कपार्ट में पहली बार आवेदन करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को उनकी शक्ति , पृष्ठभूमि और कार्य अनुभव को विचार में नहीं लेते हुए अपना पहला परियोजना प्रस्ताव संबंधित क्षेत्रीय समितियों के पास जमा करना होता हैं।प्रस्तावों को अस्वीकार होने से बचाने के लिए ऐसे स्वैच्छिक संगठनों को सलाह दी जाती है कि वे अति महत्वाकांक्षी सहायता युक्त परियोजना प्रस्ताव को तैयार करने के बजाय अपनी क्षमता के अनुसार प्रस्ताव बनायें तथा उसी के अनुसार उपयुक्त सहायता मांगे।
कपार्ट की सहायता के लिए आवेदकों के परियोजना प्रोफाइल का प्रपत्र
(पहली बार आवेदन करने वाले आवेदकों की परियोजना और 25 लाख रु. से कम वित्तीय परिव्यय वाली परियोजना को संबंधित क्षेत्रीय कार्यालयों में जमा किया जाए। 25 लाख रु. से अधिक की परियोजनाएँ कपार्ट मुखयालय, दिल्ली में जमा की जाएँ।)
1. परियोजना का शीर्षक
2. स्थिति
क) राज्य
ख) जिला
ग) ब्लॉक
घ) ग्राम
3. भौगोलिक विवरण
1. कुल जनसंख्या पुरुष -----------महिलाएँ --------------
2. परिवारों की संख्या
अनु. जाति ---------
अनु. जनजाति------
ओबीसी---------
सामान्य/बीपीएल---------
एपीएल/कलाकार -------.
भूमि की उपयोगिता ------------------------------------
सिंचाई के साधन ------------------------------------
कलाकारों के व्यवसाय ------------------------------------
गाँवों की समस्याएँ ------------------------------------
4. उद्देश्य
टिप्पणी : प्रपत्र को अपनाते हुए आवेदक हमेशा संगत या अतिरिक्त जानकारियाँ प्रस्तुत कर सकते हैं, जैसा उपयुक्त हो ।
5. लाभार्थी
5.1 गाँववार विवरण देते हुए लाभार्थियों की सूची : नाम, पिता/, पति/पत्नी का नाम, लिंग जाति समूह, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग/एपीएल मुक्त कराए गए बंधुआ मजदूर/भूमिहीन श्रमिक, अ.जा./अ.ज.जा/उपेक्षित किसान/छोटे किसान/ग्रामीण शिल्प्कार/ मछुआरे। इनकी कुल स्वामित्व वाली भूमि (सिंचित या असिंचित)। परियोजना के प्रयोजन हेतु भूमि का विस्तार शामिल किया जाए। इस सूची को लाभार्थियों के हस्ताक्षर/अंगूठे के निःशान सहित अनुलग्नक-1 में दिए गए प्रपत्र के अनुसार संलग्न किया जाए।
5.2 लाभार्थियों की पहचान और चयन के लिए अपनाई गई विधि।
6. परियोजना की आवश्यकता
परियोजना की आवश्यकता और क्या लाभार्थियों की ज़रूरतें, उनकी रूचियाँ और प्राथमिकताएँ एक आवश्यकता आधारित लाभार्थी उन्मुख परियोजना तैयार करते समय परियोजना के कार्यान्वयन और सृजित परिसम्पत्तियों आदि के रखरखाव में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए तय की गईं, इस पर संक्षिप्त विवरण देकर विशलेषण करें तथा औचित्य बताएँ।
7. लोगों की भागीदारी का विस्तार और विधि
कृपया सामाजिक प्रेरण, लोगों की भागीदारी से लाभार्थियों का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए अपनाई जाने वाली प्रस्तावित विधि और विस्तार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी दें।
8. कार्यक्रम
क्रम.स. |
'गतिविधियां (प्रत्येक गतिविधि कार्यान्वयन के क्रम में नाम, विवरण आदि सहित विस्तार से बताई जाए)
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मात्रा/संख्या |
पूरा करने में लगने वाला समय
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भूमि पर आधारित परियोजनाओं के मामलें में भूमि का एक स्थूल मानचित्र दिया जाए, जिसमें सामूहिक सिंचाई/बोरवेल/कुंए आदि जैसी की जाने वाली गतिविधियां, प्रत्येक/सामूहिक सिंचाई कुंओं/बोरवेल का प्रभाव क्षेत्र भी दिया जाए।
9. परियोजना की अवधि
10. परियोजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कार्मिक
क्र.सं. |
योग्यताओं सहित आवश्यक कार्मिकों की संख्या |
पहले से उपलब्ध |
अतिरिक्त प्रस्तावित |
लागत (प्रति वर्ष)(रु.)
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11. अन्य उपलब्ध और आवश्यक सुविधाएं (मशीनरी, उपकरण, भवन, पशु धन आदि)
12. प्रयुक्त/अपनाई जाने वाली प्रौद्योगिकी (कृपया ब्यौरे दें: यह प्रौद्योगिकी क्या है, क्यों चुना गया और कैसे प्राप्त किया जाएगा। तकनीकी आरेखन और सामग्री विवरण सहित तकनीकी अनुमान भी प्रदान करें, जहाँ आवश्यक हो, उसे विच्चय के विशेषज्ञ द्वारा विधिवत प्रमाणित कराया जाए)।
14. कार्यान्वयन का तरीका :
(विस्तृत कार्य योजना दें, जिसमें लाभार्थियों की पहचान/प्रेरण/कौशल सर्वेक्षण/कौशल विकास / निवेशकों की व्यवस्था/कच्ची सामग्रियों की व्यवस्था/उपकरण/मशीनरी /पशु धन आदि/तकनीकी समर्थन/ऋण उगाहने के साथ कार्यशील पूंजी आवश्यकताएं और अपनाई जाने वाली प्रक्रियाएं बताई जाएं)।
15. विपणन व्यवस्थाएं
16. परियोजना पूरी होने के बाद कार्यक्रम के स्थायित्व/दोहराव सुनिश्चित करने के लिए परिसम्पत्तियों के रखरखाव और कार्यक्रम जारी रखने की व्यवस्थाएं।
17. अपेक्षित परिणाम (प्रभाव सूचक):
क) रोजगार/स्वयं
ख) आय उत्पादन वृद्धि
ग) महिला रोजगार
घ) कौशल उन्नयन
ङ) सामाजिक इक्विटी च) पर्यावरण प्रबंध
छ) वित्तीय परिणाम (आय उत्पादन गतिविधियों के मामले में)
18. वास्तविक लक्ष्य और परियोजना के कार्यान्वयन हेतु समय अनुसूची
मद |
प्रथम वर्ष |
द्वितीय वर्ष |
तृतीय वर्ष |
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19. सामाजिक लेखा परीक्षण की व्यवस्था (परियोजना प्रस्ताव तैयार करते समय ग्राम सभा से परामर्श , क्योंकि परियोजना पूरी होने के बाद इसके परिणाम ग्राम सभा को भी बताए जाते हैं)।
कार्यकारिणी निकाय के सदस्य द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित अधिकृत हस्ताक्षरी के हस्ताक्षर और मुहर'
नाम : नाम :
पद : पद :
('यदि बहिर्नियमावली/उप-नियमों में इंगित नहीं किया गया हो तो हस्ताक्षर के लिए
कार्यकारिणी निकाय द्वारा अधिकृत करने की प्रति संलग्न करें)
स्थान :
तिथिः
मंजूर की गई परियोजना के लिए अर्धवार्षिक प्रगति प्रतिवेदन का प्रपत्र
.......................................................... (दिन/माह/वर्ष) से .................................... (दिन/माह/वर्ष) तक की अवधि का प्रगति प्रतिवेदन
1. परियोजना का नाम
2. कार्यान्वयनकारी एजेंसी का नाम व पता
3. परियोजना क्षेत्र
4. वित्त
1. परियोजना की कुल लागत रु.
2. परियोजना की अवधि
3. परियोजना आरंभ होने की तिथि
5. वित्त प्रदान करने के स्रोत
(क) कपार्ट की सहायता रु. ------------------------------
(ख) बैंक ऋण रु. ------------------------------
(ग) सरकारी सब्सिडी रु. ------------------------------
(घ) कार्यपालक संगठन द्वारा अंश दान रु. -----------------------
(ड़) लाभार्थियों द्वारा अंश दान रु. ------------------------------
(च) अन्य स्रोत, यदि कोई हैं। रु. ------------------------------
टिप्पणी : आवेदक इस फारमेट को भरते समय हमेशा उपयुक्त संबंधित या अतिरिक्त सूचना दे सकते हैं।
1. अनुदान की कपार्ट द्वारा जारी की गई किस्त की धनराशि तथा तिथि
2. मूल्यांकनकर्ता अभिकरण/मूल्यांकनकर्ता के नाम सहित कपार्ट द्वारा परियोजना के मध्यावधि मूल्यांकन की तिथि
3. लोगों की भागीदारी के पहलू
क) क्या परियोजना की आयोजना और कार्यान्वयन में लाभार्थी शामिल हैं? यदि हां तो वे क्षेत्र बताएं जहां लाभार्थियों को सम्मिलित किया गया है और कैसे सम्मिलित किए गए हैं?
ख) क्या लाभार्थी परियोजना कार्यान्वयन समिति के सदस्य हैं? उनकी भागीदारी के ब्यौरे दें।
ग) परियोजना कार्यान्वयन में कौन सी समस्याएं सामने आईं? इन समस्याओं को दूर करने के लिए आप कौन से सुधारात्मक उपायों का सुझाव देते हैं?
घ) क्या लाभार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया है?
ङ) क्या सृजित परिसम्पत्तियों का स्वामित्व लाभार्थियों को दिया गया है?
च) क्या लाभार्थियों को परिसम्पत्तियों के रखरखाव में शामिल किया गया है?
छ) क्या लाभार्थी बदल गए हैं? कारण सहित ब्यौरे, नए लाभार्थियों को चुनने में अपनाई गई प्रक्रिया और क्या कपार्ट का अनुमोदन प्राप्त किया गया, यदि हां तो कृपया कपार्ट के अनुमोदन की संख्या और तिथि बताएं ?
ज) परियोजना का प्रभाव (कृपया परियोजना क्षेत्र में विशिष्ट गतिविधि से जुड़ा एक सारांश और इसका प्रभाव बताएं)
4. कोई अतिरिक्त टिप्पणियां?
5. कपार्ट के अनुदान से सृजित परिसम्पत्तियों के ब्यौरे
क्र.सं. |
परिसम्पत्तियों |
मात्रा |
खरीद की |
खरीद का |
उन मदों के संदर्भ में |
टिप्पणियां |
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के नाम और |
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तिथि |
मूल्य |
जिनकी राशि लेखा |
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विवरण |
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परीक्षित लेखा परीक्षण में शामिल हैं |
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1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
स्थान :
दिनांक :
(परियोजना धारक के हस्ताक्षर)
स्वैच्छिक संगठन की मुहर
परियोजना का नाम
कपार्ट सहायता को शासित करने वाली शर्तें तथा निबंधन
दी गई सहायता -----------------------------------------------
(स्वैच्छिक संगठन का नाम)
---------------------------------------------------------
(यहां बाद में इसका उल्लेख ''परियोजना धारक'' के रूप में किया जाएगा)
परियोजना के लिए ----------------------------------------------
(परियोजना का नाम अथवा संक्षिप्त विवरण)
---------------------------------------------------------
(यहां बाद में इसका उल्लेख ''परियोजना'' के रूप में किया जाएगा)
1. परियोजना धारक ने अपने प्रत्येक निम्नलिखित प्रलेख की एक प्रमाणित असली प्रति प्रस्तुत की है :
2. परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन वचन देता है कि वह सहायता को प्राप्त करेगा, विश्वास में धारित रखेगा और उसका उपयोग केवल परियोजना की निम्नलिखित मदों के लिए करेगा और अन्य किसी भी प्रयोजन के लिए नहीं करेगा चाहे वह कोई भी हो :
क्रम सं. |
कार्य की मदें |
धनराशि (रुपयों में कपार्ट सहायता |
स्वयंसेवी संगठन का अंश दान |
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2 (क) परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन व्यय की विभिन्न मदों के लिए उपलब्ध राशि में एकतरफा वृद्धि नहीं करेगा चाहे वह उपलब्ध समग्र सहायता की सीमाओं के अंतर्गत ही क्यों न हो। कपार्ट की पूर्व में लिखित सहमति/ अनुमोदन के बिना एक मद के लिए स्वीकृत राशि को किसी दूसरी मद पर खर्च नहीं किया जाएगा।
3.लागतों में किसी प्रकार की वृद्धि की स्थिति में परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन अतिरिक्त व्यय को अपने स्वयं के संसाधनों से पूरा करेंगे।
4.परियोजना के संबंध में पृथक रूप से उचित लेखा बहियां रखी जाएंगी और इनकी 31 मार्च को समाप्त होने वाली अवधि के लिए प्रत्येक वर्ष सनदी लेखापाल द्वारा लेखापरीक्षा की जाएगी। लेखापरीक्षक के प्रमाण-पत्र और रिपोर्ट सहित उक्त अवधि के लेखापरीक्षित प्राप्ति एवं भुगतान लेखे, आय एवं व्यय लेखे और तुलन-पत्र प्रत्येक वर्ष 30 जून तक नई दिल्ली स्थित कपार्ट को भेजे जाएंगे।
5.परियोजना धारक परियोजना के लिए कपार्ट से प्राप्त होने वाली समस्त सहायता के लिए एक पृथक बैंक खाता खोलेगा जिसका इस पते पर ..............................................................................................................बैंक में खाता होगा जिसकी संख्या ..........................................होगी और इसे स्वैच्छिक संगठन की कार्यकारिणी समिति के दो सदस्यों द्वारा संचालित किया जाएगा।
6. स्वैच्छिक संगठन से परियोजना लागत के 1 प्रतिशत तक की बैंक गारंटी के लिए आग्रह करना।
7.परियोजना धारक परियोजना के लिए अपने अंश दान के तौर पर -----------------रुपए का अंश दान करने का वचन देता है। इसके अलावा, परियोजना धारक नीचे बताई गई वित्तीय संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने की स्वीकृति भी देता है लेकिन चाहे जो भी हो कपार्ट की लिखित रूप में पूर्वानुमति के बिना अन्य किसी स्रोत से नहीं।
क्रम सं. |
निधियों के स्रोत |
कार्य की मद |
धनराशि (रुपयों में) |
i |
बैंक ऋण
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ii |
लाभार्थी अंश दान |
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iii |
पंचायत का अंश दान |
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iv |
समुदाय का अंश दान |
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v |
स्वयंसेवी संगठन का अंश दान
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8. इन मामलों में, ऐसे वैकल्पिक संसाधनों से खर्च की गई धनराशि को भी खातों में दर्शाया जाएगा।
9.परिक्रामी निधि (रेवोल्विंग फण्ड ) के तौर पर ................................रुपए की राशि की मंजूरी दी गर्इ्र है। परियोजना की समाप्ति की तारीख अथवा कपार्ट द्वारा उसके अपने अनन्य विवेक से बढ़ाई गई अवधि की समाप्ति के बाद यह राशि कपार्ट को लौटा दी जाएगी। परियोजना की पूरी अवधि में यह राशि परियोजना धारक और कपार्ट के संयुक्त नाम पर बैंक में सावधि जमा के रूप में रखी जाएगी।
10. कपार्ट द्वारा दी गई मंजूरी को मंजूरी संबंधी आदेश की प्राप्ति के 45 दिनों के अंदर स्वीकार कर लिया जाए। स्वीकृति के साथ संगठन का मूल संकल्प भी भेजा जाए। निर्धारित अवधि के अंदर स्वीकृति न भेजे जाने पर प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाएगा।
11. परियोजना की अवधि कपार्ट से निधियों की पहली किस्त प्राप्त होने की तारीख से ............................... माह होगी।
12. क्षतिपूर्ति बांड के संबंध में विधिवत रूप से स्वीकार की गई शर्तों को वैध प्रमाणक (नोटरी) की उपस्थिति में प्रमुख पदाधिकारी/प्राधिकृत व्यक्तियों के हस्ताक्षर के साथ मुहरबंद करके प्रस्तुत किया जाए। यदि अनुदानग्राही बांड की शर्तों का पालन करने में असमर्थ होता है अथवा उनका उल्लंघन करता है तो बांड के हस्ताक्षरकर्ता कपार्ट को अनुदान की पूरी अथवा आंशिक धनराशि 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर लौटाने के लिए संयुक्त तथा अलग-अलग रूप से जिम्मेदार होंगे।
13. जब तक स्वैच्छिक संगठन पीआर/लेखा/यूसी को अंतिम रूप से प्रस्तुत नहीं करता, परियोजना की कम से कम 10 प्रतिशत लागत को प्रतिधारित रखा जाए/रोके रखा जाए।
14. स्वैच्छिक संगठन के प्रबंधन में कोई परिवर्तन होने पर स्वैच्छिक संगठन का नया प्रबंधन निकाय इस संबंध में स्वयंसेवी संगठन से जिम्मेदारी लेते समय परियोजना से संबंधित कपार्ट की शर्तों तथा निबंधनों को मानने के लिए बाध्य होगा। प्रस्ताव प्रस्तुत करने और मंजूरी आदेश की प्राप्ति के बीच समिति के गठन में कोई परिवर्तन किए जाने की पुच्च्टि संगठन की कार्यकारिणी समिति/शासी निकाय के सुसंगत संकल्प (संकल्प में संगठन की कार्यकारिणी समिति/शासी निकाय के सभी सदस्यों का पूरा पता दिया जाना चाहिए) और पंजीकरण प्राधिकारियों द्वारा इसकी अभिपुष्टि के समर्थन में दस्तावेजों अथवा प्रस्तुतीकरण के किसी लिखित सबूत द्वारा की जानी चाहिए।
15. परियोजना के बारे में जागरूकता सृजन के लिए स्वैच्छिक संगठन प्रायोजक एजेंसी के नाम और निधियां जारी करने इत्यादि सहित परियोजना के सभी ब्यौरों को व्यक्त करने की व्यवस्था करेगा।
16. कपार्ट की सहायता से चल रही परियोजना से जुड़े पूरे परियोजना स्टाफ का वेतन चैक के जरिए दिया जाएगा।
17. पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रत्येक परियोजना स्टाफ संबंधी बजट को स्वैच्छिक संगठन के बोर्ड पर दर्शाया जाएगा।
18. अनुदान प्राप्त करने वाले संगठन निम्नलिखित दस्तावेजों का अनुरक्षण करेंगे :-
कपार्ट के किसी अधिकारी अथवा कपार्ट द्वारा नामजद किन्हीं व्यक्तियों द्वारा निरीक्षण अथवा जांच-पड़ताल किए जाने हेतु परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन द्वारा परियोजना की पूरी अवधि के दौरान और तत्पश्चात कपार्ट द्वारा प्रमाणपत्र तथा लेखापरीक्षित आंकड़े प्राप्त करने के पश्चात् एक वर्ष की अवधि तक सभी बही खाते, बनाई गई परिसम्पत्ति पंजिकाएं और सहायता के उपयोग के संबंध में अन्य विषयगत सूचना उपलब्ध कराई जाएगी।
19. स्वैच्छिक संगठन अर्द्ध-वार्षिक आधार पर प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन ऊपर खंड 2 में उल्लिखित लागत की भिन्न-भिन्न मदों पर किए गए व्यय का एक विवरण तैयार करके उसे छह माह की अवधि की समाप्ति के 30 दिनों के अंदर कपार्ट को प्रस्तुत करेगा। सहायता की पहली क़िस्त जारी होने की तारीख के बाद कपार्ट द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रपत्र में परियोजना की प्रगति रिपोर्ट सहित परियोजना की शेष अवधि के दौरान इन मदों पर अनुमानित व्यय का विवरण भेजा जाएगा। तत्पश्चात हर छह माह की परवर्ती अवधि के संबंध में ऐसे विवरण, रिपोर्ट आदि इन अवधियों की समाप्ति के 30 दिनों के अंदर कपार्ट को भेजे जाएंगे। तथापि, कपार्ट प्रत्येक छह की अवधि के बजाए किसी अन्य अवधि के संबंध में व्यय विवरण प्रस्तुत किए जाने की मांग कर सकता है। इसके लिए जुटाए गए अनुमानित योगदान के समर्थन में संगठन के मुख्य पदाधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र संलग्न किया जाएगा।
20. यदि स्वैच्छिक संगठन धनराशि जारी किए जाने के बाद छह माह की अवधि के अंतर्गत प्रगति रिपोर्ट/लेखा परीक्षित लेखा विवरण/लेखा परीक्षित उपयोग प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने में असमर्थ होता है तो उस पर ब्याज की दंडात्मक दर प्रभार्य होगी।
21. परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन परियोजना के समाप्त होने के बाद तीन माह के अंदर परियोजना के प्रभारी अधिकारी अथवा परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन द्वारा प्राधिकृत अन्य किसी पदाधिकारी के हस्ताक्षर से निधियों के उपयोग का एक प्रमाणपत्र कपार्ट को प्रस्तुत करेगा जिसपर निम्नलिखित निर्देशों पर प्राधिकृत सनदी लेखापाल के हस्ताक्षर किए जाएंगे :-
''प्रमाणित किया जाता है कि कपार्ट से प्राप्त ----------------------रुपए की सहायता राशि में से --------------रुपए की राशि का मंजूरी प्राप्त प्रयोजन के लिए उपयोग कर लिया गया है।
22. परियोजना धारक के प्रमाणपत्र के साथ परियोजना का सनदी लेखाकार द्वारा विधिवत लेखा परीक्षित एक समेकित प्राप्ति एवं भुगतान लेखा, आय एवं व्यय लेखा तथा तुलनपत्र होगा। अनुदानग्राही संगठन वित्तीय वर्ष के अंत में लेखापरीक्षित लेखा विवरणी उपलब्ध कराएगा जिसमें समग्र रूप से संगठन के लिए भिन्न-भिन्न स्रोतों से प्राप्त अनुदानों को दर्शाया गया है, और इसी प्रकार, परियोजना के अंत में समेकित लेखापरीक्षित लेखा विवरण और उपयोग प्रमाणपत्र जिसमें स्वीकृत शीर्ष के अनुसार प्राप्त विभिन्न किस्तों, प्राप्त अनुदानों पर अर्जित ब्याज, संगठन द्वारा किए गए अंश दान और नकदी रूप में जुटाए गए लाभार्थी अंश दान को दर्शाया गया है, प्रस्तुत करेगा। उक्त लेखों और लेखों के लेखापरीक्षित विवरण के साथ उक्त सनदी लेखापाल का निम्नलिखित प्रमाणपत्र भी संलग्न होगा :
''प्रमाणित किया जाता है कि कपार्ट से प्राप्त की गई -----------रुपए की सहायता से किए गए व्यय की मेरे/हमारे द्वारा लेखापरीक्षा कर ली गई है और यह धनराशि परियोजना की शर्तों के अनुसार निम्नलिखित प्रकार से निर्मुक्त एवं खर्च की गयी है|
क्रम सं. |
कार्य की मद |
निर्मुक्त धनराशि |
खर्च की गई धनराशि |
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यथार्थ रूप में किए गए सत्यापन के आधार पर आगे प्रमाणित किया जाता है कि निम्नलिखित चल अथवा अचल परिसम्पत्तियाँ कपार्ट सहायता के माध्यम से तैयार अथवा इसकी परिणामी हैं जिसकी अधिग्रहण लागत 20,000/- रुपये हैं|
क्रम सं. |
परिसम्पत्तियां |
अधिग्रहण लागत |
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23. परियोजना धारक, परियोजना की समाप्ति के तीन माह के भीतर कपार्ट को परियोजना में किए गए समस्त कार्य की समेकित रिपोर्ट की एक प्रति प्रस्तुत करेगा।
24. परियोजना धारक द्वारा जहां कही प्रस्ताव में उल्लेख किया गया है वह परियोजना की प्रगति का अनुवीक्षण करने के लिए एक स्थानीय परियोजना कार्यान्वयन समिति स्थापित करेगा।
25. परियोजना धारक परियोजना की प्रगति के अनुवीक्षण हेतु कपार्ट अथवा कपार्ट द्वारा नियोजित किसी अधिकारी अथवा इस प्रयोजन हेतु कपार्ट द्वारा नामजद व्यक्ति को सहयोग करेगा।
26. परियोजना धारक/स्वैच्छिक संगठन, जहां आवश्यक होगा मूल रूप से निर्धारित अंतिम तारीख से कम से कम तीन माह पूर्व परियोजना की अवधि बढ़ाने के लिए अनुमोदन प्राप्त करेगा।
27. उन मामलों में जहां परियोजना धारक ने परियोजना की अवधि बढ़ाने के लिए कपार्ट से लिखित रूप से मंजूरी प्राप्त नहीं की है, संदर्भित लेखा परीक्षित लेखों सहित निधियों के उपयोग का प्रमाणपत्र परियोजना की मूल रूप से निर्धारित अंतिम तारीख से तीन माह के अंदर प्रस्तुत किया जाएगा।
28. सहायता से पूर्ण अथवा आंशिक रूप में अर्जित की गई चल एवं अचल परिसम्पत्तियों का कपार्ट की लिखित रूप में पूर्वानुमति के बगैर अंतरण, अन्य संक्रमण, निपटान नहीं किया जाएगा, गिरवी, रेहन नहीं जाएगा, ऋणग्रस्त अथवा उस प्रयोजन जिसके लिए सहायता की मंजूरी दी गई है, से भिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग नहीं किया जाएगा और कपार्ट के लाभार्थ परियोजना धारक द्वारा पूरा समय न्यास में रखा जाएगा और किसी भी समय, यदि कपार्ट ऐसा करना चाहे, इन्हें कपार्ट अथवा उनके द्वारा निदेशित किसी अन्य व्यक्ति/निकाय को अंतरित कर दिया जाएगा।
29. परियोजना धारक कपार्ट की सहायता समाप्त हो जाने के बाद लाभार्थियों द्वारा स्वयं परियोजना प्रबंध और रखरखाव की व्यवस्था करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेता है।
30. परियोजना के तहत किए गए अनुसंधान कार्य के आधार पर दस्तावेज प्रकाशित करने के इच्छुक व्यक्ति को कपार्ट का अनुमोदन प्राप्त करना होगा और इसके लिए कपार्ट से प्राप्त प्रबंधन तथा वित्तीय सहायता की अभिस्वीकृति भी देनी होगी।
31. स्वैच्छिक संगठन के विरूद्ध आगे कार्रवाई शुरू करने के लिए अनुवीक्षणकर्ता की रिपोर्टों के आधार पर कपार्ट का निर्णय अंतिम होगा।यदि निधियों का उचित उपयोग नहीं किया जाता तो कार्रवाई की जाएगी
32. संविदा का सार यह है कि कपार्ट की निधियां 'लोक निधियां' हैं जिनका प्रयोजन गांवों में समृद्धि और विकास को बढ़ाना है तथा परियोजना धारक को यह सहायता इस दृढ़ विश्वास के साथ दी जाती है कि वह इसका उपयोग इन शर्तों तथा निबंधनों के अनुसार ईमानदारी, विवेक से और जनहित में केवल परियोजना के लिए ही करेगा। कोई उल्लंघन या विपथन भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दंडनीय होगा।
33. कपार्ट को यह अधिकार प्राप्त है कि वह ऊपर लिखित किसी शर्त का उल्लंघन किए जाने या अन्य किन्हीं प्रयोजनों के लिए उनका प्रयोग करने अथवा निष्क्रियता, अपर्याप्त प्रगति अथवा निधियों का प्रयोग न किए जाने पर निर्मुक्त की गई निधियों को पूर्णतः अथवा अंशतः वापस मांग ले और पिछली निर्मुक्ति की तारीख से उनपर 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज की वसूली करें। उपरोक्त किसी एक बात के लिए छूट देने का अर्थ यह नहीं होगा कि बाद में ऐसी ही परिस्थितियों में कपार्ट के ये अधिकार समाप्त हो गए हैं।
34. परियोजना धारक परियोजना की समाप्ति पर अथवा उससे पहले भी जब धनराशि का उस प्रयोजन हेतु उपयोग करने की जरूरत न रहे जिसके लिए वह निर्मुक्त की गई थी, निर्मुक्त राशि की बकाया राशि कपार्ट को वापस कर देगा।
35. कपार्ट को सभी अदायगियां कपार्ट को देय डिमांड ड्राफ्ट द्वारा की जाएंगी।
36. कपार्ट द्वारा अन्य पक्षों को तकनीकी जानकारी के अंतरण की सुविधा के लिए जरूरी आरेखों, विवरणों और अन्य सामग्री की मांग करने का अधिकार प्राप्त होगा और परियोजना धारक बिना किसी शुल्क के कपार्ट को पूरी अपेक्षित की आपूर्ति करेगा।
37. परियोजना हस्तांतरणीय नहीं है और परियोजना धारक उस कार्य का कार्यान्वयन जिसके लिए कपार्ट द्वारा सहायता मंजूर की गई है, अन्य किसी व्यक्ति या संस्था को नहीं सौंपेगा। उप-संविदाकरण का कोई मामला तत्काल दंड कार्रवाई में परिणामी होगा।
38. करार के विषय क्षेत्र, विस्तार प्रतिपादन और अर्थ से संबंधित सभी विवाद और उनसे उत्पन्न किसी भी विवाद पर सक्षम क्षेत्राधिकारांतर्गत न्यायालय द्वारा संबंधित राज्य क्षेत्र/राज्य के अंतर्गत ही निर्णय लिया जाएगा।
39. अप्रयुक्त/दुरूपयोग किए गए अनुदानों की वसूली करने या लेखापरीक्षित लेखों और उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के लिए जिम्मेदारी दोषी स्वयंसेवी संगठनों की होगी। यदि स्वयंसेवी संगठन अनुदानों को लौटाने में असमर्थ होते हैं, तो कपार्ट न केवल जिला प्रशासन के माध्यम से कार्रवाई किए जाने बल्कि अन्य सरकारी/अर्द्ध-सरकारी और निधियन एजेंसियों द्वारा उन्हें काली सूची में शामिल कराने के लिए भी बाध्य होगा और साथ ही साथ सोसायटियों के रजिस्ट्रार से उनका पंजीकरण रद्द करा देगा।
40. यदि सरकार अथवा कपार्ट को यह विश्वास हो जाता है अथवा उनका मत है कि कार्यान्वयन एजेंसी -
तो ये किसी भी समय वित्तीय सहायता देना बंद कर सकते हैं जिससे कार्यान्वयन एजेंसी भुगतान की गई अथवा देय राशि यों और उनके द्वारा सृजित परिसम्पत्तियों को रखने के अधिकार से वंचित कर दी जाएगी और उसे इन परिसम्पत्तियों को सौंपना बंद कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा कपार्ट के विधिसम्मत किन्हीं अन्य अधिकारों के पूर्वाग्रह के बिना होगा।
41. निम्नलिखित किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर कपार्ट को निधि की पूरी अथवा आंशिक राशि वसूल करने का अधिकार प्राप्त होगा और स्वैच्छिक संगठन को एफएएस के तहत रखा जाएगा :
क) यदि परियोजना धारक मूल्यांकन के समय अनुवीक्षण में सहयोग नहीं देता।
ख) यदि परियोजना धारक निर्धारित अवधि के अंदर पीआर/लेखा/यूसी आदि को प्रस्तुत नहीं करता।
ग) यदि परियोजना धारक कपार्ट की अनुमति के बिना निधि का उपयोग अन्य किसी प्रयोजन के लिए करता है/लाभार्थियों को बदलता है/स्थान में परिवर्तन करता है।
42. निम्नलिखित किसी भी शर्त का उल्लंघन करने पर कपार्ट को निधि की पूरी अथवा आंशिक राशि वापस लेने का अधिकार प्राप्त होगा और स्वैच्छिक संगठन को काली सूची की श्रेणी में रखा जाएगा :-
क) यदि परियोजना धारक ने एक से अधिक स्रोत से निधियां प्राप्त की हैं अथवा करता है अथवा उन्हीं लाभार्थियों के साथ उसी परियोजना के लिए किसी अन्य सरकारी/गैर-सरकारी, अंतर्राष्ट्रीय अथवा किसी अन्य एजेंसी से पूर्ण अथवा आंशिक रूप में निधियां प्राप्त करने के लिए आवेदन करता है।
ख) मुख्य पदाधिकारी आपराधिक कृत्य में लिप्त हों/लोक निधियों का दुरुपयोग करते हों।
ग) पर्याप्त अवसर प्राप्त होने पर भी निर्धारित कार्य को सम्पादित न करना।
घ) परियोजना के तहत सृजित/अर्जित परिसम्पत्तियों को समुदाय/लाभार्थियों को हस्तांतरित करने से इंकार करना।
ड.) मुख्य पदाधिकारी सरकारी कर्मचारी हों और स्वैच्छिक संगठन ने इस सच्चाई को छिपाया हो।
च) यदि संगठन के कार्यकारिणी/शासी /प्रबंध निकाय के दो से अधिक सदस्य रिश्तेदार/परिवार के सदस्य हैं और/अथवा अनमें से दो बैंक के खातों के संचालनों में सह-हस्ताक्षरकर्ता हैं और स्वयंसेवी संगठन ने इस सच्चाई को छिपाया है।
छ) स्वैच्छिक संगठन को अन्य सरकारी संगठनों आदि द्वारा काली सूची में रखा गया है।
43. सहायता प्राप्त करने वाली कार्यान्वयन एजेंसी को वित्तीय सहायता रद्द कर दिए जाने पर अथवा इसका पूर्वाभास होने पर कपार्ट निधियों से सृजित परिसम्पत्तियों का स्वामित्व निर्धारित कर सकता है। कपार्ट सरकार को पूरी धनराशि और आस्तियां वापस लेने और/अथवा ये आस्तियां पूर्णतः अथवा आंशिक रूप से राज्य सरकार, पंचायती राज संस्थाओं अथवा अन्य पात्र एजेंसी को परियोजना अथवा कार्यक्रम को पूरा करने अथवा परिसम्पत्तियों के रखरखाव और संरक्षण के लिए अथवा अन्यथा, अंतरित करने का निदेद्गा भी दे सकता है। इस प्रकार अंतरित परिसम्पत्तियों अंतरिती द्वारा उन प्रयोजनों जिनके लिए अनुदान की मंजूरी दी गई है,के अलावा किन्हीं अन्य प्रयोजनों के लिए धारित अथवा उपयोग नहीं की जानी चाहिये; और अंतरिती (ट्रांसफर) समान दायित्वों के साथ
एक पात्र एजेंसी के रूप में इन परिसम्पत्तियों को धारित करेगा, उसे सुरक्षित रखेगा तथा उसका उपयोग करेगा जब तक कि कपार्ट अन्य कोई निर्णय नहीं लेता।
44. कपार्ट को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह इन शर्तों का उल्लंघन करने अथवा निधियों का अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग करने, निष्क्रियता, अर्प्याप्त प्रगति अथवा निधियों का उपयोग न करने अथवा अनुमोदित प्रस्ताव से विचलित होने पर इस संविदा की शर्तों का उल्लंघन करने पर हर्जाने के तौर पर अनुदान की राशि से दुगुनी राशि के साथ-साथ मांग की तारीख से भुगतान की तारीख तक 6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर पर ब्याज सहित, निर्मुक्त की गई पूरी अथवा आंशिक राशि वसूलकर लेगा। उपर्युक्त किसी मामले में दी गई छूट का अर्थ यह नहीं होगा कि बाद में ऐसी ही किन्हीं परिस्थितियों में कपार्ट के ऐसे अधिकार समाप्त हो जाएंगे। इस प्रक्रिया के तहत वसूली कपार्ट को कानून के तहत उपलब्ध प्रक्रिया के अनुसार उक्त राशि की वसूली करने पर रोक नहीं लगाती।
(प्रधान/अध्यक्ष के हस्ताक्षर मुहर एवं तारीख सहित)
(सचिव/महासचिव के हस्ताक्षर मुहर एवं तारीख सहित)
साक्षी (कार्यकारिणी निकाय/प्रबंध समिति के सभी सदस्यों के नाम, पते और हस्ताक्षर)
-------------------------------------- के शासी निकाय/कार्यकारिणी समिति की बैठक दिनांक -------------------- को प्रातः/सांय ------------------ बजे---------------- संगठन के कार्यालय में आयोजित की गई।
संगठन के प्रधान/सचिव ने बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में निम्नलिखित सदस्य उपस्थित थे।
क्रम सं. |
नाम |
पिता/पति का नाम पता |
पद |
हस्ताक्षर |
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बैठक में उपस्थिति कोरम की आवश्यकता के अनुसार थी/अनुसार नहीं थी। शासी निकाय/कार्यकारिणी समिति की पिछली बैठक के कार्यवृत्त की पुष्टि की गई। कपार्ट द्वारा उनके पत्र संदर्भ सं.------------------दिनांक -------------द्वारा जारी मंजूरी पत्र शासी निकाय/कार्यकारिणी समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया और शासी निकाय/कार्यकारिणी समिति ने सर्वसम्मति से पारित किया :
कपार्ट द्वारा योजना के तहत यथा अनुमोदित ------------रुपए की वित्तीय सहायता की स्वीकृति।
उसके बाद बैठक स्थगित कर दी गई।
अध्यक्ष/सभापति
स्थान :
नाम:
तिथि : संगठन की मुहर
स्रोत: ज़ेवियर समाज संस्थान पुस्तकालय, कपार्ट, एन.जी.ओ.न्यूज़, ग्रामीण विकास विभाग,भारत सरकार|
अंतिम बार संशोधित : 11/29/2019
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