वर्तमान में राज्य के अंतर्गत तीन ऐसी सांस्कृतिक संस्थाएँ हैं जो संस्कृति और कला की विभिन्न विधाओं में शिक्षा प्रदान करती हैं जिनके नाम निम्नवत हैं- झारखण्ड कला मंदिर (रांची/दुमका), सरायकेला छऊ नृत्य केन्द्र (सरायकेला) एवं राजकीय मानभूम छऊ नृत्य कला केन्द्र (सिल्ली) इन संस्थाओं के रख-रखाव पर व्यव होने वाली राशि की विवरणी निम्नाकिंत हैं:-
क) झारखण्ड कला मंदिर – 44.00 लाख
ख) सरायकेला छऊ केन्द्र – 12.00 लाख
ग) राजकीय मानभूम छऊ नृत्य कला केन्द्र - 12.00 लाख
इन संस्थाओं की गतिविधियों में होनेवाले वृद्धि को दृष्टि में रखते हुए इन संस्थाओं के व्यय में भी वृद्धि होने की संभावना है। झारखण्ड कला मंदिर में इस वर्ष से 5 वर्षों के पाठ्यक्रम(syllabus) प्रारंभ किये जानेवाले हैं। कुछ नई विधाओं को भी सम्मिलित किये जा रहे है, जो संगीत, वादय संगीत एवं ललित कला से सम्बन्ध हैं।
उक्त परिस्थितियों में इस योजना इकाई के निर्मित वर्ष 2012-13 में कुल 75.00 लाख रु० का उपबंध प्रस्तावित था जिसमें से 65.00 लाख रु० जनजातीय उपयोजना एवं 10.00 लाख रु० अन्य उप-योजना हेतु कर्णकिंत किये गए थे।
युवा वर्ग के हितों की रक्षा, इन्हें सहायता एवं कला को समवृद्ध करने के उद्देश्य से कल्याण कोष उपलब्ध कराना, सांस्कृतिक सम्मान देना, सांस्कृतिक संस्थाओं को परम्परिक वादय यंत्र एवं पोशाक उपलब्ध कराना जैसे महत्वपूर्ण कार्य ऍस योजना के अंतर्गत किये जाते हैं इसके अतिरिक्त प्रसिद्ध कला कर्मियों की मूर्तियों की स्थापना कराने जैसे कार्य भी इस योजना के अंतर्गत किये जाते हैं। इन योजनाओं का कार्यान्वयन पंचायत स्तर पर कराये जाने का प्रयास किया जायेगा। साथ ही, इसके द्वारा विलुप्त हो रही कलाओं और कलाकारों को संरक्षण प्रदान किये जायेंगे। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2011 -12 के दौरान 25.00 लाख रूपये का बजट उपबंध था।
उक्त वर्णित स्थिति में वित्तीय वर्ष 2012-13 के लिए इस मद में 125 लाख रु० का उपबंध प्रस्तावित था जिसमें से 90 लाख रु० जनजातीय उपयोजना क्षेत्र, 5 लाख रु० विशेष अंगीभूत योजना एवं 25 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना में व्यय करने का निर्णय था।
विभाग प्रत्येक वर्ष अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन देश और राज्य के विभिन्न स्थलों पर कराता है। इसके अतिरिक्त जनजातीय और क्षेत्रीय महोत्सव, अंतर्राज्जीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम एवं वृत्तचित्र फिल्म निर्माण, आदि जैसे कार्य भी विभाग द्वारा किये जाते हैं।
विभाग द्वारा वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव, जैसे करमा, सरहुल आदि राज्य के विभिन्न क्षेत्रों यथा दुमका, साहेबगंज, चाईबासा, राँची, हजारीबाग आदि में समय-समय पर आयोजित किये जाने का प्रस्ताव है। ऐसे कार्यक्रमों के द्वारा राज्य की विभिन्न संस्कृतियों को बढ़ावा मिलने के अलावा राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रीय सांस्कृतिक विशिष्टिताओं को समझने और सराहने का वातावरण बन पायेगा। इन अवसरों पर विशिष्ट प्रतिभाओं को सम्मांनित और नगद पुरस्कार से पुरस्कृत भी किये जायेंगे, ताकि पारम्परिक कला-विधाओं का समुचित प्रोत्साहन मिल सके। इसके अतिरिक्त सरकार राज्य स्तरीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करेगी, जिनमें कला और संस्कृति क्षेत्र के प्रसिद्ध कलाकारों को आमत्रित किये जायेगे।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में कुल 100.00 लाख रु० का उपबंध प्रस्तावित था जिसमें से 75.00 लाख रु० जनजातीय उपयोजना क्षेत्र 25.00 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना हेतु व्यय करना था।
राज्य के अंतर्गत संस्कृति के क्षेत्र में अनेक स्वयंसेवी संथान (एन.जी.ओ.) क्रियाशील हैं परन्तु इनके लिए आधारभूत संरचनाओं का उपयोग और आर्थिक सहयोग दुरुह होता है। इन स्वयंसेवी संथानो को इनकी गतिविधियों को संचालित रखने के उद्देश्य से इन्हें समुचित आर्थिक अनुदान देने की आवश्यकता होती है।
उक्त योजनाओं के सफल कार्यान्वयन हेतु योजना इकाई में वर्ष 2012-13 में कुल 15.00 लाख रु० का उपबंध प्रस्ताव किया गया था जिसमें से 10.00 लाख रु० जनजातीय उपयोजना एवं 5.00 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना में व्यय करना था।
राज्य सरकार के अधीन कार्यरत संग्रहालयों के अतिरिक्त ऐसे संग्रहालय जो प्रतिष्ठित ट्रस्टों द्वारा संचालित होते हैं, के प्रदर्शों को प्रदर्शित करने, पुरावशेषों एवं उपस्करों आदि के क्रय, आदि कार्यों के लिए आर्थिक व्यय हुआ करती है। इसके अतिरिक्त पुस्कालयों का विकास एवं धरोहर और सांस्कृतिक चेतना के प्रति जागरूकता विकसित करना, शहरों एवं ग्रामीण छात्र-छात्रओं के बीच ज्ञान का प्रसार आदि इन संग्रहालयों के कार्यकलाप के हिस्से हैं।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में उक्त मद में 10 लाख रु० का बजटीय उपबंध प्रस्तावित था जिसमें से 7 लाख रु० जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में एवं 3 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना क्षेत्र में व्यय किया जाना था।
विभाग ने पुरातात्विक सर्वेक्षण के द्वारा राज्य के महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों/स्मारकों को चिन्हितकिये जाने का कार्य किया है। इन स्थलों/स्मारकों को क्रमिक रूप में राज्य के सुरक्षित स्मारकों के रूप में धोषित और संसूचित किये जायेंगे। अभी तक राज्य के अंतर्गत 154 पुरातात्विक स्थलों एवं स्मारकों को सूचीबद्ध किये गए हैं। महत्वपूर्ण स्मारकों/पुरास्थलों के पुरातात्विक आलेखन के कार्य भी विभाग द्वारा किये जाते है। इन स्मारकों/पुरास्थलों को पुरातात्विक संरक्षण प्रदान करने का कार्य विभाग द्वारा किया जाता है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों के सहयोग से पुरातात्विक प्रक्षिक्षण/कार्यशाला/जागरूकता सम्बन्धी कार्यक्रम के आयोजन भी समय-समय पर किये जाते हैं।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में उक्त मद में 10 लाख रु० का बजटीय उपबंध प्रस्तावित किया गया था जिसमें से 7 लाख रु० जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में एवं 3 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना क्षेत्र में व्यय किया जाना था।
राज्य में संस्कृति को प्रोत्साहित किये जाने के लिए आधारभूत संरचनाओं का आभाव है। जिला मुख्यालयों में सांस्कृतिक भवनों , यथा प्रेक्षागृहों, के निर्माण के लिए जिला प्रशासन द्वारा भूमि उपलब्ध कराये जाने की स्थिति में इनके निर्माण के लिए राशि उपलब्ध कराती है। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के निर्माण भी अपेक्षित हैं। संस्कृति को प्रोत्साहित किये जाने के उद्देश्य से विभाग ने ग्राम/पंचायत स्तर पर धुमकुड़िया के निर्माण कराने का कार्य प्रारंभ किया है।
वित्तीय वर्ष 2012-13 हेतु कुल 300.00 लाख रु० का बजटीय उपबंध प्रस्तावित किया गया था जिसमें से 225 लाख रु० जनजातीय उपयोजना क्षेत्र में एवं 75 लाख रु० अन्य क्षेत्रीय उपयोजना क्षेत्र अंतर्गत में व्यय किया जाना था।
दुमका में संग्रहालय के निर्माण के लिए विभाग को आवश्यक भूमि हस्तान्तरित की जा रही है इस सम्बन्ध में नक्शे और ड्राइंग तैयार की जा रही है। इस संग्रहालय भवन के निर्माण के लिए प्रथम दो वर्षों का उद्व्यय कर्णकिंत किये गए हैं।
वित्तीय वर्ष 2012-13 इस मद में 20 लाख रु० का उपबंध प्रस्तावित किया गया था और यह राशि जनजातीय उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत व्यय किये जाने का लक्ष्य था।
राँची में मल्टी परपस कल्चरल सेंटर (एम.पी.सी.सी.) का निर्माण पूरा हो चुका है। इसकी सुरक्षा और रख-रखाव के लिए कोष की आवश्यकता होगी।
वित्तीय वर्ष 2012-13 मे जनजातीय क्षेत्रीय उपयोजना के अंतर्गत 10.00 लाख रु० का बजटीय उपबंध था।
राज्य संग्रहालय, राँची का उदघाटन किया जा चुका है और यह कार्यरत है। इसके रख-रखाव सुरक्षा औए दिन प्रतिदिन के कार्यों के सम्पादन हेतु कोष की आवश्यकता होगी।
वित्तीय वर्ष 2012-13 इस मद में 50 लाख रु० का उपबंध प्रस्तावित था और यह राशि जनजातीय उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत व्यय किये जाने का लक्ष्य था।
मिट्टी कला बोर्ड की स्थापना के लिए राशि कर्णकिंत की जा चुकी है। इस योजना के अंतर्गत पारम्परिक शिल्पियों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी जिससे वे उपयोगी उपकरण एवं सामग्रियों का क्रय कर पाएंगे।
इसके लिए वित्तीय वर्ष 2012-13 में 10.00 लाख रु० का बजटीय उपबंध किया गया था। इसे जनजातीय उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत व्यय किया जाना था।
13वें वित्त आयोग से प्राप्त अनुदान से 26 पुरातात्विक धरोहरों का विकास एवं संरक्षण करने के अतिरिक्त अवशेष राशि से हेरिटेज गैलरी का निर्माण किया जाना था, जैसा कि कंडिका-13 में उल्लेखित है। इस योजना को हाई पॉवर कमिटी की सहमति प्राप्त है।
इन योजनाओं के बिना किसी बाधा के कार्यान्वयन हेतु कुछ चूनिंदा स्थलों पर भूमि के अधिग्रहण की आवश्यकता है।
वित्तीय वर्ष 2012-13 में हेतु कुल 20.00 लाख रु० का बजटीय उपबंध प्रस्तावित था। जिसमें से 10 लाख रूपये जनजातीय उपयोजना क्षेत्र एवं 10 लाख रूपये अन्य उपयोजना क्षेत्र अंतर्गत व्यय किया जाना था।
स्रोत:- जेवियर समाज सेवा संस्थान, राँची।
अंतिम बार संशोधित : 2/2/2023
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