उद्देश्य |
1. देशी नस्ल की बकरियों में सुधार लाना। 2. मांस तथा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोतरी। 3. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार। |
योजना का स्वरूप |
हितग्राहियों को उन्नत नस्ल का ग्रेडेड जमुनापारी, सिरोही या ब्लैक बंगाल नस्ल का प्रजनन योग्य बकरा अनुदान पर प्रदाय किया जाता है। |
हितग्राही |
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के चयनित बकरी पालक हितग्राही। |
इकाई लागत |
शासकीय बकरी पालन प्रक्षेत्र से क्रय की दशा में पशु का पुस्तकीय मूल्य परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा अथवा निविदा से प्राप्त न्यूनतम दर परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा। |
अनुदान |
इकाई लागत का 90: या अधिकतम रू. 4000/- का अनुदान जो भी कम हो अजा एवं अजजा के लिए । 75% या अधिकतम रू. 3500/- का अनुदान जो भी कम हो सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए । |
उद्देश्य |
1. देशी नस्ल के सूकरों का नस्ल सुधार। 2. मांस उत्पादन में वृद्धि। 3. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार। |
योजना का स्वरूप |
हितग्राहियों को उन्नत नस्ल (मिडिल व्हाईट यार्क शायर) का एक नर सूकर एवं दो मादा सूकर 90% अनुदान पर प्रदाय किया जाता है। |
हितग्राही |
अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के चयनित सूकर पालक। |
इकाई लागत |
शासकीय सूकर पालन प्रक्षेत्र से क्रय की दशा में पशुओं का पुस्तकीय मूल्य परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा अथवा निविदा से प्राप्त न्यूनतम दर परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा। |
अनुदान |
इकाई लागत का 90%या अधिकतम रू. 9000/- जो भी कम हो |
उद्देश्य |
1. देशी/स्थानीय नस्ल के सूकरों का नस्ल सुधार। 2. मांस उत्पादन में वृद्धि। 3. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार। |
योजना का स्वरूप |
हितग्राहियों को उन्नत नस्ल का एक नर सूकर 90: अनुदान पर प्रदाय किया जाता है। योजना अनुसूचित जाति बाहुल्य क्षेत्रों में क्रियान्वित की जा रही है। |
हितग्राही |
अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के चयनित सूकर पालक। |
इकाई लागत |
शासकीय सूकर पालन प्रक्षेत्र से क्रय की दशा में पशुओं का पुस्तकीय मूल्य परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा अथवा निविदा से प्राप्त न्यूनतम दर परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा। |
अनुदान |
इकाई लागत का 90% या अधिकतम रू. 3500/- जो भी कम हो। |
उद्देश्य |
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योजना का स्वरुप |
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हितग्राही |
अनुसूचित जाति/जनजाति, सामान्य एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए हितग्राहियों के लिये। |
इकाई लागत |
पशु आहार 13 क्विंटल विभाग / मार्कफेड द्वारा अनुमोदित प्रति क्विंटल 1500 की दर से कुल इकाई लागत रु. 19500/- |
अनुदान |
सामान्य वर्ग के लिए इकाई लागत का 75% अनुदान या अधिकतम रू. 15000/- जो भी कम हो। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए इकाई लागत क 90% अनुदान या अधिकतम रू. 18000/- जो भी कम हो। |
उद्देश्य |
प्रदेश में निर्धन परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाना। |
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योजना का स्वरूप |
15 दिवसीय 100 रंगीन उन्नत नस्ल के मुर्गी चूजे/बत्तख अथवा 15 दिवसीय 180 बटेर चूजों के साथ कुक्कुट आहार परिवहन व्यय सहित प्रदाय किये जाते हैं। |
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हितग्राही |
अजजा,अजा,अन्य पिछड़ा वर्ग एवं सामान्य वर्ग के हितग्राही। |
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इकाई लागत |
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अनुदान |
अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लिए 90% एवं सामान्य, अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 75% अनुदान |
उद्देश्य |
1. देशी/स्थानीय नस्ल के गौवंशीय पशुधन में नस्ल सुधार। 2. हितग्राहियों की आर्थिक स्थिति में सुधार। |
योजना का स्वरुप |
योजना में चयनित प्रत्येक ग्राम पंचायतों को नस्ल सुधार हेतु दो से चार दांत के उन्नत नस्ल का एक सांड शत-प्रतिशत अनुदान पर प्रदाय किया जाता है। योजना अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति एवं सामान्य वर्ग के हितग्राहियों के लिये क्रियान्वित की जा रही है। |
हितग्राही |
चयनित ग्राम पंचायत के प्रगतिशील कृषक/प्रशिक्षण प्राप्त युवा। |
इकाई लागत |
शासकीय प्रजनन प्रक्षेत्रों से क्रय की दशा में सांडों का पुस्तकीय मूल्य परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा अथवा निविदा से प्राप्त न्यूनतम दर पर परिवहन व्यय सहित इकाई लागत होगा। बीमा कंपनी के प्रचलित दरों पर सांडों का बीमा किया जायेगा बीमा की राशि भी इकाई लागत में सम्मिलित रहेगी। |
अनुदान |
इकाई लागत का शत-प्रतिशत अनुदान। |
बटेर अपने स्वादिष्ट तथा पौष्टिक मांस के लिए प्रसिद्ध है। 45 दिन की आयु में अण्डा उत्पादन प्रारंभ है। 60 दिन की आयु में सर्वोच्च उत्पादन। कुक्कुट पालन की अपेक्षा कम लागत, वंशानुगत रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक। अतः टीकाकरण की आवश्यकता नहीं। परिवहन एवं विपणन आसान। जापानी बटेर एक पालतू पक्षी है जिन्हें जंगली बटेरों की अपेक्षा आसानी से पाला जा सकता है। एक वर्ष में 12 चक्र में बटेर पालन हो सकता है।
उपलब्धता :- शासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र दुर्ग, बिलासपुर, जगदलपुर, कोण्डागांव, कोरिया प्रजाति का नाम - जापानी बटेर अण्डा उत्पादन - 300 अण्डा/ वर्ष वयस्कता की उम्र - 45-50 दिन अनुमानित आय - रू. 2700 बैकयार्ड योजना अंतर्गत प्रति ईकाई 15 दिवसीय 180 चूजों का वितरण किया जाता है।
बत्तख पालन का महत्व :- यह मुर्गी की अपेक्षा 40 से 50 अंडे अधिक देती है। बत्तख लंबी अवधि (3 वर्ष) तक लाभदायक। मांस उत्पादन से लाभ होता है। बत्तख का अंडा 80-90 ग्राम का होता है। दलदली तथा अधिक वर्षा वाले स्थान पर बत्तख पालन सफलतापूर्वक किया जा सकता है। बत्तख के आहार पर कम खर्च होता है। तालाब, झील एवं अन्य जल क्षेत्रों, कवक फंगाई, एल्गी व अन्य जलीय घास, घोंघा, छोटी मछली आदि बत्तख का मुखय भोजन है। बत्तख रात्रि में अंडे देती है जिससे रखरखाव पर खर्च नहीं आता। बत्तख की देखरेख मुर्गियों की अपेक्षा कम करना पड़ता है।
उपलब्धता :- शासकीय कुक्कुट पालन प्रक्षेत्र दुर्ग, बिलासपुर
प्रजाति का नाम -बत्तख
नस्ल का नाम- खाकी केम्पबेल
अण्डा उत्पादन-300 अण्डा/वर्ष अण्डे का वजन-80-90 ग्राम
अनुमानित आय- रू. 7000/- बैकयार्ड योजना अंतर्गत 15 दिवसीय 100 चूजों का वितरण प्रति ईकाई किया जाता है।
बैकयार्ड योजना अंतर्गत 15 दिवसीय 100 चूजों का वितरण प्रति ईकाई किया जाता है।
उद्देश्य |
आधुनिक डेयरी फार्म की स्थापना को प्रोत्साहित कर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करना एवं रोजगार उपलब्ध कराना। |
योजना का स्वरूप |
छोटी डेयरी इकाईयों की स्थापना-जिसमें संकर पशु/देशी दुधारु नस्लें, जैसे साहीवाल, रेड सिंधी, गिर, थारपारकर आदि/उन्नत नस्ल की भैंसें, जैसे मुर्रा-04 नग तक संखया में पशु हेतु अनुदान । |
हितग्राही |
अनु.ज.जा.,अनु.जा.,सामान्य तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के हितग्राही। |
इकाई लागत |
इकाई साइज - 02 से 10 नग पशु, इकाई लागत - रु. 1.00 से 5.00 लाख |
अनुदान |
सामान्य/अ.पि.व.-कुल वित्तीय लागत का 25 प्रतिशत अनुदान, अधिकतम अनुदान 1.25 लाख की दर से रु. 0.50 लाख अनुदान की सीमा अ.जा./अ.ज.जा.-कुल वित्तीय लागत का 33.3 प्रतिशत अनुदान, अधिकतम अनुदान 1.67 लाख की दर से रु. 0.67 लाख अनुदान की सीमा |
उद्देश्य |
नस्ल सुधार के माध्यम से व्यावसायिक रूप में बकरी पालन को प्रोत्साहित कर,आय में वृद्धि करना एवं रोजगार उपलब्ध कराना। |
योजना का स्वरूप |
बकरी पालन इकाई- 40 बकरी 2 बकरा हेतु अनुदान । |
हितग्राही |
अनु.ज.जा.,अनु.जा.,सामान्य तथा अन्य पिछड़ा वर्गं के हितग्राही। |
इकाई लागत |
इकाई साइज़- 40 बकरी 2 बकरा, इकाई लागत- रु. 1.00 लाख |
अनुदान |
सामान्य/अ.पि.व.- 40 बकरी 2 बकरा हेतु अधिकतम 25 प्रतिशत अनुदान की दर से रु. 0.25 लाख अनुदान की सीमा अ.जा./अ.ज.जा.- 40 बकरी 2 बकरा हेतु अधिकतम 33.3 प्रतिशत अनुदान की दर से रु. 0.333 लाख अनुदान की सीमा |
उद्देश्य |
व्यावसायिक मुर्गी पालन को प्रोत्साहित कर आय में वृद्धि करना एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना। |
योजना का स्वरूप |
हाइब्रिड लेयर इकाई (अधिकतम लेयर पक्षी संखया 5000 तक) तथा हाइब्रिड ब्रायलर इकाई (अधिकतम ब्रॉयलर पक्षी संखया 5000 तक) हेतु अनुदान। |
हितग्राही |
अनु.ज.जा. अनु.जा. सामान्य तथा अन्य पिछड़ा वर्गों के हितग्राही। |
इकाई लागत |
हाइब्रिड लेयर इकाई - अधिकतम लेयर पक्षी संखया 5000 तक लागत - रू.8.00 लाख (2000 लेयर पक्षी हेतु), पक्षी संखया अनुसार इकाई लागत परिवर्तनशील। हाइब्रिड ब्रॉयलर इकाई - अधिकतम ब्रॉयलर पक्षी संखया 5000 तक लागत - रू. 2.24 लाख (1000 ब्रॉयलर पक्षी हेतु) पक्षी संखया अनुसार इकाई लागत परिवर्तनशील। |
अनुदान |
सामान्य/अ.पि.व.-5000 लेयर पक्षी हेतु 25: अनुदान की दर से अधिकतम रु. 5.00 लाख अनुदान। 5000 ब्रॉयलर पक्षी हेतु 25: अनुदान की दर से अधिकतम रु. 2.80 लाख अनुदान। अ.जा./अ.ज.जा.- 5000 लेयर पक्षी हेतु 33.3 : अनुदान की दर से अधिकतम रु. 6.65 लाख 5000 ब्रॉयलर पक्षी हेतु 33.3 : अनुदान की दर से अधिकतम रु. 3.73 लाख अनुदान। |
नस्ल सुधार कार्यक्रम से उत्पन्न उन्नत नस्ल के पशुओं के लिए हरे चारे की आवश्यकता होती है। योजना बद्ध तरीके से फसल चक्र अपनाने से पशु पालकों को वर्ष भर हरा चारा प्राप्त होता है। साथ ही चारे की विविधता से बाजार में एक चारे की कीमत कम होने से पशु पालक को आर्थिक हानि नहीं होती है। फसल चक्र योजनाबद्ध रुप से फसलों को भूमि में उगाने की पद्धति है जिससे फसलों का उत्पादन एवं भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है।
अधिक जानकारी के लिए कृषक बंधु निकटतम पशुचिकित्सा संस्था/ जिला कार्यालय पशुचिकित्सक सेवाओं में संपर्क करें।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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