अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अत्याचार की रोकथाम के लिए और अधिक कठोर प्रावधानों को सुनिश्चित करनाहै। यह अधिनियम प्रधान अधिनियम में एक संशोधन है और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) (पीओए) अधिनियम,1989 के साथ संशोधन प्रभावों के साथ लागू किया गया है।
अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) संशोधन अधिनियम, 2015 की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैः-
इस कानून की तीन विशेषताएँ हैं :
यह अनुसूचित जातियों और जनजातियों में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ़ अपराधों को दंडित करता है।
यह पीड़ितों को विशेष सुरक्षा और अधिकार देता है।
यह अदालतों को स्थापित करता है, जिससे मामले तेज़ी से निपट सकें।
कुछ ऐसे अपराध जो भारतीय दंड संहिता में शामिल हैं, उनके लिए इस कानून में अधिक सज़ा निर्धारित की गयी है ।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले क्रूर और अपमानजनक अपराध, जैसे उन्हें जबरन अखाद्य पदार्थ (मल, मूत्र इत्यादि) खिलाना या उनका सामाजिक बहिष्कार करना, को इस क़ानून के तहत अपराध माना गया है I इस अधिनियम में ऐसे २० से अधिक कृत्य अपराध की श्रेणी में शामिल किए गए हैं ।
धारा ३ में कृत्यों की एक लम्बी सूची दी गयी हैl अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ़ यदि कोई व्यक्ति इनमें से कोई भी कृत्य करता है, तो इस क़ानून के अंतर्गत वह एक अत्याचार माना गया है और उसे दण्डित भी किया गया है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को जबरन अखाद्य या घृणास्पद पदार्थ (जैसे गोबर) खिलाना या पिलाना एक अपराध है ।
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के घर/निवास स्थल पर या घर के द्वार पर, घृणास्पद पदार्थ (जैसे मृत जानवरों के शव या मल, मूत्र) डाल/छोड़ देना, एक अपराध है । यदि उस बस्ती में जिसमें अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य रहते है, ऐसे पदार्थ, उन्हें अपमानित करने या उन्हें परेशान करने की मंशा से फेंके जाएँ, तो यह भी एक अपराध है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को जूतों या चप्पलों की माला पहना कर या फ़िर नग्न अथवा अर्ध-नग्न अवस्था में बस्ती में घुमाया जाना अपराध है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य से ऐसे कार्य करवाना जो उनकी गरिमा के विरुद्ध हो, अपराध है, जैसे –
बलपूर्वक कपड़े उतरवाना,
सर के बाल या मूँछ मुंड़वाना,
चेहरे पर कालिख़ पोतना।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य की ज़मीन (जिस पर उसका मालिकाना अधिकार हो या जो उसके द्वारा नियंत्रित हो या जो उसे आवंटित की गयी हो), पर अवैध कब्ज़ा करना अपराध है । ऐसा क़ब्ज़ा अवैध माना जाएगा जो कि-
वह पीड़ित की सहमति लिए बिना किया गया हो,
पीड़ित या पीड़ित से सम्बंधित किसी व्यक्ति को डरा-धमका कर किया गया हो,
झूठे दस्तावेज़ बना कर किया गया हो।
इसी तरह, अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्यों को उनकी संपत्ति से गैर-क़ानूनी तरीके से वंचित करना या उनके भूमि अधिकारों का हनन करना भी एक अपराध है । इसमें निम्न अपराध शामिल हैं:
अनुसूचित जाति व जनजाति के किसी सदस्य के तहत दिए गए वन अधिकारों का हनन करना,
जल स्रोत या सिंचाई के स्त्रोतों से वंचित करना,
फसल नष्ट करना या फसल पर कब्ज़ा कर लेना।
अनुसूचित जाति / जनजाति के किसी सदस्य से बँधुआ मज़दूरी करवाना भी एक अपराध है; पर यदि सरकार किसी प्रकार की लोक सेवा अनिवार्य कर देती है, तो उस परिस्थिति में यह अपराध नहीं माना जाएगा ।
अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के सदस्यों से मानव अथवा पशुओं के शवों को उठवाना और उनका अंतिम संस्कार करवाना , अपराध है ।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों से मैनुअल स्कैवेंजिंग (यानि हाथ से मल साफ़ करवाना अथवा सर पर मलबा ढुलवाना) करवाना या उन्हें इस हेतु नौकरी पर रखना, अपराध है ।
देवदासी प्रथा को बढ़ावा देना भी एक अपराध है ।
अनुसूचित जाति व जनजाति के सदस्य के मतदान के अधिकार में हस्तक्षेप करना इस क़ानून के तहत अपराध है, विशेष रूप से :
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को किसी निश्चित तरीके से वोट करने के लिए मजबूर करना अपराध है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य को चुनाव में खड़े होने से रोकना अपराध है ।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को, उम्मीदवार प्रस्तावित करने और किसी अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के नामांकित उम्मीदवार का समर्थन करने से रोकना, अपराध है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के ऐसे सदस्य जो पंचायत/नगर पालिका के प्रतिनिधि हैं, उनके कार्य में हस्तक्षेप करना अपराध है l उनको डरा या धमका-कर काम में अवरोध पैदा करना वर्जित है ।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के किसी सदस्य को चोट पहुँचाना या उसका बहिष्कार करना अपराध है।
यदि आप किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य के खिलाफ़ इसलिए अपराध करते हैं क्योंकि उसने किसी निश्चित तरीके से मतदान किया है, तो इस क़ानून के तहत यह दंडित किया गया है।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के सदस्य के खिलाफ़ झूठा केस/मुकदमा दर्ज़ करना अपराध है ।
किसी सरकारी अधिकारी /लोक सेवक को झूठी जानकारी देना अपराध है यदि इस कारणवश उस कर्मचारी द्वारा किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य का उत्पीड़न किया जाता है।
किसी सार्वजनिक स्थल पर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य का अभिप्राय- पूर्वक/ जान-बूझ कर अपमान करना व उसे शर्मिंदा करना अपराध है ।
किसी सार्वजनिक स्थल पर अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य को अपमानजनक, जातिसूचक शब्दों से संबोधित करना अपराध है ।
किसी भी ऐसी वस्तु को हानि पहुँचाना जो अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य के लिए महत्वपूर्ण है जैसे कि डॉक्टर अम्बेडकर की मूर्ति अथवा तस्वीर ।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदायों के प्रति नफ़रत को बढ़ावा देने वाले विचार व्यक्त करना या प्रकाशित करना अपराध है ।
किसी ऐसे स्वर्गीय व्यक्ति विशेष के बारे में अपमानजनक शब्द कहना या लिखना जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए महत्त्वपूर्ण हों ।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला सदस्य को उसकी इच्छा के विरुद्ध छूना अपराध है । अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की महिला का यौन उत्पीड़न करना भी इस क़ानून के तहत अपराध है। यदि ऐसा अपराध घटित होता है तो पीड़ित महिला का पूर्व चरित्र व आचरण किसी भी तरह से आरोपियों के विरुद्ध मुक़दमे के परिणाम को प्रभावित नहीं करेगा ।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले जलाशय या जल स्त्रोतों को गंदा करना या अनुपयोगी बना देना अपराध है ।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने से रोकना अपराध है ।
अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को अपना निवास स्थान छोड़ने पर मज़बूर करना अपराध है, सिवाय तब जब वह क़ानूनी रूप से किया जाए ।
नीचे दिए गए कृत्य भी अपराध की श्रेणी में आते हैं-
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को किसी भी सार्वजनिक स्थल या संसाधन जैसे जलाशय, नल, कुएँ , श्मशान इत्यादि, का उपयोग करने से रोकना।
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को घोड़े या वाहन की सवारी करने से अथवा जुलूस निकालने से रोकना।
अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का ऐसे धार्मिक स्थल और धार्मिक समारोह में प्रवेश वर्जित करना जो जन साधारण के लिए खुले हों।
किसी सार्वजनिक क्षेत्र जैसे कोई स्कूल, अस्पताल या सिनेमा घर में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्यों का प्रवेश वर्जित करना ।
नौकरी या व्यापार करने से अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्य को रोकना ।
किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य पर टोनही/डायन होने का आरोप लगाना और उन्हें शारीरिक या मानसिक रूप से कष्ट पहुँचाना अपराध है ।
आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार करना अथवा ऐसा करने करने की धमकी देना अपराध है ।
इस अधिनियम के तहत ज़ुर्माने के साथ, कम से कम ६ महीने या अधिकतम ५ साल तक की सज़ा देने का प्रावधान है । इसके अलावा इस कानून के तहत किसी अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति के सदस्य को सज़ा नहीं दी जा सकती ।
यह क़ानून सरकार को पीड़ित और उस पर आश्रित व्यक्तियों की सहायता करने के निर्देश देता है। पीड़ित के परिवार के वे सदस्य है जो उस पर निर्भर हैं, इस क़ानून में आश्रित की श्रेणी में आते हैं।
यदि कोई व्यक्ति किसी अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य से व्यापार करने से इनकार करता है तो इसे आर्थिक बहिष्कार कहा जाएगा ।
निम्न गतिविधियाँ आर्थिक बहिष्कार की श्रेणी में आएँगी:
किसी अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के सदस्य के साथ काम करने या उसे काम पर रखने/नौकरी देने से इनकार करना।
अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के सदस्य को सेवा न प्रदान करना अथवा उन्हें सेवा प्रदान करने न देना।
सामान्यतः व्यापार जैसे किया जाता है उस तरीके में बदलाव लाना क्योंकि अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति का सदस्य इसमें शामिल है।
स्त्रोत: न्याय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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