भूमिका
पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे ने उपभोक्ताओं, उद्योगों और सरकार को एक समान मंच पर ला दिया है जहां हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी है। औद्योगिकीकरण के कारण पर्यावरण और स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करने और स्वच्छ (एआर) प्रौद्योगिकियों के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार और विधायिकाएं अपने प्रभाव का उपयोग कर रही हैं। हालांकि, पर्यावरण को तेजी से औद्योगिकीकरण, अनियोजित शहरीकरण और बेहतर जीवन स्तर को हासिल करने के लिए दौड़ में उपभोग के पैटर्न से भारी तनाव है। यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट है कि अकेले प्रदूषण नियंत्रण एजेंसियों द्वारा नियामक क्रियाएं पर्यावरण को अपने मूल राज्य में बहाल नहीं कर सकती हैं। प्रो-सक्रिय और प्रचारक भूमिकाओं को समग्र पर्यावरण संरक्षण रणनीति के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। निर्माताओं ने उपभोक्ताओं के लिए स्वच्छ और पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों और प्रयुक्त उत्पादों के पर्यावरण-सुरक्षित निपटान, निवारक और निपुण दृष्टिकोण के साथ-साथ अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए समय निकाला है।
उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए, भारत सरकार ने पर्यावरणीय अनुकूल उत्पादों की आसान पहचान के लिए 1991 में ईको-लेबलिंग स्कीम को ईकॉमर्क के रूप में जाना शुरू किया। किसी भी उत्पाद का उपयोग किया जाता है या इसका निपटान किसी तरह से किया जाता है जिसने नुकसान को कम कर दिया है, अन्यथा पर्यावरण को पर्यावरणीय अनुकूल उत्पाद माना जा सकता है।
मानदंडों में जन्म से मृत्यु तक का अर्थात कच्चे माल के निष्कर्षण से विनिर्माण से निपटान का उपागम अपनाया गया है। इकोमार्क लेबल उन उपभोक्ता वस्तुओं को प्रदान किया जाता है जो विनिर्दिष्ट पर्यावरणीय मानदंडों और भारतीय मानकों की गुणवत्ता अपेक्षाओं को पूरा करते हैं। इकोमार्क वाला कोई भी उत्पाद सही पर्यावरणीय चयन होगा।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का विशिष्ट उद्देश्य निम्नानुसार हैं-
- उत्पादों के प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए विनिर्माताओं और आयातकों को प्रोत्साहन देना।
- कम्पानियों द्वारा उनके उत्पादों के प्रतिकूल पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए की गई वास्त विक पहल को पुरस्कृत करना।
- उपभोक्ताओं को उनके क्रय निर्णयों में पर्यावरणीय कारकों को ध्यान में रखने के लिए सूचना प्रदान कर उनके दैनिक जीवन में पर्यावरण रूप से जिम्मेदार बनने के लिए सहायता प्रदान करना।
- नागरिकों को ऐसे उत्पाद खरीदने के लिए प्रेरित करना जिनका कम हानिकारक पर्यावरणीय प्रभाव है।
- अंतत- पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाना और संसाधनों के संपोषणीय प्रबंध को प्रोत्साहन देना।
पर्यावरण अनुकूल उत्पादों की लेबलिंग सम्बंधी स्कीम
भारत में इकोमार्क स्कीम के लिए प्रतीक (लोगों) के रूप में मिट्टी के बरतन को चुना गया है। साधारण मिट्टी के बरतन में मिट्टी जैसे नवीकरणीय संसाधन का उपयोग किया जाता है इससे खतरनाक अपशिष्ट पैदा नहीं होता और इसके बनाने में बहुत कम उर्जा की खपत होती है। इसका ठोस और सुंदर रूप मजबूती और भगुंरता दोनों का प्रतिनिधित्व करता है जो इको प्रणाली की विशेषता भी है।
एक प्रतीक के रूप में यह अपना पर्यावरणीय संदेश भी देता है । इसकी तस्वीर में लोगों तक पहुंचने की क्षमता है और इससे पर्यावरण के प्रति दयालु रहने की आवश्यकता के प्रति अधिक जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है। इकोमार्क स्कीम के लिए प्रतीक का यह महत्व है कि जिस उत्पाद पर यह चिन्हित होता है वह पर्यावरण को थोड़ा-सा भी नुकसान नहीं पहुंचाता है।
योजना का तंत्र
उत्पाद की प्रत्येक श्रेणी और इकोमार्क प्रदान करने के लिए मानदंडों को तैयार करने के कार्य में तीन समितियां हैं -
- स्कीम के तहत करवेज के लिए उत्पाद श्रेणियों को तय करने और साथ ही स्कीम के कार्यकरण में संवर्द्धन, कार्यान्वयन, भावी विकास और सुधार के लिए कार्यनीतियों के निर्माण के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में गठित कार्यसंचालन समिति।
- स्कीम में विचार किए जाने हेतु उत्पाद श्रेणियों को तय करना।
- स्कीम के संवर्द्धन और स्वीकृति के लिए जन जागरूकता पैदा करना।
- स्कीम के भावी विकास के लिए कार्यनीतियां तैयार करना।
- पर्यावरण अनुकूल के रूप में वर्गीकृत करने के लिए विशिष्ट उत्पादों की पहचान करना।
- इकोमार्क मानदंडों का मसौदा तैयार करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर प्रत्येक उत्पाद श्रेणी के लिए उप-समितियां गठित करना।
- विभिन्न उत्पादों को पर्यावरण अनुकूल के रूप में नामित करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानदंडों और मानकों की सिफारिश करना।
- भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा स्कीम के कार्यान्वयन की समय-समय पर समीक्षा करना।
2. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मार्च 2000 से ग्लोबल इको-लेबलिंग नेटवर्क (जीईएन) का सदस्य बन गया है।
- पर्यावरण – अनुकूल के रूप में वर्गीकृत करने के लिए विशिष्ट उत्पादों की पहचान करना।
- इकोमार्क मानदंडों का मसौदा तैयार करने के लिए आवश्यकता पड़ने पर प्रत्येक उत्पाद श्रेणी के लिए उप-समितियां गठित करना।
- पर्यावरण – अनुकूल के रूप में विभिन्न उत्पादों को नामित करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त मानदंडों और मानकों की सिफारिश करना।
- भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा स्कीम के कार्यान्वयन की समय-समय पर समीक्षा करना।
- केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में एक तकनीकी समिति गठित की गई है जो चुने जाने वाले विशिष्ट उत्पाद और अपनाए जाने वाले अलग-अलग मानदंडों की पहचान करेगी जिसमें जहां कहीं संभव हो, एक से अधिक मानदंड होने पर उनके बीच आपस में प्राथमिकता निर्धारित करना शामिल होगा।
3. भारतीय मानक ब्यूरो उत्पादों का मूल्यांकन और प्रमाणीकरण करेगा और विनिर्माताओं के साथ संविदा तैयार करेगा जिसमें शुल्क के भुगतान पर लेबल के उपयोग की अनुमति होगी।
पारिस्थितिकी निशान का मानदंड
मानदंड जन्म से मृत्यु तक अर्थात कच्चे माल के निष्कर्षण से लेकर विनिर्माण और निपटान तक उपागम पर आधारित है। मूल मानदंड व्यांपक पर्यावरणीय स्तरों एवं पहलुओं को कवर करते हैं, परन्तु उत्पाद स्तर पर वे विशिष्ट होते हैं। निम्न लिखित मुख्य पर्यावरणीय प्रभावों के अनुसार उत्पाद की जांच की जाती है -
- यह कि उनमें उत्पादन, उपयोग और निपटान के संदर्भ में अन्य तुलनीय उत्पादों की अपेक्षा प्रदूषण की काफी कम संभावना हो;
- यह कि वे रिसाइकिल किए गए हों, रिसाइकिल योग्य हों, रिसाइकिल उत्पादों या बायो-डिग्रेडिबल से बने हो, जहां तुलनीय उत्पाद नहीं हों ;
- यह कि वे तुलनीय उत्पादों की तुलना में गैर-नवीकरणीय उर्जा स्रोतों और प्राकृतिक संसाधनों सहित गैर-नवीकरणीय संसाधनों की बचत में उल्लेखनीय योगदान करे ;
- यह कि उत्पाद प्रतिकूल प्राथमिक मानदंडों की कमी में योगदान करे जिसका उत्पाद के उपयोग से जुड़ा सबसे अधिक पर्यावरणीय प्रभाव है और जो प्रत्येक उत्पा्द श्रेणियों के लिए विशेष रूप से निर्धारित किया जाएगा।
उत्पाद सम्बंधी सामान्य अपेक्षाएं
उत्पाद सम्बंधी सामान्य अपेक्षाएं उत्पादों की सुरक्षा, गुणवत्ता और निष्पादन के अतिरिक्त प्रदूषण नियंत्रण अधिनियमों के अनुपालन उपभोक्ताओं आदि के बीच पर्यावरणीय जागरूकता के मुद्दो की देखरेख करेगी।
उत्पाद विशिष्ट अपेक्षाएं -
उत्पाद विशिष्ट अपेक्षाओं का तय करते समय, निम्नलिखित मुद्दों को ध्यान में रखा गया है -
- कच्चे माल के स्रोत सहित उत्पादन प्रक्रिया;
- प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग;
- पर्यावरण के संभावित प्रभाव;
- उत्पाद के उत्पादन में ऊर्जा संरक्षण;
- उत्पाद और उसके कंटेनर का निपटान;
- "अपशिष्ट" और पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग;
- रीसाइक्लिंग या पैकेजिंग के लिए उपयुक्तता; और
- बायोडेग्रेडेबिलिटी (जैविक रूप से नाशवानशीलता)
- उत्पादन प्रक्रिया से उत्पन्न अपशिष्ट का प्रभाव और विस्तार
इको मार्क का उपयोग करने के लिए लाइसेंस कैसे प्राप्त करें
इकोमार्क की स्कीम के तहत भारतीय मानक ब्यूअरो द्वारा लाइसेंस प्रदान करने की प्रक्रिया वही होगी जो उत्पाद प्रमाणीकरण मार्क स्कीम के तहत भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा लाइसेंस प्रदान करने के लिए लागू होंगी। प्रक्रिया की मुख्य बातें नीचे दी गई है एक निर्धारित आवेदन प्रपत्र बीआईएस मुख्यालय और देश भर में अवस्थित इसके क्षेत्रीय और शाखा कार्यालयों से उपलब्ध है। इस समय ऐेसे आवेदन प्राप्त के लिए कोई शुल्क नहीं है।
- निर्धारित प्रपत्र में विधिवत रूप से भरा गया आवेदन वर्तमान में 500/- रु. के अपेक्षित शुल्क् के साथ डिमांड ड्राफ्ट के रूप भारतीय मानक ब्यूरो के पक्ष में आहरित उस स्थान पर देय, जहां आवेदन प्रस्तुत किया जाना है, ब्यूरो के संबंधित कार्यालय में प्राप्ति, पावती और आगे आवश्यक कार्रवाई के लिए भेजा जा सकता है।
- एक आवेदन पत्र केवल एक उत्पाद और एक भारतीय मानक विनिर्देशन के लिए मान्य है। प्रत्येक भारतीय मानक और प्रत्येक उत्पाद के लिए अपेक्षित शुल्क के साथ एक पृथक आवेदन ब्यूरो को प्रस्तुत किया जा सकता है।
- इकोमार्क स्कीम के तहत प्रत्येक आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रति होनी चाहिए ।
- सम्बंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से सहमति/पर्यावरण निकाली प्रमाणपत्र।
- लघु स्तर के उद्योग का पंजीकरण प्रमाणपत्र यदि आवेदन लघु उद्योग इकाई से है जो लघु उद्योग सेक्टर के लिए इकाई हेतु मार्किंग शुल्क की रियायती दर का लाभ उठाना चाहता है। यह प्रमाणपत्र विकास आयुक्त, लघु उद्योग के कार्यालय द्वारा अथवा संबंधित राज्य सरकार के उद्योग विभाग द्वारा जारी किया जा सकता है।
- भरे गए नए आवेदन पत्र के प्राप्त होने पर ब्यूरो पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तारीख को आवेदक की इकाई के प्रारंभिक निरीक्षण ओर विनिर्माण तथा गुणवत्ता नियंत्रण सुविधाओं के मूल्यांकन की व्यवस्था करता है जिसमें उत्पाद, जिसके लिए ब्यूंरो को आवेदन प्रस्तुत किया गया है, के लिए बीआईएस प्रमाणीकरण मार्क स्कीम के संतोषजनक प्रचालन के लिए आवेदन के पास जांच कार्मिकों की उपलब्ध कराना शामिल है।
- ब्यूरो के निरीक्षण अधिकारी इकोमार्क के लिए आवश्यकताओं सहित विनिर्देशन में दी गई आवश्यकताओं के साथ उत्पाद की अनुरूपता का मूल्यांकन करने के लिए फैक्ट्री जांच और स्वतंत्र जांच हेतु नमूने प्राप्त करते हैं।
- आवेदक को जांच और निरीक्षण स्कीम (एसटीआई) की एक प्रति दी जाती है जिसे इकाई द्वारा आवेदन में कवर किए गए उत्पाद के लिए अपनाया जाना अपेक्षित है। आवेदक को एसटीआई की स्वीकृति तथा साथ ही उत्पाद के लिए देय मार्किंग शुल्क के संबंध में लिखित रूप से औपचारिक सहमति देनी होगी।
- स्वतंत्र प्रयोगशाला में नमूनों की जांच और निरीक्षण के लिए प्रभार का भुगतान आवेदक द्वारा किया जाएगा।
- प्रारंभिक निरीक्षण (पीआई) रिपोर्ट, पीआई के दौरान लिए गए नमूनों की स्वतंत्र जांच रिपोर्ट और एसटीआई और मार्किंग शुल्क समय सीमा की स्वीकारोक्ति का ब्यूरो के भीतर समुचित स्तर पर सत्यापन किया जाता है। यदि सभी दस्तावेज पूरे और संतोषजनक पाए जाते है तो ब्यूरो के सक्षम प्राधिकारी द्वारा लाइसेंस प्रदान किया जाता है जिसमें इकाई को विनिर्दिष्ट अवधि के लिए ब्यूरो के मानक मार्क का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है।
- यदि इकाई के पास किसी उत्पाद के लिए पहले से बीआईएस प्रमाणन मार्क लाइसेंस है और वह उस उत्पाद को इकोमार्क स्कीम के तहत शामिल करना चाहता है तो उसे पृथक आवेदन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे मामले में इकाई ब्यू्रो के सम्बंधित कार्यालय से विशिष्ट अनुरोध कर सकती है जो उत्पाद पर इकोमार्क के मानदंड को उसी लाइसेंस में नयी किस्मों ग्रेड को शामिल करने के मौजूदा प्रावधान के अनुसार शामिल करने के लिए कदम उठाएगा। तथापि ऐसे मामलों में लाइसेंसधारक को जहां कहीं लागू हो संशोधित एसटीआई और मार्किंग शुल्क की संशोधित दर को स्वीकार करना पड़ेगा।
- इकोमार्क की स्कीम के तहत, ब्यूरो का मानक मार्क आईएसआई मार्क और इको-लोगो का मिश्रण होने के कारण एकल मार्क होगा। लाइसेंस प्रारंभ में एक वर्ष की अवधि के लिए प्रदान किया जाता है जो बाद में पूर्ववर्ती वर्ष में इकाई के निष्पादन के आधार एक बार में दो वर्षों के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।
- लाइसेंस प्रदान करने परन्तु उत्पाद पर मार्किंग कार्य शुरू करने के पूर्व उत्पाद के लिए लागू और आवेदक द्वारा स्वीकृत न्यूनतम मार्किंग शुल्क ब्यूरो को अग्रिम में देय है। वर्ष के अंत में देय मार्किंग शुल्क की गणना करने पर न्यूनतम मार्किंग शुल्क के साथ परिकलित राशि आवेदक द्वारा आगे की अवधि के लिए लाइसेंस के नवीकरण के लिए उसके अनुरोध के साथ ब्यूरो को भुगतान किया जाता अपेक्षित है।
- किसी यूनिट को दिए गए लाइसेंस की वैधता की अवधि के दौरान, ब्यूरो उत्पाद के लिए बीआईएस प्रमाणन मार्क स्कीम के प्रचालन का मूल्यांकन करने के लिए लाइसेंसधारक के विनिर्माण परिसरों के अघोषित अवधि के दौरों की व्यवस्था करता है। वीआईएस अधिकारी के भ्रमण के दौरान फैक्टरी में जांच और साथ ही स्वतंत्र जांच दोनों के लिए नमूने लिए जाते है। प्रासंगिक भारतीय मानक में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं के अनुसार उत्पामद की अनुरूपता का सत्यापन करने के लिए फैक्टरी से नमूने लिए जाते हैं और स्वतंत्र प्रयोगशाला में उनकी जांच की जाती है।
- लाइसेंसधारक के कार्य निष्पादन का मूल्यांकन करने के लिए उपभोक्ता मंचों/संगठनों से प्राप्ती फीडबैक को भी ध्यान में रखा जाता है। यदि बीआईएस के अधिकारी मानक और जांच एवं निरीक्षण की स्कीम की अपेक्षाओं से विचलन देखते हैं तो सुधारात्मक उपाय करने के लिए इसे लाइसेंसधारक के प्राधिकृत प्रतिनिधि की नोटिस में लाया जाता है। लाइसेंस के प्रावधान के साथ गंभीर प्रकृत्ति की विसंगति/अनुपालन नहीं किए जाने के मामले में मानक ब्यूरो अधिनियम, 1986 और इसके तहत बनाए गए नियमों और संबंधित विनियमों के तहत उपयुक्त कार्रवाई की जाती है।
फीस
ईकॉमार्क प्राप्त करने के लिए भारतीय मानक ब्यूारों को निम्नलिखित शुल्कों का भुगतान किया जाना अपेक्षित है -
- 500/- रुपए का आवेदन शुल्क, जो लौटाया नहीं जाएगा;
- लाइसेंस प्रदान करने से पहले लिए गए नमूने के लिए स्वतंत्र प्रयोगशाला का परीक्षण प्रभार;
- प्रति लाइसेंस 500/- र. की दर से वार्षिक लाइसेंस शुल्क ;
- प्रति आवेदन 300/- रु. की दर से नवीकरण आवेदन शुल्क यदि लाइसेंस का नवीकरण देय है; और लाइसेंस के संदर्भ में वार्षिक उत्पादन की मात्रा के अनुसार मार्किंग शुल्क।
स्रोत: केन्द्री य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार