परिचय
भूमि आधारित कार्यक्रम की सफलता के लिए विशेष रूप से बंजरभूमि के विकास में प्रौद्योगिकी सहायता अत्यंकत महत्वडपूर्ण है। कृषि-जलवायु संबंधी परिस्थि्तियों और भूमि की क्षमता को ध्याेन में रखते हुए उचित क्षेत्र विशिष्टन कार्यनीति तैयार की जानी होगी। इसे पूर्ण रूप से समझते हुए भोजन, ईंधन लकड़ी, चारे आदि के सतत् उत्पाखदन के लिए बंजरभूमि क पुन: उपयोग योग्यश बनाने हेतु उपयुक्तड प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने के लिए केन्द्री य क्षेत्र की टीडीईटी योजना शुरू की गई थी।
मुख्य उद्देश्य्
योजना के मुख्य उद्देश्य् हैं- (i) बंजरभूमि के सतत् विकास की आयोजना तैयार करने के लिए आँकड़ा आधार विकसित करना, (ii) बंजरभूमि, विशेष रूप से मृदा कटाव, भूमि अवक्रमण, लवणीयता, क्षारीयता, जलाक्रांत आदि द्वारा प्रभावित समस्याजग्रस्त भूमि की विभिन्नम श्रेणियों के विकास के लिए किफायती और प्रामाणिक प्रौद्योगिकियों को लागू करना, (iii) मतयमसपलन, बत्त खपालन, मधुमक्खीनपालन, पालतू जानवरों और पक्षियों आदि सहित स्थ ल-विशिष्टभ प्रायोगिक परियोजनाओं/प्रदर्शन मॉडलों का कार्यान्वलयन करना, (iv) बंजरभूमि के विकास को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान निष्कटर्षों तथा उपयुक्ति प्रौद्योगिकियों का प्रचार-प्रसार करना, (v) बड़े क्षेत्रों में प्रभाव का मूल्यां कन करना (vi) प्रचार, जागरुकता अभियान, सेमिनारों/सम्मेिलनों कयजन करना, हैंडआउट/विस्ता र सामग्री का परिचालन करना।
कार्यान्वयन
यह योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्ये कृषि विश्व:विद्यालयों, जिला ग्रामीण विकास अभिकरणों(डीआरडीए) तथा पर्याप्त संस्थाषगत संरचना और संगठनात्म,क आधार रखने वाली सरकारी संस्थारओं के जरिए कार्यान्विआत की जा रही है। इस योजना के सफल कार्यान्ववयन से विद्यमान प्रौद्योगिकियों तथा अद्यतन स्थि्ति के लिए संगत अपेक्षाओं के बीच के अंतर के समाप्तव होने की आशा है। इस योजना के अंतर्गत विश्वाविद्यालयों और पंचायतों आदि सहित सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के स्वानमित्वत वाली बंजरभूमि पर परियोजनाओं को कार्यान्विंत करने के लिए शत-प्रतिशत केन्द्री य अनुदान अनुमेय है। निजी किसानों/निगमित निकायों की बंजरभूमि पर कार्यान्विलत की जाने वाली परियोजनाओं के मामले में परियोजना की लागत को भूमि संसाधन विभाग और लाभार्थियों के बीच 60:40 के आधार पर बाँटा जाना अपेक्षित है।
मुख्य अवयव
इस योजना के अंतर्गत आरंभ किए गए महत्वपूर्ण कार्यकलापों में देश के विभिन्नो कृषि-जलवायु क्षेत्रों में विभिन्ना कृषि वानिकी मॉडलों को बढ़ावा देना और उनका परीक्षण करना, लवणीय और क्षारीय भूमि की उत्पा्दकता में वृद्धि करने के लिए किफायती प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करना और उन्हेंक बढ़ावा देना, सतही, उप-सतही और बायो-ड्रैनेज प्रौद्योगिकी के जरिए जलाक्रांत क्षेत्रों का विकास करना, बजरभूमि में औषधीय और भेषज पौधों के पौधरोपण, जल एकत्रण के लिए मिली-जुली प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना, कृमि-पालन, माइकोरहिजा और जैव-कीटनाशी खाद्य भंडारण मॉडल तकनीकों के जरिए अवक्रमित भूमि को विकसित करना और इजराइल के सहयोग से शुष्कड और अर्द्ध-शुष्कत क्षेत्रों में जोजोबा पौधरोपण के लिए प्रोद्यौगिकी का विकास करना, शामिल हैं।
वर्तमान में स्थिति
बंजरभूमि पर जिला स्तशरीय आँकड़ा आधार तैयार करने के लिए भूमि संसाधन विभाग ने राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी(एनआरएसए), हैदराबाद के सहयोग से दूर संवेदी इमेज़रियों का प्रयोग करते हुए 1:50000 के पैमाने पर सम्पूीर्ण देश को शामिल करते हुए “भारत की बंजरभूमि संबंधी एटलस” प्रकाशित की है।परियोजना कार्यान्वजयन एजेंसियों से प्राप्ती प्रगति रिपोर्टों के जरिए परियेाजनाओं की छ:माही आधार पर नियमित रूप से निगरानी की जाती है। परियोजनाओं की आवधिक समीक्षा और क्षेत्र-दौरों के जरिए भी निगरानी की जाती है।
स्त्रोत:
- भूमि संसाधन विभाग,ग्रामीण विकास मंत्रालय,भारत सरकार