देश में नशीले पदार्थो एवं मद्यपान की समस्या को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय कैसे दूर करता है ?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नशीली दवा दुरुपयोग को मनो-सामाजिक चिकित्सा समस्या माना है जिसे गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों की सक्रिय भागीदारी द्वारा परिवार/समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर सर्वोत्तम तरीके से दूर किया जा सकता है। मांग में कमी की त्रिआयामी रणनीति इस प्रकार है :
- नशीली दवा दुरुपयोग के बुरे प्रभावों के बारे में लोगों को जागरुक और शिक्षित करना।
- प्रोत्साहनात्मक परामर्श, पहचान, उपचार और नशीली दवा व्यसनियों के पुनर्वास हेतु समुदाय आधारित हस्तक्षेप।
- प्रतिबद्ध और कुशल संवर्ग तैयार करने के लिए स्वयंसेवियों/सेवा प्रदाताओं तथा अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
ऐसी कौन सी योजनाएं हैं जिनके तहत मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ?
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वर्ष 1985-86 से मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण की योजना का कार्यान्वयन कर रहा है।
मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण की योजना के तहत परियोजना के लिए अनुमत सहायता की राशि क्या है ?
इस योजना के तहत, अनुमत: व्यय की 90% तक राशि वित्तीय सहायता के रूप में स्वैच्छिक संगठनों तथा अन्य पात्र एजेंसियों को एकीकृत व्यसनी पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए) की स्थापना करने/संचालन करने के लिए प्रदान की जाती है। पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर के मामले में, सहायता की राशि कुल अनुमत व्यय का 95% है। एक सहायता प्राप्त संगठन को 5 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता के बाद गैर-सरकारी संगठनों के लिए अनुदानों को चरणबद्ध करने के संबंध में मंत्रालय के समान दिशा-निर्देशों के अनुरूप अनुदान प्रदान किया जाएगा। विश्वविद्यालय, समाज कार्य से सम्बद्ध विद्यालय तथा ऐसी अन्य उच्च शिक्षा संस्थाएं अनुमत व्यय की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे।
क्या सरकार ने मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण की योजना को संशोधित किया है ?
यह योजना दिनांक 1 जनवरी, 2015 से संशोधित कर दी गई है तथा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।
ऐसी कौन सी एजेंसियां हैं जो परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण के लिए सहायता प्रदान करने की योजना के तहत सहायता अनुदान प्राप्त करने हेतु पात्र हैं ?
- सोसाइटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम, 1860 अथवा राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों के किसी संगत अधिनियम अथवा साहित्यिक, वैज्ञानिक एवं धर्मार्थ सोसाइटियों के पंजीकरण से संबद्ध कोई राज्य कानून के तहत पंजीकृत सोसाइटी,
- सार्वजनिक न्यास,
- कंपनी अधिनियम, 1958 के तहत स्थापित कंपनी,
- राज्य/केंद्र सरकार द्वारा पूर्णत: पोषित/प्रबंधित कोई संगठन/संस्था,
- पंचायती राज संस्थाएं (पीआरआई), शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी) इस योजना के तहत वित्तीय सहायता के पात्र हैं,
- विश्वविद्यालय, समाज कार्य से सम्बद्ध विद्यालय, अन्य सूचित शैक्षिक संस्थाएं, एनवाईकेएस तथा ऐसे अन्य सु-स्थापित संगठन/संस्थाएं, जिन्हें सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया जाए।
ऐसी कौन सी परियोजनाएं हैं जो मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण हेतु सहायता प्रदान करने की योजना के तहत सहायता के लिए अनुमत है ?
- जागरुकता और निवारक शिक्षा
- नशीली दवा जागरुकता और परामर्श केन्द्र (सीसी)
- समेकित व्यसनी पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए)
- कार्य स्थल निवारण कार्यक्रम (डब्ल्यूपीपी)
- नशामुक्ति शिविर (एसीडीसी)
- नशीली दवा दुरुपयोग निवारण हेतु गैर सरकारी संगठन मंच
- समुदाय आधारित पुनर्वास को सुदृढ़ करने के लिए नवीन हस्तक्षेप
- तकनीकी विनिमय और जनशक्ति विकास कार्यक्रम
- योजना के अंतर्गत शामिल विषयों के बारे में सर्वेक्षण, अध्ययन, मूल्यांकन और अनुसंधान
किसी गैर-सरकारी संगठन हेतु मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण हेतु सहायता प्रदान करने की योजना के तहत सहायता अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्रता मानदंड क्या है ?
- यह उपर्युक्त रूप से गठित प्रबंधन निकाय होना चाहिए जिसकी स्पष्ट रूप से परिभाषित शक्तियां, कर्तव्य और जवाबदेहियां हों और जिनका उल्लेख लिखित रूप में हो।
- इसके पास कार्यक्रम को प्रारंभ करने के लिए संसाधन, सुविधाएं तथा अनुभव होना चाहिए।
- इसे लाभ के परियोजन से किसी व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह द्वारा संचालित नहीं किया जाना चाहिए।
- इसे लिंग, धर्म, जाति या नस्ल के आधार पर किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के विरूद्ध भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- इसे साधारणत: तीन वर्ष से विद्यमान होना चाहिए।
- इसकी वित्तीय स्थिति अच्छी होनी चाहिए।
नए केंद्रों को मंजूरी दिए जाने की पात्रता क्या है ?
वे संगठन जो पात्र होते हैं और जिनके पास नशा-मुक्ति कार्यक्रमों का पर्याप्त अनुभव है, सहायता अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं। सामान्यत: वे तीन वर्ष से अस्तित्व में होने चाहिए। मंत्रालय से अनुदान प्राप्त करने हेतु पात्र होने के लिए एक संगठन की सिफारिश के लिए निम्नलिखित पैरामीटरों को ध्यान में रखा जाता है:
- सेवा विहीन और अल्प सेवा वाले क्षेत्रों पर पर्याप्त ध्यान सुनिश्चित करते हुए समान भौगोलिक विस्तार।
- सामान्यत: एक जिले में दो एनजीओ और बड़े शहर में तीन एनजीओ से अधिक नहीं।
- कई सामाजिक कार्यकलाप करने वाले संगठनों की बजाए उन संगठनों को वरीयता दी जाती है जो पूर्णत: नशामुक्ति कार्यकलापों में संलग्न है।
राज्य सरकार के अतिरिक्त कौन सी एजेंसियां हैं जिन्हें केंद्रों के निरीक्षण हेतु नामित किया गया है ?
इस मंत्रालय अथवा क्षेत्रीय संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारी, जब भी मंत्रालय द्वारा निदेश दिया जाता है, केंद्रों का निरीक्षण करते हैं।
उन संगठनों के विरूद्ध क्या कार्रवाई की गई है जो अनुदानों का दुरुपयोग कर रहे हैं ?
जब कभी किसी अनुदानग्राही संगठन पर अनुदानों के दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाता है :
- इसके लिए सहायता अनुदान की निर्मुक्ति को तत्काल निलम्बित कर दिया जाता है
- मंत्रालय अथवा संबंधित राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा अन्वेषण आरंभ किया जाता है तथा मामले की जांच की जाती है
- यदि, इसके पश्चात अनुदानों का दुरुपयोग सिद्ध हो जाता है
- अगले सहायता अनुदान को स्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है और उस संगठन को काली सूची में डाल दिया जाता है
- राज्य सरकार/जिला क्लेक्टर से सरकारी सहायता से सृजित परिसम्पत्तियों को जब्त करने के लिए कहा जाता है, उनके निपटान से, इस प्रकार एकत्रित धनराशि को सरकार के पास जमा किया जाता है।
क्या संगठन इन केन्द्रों को सेवाएं प्रदान करने के लिए कोई धनराशि ले सकते हैं ?
संगठन उन सेवाओं के लिए धनराशि नहीं ले सकते हैं जिनके लिए संस्वीकृत बिस्तरों में सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है। सहायता अनुदान स्थापना प्रभारों, किराया, साधारण दवाओं, स्थानीय परिवहन, भोजन एवं आकस्मिक सेवाओं इत्यादि के लिए योजना के अनुरूप प्रदान किया जाता है।
स्त्रोत: सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय