फसलों के उत्पादन में वृद्धि हेतु कृषकों को विभाग द्वारा निम्न सुविधायें देय हैं:-
क्र0सं |
कार्यमद |
कार्यक्रम का घटक |
राज सहायता के मानक |
योजना का नाम |
|
01 |
02 |
03 |
04 |
05 |
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01 |
धान उत्पादन |
सूक्ष्म पोषक तत्व वितरण |
रू0 500 प्रति है0 अथवा 50 प्रतिशत लागत, जो धन राशि कम हो |
आर0के0वी0वाई0 एन0एफ0एस0एम0 |
|
कृषि रक्षा रसायन वितरण |
रू0 500 प्रति है0 अथवा 50 प्रतिशत लागत, जो धनराशि कम हो |
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1.1 |
(अ)सीधी बुआई-चावल |
समूह में फसल प्रदर्शन- मैदानी क्षेत्रों में 100 है0 तथा पर्वतीय क्षेत्र में 10 है0 के कलस्टर चयन के आधार पर |
रु0 7500 प्रति है0 |
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(ब)लाइन ट्रान्सप्लांटिंग |
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(स) श्री धान |
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(द)हाइब्रिड-राइस |
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2 |
गेहूँ उत्पादन |
समूह प्रदर्शन/प्रदर्शन |
रू0 7500 प्रति है0 की दर से |
आर0के0वी0वाई0 एन0एफ0एस0एम0 |
|
प्रशिक्षण |
रू0 14000 प्रति प्रशिक्षण(4 सत्र में) |
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3 |
फसल चक्र आधारित प्रदर्शन |
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(अ) धान- मटर (ब) धान- मसूर (स) मक्का-गेहूँ (द) उर्द/मूंग/राजमा- गेहूँ |
कलस्टर में फसल प्रदर्शन -मैदानी क्षेत्रों में 100है० तथा पर्वतीय क्षेत्र में 10है० के कलस्टर चयन के आधार पर |
रु0 12500 प्रति है0 |
एन0एफ0एस0एम0 |
||
4 |
बीज वितरण |
संकर धान बीज |
मूल्य का 50 प्रतिशत या रु0 5000 प्रति कुंतल, जो भी कम हो |
आर0के0वी0वाई० एन0एफ0एस0एम0 |
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अधिक उपजदायी प्रजाति बीज (गेहूँ व धान) |
मूल्य का 50 प्रतिशत या रु0 1000 प्रति कुंतल, जो भी कम हो |
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5 |
तिलहन उत्पादन |
प्रदर्शन |
रू0 4500 प्रति है0 की दर से |
आर0के0वी0वाई0 |
|
बीज वितरण |
रू0 2500 प्रति कुन्तल |
||||
सूक्ष्म पोषक तत्व/कृषि रक्षा रसायन वितरण |
रू0 500 प्रति है0 या ५० प्रतिशत लागत, जो भी कम हो |
क्र0सं |
कार्यक्रम |
कार्यक्रम के घटक |
राज सहायता के मानक |
योजना का नाम |
01 |
02 |
03 |
04 |
05 |
6 |
दलहन उत्पादन |
मसूर के उन्नत तकनीक |
रु0 7500 प्रति है0 |
एन0एफ0एस0एम0 |
7 |
एकीकृत कृषि एवं जल संभरण परियोजना |
सिंचाई के साथ-साथ मत्स्य पालन, मुर्गीपालन एवं पॉलीहाउस स्थापना हेतु एकीकृत बहुउद्देश्यीयजल सम्भरण टैंको का निर्माण |
1. टैंक के निर्माण में 90-95 प्रतिशत, 2. मुर्गी पालन व पालीहाउस के लिए 60 प्रतिशत अधिकतम रू0 18,000 मात्र |
आर0के0वी0वाई0 |
8 |
दैवीय आपदा के अन्तर्गत भूमि संरक्षण कार्य |
दैवीय आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में मृदा एव जल संरक्षण सुविधाओं उपचार से क्षेत्र |
शत-प्रतिशत राज सहायता |
आर0के0वी0वाई0 |
9 |
न्यूट्री फार्म (जनपद हरिद्वार एवं टिहरी) |
गेहूँ, मक्का एवं मण्डुआ फसल के न्यूट्रीरिच प्रजातियों का समूह प्रर्दशनों का आयोजन |
रू0 5000 प्रति है0 की दर से |
आर0के0वी0वाई0 |
10 |
मक्का व मोटे धान्य |
फसल प्रदर्शन |
रु0 5000/है0 |
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उन्नत प्रजाति के बीज वितरण |
मूल्य का 50 प्रतिशत यारु0 1500/कु0, जो भी कम हो |
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संकर प्रजाति |
मूल्य का 50 प्रतिशत या रु0 5000कु0, जो भी कम हो |
एन0एफ0एस0एम0 |
श्री धान पद्धति द्वारा 8 से 12 दिन की पौध को 25 × 25 सेमी0 के अन्तराल पर रोपा जाता है इस प्रकार प्रति है0 कम बीज की आवश्यकता होती है। इस विधि में खरपतवारों के नियंत्रण हेतु कोनोवीडर का प्रयोग किया जाता है। श्री धान पद्धति में पोषक तत्व प्रबन्धन हेतु 50 प्रतिशत कार्बनिक/जैविक खादों यथास गोबर/वर्मी कम्पोस्ट द्वारा तथा 50 प्रतिशत उर्वरकों द्वारा किया जाता है जिससे मृदा के भौतिक एवं रसायनिक गुणों में वद्धि होती है तथा अधिक उपज प्राप्त होती है। धान के अन्य उत्पादन पद्धतियों से भिन्न इस पद्धति में सिचाई के लिए जल की कम आवश्यकता होती है।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत संचालित इस परियोजना का उद्देश्य जल संभरण टैंको का उपयोग सिंचाई के साथ साथ मत्स्य पालन तथा मुर्गी पालन इकाईयों को बढ़ावा देकर किसानों के लिए अतिरिक्त आय सृजन करना है इसके अन्तर्गत टैंको का निर्माण, मत्स्यपालन टैक, चैक डैम निर्माण, मुर्गीपालन, पालीहाउस की स्थापना, ड्राई लैण्ड हाल्टीकल्चर के अन्तर्गत पौध रोपण, नैपियर घास रोपण आदि कार्यक्रम सम्मिलित हैं।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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