यह कानून कार्यस्थल पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से संरक्षण देने, रोकथाम व शिकायत निवारण के लिए बना है। यौन उत्पीड़न के कारण महिला के संविधान में निहित समानता के अधिकार (धारा 14,15) व जीवन की रक्षा व सम्मान से जीने के अधिकार (धारा 21) व व्यवसाय करने की आजादी के लिए तथा कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण के न होने से उसके कार्य करने में बाधा को रोकने के लिए कानून है।
यौन उत्पीड़न से संरक्षण व सम्मान के साथ काम करने के हक़ को सार्वभौमिक रूप से मानव अधिकार की श्रेणी में रखा गया है। यह सीडो में किये गए वादे को पूरा करने के लिए बनाया गया है।
परिभाषा
(क) पीड़ित महिला का मतलब
(ख)उपयुक्त सरकार का अर्थ
ऐसा कार्यस्थल जो प्रत्यक्ष रूप से आंशिक या पूर्ण वित्तीय सहयाता से स्थापित हुआ हो।
क. भारत सरकार या केंद्र प्रशासित प्रशासन
ख. राज्य सरकार
भाग (1) के अलावा अन्य कोई कार्यस्थल जो उस क्षेत्र विशेष में नहो या राज्य सरकार के दायरे में हो।
(ग) चेयर पर्सन का मतलब स्थानीय शिकायत समिति का अध्यक्ष जो धारा 7 की उपधारा(1) के तहत नामजद किया गया हो।
(घ) जो अधिकारी का मतलब धारा 5 में जिसे जिला स्तर पर अधिकृत किया जाए।
(ड.) घरेलू कामगार का मतलब वह महिला जिसे घर पर घर के काम के लिए नियुक्त किया जाए और उसके बदले उसे पगार दी जाए चाहे व् पैसों में हो या सामग्री में। चाहे वह सीधे उसे दी जाए या किसी एजेंसी के माध्यम से दी जाए। वह चाहे अस्थाई हो, स्थाई हो या कुछ समय के लिए या या पूर्ण कालिक हो, जो नियोक्ता के परिवार के सदस्य के रूप में शामिल न हो।
(च) कर्मचारी का मतलब जिस किसी भी व्यक्ति को कायर्स्थल पर नियमित, अस्थाई तदर्थ या दैनिक भुगतान के आधार पर नियुक्त की हो। यह सीधे नियुक्त हो आया किसी एजेंट के माध्यम से हो जिसमें ठेकेदार भी शामिल है, चाहे उसके बारे में प्रमुख नियोक्ता को ज्ञात हो या नहीं हो। चाहे उसे भुगतान पर रखा जाए या अन्यथा स्वैच्छिक रूप से रखा जाए। मपोपा नियुक्ति की शर्ते साफ लिखी हो या निहित हो। इसमें सहायक कार्यकर्ता, ठेके पर रखा जाने वाला व्यक्ति, प्रोबेशनर, ट्रेनी या अन्य किसी भी नाम से हो वह कर्मचारी कहलाएगा।
(छ) नियोक्ता का मतलब
स्पष्टीकरण – इस उपधारा में वर्णित मेनेजमेंट का मतलब व्यक्ति या बोर्ड या कमेटी जो भी इस तरह के सगंठनों के निर्माण व प्रशासन के लिए जिम्मेदार हो।
(ज) आंतरिक समिति (इंटरनल कमेटी) का मतलब धारा 4 के तहत स्थापित स्थानीय शिकायत समिति।
(झ) स्थानीय समिति (लोकल कमेटी) का मतलब धारा ६ के तहत स्थापित स्थानीय शिकायत समिति।
(त्र) सदस्य (मेंबर) का मतलब इस कानून के तहत बनी आंतरिक या स्थानीय समिति का सदस्य।
(त) निर्धारित का मतलब इस कानून के तहत बने नियमों में निर्धारित।
(ठ) पीठासीन अधिकारी का मतबल धारा 4 की उपधारा (2) के तहत नामजद आंतरिक शिकायत समिति का पीठासीन अधिकारी ।
(ड.) उत्तरदाता का मतलब वह व्यक्ति जिसके खिलाफ धारा 9 के तहत महिला द्वारा शिकायत दर्ज की गई है।
(ढ.) यौनिक प्रताड़ना के तहत निम्न में से कोई एक या अनेक अस्वीकार्य कार्य या व्यवहार शामिल है चाहे या प्रत्यक्ष रूप से हो या निहित हो।
(ण) कार्यस्थल में निम्न शामिल है :
(त) असंगठित क्षेत्र का मतलब किसी व्यक्ति द्वरा संचालित उद्योग या स्व नियुक्त कर्मचारी जो उत्पादन या सामान की बिक्री या किसी सेवा के लिए जिम्मेदार है और ऐसे काम के लिए वह उद्यमी लोगों को कार्य पर रखता है और यदि कर्मचारी 10 से कम है है तब भी वह कार्यस्थल है।
(1) किसी भी महिला का किसी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न नहीं होगा।
(2) अन्य परिस्थितियों के साथ-साथ यदि निम्न परिस्थितियाँ जो यौनिक उत्पीड़न के साथ-साथ यदि विद्यमान है तो वह यौनिक उत्पीड़न कहलाएगा।
अ. एक पीठासीन अधिकारी जो महिला होगी और वरिष्ठ स्तर की होगी। यदि वरिष्ठ श्रेणी की महिला कर्मी उपलब्ध नहीं ही तो इसी विभाग की अन्य प्रशासनिक इकाई या कार्यालयों जो उपधारा (1) में वर्णित है, में से चयन किया जाएगा। यदि अन्य इकाइयों का कार्यालयों में भी कोई वरिष्ठ महिला कर्मी उपलब्ध नहीं है तो इन्हीं नियोक्ता के अन्य कार्यस्थलों से या अन्य विभाग व संगठनों की वरिष्ठ महिला का चयन किया जाएगा।
ब. कर्मचारियों में से 2 से कम सदस्यों का चयन नहीं होगा। ऐसे लोगों को लिया जाएगा जो महिला मुद्दों के प्रति समझ रखते हो और उनकी प्रतिबद्धता हो। सामाजिक कार्य या कानूनी कायों के अनुभव व् ज्ञान हो।
स. एक सदस्य गैर सरकारी संगठन या समूह से हो जो महिला मुद्दों के प्रति प्रतिबद्ध हो और यौनिक प्रताड़ना से जुड़े मुद्दों से परिचित हो। यह जरुरी है कि कुछ सदस्य जो नामजद किये गये उसमें आधे सदस्य महिलाएं होंगी।
3. पीठासीन अधिकारी व अन्य सदस्यों का कार्यकाल तीन साल का होगा। यह नियोक्ता द्वारा नामजद करने की तारीख से प्रांरभ होगा।
4. गैर सरकारी संस्था, संगठन के जिस सदस्य को नामजद किया जाएगा उसे नियोक्ता द्वारा कार्रवाई के दौरान वो भत्ता आया फीस दी जाएगी। जिसे नियोक्ता आदेश द्वारा निर्धारित करेगा।
5. आंतरिक समिति के पीठासीन अधिकारी या अन्य सदस्य
अ. धारा 16 के प्रावधान के विरोध हो।
ब. किसी अपराध में सजा हुई हो या किसी मामले में जाँच चल रही हो।
स. किसी अनुशासनात्मक प्रक्रिया में दोषी पाया गया हो या ऐसी प्रक्रिया चल रही हो।
द. अपने पद पर रहते हुए सत्ता या पद का दूरूपयोग किया हो और उससे लोकहित का नुकसान हुआ हो तो।
ऐसे अध्यक्ष व सदस्यों को कमेटी से हटा दिया जाएगा और प्रावधान के अनुसार रिक्त स्थान को भरा जाएगा।
सरकार जिला स्तर के शीर्ष अधिकारी कलक्टर को इस कानून के तहत कार्य करने के लिए अधिकृत करेगी
1. हर जिला स्तर का अधिकारी जिले के लिए एक समिति का गठन करेगा, जिसका नाम स्थानीय शिकायत समिति होगा। इसमें उन शिकायतों को लिया जाएगा जहाँ आंतरिक शिकायत समिति का गठन 10 से कम कर्मचारी होने के कारण नहीं हुआ है या शिकायत नियोक्ता के खिलाफ है।
2. जिला अधिकारी हर उपखंड में एक नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा। यह ग्राम स्तर पर हर ब्लॉक, तालुका और तहसील स्तर पर होगा और शहर में नगरपालिका स्तर पर होगा। यह नोडल अधिकारी शिकायत को स्वीकार शिकायत समिति को भेजेगा। यह कार्य 7 दिन के अंदर होगा।
3. स्थानीय शिकायत समिति का दयारा पूरे जिले के लिए होगा।
स्थानीय समिति का गठन, कार्यकाल व अन्य शर्तें
स्थनीय शिकायत समिति में जिला अधिकारी द्वारा नामजद निम्न सदस्य होंगे।
अ. सामाजिक क्षेत्र के कार्यरत प्रतिष्ठित महिला जो महिलाओं के प्रति प्रतिबद्ध है उनमें से किसी को अध्यक्ष नामजद किया जाएगा।
ब. जिले ब्लॉक, तालुका, तहसील या वार्ड या नगरपालिका स्तर पर कार्यरत महिलाओं से एक महिला को सदस्य बनाया जाएगा।
स. दो सदस्य उन गैर सरकारी संगठनों में से चुने जाएगें जो महिला मुद्दों के प्रति सवेंदनशील हो और और यौनिक प्रताड़ना के मुद्दों की समझ रखते हो। इनमें से एक आवश्यक रूप से महिला हो। बशर्तें इन दो में से कम-से-कम एक सदस्य ऐसा हो जिसे कानूनी ज्ञान हो। इन नामजद सदस्यों में से एक महिला एस सी, एस टी या ओ बी सी या अल्पसंख्यक वर्ग में से हो।
द. जिला स्तर पर समाज कल्याण व महिला बाल विकास विभाग से जुड़ा कोई अधिकारी पदेन सदस्य होंगे।
जिला अधिकारी द्वारा नामजद करने के बाद से 3 वर्ष तक का इस समिति के सदस्यों का कार्यकाल होगा।
स्थानीय शिकायत समिति का अध्यक्ष या अन्य सदस्य
1. धारा 16 के प्रावधानों के विशेष में हो या
2. किसी अपराध में सजा हुई हो या किसी मामलें में जाँच चल रही हो या
3. किसी अनुशासनात्मक प्रक्रिया में दोषी हो या
4. अपने पद पर रहते हुए सत्ता का दुरुपयोग किया हो तो ऐसे अध्यक्ष व् सदस्यों को पद से हटा दिया जाएगा और कानून के अनुसार रिक्त स्थान को भरा जाएगा।
4. स्थानीय समिति के अध्यक्ष या सदस्यों उपधारा (1) के क्लाज 2 और 4 के अलावा को निर्धारित फीस या भत्ता देय होगा।
१. पूरा कानून बन जाने के बाद भारत सरकार राज्य सरकारों को कुछ अनुदान देगी जो फीस व भत्तों के सन्दर्भ में होगी।
2. राज्य सरकार एक एजेंसी की स्थापना कर इस अनुदान को इस एजेंसी को हस्तांतरित करेगी।
3. यह एजेंसी अपना लेखा-जोखा रखेगी जिसका अंकेक्षण होगा और और उसकी रिपोर्ट व पूरा लेखा नियत समय पर राज्य सरकार को सौपना होगा।
4. एजेंसी अपना लेखा-जोखा रखेगी जिसका अंकेषण होगा और उसकी रिपोर्ट व पूरा लेखा नियत समय पर राज्य सरकार को सौंपना होगा।
1. कोई भी पीड़ित महिला कार्यस्थल पर यौन प्रताड़ना की शिकायत लिखित में देगी। यदि आंतरिक शिकायत समीति का गठन हो चूका है तो उसको शिकायत दी जाएगी। यदि गठन नहीं हुआ है तो घटना स्थानीय, समिति को दी जाएगी। यह शिकायत घटना घटित होने के 3 महीने के अंदर करनी होगी और अगर लगातार घटनाएं घट रही है ओत अंतिम घटना के घटित होने के तीन महीने के अंतर्गत करनी होगी।
अगर शिकायत लिखित में नहीं दे सकती है तो पीठासीन अधिकारी या कोई सदस्य या अध्यक्ष महिला को शिकायत लिखने में आवश्यक मदद प्रदान करेंगे। अगर पूरी बात पर यह समझ आ जाए कि किन कारणों से शिकयत करने में देरी हुई हो तो कमेटी कारण लिखकर अधिकतम 3 महीने का समय बढ़ा सकती है।
2. अगर पीड़ित महिल अपने शारीरिक या मानसिक अक्षमता या अन्य किसी कारण से शिकायत करने की स्थिति में न हो तो उसका वैधानिक उत्तराधिकारी इस धारा के तहत शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
शिकायत की जाँच पड़ताल
3. दोनों का पक्ष कर्मचारी है तो जाँच के दौरान दोनों को सुनने का अवसर दिया जाएगा और निकलकर आई है। उसकी प्रति दोनों को दी जाएगी ताकि जो निष्कर्ष निकाला है सन्दर्भ में अपनी बात कह सके।
भा.दि. धारा 509 के तहत उत्तरदाता को सजा होती है तो और उसमें कुछ राशि देने का होता है तो वह धारा 15 के अनुसार निपटाना जाएगा।
जांच के दौरान कमेटी को सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त होगी।
शिकायतों की जाँच
जाँच के दौरान पीड़ित महिला द्वारा लिखित में अनुरोध हो तो कमेटी नियोक्ता को कर सकती है।
या उत्तरदाता का किसी ने स्थान पर स्थानान्तरण कर दिया जाए या तो – को ३ महीने की छुट्टी हो वह दे डी जाए।
को जो या अवकाश दिया जाएगा वह उसके निर्धारित अवकाश से अलग होगा।
टी द्वारा दी गई सिफारिशों के आधार पर नियोक्ता अपनी कार्रवाई करके इसकी रिपोर्ट कमेटी को भेजेगी।
इस कानून के तहत जाँच पूरी होने पर कमेटी अपने निष्कर्षों को नियुक्ता के पास 10 दिन अंदर भेजेगी और वह रिपोर्ट संबधित दोनों पक्षों को उपलब्ध कराई जाएगी।
1. अगर जांच के बाद समिति इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि जो आरोप लगाए हैं वे सिद्ध नहीं हुई है तो कमेटी नियोक्ता/जिला अधिकारी को यह लिखकर भेज सकती है कि इस मामले में कोई कार्रवाई करने कि आवश्यकता नहीं है।
2. अगर समिति इस निष्कर्ष पर पहुँचती है कि जो आरोप लगाए गए हैं वे साबित हुए हैं तो कमेटी नियोक्ता को सिफारिश कर सकती है।
सेवा नियमों के तहत यौन प्रताड़ना को दुराचार मनाकर कार्रवाई की जाए यदि सेवा नियम नहीं है तो जो नियम बनाए जाएं उनके अनुसार कार्रवाई हो।
धारा 15 के अनुसार जो उचित मुआवजा हो सकता है वह दूसरे पक्षकार के वेतन में से काटा जाए। अगर किसी कारण से इसमें दिक्कत आ रही हो तो सीधे ही उससे पैसा देने के लिए कहा जाए। अगर फिर भी वह न दे तो जिला अधिकारी, भू कर या लेंड रेवेन्यू के रूप में वसूली के आदेश दे।
1. समिति अगर इस निष्कर्ष पर पहुंचें कि जी आरोप लगाए है या शिकात के सन्दर्भ में गलत तथ्य प्रस्तुत किये हैं जो नियोक्त्त या जिला अधिकारी इस महिला या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करे जिस महिला ने धारा 9 की उपधारा (1) या (2) के तहत शिकायत दर्ज की है। यह कार्रवाई सेवा नियमों के तहत की जाए और जहाँ सेवा नियम नहीं हो तो अधिकृत है उसके अनुसार करे।
केवल इस कारण कार्रवाई न हो कि वह अपनी बात को साबित करने के लिए उचित सशय नहीं झूठी पाई है। साथ ही पूरी जाँच प्रक्रिया अपनाकर हो यह खोजा जाना जरुरी है कि शिकायत कर्त्ता का इरादा बदनीयती का था और वह जाँच में स्थापित हुआ है। पूरी बात तथ्य सहित साबित हो तभी कार्रवाई होनी चाहिए।
2. कमेटी जाँच के दौरान इस निष्कर्ष पर पहुंचें कि जाँच के दौरान साक्ष्यों ने गलत साक्ष्य दिये हैं या गलत प्रपत्र पेश किया हैं तो साक्ष्यों के नियोक्ता या जिला अधिकारों को सेवा नियमों के अनुसार कार्रवाई करने की सिफारिश कर सकती है जहाँ सेवा नियम नहीं है वहाँ जो अधिकृत नियम है उसके अनुसार कार्रवाई हो।
मुआवजे का निर्धारण
पीड़ित महिला को धारा 13 की उपधारा (३) के क्लाज (2) के अनुसार मुआवजा तय करने के लिए निम्न बातों को देखना होगा।
इन मामलों से संबधित कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं होनी चाहिए न प्रेस को दी जानी चाहिए। अगर मिला को मिलने वाले अन्य की सूचना भी दी जाए तो महिला का नाम, पहचान आदि खुलासा नहीं होना चाहिए।
जो कोई व्यक्ति कमेटी की सिफारिशों को लेकर परेशान हो तो वह कोर्ट या ट्रिब्यूनल में कर सकता है।
यह अपील 90 दिन के अदंर होनी चाहिए।
नियोक्ता के दायित्व
प्रत्येक नियोक्ता
20 जिला अधिकारी को
वार्षिक प्रतिवेदन पेश करना।
नियोक्ता को अपनी रिपोर्ट में यह शामिल करना चाहिए कि कितने मामले आए और कितनों का निबटा हुआ।
सरकार इस कानून की पालना की मोनिटरिंग करे उअर आंकड़े तैयार करे कि कितने मामले आए और कितनों का निबटारा हुआ।
सरकार का यह दायित्व है कि इस कानून के बारे में सामग्री तैयार करने का कार्य करे और जगह –जगह जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रम चलाए। ऐसा वातावारण बनाने का प्रयास करे कि कार्यस्थल पर यौन हिंसा न हो।
आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों के ओरिएण्टल कार्यक्रम का आयोजन करे।
सरकार को यदि लगे कि महिला के हित की दृष्टि से आवश्यक है तो
क. किसी भी नियोकिता या जिला अधिकारी को कहे कि किसी महिला के साथ यौन प्रताड़ना से संबंधित सारी सूचना प्रस्तुत करे।
ख. किसी अधिकारी को निरिक्षण के लिए अधिकृत करे ताकि वह रिकोर्ड देखे और कार्यस्थल को जाकर देखे और इस संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
जहाँ नियोक्ता
इस कानून से किसी अन्य कानून का दयारा समाप्त नहीं होगा।
भारत सरकार गजट में नोटिफाई करके इस कानून के संबंध में नियम बनाएगी। इन नियमों को विधानमंडलोन व संसद से पारित करवाया जाएगा। अगर कानून को लेकर कोई दिक्कत आये तो दूर किया जाएगा। यह दो साल के दर होगा यदि कोई आदेश निकलता है तो उसे संसद के सम्मुख रखा जाएगा।
केन्द्रीय महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रसिवेध एवं प्रतिरोध) अधिनियम, 2013 (2013 का 14) की धारा 29 द्वारा प्रद्दत शक्तियों का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित नियम बनती है अर्थार्त
आंतरिक समिति के सदस्यों के लिए फीस या भत्ते
लैंगिक उत्पीड़न में संबंधित मुद्दों से प्रहसित व्यक्ति: धरा 7 की उपधारा (1) के खंड (ग) के प्रयजन के लिए लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों से परिचित व्यक्ति ऐसा व्यक्ति होगा जिसे लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित मुद्दों पर विशेषता प्राप्त हो तथा इसमें निम्नलिखित में से कोई हो सकेगा।
स्थानीय समिति के अध्यक्ष तथा सदस्यों के लिए फीस या भत्ता
लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत : धारा 9 की उपधारा (2) के प्रयोजन के लिए
1. जहाँ व्यक्ति, महिला, अपनी शारीरिक असमर्थता के कारण शिकायत करने में असमर्थ है, वहाँ निम्नलिखित द्वारा शिकायत फाइल की जा सकती है-
2. जहाँ व्यक्ति महिला, अपनी मानसिक अक्षमता के कारण शिकायत करने में असमर्थ ई यहाँ निम्नलिखितद्वारा शिकायत फाइल की जा सकती है_-
1. उसका रिश्तेदार या मित्र; अथवा
2. कोई विशेष शिक्षक; या
कोई अहित मनोविकार विज्ञानी या मनोवैज्ञानिक अथवा
3. संयक या प्राधिकारी जिसके अधीन या उपधारा या देखेरेख प्राप्त कर रही है, अथवा
4. उसके नातेदार या दोस्त या विशेष शिक्षक या अर्हता-प्राप्त मनोविज्ञान विज्ञानी या मनोवैज्ञानिक या संरक्षक अथवा प्राधिकारी जिसके अधीन वह उपचार या देखरेख प्राप्त कर रही है के साथ संयुक्त रूप से कोई ऐसा व्यक्ति जिसे लैंगिक उत्पीड़न की जनाकारी है।
5. जहाँ व्यक्ति महिला, किसी कारण से शिकायत करने में असमर्थ है, जहाँ उसकी लिखित सम्पत्ति से ऐसे व्सकी द्वारा शिकयात फाइल की जा सकती है, जिसे घटना की जानकारी है।
6. जहाँ व्यक्ति महिला की मृत्यु हो जाती है, यहाँ एक शिकायत, घटना के जानकार द्वारा उसके विधिक वारित की सम्पत्ति से लिखित रूप में फाइल की जा सकेगी।
शिकायत की जांच का ढंग
स्त्रोत: सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 6/19/2023
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