पुरुष जननेन्द्रियों की शारीरिक जाँच में नीचे दी गई चीज़ों पर ध्यान दिया जाना चाहिए –
· वृषण व मूत्रमार्ग का बाहरी छेद
· वृषणकोष और वृषण
· उपस्थ/जाँघों में लसिका पर्व
रोगी से त्वचा ऊपर खिसकाने को कहें और जाँच से पहले शिश्न मुण्ड को पानी से साफ करें। वृषण में स्केबीज़ या फफूंद का इंफेक्शन पाया जा सकता है। इसके अलावा घाव/अलसर, किसी किस्म की वृध्दि/गाँठ या कटाव, (दर्द वाला या दर्द रहित) की भी जाँच करें। यह यौन संक्रमण भी हो सकता है और कैंसर भी। डायबेटिक शिश्न मुण्डशोथ गन्दे और शोथ वाले शिश्न मुण्ड के कारण हो सकती है।
अगर कोई अलसर/घाव या वृध्दि हो जो ठीक न होती हो तो वो कैंसर हो सकता है। रोगी को जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास भेजें व तसल्ली भी दें। वृषण के आकार का यौनिक क्रिया से कोई सम्बन्ध नहीं होता, यह अलग-अलग लोगों में अलग-अलग आकार का होता है।
स्केबीज़ या फीताकृमि से वृषणकोष या उसके आसपास जाँघों की त्वचा पर असर हो सकता है। यह क्षेत्र क्योंकि गर्म और गीला होता है इसलिए इसमें /इंफेक्शन की सम्भावना और अधिक रहती है। वृषणकोष में वृषणों की स्थिति की जाँच करें। बचपन में वृषणों के सही जगह न होने पर तुरन्त आपरेशन की ज़रूरत होती है।
वृषणकोष की नाजुकता और आकार की जाँच करें। कुछ नाजुकता स्वाभाविक है क्योंकि वृषण दबाव और दर्द के प्रति काफी सवंदेनशील होते हैं। परन्तु वृषण शोथ होने पर वृषण ज्यादा नाजुक हो जाते हैं और उनमें अत्यधिक दर्द होता है। कभी-कभी यह नाजुकता और सूजन वृषणों के पीछे के छोटे कोश (अधिवृषण) में ही होती है। हम वृषण रज्ज़ु में वाहिनी को एक कड़े फीते जैसे महसूस कर सकते हैं जो हाथ से फिसलता जाता है।
उपस्थ में लसिका पर्व एक स्वस्थ पुरुष में भी गिल्टी आमतौर पर हाथ नहीं लगना, सिवाए उनके जो नंगे पैर घूमते हैं। इन लोगों के पैरों का इंफेकशन बहुत आम है जिससे गिल्टी हो जाती हैं। गिल्टी होने पर नाज़ुकता होने या न होने दोनों ही स्थितियों में जननेद्रियों और पैरों की पूरी जाँच बहुत ज़रूरी है। एल.जी.वी. की बीमारी (एक एस.टी.डी.) होने पर जननेन्द्रियों में अलसर/घाव को न पहचान पाने की सम्भावना काफी ज्यादा होती है। फाईलेरिया और एल.जी.वी. के कारण पैदा हुई गिल्टी फटकर पीप निकलने लगती है। सिफिलिस होने पर गिल्टी रबर जैसी और दर्द रहित होती है।
स्त्रोत: भारत स्वास्थ्य
अंतिम बार संशोधित : 1/7/2020
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