(1) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हए, यथास्थिति, केन्द्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का यह कर्तव्य होगा कि वह निम्नलिखित किसी ऐसे व्यक्ति से शिकायत प्राप्त करे और उसकी जाँच करे,-
क) जो यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को, इस कारण से अनुरोध प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है कि इस अधिनियम के अधीन ऐसे अधिकारी की नियुक्ति नही की गई है या यथास्थिति केंद्रीय सहायक लोक सूचना अधिकारी या राज्य सहायक लोक सूचना अधिकारी ने इस अधिनियम के अधीन सूचना या अपील के लिए धारा 19 की उपधारा (1) में विनिर्दिष्ट केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी अथवा ज्येष्ठ अधिकारी या केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग उसके आवेदन को भेंजने के लिए,
ख) जिसे इस अधिनियम के अधीन अनुरोध की गई कोई जानकारी तक पहुँच के लिए इंकार कर दिया गया है,
ग) जिसे इस अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर सूचना के लिए या सूचना तक पहुँच के लिए अनुरोध का उत्तर नहीं दिया गया है,
घ) जिससे ऐसी फीस की रकम का संदाय करने के अपेक्षा की गई है, वह जो वह अनुचित समझता है,
ड.) जो विश्वास करता है कि उसे इस अधिनियम के अधीन अपूर्ण, भ्रम में डालने वाली या मिथ्या सूचना दी गई है, और
च) इस अधिनियम के अधीन अधिलेखों के लिए अनुरोध करने या उन तक पहुँच प्राप्त करने से सम्बन्धित किसी अन्य विषय के सम्बन्ध में
(२) जहाँ यथास्थिति, केंद्रीय सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी का, यह समाधान हो जाता है कि उस विषय में जाँच करने के लिए युक्तियुक्त आधार हैं वहाँ वः उसके सम्बन्ध में जाँच आरंभ कर सकेगा|
1908 का 5 (3) आयोग को, इस धारा के अधीन किसी मामले में जाँच करते समय वही शक्तियाँ प्राप्त होंगी, जो निम्नलिखित मामलों के सम्बन्ध में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 के अधीन किसी वाद का विचरण करते समय सिविल न्यायालय में निहित होती है, अर्थात :-
क) किन्हीं व्यक्तियों को सम्मन करना और उन्हें उपस्थित कराना तथा शपथ पर मौखिक या लिखित साक्ष्य देने के लिए और दस्तावेज या चीजें पेश करने के लिए उनको विवश करना,
ख) दस्तावेजों के प्रकटीकरन औए निरीक्षण की अपेक्षा करना,
ग) शपथ पर साक्ष्य का अभिग्रहण करना,
घ) किसी न्यायालय या कार्यालय से किसी लोक अभिलेख या उसकी प्रतियाँ मांगना ,
ङ) साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिए सम्मन जारी करना, और
च) कोई अन्य विषय, जो विहित किया जाये(
1) यथास्थिति संसद में या राज्य-विधानमंडल के किसी अन्य अधिनियम में अंतविर्ष्ट किसी असंगत बात के होते हर भी, यथास्थिति केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग इस अधिनियम के
अधीन किसी शिकायत की जाँच करने के दौरान, ऐसे किसी अभिलेख की परीक्षा कर सकेगा, जिसे यह अधिनियम लागू होता है और लोक प्राधिकारी के नियंत्रण में है और उसके द्वारा ऐसे किसी अभिलेख को किन्हीं भी आधारों पर रोका नहीं जायेगा|
19.(1) ऐसा कोई व्यक्ति, जिसे धारा 7 की उपधारा (1) या उपधारा (3) के खंड (क) में विनिर्दिष्ट समय अपील के भीतर कोई विनिश्चय प्राप्त नही हुआ है या जो यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के किसी विनिश्चय से व्यथित है, उस अवधि की समाप्ति से या ऐसे किसी विनिश्चय की प्राप्ति से तीस दिन के भीतर ऐसे अधिकारी को अपील कर सकेगा, जो प्रत्येक लोक प्रधिकरण में लोक सूचना अधिकारी की पंक्ति से ज्येष्ठ पंक्ति का है:
परन्तु ऐसा अधिकारी, तीस दिन के अवधि की समाप्ति के पश्चात अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील फाईल करने में पर्याप्त कारण से निवारित हुआ था|
“(२) जहाँ अपील धारा 11 अधीन, यथास्थिति, किसी यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी द्वारा पर व्यक्ति की सूचना के प्रकटन के लिए किये गए किसी आदेश विरुद्ध की जाती है वहाँ सम्बन्धित पर व्यक्ति द्वारा अपील, उस आदेश की तारीख से 30 दिन के भीतर की जाएगी|
(3) उपधारा (1) के अधीन विनिश्चय के विरुद्ध दूसरी अपील उस तारीख से, जिसको विनिश्चय किया जाना है या वास्तव में प्राप्त किया गया था नब्बे दिन के भीतर यथास्थिति केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग को होगी:
परन्तु यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग नब्बे दिन की अवधि की समाप्ति के पश्चात अपील को ग्रहण कर सकेगा, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि अपीलार्थी समय पर अपील करने में प्रर्याप्त कारण से निवारित हुआ था” |
(4) यदि यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग का विनिश्चय, जिसके विरुद्ध अपील की गई है, पर व्यक्ति की सूचना से सम्बन्धित है तो यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग उस पर व्यक्ति की सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देगा|
(5) अपील सम्बन्धी किन्हीं कार्यवाहियों में यह साबित करने का भार कि अनुरोध को अस्वीकार करना न्यायोचित था, यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी पर होगा, जिसने अनुरोध को अस्वीकार किया था|
(6) उपधारा (1) या उपधारा (२) के अधीन किसी अपील का निपटारा, लेखबद्ध किये जाने वाले कारणों से, अपील की प्राप्ति के तीस दिन के भीतर या ऐसी विस्तारित अवधि के भीतर किया जायेगा, जो उसके फाइल किये जाने की तारीख से कुल पैतालीस दिन से अधिक न हो |
(7) आयोग का विनिश्चय आवद्धकर होगा|
(8) अपने विनिश्चय में यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना आयोग या राज्य लोक सूचना आयोग को निम्लिखित की शक्ति है-
(क) लोक प्राधिकरण से ऐसे उपाय करने की अपेक्षा करना, जो इस अधिनियम के उपबंधों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो, जिसके अंतर्गत निम्लिखित भी है ;-
1) सूचना तक पहुँच उपलब्ध कराना, यदि विशिष्ट प्ररूप में ऐसा अनुरोध किया गे है,
2) किसी यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करना,
3) कतिपय सूचना या सूचना के प्रवर्गों को प्रकाशित करना,
4) अभिलेखों के रखे जाने, प्रबंध और उनके विनाश से सम्बन्धित अपनी पद्धितियों में आवश्यक परिवर्तन करना,
5) अपने अधिकारियों के लिए सूचना के अधिकार से सम्बन्ध में प्रशिक्षण के उपबन्ध को बढ़ाना,
6) धारा 4 की उपधारा (1) के खंड (ख) के अनुसरण में अपनी एक वार्षिक रिपोर्ट उपलब्ध कराना,
ख) लोक प्राधिकारी से शिकायतकर्ता को, उसके द्वारा सहन की गई किसी हानि या अन्य नुकसान के लिए प्रतिपूरित करना ,
ग) इस अधिनियम के अधीन उपबंधित शास्तियों में से कोई शास्ति अधिरोपित करना,
घ) आवेदन को नामंजूर करना|
9) यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग शिकायतकर्ता औए लोक प्राधिकारी को, अपने विनिश्चय की, जिसके अंतर्गत अपील का कोई अधिकार भी है, सूचना देगा||
10) आयोग, अपील का विनिश्चय ऐसो प्रक्रिया के अनुसार करेगा, जो विहित की जाये|
20. (1) धारा २३ में किसी बात के होते हुए भी, जहाँ किसी शिकायत आय अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की यह राय है कि, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी ने बिना किसी युक्तियुक्त कारण के कोई आवेदन लेने से इंकार किया है या धारा 7 की उपधारा(1) के अधीन सूचना के लिए विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नहीं दी है, या असदभावपूर्वक सूचना के लिए अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या ऐसी सुचना नष्ट कर दी है जो अनुरोध का विषय थी या सूचना देने में किसी रीति से बाधा डाली है तो वह ऐसी प्रत्येक दिन के लिए , जब तक आवेदन प्राप्त किया जाता है या सूचना दी जाती है, दो सौ पचास रूपये की शास्ति अधोरोपित करेगा, तथापि, ऐसी शास्ति की कूल रकम पच्चीस हजार रूपये से अधिक नही होगी:
परन्तु, यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी को उस पर कोई शास्ति अधिरोपित किये जाने के पूर्व सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर दिया जायगा:
परन्तु या और कि यह साबित करने का भार कि उसने युक्तियुक्त रूप से और तत्परतापूर्वक कार्य किया है, यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी पर होगा|
(२) जहाँ किसी शिकायत या अपील का विनिश्चय करते समय, यथास्थिति, केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य सूचना आयोग की राय है कि यथास्थिति केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी, बिना किसी युक्तियुक्त कारण के, और लगातार सूचना के लिए कोई आवेदन प्राप्त करने में असफल रहा है या धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन विनिर्दिष्ट समय के भीतर सूचना नही दी है या असदभावपूर्वक सूचना के अनुरोध से इंकार किया है या जानबूझकर गलत, अपूर्ण या भ्रामक सूचना दी है या ऐसी सूचना नष्ट की है, जो अनुरोध का विषय थी, या सूचना देने में किसी भी रीति से बाधा डाली है वहाँ वह यथास्थिति, केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी या राज्य लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध उसे लागू सेवा नियमों के अधीन अनुशासनिक कार्यवाई के लिए सिफारिश करेगा|
स्रोत:- सूचना का अधिकार विधेयक, 2005, जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची|
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस भाग में केंद्रीय सूचना आयोग के गठन के बारे में ...
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यह भाग सूचना का अधिकार और लोक प्राधिकारियों की बाध...