जागरूकता पैदा कर पुनर्वास, प्रशिक्षण तथा पुनर्वास व्यवसायियों के दिशा निर्देशन हेतु ज़िला स्तर पर अवसरंचना के सृजन एवं क्षमता निर्माण में सहायता करने के उद्देश्य से, विभाग देश के सभी उपेक्षित ज़िलों में ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्र स्थापित करने में सहायता कर रहा है ताकि विकलांग व्यक्तियों को व्यापक सेवाएं उपलब्ध करवाई जा सकें। कुल 310 जिलों कीपहचान की गई है और इनमें से, 248 जिलों में डीडीआरसी की स्थापना हो चुकी है।
केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा डीडीआरसी को वित्तीय ढांचागत, प्रशासन और तकनीकी सहायता मुहैया कराते है, जिससे की वे संबंधित जिलों में विकलांगों को पुनर्वास सेवायें मुहैया कराने की स्थिति में हो।
डीडीआरसी को मुख्य विशेषताएंनिम्नलिखित हैं :
यह योजना केन्द्र सरकार और राज्य सरकारों का संयुक्त प्रयास है। डीडीआरसी को विकलांग व्यक्ति अधिनियम 1995 के कार्यान्वयन हेतु योजनाओं के माध्यम से प्रारंभ में तीन वर्षों (पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू एवं कश्मीर, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दमन एवं दीव और दादर और नगर हवेली के मामले में पांच वर्ष) के लिए वित्त पोषित किया जाता है और तत्पश्चात यह वित्त पोषण दीनदयाल विकलांग पुनर्वास परियोजना के माध्यम से वित्त पोषण को कम करने के आधार पर किया जाता है।
राज्य सरकारों से डीडीआरसी के सुचारू कार्यचालन में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने की अपेक्षा की जाती है। राज्य/जिला प्रशासन की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, डीडीआरसी द्वारा प्रभावशाली ढंग से विभिन्न गतिविधियां चलाने के लिए राज्य सरकार उपयुक्त तरीके से मानदेय और अन्य जरूरतें को पूरा कर सकती है।
राज्य सरकारें डीएमटी के अध्यक्ष के रूप में, जिला कलेक्टरों को डीडीआरसी के प्रभावकारी कार्यचालन हेतु डीडीआरसी योजना के निर्धारित नियमों के भीतर व्यावहारिक वास्तविकता पर विचार करते हुए मामूली संशोधन करने के लिए प्राधिकृत कर सकती है।
प्रत्येक विकलांग पुनर्वास केंद्र को अनुदान सहायता विकलांग व्यक्तियों को विस्तृत पुनर्वास सेवायें मुहैया कराने हेतु प्रदान की जाती है। अनुदान में आवर्ती और गैर-आवर्ती घटक शामिल होते हैं कि बशर्ते कि जिला प्रशासन/कार्यान्वयन एजेंसी जिले में जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र चलाने हेतु निशुल्क आवास की व्यवस्था कर दें। योजना के अंतर्गत दीन दयाल विकलांग पुनर्वास योजना के संबंध में आवर्ती और गैर-आवर्ती व्यय के विवरण निम्न प्रकार से हैं
पदनाम |
सामान्य राज्य (वार्षिक) |
विशेष राज्यों के लिए (पूर्वोत्तर क्षेत्र, जम्मू और कश्मीर और संघ राज्य क्षेत्र) – 20% |
कुल मानदेय |
8.10 |
9.72 |
कार्यालय व्यय/आकस्मिकतायें |
2.10 |
2.10 |
उपकरण (केवल प्रथम वर्ष के लिए) |
7.00 |
7.00 |
कुल - प्रथम वर्ष के लिए |
17.20 |
18.82 |
कुल - दूसरे वर्ष के लिए |
10.20 |
11.82 |
कुल - तृतीया वर्ष के लिए |
10.20 |
11.82 |
कुल व्यय |
37.60 |
42.46 |
पूर्वोत्तर राज्यों में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, पुडचेरी, दमन और दीव और जम्मू और कश्मीर में 20 अतिरिक्त व्यय (अर्थात् 42.46 लाख रूपये तक) स्वीकार्य है। उसके बाद दीनदयाल विकलांग पुनर्वास योजना के अंतर्गत वित्त पोषण किया जाता है। दीन दयाल पुनर्वास योजना में टेपरिंग के प्रावधान के साथ अनुदान सहायता निर्धारित लागत मानदंडों के अनुसार बजटीय राशि की 90 तक राशि मंजूर की जाती है और केवल शहरी क्षेत्रों में दीन दयाल विकलांग पुनर्वास केन्द्रों हेतु हर दूसरे वर्ष 5 की दर से वित्त पोषण के सात वर्ष के बाद इस द्रार्त के साथ कि 75 के आगे कोई टेपरिंग नहीं की जायेगी अनुदान सहायता की टेपरिंग की जाती है।
प्रत्येक पद हेतु स्वीकार्य जनशक्ति और स्वीकार्य मानदेय नीचे दिया गया हैः-
क्रमसं |
पदनाम |
प्रतिमाह अधिकतम मानदेय (रूपये में) |
योग्यता |
1. |
क्लिनिकल मनोवैज्ञानिक/मनोवैज्ञानिक |
8200 |
मनोविज्ञान में एमफिल/मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर - विकलांग पुवार्सन क्षेत्रों में अनुभव को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी |
2. |
वरिष्ठ भौतिक चिकित्सा/पेशवर चिकित्सा |
8200 |
3वर्ष के अनुभव के साथ संबंधित क्षेत्र में स्नातकोत्तर। |
3. |
अस्थि विकलांग वरिष्ठ/अभाव पूर्तिकर्ता/नेत्र चिकित्सा |
8200 |
प्रोस्थिटिक और आर्थाटिक में डिग्री राष्ट्रीयसंस्थान से उत्तीर्ण करने वालों को प्राथमिकता प्रदान की जायेगी और 5वर्ष का अनुभव अथवा प्रोस्थिटिक एवं आर्थाटिक में डिप्लोमा और 6 वर्ष का अनुभव |
4. |
अभावपूर्तिकर्ता/नेत्र तकनीशियन |
5800 |
2-3 वर्ष के साथ आईटीआई प्रशिक्षण |
5. |
वरिष्ठ वाणी थिरेपिस्ट/आडियोलोजिस्ट |
8200 |
संबंधित क्षेत्र में स्नातकोत्तर/वी.एस.सी(वाणी और श्रवण) |
6. |
श्रवण सहायक/कनिष्ठ वाणी थिरेपिस्ट |
5800 |
श्रवण यंत्र मरम्मत/कर्ण मोल्ड निर्माण की जानकारी के साथ वाणी एवं श्रवण में डिप्लोमा |
7. |
चलन अनुदेशन |
मैट्रिक प्रमाण पत्र/चलनता में डिप्लोमा |
|
8. |
बहु उद्देश्यक पुनवार्सन कार्मिक |
10+2 और सीवीआर/एसआर डब्ल्यु में डिप्लोमा कोर्स अथवा दो वर्ष के अनुभव के साथ प्रारंभिक बचपन विशेष शिक्षा में डिप्लोमा कोर्स |
|
9. |
लेखपाल-सह-विधिक-स्टोरकीपर |
बी.कॉम/एसएएस और 2 वर्ष का अनुभव |
|
10. |
परिचर-सह-संदेशवाहक 10 वीं पास |
VIII वीं पास |
नोट :
(i) पूर्वोत्तर राज्यों अंडमान निकोबार द्वीपसमूह, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, दमन और दीव ओर जम्मू और कश्मीर में अवस्थित दीनदयाल विकलांग पुनर्वास केन्द्रों के पुनवार्सन पेशेवरों को मानदेय देश के शेष दीनदयाल विकलांग पुनर्वास केन्द्रों के संबंध में निर्धारित मानदेय देश में शेष दीन दयाल विकलांग पुनर्वास केन्द्रों के संबंध में निर्धारित मानदेय से 20 प्रतिशत अधिक स्वीकार्य होगा।
(ii) इन जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्रों का प्रांरभ में उन गैर-सेवा प्रदत्त जिलों में स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है। जहां अपेक्षित योग्यता के साथ स्टाफ होना संभव नहीं होगा। इस प्रकार से कुछ समय तक अर्हता प्राप्त पेशेवर उपलब्ध न होने की दशा में जिला प्रबंधन टीम (डीएमटी) कम योग्यता वाले व्यक्तियों की नियुक्ति कर सकती है और उनका मानदेय अनुपातिक रूप से कम कर सकती है तथापि तकनीकी जनशक्ति के विरूद्ध गैर-तकनीकी व्यक्ति नियुक्त नहीं किए जाने चाहिए। तकनीकी रूप से सशक्त मामलों में अधिक भुगतान किया जा सकता है।
चिहनित और अनुमोदित जिलों में जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र स्थापित करने हेतु और विकलांग जन अधिनियम के कार्यान्वयन हेतु प्रथम वर्ष के अनुदान की प्राप्ति हेतु राज्य सरकार को निम्नलिखित कागजातों के साथ प्रस्ताव भेजना होता हैः
जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्रों को अनुदान मंजूर करने की प्रक्रिया निर्धारित प्रलेखों के साथ पूर्ण प्रस्ताव प्राप्त हो जाने के बाद उस पर कार्रवाई की जाती है और एकीकृत प्रभाग का वित्तीय अनुमोदन प्राप्त करने हेतु प्रस्तुत किया जाता है। उनके अनुमोदन के बाद सक्षम अधिकारी का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया जाता है और मंजूरी पत्र जारी किया जाता है और बिल तैयार किया जाता है और जिला विकलांग पुनर्वास केन्द्र के सुयुक्त खाते में मंजूर राशि स्थानांतरित किये जाने हेतु वेतन और लेखा कार्यालय को प्रस्तुत किया जाता है।
अंतिम बार संशोधित : 3/14/2023
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