जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य मृदा पर्यावरण का संरक्षण एवं पुनर्भरण करना है तथा इसके जैविक, भौतिक एवं रासायनिक स्वरूप को पुर्नस्थापित करना है।
जैविक कृषि कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य
1- उत्तम गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों का अधिक मात्रा में उत्पादन करना।
2- प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग।
3- पौधों एवं जन्तुओं का उपयोग कर जैवकीय चक्र को गति प्रदान करना।
4- मृदा की दीर्घकालीन उर्वरता बनाये रखना।
5- कृषि तकनीकों से होने वाले सभी प्रदूषणों से बचाव।
6- कृषकों को सुरक्षित वातावरण के साथ-साथ अधिकतम उत्पादन द्वारा संतुष्टि।
प्रदेश में कुल कृषि क्षेत्र का लगभग 55 प्रतिशत पर्वतीय एवं वर्षा आधारित क्षेत्र के अंतर्गत है। जलवायिक विविधता के कारण यहाँ कई किस्म स्थानीय फसलें बोयी जाती हैं, जो पोषक तत्वों तथा औषधीय गुणों की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। परंपरागत रुप से उगायी जाने वाली इन फसलों को जैविक मोड में उगाने पर इनके व्यावसायिक उत्पादन की संभावनाओं के दृष्टिगत जैविक उत्पाद परिषद की स्थापना की गई है, जिसके सहयोग से परंपरागत कृषि क्षेत्र में जैविक उत्पादन करते हुये फसल उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। जैविक खेती एक स्वदेशी एवं सस्ती तकनीक है। जैविक खेती कार्यक्रम के अंतर्गत विभाग द्वारा निम्न योजनायें संचालित हैं-
कम लागत में गुणवत्ता युक्त खाद प्राप्त करने की सर्वोत्तम विधि है, जिसमें खाद की संरचना निर्माण हेतु किसी प्रकार के ईट, पत्थर अथवा सीमेन्ट की आवश्यकता नहीं होती है। कृषक अपने आस-पास की व्यर्थ लकड़ियों/खपच्चीयों (जो लकड़ियां स्थानीय रूप से उपलब्ध हो सके, जैसे चीड़, बॉस, भीमल, मेहल, रामबांस के दाने, तुंगला आदि) से इस संरचना का निर्माण कर सकते हैं। इस विधि से मुख्य लाभ यह है कि लकड़ी की सहायता से बनने के कारण इसमें जालियों का आकार लगभग 1 वर्ग फुट होता है जिससे खाद में वायु का आवागमन भली भॉति होता है तथा अच्छी गुणवत्ता की खाद कम समय से तैयार होती है।
जैविक खेती कार्यक्रम के अंतर्गत विभाग द्वारा निम्न योजनायें संचालित हैं
क्र0सं |
कार्यमद |
परीक्षण शुल्क |
योजनाओं का विवरण |
01 |
02 |
03 |
04 |
1 |
जैविक खाद सरंचनाओं का निर्माण |
मूल्य का 50 प्रतिशत |
1.समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक कृषि कार्यक्रम ''प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग एण्ड सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट'' (केन्द्रपोषित) 2. जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम(राज्यपोषित) |
2 |
जैव उर्वरकों एवं जैव कृषि रक्षा रसायनों का वितरण |
मूल्य का 50 प्रतिशत
|
समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक कृषि कार्यक्रम ''प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग एण्ड सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट'' (केन्द्रपोषित) |
रू0 200 प्रति है0 |
जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम (राज्यपोषित), एन0एफ0एस0एम0 |
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3 |
जैविक समूहों में निःशुल्क मृदा परीक्षण एवं मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण |
निःशुल्क |
समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक कृषि कार्यक्रम ''प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग एण्ड सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट'' (केन्द्रपोषित) |
4 |
ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण एवं संस्थान स्तरीय प्रशिक्षण |
निःशुल्क |
1.समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक कृषि कार्यक्रम ''प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग एण्ड सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट'' (केन्द्रपोषित) 2.जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम (राज्यपोषित) |
5 |
मंडुवा थ्रैसर का वितरण |
मूल्य का 75 प्रतिशत |
जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम (राज्यपोषित) |
6 |
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रू0 500 प्रति है0 |
जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम (राज्यपोषित) |
निःशुल्क |
समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत 'जैविक प्रमाणीकरण एवं विपणन हेतु वित्तीय सहायता' (केन्द्रपोषित) |
क्र0सं |
कार्यमद |
परीक्षण शुल्क |
योजनाओं का विवरण
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योजनाओं का विवरण |
01 |
02 |
03 |
04 |
05 |
2 |
उर्वरक |
सूक्ष्म तत्व वितरण |
मूल्य का 50 प्रतिशत या रु0 500/है0, जो भी कम हो |
समस्त जनपदों हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत जैविक कृषि कार्यक्रम ''प्रमोशन ऑफ आर्गेनिक फार्मिंग एण्ड सॉयल हेल्थ मैनेजमेंट'' (केन्द्रपोषित) |
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जिप्सम वितरण |
मूल्य का 50 प्रतिशत या रु0 750/है0, जो भी कम हो |
जनपद पिथौरागढ़ एवं उत्तरकाशी हेतु जैविक मंडुवा उत्पादन प्रोत्साहन कार्यक्रम (राज्यपोषित), एन0एफ0एस0एम0 |
वर्मी कल्चर सेंटर वर्मी कॅमोस्ट के प्रयोग से मृदा के सूक्ष्म जीव सक्रिय होकर पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध कराते हैं, जिससे उनमें प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। इसके प्रयोग से उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा सिचाईं की बचत होती है। वर्मी कम्पोस्ट के द्वारा कृषि व अन्य अवशिष्टों का समुचित उपयोग होने से कूड़े कचरें के निस्तारण की समस्या दूर होती है।
जैविक मण्डुवा मा0 मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अन्तर्गत उत्तरकाशी एवं पिथौरागढ़ में संचालित जैविक मण्डुआ उत्पादन कार्यक्रय के कृषक प्रशिक्षण, कम्पोस्ट संरचनाओं के निर्माण पर 50 प्रतिशत अनुदान तथा मण्डुवा थ्रेद्गार पर 75 प्रतिशत या अनुमन्य सीमा जो भी कम महो की राज्य सहायता प्रदान की जा रही है।
स्त्रोत : किसान पोर्टल,भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/24/2020
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