आज, भारत के प्रत्येक कोने में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की लहरें दौड़ रही है| आखिर ‘स्वच्छता’ है क्या? ‘स्वच्छता’ का अर्थ है अपने घर, समाज, ह्रदय व शरीर से हानिकारक व नकारात्मक प्रभाव वाली वस्तुओं का निष्कासन अभियान द्वारा इसके प्रचार व्यापक रूप दिया जाता है|
हर नेता सत्ता में कुछ बुलंद इरादों व विचारों के साथ आते हैं| इन इरादों पर सफलता प्राप्त करके समाज में अमिट छाप छोड़ जाते है| इसी प्रकार, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा देखा गया ‘स्वच्छ भारत, स्वच्छ भारत’ होने का सपना वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी साकार कर रहे हैं| उनका मानना है कि स्वच्छता में ईश्वर का वास है और स्वच्छ पर्यावरण में रहना प्रत्येक जीव का अधिकार है| इस अभियान की शुरुआत 2 अक्तूबर, 2014 (राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के जन्मदिन) को प्रधानमंत्री द्वारा राजपथ पर कमर्चारियों व नागरिकों को शपथ दिलाने से हुई| उन लोगों ने स्वच्छता के प्रति कटिबद्ध होकर कहा कि “हम न तो गंदगी फैलाएँगे, न दूसरों को फैलाने देंगे| यह अभियान पुर्णतः बापू को समर्पित है, इस अभियान की अंतिम तिथि 2 अक्तूबर, 2019 तक की है|
ऐसा नहीं है माननीय नरेन्द्र मोदी ने देश के सर्वोच्च व प्रतिष्ठित पद से मौखिक रूप से अभियान की घोषणा कर दी बल्कि उन्होंने स्वयं झाड़ू उठाकर और राजपथ में सफाई कर अभियान की शुरुआत की, इस परिवर्तन के लिए उन्होंने मात्र एक कदम बढ़ाया| उन्होंने इसके प्रचार के लिए देश के प्रतिष्ठित नागरिकों का नाम चयनित किया, जिनमें से कुछ के नाम हैं- क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फ़िल्म अभिनेता आमिर खान, प्रसिद्ध हास्य टी. वी. कार्यक्रम ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की पूरी टीम देश की पहली महिला आई.पी.एस. किरण बेदी और फ़िल्म अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा आदि| उन्होंने इस कार्य की जिम्मेदारी लेने में कतई झिझक व शर्मिंदगी महसूस नहीं की, क्योंकि वे राष्ट्र का अभिन्न हिस्सा है, यदि हम गंदगी फैलाते हैं तो यह हमारा कर्तव्य है कि स्वंय उसे साफ भी करें| इस अभियान में विभिन्न राज्य व शहरों के विद्यार्थियों सहित शिक्षक, सरकारी अधिकारी, संगठन इत्यादि ने हिस्सा लिया| आज लोग अखबार, रेडियो इत्यादि के जरिये भी स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक हो रहे हैं|
आज देश के गली-मोहल्ले, सड़कों घरों व सरकारी भवनों के पास गंदगी का अंबार मिलाना अब सामान्य विषय है| अखबारों में प्रायः इन विषयों पर ध्यान आकृष्ट करवाया जाता है| भले ही कुछ समय के लिए इसका निदान हो भी जाये परन्तु पुनः वही स्थिति दृष्टिगत होती है| इन दृश्यों से वहाँ के नागरिकों का स्वच्छता के प्रति मानसकिता प्रकट होती है क्या इस अस्वच्छता के पीछे मात्र जिला प्रशासन व सफाई कर्मचारियों को दोषी ठहराना न्यायोचित होगा? इस प्रकार जानबूझकर गंदगी फैलाते रहने से जानवरों और मनुष्यों में कोई अंतर शेष नहीं रह जाता|
मेरे विचार से उपर्युक्त बातों का कारण है- स्वार्थ और लापरवाही| हम सभी अपने घरों से तो गंदगी को निष्कासित करके स्वच्छ रखते हैं| परन्तु सारी गंदगी सड़क पर, नालियों में फ़ेंक देते हैं| यह हमारे स्वार्थ भावना को प्रदर्शित करता है|
शायद हमें यह ज्ञात नहीं कि सामुदायिक स्वच्छता पर ही हमारा व्यक्तिगत स्वास्थ्य आधारित है| यदि कोई एक व्यक्ति गंदगी फैलता है तो हम मूक भाषी बनकर सारा दृश्य देखते हैं| इसका कारण है कि हमने भी स्वयं को उसी के विचारों व नजरिये के अनुरूप ढाल लिया है| हम इन दृश्यों व आदतों के आदी हो गए हैं| अशिक्षा भी इसका एक दूसरा कारण हो सकता है, जिसके तहत हमने स्वच्छता के महत्व और गंदगी से होने वाली समस्याओं के बारे में नहीं जान सका है|
अतः हमें मात्र शपथ लेने से कोई फल प्राप्त नहीं होगा| इस अभियान की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब हम सफाई के लिए कुछ समय निकालें| आज इस अभियान के अंतर्गत शहरों के हर चौक-चौराहे पर कूड़ेदान की व्यवस्था की गई| हमें चाहिए कि हम एक आदर्श नागरिक होने का दायित्व समझें, आज भारत में अस्वच्छता होना एक चिंताग्रस्त विषय बना हुआ| इसके लिए प्रधानमंत्री और उनके कैबिनेट के द्वारा कई कदम उठाए जा रहे हैं| ‘गंगा नदी बचाओ’ परियोजना इसी के तहत है| अंततः सभी नागरिकों के सहयोग व प्रयास से इस परियोजना की सफलता निश्चित है|
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत, सुखी भारत’
जय हिन्द, जय भारत|
आलेख :
रोहिणी मिश्रा
वर्ग- नवम
उर्सुलाइन कान्वेंट बालिका उच्च वि
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
इस भाग में तमिलनाडु राज्य के पंचायत की सफल कहानिया...
इस भाग में ग्राम सभा सदस्य के रूप में आपकी जिम्मेद...
: इस भाग में महाराष्ट्र राज्य के पंचायतों की सफल क...
इस भाग में ग्राम पंचायतों में स्वच्छता के महत्व और...