
परन्तु यह कि ऐसी सूचना को प्रकट किया जा सकेगा यदि लोक सूचना अधिकारी का या समाधान हो जाता है कि ऐसी सूचना के प्रकटन में विस्तृत लोक हित में आवश्यक है, 10
(च) किसी विदेश सरकार से विश्वास में प्राप्त सुचना,
(छ) सूचना, जिसके प्रकट करने से किसी व्यक्ति के जीवन या शारीरिक सुरक्षा के लिए या सूचना के संसाधन की पहचान करने में या विश्वास में दी गई सहायता या सुरक्षा प्रयोजनों के लिए खतरा होगा, 15
(ज) सूचना, जिसके प्रकट करने से अन्वेषण या अपराधियों के गिरफ्तार करने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन पड़ेगी,
(झ) मंत्रिमंडल के कागजपत्र, जिसमें मंत्रिपरिषद के सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श के अभिलेख सम्मिलित हैं: 20
परन्तु यह कि मंत्रिपरिषद के विनिश्चय उनके कारण तथा यह सामग्री जिसके आधार पर विनिश्चय किये गए थे, विनिश्चय किये जाने और विषय को पूरा या समाप्त होने के पश्चात् जनता को उपलब्ध कराया जायेगा:
परन्तु यह और कि वे विषय जो इस धारा में सूचीबद्ध छूटों के अंतर्गत आते है, प्रकट नहीं किये जांएगे,
सूचना, जो व्यक्तिगत सूचना से सम्बन्धित है, जिसके प्रकट करने का किसी लोक क्रियाकलाप या हित से सम्बन्ध नहीं है या जिससे व्यष्टि की एकान्तता पर अनावश्यक अतिक्रमण नहीं होता है, 25
परन्तु यह कि ऐसी सूचना प्रकट की जा सकेगी यदि यथास्थिति, सूचना अधिकारी या अपील प्राधिकारी का समाधान हो जाता है कि ऐसी सूचना का प्रकटन विस्तृत लोक हित में नयायोचित है|
(२) ऐसी सूचना से, जिसको, यथास्थिति, संसद या किसी राज्य विधान-मंडल को देने से इनकार नहीं किया जा सकता हैं किसी व्यक्ति को इनकार नहीं किया जायेगा| 40
(3) कोई लोक प्राधिकारी, उपधारा (1) में विनिदृष्टि छूटों में किसी बात के होते हुए भी, सूचना तक पहुँच को अनुज्ञात कर सकेगा, यदि सूचना के प्रकटन में लोक हित, लोक प्राधिकारी को नुकसान से अधिक है|
(4) उपधारा (1) के खंड (क) खंड (झ) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी घटना, वृत्तान्त या विषय से सम्बन्धित कोई सूचना जो उस तारीख से जिसको धारा 6 के अधीन कोई अनुरोध किया जाता है, दस वर्ष पूर्व हुई है या होती है, उस धारा के अधीन अनुरोध करने वाले व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाएगी:
परन्तु यह कि जहाँ उस तारीख से जिसको दस वर्ष की उपलब्धि को संगणित किया जाना है, अदभूतकोई प्रश्न उत्पन्न होता है, वहाँ केंद्रीय सरकार का विनिश्चय अंतिम होगा|
9. धारा 8 के उपबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, कोई यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, सूचना के किसी अनुरोध को अस्वीकार कर सकेगा जहाँ पहुँच उपलब्ध कराने के ऐसे अनुरोध में राज्य से भिन्न किसी व्यक्ति के विद्यमान प्रतिलिप्यधिकार का उल्लंघन अंतवर्लित है|
10. (1) जहाँ सूचना तक पहुँच के अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार किया जाता है कि यह
5 ऐसी सूचना के सम्बन्ध में हैं जो प्रकट किय जाने से छूट प्राप्त है वहाँ इस अधिनियम में किसी बात के होते हुए भी, अभिलेख के उस भाग तक पहुँच अनुदत्त की जा सकेगी जिसमें कोई ऐसी सूचना अंतवृष्टि नहीं है, जो इस अधिनियम के अधीन प्रकट किये जाने से छूट प्राप्त है और जो ऐसे भाग से, जिसमें छूट प्राप्त सूचना अंतवृष्टि है, उचित रूप पृथक् की जा सकती है|
10 (२) जहाँ उपधारा (1) के अधीन अभिलेख के किसी भाग तक पहुँच अनुदत्त की जाती है, वहाँ यथास्थिति केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, निम्नलिखित सूचना देते हुए, आवेदक को एक सूचना देगा-
(क) अनुरोध किये गए अभिलेख का केवल एक भाग ही, उस अभिलेख से उस सूचना को जो प्रकटन से छूट प्राप्त करने के पश्चात् उपलब्ध कराया जा रहा है,
15 (ख) विनिश्चय के कारण जिनके अंतर्गत तथ्य के किसी महत्वपूर्ण प्रश्न पर उस सामग्री का निर्देश देते हुए देश पर वे विनिश्चय आधारित थे कोई निष्कर्ष भी है,
(ग) विनिश्चय करने वाले व्यक्ति का नाम और पदनाम,
घ) उसके द्वारा संगणित फीस के ब्यौरे और फीस की वह रकम जिसकी आवेदक से निक्षेप करने की अपेक्षा है और
20 ड.) सूचना के भाग के अप्रकटन की बाबत विनिश्चय के पुनर्विलोकन के सम्बन्ध में उसके अधिकार, प्रभारित फीस की रकम या उपलब्ध कराई गई पहुँच का रूप जिसके अंतर्गत यथास्थिति, धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन विनिदृष्टि वरिष्ठ अधिकारी केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी की विशिष्टियाँ, समय-सीमा, प्रक्रिया और कोई अन्य रूप भी है|
25 11. (1) जहाँ, किसी यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का, इस अधिनियम के अधीन किये गए अनुरोध पर कोई ऐसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, जो किसी पर व्यक्ति से सम्बन्धित है या उसके द्वारा प्रदाय किया गया है और उस पर व्यक्ति द्वारा उसे गोपनीयता माना गया है, वहाँ यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अनुरोध प्राप्त होने से पांच दिन के भीतर ऐसे पर व्यक्ति को अनुरोध की और इस तथ्य की लिखित रूप में सूचना देगा कि यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी का उक्त सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग को प्रकट करने का आशय है, और इस बाबत कि सूचना प्रकट की जानी चाहिए या नहीं, लोकहित में या मौखिक रूप से निवेदन करने के लिए पर व्यक्ति को आमंत्रित करेगा तथा सूचना के प्रकटन की बाबत कोई विनिश्चय करते समय पर व्यक्ति के ऐसे निवेदन को ध्यान में रखा जायेगा,
परन्तु विधि द्वारा संरक्षित व्यापार या वाणिज्यिक गुप्त बातों की दशा में की सिवाय, यदि ऐसे प्रकटन में लोकहित, ऐसे पर व्यक्ति के हितों की किसी संभावित अपहानि या क्षति से अधिक महत्वपूर्ण है तो प्रटकन अनुज्ञात किया जा सकेगा|
35 (२) जहाँ उपधारा (1) के यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा पर व्यक्ति पर किसी सूचना या अभिलेख या उसके किसी भाग की बाबत कोई सूचना तामील की जाती है, वहाँ ऐसे पर व्यक्ति को, ऐसी सूचना की प्राप्ति की तारीख से दस दिन के भीतर, प्रस्तावित प्रकटन के विरुद्ध अभ्यावेदन करने का अवसर दिया जायेगा|
40 (3) धारा 7 में किसी बात के होते हए भी, यथास्थिति, केद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी धारा 6 के अधीन अनुरोध प्राप्त होने के पश्चात् चालीस दिन के भीतर, यदि पर व्यक्ति को उपधारा (२) के अधीन अभ्यावेदन करने का अवसर दे दिया गया है, तो इस बारे में विनिश्चय करेगा कि उक्त सूचना या अभिलेख या उसके भाग का प्रकटन किया जाये या नहीं और अपने विनिश्चय की सूचना लिखित में पर व्यक्ति को देगा|
(4) उपधारा (3) के अधीन दी गई सूचना में या कथन भी सम्मिलित होगा की वह व्यक्ति, जिसे सूचना दी गई है, धारा 19 के अधीन उक्त विनिश्चय के विरुद्ध अपील करने का हकदार है|
स्रोत:- सूचना का अधिकार विधेयक, 2005, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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