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पशुओं के रासायनिक उपचार के प्रमुख सिद्धांत

पशुओं के रासायनिक उपचार के प्रमुख सिद्धांत

  1. बीमार पशुओं का उपचार यथाशीघ्र प्रारम्भ करवाना चाहिए। इससे पशुओं के स्वस्थ होने की सम्भावना काफी अधिक बढ़ जाती है।
  2. उपचार निश्चित अवधि तक कराना चाहिए। बीच में औषधि बंद करना काफी घातक हो सकता है। जीवाणु-नाशक दवाईयां कम से कम तीन से पाँच दिन तक चलानी चाहिए।
  3. खुराक से अधिक मात्रा में दी गई औषधि तो हानिकारक होती है।
  4. उपचार के कम से कम 48 घंटे बाद तक दूध मनुष्य के लिए हानिकारक है।
  5. गाभिन पशुओं में औषधि का व्यवहार कम से कम तथा अत्यधिक सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
  6. छोटे बछड़ों में औषधि पिलाने वक्त बहुत सावधानी की आवश्यकता है, जानवरों को दवा पिलाने से बचाना चाहिए। इसे लड्डू के रूप में या चटनी के रूप में खिलाना चाहिए।

स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार

अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020



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