आपका अपना बैंक, झारखण्ड ग्रामीण बैंक, भारत सरकार “क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम – 1976 के अंतर्गत स्थापित एक अनुसूचित बैंक है। यह बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रयोजित बैंक है। इस बैंक की पूँजी का बड़ा हिस्सा अर्थात 50 प्रतिशत भारत सरकार का, 15 प्रतिशत जीसस झारखण्ड सरकार का एवं 35 प्रतिशत हिस्सा बैंक ऑफ इंडिया का है। इस प्रकार यह एक सरकारी बैंक है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से ग्रामीण एवं कृषि से संबंधित विकास में सहयोग देना है। किन्तु आज यह बैंक एक वाणिज्यक बैंक की तरह भी सभी बैंकिंग सुविधाएँ दे रहा है। इसमें वे सारी सुविधाएँ उपलब्ध हैं, जो अन्य बैंकों में है। जैसे-छोटे से छोटे एवं बड़े से बड़े किसी भी प्रकार के ऋण की सुविधा, बचत, आर.डी., फिक्स डिपोजिट व एटीएम् से धनराशि निकालने की सुविधा आदि सभी प्रकार की जमा सुविधाएँ, बीमा, किसी भी शाखा से किसी बैंक के किसी भी खाते में धनराशी भेजने व मांगने की सुविधा उपलब्ध है।
बैंक के महत्वपूर्ण आंकड़े निम्नवत है:- दिनांक 31.12.2014 के अनुसार
सेवा क्षेत्र के जिले |
15 |
राँची, खूँटी, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, सरायकेला- खरसावाँ, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, गिरिडीह, बोकारो, धनबाद। |
कूल शाखाएँ |
239 |
जिसमें से ग्रामीण शाखाएँ |
211 |
सेवा क्षेत्र के गांवों की संख्या |
4053 |
स्टाफ सदस्यों की संख्या |
881 |
2000 से अधिक आबादी के बिना बैंक के गाँव |
153 |
कूल जमा खाते |
14.05 लाख |
कूल जमा राशि |
238939.86 लाख |
कूल ऋण खाते |
1.95 लाख |
कूल ऋण राशि |
74222.69 लाख |
बैंक के कूल ग्राहक खाते |
16.00 लाख |
6870 लाख |
|
संयुक्त देयता समूह |
00 |
कृषक क्लब |
254 |
बैंक से जुड़ने का मतलब है कि बैंक में आपका कोई खाता हो। यदि आपका बैंक में खाता नहीं है तो आप कभी भी बैंक में अपना खाता खुलवा सकते हैं
खाता खुलवाने के लिए दो तरह के कागजात और फोटो की आवश्यकता होती है इन कागजातों से आपकी पहचान सुनिश्चित होती है, जिससे की भविष्य में आपको किसी तरह की परेशानी न हो। पहचान के लिए ये कागजात निम्न में से कोई एक हो सकते हैं:-
इसी प्रकार पते के प्रमाण के रूप में निम्न में से कोई एक दस्तावेज प्रस्तुत किया जा सकता है:-
गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को अपनी छोटी-छोटी बचत के लिए खाते खुलवाने में कोई परेशानी न हो इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने उपरोक्त मानदंड में रियायत/छुट प्रदान करते हुए निम्न औपचारिकताएँ पूर्ण करने पर भी खाता खोलने की अनुमति प्रदान की है। इन खातों में अधिकतम रू. 50,000/- तक जमा शेष तथा वर्ष में अधिकतम रू. 1,00,000/- तक लेन-देन किया जा सकता है।
1. जहाँ कहीं उपरोक्त दस्तावेज उपलब्ध नहीं है वे लोग किसी ऐसे खातेदार, जिसका शाखा में कम से कम छह माह पुराना और सुचारू रूप से संचालित खाता हो, तो खाते का परिचय।
2. उपरोक्त के साथ – साथ शाखाएँ निम्न में से कोई एक दस्तावेज जमा करा सकती है- ग्राम प्रधान/ ग्राम पंचायत अधिकारी/गाँव के पोस्ट मास्टर अथवा किसी अन्य सम्मानित व्यक्ति द्वारा प्रमाणित पहचान प्रमाण-पत्र।
वर्तमान समय में बैंक हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुके हैं। न केवल शहरी क्षेत्रों अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी बैंक अपनी महत्वपूर्ण योजनाओं के माध्यम से अपनी महत्ता सिद्ध कर चुके हैं। सामान्यतया लोगों की धारणा है कि बैंक सिर्फ पैसा जमा करना एवं ऋण देने का ही कार्य करते हैं। जबकि ऐसा नहीं है। वास्तव में बैंक अपनी सेवाओं के माध्यम से जनसामान्य को बचत करने का संदेश देते हैं, जिससे वक्त जरूरत पर उनके द्वारा जमा की गई पूँजी उनके काम आ सके। साथ ही जरूरतमंदों को ऋण देकर उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करते हुए उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास भी करते हैं। यह देश की प्रगति में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
लोगों का कहना है कि जब आमदनी ही इतनी नहीं है कि बचत की जा सके तो बचत के बारे में सोचना ही बेकार है। किन्तु यह सरासर गलत हैं ऐसे तो आमदनी चाहे जितनी हो जाये खर्चे बढ़ते जायेंगे और बचत हो ही नहीं पायेगी।
बचत के लिए थोड़ा संयम, थोड़ी तपस्या, थोड़ा अपना मन मारने, थोड़ा कम खाने, थोड़ा उसके दूरगामी लाभों के बारे में सोचने की आवश्यकता है। यदि आज दिन में कम सिर्फ दो- तीन रूपए भी अपने उपरोक्त खर्चे रोककर या कम कर बचा लेते है, तो एक महीने में 90-100 रूपए आसानी से बच सकते हैं। जो एक साल में रूपए 1200 और तीन साल में रूपये 36000 हो सकते हैं। यह रकम देखने में तो छोटी है लेकिन इससे आपको बच्चों के लिए अच्छे कपड़े, अच्छी और आपके परिवार के रहन-सहन का स्तर नहीं सुधरेगा बल्कि कई आकस्मिक जरूरतों के लिए आपको दूसरों के आगे हाथ भी नहीं फैलाना पड़ेगा।
इतनी छोटी- छोटी रकम माँ करने के लिए बैंक में कठिनाई होती है इसके लिए गाँव में ही स्वयं सहायता समूह बना सकते हैं। यदि गाँव में झारखंड ग्रामीण बैंक मित्र है तो इनकी सहायता से यह रकम आप अपने खाते में, गाँव में ही जमा कर सकते हैं। बैंक को इन छोटी रकमों से बहुत ज्यादा लाभ नहीं होने वाला बल्कि इससे आपके जीवन में अभूतपूर्व बदलाव अवश्य आ सकता है।
अत: बचत को अपने जीवन का एक अभिन्न अंग बनायें और आज सी ही कुछ न कुछ रकम, चाहे वो दिन – तीन रूपए ही क्यों न हो, प्रतिदिन अवश्य जमा करने और फिर जब एक दिन बचत करना आपकी आदत में शामिल हो जायेगा तब आप इसका कमाल देखियेगा। यह केवल आपके ही नहीं बल्कि आपके सारे परिवार में ख़ुशियाँ भर देगी।
बैंक की विभिन्न जमा योजनाओं में सबसे महत्वपूर्ण बचत खाता है। इस योजना का प्रयोजन इस आशय से किया गया है कि लोग अपने घरेलू खर्चों के आड़ जो छोटी छोटी रकम बच जाती है उसे व्यर्थ अपव्यय करने के बजाए बैंक में सुरक्षित रखें, जिससे न केवल उनकी धनराशी सुरक्षित रहेगी वरन ब्याज के रूप में वृद्धि के साथ-साथ वक्त जरूरत पर उनके काम भी आयेगी। बचत खाता केवल बचत के लिए ही नहीं अपितु वृधावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, विकलांग पेंशन, छात्रवृत्ति, नरेगा भुगतान एवं सरकार से मिलने वाली अन्य किसी भी प्रकार की सहायता राशिक के लिए भी खुलवाना आवश्यक हैं। बचत खाता रू. 100/- मात्र की धनराशि से खोलकर अधिकतम किसी भी राशि तक जमा किया जा सकता है। इस खाते में जमा ब्याज की राशि से वर्तमान में श्रोत पर कोई आयकर की कटौती नहीं की जानी है। चेकबुक सुविधा भी उपलब्ध है। उसके अतिरिक्त अत्याधिक निर्धन व्यक्तियों के कहते शुन्य अवशेष से भी खोले जाते हैं। जिन्हें बुनियादी बैंक बचत खाते कहते हैं। किन्तु इन खातों में रू. 50,000/- से अधिक का जमा अवशेष नहीं होना चाहिए। बचत एवं सावधि खाते एक नाम से और दो या अधिक नाम से भी खोले जा सकते हैं। ये खाते 10 वर्ष व अधिक आयु के बच्चे स्यवं अपने नाम से बी खोल सकते हैं। अवयस्क 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों के खाते संरक्षक द्वारा भी खोल सकते हैं।
बचत खाते के अतिरिक्त कुछ अन्य महत्वपूर्ण खाते निम्नवत है:
चालू खाता – निर्धारित न्यूनतम राशि से खाता खोलकर असीमित लेन- देन व चेकबुक सुविधा का लाभ ले सकते हैं। व्यवसायियों के लिए यह अत्यंत उपयोगी खाता है। इसमें चेक जमा कर उसका पैसा भी मंगवाया जा सकता है।
आवर्ती जमा योजना : प्रति महीना न्यूनतम रू. 100/- व अधिकतम कोई सीमा नहीं। एक निश्चित आवधि तक जमा ब्याज सहित एक मुश्त धनराशी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें मूलधन सूराक्षित रहता है।
दोहरा लाभ जमा योजना: 1 वर्ष व अधिक, अधिकतम 10 वर्ष के लिए सावधि जमा हेतु यह जमा राशि के ब्याज पर भी ब्याज सहित दोहरे लाभ के साथ धन राशि प्राप्त करने आकर्षक योजना है। एक निश्चित आवधि में धनराशि दुगूना प्राप्त करने की भी सुविधा।
मासिक आय जमा योजना: एक निश्चित आवधि हेतु धनराशि जमाकर हर माह ब्याज के भुगतान की सुविधा और अवधि की समाप्ति पर मूल धन वापस।
विशेष:
सभी जमा खातों में नामांकन की सुविधा उपलब्ध है। एकल एवं संयुक्त दोनों प्रकार के खातों में खाताधारक किसी एक व्यक्ति को नॉमिनी बना सकते हैं। नॉमिनी व्यक्ति अवयस्क/नाबालिक भी हो सकता है। किन्तु ऐसे मामले में एक ऐसे बालिग व्यक्ति का नाम व संबंध देना होता है जो खातेदार की मृत्यु होने पर नाबालिग नॉमिनी के संरक्षण के रूप में रहेगा।
खातेदार द्वारा किये गए नामांकन को वह किसी भी समय परिवर्तित या समाप्त कर सकता है। नामांकन खाता खोलते समय अथवा बाद में किसी भी समय किया जा सकता है।
सलाह दी जाती है कि खाता खोलते समय नामांकन अवश्य करायें जिससे किसी आकस्मिक परिस्थिति में परिवार के सदस्यों को आवश्यक कठिनाई न उठानी पड़े।
अनपढ़ (अंगूठा लगाने वाले) खाताधारक भी जमा खातों में नामांकन करा सकते हैः।किन्तु ऐसे मामलों में नामांकन करते समय खातेदार कोदो गवाहों (बैंक के खातेदार हों तो बेहतर है) के हस्ताक्षर नामांकन फार्म पर कराना आवश्यक है।
खातेदार की मृत्यु हो जाने पर खाते में जमा धनराशि उनके उत्तराधिकारियों को आसानी से मिल सके, इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि खातेदार खाता खोलते समय नामांकन अवश्य करायें। यदि किसी कारण वश नामांकन नहीं कराना चाहते तो संयुक्त खाता खुलवा सकते हैं। जिसमें खातेदार की मृत्यु हो जाने पर दूसरे खातेदार के द्वारा खाते का संचालन किया जा सकता है।
बहुत से, पहले से ख़ोए खातों में यदि किसी करणवश खातेदार नामांकन नहीं करवा सके हैं तो उनमें अभी भी नामांकन करवा सकते है।
खातेदार की मृत्यु हो जाने पर सभी मामलों में ग्राम पंचायत/नगर निगम/नगर पंचायत द्वारा निर्गत मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। यह प्रमाण पत्र की आवश्यकता होती है। यह प्रमाण पत्र प्रारूप सं. 6 पर निर्गत किए जाते हैं
नामांकन वाले मामलों में इस प्रमाण पत्र के साथ निर्धारित प्रारूप पर आवेदन कर दो व्यक्तियों की गवाही/जमानत व नॉमिनी की पहचान संबंधी कागजात प्रस्तुत करने पर खाते में अवशेष राशि का आसानी से भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।
जिन मामलों में किन्हीं कारणवश नामांकन नहीं कराया जा सका है उनमें निम्न दस्तावेजों की आवश्यकता पड़ती है।
बैंक से ऋण मुख्यत: दो उद्देश्यों के लिए मिलता है- पहला, आपकी पर्याप्त आमदनी हो और उसमें से आप बैंक को ऋण अदा कर सकें। दुसरे, उन कार्यो के लिए जैसे- घर बनाने, टी वी/ फ्रिज खरीदने आदि जिससे आपको कोई आमदनी नहीं होती है लेकिन आप वर्तमान स्रोतों से हो रही आमदनी से ही इस ऋण की अदायगी कर सकने में सक्षम हैं।
पहली तरह के ऋण के लिए आपको बैंक में अपने व्यवसाय से संबंधित सभी कागजात जैसे आगे आप खेती कर रहे हैं तो खसरा/ खतौनी, संबंधित अगर आप कोई कारखाना लगाना चाहते हैं तो उद्योग के लिए जगह के कागजात, मशीनरी के लिए कोटेशन आदि बैंक में प्रस्तुत करना पड़ता है। बैंक इन कागजात के आधार पर आपकी जरूरत का आंकलन करता है। छोटे ऋणों को छोड़कर सभी बड़े ऋणों के मामले में आवेदक को अपने स्रोतों से कुछ धनराशी लगानी पड़ती है। इस राशि को अंशदान या मार्जिन मनी कहते है। आवेदक को शाखा में जाने पर इस राशि के बारे में बताने की आवश्यकता हैं।
अत: ऋण में संबंध में बैंक जाते समय निम्न कागजात अवश्य अपने साथ ले जाएँ:-
1) बैंक में यदि पहले से खाता है तो उसकी पासबुक एवं अन्य विवरण।
2) यदि आपका खाता बैंक में पहले से नहीं है तो मतदाता पहचान पात्र, अपना राशनकार्ड आदि साथ में आवश्य लें जायें।
3) यदि आप कृषक हैं तो खसरा/खतौनी की नवीनतम प्रति।
4) यदि आप व्यवसाय करते हैं तो व्यवसाय से संबंधित कागजात।
5) मार्जिन अथवा अंशदान की राशि का पूर्ण विवरण।
6) यदि वाहन/ मशीनरी/ट्रैक्टर/पम्पसेट/टीवी/फ्रिज आदि क्रय करना है तो इनसे संबंधित कोटेशन।
7) यदि मकान हेतु ऋण चाहिए तो प्लाट की रजिस्ट्री की प्रति, मकान का नक्शा एवं एस्टीमेट आदि साथ ले जाएँ।
8) यदि आप किसी सेवा में है तो अपनी वेतन पर्ची व वेतन खाते की पासबुक।
9) यदि कृषि हेतु ऋण राशि रूपये एक लाख से अधिक है और गैर कृषि ऋणों के मामले में ऋण की आवश्यकता रूपये 25000/- से अधिक है तो कम से कम दो जमानतदार, जिनसे आपने पहले से बार कर ली हो और वो जमानत के लिए सहमत हों, के नाम और हैसियत संबंधी पूर्ण विवरण आवश्य साथ में लायें।
बैंक द्वारा दिया गया ऋण एकमुश्त या किस्तों में एक निश्चित समय ऋणी को अवगत करा दिया जाता है। यदि ऋण लेने वाले को यह स्पष्ट न हो तो बैंक से इसकी पूरी जानकारी आवश्य ले लेनी चाहिए। ऋण का सदुपयोग भूत जरूरी है। कर्जा जिस कम के लिए लिया जाए उसी काम में उसका इस्तेमाल करें। जिससे कि नियमित आमदनी सुनिश्चित हो सके एवं बैंक ऋण की अदायगी में किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। ऋण की समय से अदायगी करने/न करने पर नीचे लिखे नुकसान/फायदे हो सकते हैं:-
अभी आपके खाते हमारी शाखाओं में खुले हैं। जिसमें लेन-देन के लिए आपको हमारी निकटतम शाखा में जाना पड़ता है। हमारी शाखा कई गांवों से बहुत दूर होने के कारण बहुत से लोग हमारी शाखा में खाते नहीं खुलवा सके हैं और बैंकिंग सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। वहाँ से लेन-देन करने के लिए उन्हें अपने दिन भर का हर्जा करना पड़ता है और आने जाने का किराया/खर्चा अलग से उठाना पड़ता है।
भारत सरकार/नाबार्ड के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम के अंतर्गत अब बैंक एक ऐसी सुविधा लाया है, जिससे गाँव के लोगों बैंकिंग सुविधा, जैसे खातों का लेन- देन, छोटे-छोटे ऋण की सुविधा, बीमा, पैसा एक स्थान से दुसरे स्थान भेजने की सुविधा आदि गाँव में ही झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र (ग्राहक सेवा प्रदात्ता) के माध्यम से ग्राहक सेवा केंद्र आदि लघु शाखा पर ही मिल जाएँगी।
इस सुविधा के लिए झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र (ग्राहक सेवा प्रदात्ता) द्वारा गाँव में ही आपके खाते खोले जायेंगे और जिसमें बैंक द्वारा आपको एक रूपे डेबिट कार्ड दिया जायेगा।
झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक (ग्राहक सेवा प्रदात्ता) इसे रूपे डेबिट करे को गाँव में ही एक पास मशीन में डालकर आपकी पहचान करेंगे और आपके खाते में अवशेष राशि व लेन-देन की जानकारी देंगे।
आप जो भी धनराशि निकालना चाहते हैं या जमा करना चाहते हैं, उसे झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र (ग्राहक सेवा प्रदात्ता) को बताकर निकाल या जमा कर सकते हैं।
यह सूचना एवं संचार आधारित (आधार आधारित) भुगतान सेवा और कार्ड लेस बायोमेट्रिककी तकनीक अंतयंत सुरक्षित तकनीक है इसका उपयोग और कोई नहीं कर सकता है। यह पास मशीन बिना आपकी ऊँगली के निशान व आधार संख्या पहचाने आपके खाते से कोई लेन-देन नहीं कर सकता है। सभी जमा व निकासी के लिए रसीद भी मिलती है।
है न यह बहुत उपयोगी सुविधा। अब मनरेगा मजदूरी, विधवा/वृद्धा पेंशन आदि के लिए आपको बैंक का चक्कर लगाने की कोई जरूरत नहीं।
चलो चलें झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र (ग्राहक सेवा प्रदात्ता) के पास। अब साडी बैंकिंग सुविधा गाँव में ही ग्राहक सेवा केंद्र पर मिल जाएगी।
झारखण्ड ग्रामीण बैंक प्रदात्ता द्वारा दी जाने वाली सुविधाएँ मेसर्स यु. टी.इ.एल.प्रा.लि. एवं मेसर्स एस्पैरोज सोफटेक प्रा. लि. द्वारा किए गए अनुबंध के तहत गांवों में बैंक मित्र अथवा व्यवसायिक सूविधादाताओं की नियुक्ति की गीय है जो सुदूर स्थित गांवों में जाकर रूपे डेबिटकार्ड धारक ग्राहकों व अन्य ग्रामीण भाईयों को बैंकिंग से संबंधित जानकारी देने एवं बैंक द्वारा उन्हें सौंपे गये उत्तरदायित्व को निभाने का कार्य कर रहे हैं। उनके द्वारा किये गए बैंक व्यवसाय संबंधी किसी भी कार्य हेतु बैंक जिम्मेदार है।व्यवसायिक सुविधादाताओं को निम्नानुसार कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है –
आप के मन में अवश्य ये उत्सुकता होगी की यह पॉस मशीन क्या है? पॉस मशीन है जो झारखण्ड ग्रामीण बैंक मित्र को नकदी के लेन-देन हेतु प्रदान की गयी है। इस मशीन के माध्यम से आप एक दिन में एक निश्चित धनराशि तक का नकद लेन – देन कर सकते है न । यह मशीन मुख्य रूप से उन लोगों को घर बैठे ही नगदी लेन-देन करने की सुविधाएँ प्रदान करने हेतु उपलब्ध कराई है जिन्हें अपनी छोटी-छोटी जरूरतों के लिए पूरे दिन का हर्जा करके सुदूर स्थित बैंक की शाखाओं तक जाना पड़ता है। इससे न केवल उनका आर्थिक नुकसान होता है। बल्कि गांवों में दूर-दूर तक यातायात के साधन सुलभ न होने के कारण पैदल बहुत दूर तक आना – जाना पड़ता है।
पॉस मशीन के माध्यम से मुख्यता: छोटी-छोटी बचत / ऋण का लेन-देन मनरेगा, विधवा पेंशन, वृधावस्था पेंशन, विकलांग पेंशन आदि के जमा एवं निकासी की सुविधा प्रदान की गई हैं चूंकि गांवों में अभी भी अधिकांश लोग सीधे-सादे और अनपढ़ है। अत: इस पॉस मशीन से लेन-देन करते उन्हें कुछ सावधानियों के बारे में जानना बेहद आवश्यक है-
इस प्रकार पॉस मशीन से लेन – देन करते समय अगर आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यदि कभी किसी प्रकार की समस्या हो तो इसकी सूचना तुरंत संबंधित शाखा के शाखा प्रबंधक को दें।
भारतीय रिजर्व बैंक केश का वह बैंक है जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए कार्य करता है।
नाबार्ड का पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक है। भारत सरकार द्वारा विशेष रूप से कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए इसकी स्थापना वर्ष 1982 में की गयी थी। इसका मुख्य कार्य कृषि कार्य कृषि एवं ग्रामीण विकास से संबंधित भारत सरकार के नीतिगत निर्णयों का क्रियान्वयन करना है इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों एवं सहकारी बैंकों को पुनवित्त के रूप में सहायता प्रदान करना, उनके संचालन पर नियंत्रण करना, उनके स्टाफ सदस्यों के क्षमता विकास में सहयोग करना इत्यादि है।
नाबार्ड द्वारा कृषकों के लाभ के लिए निम्न महत्वपूर्ण योजनाएँ चलाई जा रही है। जिनका विस्तार से विविरण इसी किताब में उपर्युक्त स्थान पर अन्यत्र दिया गया है-
1) जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही सौर ऊर्जा उपकरणों के वित्तपोषण संबंधी योजना (इस योजना के अंर्तगत 40 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है)।
2) डेयरी उद्यमिता विकास योजना- इसके अंतर्गत 30 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है।
3) ग्रामीण भंडारण योजना – इसके अंतर्गत 25 प्रतिशत एवं अधिकतम रूपये 37 लाख 50 हजार तक अनुदान देय है।
4) स्वयं सहायता समूहों के गठन/ लिंकज हेतु गैर सरकारी संस्थाओं व बैंकों को प्रोत्साहित योजना।
5) कृषक क्लबों के गठन एवं रख-रखाव व मिट विद एक्सपर्ट हेतु प्रोत्साहन योजना।
6) भारत सरकार द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत वितरित ऋणों में ब्याज सबवेंशन अनुदान की योजना।
7) महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु महिला विकास प्रकोष्ठ की स्थापना व परियोजनाओं के संचालन हेतु प्रोत्साहन योजना।
8) वित्तीय समावेशन व कार्यक्रम के अंतर्गत बैंक मित्र के माध्यम से सेवाएँ पहूँचाने तथा वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम हेतु बैंकों को वित्तीय समावेशन कोष एवं वित्तीय सहायता।
9) एग्रिक्लिनिक व एग्रीबिजनेस की स्थापना हेतु युवकों को प्रशिक्षण हेतु सहायता एवं परियोजना स्थापित करने हेतु अनुदान इत्यादि।
रिजर्व बैंक आम जनता को अच्छी गुणवत्ता वाले बैंक नोट उपलब्ध कराने के लिए निरंतर प्रयास कर रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं बैंकिंग प्रणाली को सहायता करने के उद्देश्य से आप जनता से यह अनुरोध किया जाता है कि वे कृपया निम्नलिखित का अनुपालन करें।
जहाँ तक संभव हो नोट को मोड़कर न रखें।
अपने बैंक नोटों को जानिए।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रू. 1,000/- व रू. 500/- के असली नोट की पहचान के लिए दिए गए सलाह अगले पन्ने पर दी जा रही है। बैंक द्वारा नोट की जाँच/पहचान के दौरान जाली/फर्जी नोट पाये जाने पर नोट के साथ प्रस्तुत कर्त्ता का पूर्ण विवरण देते हुए स्थानीय थाने में प्राथमिकी सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश हैं। आप भी कहीं से फर्जी नोट पाये जाने पर संबंधित थाने में पूर्ण विवरण के साथ एफ.आई.आर. दर्ज करायें। फर्जी नोटों का चलन देश के लिए बहुत ही घातक है। कृपया इसमें सहयोग प्रदान करें।
अत: किसी बैंक से पैसा मंगाते समय और अपने बैंक से अन्य बैंक को पैसा भेजने के लिए आई. एफ.एस.सी. कोड एवं खातेदार के 15 अंकों के खाते की जानकारी अवश्य रखें।
बैंक में बचत खातों पर ब्याज (वर्तमान में 4 प्रतिशत वार्षिक) छमाही आधार पर प्रत्येक वर्ष फरवरी एवं अगस्त माह में लगाया जाता हैं। खातों में ब्याज की गणना खाते में दैनिक अवशेष के आधार पर की जाती हैं। ब्याज न निकालने पर ब्याज की गणना की जाती है।
मियादी जमा ब्याज की गणना त्रैमासिक आधार पर कि जाती है और इसमें भी ब्याज न निकालने पर ब्याज पर बी ब्याज की गणना की जाती है।
मियादी जमा पर ब्याज की गणना त्रैमासिक आधार पर की जाती है और इसमें भी ब्याज न निकालने पर बचत खाते की भांति ब्याज पर ब्याज की गणना की जाती की जाती है।
ऋण खातों में भी ब्याज की गणना दैनिक अवशेष के आधार पर की जाती है। आप जो धनराशि बैंक से लाते हैं। उस पर उसी दिन से ब्याज लगना आरंभ हो जाती है। जब कोई धनराशि आप जमा करते हैं तो उसी दिन से उस राशि पर ब्याज लगना बंद हो जाता है।
ऋण खातों में समय से ऋण अदा न करने पर ऋण राशि पर दंड ब्याज भी लगाया जाता है।
आप अपने खाते पर ब्याज की गणना स्वयं निम्न सूत्र द्वारा कर सकते हैं-
ब्याज दर X धनराशि X दिन
ब्याज की राशि = -------------------------------------
36500
यदि 10000 का ऋण 15 दिन आपके पास रहता है तो 12 प्रतिशत की दर से इस पर निम्न ब्याज राशि होगी -
12 X 10000 X 15
ब्याज = ---------------------------------
36500
कृषि ऋण के मामले ब्याज छमाही आधार पर प्रत्येक वर्ष 30 सितंबर एवं 31 मार्च को लगाया जाता है। बीच में भी आप अपने खाते में लग रहे ब्याज की जानकारी कर सकते हैं।
गैर कृषि ऋण जैसे दुकान, मोटरगाड़ी, इंडस्ट्री आदि पर ब्याज मासिक आधार पर प्रत्येक माह के अंतिम कार्य दिवस में लगाया जाता है।
स्वयं सहायता समूह 10 से 20 समान सोच के निर्धन ग्रामीण सदस्यों का एक समूह है, जो संगठित होकर नियमित रूप से अपनी क्षमतानुसार एक निर्धारित राशि (जैसे 30/50/100 रूपये मासिक) समूह निधि में जमा करते हैं। यह छोटी-छोटी बचत धीरे–धीरे कर एक बड़ी रकम बन जाती है और समूह के सदस्य अपनी आकस्मिक व व्यवसायिक जरूरतों के लिए लेन-देन करते हैं। S
स्वयं सहायता समूह के लाभ :
स्वयं सहायता समूह निर्धन ग्रामीण सदस्यों को आपस में मिलजुल कर अपना जीवन स्तर सुधारने, छोटी-छोटी बचत करने एवं छोटी-छोटी ऋण कि आवश्यकताओं के लिए सेठ साहूकार के चक्कर लगाने से छूटकारा देती है। इससे गरीब सदस्यों में बचत की आदत पड़ती हैं गरीब लोग अपनी आवश्यकताओं के लिए अपना छोटा-मोटा बैंक चलाकर उन्हें पूरा कर सकते हैं।
समूह के बढ़ने से बैंक से सहायता ली जा सकती है। इससे बैंक को भी 15-20 छोटे-छोटे कहते रखने के बजाय केवल समूह का एक खाता रखना पड़ता है। समूह इस राशि को अपने सदस्यों के लिए उपयोग करती है। स्वयं सहायता समूह बैंक के साथ समूह के नाम से खाता खोल सकते हैं तथा ऋण ले सकते हैं। बैंक के ऋण से समूह की निधि बढ़ती है, जिससे समूह के सदस्य छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे बकरी पालन, चाय की दूकान, खेती इत्यादि से अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं।
स्वयं सहायता समूह कैसे बनाया जा सकता है?
स्वयं सहायता समूह 10-20 लोग स्वयं मिलकर भी बना सकते हैं। वैसे अधिकतर मामलों में यह एक सूविधादाता की पहल पर उनके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर बनाया जाता है। बैंक, कोई एनजीओ या अन्य संस्था भी सूविधादाता हो सकता है।
यह एक जैसी आर्थिक व सामाजिक हैसियत एवं वैचारिक समानता वाले भूमिहीन, बटाईदार, कम जमीन वाले लघु/ सीमांत कृषक, कृषि से संबंध क्रिया कलाप करने वाले अथवा स्वरोजगारी ग्रामीणों का 4 से 10 सदस्यों वाला ऐसा समूह है, जिसके माध्यम से बैंक से कार्य/व्यवसाय हेतु ऋण लिया जा सकता है। इसमें ऋण अदायगी की जिम्मेदारी सभी सदस्यों की संयुक्त रूप से होती हैं
संयुक्त देयता समूह से लाभ:
संयुक्त देयता समूह बनाकर भूमिहीन, बटाईदार, पट्टेदार, कम कृषि भूमि वाले कृषक, कृषि से संबंद्ध क्रिया कलाप करने वाले एवं गैर कृषि कार्य करने वाले स्वरोजगारी ग्रामीण अपने कार्य/व्यवसाय हेतु आसान शर्तों पर बैंक से ऋण प्राप्त कर सकते हैं एवं अपने जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार ला सकते हैं।
कौन बना सकता है संयुक्त देयता समूह:
अलग-अलग व्यक्ति, गैर सरकारी संगठन (एनजीओ), कृषक क्लब, बैंक शाखाएँ व व्यापारिक सहयोगी आदि।
ऋण लेने हेतु क्या करे:
ऐसे 4 से 10 व्यक्ति (महिला या पुरूष) समूह के रूप में संगठित होकर निकटतम बैंक शाखा के शाखा प्रबंधक से संपर्क करें।
कृषक क्लब क्या है?
कृषक क्लब गाँव में रहने वाले कृषि व अन्य क्रिया कलाप से जुड़े कम से कम 10 व्यक्तियों का संगठन होता है, जिसका नेतृत्व लोकतांत्रिक विधि से सदस्यों द्वारा चुने गए दो पदाधिकारी- मुख्य संयोजक व सह संयोजक द्वारा किया जाता है। बैंक के जान बूझकर चूककर्त्ता को छोड़कर गाँव में रहने वाले सभी व्यक्ति कृषक क्लब के सदस्य बन सकते हैं। क्लब का गठन एक गाँव में या आस - पास के 2-3 गांवों को मिलाकर किया जा सकता है।
कृषक क्लब से लाभ :
कृषक क्लब से माध्यम से कृषक भाइयों/सदस्यों/ग्रामीण को भारत सरकार/नाबार्ड/बैंक द्वारा विकास के लिए चलाई जा रही योजनाओं की नवीनतम जानकारी प्राप्त होती है एवं विशेषज्ञों से विचार-विमर्श हेतु आयोजित बैठकों द्वारा कृषि व अन्य क्रियाकलाप संबंधी नई तकनीक की जानकारी उपलब्ध करायी जाती है तथा विभीन्न योजनाओं में बैंक से आसानी से ऋण प्राप्त किया जा सकता है। ऋण की अदायगी समय पर करने पर प्राप्त होने वाले लाभ की जानकारी किया जा सकता है। कृषक क्लब द्वारा सामाजिक विकास हेतु नि: शुल्क नेत्र शिविर, पशु स्वस्थ्य शिविर व टीकाकरण कैम्प भी आयोजित कराकर लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
कृषक क्लब गठन हेतु क्या करें?
अपने गाँव में कृषक/ग्रामवासियों की बैठक कर कृषक क्लब गठन पर चर्चा करें। तत्पश्चात अपने क्षेत्र की बैंक के शाखा प्रबंधक से संपर्क कर अपने गांव में कृषक क्लब गठन की इच्छा व्यक्त करें एवं गाँव में हुई बैठक की जानकरी दें। शाखा प्रबंधक द्वारा स्वयं अगली बैठक में भाग लेकर क्लब गठन की संपूर्ण कार्यवाही पूर्ण कराई जाती है। क्लब के गठन, रख रखाव व विशेषज्ञों की मीटिंग आदि के लिए नाबार्ड से रूपए 10,000/- प्रति वर्ष तक सहायता भी प्राप्त की जा सकती हैं।
एग्रिक्लिनिक का उद्देश्य कृषकों को मिट्टी की दशा, उगाई जाने वाली फसलें, फसल, संरक्षण, फसल बीमा, कटाई के उपरांत तकनीक, पशुओं के चारे आदि का प्रबंधन, फसलों के उपयुक्त उत्पाद आदि के संबंध में उचित सेवाएँ एवं विशेषज्ञों की सलाह देना है। जिससे फसलों और जानवरों की उत्पादकता बढ़ा सके और किसानों की आय में वृद्धि भी हो सके ।
एग्रीबिजनेस केंद्र ऐसी वाणिज्यिक इकाइयाँ हैं जो शिक्षित कृषि विशेषज्ञों द्वारा चलाई जा रही हैं और इन इकाइयों से खेती की मशीनरी एवं उपकरणों के किराए पर देने, खाद बीज आदि कृषि संबंधी निवेश व खेत, कटाई पश्चात् फसल प्रबंधक व उत्पादों की बिक्री आदि के संबंध में उचित व्यवस्था एवं सलाह दी जाती है।
यह एग्रिक्लिनिक एवं एग्रीबिजनेस केंद्र कृषि विषय से इंटरमीडियट, डिप्लोमा या डिग्री पास किसी भी युवक द्वारा चलाये जा सकते हैं। इसके अंतर्गत चयनित व्यक्ति को नाबार्ड के माध्यम से प्रशिक्षण और कार्यशालाओं में भेजा जाता है और उन्हें रूपए 25 लाख तक का ऋण प्राप्त हो सकता है। ऐसी परियोजनाओं में सामान्य वर्ग को 36 प्रतिशत एवं एस.सी./ एस.टी./महिलाओं को 44 प्रतिशत तक का अनुदान भी नाबार्ड द्वारा दिया जाता है।
जीवन की यात्रा में आने वाले विभिन्न आयामों में अपने एवं अपने परिवार को किसी भी आपातकालीन स्थिति अथवा दुर्घटना के समय विपरीत परिस्थितियों में सहज ढंग से निपटने के लिए बीमा की रकम से न केवल आर्थिक मदद मिलती है, वरन पीड़ित परिवार को मानसिक व सामाजिक रूप से संबल भी प्राप्त होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि वह अपने और अपने परिवार की सदस्यों का जीवन बीमा करवाये। जो व्यक्ति अधिक प्रीमियम वाली बीमा सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते उनके लिए विभिन्न संस्थाओं को निर्देशित किया गया है।
स्टार यूनियम डाअय – इची जीवन बीमा कंपनी लिमिटेड (सुड लाइफ) के साथ बैंक का अनुबंध:
हमारे बैंक द्वारा स्टार युनियन डाअय – इची बीमा कंपनी लिमिटेड के साथ बैंक के अच्छे ग्राहकों के जीवन बीमा हेतु विभिन्न बीमा उत्पादों की बिक्री की लिए भी जीवन बीमा से संबंधित कई योजनाओं के माध्यम से ग्राहकों का बीमा कराया जा रहा है। ग्राहक सुड बीमा पोलिसी अपना कर बीमा का लाभ उठा सकते हैं।
किसान क्रेडिट कार्ड के सभी धारकों का बैंक की ओर से दुर्घटना बीमा कराना अनिवार्य है। बनक द्वारा मात्र पन्द्रह रूपये का प्रीमियम लेकर तीन वर्ष का दुर्घटना बीमा कराया जाता है। बीमा के समय किसान क्रेडिट कार्ड धारक की आयु 70 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्रत्येक किसान क्रेडिट कार्ड की स्वीकृति के समय आवेदक से बिमा के लिए नामिती का नाम ले लिया जाता है।
किसी प्रकार की दुर्घटना, सांप काटने, बिजली गिरने, नदी में डूब जाने आदि से किसान क्रेडिट कार्ड धारक को होने वाली आंशिक क्षति (एक आंख या एक अंग) या पूर्ण क्षति (दोनों आंख या दोनों अंग अथवा मृत्यु) होने पर बीमाधारक/नामिती को क्रमशः रूपये 25000/- व रूपये 50000/- की बीमा दावा राशि का भुगतान बैंक के माध्यम से बीमा कंपनी द्वारा किया जाता है।
किसान क्रेडिट कार्ड धारक की किसी प्रकार की दुर्घटना से क्षति होने पर तुरंत संबंधित पुलिस थाने में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज करायें और बैंक की शाखा में दुर्घटना की सूचना दें। शाखा में निम्न कागजात साथ-साथ प्रेषित करें।
उपरोक्त दस्तावेजों की प्रति शाखा जमा करने की प्राप्ति अवश्य प्राप्त कर लें और इस दस्तावेजों की फोटोप्रति अपने पास अवश्य सुरक्षित रखें।
भारत सरकार द्वारा भारतीय कृषि बीमा कंपनी के माध्यम से रियायती दरों पर सभी ऋण एवं गैर ऋणी कृषकों का फसल बीमा कराये जाने की राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना चलाई जा रही है। इस योजना के महत्वपूर्ण बिन्दु निम्नलिखित हैं –
1) रबी-गेहूं, चना, मटर, मसूर, राई एवं सरसों आलू।
2) खरीफ- अगहनी धान, भदई मकई, मूंग, अरहर, उड़द, मूंगफली।
हमारे देश के अधिकांश गांवों में विद्युतीकरण होने के बावजुद अभी भी विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से नहीं पा रही है। अपेक्षाकृत विद्युत आपूर्ति न होने के कारण घर – घर में उजाला पहूँचाने के उद्देश्य से सौर ऊर्जा अपेक्षाकृत सस्ती और सुविधाजनक प्रकाश प्रणाली है। सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली यह प्रकाश प्रणाली एक तरफ तो बच्चों की पढ़ाई एवं कारोबार के संचालन में सहायक है, वहीं दूसरी तरफ मिट्टी के तेल आदि अन्य कृत्रिम व्यवस्थाओं से स्वास्थय पर पड़ने वाले हानिकारक दुष्प्रभावों से भी बचाती है। इससे घर का वातावरण खुशनूमा रहता है एवं बच्चों की शिक्षा के साथ – साथ कारोबार/आमदनी में वृद्धि भी होती है।
बैंक की योजना :
झारखण्ड ग्रामीण बैंक द्वारा सौर ऊर्जा प्रकाश प्रणाली के माध्यम से ग्रामीणों के जीवन में उजाला लाने के दिशा में टाटा बी.पी. सोलर इंडिया लि. के साथ मिलकर महत्वपूर्ण कार्य किया गया है। बैंक द्वारा भारत सरकार की जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन योजना के अंतर्गत सौर ऊर्जा प्रकाश प्रणाली के लिए लागू की गयी ऋण योजना से संबंधित मुख्य बिन्दु निम्न हैं : -
सौर ऊर्जा प्रकाश प्रणाली लेने के लिए क्या करें।
झारखण्ड ग्रामीण बैंक की निकटतम शाखा या गाँव में कार्यरत झारखण्ड ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र (ग्राहक सेवा प्रदाता) से संपर्क करें।
किसान क्रेडिट कार्ड किसानों को कम ब्याज दर पर आसानी से दी जाने वाली ऋण सुविधा है।
उद्देश्य |
कृषकों को फसल उत्पादन संबंधी आवश्यकताओं एवं कृषि मशीनीकरण ट्रैक्टर, इंजन, थ्रेशर आदि के रख रखाव पर होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए एक अत्यंत सुलभ एवं सरल योजना। |
पात्रता |
कृषि कार्य में रत सभी कृषक। |
ऋण सीमा |
1- विभिन्न मौसमों (रबी, खरीफ, जायद) में उगाई जाने वाली फसलों के उत्पादन पर व्यय। 2- उपभोग संबंधी आवश्यकताओं हेतु। 3- ट्रैक्टर, इंजन व थ्रेशर का रख रखाव पर व्यय। उपरोक्त को जोड़कर कूल ऋण सीमा का निर्धारण किया जायेगा। |
अंशदान |
अलग से कोई अंशदान नहीं। पारिवारिक श्रम आदि को ही अंशदान माना जायेगा। |
ऋण खाते का संचालन |
ऋणी अपने आवश्यकतानुसार क्रेडिट खाते से नकद लेन- देन करने से कम ब्याज व अन्य खर्चे कम से कम पड़ेंगे। |
वैधता |
किसान क्रेडिट कार्ड पांच वर्ष हेतु बनाया जाता है। किन्तु हर वर्ष अदायगी होते रहने पर ही इसे जारी रखा जायेगा। |
ब्याज दर |
किसान क्रेडिट कार्ड में रूपए 3.00 लाख तक 7 प्रतिशत (इससे अधिक पर समय-समय पर निर्धारित ब्याज दर) समय से अदायगी करने पर इसमें 3 प्रतिशत की प्रतिवर्ष ब्याज में और छुट दी जाती है। अर्थात समय से अदायगी करने पर 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की ब्याज दर अन्यथा रूपए 50,000/-तक की ऋण सीमा के लिए 12.00 प्रतिशत, रूपए 50,000/- से ऊपर रूपये 2.00 लाख तक की ऋण सीमा के लिए 12.50 प्रतिशत व उससे उपर की ऋण सीमा के लिए 13.00 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ – साथ दंड ब्याज भी देय होगा। |
प्रतिभूति/जमानत विशेषताएँ |
1- रू. 1,00,000/- तक केवल फसल पर प्रभार। 2- रू 1,00,000/- से अधिक की सीमा पर – (क) फसल पर प्रभार (ख) कृषि भूमि को बंधक किया जाना। |
आवश्यक |
1- फोटो 2- रू. 1,00,000/- तक की ऋण सीमा हेतु Land Possession Certificate के स्थान पर कृषकों द्वारा स्व- घोषणा पत्र बैंक में समर्पित किया जाएगा। उक्त किया जायेगा। क. गाँव के प्रधान/मानकी मुंडा/मुखिया। ख. राजस्व निरीक्षण/राजस्व कर्मी। ग. जनसेवक। घ. लैम्प्स/ पैक्स के सचिव (राजस्व कृषक के लिए)। ङ. ख्याति प्राप्त कारपोरेट फर्म जिसके साथ किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करते हो। च. किसान क्लब (सदस्य कृषक के लिए) छ. बैंक द्वारा मान्य प्रमुख स्वयं सेवी संस्था। 3- रू. 1,00,000/- से अधिक की ऋण सीमा हेतु (अ) कृषि भूमि का भू- स्वामित्व प्रमाण पत्र Land Possession Certificate आदि (ब) पर्याप्त हैसियत के जमानतदार। |
अदायगी
राहत/सबभेन्सन
अतिदेय बकाया राशि पर ब्याज |
के.सी.सी. खाता से की गयी प्रत्येक निकासी 12 माह के पूर्ण होने से पहले वसुली जानी चाहिए। यदि किसान ऋण के राशि बारह (12) माह के अंदर जमा करते हैं, तो:
|
विशेषताएँ |
|
प्रदेश की जनता के लिए भारत सरकार/राज्य सरकार द्वारा चलायी जा रही प्रमुख योजनाएँ निम्न है।
यह योजना झारखण्ड खाड़ी ग्रामोद्योग बोर्ड द्वारा संचालित की जा रही है।
उद्देश्य : ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र में रोजगार में रुचि रखने वाले पुरूष/महिलाओं को स्वावलंबी बनाना/रोजगार का सृजन करना।
पात्रता : 18 वर्ष से ऊपर आयु वाले पुरूष व महिलाएँ।
ऋण सीमा : इस योजना के अंतर्गत सभी पात्र उद्यमियों को सावधि ऋण, कार्यशील पूँजी सम्मिलित करते हुए विनिर्माण क्षेत्र की क्रियाकलाप हेतु परियोजना लागत रू. 25,00,000/- तक एवं सेवा क्षेत्र के क्रियाकलाप हेतु परियोजना लागत रू. 10,00,000/- तक देय होगा।
ब्याज दर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
आवेदन कहाँ करें: जिला उद्योग केंद्र/झारखण्ड खाड़ी ग्रामोद्योग बोर्ड।
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत मिनी डेरी परियोजना को संशोधित रूप में चलाए जाने के निर्देश प्रमुख सचिव दुग्ध विकास विभाग झारखण्ड शासन द्वारा दिये गए। जिसके आधार पर दुधारू पशुओं के वित्त पोषण हेतु बैंक द्वारा चलायी जा रही योजना निम्नवत है:-
उद्देश्य: दुग्ध समितियों के माध्यम से उनके सदस्यों/पशु पालकों/कृषकों को दुग्ध उत्पादन बढ़ाने एवं उन्हें गाँव में व्यवसाय उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
पात्रता : किसान/पशु पालक या दुग्ध सहकारी समिति का सदस्य जो बैंक के सेवा क्षेत्र का निवासी हो।
इकाई लागत: दो, पांच, दस, व बीस दुधारू पशुओं की इकाई हेतु इकाई लागत क्रमश: रू. 95050/-, रू. 247625/-, रू. 495250/-, 990500/- निर्धारित की गयी है।
अनुदान : दो, पांच, दुधारू पशुओं की इकाई हेतु इकाई लागत का 50 प्रतिशत।
ब्याज दर: ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार
(रूपए 50,000/- तक की ऋण सीमा के लिए 12.00 प्रतिशत, रूपए 50,000 से ऊपर रूपए 2.00 लाख तक की ऋण सीमा के लिए 12.50 प्रतिशत, रूपये 2.00 लाख से ऊपर रूपए 5.00 लाख तक की ऋण सीमा के लिए 14.00 प्रतिशत की ब्याज दर।)
अदायगी : 60 मासिक किस्तों में ।
आवेदन कहाँ करें: व्यक्तिगत रूप से या दुग्ध सहकारी समिति के माध्यम से जिला दुग्ध विकास पदाधिकारी के कार्यालय में।
उद्देश्य: ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (एसजीएसवाई) की पुनर्संरचना करते हुए 1 अप्रैल 2013 से मौजूदा एसजीएसवाई योजना के स्थान पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन. आर. एल. .एम्) प्रारंभ किया है।
एन आर एल एम भारत सरकार का गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की मजबूत संस्थाओं के निर्माण के माध्यम से गरीबी कम करने को बढ़ावा देने, और कई वित्तीय सेवाओं और आजीविका सेवाओं का उपयोग कर पाने के लिए इन संस्थाओं को सक्षम बनाने संबंधी प्रमुख कार्यक्रम है। एन आर एल एम एक अत्यंत गहन कार्यक्रम के रूप में बनाया गया है और इसमें गरीबों को कार्यात्मक प्रभावी समुदाय के स्वामित्व वाली संस्थाओं में जुटाने, उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका को मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से मानवी और भौतिक संसाधनों के गहन प्रयोग पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। एन आर एल एम गरीबों की सेवाओं के इन संस्थागत प्लेटफार्मों का पूरक है जिनमें वित्त्तीय और पूँजी सेवाएँ देना, उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने वाली सेवाएँ, प्रौद्योगिकी, ज्ञान, कौशल और इनपुट, बाजार संबद्धता आदि शामिल हैं। स्मूद्य संस्थाएँ गरीबों को अपने अधिकारों और हकों और सार्वजनिक सेवा का उपयोग करने के लिए समभिरूपता और और विभीन हितधारकों को साथ साझेदारी का वातावरण निर्मित करते हुए एक मंच भी प्रदान करती है।
किसी भी स्वयं सहायता समूह को एनआरएलएम के कार्यान्वयन की तारीख से कोई पूँजी सब्सिडी स्वीकृत नहीं की जाएगी।
गहन ब्लॉकों में स्थित स्वयं सहायता समूहों को ग्राम स्तर/कलस्टर स्तर के फेडरेशन के माध्यम से सीआइएफ उपलब्ध कराया जाएगा जिसे फेडरेशन द्वारा निरंतर रूप से बनाए रखा जाना होगा। फेडरेशन उक्त सीआइएफ को स्वयं सहायता समूहों को ऋण प्रदान करने के लिए और/या सामान्य/सामूहिक समाजिक-आर्थिक गतिविधियाँ करने के लिए उपयोग में लायेगा।
महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों/वित्तीय संस्थाओं से लिए जानेवाले सभी क्रेडिट पर प्रति एसएचजी अधिकतम 3,00,000/-रूपए के लिए बैंक की उधार दर और 7% के बीच के अंतर को कवर करने के लिए एनआरएलएम में ब्याज दर सबवेंशन का प्रावधान है। देश भर में यह दो प्रकारों में उपलब्ध होगा।
1) पहचान किए गए 150 जिलों में बैंक सभी महिला स्वयं सहायता समूहों को 3,00,000/- रूपए तक की एकत्रित ऋण राशि तक 7 प्रतिशत की दर पर उधार देंगे। स्वयं सहायता समूहों को शीघ्र भुगतान करने पर 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज सबवेंशन भी प्राप्त होगा जिससे ब्याज की प्रभावी दर घटकर 4 प्रतिशत हो जाएगी।
2) शेष जिलों में भी, एनआरएलएम का पालन करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों को एसआरएलएम के सज्ञथ पंजीकृत किया जायगे। ये स्वयं सहायता समूह 3 लाख रूपये तक के ऋण के लिए उधर संबंधी दरों और 7 प्रतिशत के बीच अंतर की सीमा तक ब्याज सबवेंशन के पात्र हैं, जो संबंधित एसआरएलएम द्वारा निर्धारित मानदंडों की शर्त पर होगा। योजना के इस भाग को एसआरएलएम द्वारा परिचालित किया जाएगा।
बचत खाते खोलना: बैंकों की भूमिका सभी महिला स्वयं सहायता समूहों विगलांग के सदस्यों वाले स्वयं सहायता समूहों और स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन के लिए खाते खोलने के साथ शुरू हो जाएगी। ग्राहकों की पहचान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा समय-समय पर निर्दिष्ट प्रकार से ‘अपने ग्राहक जानिए’ (केवाईसी) मानदंड लागू होंगे
ऋण का लाभ उठाने हेतु स्वयं सहायता समूहों के लिए पात्रता मानदंड
ऋण राशि: एनआरएलएम के तहत कई बार सहायता प्रदान किए जाने पर बल दिया जाता है। इससे आशय है कि एसएचजी को चिरस्थाई आजीविका शुरू करने और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए अधिक मात्रा में ऋण पाने के सक्षम बनाने हेतु बार-बार सहायता प्रदान करते हुए उसकी एक समयावधि तक मदद करना। क्रेडिट की विभिन्न अंशों की राशि निम्नानुसार होने चाहिए:
उक्त ऋण का उपयोग स्वयं सहायता समूहों के भीतर के अलग-अलग सदस्यों द्वारा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने, उच्च लागत वाले ऋणों को स्वैप करने और चिरस्थाई आजीविका शुरू करने अथवा एसएचजी द्वारा शुरू की गई किसी भी व्यवहार्य सामान्य गतिविधि के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है। (कोष में उस एसएचजी द्वारा प्राप्त परिक्रामी निधि, यदि कोई हो, अपने स्वयं की बचत और अन्य संस्थानों/गैर सरकारी संगठनों द्वारा बढ़ावा दिए जाने के मामले में अन्य स्रोतों से प्राप्त राशि शामिल है।
एसएचजी आवश्यकतानुसार या तो मियादी ऋण या सीसीएल ऋण या दोनों का उपयोग कर सकते हैं। आवशयकता पड़ने पर पिछले ऋण बकाया रहने पर भी अतिरिक्त ऋण मंजूर किया जा सकता है। चुकौती कार्यक्रम निम्नप्रकार से हो सकता है:
एसएचजी को 10 लाख रूपए तक की सीमा हेतु ने कोई संपार्श्विक और न कोई मार्जिन लगाया जायेगा। एसएचजी के बचत बैंक खातों के विरूद्ध कोई ग्रहणाधिकार नहीं लगाया जाएगा तथा ऋण मंजूरी के समय जमाराशि के लिए कोई आग्रह न किया जाए।
वह वांछनीय है कि जान- बूझकर चूक करनेवालों को एनआरएलएम के अंतर्गत वित्त नहीं दिया जाना चाहिए। यदि जान-बूझकर चूक करनेवाले किसी समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह के सदस्य हों तो उन्हें परिक्रामी निधि की सहायता से निर्मित कोष सहित समूह की क्रेडिट गतिविधियों तथा मितव्ययिता के लाभ प्राप्त करने की अनुमति हो सकती है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों के लिए सहायता के चरण पर जन-बूझकर चूक करने वालों को बकाया ऋण की चुकौती ने किए जाने तक के आगे और सहायता का लाभ प्राप्त नहीं होना चाहिए। समूह के जान बूझकर चूक करनेवाले को एनआरएलएम योजना के अंतर्गत लाभ प्राप्त नहीं होने चाहिए तथा समूह को ऋण के दस्तावेजीकरण के समय से ऐसे चूक करने वालों को छोड़कर वित्त प्रदान किया जा सकता है।
उद्देश्य : इस योजना का उद्देश्य कृषकों को फसल उत्पादन एवं उपभोग संबंधी सभी प्रकार की आवश्यकताओं को इनकी आवश्यकतानुसार अधिक सूविधाजनक ढंग से पूरा करना है।
पात्रता : (1) इस योजना के अंतर्गत समस्त कृषकों को अल्पकालीन ऋण संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ऋण दिया जा सकता है। (2) ऋणी के पास कृषि भूमि/अभिलेखित पट्टे आदि पर कृषि भूमि होनी चाहिए।
ऋण सीमा का निर्धारण : (1) इस योजना के अंतर्गत ऋण सीमा का निर्धारण कृषक की वर्ष भर की फसल उत्पादन संबंधी सभी आवश्यकताओं तथा ‘फसल उत्पादन संबंधी सहायक’ क्रिया कलापों जैसे मशीनरी, ट्रैक्टर, पंपसेट, उपकरण, विद्युत व्यय आदि के रख रखाव/मरम्मत संबंधी आवश्यकताओं को सम्मिलित करते हुए निर्धारित की जाएगी।
अंशदान : कृषक के पारिवारिक श्रम को अंशदान माना जाएगा इसके अतिरिक्त कोई और अंशदान की आवश्यकता नहीं है । ब्याज 7 प्रतिशत वार्षिक।
ऋण की चुकौती : हरेक निकासी 12 माह के अंदर वसूली जानी है। उत्पाद की बिक्री से प्राप्त राशि का लेन – देन कैश क्रेडिट खाते से किया जाए।
यदि आप ऋण की राशि बारह (12) माह के अंदर जमा करते हैं, तो :
यदि ऋण की राशि बारह (12) माह के अंदर नहीं जमा करते हैं, तो:
उद्देश्य: कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु किसानों की सिंचाई की बेहतर सुविधा प्रदान करने हेतु योजना। पंप सेट, बिजली चालित पंप सेट, बोरिंग पंपसेट कूआँ, सिप्रिन्कलर सिस्टम, सबमर्सिबल पम्पसेट आदि हेतु।
पात्रता : व्यक्तिगत किसान या किसानों के समूह जिनकी जोत सीमा एक एकड़ या उससे अधिक है।
इकाई लागत : नाबार्ड द्वारा निर्धारित योजना लागत।
मार्जिन (लाभार्थी का योगदान): परियोजना लागत का कम से कम 15-25 प्रतिशत मार्जिन।
ब्याजदर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
अदायगी : सात से नौ वर्ष (फसल पर आधारित छमाही किश्तों में)।
उद्देश्य : योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में वैज्ञानिक भंडारण की क्षमता का सृजन, कृषि उत्पाद, प्रशोधित कृषि उत्पादन उपभोक्ता वस्तु एवं कृषि निवेश हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों की भण्डारण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संबंध सुविधाओं सहित वैज्ञानिक भण्डारण क्षमता का सृजन करना।
योजना के मुख्य लक्षण :
पात्रता : व्यक्तिगत कृषकों के समूह, प्रोपरायटरशिप/भागीदार फर्म, एनजीओ, स्वयं सहायता समूह, निगम कम्पनियां, सहकारी संस्थाएँ, एग्रो प्रोसेसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटिज, कृषि उत्पादन विपणन समितियाँ, विपणन परिषदें एवं एग्रो प्रोसेसिंग निगमों कृषि प्रंसस्करण बोर्ड आदि।
अनुदान : इस योजना के अंतर्गत परियोजना लागत का 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक भारत सरकार द्वारा अनुदान (अधिकतम 2.25 करोड़) के रूप में दिया जायेगा।
मार्जिन : परियोजनालागत का न्यूनतम 25 प्रतिशत। अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों के लिए 20 प्रतिशत।
ऋण राशि: कूल परियोजना लागत में मार्जिन रसिक घटाकर शेष राशि ऋण के रूप में स्वीकृत की जाएगी।
ब्याज दर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
ऋण की अदायगी: सावधि ऋण की अदायगी 10-12 वार्षिक किश्तों में की जाएगी। प्रथम किश्त परियोजना पूर्ण होने के 6-12 माह पश्चात या ऋण वितरण के अधिकतम दो वर्ष बाद डे होगी।
उद्देश्य : लाभार्थी की आय के अनुसार नकद साख सीमा हेतु क्रेडिट कार्ड।
पात्रता : कृषक, स्वरोजगारी, व्यवसायी आदि।
ऋण की मात्रा : रू 25000/- ।
ब्याज दर : ब्याज कर प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के अनुसार।
मार्जिन मनी: शुन्य।
अदायगी : क्रेडिट कार्ड से निकाली गयी धनराशि सामान्यता छह में वापस की जानी चाहिए।
पात्रता : वेतन भोगी व्यक्ति जिनका वेतन वितरण हमारे बैंक की शाखाओं द्वारा किया जाता है अथवा जो स्थायी रूप से बैंक के परिचालन क्षेत्र में रहते हैं।
अंशदान/मार्जिन : न्यूनतम 20 प्रतिशत।
वित्त पोषण की मात्रा : भूखंड क्रय एवं नवीन भवन निर्माण, निर्मित आवास क्रय हेतु अधिकतम सीमा रू. 100 लाख (प्राथमिकता क्षेत्र हेतु रू. 25 लाख) एवं आवास के मरम्मत हेतु अधिकतम रू. 10,00,000/- प्राथमिकता क्षेत्र हेतु रू. 200,000/-) एवं साज सज्जा हेतु अधिकतम रू. 500,000/- )
ऋण चुकौती आवधि : अधिकतम 30 वर्ष।
ब्याज दर एवं अदायगी :
आवास ऋण |
ऋण सीमा रू. 50 लाख |
ऋण सीमा रू. 50 लाख |
ब्याज की अदायगी |
ब्याज दर वार्षिक |
ब्याज दर वार्षिक |
||
दस वर्ष तक में अदायगी |
10.50 प्रतिशत |
10.75 प्रतिशत |
मासिक |
दस वर्ष से अधिक व तीस वर्ष तक में अदायगी |
10.75 प्रतिशत |
11.00 प्रतिशत |
मासिक |
बैंक में लागू की ब्याज दरें अस्थिर/परिवर्तनशील दरें हैं। बैंक द्वारा ऋण के ब्याज दरों में कभी भी परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है। परिवर्तित ऋण की ब्याज दरें परिवर्तन की तिथि से ही ऋण खातों में लागू हो जाती हैं।
उद्देश्य: छोटे कारीगरों, खुदरा व्यापारी, हथकरघा बुनकरों, सेवा क्षेत्र, मछुआरों, स्वनियोजित व्यक्तियों, रिक्शा मालिकों, अन्य छोटे उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों इत्यादि को बैंकिंग प्रणाली से आसान एवं किफायती रूप में समय पर ऋण अर्थात कार्यशील पूँजी या थोकपूँजी या दोनों प्रदान करना है। मछली पालन, डेयरी इत्यादि जैसी कृषि क्षेत्र की गतिविधियाँ भी इस योजना के तहत कवर की जा सकती हैं।
वित्तीय सहायता की प्रकृति : इस योजना के अंतर्गत प्रदान की गई ऋण सहायता की प्रकृति सम्मिश्रित ऋण।
वित्तीय सहायता की मात्रा : कंमोजीट लोन के रूप में उधारकर्त्ता रू. 50000/- तक।
उद्देश्य : इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को उनके मकान के निर्माण/ मरम्मत/नवीनीकरण हेतु वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है।
पात्रता : कृषि/व्यापर – सेवा आदि में कार्यरत व्यक्ति इस योजना के अंतर्गत ऋण पाने के पात्र हैं।
ऋण राशि सीमा: आवेदक की शुद्ध वार्षिक आय के चार गुना तक या निम्न सीमा जो भी कम हो।
भवन निर्माण/अतिरिक्त निर्माण – अधिकतम रू. 50000/-
अंशदान : योजना लागत कम से कम 25 प्रतिशत।
ब्याज दर : 12.50 वार्षिक।
भुगतान आवधि : 5 से 7 वर्ष में ऋण अदायगी ऋणी के व्यवसाय के आधार पर समेकित मासिक/त्रैमासिक/अर्द्ध वार्षिक किश्तों में।
उद्देश्य : कृषकों को अपनी उपज का अल्पकालिक भण्डारण कर, लाभप्रद मूल्य पर बेचने का अवसर प्रदान करना।
पात्रता : कृषक अथवा कृषकों का समूह जो बागवानी सहित अन्य मौसमी कृषि कार्य कर रहे हैं एवं जिन्होंने अपनी बैंक से फसली ऋण लिया है।
ऋण की मात्रा : रेहन हेतु उपलब्ध कूल उपज के मूल्य के 70 प्रतिशत से अनाधिक (अधिकतम रू. दस लाख प्रति कृषक)।
ऋण की अदायगी : उपलब्ध कराये गए ऋण की अदायगी अवधि फसल की प्रकृति, बाजार की स्थितियां, फसल कर भंडारण योग्यता तथा स्थानीय प्रचलन के आधार पर 9 से 12 माह के अंदर निर्धारित की जाएगी।
मार्जिन : 30 प्रतिशत।
ब्याज दर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
उद्देश्य : 1. जैव कृषि को बढ़ावा देने हेतु जैव निविष्ट वस्तुओं, जैसे – वर्मी कम्पोस्ट की आपूर्ति करना। कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ साथ भूमि को स्वस्थ एवं आस पास के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखना। रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करना।
पात्रता : व्यक्तिगत कृषकों/उत्पादकों के समूह, समितियों, एनजीओ, स्वयं सहायता समूह आदि।
वित्तीय सहायता का तरीका : स्वयं की लागत – 25 प्रतिशत। भारत सरकार की ओर से बैंक इंड सब्सिडी पात्रता के अनुसार एवं अधिकतम रू. 1.5 लाख।
ब्याज दर : ब्याज कर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
पूर्ण भुगतान आवधि : सामान्यता: आठ वर्षो तक, एक वर्ष की कृपावधि सहित।
वित्तमान : नाबार्ड द्वारा अनुमान्य परियोजना लागत के अनुसार।
भुगतान प्रक्रिया : किश्तों में छमाही आधार पर 9 वर्षों में (स्थगन अवधि को सम्मिलित करते हुए)।
पात्रता : लाभार्थी को परिवहन क्षेत्र का अनुभव हो।
स्वयं का अंशदान : परियोजना लागत का 25 प्रतिशत।
ऋण की राशि : परियोजना लागत का 75 प्रतिशत।
ब्याज दर : ब्याजदर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण अनुसार।
अदायगी की अवधि: सावधि ऋण, 5 से 7 वर्षो के अंदर मासिक समेकित किश्तों में अदायगी।
उद्देश्य : व्यक्तिगत मछूआरों के समूह को कार्यशील पूँजी के लिए। स्केल ऑफ फाइनेन्स के अनुसार मछुआरों के लिए नकद साख सीमा मंजूर की जाएगी।
ऋण राशि : नाबार्ड द्वारा अनुमान्य परियोजना लागत के अनुसार।
मार्जिन : कोई नहीं।
ब्याज दर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
ऋण की अदायगी : ऋण अदायगी नौ वर्षों में (स्थगन अवधि एक वर्ष)
उद्देश्य : छोटी और सीमांत जोतों को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने, परती और बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना इत्यादि कार्यों हेतु वित्तपोषण देना।
पात्रता : लघु एवं सीमांत कृषक, बटाईदार कृषक आदि।
मार्जिन:
1. रू. 50000/- तक के ऋण पर कोई मार्जिन मनी राशि नहीं ली जाएगी।
2. रू. 50000/- से अधिक के ऋण के संबंध में न्यूनतम 10 प्रतिशत राशि उधारकर्त्ता द्वारा जुटाई जाएगी।
ब्याज दर : ब्याज दर प्रथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
ऋण राशि : नाबार्ड द्वारा अनुमान्य परियोजना लागत के अनुसार।
पुनर्भूगतान आवधि : 7 से 12 वर्ष जिसमें अधिकतम 24 माह का चुकौती आवकाश शामिल है। अर्द्ध वार्षिक/ वार्षिक किश्तों में।
उद्देश्य : मेधावी छात्रों हेतु उच्च शिक्षा हेतु धन की आवश्यकता उपलब्ध कराना।
छात्र की पात्रता : भारत का नागरिक होना चाहिए। वे विद्यार्थी जिनका शैक्षिक रिकार्ड उत्तम हो, एवं जिनका चयन योग्यता आधारित व्यय हेतु ऋण, प्रक्रिया/परीक्षा के माध्यम में हुआ हो।
ऋण हेतु विचार योग्य व्यय : कॉलेज/स्कूल/हॉस्टल को देय शुल्क, लाजिंग/बोर्डिंग की व्यवस्था पर व्यय हेतु ऋण, परीक्षा/पुस्तकालय/लेब्रोरेटरी शुल्क, पुस्तकों/उपकरणों/यंत्रों/स्कूल की वर्दी क्रय पर व्यय।
वित्त पोषण की सीमा : अधिकतम ऋण रू. 10 लाख (विदेश में शिक्षा हेतु रू. 20 लाख)।
अंशदान : रू. 4.00 लाख तक कोई नहीं। रू. 4.00 लाख से ऊपर 05 प्रतिशत (विदेश में शिक्षा हेतु न्यूनतम 15 प्रतिशत)
ब्याज दर : रू 4.00 लाख तक 12.50 प्रतिशत, रू. 4.00 लाख से अधिक रू. 7.50 लाख तक 13.00 प्रतिशत एवं रू. 7.50 लाख से अधिक 13.50 प्रतिशत।
अदायगी : पुनर्भूगतान शुरू होने के बाद रू. 7.50 लाख तक के ऋणों के लिए अधिकतम 10 वर्ष तथा रू. 7.50 लाख से अधिक ऋणों के लिए अधिकतम 15 वर्षों के अंदर ऋण की अदायगी की जानी है।
उद्देश्य : देश के प्रमुख संस्थानों में पढ़ने वाले मेधावी छात्रों को शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने के लिए एक अलग ऋण योजना तैयार की गयी है। यथा आईआईएम, आईआईटी, एनआईटी, एवं समकक्ष प्रमुख संस्थान।
छात्र की पात्रता : भारतीय नागरिक – प्रवेश परीक्षा के माध्यम से चयनित।
ऋण हेतु विचार योग्य व्यय : कॉलेज/स्कूल/छात्रावास के देय शुल्क, परीक्षा/लाइब्रेरी फ़ीस, पुस्तकों/उपकरणों की खरीद, यात्रा व्यय एवं विनिमय कार्यक्रम व्यय, कंप्यूटर/ लैपटाप की खरीद, जमानती जमा/भवन विकास/निधि/वापस जमा इंस्टीट्यूशन बिल/प्राप्तियों द्वारा समर्थित, किसी भी अन्य खर्चों शिक्षा से संबंधित।
वित्त पोषण की सीमा : भारत में अध्ययन के लिए अधिकतम ऋण की सीमा रू. 20.00 लाख।
अंशदान : शून्य
ब्याज दर : पी एल आर से 2.75 प्रतिशत नीचे (वर्तमान में 10.75 प्रतिशत) मासिक अन्तराल पर (छात्राओं को ब्याज की दर में 0.50 प्रतिशत रियायत उपलब्ध है) अध्ययन/अस्थिगन अवधि के दौरान ब्याज की दर में रियायत उपलब्ध नहीं है।
अधिस्थगन अवधि : पाठ्यक्रम की अवधि से छह महीने अधिक
अदायगी : चुकौती के प्रारंभ होने के बाद भुगतान की अवधि
उद्देश्य : इस योजना का उद्देश्य व्यकतिगत ऋण और वाहन ऋण के लिए चिकित्सा समुदाय की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करना है तथा बेहतर सुविधाओं के साथ बैंक के डॉक्टर ग्राहकों को परेशानी मुक्त ऋण प्रदान करना है।
पात्रता : एमसीआई/ टीसीआई/ अन्य विनियामक/ संवैधानिक/ अधिकारीयों द्वारा मान्यता प्राप्त चिकित्सा विज्ञान की किसी भी शाखा में पात्रता एवं योग्य पंजीकृत चिकित्सा के साथ कम से कम तीन वर्ष का अनुभव। व्यक्तिगत/संयुक्त /प्रॉपराईटरशिप
वित्त पोषण की सीमा :
अंशदान : व्यक्तिगत ऋण हेतु – शुन्य
वहन ऋण हेतु – रू. 10.00 लाख तक के लिए ऋण – शून्य तथा – रू. 10.00 लाख से अधिक के लिए ऋण शोरूम कीमत पर – 10 प्रतिश,
ब्याज दर :
व्यक्तिगत ऋण हेतु – 13.75 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से मासिक अन्तराल के साथ
वाहन ऋतू हेतु – 11.75 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से मासिक अन्तराल के साथ और बैंक के द्वारा समय-समय पर दी गई सलाह के अनुसार।
सुविधा का प्रकार : व्यक्तिगत ऋण हेतु- मांग/समावाधि ऋण/ओवरड्राफ्ट, वाहन ऋण हेतु- मांग/समावाधि ऋण
अदायगी : 84 माह (पहला चुकौती संवितरण के अगले महीने से शुरू होगा)
उद्देश्य : के वी आई सी/के वी आई बी/ डी आई सी का उद्देश्य छोटे – छोटे उद्योगों तथा कम से पूँजी निवेश के उद्योगों को स्थापित का अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना तथा शहरी एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना हैं।
पात्रता : व्यक्तिगत उद्यमियों, शिक्षित नवयुवकों, महिलाओं, अनु. जाति व जनजाति के सदस्यों एवं परम्परागत कारीगरों हेतु।
योजना के प्रकार : राज्य सरकारी ब्याज उपादान योजना, मार्जिन मनी ग्रोमोद्योग रोगजार योजना।
स्वयं का योगदान : समान्य वर्ग के लिए कम से कम 10 प्रतिशत कमजोर वर्ग/ महिलाओं के लिए 5 प्रतिशत
मार्जिन मनी : 15 प्रतिशत से 35 प्रतिशत।
ब्याज दर : ब्याज कर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
ऋण सीमा : रू. 25 लाख।
अदायगी : पांच से सात वर्षों में।
उद्देश्य : बेरोजगार युवकों को योजना का माध्यम से रोजगार उपलब्ध कराना, कृषकों को अतिरिक्त आय सृजन हेतु विकल्प उपलब्ध कराना, शहद का उत्पादन बढ़ाना।
पात्रता : कृषक, कृषक मजदूर, बेरोजगार व्यक्ति, स्वयं सहायता समूह, फर्म अथवा समिति जिन्हें परियोजना संचालन हेतु वंछित प्रशिक्षण/अनुभव प्राप्त है।
ऋण राशि : नाबार्ड द्वारा अनुमान्य परियोजना लागत के अनुसार।
वित्त की मात्रा : इकाई के साइज (बाक्सेज की संख्या) के अनुसार।
अदायगी : छ: अर्द्धवार्षिक किश्तों में जो माह जूलाई एवं अप्रैल में देय होगी। 11 (माह की चुकौती अवकाश के साथ 5 वर्ष की अदायगी आवधि)
ब्याज दर : ब्याज कर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
मार्जिन : रू. 50000/- तक शुन्य एवं रू. 50000/- से ऊपर 15 प्रतिशत से 25 प्रतिशत।
उद्देश्य : कृषकों को कृषि संबंधी कार्यों एवं नवीनतम कृषि तकनीक के प्रयोग में गतिशीलता लाने, यात्राओं में मितव्ययिता, कृषि इनपुट्स की सी से व्यवस्था करने तथा कृषि उत्पादन की उपयुक्त समय पर बिक्री के लिए बाजार तक की पहुँच आदि प्रयोजनों हेतु।
पात्रता : ऐसे समस्त कृषक जो शाखा के सेवा क्षेत्र/कार्यक्षेत्र के स्थायी निवासी हैं तथा कम से कम 2.50 एकड़ बारहमासी सिंचित कृषि भूमि के स्वामी हैं।
ऋण सीमा : शुद्ध वार्षिक कृषि आय का 100 प्रतिशत अथवा अधिकतम रू. 40000/- वार्षिक।
अंशदान : परियोजना लागत का न्यूनतम 25 प्रतिशत।
ब्याज दर : ब्याज दर प्राथमिकता क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
अदायगी : ऋण की अदायगी 5 वर्षों में अर्द्धवार्षिक समेकित किश्तों में ।
उद्देश्य : (क) चार पहिया वाहन (कार, वैन, जीप) के विभिन्न मौड्यूल की नई/ सेकेंड हैण्ड वाहन जो कि तीन वर्ष से अधिक पुराना न हो को क्रय करने की उपभोक्ताओं की मांग की पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना।
(ख) नवीन दो पहिया वाहन (मोटर साइकिल, स्कूटर, मोपेड आदि) क्रय हेतु ऋण। (पुराना दो पहिया वाहन नहीं)
पात्रता : (क) वेतन भोगी कर्मचारी (ख) प्रोफेशनल जैसे – चिकित्सा/अधिवक्ता, अच्छी हैसियत के व्यक्ति एवं किसान ( (ग) व्यवसायी, स्वरोजगारी, पार्टनरशिप फर्म, कंपनी, कॉरपोरेट इकाई (घ) स्टाफ अधिकारी/कर्मचारी (अधीनस्थ संवर्ग शाखा संदेशवाहक/ड्राइवर को छोड़कर (ड़) पेंशनर्स, (जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे कम है) (आयु के संबंध में सेवा नियोजक द्वारा जारी प्रमाण पत्र/पेंशन विवरण जिसमें जन्मतिथि/ आयु का उल्लेख हो प्राप्त करें।
ऋण सीमा : (क) वेतन कर्मचारी (बैंक स्टाफ सहित) सकल मासिक वेतन का 24 गुना अथवा वाहन की कीमत का 85 प्रतिशत ऋण राशि के रूप में स्वीकृत की जाएगी। (ख) किसान : किसानों की ऋण राशि का निर्धारण किसानों की कृषि योग्य भूमि, जो न्यूनतम 7.5 एकड़ हो एवं फसल चक्र के अनुसार उनकी आय एवं भुगतान क्षमता के आधार पर किया जायेगा, जैसे : कृषि ऋण हेतु किया जाता है। (ग) अन्य (उपयुक्त क, ख, को छोड़कर): कूल वार्षिक औसत आय का 2 गुना (पिछले तीन वर्षों के आयकर विवरणी के अनुसार) अथवा वाहन की कीमत का 75 प्रतिशत ऋण राशि के रूप में स्वीकृत की जाएगी।
अंशदान : व्यक्तिगत- परियोजना लागत (वाहन का मूल्य + रजिस्ट्रेशन + बीमा) का 15 प्रतिशत।
फर्म/कंपनी –परियोजना लागत (वाहन का मूल्य +रजिस्ट्रेशन + बीमा) का 25 प्रतिशत।
ब्याज दर:
अदायगी : अधिकतम पांच वर्षो में (60 समान मासिक किस्तों में) जो की ऋण वितरण के अगले माह से प्रारंभ होगी।
उद्देश्य : कृषकों द्वारा समय से सुगमतापूर्वक कृषि कार्य सम्पन्न करने, मानव श्रम की समस्या से निपटने, कृषि इनपुट एवं उत्पाद विपणन की त्वरित व्यवस्था हेतु योजनांतर्गत ट्रैक्टर एवं ट्रैक्टर चालित कृषि उपकरण, ट्राली आदि क्रय हेतु वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराना।
पात्रता : ऐसे कृषक जिनके पास एकल अथवा संयुक्त रूप से न्यूनतम पांच एकड़ बारहमासी सिंचित कृषि योग्य भूमि उपलब्ध है।
अंशदान : परियोजना लागत का न्यूनतम 15 से 25 प्रतिशत।
ऋण सीमा : परियोजना क्षेत्र के ऋण के अनुसार।
अदायगी : ऋण की अदायगी अधिकतम 9 वर्षों में /18 अर्द्धवार्षिक किश्तों में।
बैंक का प्रयास रहता है कि ग्राहकों को निष्ठा व ईमानदारी के साथ त्वरित सेवाएँ उपलब्ध करायें एवं ग्राहकों की अपेक्षाओं के अनुरूप कार्य कर सकें। बेहतर सुविधाएँ/ सेवाएँ देने के लिए आप के सुझावों का हमेशा स्वागत है।
हमारी सेवाओं में किसी प्रकार की कठिनाई/ असुविधा होने की स्थिति में आप सीधे संबंधित शाखा प्रबंधक से संपर्क करें। आपकी समस्या का हल शाखा प्रबंधक स्तर पर न हो पाने की स्थिति में संबंधित क्षेत्रीय प्रबंधक व बैंक महाप्रबंधक/ अध्यक्ष महोदय से शिकायत कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त शिकायत निवारण के लिए रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग लोकपाल योजना भी प्रारंभ की गई है जो निम्नानुसार है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्राहकों की शिकायत के निवारण के एक प्रभावी साधन के जे रूप में बैंकिंग लोकपाल योजन आरंभ की है। इस योजना ने 14.06.1995 से कार्य करना शुरू कर दिया है, जो ग्राहकों के हितों की रक्षा करने और उनकी शिकायतों का निवारण करने में भारतीय बैंकिंग उद्योग में एक एतिहासिक घटना है। रिजर्व बैंक ने दिनांक 14.06.2002 से बैंकिंग लोकपाल योजना – 2002 को आरंभ करके बैंकिंग लोकपाल के प्राधिकार और कार्य की सीमा आयर विषय क्षेत्र को व्यापक किया है। हमारा प्रयास आपकी अपेक्षाओं को पूरा करना है। हम अपनी सेवाओं में सुधार लाने का भरसक प्रयास करते हैं।
यदि आपको हमारी सेवाओं में किसी भी प्रकार की कठिनाई हो तो कृपया शाखा प्रबंधक से तत्काल संपर्क करें। यदि मौखिक शिकायत से आपकी समस्या हल न हो तो आप शाखा प्रबंधक से लिखित रूप में तत्काल शिकायत कर सकते हैं। शिकायत प्रस्तुत करने की प्राप्ति अवश्य ले लें।
यदि आपको हमारा जवाब एक महीने के भीतर न मिले या आप हमारे जवाब एक महीने के भीतर न मिले या आप हमारे जवाब से संतुष्ट न हो तो आप अपनी शिकायत संबंधित विवरण सहित निम्नलिखित पते पर भेज सकते हैं।
बैंकिंग लोकपाल
भारतीय रिजर्व बैंक
साऊथ गाँधी मैदान, पटना 800001
बैंक का खाता करें कमाल,
इससे होंगे सभी खुशहाल
1. वित्तीय समावेशन क्या है?
माज के वंचित, असहाय और कमजोर वर्ग को कम लागत एवं सही समय पर पर्याप्त मात्रा में ऋण और वित्तीय से सेवाएँ उपलब्ध करने की प्रक्रिया वित्तीय समावेशन कहलाती है।
2. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम क्यों?
वित्तीय समावेशन का उद्देश्य निर्धनों के संस्थागत वित्तीय सेवाओं के दायरे में लाकर उन्हें गरीबी अभिशाप से मुक्त कराना से है।
3. बैंक जुड़ने के क्या फायदे हैं?
बैंक से जुड़कर : 1. बचत, 2. ऋण, 3. बीमा, 4. धन प्रेषण व 5. वित्तीय सलाह की सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं तथा साहूकार के शिंकजे से निकल सकते हैं।
4. क्या गरीब भी बैंकों में बिना पैसे खाता खोल सकते हैं?
हाँ, गरीब बैंक में बिना पैसों के नो फिल खाता खोल सकते हैं।
5. बचत के लिए पैसा कहाँ हैं? गरीब बचत कैसे करें?
नियमित बचत, पेंशन खाता, बुढ़ापे का सुरक्षा छाता
सभी ग्रामीण भाइयों एवं बहनों (उम्र 18 वर्ष अधिक) से निवेदन है कि बैंक से बचत खाता खुलवाने के लिए वोटर पहचान पत्र का फोटो कॉपी एवं दो स्वयं फोटो आवश्य लाएं।
6. अपनी आकस्मिक व व्यवसायिक जरूरत के लिए पैसे कहाँ से लेना चाहिए?
जिस व्यक्ति के पास अपना स्वयं का रोजगार जैसे कुम्हार, बढाई, दूकानदार, दर्जी, आदि व स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड के माध्यम से बैंकों का ऋण ले सकते हैं। गरीब मजदूरी करके अपना पेट पालते हैं और उसके पास न तो जमीन है न अपना रोजगार सामान्य क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ऋण ले सकते हैं।
7. स्वयं सहायता समूह क्या है?
स्वयं सहायता समूह 15 से 20 समान पृष्ठभूमि वाले निर्धन ग्रामीण सदस्यों एक एक समूह है, जो संगठित होकर नियमित रूप से अपनी क्षमतानुसार एक निर्धारित राशि (जैसे रूपया 30/50/100 मासिक) समूह निधि से बचत करते हैं। जमा राशि को सदस्य, आपस में बैठकर, अपने आकस्मिक व व्यावसायिक कार्य के लिए लेन-देन करते हैं।
8. स्वयं सहायता समूह अंक लिंकेज कार्यक्रम क्या है?
स्वयं सहायता समूह, बैंक में समूह के नाम से खाता खोल सकते हैं तथा ऋण ले सकते हैं। बैंक के ऋण समूह निधि बढ़ती है जिससे समूह के सदस्य छोटे-छोटे व्यवसाय जैसे बकरी पालन,चाय दूकान इत्यादि से अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं।
9. किसान क्रेडिट क्या है?
किसान क्रेडिट कार्ड का प्रमुख उद्देश्य किसानों को सरल प्रक्रिया द्वारा समय पर उपयुक्त मात्रा में धन उपलब्ध कराना है जिससे किसानों की सभी कृषि सम्बंधी बीज, खाद, दवाई, सिंचाई उपकरण आदि आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। इसके अंतर्गत बैंक आपकी क्षमतानुसार ऋण की सीमा तय करता है। आपको सीमा के अंतर्गत कभी भी पैसा जमा या निकाल सकते हैं।
10. सामान्य क्रेडिट कार्ड क्या है?
इस सामान्य क्रेडिट कार्ड का मुख्य उद्देश्य उन गरीब मजदूरों को ऋण उपलब्ध कराना है जिनके पास न खेती की जमीन है और न अपना रोजगार। इसके अंतर्गत बैंक आपकी क्षमतानुसार ऋण की सीमा तय करता है। आपको सीमा के अंतर्गत कभी भी पैसा जमा या निकाल ले सकते हैं।
11. स्वरोजगार क्रेडिट कार्ड क्या है?
इस कार्ड का प्रमुख उद्देश्य उन गरीबों को ऋण उपलब्ध कराना है जिसके पास पाना रोजगार है। इसके अंतर्गत बैंक आपकी क्षमतानुसार ऋण की सीमा तय करता है। आप उस सीमा के अंतर्गत अपने रोजगार की जरूरत के अनुसार पैसा अदायगी पैसा जमा या निकाल सकते हैं।
12. संयुक्त देयता समूह क्या है?
यह गरीब एवं बिना जमीन के किसानों अथवा गरीब स्वरोजगारी ग्रामीणों का ऐसा समूह है जिसके माध्यम से बैंक से ऋण लिया जा सकता है। इसमें ऋण अदायगी की जिम्मेदारी पूरे समूह की होती है।
13. धन प्रेषण की सरल एवं सहज प्रक्रिया कौन सी है?
बैंक के माध्यम से पूरे देश में कहीं भी तथा कभी भी कम समय से धन प्रेषण किया जा सकता है।
14. बीमा करवाने के क्या फायदे हैं?
बीमा कराने से आपको एवं परिवार की किसी भी आपातकालीन अथवा दुर्घटना के समय बीमे की रकम से मदद मिलती है। सरकार द्वारा गरीबों के लिए खास काम अधिमूल्य (प्रीमियम) पर बीमा सुविधा विभीन्न संस्थाओं द्वारा उपलब्ध है। बैंक द्वारा बीमा कराने की सुविधा ऋण लेने के समय प्रदान की जाती है।
15. बैंक तो गाँव से बहुत दूर है, बैंक की सुविधा पाने के लिए दिन भर की दिहाड़ी लग जाती है।
बैंक से जुड़ स्वास्थय बीमा बनवाया. बीमारी में भईया, बहुत काम आया वित्तीय समावेश के अंतर्गत मार्च 2016 तक सभी गांवों में बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश है। यह सुविधा मोबाइल बैंक शाखा या विजनेस कॉरपोरेट, स्मार्ट कार्ड द्वारा उपब्ध कराई जा रही है।
16. बिजनेस कॉरपोरेट किसको कहते हैं? ये हमारी मदद कैसे कर सकते हैं?
बिजनेस कॉरपोरेट बैंक के द्वारा नियुक्त किये गए बैंक की प्रतिनिधि होते हैं जो बैंक की सारी सुविधाएँ ग्राहकों को उनके गाँव में उपलब्ध कराते हैं। जमा की कई राशि की जिम्मेदारी बैंक की होती हैं।
17. क्या सच में अब गरीब भी बैंकों से आसानी से जुड़ सकता है?
हाँ, वित्तीय समावेशन का यही उद्देश्यक है इसलिए : साहूकार से नाता तोड़ों, छोटी-छोटी बचत करो, चतुराई से निवेश करो, बैंक से जुड़कर बचत, ऋण, बीमा व आसान भुगतान व पेंशन की सुविधा लो तथा अपने जीवन स्तर में सुधार लाओ।
गुरू की सीख- करो चतुराई से निवेश गुरू ने दिया तीनों शिष्यों कप एक बोरी धान। आने पर देखूँगा की तुम लोगों ने इसका क्या किया? पहले ने पकाया खाया। खाने में ही सारा धान खत्म। दुसरे ने सिरहाने से सहेज कर रखा। पड़े – पड़े सारा धान खाराब हो गया। तीसरे ने बोया, खेती की फसल लहराई, पैदावार अच्छी हुई, खुशहाली आई। पहले और दुसरे शिष्यों के हाथ खाली थे। पर तीसरे का साथ धान की बोरियों का अंबार। गुरू की सीखस सारा धान खाने पीने में ही खर्च कर दोगे, तो आगे का क्या होगा? धन उपयोग न करने से भी नष्ट होता है। चतुराई से निवेश करो धन से धन कमाओ।
|
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक
झारखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय
आदिवासी छात्रावास के सामने, करमटोली रोड, राँची- 834001
दूरभाषा: 0651- 236202/2361203, फैक्स – 0651- 2361108,
ई- मेल : ranchi@nabard.org
नाबार्ड के माध्यम से भारत सरकार की अनुदान वाली योजनायें 13-14 |
महत्वपूर्ण पहलुएं :-
1.प्रत्येक योजना के चालू रखने का अनुमोदन रखने का अनुमोदन भारत सरकार द्वारा हरेक वर्ष दिया जाता है। अत: किसी भी अनुदान संबंधी कार्रवाई के लिए कोई भी आवेदन प्राप्त नहीं की जायेगी, जब तक कि खास योजना को जारी रखने एवं अनुदान के इए आवेदन प्राप्त करने के अनुदेश नहीं मिल जाते।
2. वैसे मामलों में, जहाँ अनुदान संबंधी कार्रवाई की लिए आवेदन प्राप्त हो गये हों, अनुदान तभी निर्गत की जाएगी जब भारत सरकार द्वारा देय संबंधित फंड उपब्ध हो।
3. प्रत्येक योजना की प्रमुख, जैसा कि इस पुस्तिका में दिया गया है, भारत सरकार के वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार हैं और ये समय-समय पर भारत सरकार से प्राप्त होने वाले निर्देशों के आधार पर बदल भी सकते हैं।
4. बैंकों की सभी शाखाओं द्वारा अनिवार्य रूप से अपने नियंत्रक कार्यलयों के माध्यम से ही अनुदान के लिए दावों के आवेदन नाबार्ड को भेजने तथा सभी संबंधित पत्राचार करने होगें। शाखाओं से सीधे प्राप्त आवेदनों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
5. इस पुस्तिका में दर्शायी गई सूचनाएँ/मानदंड झारखण्ड राज्य के लिए लागू हैं।
6. योजनाओं के संबंध में अधिक विवरण के लिए नाबार्ड के वेबसाइट यानि www.nabard.org
देखा जा सकता है या झारखण्ड क्षेत्रीय कार्यालय, राँची अथवा बोकारो, चतरा, देवघर, धनबाद, दुमका, जमशेदपुर, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, लोहरदगा, पलामू, रामगढ़, साहेबगंज, सिमडेगा या चाईबासा के जिला विकास कार्यालयों से संपर्क किया जा सकता है।
क्र |
योजना के नाम |
कौन पात्र है |
उपेक्षित मानदंड |
||||
|
|
|
भौतिक |
कूल वित्तीय लागत |
बैंक ऋण |
अनुदान |
अनुदान |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
1 |
ग्रामीण गोदाम |
व्यक्ति, किसान, किसानों/उत्पादकों के समूह, साझेदारी/मालिकाना, फर्म, गैर सरकारी संस्थाएँ, स्वयं सहायता समूह, कंपनी, निगम, सहकारी संस्थाएँ, स्थानीय निकाय-नगर निगम को छोड़कर, परिसंघ, कृषि उपज विपणन समितियाँ, विपणन बोर्ड और प्रसंस्करण निगम.
|
न्यूनतम- 100 मेंटन, अधिकतम-30000 मे टन विशेष मामलों में 50 मे टन पर विचार किया जा सकता है, जो पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 25 मे टन है |
इन में से न्यूनतम: अ. बैंक द्वारा अनुमोदित इ. रू. 3500 प्रति मे. टन भंडारण क्षमता 1000 मे. टन के लिए/ रू. 3000 प्रति में टन भंडारण क्षमता 1000 में टन से अधिक/ रू. 4000 प्रति मे. टन पहाड़ी क्षेत्र के लिए |
कूल वित्तीय लागत का न्यूनतम 50: |
अधिसूचित जाति/जनजाति तथा महिला किसान-33.33: सामान्य – 15: सहकारी, किसान, कृषि स्नातक – 25: |
न्यूनतम- सामान्य-25: या महिला किसान, अनु.जाति/जनजाति और उनकी सहकारी संस्थाएँ,राज्य/सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉरपोरेशन- |
2 |
कृषि विपणन आधारभूत संरचना के ग्रेडिंग एवं प्रमाणीकरण |
व्यक्ति, किसानों/उत्पादकों/उपभोगताओं का समूह, साझेदारी/मालिकाना फर्म, गैर सरकारी संस्थाएँ, स्वयं सहायता समूह, कम्पनी, निगम, सरकारी स्वायत्तशाषी निकाय, सहकारी संस्थाएँ, सहकारी विपणन समितियाँ और विपणन बोर्ड. |
आधारभूत संरचना जिसमें एसेम्बलिंग, ड्राईंग, क्लीनिंग, ग्रेडिंग, मानकीकरण, आदि सम्मिलित हैं |
निश्चित ब्यौरा नहीं |
न्यूनतम समान्य-50: या अनुसूचित जाति/जनजाति-46.67: |
सामान्य – 25: या अनुसूचित जाति/जनजाति और उनकी सहकारी संस्था – 33.33: या |
प्रोजेक्ट लागत का बाकी |
3 |
राष्ट्रीय जैविक कृषि परियोजना |
जैविक खाद पर जैविक कीटनाशक उत्पादन यूनिट – व्यक्ति, किसानों/उत्पादकों के समूह, साझेदारी/मालिकाना फर्म, सहकारी संस्थाएँ, उर्वरक उद्योग, बीज उद्योग,कंपनी, निगम, फल - सब्जी कचरा कॉम्पोस्ट इकाई, ए. पी. एम. सी., नगर निकाय और निजी उद्यमी. |
जैविक खाद और जैविक कीटनाशक उत्पादन यूनिट और फल सब्जी कचरा कम्पोस्ट इकाईयां |
निश्चित ब्यौरा नहीं |
जैविक खाद- 42: से 50: और फल-सब्जी कचरा कॉम्पोस्ट इकाई-34: से 42: |
जैविक खाद और जैविक कीटनाशक-25: और फल -सब्जी कचरा कॉम्पोस्ट – 25: से 33: |
जैविक खाद-25: से 33: और फल-सब्जी कचरा कॉम्पोस्ट- 25:से 33: |
4 |
एग्रो – क्लिनिक और एग्रो बिजनेस |
अ. राज्य कृषि विश्वविद्यालय/केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय या आई.सी.आर./यू. जी.सी. से मान्यता –प्राप्त विश्वविद्यालय से कृषि एवं सम्बंद्ध विषयों में स्नातक आ. राज्य कृषि एवं सम्बंद्ध विभाग/राज्य तकनीकि शिक्षा विभाग से डिप्लोमा; न्यूनतम 50: अर्द्धस्नातकोत्तर डिप्लोमा इ. जीव विज्ञान स्नातक के साथ कृषि एवं सम्बंद्ध विषयों से स्नातकोत्तर ई. यू. जी. सी. से मान्यता प्राप्त वैसे कोर्स जिसमें 60: से अधिक कृषि एवं सम्बंद्ध विषयों हों, में डिप्लोमा/स्नातकोत्तर डिप्लोमा ऊ. इंटर यानि प्लस 2 स्तर में कृषि से संबंधित कोर्स में न्यूनतम 55: अंक. |
कृषि बागवानी, रेशम – कीट पालन, पशुपालन, मत्स्य पालन और सम्बंद्ध क्षेत्र या इन गतिवधियों में से संयुक्त रूप से दो या अधिक. |
अधिकतम – 20 लाख रूपये; 25 लाख रूपये अत्यधिक सफल उम्मीदवार के लिए 100 लाख रूपये ग्रुप प्रोजेक्ट के लिए जिसमें न्यूनतम 50 प्रतिशत व्यक्ति हों तथा इनमें से एक प्रबंधकीय पृष्ठभूमि से हो सकता है |
कुल वित्तीय लागत और मार्जिन का अंतर |
अनुसूचित जाति/जनजाति और महिला 44 : या अंतर |
5 लाख रूपए तक – कोई मार्जिन राशि नहीं 5 लाख रूपए से अधिक- भारतीय रिजर्व बैंक के मानदंड के अनुसार |
5 |
डेरी उद्यमिता विकास योजना |
किसान, व्यक्तिगत, उद्यमी, गैर संस्थाएं, कंपनी, असंगठित और संगठित क्षेत्रों के समूह आदि, संगठित क्षेत्रों के समूह में स्वयं सहायता समूह, डेरी सहकारी समिति, मिल्क युनियन, मिल्क फेडरेशन सम्मिलित हैं. |
1) छोटी डेयरी इकाइयों की स्थापना – न्यूनतम इकाई आकार 2 पशु एवं अधिकतम 10 पशु 2) बछिया पालन – न्यूनतम इकाई आकार 5 बछिया एवं अधिकतम 20 बछिया 3) वर्मी कम्पोस्ट; सिर्फ डेरी फार्म के साथ ही, अलग से नहीं) 4) मिल्किंग मशीन/मिल्को टेस्टर.बल्क मिल्क कूलिंग इकाई; 2000 लीटर क्षमता तक) 5) स्वदेशी दुग्ध उत्पाद प्रसंस्करण उपकरण खरीदने हेतु 6) डेरी उत्पाद परिवहन सुविधायें एवं कोल्ड चेन 7) दुग्ध एवं दुग्ध उत्पाद के लिए कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था 8) निजी वेटनरी क्लिनिक की स्थापना 9) डेरी विपणन आउटलेट/डेरी पार्लर. |
1) छोटी डेरी इकाईयों की स्थापन – 5.00 लाख रूपये 2) बछिया पालन- 4.80 लाख रूपए 3) वर्मी कम्पोस्ट-20000 रूपए 4) मिल्किंग मशीन/ मिल्को टेस्टर/बल्क मिल्क कूलिंग इकाई-18 लाख रूपए 5) स्वदेशी दुग्ध उत्पाद प्रसंस्करण उपकरण खरीदने हेतु- 12.00 लाख रूपए 6) डेरी उत्पाद परिवहन सुविधाएँ एवं कोल्ड चेन-24.00 लाख रूपए 7) दुग्ध एवं दुग्धउत्पाद के लिए कोल्ड स्टोरेज की स्थापना की व्यवस्था – 30.00 लाख रूपये 8) निजी वेटनरी क्लिनिक की स्थापना -2.40 लाख रूपये चलंत क्लिनिक के लिए और 1.80 लाख रूपए अचल क्लिनिक के लिए 9) डेरी विपणन आउटलेट/डेरी पार्लर-56000.00 रूपये. |
कूल वित्तीय लागत और मार्जिन अंशदान का अंतर |
परियोजना लागत का 25: |
भूमि की लागत का न्यूनतम 10:, जो कुल परियोजना लागत से 10:, जो कुल परियोजना लागत से 10: से अधिक न हो, मार्जिन अंशदान का हिस्सा हो सकता है |
6 |
सुअर विकास |
उत्पादक कंपनियां, साझदारी फर्म, निगम, गैर सरकारी संस्थाएँ, स्वयं सहायता समूह, जॉइंट लायबिलिटी ग्रुप, सहकारी संस्थाएँ और निजी उद्यमी. |
1) सुअर प्रजनन फार्म-(20 मादा तथा 4 नर) 2) सुअर पालन एवं फैटनिंग इकाई 3) खुदरा आउटलेट 4) लाईव (सक्रिय)बाजार सुविधा/2 प्रति जिला. |
1) सुअर प्रजनन फार्म-20 मादा तथा 4 नर 6.00 लाख रूपये 2) सुअर पालन एवं फैटनिंग इकाई- 0.76 लाख रूपये 3) खुदरा आउटलेट-10.00 लाख रूपये 4) लाईव; सक्रियवद्ध बाजार सुविधा/2 प्रति जिला – मानदंड तय नही है. |
|
|
|
7 |
पोल्ट्री वेंचर केपिटल फंड |
किसान, कंपनी, निगम, गैर सरकारी संस्थाएं, स्वयं सहायता समूह, जॉइंट लायबलिटी ग्रुप, सहकारी संस्थाएँ और व्यक्तिगत उद्यमी |
1) प्रजनन फार्म निम्न इनपुट तकनीकि पक्षी यथा, टर्की, बत्तख, जापानी क्वेल, एमू आदि. 2) सेंट्रल ग्रोअर इकाई- 16000 लेयर चूजे प्रति बैच 3) हाइब्रिड लेयर, चूजे 4) इकाई 5000 लेयर तक 5) अन्य पोल्ट्री प्रजाति पालन; कॉमर्सियल लेयर और ब्रोयलर छोड़कर 6) फीड मिक्सिंग इकाई, 7) 1.0 टन प्रति घंटे, डिजिज इन्वेस्टीगेशन लैब 8) परिवहन के लिए गाड़ी – खुला पिंजरा 9) परिवहन के लिए गाड़ी शीतलीकृत 10) खुदरा आउटलेट ड्रेसिंग इकाई 11) चलंत विपणन इकाई 12) पोल्ट्री उत्पाद के लिए कोल्ड स्टोरेज 13) अंडे ब्रोयलर ठेला 14) बड़ा प्रसंस्करण इकाई 2000 से 4000 पक्षी प्रति घंटे 15) एमु प्रसंस्करण इकाई 16) प्रद्योगिकी अपग्रेडेशन |
1) प्रजनन फार्म- 30.00 लाख रूपए 2) सेंटल ग्रोअर इकाई-16000 लेयर चूजे प्रति बैच- 40.00 लाख रूपये 3) हाइब्रिड लेयर तक- 8.00 लाख रूपये 4) इकाई – 5000 पक्षी तक – 2.24 लाख रूपये 5) अन्य पोल्ट्री प्रजाति पालन, कॉमर्सियल लेयर और ब्रॉयलर छोड़कर- 10-00 लाख रूपए 6) फीड मिक्सिंग इकाई – 16.00 लाख रूपये 7) परिवहन के लिए गाड़ी- खुला पिंजरा 8.00 लाख रूपये 8) परिवहन के लिए गाड़ी शीतलीकृत 15.00 लाख रूपए 9) खुदरा आउटलेट ड्रेसिंग इकाई – 6.00 लाख रूपए 10) खुदरा आउटलेट विपणन इकाई -6.00 लाख रूपए; 11)चलंत विपणन इकाई 12) पोल्ट्री उत्पाद के लिए कोल्ड स्टोरेज 20.00 लाख रूपये 13) अंडे/ब्रोयलर ठेला 14) 10.00 लाख रूपये 15) बड़ा प्रसंस्करण इकाई- 2000 से 4000 पक्षी प्रति घंटे, 500.00 लाख रूपये 16) एमु प्रसंस्करण इकाई- आकार के अनुसार भिन्न-भिन्न होगा 17) पंख प्रसंस्करण इकाई- आकार के अनुसार भिन्न – भिन्न होगा 18) प्रौद्योगिकी अपग्रेडेशन घटक के अनुसार भिन्न – भिन्न होगा. |
न्यूनतम – 40: |
अनुसूचित जाति/जनजाति-33.33:या सामान्य 25: |
न्यूनतम – 10:. भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा – निर्देशानुसार 1.00 लाख रूपए तक के लिए कोई मार्जिन अंशदान नहीं |
8 |
पोल्ट्री विकास योजना |
1) पोल्ट्री इस्टेट-निम्न व्यवसायिक गतिविधि वाली राज्यों में लागू होगा. लाभार्थी में महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति, पढ़े – लिखे बेरोजगार युवा और समाज के आर्थिक रूप से पिछड़े होगें, योजना भारत/ राज्य सरकार द्वारा लागू किया जायेगा, 2) मदर इकाइयाँ- ग्रामीण इंबा लंतक; घर के पिछड़े पर पोल्ट्री गरीब-रेखा श्रेणी के नीचे के किसान परिवार, राज्य सरकार द्वारा लागू. |
1)पोल्ट्री इस्टेट 200 बर्ड्स वाली लेयर या ब्रोयलर न्यूनतम 50 इकाइयाँ और अधिकतम 100 इकाइयाँ. भूमि की आवश्यकता -1 स्टेट के लिए 50 एकड़, 2) मदर इकाइयाँ- ग्रामीण इंबा लंतक; घर के पिछवाड़े पोल्ट्री – अधिकतम 10 मदर इकाइयाँ; 1500 चूजे प्रति बैच प्रत्येक जिला/कलस्टर में |
1) पोल्ट्री स्टेट अ. आधारभूत संरचना मजबूत करने के लिए – 45.00 लाख रूपये आ. फीड मिक्सिंग प्लांट और फीड विश्लेष्ण लैब के लिए उपकरण- 10.00 लाख रूपये इ. इन- हाउस डिजिज डायग्नोस्टिक लैब – 5.00 लाख रूपये ई. अंडे सेने, पैरेंट फीड इंटीग्रेडीएन्ट आदि – 15.00 लाख रूपये उ. प्रशिक्षण-4.50 लाख रूपए ऊ. विपणन- 5.00 लाख रूपए ए. परामर्श कार्य 0.50 लाख रूपये 2) मदर इकाई – 1.36 लाख रूपए प्रति इकाई. |
1) पोल्ट्री स्टेट निश्चित रूप से उल्लेख नहीं 2) मदर इकाई निश्चित रूप से उल्लेख नहीं |
1)पोल्ट्री स्टेट अ. के आधारभूत संरचना के लिए विकास के लिए आर्थिक अनुदान-75.25 के अनुपात में केंद्र और राज्य सरकार 2.00 करोड़ रूपये अधिकतम, आ. किसानों को आई. एफ. एल.-ब्रॉयलर स्टेट के लिए 1.20 करोड़ रूपए और लेयर स्टेट के लिए 3.00 करोड़ रूपये 2) मदर इकाई- पक्षियों , लाभार्थियों के परिवार के अचल लागत, राज्य के पोल्ट्री फार्म में मदर इकाई प्रदर्शन हेतु आर्थिक सहायता दी जाएगी. |
1) पोल्ट्री स्टेट न्यूनतम 10: 2) मदर इकाई- निश्चित रूप से उल्लेख नहीं |
9 |
छोटे पागुर करने वाले पशु और खरगोश का समेकित विकास |
अकेला किसान, स्वयं सहायता समूह के लाभग्राही, जो इनके पालन के इच्छुक हैं, परंपरागत गड़ेरिये, महिला अनुसूचित जाति/जनजाति को वरीयता दी जाएगी. अकेला किसान, गैर सरकारी संस्था और कम्पनी प्रजनन फार्म के लिए पात्र होगें तथा इसमें उनको वरीयता दी जाएगी जिन्होंने छोटे पागुर करने वाले पशु; और खरगोश पालने के लिए किसानों को समूह में गठित किया है. |
1) भेड़ और बकरी पालन; 402 2) भेद और बकरी प्रजनन इकाई; 50025 3) खरगोश पालन इकाई |
1) भेड़ और बकरी पालन 1.00 लाख रूपये 2) भेड़ और बकरी प्रजनन इकाई – 25.00 लाख रूपये 3) खरगोश पालन इकाई 2.25 लाख रूपए |
बैंक ऋण, अनुदान राशि सहित, कूल परियोजना लागत का 50: से कम नहीं होगा यह अनुसूचित जाति/ जनजाति और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कुल परियोजना लागत का 58.33: से कम नहीं होगा. |
अनुसूचित जाति/जनजाति – 33.33: य सामान्य 25: |
न्यूनतम – 10: |
10 |
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन- होम लैंटिंग सिस्टम |
व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, स्वयं सहायता समूह, जॉइंट लायब्लिटी ग्रुप, गैर सरकारी संस्थाएं, किसान क्लब आदि. |
सोलर होम लाइटिंग सिस्टम के 9; 1 से 2 अलग- अलग प्रकार के मॉडल |
मॉडलों के बेंचमार्क लागत: 1) 2700, 2) 4800-5400, 3) 9990-10800 4) 13500 5) 18900-21600 6) 27000 7) 33750 8) 40500-43200 9) 54000- 56700
|
कुल वित्तीय लागत और मार्जिन अंशदान का अंतर |
बेंचमार्क लागत का 40: |
भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशानुसार |
11 |
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सोलर मिशन- सोलर वाटर – हिटिंग सिस्टम |
व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, स्वयं सहायता समूह, जॉइंट लायबलिटी ग्रुप, गैर सरकारी संस्थाएँ, किसान क्लब आदि. |
2 मॉडल 1) फ़्लैट कलेक्टर आधारित सिस्टम 2) इवाक्यूटेड ट्यूब कलेक्टर आधारित सिस्टम घरेलू उपयोगकर्त्ता: 500 लीटर प्रति दिन तक व्यवसायिक उपयोगकर्त्ता: 500 लीटर प्रति दिन से अधिक |
1) फ्लैट प्लेट कलेक्टर आधारित सिस्टम – अ. घरेलू उपयोगकर्त्ता 110000 रूपये प्रति वर्गमीटर आ. व्यवसायिक उपयोगकर्त्ता: 10000 रूपये प्रति वर्गमीटर 2) इवाक्यूटेड ट्यूब कलेक्टर आधारित सिस्टम अ. घरेलू उपयोगकर्त्ता: 8500 रूपये प्रति वर्गमीटर आ. व्यवसायिक उपयोगकर्त्ता: 8000 रूपये प्रति वर्ग मीटर |
अनुदान के दावे के लिए बेंचमार्क लागत का 50: या सॉफ्ट ऋण के लिए लागत का 80:/5:प्रति वर्ष |
1) फ्लैट प्लेट कलेक्टर आधारित सिस्टम – अ. घरेलू उपयोगकर्त्ता: 3300 रूपये प्रति वर्ग मीटर या बेंचमार्क लागत का 30:, जो भी निम्नतर हो. 2) इवाक्यूटेड ट्यूब कलेक्टर आधारित सिस्टम, - अ. घरेलू उपयोगकर्त्ता: 2500 रूपये प्रति वर्गमीटर या बेंचमार्क लागत का 30, जो भी निम्नतर हो |
|
स्रोत : झारखण्ड ग्रामीण बैंक
अंतिम बार संशोधित : 2/6/2023
इस लेख में जनजातीय उप-योजना क्षेत्रों में आश्रम वि...
इस भाग में राज्य की कल्याणकारी कार्यक्रम व योजनाओं...
इस पृष्ठ में केंद्रीय सरकार की उस योजना का उल्लेख ...
इस भाग में उत्तर प्रदेश की कल्याणकारी योजनाओं को प...