राज्य के कृषकों को उनके कृषि विकास के साथ ग्रामीण विकास की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्राथमिक बैंकों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के ऋण एवं क्रेडिट निर्धारित ऋण नीति के अन्तर्गत मुहैया कराना । राज्य में भूमि विकास बैंकों का संघीय संगठन है, राज्य स्तर पर राज्य भूमि विकास बैंक है जिसकी स्थापना 26 मार्च 1957 को हुई थी। जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक कार्यरत है। राज्य के 33 जिलो में 36 भूमि विकास बैंक अपनी 133 शाखाओ के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरित किये जा रहे है।
राज्य के कृषकों को उनके कृषि विकास के साथ ग्रामीण विकास की आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए प्राथमिक बैंकों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के ऋण एवं क्रेडिट निर्धारित ऋण नीति के अन्तर्गत मुहैया कराना ।
स्वतंत्रता से पूर्व राज्य में प्रथम भूमि बन्धक बैंक की स्थापना 1924 में अजमेर में हुई थी। उसके पश्चात् 1928 में ब्यावर में भूमि बन्धक बैंक की स्थापना हुई। स्वतंत्रता के पश्चात् 1954 में ग्रामीण साख सर्वे कमेटी द्वारा सिफारिश की गई कि प्रथम पंचवर्षीय योजना में प्रतिपादित योजनाबध्द विकास की अवधारणा के अंतर्गत भूमि बन्धक बैंकों को क्रषि क्षेत्र में उत्पादक उद्देश्यो हेतु ऋण उप्लब्ध कराने चहिए। ग्रामीण साख सर्वे कमेटी की सिफारिशो के क्रम में राजस्थान भूमि बन्धक अधिनियम 1956 के अंतर्गत राज्य भूमि बन्धक बैंकों कि स्थापना हुई। 1956 में राजस्थान सहकारी संस्था अधिनिय के अंतर्गत बन्धक शब्द के स्थान पर विकास शब्द का उपयोग प्रारम्भ किया गया। इस प्रकार भूमि बन्ध बैंकों का नाम बदलकर राज्य भूमि विकास बैंक एवम प्राथमिक भूमि विकास बैंक किया गया।
राज्य में भूमि विकास बैंकों का संघीय संगठन है, राज्य स्तर पर राज्य भूमि विकास बैंक है जिस्की स्थापना 26 मार्च 1957 को हुई थी। जिला स्तर पर प्राथमिक भूमि विकास बैंक कार्यरत है। राज्य के 33 जिलो में 36 भूमि विकास बैंक अपनी 133 शाखाओ के माध्यम से दीर्घकालीन ऋण वितरित किये जा रहे है।
बैंक ऋण योजनाएं इस प्रकार से हैं-
लघु सिचाई योजनाएं
कृषियंत्रीकरण ऋण योजना
विविधिक्रत ऋण योजना
जन मंगल आवास् योजना
अन्य योजनाएं
1- केविटिपाइप बोरवैल योजना
कृषकों को पर्याप्त भूजल उपलब्ध है के आधार पर नवकूप डगवैल, डगकम बोर वैल, केविटी पाइपबोर वैल/नलकूप/कूपगहरा एवं कुओं पर डीजल/विद्युत पम्प सैट हेतु 9 से 15वर्ष की अवधि अनुग्रह अवधि 23 माह के लिए ऋण उपलब्ध है| है ।
2- नलकूप/बोरवैल मय पम्प सैट योजना
पर्याप्त भूजल उपलब्ध है|ता के आधार पर नलकूप/बोर वैल मय सबमर्सीबल पम्प सैट के लिए 12 वर्ष हेतु ऋण उपलब्ध है| अनुग्रह अवधि 23 माह।
3- कूप गहरा योजना
- जल उपलब्ध है|ता के आधार पर कृषकों के कुओं की खुदाई एवं बोरिंग द्वारा कूप गहरा कराने के लिए 5 वर्ष की अवधि हेतु ऋण उपलब्ध है|।
4- डीजल/विद्युत पम्प सैट योजना
जल उपलब्धता के आधार पर कृषकों को सिंचाई कार्य के लिए नलकूपों से जल दोहन हेतु डीजल/विद्युत पम्प सैट के लिए 9 वर्ष हेतु ऋण उपलब्ध है| है|
5- बून्द-बून्द सिंचाई योजना
पानी की महा बचत- सिंचाई क्षेत्र में वृद्धि उद्यान विभाग द्वारा डिप सैट पर अनुदान दिये जाने का भी प्रावधान आसान शर्तों पर ऋण 10 से 15 वर्ष 11 माह की अनुग्रह अवधि की अवधि हेतु उपलब्ध है|
6- फव्वारा सिंचाई योजना
पानी की बचत, असमतल भूमि पर भी खेती सिंचाई क्षेत्रों का विस्तार, फव्वारे द्वारा सिंचाई के साथ ही फसलों पर कीटनाशक दवा का छिड़काव भी संभव- अनुदान योग्य केसेज में अनुदान सुविधा ऋण 10 से 15 वर्ष 11 माह की अनुग्रह अवधि की अवधि ।
7- डिग्गी फव्वारा सिंचाई योजना
नहरी क्षेत्रों में अपर्याप्त एवं असामायिक विद्युत आपूर्ति का प्रामाणिक निराकरण, डिग्गी निर्माण से सिंचाई की सुनिश्चितता, आसान शर्तों पर ऋण 9 वर्ष के लिए उपलब्ध है|।
8- पाईप लाईन योजना
भूजल को रोकने तथा इसका अधिकतम उपयोग करने हेतु एंव खेतों में पानी पहुचाने हेतु पक्की नाली एचडीपीई तथा पीवीसी पाइप लाईन हेतु ऋण 9 वर्ष की अवधि अनुग्रह अवधि 11 माह हेतु ऋण उपलब्ध है|।
9- विद्युतीकरण योजना
डार्क जोन घोषित होने से पूर्व निर्मित नवकूप/ डगकम बोर वेल /कैविटी पाईप बोर वेल/नलकूप पर विद्युत कनेक्शन हेतु विद्युत वितरण निगम में मॉग पत्र के आधार पर राशि जमा करवाने हेतु कृषकों को ऋण की सुविधा 50000/रू0 से 1-00 लाख तक 9 वर्ष की अवधि के लिए देय तथा कुओं पर डीजल पम्प सैट के स्थान पर समान अश्वशक्ति के विद्युत मोटर हेतु भी ऋण की व्यवस्था।
10- मुख्यमन्त्री जनजाति अनुसूचित/सहरिया क्षेत्र जलधारा योजना
इस योजनान्तर्गत सुरक्षित एवं अर्द्धसंवेदनशील क्षैत्रों के साथ-साथ डार्क जोन में आने वाले जनजाति क्षेत्र के सभी श्रेणी के काश्तकारों को लघु सिंचाई उद्धेश्यों हेतु राज्य के 6 जिलो में बांसवाड़ा, उदयपुर, डूंगरपुर, चित्तोड़गढ़, सिरोही एवं बांरा की 25 पंचायत समितियों के काश्तकारों को जल धारा योजनान्तर्गत ऋण सुविधा 9 से 15 वर्ष की अवधि हेतु उपलब्ध है| कराई जायेगी।
1- डेयरी
कृषक को जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि आय के साथ साथ उनके फार्म से सह आय प्राप्त करने हेतु डेयरी उद्येश्य हेतु ऋण सुविधा 5 से 6 वर्ष की अवधि के लिये
2- पौल्टी
कृषक को जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि आय के साथ साथ उनके फार्म से सहआय प्राप्त करने हेतु पोल्टी उद्येश्य हेतु ऋण सुविधा 5-7 वर्ष की अवधि के लिये उपलब्ध है|
3- मछलीपालन
कृषक को जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि आय के साथ साथ उनके फार्म से सह आय प्राप्त करने हेतु मछली पालन उद्येश्य हेतु ऋण सुविधा 7 वर्ष की अवधि एक वर्ष अनुग्रह अवधिके लिये उपलब्ध है|
4- सूअर पालन-
कृषक को जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि आय के साथ साथ उनके फार्म से सह आय प्राप्त करने हेतु सूअर पालन उद्येश्य हेतु ऋण सुविधा 5 वर्ष की अवधि एक वर्ष अनुग्रह अवधि के लिये उपलब्ध है|
5- भेड़ बकरी पालन-
कृषक को जीवन स्तर में सुधार के लिए कृषि आय के साथ साथ उनके फार्म से सहआय प्राप्त करने हेतु भेड बकरी पालन उद्येश्य हेतु ऋण सुविधा 5 वर्ष की अवधि एक वर्ष अनुग्रह अवधि के लिये उपलब्ध है|
6- उद्यानिकी योजनाएं
निरन्तर घटती जोत से प्रति इकाई क्षेत्र में अधिकतम आय अर्जित करने हेतु विभिन्न उद्यानिकी योजनाओं हेतु ऋण उपलब्ध है|, ऋण हेतु कृषकों के पास सिंचाई की सुनिश्चित व्यवस्था आवश्यक योजनान्तर्गत विभिन्न फलों व फूलों के बाग लगाने हेतु ऋण 3 से 10 वर्ष 3-7 वर्ष की अनुग्रह अवधि हेतु ऋण सुविधा है|
7- भारवाहक पशु एवं पशु चालित गाड़ियॉ
फसल कटाई के उपरांत आगामी फसल तक के खाली समय में एवं घर के बेरोजगार नवयुवकों को कार्य में लगाते हुए आय प्राप्त करने के लिए भार वाहक पशु एवं पशु चालित गाड़ियों हेतु बैंक द्वारा ऋण सुविधा 5 वर्ष हेतु उपलब्ध है| ।
8- कच्चा हौज सिंचाई योजना
विद्युत आपूर्ति में कमी से निजात- जल स्रोत का विवेकपूर्ण एवं सामयिक उपयोग की दृष्टि से पानी का हौज निर्माण करवाने हेतु ऋण उपलब्ध है|, ऋणं की अवधि 9 वर्षं, जिसमें एक वर्ष का ग्रेस पीरियड शामिल। अनुग्रह अवधि लिए देय।
9- पक्का फार्म पौण्ड निर्माण योजना
विद्युत आपूर्ति में कमी से निजात- जल स्रोत का विवेकपूर्ण एवं सामयिक उपयोग की दृष्टि से पानी का हौज निर्माण करवाने हेतु ऋण उपलब्ध है|, ऋणं की अवधि 9 वर्षं, जिसमें एक वर्ष का ग्रेस पीरियड शामिल।
10- भूमि सुधार योजना
कृषक को अपने फार्म को खेती योग्य बनाने के लिए भूमि समतलीकरण, तारबन्दी, पक्की दीवार, क्षारीयता का उपचार, आदि के लिए ऋण उपलब्ध है|, मशीनरी ऋण हेतु स्वीकृत राशि का भुगतान लाभार्थी के अधिकार पत्र पर सीधे बैक द्वारा फर्म को देय, ऋण का चुकारा 9 वर्षों में वर्षिक किश्तों में जिसमें अनुग्रह अवधि शामिल।
11- वर्मी कम्पोस्ट
कृषि अवशेष/वानस्पतिक कचरे, गोबर मिट्टी एंव किसान मित्र केंचुए का उपयोग करते हुये वर्मी कम्पोस्ट के निमार्ण हेतु ऋण उपलब्ध है|, ऋण का चुकारा 5 वर्षो में अनुग्रह अवधि 1 वर्ष वार्षिक किश्तों में।
12- रेशम कीट पालन
रेशम कीट पालन करके रेशम कोकून तैयार करने हेतु ऋण वितरण का प्रावधान, ऋण का चुकारा 5 वर्षों में वार्षिक किश्तों में, जिसमें अनुग्रह अवधि शामिल।
13- मधुमक्खी पालन-
पुष्पीय/उद्यानिकी फसलों की उपलब्ध है|ता वाले क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन हेतु ऋण उपलब्ध है|, मधुमक्खी पालन द्वारा शहद/मोम /अतिरिक्त कॉलोनी के साथ फसलोत्पादन में वृद्धि, न्यूनतम 10 मधुमक्खी बक्सों हेतु ऋण का प्रावधान, अधिकतम रूपये बीस लाख तक ऋण, ऋणों का चुकारा 5 वर्ष में वार्षिक किश्तों के आधार पर जिसमें अनुग्रह अवधि शामिल।
14- हरा चारा उत्पादन
सिंचाई की सुनिश्चितता होने पर रिजका की खेती हेुत ऋण सुविधा- स्वयं के पशुओं/हरे चारे के बैचान हेतु रिजका की खेती हेतु रूपये 10000/- प्रति एकड़ की दर से ऋण उपलब्ध है| ऋण की अवधि तीन वर्ष। -
15- कृषि स्नातकों द्वारा कृषि क्लिनिक/कृषि उद्योग केन्द्र की स्थापना
कृषि स्नातको को अपने स्वंय के कृषि क्लिनिक एवं कृषि उद्योग खोलने के लिये ऋण सुविधा उपलब्ध है|, कृषि स्नातकों को गतिविधि विशेष का समुचित अनुभव आवश्यक- ऋण का चुकारा गतिविधि विशेष से होने वाली आय के अनुसार- कृषि स्नातक के स्वयं के नाम से कृषि भूमि/अचल सम्पति नहीं होने पर पिता/माता/नजदीकी रिश्तेदार की कृषि भूमि/अचल सम्पति पर भी ऋण 5 वर्ष के लिए उपलब्ध है|-
16- ग्रामीण गोदाम निर्माण/परिवर्तन/विस्तारण योजना
ग्रामीण क्षेत्रों में अनाज/कृषि उत्पाद को खराब होने से बचाने एवं उसके समुचित रख रखाव व भण्डारण हेतु योजनान्तर्गत बैंक एन्डेड पद्धति से किश्तों में ऋण एवं अनुदान उपलब्ध है|
गोदाम निर्माण कार्य 15 माह में पूर्ण होना आवश्यक। गोदाम निर्माण नगरपालिका क्षेत्र के बाहर किया जायेगा। अधिकतम 10,000 मै-टन तक ऋण सुविधा 11 वर्ष अनुग्रह अवधि 1 वर्ष हेतु उपलब्ध है|।
17- औषधीय पादप योजना
राज्य के उपलब्ध है| प्राकृतिक सम्पदा को ध्यान में रखते हुये दीर्घकालीन औषधीय पादपों जैसे सफेद मूसली, गवार पाठा, गूग्गल आदि की खेती हेतु ऋण सुविधा 3 से 5 वर्ष।
18- जैटोफा प्लान्टेशन योजना
जैटोफा अर्थात रतनजोत एक बहुत ही बहुमूल्य पौधा है। इसके विभिन्न भाग सौन्दर्य प्रसाधन, रंगाई, मोमबत्ती, साबुन व प्लास्टिक निर्माण के काम आते है। प्रमुख रूप से इसके बीजों से तेल निकाला जाता है जो कि डीजल के विकल्प के रूप में काम में आता है। इसके बायोडीजल भी कहते है। इसके लिये एक हेक्टर की इकाई हेतु रूपये 10500/- से 16200/- तक का ऋण 7 वर्ष की अवधि 3 वर्ष की अनुग्रह अवधि सहित के लिये दिया जाता है।
19- मिट्टी/पानी जॉच लैब स्थापना
कृषको की फसलोत्पादन बढ़ाने हेतु मिट्टी/पानी की जॉच के आधार पर उर्वरकों का उपयोग करने के लिये लैब की स्थापना हेतु ऋण सुविधा का प्रावधान, अधिकतम 5 लाख तक की ऋण सुविधा 8 वर्ष के लिये उपलब्ध है|।
20- वेन्चर कैपिटल फन्ड योजना
राज्य में डेयरी/पोल्टी उेश्य की चयनित गतिविधियों हेतु नाबार्ड द्वारा विशेष योजना प्रारम्भ की गई है। जिसकी मुख्य विशेषताये निम्न है:- निवेश की 50 प्रतिशत राशि पर ब्याज दर शून्य रहेगी नियमित भुगतान होने पर शेष राशि पर देय ब्याज की 50 प्रतिशत राशि कृषक को लौटा दी जायेगी। प्रभावी ब्याज दर 3-4 प्रतिशत वार्षिक होगी। ऋण की अवधि 3 से 8 वर्ष होगी।
21- कृषि प्रयोजनों हेतु कृषि भूमि खरीदने हेतु ऋण सुविधा
कृषकों के कार्य कलापों के विस्तार एवं छोटी और सीमान्त जोतों को आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने हेतु कृषि भूमि क्रय करने के लिए ऋण सुविधा, यह सुविधा ऐसे लधु और सीमान्त कृषक के लिए है जिनके पास इस योजना में खरीदे जाने वाली कृषि भूमि को मिलाकर कुल कृषि भूमि अधिकतम 5 एकड़ असीचिंत भूमि या ढाई एकड़ सीचिंत भूमि है, कृषक को क्रय की जारही भूमि की लागत का 20 प्रतिशत मूल्य स्वंय द्वारा वहन करना होगा।
22- कृषि विपणन आधारिक सरंचना, श्रेणीकरण और मानकीकरण के विकास/सदृढ़ीकरण के लिए योजना
फसल कटाई के बाद विभिन्न कृषि उत्पादों/विपण्य अधिशेष के प्रबन्धन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए विपणन आधारिक सरंचना के विकास हेतु यह योजना तैयार की गई है। यह योजना सुधार से संबंधित है और आधारिक सरंचना परियोजनाओं के विकास के लिए सहायता उन राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को दी जाएगी जो प्रत्यक्ष विपणन एवं संविदा कृषि की अनुमति और निजी तथा सहकारी क्षेत्रों में कृषि मण्डियों की स्थापना की अनुमति देते है।
23- केन्द्र प्रायोजित भेड एवं बकरी पालन योजना:-
भेड़ एवं बकरियों का पालन अत्यधिक गरीब ग्रामीणों द्वारा किया जाता है और ये पशु हमारे समाज को मांस, न और खाद प्रदान करते है, ये पशु विभिन्न प्रकार की कृषि जलवायु स्थितियों के अनुकूल होते है, तथापि उस क्षेत्र के पिछड़े होने के मुख्य कारणों में अत्यन्त निर्धन लोगों को इस क्षेत्र की भूमिका की कम जानकारी, योजनाकारों/ वित्तीय एजेन्सियों के द्वारा ध्यान के अभाव और पशुओं की उत्पादकता सुधारने की दिशा में कम ध्यान दिया जाना शामिल है।
इस पृष्ठभूमि में, भारत सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि 11-वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के दौरान छोटे रोमन्थक भेड एवं बकरी के समन्वित विकास हेतु जोखिम पूॅजी निधिष् के साथ एक योजना शुरु की जाए। इस योजना के दिशा-निर्देशों के पैरा 5-1 में यथा उल्लिखित विभिन्न घटकों के लिए कुल वित्तीय परिव्यय टीएफओ पर आधारित ब्याज मुक्त ऋण आईएफएल प्रदान किया जाएगा।
प्रदेश के कृषि एवं ग्रामीण विकास कार्यो का बढ़ावा देने, बेरोजगारी दूर करने, महिलाओं को विकास में भागीदार बनाने, उद्योग धन्धों को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालीन सहकारी साख के माध्यम से राजस्थान राज्य सहकारी योजना इस प्रकार है:-
1- प्राथमिक भूमि विकास बैंक हेतु पात्रता
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के ऋण क्षमता के मानदण्डों के अन्तर्गत राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्राथमिक भूमि विकास बैंक ऋण वितरण करेंगे ।
2- ऋण हेतु पात्रता
निम्न शर्तें पूर्ण करने वाले आवेदकों को आवास योजनानन्तर्गत ऋण उपलब्ध है, कराया जायेगा:-
अ) प्रार्थी के नाम से स्वयं के स्वामित्व का भूखण्ड/निर्मित भवन हों । पूर्व निर्मित भवन के क्रय हेतु आवासन मण्डल/नगर पालिका/नगर निगम, अन्य संस्था अथवा व्यक्ति से किये गये इकरारनामें/आवंटन पत्र की प्रति के आधार पर ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
ब) प्राथमिक भूमि विकास बैंक के कार्यक्षेत्र में आवास निर्माण/मरम्मत/खरीदने हेतु ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
स) प्रार्थी के पास पर्याप्त प्रतिभूति होनी चाहिये (चल - अचल सम्पत्ति) ।
द) प्रार्थी को स्वयं के आवास हेतु भवन की आवश्यकता हो । प्रस्तावित भवन की न्यनूनतम आयु 30 वर्ष हो ।
3- उद्देश्य
नवीन भवन निर्माण, आवासन मण्डल/संस्था/किसी व्यक्ति से भवन क्रय करने हेतु अथवा वर्तमान भवन की मरम्मत/ पुनरुत्थान/ अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
4- भवन के निर्माण/क्रय हेतु आवश्यक अभिलेख
(अ) भूखण्ड/निर्मित भवन के स्वामित्व संबंधित आवश्यक मूल दस्तावेज (आवंटन पत्र, साइट प्लान, लीज डीड आदि) ।
(ब) पंचायत/ स्थानीय निकाय से आवश्यक अनुमति।
स)भूखण्ड/निर्मित भवन के संबंध में सब रजिस्ट्रार कार्यालय से गत 12 वर्षों का भार प्रमाणपत्र|
(द) सिविल इंजिनियर/ वास्तुविद द्वारा निरूपित भवन निर्माण की अनुमानित लागत एवं नक्शे की प्रति।
(य) आवश्यक होने पर कृषि भूमि को आवासीय भूमि में रूपान्तरण संबंधित आदेश ।
(र) वैतनिक कर्मचारियों के मामलों में गत माह का वेतन प्रमाण पत्र, फार्म नं- 16(गत वर्ष का) तथा राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 41 के अन्तर्गत वेतन से ऋण कटौती करने का अधिकार पत्र व नियोक्ता की सहमति/समस्त किस्तो के अग्रिम चैक्स ।
(ल) आवासन मण्ड़ल/नगरपालिका/नगर विकास न्यास/निगम/अन्य संस्था/व्यक्ति से प्राप्त आवंटन पत्र अथवा इकरारनामा ।
(व) प्रारम्भिक भुगतानों की मूल रसीदें एवं भार दर्ज कराने के सम्बन्ध में ना-आपत्ति प्रमाण पत्र ।
(ग) लीज डीड ।
(घ) आवास सम्बन्धी प्रमाण पत्र(राशन कार्ड/फोटो परिचय पत्र/बिजली या पानी का बिल/पेन कार्ड/पासपोर्ट की प्रति) ।
5- भवन का अनुमानित मूल्य:
(अ) भवन के अनुमानित मूल्य के आंकलन में रजिस्ट्रेशन शुल्क, विधिक शुल्क, बीमे की किश्त, विद्युतीकरण, प्लम्बरींग, वर्षा जल संग्रहण संरचना, सेनिटेशन आदि को सम्मिलित करके किया जा सकता है।
(ब) भवन निर्माण की अनुमानित लागत का अनुमान पत्र राजकीय सहायक/कनिष्ठ अभियंता/वास्तुविद्/मान्यता प्राप्त मूल्यांकनकर्त्ता से प्राप्त किया जायेगा ।
(स) आवास इकाई की लागत 20-00 लाख से अधिक नहीं होगी।
(द) मरम्मत/पुनरूद्धार/वर्षा जल संग्रहण संरचना/सेनिटेशन की अधिकतम लागत 7.50 लाख रू0 होगी।
6- ऋण सीमा
अ) प्रस्तावित निर्माण की लागत का अधिकतम 75 प्रतिशत अथवा ऋण क्षमता/ ऋण चुकाने की क्षमता के आधार पर ऑकलित ऋण क्षमता में जो भी कम हो तक ऋण स्वीकृत किया जा सकेगा।
ब) नवीन भवन/अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु अधिकतम 15-00 लाख रुपये तक एवं मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु अधिकतम 5-00 लाख रुपये तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है| नवीन भवन/अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु 10.00 लाख रू तथा मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु अधिकतम 3-00 लाख रुपये तक के ऋण प्राथमिक बैंक स्तर पर स्वीकृत किये जाते है तथा इससे अधिक के ऋण राज्य भूमि विकास बैंक स्तर पर स्वीकृत किये जाते है।
7- प्रत्याभूति
आवास ऋण प्रथमत: भूखण्ड(जिस पर आवास निर्माण किया जाना है / निर्मित मकान अथवा क्रय किये जा रहे मकान की प्रत्याभूति पर उपलब्ध है| कराये जायेंगे। ऋण की सुरक्षा हेतु आवश्यकता होने पर निम्न अतिरिक्त/वैकल्पिक प्रत्याभूति भी प्राप्त की जा सकती है
1- कृषि भूमि ।
2- आवासीय भूखण्ड ।
3- किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र ।
4- भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा ।
किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र/ भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा को बैंक के पक्ष में नामॉकित करवाया जायेगा ।
8- ऋण क्षमता का ऑकलन
अ)प्रत्याभूति स्वरुप प्रस्तुत कृषि भूमि / आवासीय भूखण्ड का मूल्य उस क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार से प्राप्त गत तीन वर्षो की औसत विक्रय दर के आधार पर किया जायेगा । उपरोक्त प्रकार प्राप्त भूमि के मूल्य एवं प्रस्तावित भवन की लागत का अधिकतम 60 प्रतिशत तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
ब) किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र/भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा के खरीद मूल्य के 80 प्रतिशत तक की राशि को ऋण क्षमता के ऑकलन में सम्मिलित किया जा सकता है ।
9- ऋण भुगतान क्षमता
अ) कृषि भूमि से प्राप्त आय का ऑकलन शीर्ष बैंक द्वारा जारी जिलेवार मापदण्ड़ों अथवा प्रार्थी द्वारा वास्तव में ली जा रही पैदावार के आधार पर किया जायेगा ।
ब) कृषि से सम्बन्धित अन्य व्यवसाय अथवा उद्योग से प्राप्त नियमित आय को भी प्रार्थी की कुल आय में सम्मिलित किया जा सकता है । उक्त आय को सुनिश्चित किया जाये ।
स) व्यवसाय से प्राप्त आय का ऑकलन गत तीन वर्षो के आयकर निर्धारण के आधार पर किया जाये ।
द) वैतनिक कर्मचारियों के केस में समस्त कटौतियों के पश्चात् प्राप्त शुद्ध वेतन को प्रार्थी की कुल आय में सम्मिलित किया जायेगा ।
उपरोक्त प्रकार प्राप्त कुल आय का अधिकतम 35 प्रतिशत तक प्रार्थी की ऋण चुकाने की क्षमता मानी जायेगी। ऋण देने से पूर्व ऋण आवश्यकता एवं ऋण की चुकोती क्षमता का वास्तविक ऑकलन अत्यन्त आवश्यक है।
10- ऋण भुगतान की प्रक्रिया/उपयोगिता की जांच
अ) यदि ऋणी सदस्य बना बनाया नवीन भवन क्रय करना चाहता है तो विक्रेता को एकमुश्त ऋण का भुगतान रजिस्ट्रेशन के समय सब रजिस्ट्रार कार्यालय में रेखांकित चैक द्वारा किया जायेगा।
ब) नवीन भवन निर्माण हेतु स्वीकृत ऋण का भुगतान निम्न प्रकार किया जायेगा :- ऋण का भुगतान तीन किस्तों में 30:40:30 के अनुपात में किया जायेगा।
स) ऋणी को प्रथम किस्त दिये जाने की तिथि से एक वर्ष के अन्दर भवन निर्माण कार्य पूर्ण कराना अनिवार्य है।
द) ऋणी को प्रथम किस्त दिये जाने की तिथि से नो माह के अन्दर तृतीय किस्त प्राप्त करना अनिवार्य है।
य) ऋणी को अन्तिम किस्त दिये जाने के तीन माह के अन्दर भवन निर्माण का कार्य पूर्ण कराना अनिवार्य है।
र) अन्तिम ऋण उपयोगिता की जांच कर सत्यापन प्रमाण पत्र पत्रावली में रखा जाये।
11- ऋण की अवधि एवं ऋण चुकाने की प्रक्रिया
अ) नवीन भवन हेतु वितरित ऋण के चुकाने की अधिकतम अवधि 15 वर्ष होगी जिसमें अधिकतम 18 माह की ग्रेस अवधि सम्मिलित है ।
ब) भवन मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु ऋण के चुकाने की अधिकतम अवधि 5 वर्ष होगी। इसमे ग्रेस अवधि देय नहीं होगी।
स) केवल कृषि भूमि के आधार पर वितरित ऋणों की वसूली मासिक/त्रैमासिक/अर्द्धवार्षिक किश्तों में भी की जा सकेगी । अन्य केसेज में ऋण की वसूली मासिक किश्तों में की जायेगी । ग्रेस अवधि में केवल ब्याज ही वसूल किया जायेगा|
द) किश्तों का निर्धारण साम्य प्रणाली (इक्वेटेड इन्स्टालमेन्ट) के आधार पर किया जायेगा|
12- जमानत
आवासीय भवन एवं भूखण्ड़ की प्रत्याभूति के आधार पर स्वीकृत ऋणों में दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों की जमानत प्राप्त की जायेगी। जमानतदारों द्वारा निर्धारित प्रपत्र में शपथ पत्र एवं अन्य आवश्यक पत्रादि प्रस्तुत करने होंगे तथा उनके स्वयं के नाम की अचल सम्पत्ति के स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेजों की सत्यापित प्रतिलिपि बैंक में प्रस्तुत करनी होगी ।
13- ब्याज दर
बैंक द्वारा समय पर परिवर्तित ब्याज दर लागू होगी । अवधिपार राशि पर 3 प्रतिशत की दर से दण्डनीय ब्याज देय होगा ।
14- अन्य
(1) संयुक्त ऋण के केस में दो व्यक्तियों तक ही आवास ऋण संयुक्त रुप से स्वीकृत किया जा सकता है तथा वे निकट के रिश्तेदार हों जिनके द्वारा भवन का संयुक्त रुप से आवासीय उपयोग सुनिश्चित किया जाये ।
(2) राज्य सरकार/बैंक/बीमा/अर्द्धसरकारी संगठन/सहकारी संस्थाओं एवं अन्य प्रतिष्ठित व्यवसायिक संगठनों में कार्यरत स्थाई/नियमित वैतनिक कर्मचारियों एवं गत तीन वर्षो से आयकरदाता व्यवसायियों को को ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
(3) वैतनिक कर्मचारियों के केस में ऋण की अवधि उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि तक सीमित रखी जाये।
(4) पति एवं पत्नि के संयुक्त ऋण के केस में उनकी नियमित वैतनिक शुद्ध आय को उनके ऋण चुकाने की क्षमता के ऑकलन में जोड़ा जा सकता है
(5) बैंक ऋण से क्रय/निर्मित सम्पत्ति बैंक के पक्ष में साधारण बन्धक के रुप में रहेगी एवं बैंक का उस सम्पत्ति पर प्रथम भार होगा ।
(6) प्रत्येक केस में प्राथमिक बैंक द्वारा प्रत्याभूति एवं भूखण्ड के बारें में विधि सलाहकार की राय प्राप्त की जाये ।
15- बीमा
बैंक के ऋण से बनाये गये भवन/क्रय किये गये भवन का ऋणी एवं बैंक के संयुक्त नाम से बीमा कराया जायेगा । बीमें की मूल प्रति बैंक में ऋणी सदस्य की पत्रावली में रखी जायेगी जिसका नवीनीकरण पूर्ण ऋण के चुकाने तक प्रत्येक वर्ष ऋणी द्वारा कराया जायेगा । बीमा राशि लाभार्थी द्वारा वहन की जायेगी । यदि ऋणी द्वारा समय पर बीमें का नवीनीकरण नहीं कराया जाता है तो बैंक द्वारा नवीनीकरण कराकर प्रार्थी के खाते में प्रीमियम की राशि डेबिट की जाकर ऋणी को सूचित किया जायेगा ।
16- रजिस्ट्री बैंक ऋण से निर्मित भवन का मूल पट्टा/आवश्यक अभिलेख एवं बैंक ऋण से क्रय किये गये भवन के मूल दस्तावेज तथा सब-रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा जारी की गई रसीद पूर्ण ऋण के चुकाने तक बैंक में सुरक्षित रखें जायेंगे ।
1-- प्राथमिक भूमि विकास बैंक हेतु पात्रता
-राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के ऋण क्षमता के मानदण्डों के अन्तर्गत राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार प्राथमिक भूमि विकास बैंक ऋण वितरण करेंगे ।
2- ऋण हेतु पात्रता
निम्न शर्तें पूर्ण करने वाले आवेदकों को आवास योजनानन्तर्गत ऋण उपलब्ध है| कराया जायेगा:-
अ) प्रार्थी के नाम से स्वयं के स्वामित्व का भूखण्ड/निर्मित भवन हों । पूर्व निर्मित भवन के क्रय हेतु आवासन मण्डल/नगर पालिका/नगर निगम, अन्य संस्था अथवा व्यक्ति से किये गये इकरारनामें/आवंटन पत्र की प्रति के आधार पर ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
ब) प्राथमिक भूमि विकास बैंक के कार्यक्षेत्र में आवास निर्माण/मरम्मत/खरीदने हेतु ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
स) प्रार्थी के पास पर्याप्त प्रतिभूति होनी चाहिये (चल - अचल सम्पत्ति) ।
द) प्रार्थी को स्वयं के आवास हेतु भवन की आवश्यकता हो । प्रस्तावित भवन की न्यनूनतम आयु 30 वर्ष हो ।
3- उद्देश्य
नवीन भवन निर्माण, आवासन मण्डल/संस्था/किसी व्यक्ति से भवन क्रय करने हेतु अथवा वर्तमान भवन की मरम्मत/ पुनरुत्थान/ अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
4- भवन के निर्माण/क्रय हेतु आवश्यक अभिलेख
(अ) भूखण्ड/निर्मित भवन के स्वामित्व संबंधित आवश्यक मूल दस्तावेज (आवंटन पत्र, साइट प्लान, लीज डीड आदि) ।
(ब) पंचायत/ स्थानीय निकाय से आवश्यक अनुमति।
स)भूखण्ड/निर्मित भवन के संबंध में सब रजिस्ट्रार कार्यालय से गत 12 वर्षों का भार प्रमाणपत्र|
(द) सिविल इंजिनियर/ वास्तुविद द्वारा निरूपित भवन निर्माण की अनुमानित लागत एवं नक्शे की प्रति।
(य) आवश्यक होने पर कृषि भूमि को आवासीय भूमि में रूपान्तरण संबंधित आदेश ।
(र) वैतनिक कर्मचारियों के मामलों में गत माह का वेतन प्रमाण पत्र, फार्म नं- 16(गत वर्ष का) तथा राजस्थान सहकारी सोसाइटी अधिनियम 2001 की धारा 41 के अन्तर्गत वेतन से ऋण कटौती करने का अधिकार पत्र व नियोक्ता की सहमति/समस्त किस्तो के अग्रिम चैक्स|
(ल)आवासन मण्ड़ल/नगरपालिका/नगर विकास न्यास/निगम/अन्य संस्था/व्यक्ति से प्राप्त आवंटन पत्र अथवा इकरारनामा ।
(व) प्रारम्भिक भुगतानों की मूल रसीदें एवं भार दर्ज कराने के सम्बन्ध में ना-आपत्ति प्रमाण पत्र ।
(ग) लीज डीड ।
(घ) आवास सम्बन्धी प्रमाण पत्र(राशन कार्ड/फोटो परिचय पत्र/बिजली या पानी का बिल/पेन कार्ड/पासपोर्ट की प्रति) ।
5- भवन का अनुमानित मूल्य
(अ) भवन के अनुमानित मूल्य के आंकलन में रजिस्ट्रेशन शुल्क, विधिक शुल्क, बीमे की किश्त, विद्युतीकरण, प्लम्बरींग, वर्षा जल संग्रहण संरचना, सेनिटेशन आदि को सम्मिलित करके किया जा सकता है।
(ब) भवन निर्माण की अनुमानित लागत का अनुमान पत्र राजकीय सहायक/कनिष्ठ अभियंता/वास्तुविद्/मान्यता प्राप्त मूल्यांकनकर्त्ता से प्राप्त किया जायेगा|
(स) आवास इकाई की लागत 20-00 लाख से अधिक नहीं होगी।
(द) मरम्मत/पुनरूद्धार/वर्षा जल संग्रहण संरचना/सेनिटेशन की अधिकतम लागत 7-50 लाख रू0 होगी।
6- ऋण सीमा
अ) प्रस्तावित निर्माण की लागत का अधिकतम 75 प्रतिशत अथवा ऋण क्षमता/ ऋण चुकाने की क्षमता के आधार पर ऑकलित ऋण क्षमता में जो भी कम हो तक ऋण स्वीकृत किया जा सकेगा।
ब) नवीन भवन/अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु अधिकतम 15.00 लाख रुपये तक एवं मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है| नवीन भवन/अतिरिक्त निर्माण कार्य हेतु 8.00 लाख रू तथा मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु अधिकतम 3.00 लाख रुपये तक के ऋण प्राथमिक बैंक स्तर पर स्वीकृत किये जाते है तथा इससे अधिक के ऋण राज्य भूमि विकास बैंक स्तर पर स्वीकृत किये जाते है।-
7- प्रत्याभूति
आवास ऋण प्रथमत: भूखण्ड(जिस पर आवास निर्माण किया जाना है| निर्मित मकान अथवा क्रय किये जा रहे मकान की प्रत्याभूति पर उपलब्ध है| कराये जायेंगे। ऋण की सुरक्षा हेतु आवश्यकता होने पर निम्न अतिरिक्त/वैकल्पिक प्रत्याभूति भी प्राप्त की जा सकती है
1- कृषि भूमि ।
2- आवासीय भूखण्ड ।
3- किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र ।
4- भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा ।
किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र/ भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा को बैंक के पक्ष में नामॉकित करवाया जायेगा|
8- ऋण क्षमता का ऑकलन
अ)प्रत्याभूति स्वरुप प्रस्तुत कृषि भूमि / आवासीय भूखण्ड का मूल्य उस क्षेत्र के सब-रजिस्ट्रार से प्राप्त गत तीन वर्षो की औसत विक्रय दर के आधार पर किया जायेगा । उपरोक्त प्रकार प्राप्त भूमि के मूल्य एवं प्रस्तावित भवन की लागत का अधिकतम 60 प्रतिशत तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
ब) किसान विकास पत्र/राष्ट्रीय बचत पत्र/भूमि विकास बैंकों में सावधि जमा के खरीद मूल्य के 80 प्रतिशत तक की राशि को ऋण क्षमता के ऑकलन में सम्मिलित किया जा सकता है ।
9- ऋण भुगतान क्षमता
अ) कृषि भूमि से प्राप्त आय का ऑकलन शीर्ष बैंक द्वारा जारी जिलेवार मापदण्ड़ों अथवा प्रार्थी द्वारा वास्तव में ली जा रही पैदावार के आधार पर किया जायेगा ।
ब) कृषि से सम्बन्धित अन्य व्यवसाय अथवा उद्योग से प्राप्त नियमित आय को भी प्रार्थी की कुल आय में सम्मिलित किया जा सकता है । उक्त आय को सुनिश्चित किया जाये|
स) व्यवसाय से प्राप्त आय का ऑकलन गत तीन वर्षो के आयकर निर्धारण के आधार पर किया जाये ।
द) वैतनिक कर्मचारियों के केस में समस्त कटौतियों के पश्चात् प्राप्त शुद्ध वेतन को प्रार्थी की कुल आय में सम्मिलित किया जायेगा ।
उपरोक्त प्रकार प्राप्त कुल आय का अधिकतम 35 प्रतिशत तक प्रार्थी की ऋण चुकाने की क्षमता मानी जायेगी। ऋण देने से पूर्व ऋण आवश्यकता एवं ऋण की चुकोती क्षमता का वास्तविक ऑकलन अत्यन्त आवश्यक है।
10- ऋण की अवधि एवं ऋण चुकाने की प्रक्रिया
अ) नवीन भवन हेतु वितरित ऋण के चुकाने की अधिकतम अवधि 15 वर्ष होगी जिसमें अधिकतम 18 माह की ग्रेस अवधि सम्मिलित है ।
ब) भवन मरम्मत/पुर्ननिर्माण/अपग्रेडेशन हेतु ऋण के चुकाने की अधिकतम अवधि 5 वर्ष होगी। इसमे ग्रेस अवधि देय नहीं होगी।
स) केवल कृषि भूमि के आधार पर वितरित ऋणों की वसूली मासिक/त्रैमासिक/अर्द्धवार्षिक किश्तों में भी की जा सकेगी । अन्य केसेज में ऋण की वसूली मासिक किश्तों में की जायेगी । ग्रेस अवधि में केवल ब्याज ही वसूल किया जायेगा ।
द) किश्तों का निर्धारण साम्य प्रणाली (इक्वेटेड इन्स्टालमेन्ट) के आधार पर किया जायेगा ।
11- जमानत
आवासीय भवन एवं भूखण्ड़ की प्रत्याभूति के आधार पर स्वीकृत ऋणों में दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों की जमानत प्राप्त की जायेगी। जमानतदारों द्वारा निर्धारित प्रपत्र में शपथ पत्र एवं अन्य आवश्यक पत्रादि प्रस्तुत करने होंगे तथा उनके स्वयं के नाम की अचल सम्पत्ति के स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेजों की सत्यापित प्रतिलिपि बैंक में प्रस्तुत करनी होगी ।
12- ब्याज दर
बैंक द्वारा समय पर परिवर्तित ब्याज दर लागू होगी । अवधिपार राशि पर 3 प्रतिशत की दर से दण्डनीय ब्याज देय होगा ।
13- अन्य
(1) संयुक्त ऋण के केस में दो व्यक्तियों तक ही आवास ऋण संयुक्त रुप से स्वीकृत किया जा सकता है तथा वे निकट के रिश्तेदार हों जिनके द्वारा भवन का संयुक्त रुप से आवासीय उपयोग सुनिश्चित किया जावें ।
(2) राज्य सरकार/बैंक/बीमा/अर्द्धसरकारी संगठन/सहकारी संस्थाओं एवं अन्य प्रतिष्ठित व्यवसायिक संगठनों में कार्यरत स्थाई/नियमित वैतनिक कर्मचारियों एवं गत तीन वर्षो से आयकरदाता व्यवसायियों को को ऋण स्वीकृत किया जा सकता है ।
(3) वैतनिक कर्मचारियों के केस में ऋण की अवधि उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि तक सीमित रखी जाये।
(4) पति एवं पत्नि के संयुक्त ऋण के केस में उनकी नियमित वैतनिक शुद्ध आय को उनके ऋण चुकाने की क्षमता के ऑकलन में जोड़ा जा सकता है
(5) बैंक ऋण से क्रय/निर्मित सम्पत्ति बैंक के पक्ष में साधारण बन्धक के रुप में रहेगी एवं बैंक का उस सम्पत्ति पर प्रथम भार होगा ।
(6) प्रत्येक केस में प्राथमिक बैंक द्वारा प्रत्याभूति एवं भूखण्ड के बारें में विधि सलाहकार की राय प्राप्त की जाये ।
14- बीमा
बैंक के ऋण से बनाये गये भवन/क्रय किये गये भवन का ऋणी एवं बैंक के संयुक्त नाम से बीमा कराया जायेगा । बीमें की मूल प्रति बैंक में ऋणी सदस्य की पत्रावली में रखी जायेगी जिसका नवीनीकरण पूर्ण ऋण के चुकाने तक प्रत्येक वर्ष ऋणी द्वारा कराया जायेगा । बीमा राशि लाभार्थी द्वारा वहन की जायेगी । यदि ऋणी द्वारा समय पर बीमें का नवीनीकरण नहीं कराया जाता है तो बैंक द्वारा नवीनीकरण कराकर प्रार्थी के खाते में प्रीमियम की राशि डेबिट की जाकर ऋणी को सूचित किया जायेगा ।
15- रजिस्ट्री बैंक ऋण से निर्मित भवन का मूल पट्टा/आवश्यक अभिलेख एवं बैंक ऋण से क्रय किये गये भवन के मूल दस्तावेज तथा सब-रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा जारी की गई रसीद पूर्ण ऋण के चुकाने तक बैंक में सुरक्षित रखें जायेंगे ।
16- हिस्सा राशि :- 1000 के हिस्से ऋणी को क़य करने होंगे ।
राज्य के भूमि विकास बैंकों द्वारा नाबार्ड की ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनरी ऋण नीति के अनुसार अब तक लाभार्थियों के पक्ष में स्वीकृत ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनरी ऋण उनकी सहमति के आधार पर बैंक द्वारा सीधे ही ट्रैक्टर एवं कृषि मशीनरी उपलब्ध है| करवाने वाली फर्म/विक्रेता को भुगतान कर दिया जाता था। क्षेत्रीय परिस्थितियों के अनुसार यह अनुभव किया गया कि नकद राशि से ट्रैक्टर क्रय करने वाले लाभार्थियों को विक्रेताओं द्वारा ट्रैक्टर के अधिकतम बिक्री मूल्यों पर बैंक ऋण से ट्रैक्टर क्रय करने वाले लाभार्थियों की अपेक्षा अधिक नकद छूट दी जाती है। बैंक ऋण से ट्रैक्टर क्रय करने वाले लाभार्थियों को आर्थिक हानि न हो तथा वे अपने मनपसन्द मेक/मॉडल के ट्रैक्टर क्रय कर सके इसके लिए प्रस्तावित नकद क्रय योजना नाबार्ड द्वारा स्वीकृत कर दी गई है। ट्रैक्टर उद्देश्य हेतु नकद क्रय योजना का क्रियान्वयन एवं संचालन निम्न प्रक्रियानुसार किया जायेगा:-
1-ट्रैक्टर नगद
भुगतान ऋण योजना समस्त भूमि विकास बैंकों में लागू होगी।
2- पात्रता
ट्रेक्टर ऋण के लिये कृषक के पास कम से कम 6 एकड़ बारहमासी सिंचित भूमि अथवा समकक्ष मूल्य की बारानी कृषि योग्य भूमि होनी चाहिये।
3- ऋण प्रार्थना पत्र
(अ) ऋण प्रार्थना पत्र के साथ कृषक/कृषकों को केन्द्रीय सहकारी बैंक मे खोले गये बचत खाते की पास बुक के पहले पृष्ठ की फोटो प्रति संलग्न की जायेगी एवं ऋण प्रार्थना पत्र पर बचत खाता संख्या अंकित की जायेगी। यदि प्रार्थी का बचत खाता खुला हुआ नहीं है तो उसे केन्द्रीय सहकारी बैंक में बचत खाता खोलकर बचत खाता संख्या एवं पास बुक की फोटो स्टेट प्रति उपलब्ध है| करानी होगी। संयुक्त ऋण के मामले में खाता सभी ऋणियों के नाम से संयुक्त खाता खुलवाना होगा।
(ब) ऋण प्रार्थना पत्र में प्रार्थी द्वारा प्रस्तावित उद्देश्य –
ट्रैक्टर मॉडल का नाम, अश्वशक्ति एवं प्रस्तावित ऋण राशि का उल्लेख किया जायेगा। लाभार्थी को विक्रेता का नाम अंकित करने की आवश्यकता नहीं है। इसी प्रकार लाभार्थी को ऋण प्रार्थना पत्र के साथ किसी प्रकार का कोटेशन भी प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। ।
(स) प्रार्थी द्वारा वांछित ऋण राशि का उल्लेख सम्बन्धित कॉलम में किया जायेगा।
(द) ऋण प्रार्थना पत्र में प्रार्थी के टेलीफोन/मोबाईल नम्बर भी अंकित किये जावें।
4- ऋण क्षमता का ऑकलन
ऋण स्वीकृति से पूर्व कृषक की ऋण क्षमता का ऑकलन निम्नानुसार किया जायेगा:-
ऋण क्षमता के आकलन मे क़षक के भूमि के गत तीन वर्षो के भूमि विक्रय के औसत आकंडो के मूल्य ( सब रजिस्टार/ तहसीलदार द्वारा उपलब्ध है| ) मे टैक्टर का मूल्य जोडते हुये कुल राशि का 60 प्रतिशत अधिकतम ऋण क्षमता मानी जायेगी।
5- ऋण चुकौती क्षमता
कृषक की ऋण चुकौती क्षमता का निर्धारण वर्तमान फसलोत्पादन से प्राप्त बढ़ी हुई आय एवं कस्टम हायरिंग से प्राप्त आय के आधार पर ही किया जायेगा। यहॉ यह स्पष्ट किया जाता है कि फसलोत्पादन के आधार पर विकास कार्य से पूर्व एवं विकास कार्य के पश्चात् आय की गणना करने के लिए जिले के उप निदेशक, कृषि कार्यालय से गत तीन वर्षो के प्रचलित जिन्सों के उत्पादन लागत के ऑकड़े एवं कृषि उपज मण्डी कार्यालयों से प्रचलित जिन्सों के गत तीन वर्षो के विक्रय ऑकड़े प्राप्त कर इनके औसत के आधार पर गणना की जानी चाहियेा
प्रत्येक कृषक को वास्तविक लाभ तब ही दिया जा सकता है जबकि प्रार्थी द्वारा प्रस्तुत कृषि भूमि में हो रहे वास्तविक उत्पादन का आधार लेकर गणनाये की जायेगी। गणना निम्न प्रकार की जायेगी :- ऋण चुकौती क्षमता व विकास कार्य के पश्चात् आय - विकास कार्य से पूर्व आय व बढ़ी हुई आय . कस्टम हायरिंग।
6- कस्टम हायरिंग
ट्रैक्टर ऋण स्वीकृति से पूर्व प्रार्थी की ऋण चुकौती क्षमता ऑकलन हेतु क्षेत्र विशेष में सम्भावित वास्तविक कस्टम हायरिंग से प्राप्त आय अधिकतम रुपये 69,000/- तक ऑकी जायेगी।
7- ट्रैक्टर की कीमत का ऑकलन
विभिन्न कम्पनियों के विभिन्न मेक/ मॉडल के बाजार मूल्य का ऑकलन प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक अपने स्तर से विभिन्न कम्पनियों द्वारा निर्धारित अधिकतम बिक्री मूल्य, डीलर्स द्वारा जारी इनवाईस/ वाउचर, बिल समय पर होने वाली विशेष छूट आदि की जानकारी तथा बैंक अपने स्तर से किये गये प्रयासों से अधिकतम बिक्री मूल्य में जो कमी करवाई है उसको ध्यान में रखते हुए बाजार मूल्य का ऑकलन किया जायेगा। ऋण लेने वाले कृषक द्वारा भी अपने स्तर से उसकी पसन्द के ट्रैक्टर के बाजार मूल्य की जानकारी प्राप्त की जायेगी तथा कृषक द्वारा अपनी जानकारी के आधार पर अपने ऋण आवेदन पत्र में बाजार मूल्य का अंकन किया जायेगा । प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंक तथा ऋण लेने वाले कृषक द्वारा ट्रैक्टर के ऑकलित बाजार मूल्य में जो भी राशि कम होगी उसी के आधार पर ऋण स्वीकृत किया जावें। ऑकलित बाजार मूल्य किसी भी स्थिति में कम्पनी द्वारा निर्धारित अधिकतम बिक्री मूल्य तथा राज्य भूमि विकास बैंक/ प्राथमिक भूमि विकास बैंक स्तर पर दी गई छूट के बाद कम किये गये बिक्री मूल्य से अधिक नहीं होगा।
8- ऋण स्वीकृति
ऋण प्रार्थना पत्र में उल्लेखित विवरण के आधार पर एवं प्रार्थी की ऋण क्षमता व ऋण चुकौती क्षमता पर्याप्त बनने पर प्राथमिक बैंक द्वारा निम्नानुसार ऋण स्वीकृत किया जायेगा
(अ) प्राथमिक बैंक, राज्य भूमि विकास बैंक द्वारा अनुमोदित ट्रैक्टर मॉडलों हेतु उपरोक्तानुसार ऑकलित ट्रैक्टर की कीमत तथा निर्धारित डाउन पेमेन्ट को ध्यान में रखते हुये प्रस्तावित ट्रैक्टर हेतु ऋण स्वीकृत करेगी।
(ब) उपरोक्तानुसार निर्धारित मूल्य के 90 प्रतिशत तक ऋण स्वीकृत किया जा सकता है बषर्ते कि ऋण क्षमता एवं ऋण चुकौती पर्याप्त बनती हो।
(स) ऋण स्वीकृत हो जाने पर प्राथमिक बैंक प्रार्थी को ऋण स्वीकृति की सूचना यथा स्वीकृत ऋण राशि, ट्रेक्टर एवं कृषि यन्त्र क्रय करने की अवधि, देय ब्याज, किश्तों के भुगतान, ऋण की अवधि, बीमा करवाये जाने एवं अन्य आवश्यक निर्देशों सहित यथाषीघ्र ऋण स्वीकृत दिनांक के सात दिवस के अन्दर-अन्दर सूचित करेगी।
(द) प्राथमिक बैंक द्वारा आवेदन पत्र अस्वीकृत करने की दषा में अस्वीकृति की सूचना कारणों सहित प्रार्थी को सात दिवस के अन्दर साधारण डाक द्वारा दी जायेगी। इसके अतिरिक्त अस्वीकृति की सूचना बैंक के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी दर्शायी जायेगी।
9- ऋण वितरण
ऋण स्वीकृति के पश्चात्, रहन पत्र का निष्पादन करवाया जावें एवं रहन पत्र की प्रति सब-रजिस्ट्रार को भेज कर बैंक के पक्ष में भार दर्ज होने व नामान्तरकरण खुल जाने के पश्चात् ही ऋण वितरण किया जावें। ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्रों हेतु स्वीकृत ऋण राशि का भुगतान रेखांकित चैक द्वारा सीधा ऋणी को किया जायेगा। ऋणी उस चैक को उसी बचत खाते में जमा करायेगा जिसकी संख्या ऋण प्रार्थना पत्र में अंकित है। बैंक ऋण वितरण करते समय चैक पर लाभार्थी के नाम के साथ साथ बचत खाता संख्या एवं सम्बन्धित बैंक का नाम भी अंकित करेगा। संयुक्त ऋणों के मामलों में अन्य ऋणियों द्वारा दिये गये अधिकार पत्र के आधार पर संबंधित ऋणी के नाम (खाता संख्या एवं बैक नाम सहित) रेखांकित चैक बनाया जायेगा ।
10- मार्जिन मनी/ डाउन पेमेन्ट
ट्रैक्टर एवं कृषि यन्त्रों हेतु बैंक द्वारा आंकलित मूल्य का 10 प्रतिशत ऋणी द्वारा स्वयं के वित्तीय साधनों से वहन किया जायेगा । शेष 90 प्रतिशत राशि ऋण के रूप में बैंक द्वारा उपलब्ध है| करायी जायेगी बषर्ते कि ऋण क्षमता पर्याप्त बनती हो।
11- हिस्सा राशि
रुपये 2-00 लाख तक के ऋण पर 5 प्रतिशत की दर से व 2-00 लाख रुपये से अधिक पर 3 प्रतिशत की दर से, ऋणी कृषक द्वारा हिस्सा राशि बैंक में जमा कराई जायेगी।
12- ऋण की अवधि
ऋण अदायगी की अधिकतम अवधि 9 वर्ष है, ऋणी द्वारा ब्याज सहित ऋण राशि का भुगतान 18 अर्द्ववार्षिक किश्तों में किया जायेगा ।
13- कृषि यंत्र
ऋणी को ट्रैक्टर के साथ न्यूनतम 2 कृषि यंत्र ट्रॉली सहित अच्छी गुणवत्ता के बी-आई-एस- मानक के क्रय किया जाना आवश्यक है। यदि ऋणी के पास स्वयं के अच्छी गुणवत्ता के कृषि यंत्र पूर्व से ही उपलब्ध है| है तो कृषि यंत्र खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। इस आशय का शपथ पत्र ऋणी से प्राप्त किया जाये ।
14- प्रशासनिक शुल्क
ऋण राशि का 0-25 प्रतिशत प्रशासनिक शुल्क के रुप में प्रार्थी से लिया जायेगा ।
15- ब्याज दर
ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों के ऋण पर ब्याज समय समय पर बैंक द्वारा निर्धारित दर से लिया जायेगा। ऋण किश्त का समय पर चुकारा नहीं करने पर अवधिपार मूल किश्त पर 3 प्रतिशत की दर से दण्डनीय ब्याज लिया जायेगा ।
16- ऋण का उपयोग
अपनी पसन्द का ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र क्रय करने के लिये ऋणी को 15 दिवस दिये जायेंगे। ऋणी के बैंक खाते में ऋण राशि जमा होने की तिथि से 15 दिवस के अन्दर ऋणी द्वारा अधिकृत विक्रेता से ट्रैक्टर क्रय कर सम्बन्धित फर्म/कम्पनी का बिल प्राथमिक बैंक में प्रस्तुत करना होगा। यदि अन-उपलब्ध है|ता के कारण ऋणी प्रस्तावित ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र क्रय नहीं कर पाता है तो उसे सम्बन्धित फर्म/कम्पनी से यह लिखवाकर प्राथमिक बैंक को सूचित करना होगा कि प्रस्तावित ट्रैक्टर कब तक उपलब्ध है| हो जायेगा। सचिव प्राथमिक बैंक फर्म/कम्पनी द्वारा प्रस्तावित ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्रों की उपलब्ध है|ता में दिये गये लिखित पत्र के आधार पर बिल प्रस्तुत करने की अवधि 15 दिन और बढ़ा सकते है।
17- ऋण उपयोगिता की जॉच
ऋणी से प्रस्तावित टेक्टर एवं कृषि यंत्र क्रय किये जाने सम्बन्धित बिल बैंक में प्राप्त हो जाने पर सम्बन्धित सुपरवाईजर दो दिवस में मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन करेगा। सुपरवाईजर बिल में अंकित टैक्टर के मेक, मॉडल, इंजन व चैसिस नम्बर आदि का मिलान कर सत्यापन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। भौतिक सत्यापन रिपोर्ट में सुपरवाईजर द्वारा, टेक्टर के रजिस्टोन, बीमा एवं हाईपोथीकोन के बारे में भी सूचना अंकित की जायेगी।
18- ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन
ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य रुप से ऋणी द्वारा करवाया जायेगा जिसमें बैंक के पक्ष में हाईपोथिकेशन दर्ज कराना आवश्यक होगा। ट्रेक्टर के रजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र की फोटोस्टेट प्रति प्राप्त की जाकर संबंधित पत्रावली में लगायी जाये।
19- हाइपोथीकेषन डीड
ऋण से क्रय किये गये ट्रैक्टर को बैंक के पक्ष में बन्धक करवाया जाना आवश्यक होगा। ट्रैक्टर व कृषि यंत्रो पर बैंक का नाम लिखना आवश्यक होगा। निर्धारित प्रपत्र में ऋणी द्वारा निष्पादित हाइपोथीकेषन डीड की मूल प्रति प्राप्त की जाकर प्रति संबंधित पत्रावली में लगायी जाये।
20- ट्रैक्टर का बीमा
ऋण की वसूली 9 वर्षो में बिना अनुग्रह अवधि के अर्द्धवार्षिक 18 किश्तो में निम्नानुसार की जायेगी--
अ-केन्द्रीय मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान के अनुसार प्रत्येक ऋणी को ट्रैक्टर का थर्ड पार्टी एवं थेफ्ट बीमा आवश्यक रुप से कराना होगा यदि ऋणी चाहे तो काम्प्रीहेन्सिव बीमा भी करा सकता है।
ब- ट्रेक्टर का बीमा (कॉम्प्रीहेन्सिव या थर्ड पार्टी एवं थेफ्ट) ऋणी द्वारा ही कराया जायेगा तथा ऋण चुकाने तक प्रतिवर्ष ऋणी द्वारा ही स्वयं ट्रेक्टर बीमा का नवीनीकरण करवाया जाकर बीमा पॉलिसी की एक प्रति आवष्यक रूप से बैंक को उपलब्ध है| करायी जायेगी।
स- यदि ऋणी द्वारा किसी कारणवष बीमा नहीं कराया जाता है तो इस कारण हुये नुकसान का दायित्व ऋणी का स्वयं का होगा। इस संबंध में भूमि विकास बैंक का कोई दायित्व नहीं होगा।
21- ऋण वसूली
(अ) नकद भुगतान प्रक्रिया के अन्तर्गत ऋणियो से ऋण किश्तो के पेटे प्राथमिक बैंक के पक्ष में एकाउन्ट पेयी चैक लिये जायेंगे एवं ऋण स्वीकृति आदेश में यह उल्लेख किया जायेगा कि ऋणी को अपने खाते में चैक की राशि के बराबर राशि रखनी आवश्यक है।
(ब) यदि निर्धारित अवधि में ऋण का उपयोग नहीं किया जाता है तो ऐसे मामलों में खाता बन्द कर बैंक द्वारा एकमुश्त वसूली की कार्यवाही की जायेगी। एक माह के भीतर ऋण राषि का उपयोग नहीं करने पर ऋणी को 3-00 प्रतिशत की दर से अधिक ब्याज देना पडेगा।
22- ऋणों का पुर्नभरण
नकद ऋण वितरण योजना के अन्तर्गत ऋणी कृषक द्वारा टेक्टर कर लिये जाने तथा बीमा, बन्धक-कल्प, रजिस्टोन संबंधित शर्त पूरी हो जाने पर ही राज्य भूमि विकास बैंक द्वारा भूमि विकास बैंकों को पुनर्भरण दिया जायेगा । अत: प्राथमिक बैठक द्वारा, टेक्टर मामलों के क्लेम के साथ आवयक सूचनाऐ भी उपलब्ध करायी जाये।
23- ऋण पर्यवेक्षण
1- नकद ऋण वितरण प्रक्रिया अन्तर्गत वितरित ऋणों का प्राथमिक बैंक द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाकर प्रत्येक माह की 7 तारीख तक प्रगति रिपोर्ट राज्य भूमि विकास बैंक के सम्बन्धित क्षेत्रीय कार्यालय को भिजवानी होगी।
2- सचिव प्राथमिक बैंक द्वारा मासिक आधार पर नकद ऋण भुगतान योजना के अन्तर्गत टेक्टर एवं कृषि यन्त्रों हेतु वितरित ऋणों की मॉनिटरिंग निम्नलिखित बिन्दुओं को शामिल करते हुये की जायेगी :-
लाभ का आंकलन टेक्टर के अधिकतम मूल्य तथा ऋणी द्वारा प्रस्तुत बिल में देय राशि के अन्तर के आधार पर किया जा सकता है इसके अतिरिक्त ऋणी कृषक से भी फीड बैक लिया जा सकता है।
प्रभूमि विकास बैंकों द्वारा दिये गये ऋण से निर्मित कूप असफल होने पर क्षतिपूर्ति सहायता देय।असफल होने के मापदण्ड :रबी की फसल के समय 24 घण्टों में कम से कम दो घण्टें इसकी पानी की निकासी 2 लीटर प्रति सेकण्ड से कम हो यानि कुएं की जल निकास क्षमता पर्याप्त नही हो, पानी की रासायनिक गुणवत्ता कृषि कार्यो के लिये उपयुक्त नहीं हा, खुदाई के दौरान कुए की दीवारें ढह जाने से नीचे पानी निकालना सम्भव नहीं हो, यदि भूमिगत जल उपलब्ध है| होने की सम्भावना नहीं हो, डगवेल/डगकम बोर वेल जो लघु सिचाई योजनाओं में निर्दिष्ट गहराई तक खोदा गया हो किन्तु किसी प्राकृतिक आपदा के कारण वह ढह जाये या नष्ट हो जाये आदि|
भूमि विकास बैंकों से ऋण प्राप्त कर निर्मित नलकूपों के असफल होने पर दिनांक 1-4-2005 को राज्य बैंक द्वारा असफल नलकूप क्षति पूर्ति योजना प्रारम्भ की गई है। योजनान्तर्गत निम्न लिखित दो आधारों पर नलकूप को असफल माना जायेगा :
नोट:
विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित राज्य के जिलों में स्थित प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों/शाखाओं से सम्पर्क करें।
अंतिम बार संशोधित : 2/22/2020
इस भाग में अंजायना से संबंधित जानकरी को प्रस्तुत क...
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