1.1 भारत में ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम, भारत सरकार की प्रथम पंचवर्षीय योजना के रूप में 1954 में शुरू किया गया था| 1981 की जनगणना से पता चल किया गया था| 1981-90 के दौरान पेयजल एवं स्वच्छता के लिए अंतराष्ट्रीय दशक में ग्रामीण स्वच्छता पर जोर देना शुरू किया गया| भारत सरकार ने वर्ष 1986 में केन्द्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम शुरू किया जिसका उद्देश्य प्राथमिक रूप से ग्रामीण लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना तथा महिलाओं को निजता एवं सम्मान प्रदान करना था| 1999 से “सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान” के अंतर्गत “मांग जनित” दृष्टिकोण ने ग्रामीण लोगों के बीच जागरूकता तथा स्वच्छता सुविधाओं के लिए मांग सृजन में वृद्धि करने के लिए सूचना, शिक्षा और सम्प्रेषण, मानव संसाधन विकास, क्षमता विकास गतिविधियों पर अधिक जोर दिया| इससे लोगों की आर्थिक स्थिति के अनुसार, वैकल्पिक सूपूर्दगी तंत्रों के जरिए समुचित विकल्पों के चयन करने हेतु उनकी क्षमता में बढ़ोत्तरी करना है| गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों को उनकी उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करते हूए वैयक्तिक पारिवारिक शौचालयों के निर्माण तथा उपयोग पर वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किए गए|
1.2 स्वच्छता पर जागरूकता सृजित करने के लिए, प्रथम निर्मल ग्राम पुरस्कार 2005 में प्रदान किए गए थे जिनमें पूर्ण स्वच्छता कवरेज और खुले में शौच मुक्त ग्राम पंचायतों की स्थिति तथा अन्य संकेतकों को प्राप्त करना सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत स्तर प्राप्त उपलब्धियों और किए गए उपायों को मान्यता प्रदान की गई| निर्मल स्थिति प्राप्त करने के लिए समुदाय में इच्छा जागृत करने के लिए इस पुरस्कार को लोकप्रियता प्राप्त हुए जबकि पुरस्कार प्राप्त कुछेक ग्राम पंचायतों में स्थायित्व के मुद्दे बने रहे हैं|
1.3 पहले के सम्पूर्ण स्वच्छता अभिया कार्यक्रम के बदले “निर्मल भारत अभियान” 1.4.2012 से शुरू किया गया था| इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज की गति तेज करना था ताकि नवीकृत कार्यनीतियों और स्वच्छता दृष्टिकोण के माध्यम से ग्रामीण समुदाय को व्यापक रूप से कवर किया जा सके| निर्मल भारत अभियान (एनबीए) में निर्मल ग्राम पंचायतों की दृष्टि से संतृप्तिकरण परिणामों के लिए समग्र समुदाय को कवर करने की परिकलपना की गई थी| निर्मल भारत अभियान के अंतर्गत, आईएचएचएल के लिए प्रोत्साहनों में वृद्धि की गई तथा ध्यान संकेन्द्रित किया गया| तथापि, मनरेगा के साथ एनबीए के तालमेल में कार्यान्वयन संबंधी कठिनाइयों आ रही थी क्योंकि विभिन्न स्रोतों से वित्तपोषण में विलंब हुआ था|
1.4 सर्वव्यापी स्वच्छता कवरेज हासिल करने के प्रयासों में वृद्धि करने तथा स्वच्छता पर ध्यान संकेन्द्रित करने हेतु, भारत के प्रधान मंत्री ने दिनांक 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की है| सचिव, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय इस मिशन के समन्वयक होंगे| इस मिशन में दो घटक शामिल हैं- स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) तथा स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) जिनका उद्देश्य महात्मा गाँधी की 150वीं वर्षगांठ की सही श्रद्धांजली प्रदान करने के रूप में 2019 तक स्वच्छ भारत की स्थिति प्राप्त करना है| जिसका तात्पर्य ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधियों के जरिए स्वच्छता स्तरों को उन्नत बनाना तथा ग्राम पंचायतों को खुले में शौच प्रथा से मुक्त, स्वच्छ एवं साफ – सुथरा बनाना है| इस मिशन में कमियां दूर करने का प्रयास किया जाएगा जो इस समय प्रगति में रूकावट पैदा कर रही थी तथा परिणामों को प्रभावित करने वाले जटिल मुद्दों पर ध्यान संकेन्द्रित किया जाएगा|
1.5 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दिशा – निर्देश और उसके अंतर्गत प्रावधानों को 2.10.2014 से लागू कर दिया गया है|
2019 तक “ स्वच्छ भारत” भारत की प्राप्ति
2.1 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं :
(क) स्वच्छता साफ- सफाई और खुले में शौच प्रथा समाप्त करने के बढ़ावा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के सामान्य जीवन स्तर में सुधार लाना|
(ख) दिनांक 2 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छ भारत का विजन प्राप्त करने हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज की गति तेज करना|
(ग) जागरूकता रूप से सुरक्षित एवं स्थायी स्वच्छता के लिए लागत प्रभावी और संगत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना|
(घ) पारिस्थितिकीय रूप से सुरक्षित एवं स्थायी स्वच्छता के लिए लागत प्रभावी और संगत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना|
(ङ) जहाँ भी आवश्यक हो, ग्रामीण क्षेत्रों में सम्पूर्ण साफ-सफाई के लिए वैज्ञानिक ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों पर ध्यान संकेन्द्रित करते हुए समुदाय प्रबंधित स्वच्छता प्रणालियों का विकास|
3.1 चूंकि स्वच्छता राज्य का विषय है, अत: कार्यनीति का फोकस राज्य सरकारों को अपनी कार्यान्वयन नीति एवं तंत्रों पर निर्णय लेने, राज्य विशिष्ट जरूरतों को ध्यान में रखने के लिए लोचनीयता प्रदान करके “स्वच्छ भारत” की ओर अग्रसर होना है| इस बात पर ध्यान केन्द्रित किया गया है कि राज्य एक कार्यान्वयन फ्रेमवर्क विकसित करें जिसका मिशन के अंर्तगत प्रावधानों का प्रभावी रूप से और पहलों के प्रभाव का अधिकतम उपयोग किया जा सकता है| भारत सरकार की भूमिका, तथा देश की अत्यधिक आवश्यकताओं को पूरा करने के संकेन्द्रित कार्यक्रम के माध्यम में मिशन को स्थिति प्रदान करने में राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करने के लिए होगी|
सुझाव है की प्रत्येक राज्य के कार्यान्वयन फ्रेमवर्क को कार्यक्रम के लिए आवश्यक 3 महत्वपूर्ण चरणों को कवर करते हुए क्रियाकलापों की रूपरेखा के साथ तैयार किया जाना चाहिए|
(i) आयोजन चरण
(ii) कार्यान्यवन चरण
(iii) स्थायित्व चरण
इन प्रत्येक चरणों में गतिविधियाँ शामिल होगी जिन्हें ठोस कार्य योजना के साथ विशेष रूप से पूरा किये जाने की आवश्यकता होगी|
3.2 एसबीएम कार्यक्रम कार्यान्वयन का एक योजनागत निर्देशन एक दृष्टान्त मॉडल के रूप में नीचे प्रस्तुत किया गया है
3.3 कार्यान्वयन फ्रेम वर्क निर्धारित की गई विभिन्न पहलों के संदर्भ में, कतिपय दृष्टिकोणों पर विचार किया जाएगा|
सुझाव दिए गए दृष्टिकोण को समुदाय नीत और समुदाय संतृप्तिकरण दृष्टिकोणों को अपनाने के लिए होगा जिसमें सामूहिक व्यवहार परिवर्तन पर अधिक ध्यान दिया जाएगा| जागरूकता सृजन, व्यवहारगत बदलाव लाने तथा घरों, विद्यालयों, आंगनबाडियों, सामुदायिक एकजुटता वाले स्थानों तथा ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन गतिविधयों में स्वच्छता सुविधाओं के लिए मांग सृजन पर बल दिया जाएगा| अंतर-वैयक्तिक सम्प्रेषण विशेषकर मांग में बदलाव लाने तथा सामाजिक और व्यवहारिक परिवर्तन सम्प्रेषण तथा घर-घर आकर पहलों के माध्यम से शौचालयों का प्रयोग पर ध्यान संकेन्द्रित किया जाएगा| चूंकि खुले में शौच मुक्त ग्रामों की स्थिति तब तक प्राप्त नहीं की जा सकती है जब तक कि सभी परिवार और अलग – अलग व्यक्ति प्रतिदिन, हर बार शौचालय का प्रयोग के प्रति अपेक्षित व्यवहार के अनुरूप न हों तथा बाहरी व्यक्तियों पर सामुदायिक कारवाई और समकक्ष दबाव का सृजन होना मुख्य मुद्दे हैं| समकक्ष दबाव पैदा करने के लिए समुदाय-आधारित निगरानी एवं सतर्कता समितियों का होना जरूरी है| सामुदायिक जरूरतों को पूरा करने हेतु सूपूर्दगी तंत्र को अपनाना होगा जिसका निर्णय राज्यों द्वारा लिया जाएगा| पूर्णता प्राप्त करना और उसके परिणामी निहितार्थों के संदर्भ, यह सुझाव दिया जाता है कि कार्यान्वयन के लिए आयोजन बनाने की जिम्मेवारी जिले स्तर पर होनी चाहिए ताकि ग्राम पंचायतों के लिए उपयुर्क्त लक्ष्य निर्धारित किया जा सके तथा पूरे जिले में आईईसी/आईपीसी/सामाजिक एकजुटता अभियान चलाया जा सके|
कार्यान्यवन तंत्र के महत्वपूर्ण सुदृढ़करण की परिकल्पना है| राज्य, जिला और ब्लॉक स्तरों पर प्रशासनिक तथा तकनीकी विशेषज्ञ (अर्थात आईईसी तथा बी.सी.सी, क्षमता निर्माण, तकनीकी तथा मूल्यांकन) उपलब्ध कराये जायेंगे|
स्वच्छता पर घर – घर संदेश देने वाले लोगों अथवा “स्वच्छता दूतों” का विकास किया जाना है तथा जैसे कि पंचायती राज संस्थाओं, स्व: सहायता समूहों, जल लाइन मैन/पंप आपरेटर आदि जो पहले से ही ग्राम पंचायतों अथवा इस प्रयोजन हेतु विशेष रूप से नियोजित स्वच्छता दूतों के माध्यम से कार्य कर रहे हैं, के माध्यम से किया जाएगा| यदि किसी मामले में, अन्य लाइन विभागों के मौजूदा कर्मचारियों का प्रयोग किया जाना है, स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत गतिविधियों को शामिल करने हेतु उनकी भूमिकाओं का विस्तार करने हेतु उनके लाइन विभागों को एक स्पष्ट करार करना होगा| इसके अलावा, ग्रामों में स्वच्छता दूतों का संवर्ग सृजित करने के लिए एक विकल्प के रूप में राज्य परस्पर सहमत प्रोत्साहन ढांचे के साथ सिविल सोसाइटी संगठनों के ज़रिये कार्य कर सकते हैं| यदि सीएसओ मार्ग अपनाया जाता है तो सीएसओ के लिए स्वच्छता दूत उत्तरदायी होंगे जो ऐसे स्वच्छता दूतों को प्रोत्साहनों का भुगतान करने की जिम्मेवारी भी लेंगे| प्रत्येक गाँव में एक समुदाय-आधारित ग्राम समिति, जो गाँव के प्रत्येक परिवार में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा शौचालयों के निर्माण तथा उनके सतत रूप से प्रयोग में मदद करने के लिए जिम्मेवार होगी, द्वारा समर्थित कम से कम एक व्यक्ति अथवा व्यक्तियों की जरूरत होगी| इनमें से प्रत्येक व्यक्ति के क्षमता निर्माण को सुनिश्चित किया जाएगा| समुदाय के साथ सम्प्रेषण करने हेतु ऐसे व्यक्तियों तथा स्वास्थय व आईसीडीएस कर्मियों को भूमिका ख़राब स्वच्छता और खुले में शौच तथा उनके स्वास्थ्य पर उनके प्रभावों पर जोर देगी|
ग्रामीण परिवारों के लिए वैयक्तिक पारिवरिक शौचालय इकाइयों के लिए प्रोत्साहनों का प्रावधान ऐसे राज्यों को उपलब्ध है, जो उसे उपलब्ध कराने के इच्छुक हों ताकि विस्तृत प्रेरणात्मक और व्यवाहरिक परिवर्तन पहलों के अलावा, अवस्थापना को सृजन हेतु प्रत्येक्ष सहायता उपलब्ध है| अधिकतम कवरेज के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है ताकि सामूदायिक परिणाम प्राप्त किए जा सकें|
राज्यों को आईएचएचएल प्रोत्साहन के उपयोग के बारे में छूट होगी| सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट क्षेत्रों में कार्यरत प्रमाणित ट्रैक रिकार्ड वाले प्रख्यात सिविल सोसाइटी संगठनों, स्व: सहायता समूहों, गैर–सरकारी संगठनों की भागदारी, आई. ई. सी/बीसीसी/संचालन/क्षमता निर्माण, निगरानी आदि संबंद्ध गतिविधियों में और यदि समुचित पाया जाए तो कार्यान्वयन में की जानी चाहिए| स्वच्छता पर स्थानीय स्तर पर प्रेरित करने पर ध्यान संकेन्द्रित करना होगा क्योंकि इसको अन्य सम्प्रेषण तरीकों से प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है|
सृजित स्थायी स्वच्छता सुविधाओं के लिए गांवों में जल की उपलब्धता एक महत्वपूर्ण कारक है| स्वच्छता प्रयोजनों हेतु जल की अधिकतम उपलब्धता के लिए एस बी एम (जी) तथा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के अंतर्गत जिला और ग्राम पंचायत स्तरों पर संयुक्त कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी जाए|
लड़कों और लड़कियों के लिए अलग शौचालयों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए ग्रामीण विद्यालय स्वच्छता एक प्रमुख पहल बनी हुई है जिसे विद्यालयी शिक्षा विभाग के कार्यक्रमों के अंतर्गत कार्यान्वित किया जाएगा| लड़के और लड़कियों दोनों के लिए शौचालयों के भीतर जल उपलब्ध दोनों के लिए शौचालयों के भीतर जल उपलब्ध कराया जाएगा| आंगनबाड़ियों में शौचालयों की व्यवस्था कराया जाएगा| आंगनबाड़ियों में शौचालियों की व्यवस्था महिला एवं महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा की जाएगी| सुरक्षित स्वच्छता का संदेश सभी जगह प्रचार की लिए बच्चों का उपयोग स्वच्छता सम्प्रेषकों के रूप में किया जा सकता है| यह मिशन विशेष रूप से एक अभियान के रूप में संकेंद्रित हैं, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थाएँ शामिल होती है|
प्रौद्योगिकी विकल्पों की लागत निहितार्थों सहित एक निर्देशेनात्मक सूची उपभोक्ताओं की पसंदों और स्थान विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपलब्ध कराई जाएगी| नई प्रौद्योगिकियों की प्राप्त होने पर इस सूची को निरंतर रूप से अद्यतन किया जाता रहेगा| लाभार्थियों को प्रौद्योगिकियों विकल्पों की पसंद उपलब्ध कराते हुए उन्हें आवश्यकताओं से सूचित किए जाने की आवश्यकता है| पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ऐसी सूचना तैयार करने में मदद करेगा| यह सुनिश्चित करना होगा की स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया जा रहा ही जिससे मलमूत्र को सुरक्षित रूप से सीमित करना तथा उसका निपटान सुनिश्चित हो सकेगा| पारिवारिक और सामूदायिक दोनों स्तरों पर स्वामित्व तथा स्थायी प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए लाभार्थी/समुदायों की शौचालयों के निर्माण में वित्तीय अथवा अन्यथा रूप में समुचित भागीदारी का परामर्श दिया जाता है|
निष्कर्षों (शौचालयों निर्माण) तथा परिणामों (शौचालयों प्रयोग) दोनों के लिए उचित रूप में निगरानी करने हेतु एक प्रभावी निगरानी तंत्र को लागू किया जाएगा जो अही बैटन के साथ-साथ, ग्राम पंचायत में खुले में शौच करने की प्रथा की निगरानी कर सकेगा| मिशन की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए, निगरानी प्रणाली में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरों पर त्वरित कार्य शिक्षण इकाइयों शामिल होंगी जिन्हें समग्र देश में ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम उनके प्रभाव के मूल्यांकन, उन्नयन के लिए बेहतर आदतों का पता लगाने तथा कार्यान्वयन हेतु अभिनव पहलों और अनेक विकल्पों का सुझाव देने के लिए की गई करवाई पर अध्ययन एवं विश्लेषण का काम सौंपा गया है|
4.1 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में जिले को एक आधार इकाई के रूप में प्रस्ताव किया गया है जिसका उद्देश्य ग्राम पंचायतों में खुले में शौच मुक्त स्थिति प्राप्त करना है| जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट/ जिला पंचायतों की सीईओ से मिशन को स्वयं आगे बढ़ाने की आशा है ताकि मिशन की पूरे जिले की आयोजन और संसाधनों के इष्टतम उपयोग को सुविधाजनक बनाया जा सके| राज्यों द्वारा संकलिप्त 2013 के आधारभूत सर्वेक्षण के आंकड़ो और उन्हें मंत्रालय की आईएमआईएस पर 31.1.2015 तक दर्ज सभी राज्यों के लिए एक आधार के रूप में माना जाएगा, जहाँ सर्वेक्षण अभी पूरा किया जाता है अन्य राज्यों के लिए सर्वेक्षण के समापन पर दर्ज आंकड़ों को आधारभूत डाटा के रूप में लिया जाएगा|
4.2 परियोजना प्रस्तावना को जिलों द्वारा तैयार किया जाएगा और इसकी जाँच तथा राज्य योजना में समेकन राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा| जिला – वार ब्यौरा के साथ राज्य योजना की हिस्सेदारी भारत सरकार (स्वच्छ भारत मिशन – पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय) के साथ साझा की जाएगी| इस योजना शामिल होगी जिसे पंचवर्षीय योजना में मिला दिया जाएगा| इन योजनाओं को मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष अनुमोदित किया जाएगा| संरचनात्मक अनुसंधान एवं परामर्श चक्र के आधार पर राज्य सुलभ संचार कार्यनीति, संचार योजना, सामग्री तैयार करेगा और इन साधनों का उपयोग करने के लिए सामुदायिक अभिप्रेरकों को प्रशिक्षित करेगा| राज्य योजना में सभी ग्राम पंचायतों के लिए सामेकित प्रत्येक जिले में नियोजित आईईसी, बी सी सी, संचालन कार्य क्षमता निर्माण, कार्यान्वयन,वित्तीय सहायता, निगरानी संबंधी क्रियाकलापों के ब्यौरा उपलब्ध कराए जाएंगे| जिला वार ब्यौरा रहेंगे| संर्दभ आधार पर इस समग्र राज्य तैयार की गई राज्य परियोजना कार्यान्वयन योजना को बेसलाइन आंकड़ों और एस बी एम् (जी) के संशोधित मानदंडों के आधार पर संशोधित किए जायेंगे| राज्यों को पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के परामर्श से अनुमोदित वार्षिक कार्यान्वयन योजना के अनुसार संपूर्ण राज्य के समग्र वित्त पोषण के अंतर्गत अलग-अलग जिलों के लिए संसाधनों के आबंटन में अंतर-जिला परिवर्तन करने की अनुमति होगी|
4.3 व्यवहारगत बदलाव लेन सहित इन प्रारंभिक आई ई सी कार्यों के लिए निधियां – उपलब्ध करायी जाएंगी| इसके अंतर्गत प्रत्येक समुदाय में प्रत्येक परिवार तक पहुँचने का प्रयास किया जाएगा और सुरक्षित स्वच्छता की आवश्यकता के संबंध में जानकारी देकर खुले में शौच करने के कुप्रभावों के बारे में प्रचार-प्रसार करेंगे और महसूस की गई उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इसे समुदाय अभिमुख बनाएँगें| समुदाय स्तर पर संकेन्द्रित संचार के साथ लक्षित आबादी में शर्म एवं अप्रसन्नता की भावना को प्रसारित किया जा सकता है जहाँ खुले में शौच की समाप्ति के लिए सम्पूर्ण समुदाय कों सकारात्मक कार्यों में लगाया जा सकता है तथा समुदाय के सम्मान को कायम रखा जा सकता है| अलग – अलग परिवारों के प्रौद्योगिकी, डिजाइन एवं लागत दोनों रूप में उनके पारिवारिक शौचालयों के लिए विकल्पों की सूची उपलब्ध कराई जाएगी| उपयुक्त स्वच्छता पद्धतियों के लिए व्यवहारगत वंछित स्थायी बदलाव लाने के लिए अंतर-वैयक्तिक संचार के आधार पर व्यापक आईईसी एवं सहयोग से निम्नलिखित में से एक या अधिक की भागदारी की संकल्पना की गई है- स्वच्छता दूत/ आशा, एएनएम् कार्यकर्त्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता जैसे सरकारी प्रतिनिधि/सी एस ओ/ एनजीओ/ पंचायती राज संस्थाएँ/ संसाधन संगठन/अच्छे रिकार्ड वाले स्थानीय स्व: सहायता समूह| इस प्रकार वंछित परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यक्ति एवं समुदाय के सम्मीलित नेतृत्व वाले दृष्टिकोण की संकल्पना की गई है| समुदाय में विश्वास पैदा करने और कार्यक्रम में उनका विश्वास बढ़ाने के लिए स्थानीय समुदाय उन्मुख संगठनों की भागदारी सुनिश्चित की जानी होगी| इस प्रकार जिला स्तर पर वास्तविक दृष्टिकोण निर्धारित करना होगा और ऐसे समूहों एवं संगठनों का निर्धारण एवं चयन उनके अनुभव एवं क्षमता को ध्यान में रखते हुए सावधानी पूर्वक करना होगा|
4.4 ग्रामीण क्षेत्रों में शैक्षणिक सुविधाओं के प्रसार से उस दृष्टिकोण का उपयोग करने का अवसर प्रपात होता है जिसमें अनिवार्य रूप वह अवयव शामिल होगा जिसमें घरों में परिवर्तन के संभावित कारकों के रूप में विद्यालय एवं महाविद्यालय के विद्यार्थी शामिल होते हैं| इसका उपयोग अधिकतम संभव सीमा तक किए जाने की आवश्यकता है तथा स्वच्छता सुविधाओं के उन्नयन एवं उपयोग के लिए बनाई गई किसी योजना में शामिल किया जा सकता है|
4.5 विकल्पों की सूची में निहित लोचनीयता गरीबों एवं वंचित परिवारों को उनकी आवश्यकता एवं वित्तीय स्थिति के अनुसार उनके शौचालयों के अनुवर्ती उन्नयन के अवसर उपलब्ध कराना है| प्रोत्साहन राशि का समुचित उपयोग राज्य सरकार द्वारा किए गए निर्णय के अनुसार किया जाएगा| सरकारी एजेंसियों और आय स्टेकहोल्डरों के बीच समन्वयात्मक अंतर-संबंध आवश्यक है|
4.6 ग्रामीण परिवारों को व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालयों के लिए प्रोत्साहन राशि उन राज्यों के लिए उपलब्ध है जो इस उपलब्ध कराना चाहते हैं| इसका उपयोग कवरेज को बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है ताकि समुदाय संबंधी उपलब्धियाँ हासिल की जा सकें| राज्यों को प्रोत्साहन राशि के उपयोग के संबंध में लोचनीयता प्राप्त होगी| दी गई प्रोत्साहन राशि व्यक्तिगत परिवारों अथवा जहाँ ग्राम पंचायतों/ब्लॉकों/जिलों में मांग में बढ़ोतरी करने हेतु सामुदायिक मॉडल को अनिवार्य रूप से स्वीकार किया गया है, वहाँ सम्पूर्ण समुदाय अथवा दोनों के लिए हो सकती है| चूंकि प्रत्येक व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के लिए प्रोत्सहन राशि 12000 रू. है इसलिए राज्य सम्पूर्ण राशि (केंद्र और राज्य सरकारों के बीच साझेदारी) प्राप्त करने के पात्र होंगे| तथापि, मिशन पर भारत प्रोत्साहन रासी का उपयोग पूर्णतरू जल एवं स्वच्छता क्षेत्रों पर किया जाएगा| राज्य कार्यक्रम के अंतर्गत मांग की पूर्ति के लिए शौचालयों के वास्तविक निर्माण की प्रक्रियाविधि तय होगें| आई ई सी, संचालन, क्षमता निर्माण, निगरानी क्रियाकलापों के लिए निधियों का प्रवाह ग्राम पंचायतों अथवा प्रशासनिक विभागों, सी एस ओ, एन जी ओ, एस एच जी आदि जैसी अन्य एंजेंसियों के माध्यम से किया जा सकता है जिसका निर्धारण राज्य दावा किय जाएगा| वैचारिक तौर पर निर्माण कार्य स्वयं लाभार्थियों द्वारा किया जाना चाहिए जिसमें गाँव की एजेंसियों से/द्वारा सहायता ली जा सकती है| राज्य पूर्व चरण तथा दूसरा निर्माण कार्य के समापन एवं उपयोग पर प्रोत्साहन राशि उपलब्ध करने के निर्णय ले सकते हैं| तथापि, सामुदायिक प्रोत्साहन राशि, यदि कोई हो, तभी जारी की जा सकती है जब गाँव एक निर्धारित अवधि तक के लिए खुले में शौच करने की प्रथा से मुक्त है| इन परिणामों का परिमापन सुदृढ़ अनुपालन निगरानी प्रणाली के माध्यम से किया जाना होता है|
4.7 चूंकि संपूर्ण भारत में राष्ट्रीय आजीविका मिशन का कार्यान्वयन स्व:सहायता समूहों के विशाल नेटवर्क, गाँवों में स्व:सहायता समूहों के ग्रामीण संगठन आजीविका संबंधी विकल्पों को सुदृढ़ करने के अतिरिक्त, जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए स्व:सहायता समूहों को प्रखंड एवं जिला स्तरीय परिसंबंधों के माध्यम से किया जा रहा है| राज्य प्रभावी आई ई सी एवं बी.सी.सी, मांग सृजन एवं क्षेत्र विशिष्ट शौचालय की डिजाइन एवं विनिर्देशन को प्रोत्साहित करने के लिए स्व:सहायता समूहों विशाल नेटवर्क का उपयोग करने के लिए संबंधित राज्यों में राज्य परियोजना प्रबंधन इकाइयों के साथ समन्वय कर सकते हैं| स्व:सहायता समूहों का उपयोग स्वच्छता अवसंरचना के लिए सूक्ष्म वित्त पोषण इकाई के रूप में भी किया जा सकता है| एम बी एम् (जी) के अंतर्गत उपलब्ध परिक्रामी निधि का उपयोग एनआरएलएम तंत्र माध्यम से किया जा सकता है| इसके लिए व्यवस्था राज्य स्तर पर की जा सकता है| स्व:सहायता समूहों का उपयोग सुदूर क्षेत्रों में ग्रामीण स्वच्छता-बाजार के रूप में कार्य कने के लिए किया जा सकता है जहाँ ऐसी प्रणाली के माध्यम से शौचालय निर्माण के लिए भरी मात्रा में खरीद और गुणवत्तापूर्ण हार्डवेयर की सूपूर्दगी सुनिश्चित की जा सकती है| इसके लिए एसबीएम (जी) के अंतर्गत वित्तपोषण की अनुमति दी जाएगी|
4.8 इस योजना का प्रथम उद्देश भारत के सभी प्रमुख नदी बेसिन अर्थात सतलुज, रावी, व्यास, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, ताप्ति, कवेरी, ब्रहमापूत्र में राज्यों/जिलों/ग्राम पंचायतों को कवर करना होगा| इससे खुले में शौच मुक्त समुदाय के साथ प्रदूषण रहित नदियों की स्थिति भी सुनिश्चित होगी|
4.9 गाँव की खुले में शौच करने की स्थिति, ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के कार्यान्वयन के साथ – साथ, पारिवारिक, विद्यालय एवं आंगनबाड़ी शौचालय तथा समुदायिक स्वच्छता परिसरों के निर्माण एवं उपयोग की निगरानी करने के लिए सुदृढ़ निगरानी व्यवस्था कायम करनी होगी| निगरानी की अंतर्गत अन्य बातों के साथ साथ, सामाजिक लेखा परीक्षा जैसे सुदृढ़ समुदाय नीततंत्र का उपयोग किया जाना है|
4.10 निगरानी कार्य करने, सुधारात्मक कार्य के संबंध में सलह देने और अच्छी पद्धतियों का उन्नयन करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर यदि राज्यों द्वारा अपेक्षित हो, त्वरित कार्य शिक्षण इकाई बनायी जानी चाहिए| आरएएल इकाइयाँ छोटी, लचीली और इन आवश्यकताओं को पूरा करने तथा त्वरित और प्रभावी दृष्टिकोण बनाने, समाधान का विकास, साझेदारी एवं प्रसार करने के लिए विशिष्ट होंगी| यह कार्य (जो खेतों में किया जा रहा है) और कार्य (अभिनव कार्य के माध्यम से प्राप्त) पर आधारित शिक्षण से होगा| ये इकाइयों एस बी एम (जी) के अंतर्गत क्षेत्र क्रियाकलापों के साथ अद्यतन, विचारोत्तेजक एवं अनुसंधान, अभिनव दृष्टिकोणों के क्षेत्र जाँच और हिस्सेदारी एवं फीडबैक सहित अन्य क्रियाकलाप निष्पादित करेंगे| आर.ए.एल.यू का वित्तपोषण एस बी (जी) के प्रशासनिक घटक के माध्यम से किया जाएगा जिसमें से निगरानी एवं मूल्यांकन निधियां उपलब्ध करायी जानी हैं|
4.11 सांसद आर्दश ग्राम योजना के अंतर्गत चुने गए ग्राम पंचायतों में कवरेज की गति तेज के लिए, इन ग्राम पंचायतों का एम बी एम (जी) के अंतर्गत कवरेज हेतु प्राथमिकता आधार पर चयन किया जाए|
एम बी एम (जी) के कार्यन्वयन के लिए कार्यक्रम के घटक एवं क्रियाकलाप इस प्रकार हैं| सभी राज्य विस्तृत कार्यान्वयन कार्य नीति तथा योजना बनायेंगे और वह निम्नलिखित घटक तक समिति नहीं होगा|
5.1 आरंभिक क्रियाकलाप
आरंभिक क्रियाकलापों में शामिल होंगे :-
(क) बेसलाइन – स्वच्छता एवं साफ- सफाई पद्धतियों की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए प्रारंभिक सर्वेक्षण का आयोजन
(ख) जिला – ग्राम पंचायत स्तर मपे मुख्य कर्मी का अभीमूखिकरण और जिला योजना निर्माण
(ग) राज्य योजना निर्माण (कार्यक्रम कार्यान्वयन योजना- पी आई पी )
सभी राज्य दिनांक 31.12.2014 तक आई एम आई एस पर बेस लाइन आंकड़ों की प्रविष्टि सुनिश्चित करें| राज्यों द्वारा आईएमआईएस पर दर्ज न किया गया कोई भी परिवार एस बी एम (जी) के अंतर्गत निधियां प्राप्त करने का पात्र नहीं होगा|
प्रतिवर्ष अप्रैल माह में राज्य द्वारा बेसलाइन सर्वेक्षण आंकड़ों को अद्यतन किया जाएगा ताकि पिछले वर्ष के दौरान ग्राम पंचायत में परिवर्तन की जानकारी प्राप्त की जा सके| यह ग्राम पंचायत में परिवर्तन की जानकारी प्राप्त की जा सके| यह ग्राम पंचायतों को पुन: सर्वेक्षण की संकल्पना नहीं करता है बल्कि पिछले वर्ष में ग्राम पंचायत में हुए आंशिक परिवर्तन की प्रविष्टि होगी| अद्यतन आंकड़े आधारभूत आंकड़ों के सारांश संशोधन पर आधारित होंगे| आधारभूत आंकड़ों में जोड़ने अथवा घटाने हेतु व्यक्तिगत परिवार द्वारा दावे तथा आपत्तियां दर्ज कराई जाएँगी| ग्राम सभा बैठक में सारांश संशोधन प्रस्तुत किए गए दावों तथा आपत्तियों के पारदर्शी निपटान पर आधारित होगा| उससे व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालयों के अधिकार ग्रहण के संबंध में परिवारों की स्थिति के अनुरक्षण की जिम्मेदारी समुदाय की होगी| गाँव में शामिल हुए किसी नये परिवार को शौचालय की सुविधा सुलभ होनी चाहिए| राज्यों को यह विकल्प भी दिया जाएगा कि वह पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय से अनुमोदन के बाद एमआईएस बेसलाइन आंकड़ों में सुधार करें जहाँ ऐसे बदलावों के लिए युक्तिसंगत स्पष्टीकरण है| शूरूआती गतिविधियों पर आईईसी घटक से व्यय किया जाएगा|
5.2 आई ई सी क्रियाकलाप
5.2.1 आई ई सी (सूचना, शिक्षा एवं संचार) इस कार्यक्रम का बहुत महत्वपूर्ण घटक है| आई ई सी समुदाय स्तर पर व्यवहारगत बदलाव लाने और सूचना एसं जागरूकता सृजन के प्रावधान के माध्यम से परिवारों, विद्यालयों, आंगनबाड़ियों, सामूदायिक स्वच्छता परिसरों एवं ठोस तथा तरल अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता सुविधाओं की मांग सृजित करने का प्रयास करेगा| इन घटकों के अंतर्गत संचालित क्रियाकलाप क्षेत्र विशिष्ट ‘समुदाय विशिष्ट’ होंगे और ग्रामीण आबादी के सभी वर्गों को शामिल किया जाएगा| आई ई सी एक कालिक क्रियाकलाप नहीं है| व्यवहारगत बदलाव लाने के लिए मांग सृजन एवं शौचालयों के उपयोग पर संकेन्द्रित की जाए वाली आई ई सी कार्यनीति एवं योजना एक सतत प्रक्रिया है| आरंभ से प्रत्येक परिवार के लिए अभिगम्य शौचालय की व्यवस्था के लिए समुदायिक कार्य संचालन पर ध्यान संकेन्द्रित किया जाएगा| शौचालय के क्रमिक रूप से निर्माण होने पर महत्वपूर्ण सहायता के रूप में सतत उपयोग करने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए|
5.2.2 खुले में शौच मुक्त पर्यावरण के उद्देश्य से शौचालयों के उपयोग हेतु व्यवहारगत बदलाव के लिए समुदाय को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करने के प्राथमिकता दी जाएगी| उपलब्ध जनशक्ति, सूचना प्रौद्योगिकी एवं मीडिया का प्रभावी उपयोग स्वच्छता एवं साफ-सफाई के लाभों का संदेश देने के लिए किया जाएगा| यह आवश्यक है कि किफायती शौचालयों की प्रौद्योगिकी एवं लागत के संबंध में लाभार्थी को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए| डिजाइनों की उपयुक्तता के बारे में जानकारी देना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके परिवारों एवं समुदायों द्वारा ओवर डिजाइन करने के माध्यम से अनावश्यक व्यय नहीं किया गया है| पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञता संबंधी विशेषज्ञ समिति और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट पर नवीन फोरम, अभिनव प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी देती रहेगी, जो राज्यों को परिचालित की जाएगी| यह प्रदर्शनात्मक सूची है और राज्यों को परिचालित की जाएगी| यह प्रदर्शनात्मक सूची है और यह राज्य को जहाँ संभव हो, बेहतर अथवा किफायती विकल्पों तक सीमित नहीं करता है| राज्यों को यह छूट प्राप्त होगी कि उन प्रौद्योगिकी का निर्धारण एवं उपयोग करें जिससे उनकी आवश्यकता के अनुसार, स्वच्छता हासिल होती है|
5.2.3 अंतर – वैयक्तिक सम्प्रेषण, घर-घर जाकर संपर्क करना और अभिप्रेरित करना स्वच्छता संबंधी लक्ष्यों को हासिल करने के सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन है| भागदारीपूर्ण सामाजिक एकजूटता के साथ ग्राम स्तर पर संचार तंत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से ग्राम स्तरीय प्रेरकों/स्वच्छता दूत/ स्वच्छता सन्देशवाहक को कार्य पर रखने के लिए अगल से दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं| इस कार्यनीति के हिस्से के रूप में स्वच्छता दूतों के अतिरिक्त, भारत में निर्माण स्वयं सेवक, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता, विद्यालय शिक्षक एवं सीएसओ, एनजीओ, एसएचजी एवं अन्य संगठन आदि जैसे क्षेत्र कर्मियों को ग्राम पंचायत में व्यवहारगत बदलाव लेन के लिए कार्य में लगाया जा सकता है| तथापि, प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम एक व्यक्ति होना चाहिए जिन्हें स्वच्छता संबंधी संचार के लिए जिम्मेदार बनाया जाता है और से विशेषकर पूर्णकालिक आधार पर इस संबंध में कार्य करना चाहिए| प्रेरक को राज्य सरकारों द्वारा यथा निर्णित, आई ई सी के लिए निर्धारित निधियों में से उपयुक्त प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है| प्रोत्साहन राशि शौचालयों के निर्माण एवं उनके उपयोग के लिए परिवारों और विद्यालयों/आंगनबाड़ियों के प्रेरक संख्या के रूप में निष्पादन पर आधारित हो सकती है तथा निर्माण के बाद कम से कम 1 वर्ष तक जारी रहना चाहिए ताकि उपयोग का स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके|
5.2.4 मीडिया के विभिन्न रूपों का उपयोग करते हुए स्वच्छता के संदेशों का प्रसार करने के लिए संचार की अन्य विधियों का भी उपयोग किया जा सकता है| ओडीएफ के लिए सामुदायिक स्तर पर कार्य को संचालित करने महत्वपूर्ण हिस्सा ग्राम पंचायत स्तर पर संकल्प अथवा प्रतिज्ञा लेना है जो क्रियाकलाप के संचालन के लक्ष्य के रूप में किया जा सकता है| इसे महत्वपूर्ण उद्देश्य के रूप में आई ई सी में शामिल किया जा सकता है|
5.2.5 भारत सरकार द्वारा अपनाए गए राष्ट्रीय स्वास्थय एवं साफ- सफाई समर्थन एवं संचार कार्यनीति रूपरेखा, 2012 – 17 (पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रति) के उपयोग जैसे महत्वपूर्ण समय पर साबुन एवं पानी से हाथ धोना, मासिक धर्म संबंधी समुचित साफ- सफाई जैसे ग्रामीण स्वच्छता एवं साफ- सफाई के इए राज्य एवं जिला विशिष्ट आई ई सी कार्यनीति बनाने के लिए किया जाना चाहिए| कार्यनीति की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए तीन मुख्य दृष्टिकोण अर्थात (1) जागरूकता सृजन चरण (2) समर्थन और (3) सामाजिक एवं व्यवहारगत बदलाव संचार (एसबीसीसी) को अपनाया जाना चाहिए और राज्य एवं जिला विशिष्ट आई ई सी कार्यनीतियाँ बनानी चाहिए| कार्यनीति राज्य विशिष्ट परिप्रेक्ष्य तथा वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत का लक्ष्य हासिल करने के संशोधित लक्ष्यों के उपयुक्त बनाई जानी चाहिए|
5.2.6 संचार कार्यनीति के आधार पर प्रत्येक राज्य को राज्य स्तरीय संचार एवं जन जागरूकता योजना बनानी होती है जिसके अंतर्गत राज्य की सम्पूर्ण आबादी को लक्षित किया जाता है| यह योजना स्वच्छता के संबंध में मुख्य संदेश के प्रसारण की दीर्घकालिक कार्यनीति पर ध्यान संकेद्रित करते हुए संदर्श योजना बनानी होती है| राज्य की ए आई पी में वार्षिक संचार योजना भी शामिल की जाएगी| राज्य आई ई सी परामर्शदाता इन योजनाओं के निर्माण के लिए जिम्मेदार होगे| आई ई सी, बी सी सी योजनाओं के निर्माण एवं कार्यान्वयन में विशेषज्ञता रखने वाली अन्य एंजेसियों की सहायता ली जा सकती है|
5.2.7 जिलों का समुदाय के सभी वर्गों तक पहुँचने की अपनी समग्र कार्यनीति के अनुसार अपनी वार्षिक कार्यान्वयन योजनाओं के पहले हिस्से के रूप में विस्तृत आई ई सी योजना बनानी होती है| इसे बनाने के लिए जिला एवं राज्य स्तर पर उपलब्ध आई ई सी परामर्शदाता संसाधनों का उपयोग करना होता है| अंतर- वैयक्तिक संचार, प्रेरकों के चयन, क्रियाकलापों आदि के संचालन के लिए स्थानीय गैर- सरकारी संगठनों का उपयोग किया जा सकता है| आर. ए. एल.यू की सिफारिशों और सलाह को आई ई सी योजनाओं में प्रविष्ट किया जाना चाहिए| आई ई सी, बी.सी.बी योजना के निर्माण एवं कार्यान्वयन में विशेषज्ञता रखने वाली अन्य एजेंसी की सेवा ली जा सकती है| डीडब्ल्यूएससी/ डीडब्ल्यूएसएम द्वारा वार्षिक आई ई सी कार्य योजना को अनुमोदित किया जाना चाहिए| राज्य स्तर पर गठित संचार एवं क्षमता विकास इकाई (सीसीडीयू) जल एवं स्वच्छता सहायक संगठन जिसमें आई ई सी परामर्शदाता को जिलों में अच्छी आई ई सी परामर्शदाता को जिलों में अच्छी आई ई सी योजनाएँ बनाने, उनके कार्यान्वयन एवं निगरानी में भी सहायता करनी चाहिए|
5.2.8 इस घटक के अंतर्गत आई ई सी योजनाओं को कार्यान्वयन में संलग्न एंजेंसियों को उपलब्ध करायी जा सकती है| विशेषज्ञ एंजेंसी के परामर्श से यदि अपेक्षित हो तो जिला अथवा राज्य मिशन द्वारा सभी समाग्रियों – संरचनाओं के निर्माण को मानकीकृत किया जाए|
5.2.9 ओ डी एफ की स्थिति तथा ठोस एवं द्रव अपशिष्ट प्रबंधन तंत्र को शामिल कर स्वच्छ ग्राम पंचायतों का निर्माण मिशन का लक्ष्य है| यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऐसी स्थिति प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए स्थायी है| आई ई सी निधियों का वृहत उपयोग ओ डी एफ- पूर्व एवं ओ डी एफ के बाद के चरणों में कभी किया जाना चाहिए ताकि इस अभियान का स्थायित्व संभव हो सके| तथापि जिला परियोजना को बेस लाइन सर्वेक्षण रिपोर्ट तथा स्वच्छता कवरेज में गति की दर के अनुसार तय करने की लोचनीयता प्राप्त होती होगी|
5.2.10 आई ई सी के अंतर्गत उपलब्ध निधियों का उपयोग ग्रामीण समुदायों, आम नागरिकों के साथ शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थियों को साफ-सफाई संबंधी शिक्षा देने के लिए की जा सकती है| यद्यपि इन स्कूल में वाश मानव संसाधन विकास मंत्रालय/विद्यालय शिक्षा विभाग के दायरे में होगा| फिर भी विद्यार्थियों, शिक्षकों और माता-पिता में जागरूकता बढ़ाने का घटक आई ई सी योजना में शामिल किया जाना चाहिए|
5.2.11 एस बी एम (जी) के अंतर्गत राष्ट्रीय आंबटन में से 8 प्रतिशत धनराशि का उपयोग आई ई सी क्रियाकलापों पर किया जाना है| केंद्र स्तर पर (पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय) 3 प्रतिशत धनराशि का उपयोग राष्ट्रीय/अखिल भारतीय अभियान पर किया जाना है| इसके अंतर्गत स्वच्छता एवं साफ-सफाई संबंधी राष्ट्रीय प्राथमिकता को रेखांकित किया जाएगा| राज्यों में 5 प्रतिशत आबंटन का उपयोग आई ई सी/बीसीसी/आई पी सी और सभी संबंधित संचार क्रियाकलापों तथा क्षमता निर्माण पर किया जाएगा|
इसे जिला स्तर रेखांकित किया जाना होगा और प्रत्येक जिले के आबंटन का 3.75 प्रतिशत ग्राम पंचायत/प्रखंड एवं जिला स्तरों पर आई ई सी/बी सी सी/ आई पी सी के लिए उपयोग किया जाएगा और राज्य स्तरीय क्रियाकलापों कमली 0.25 प्रतिशत राशि रखी जाएगी|
प्रत्येक जिला परियोजना में से 0.75 प्रतिशत का उपयोग आई ई सी/ बी सी सी क्रियाकलापों के लिए जिला/प्रखंड/ग्राम पंचायत स्तर पर क्षमता निर्माण क्रियाकलापों के लिए किया जाना है जबकि 0.25 प्रतिशत धन राशि का उपयोग राज्य स्तर पर क्रियाकलापों के लिए के लिए किया जाना है| इस आई ई सी वित्तपोषण के लिए केंद्र- राज्य की हिस्सेदारी, भारत सरकार और राज्य सरकार के बीच 75.25 के अनुपात में होगी|
आई ई सी के लिए सम्पूर्ण राज्य स्तरीय योजना का अनुमोदन राज्य स्तरीय योजना मंजूरी समिति द्वारा किया जाएगा|
5.2.12 लड़कियों एवं महिलाओं की उनकी मासिक धर्म चक्र से संबद्ध साफ-सफाई एवं स्वच्छता संबंधी आवश्यकताएं होती हैं| आई ई सी के लिए उपलब्ध निधियों का उपयोग जागरूकता बढ़ाने, मासिक धर्म के दौरान सफाई प्रबंधन जानकारी एवं कौशल का प्रचार-प्रसार, के लिए किया जा सकता है| आई ई सी योजनाओं में सभी स्टेकहोल्डरों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए इस घटक को शामिल करना चाहिए|
5.3 क्षमता निर्माण
5.3.1 यह घटक स्टेकहोल्डरों एवं स्वच्छता कर्मियों, स्वच्छता दूतों/सेना, पंचायती राज संस्था, वी डब्ल्यू एस सी के सदस्यों, बी पी एम् यू, डीडब्ल्यू एस एम, आशा कर्मी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता एस एच जी सदस्य, राजमिस्त्री, सी एस ओ/गैर- सरकारी संगठनों आदि के क्षमता निर्माण के लिए है| यह प्रशिक्षण आई ई सी के विभिन्न दृष्टिकोणों में व्यवहारगत बदलाव को बढ़ाने से संबंधित होगा जो सी एस टी एस, एस एल टी एस, आई पी.सी.के संचालन सहित घर –घर संदेश, राजमिस्त्री का कार्य, प्लंबिंग साथ ही शौचालयों के निर्माण एवं अनुरक्षण और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में भी है|
केंद्र और राज्य स्तरीय प्रशिक्षण संस्थान, संसाधन केंद्र/मुख्य संसाधन केंद्र (के आर सी), जिला संसाधन केंद्र और क्षमता निर्माण में अनुभव वाले सूचीबद्ध गैर सरकारी संगठन/सीबीओ और एंजेंसियों को ऐसे प्रशिक्षण के लिए कार्य में लगाया जाना चाहिए|
5.3.2 प्रत्येक जिले की वार्षिक कार्य योजना में निश्चित समय सीमा के साथ प्रशिक्षण संस्थान/ एजेंसी, प्रशिक्षण घटकों और वंछित प्रशिक्षणार्थी के निर्धारण के साथ जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत को कवर करते हुए वार्षिक क्षमता निर्माण कार्य योजनाओं के ब्यौरा होंगे| क्षमता निर्माण कार्य योजनाओं के ब्यौरा होंगे| क्षमता निर्माण कार्यों की निगरानी जिला प्राधिकारियों द्वारा और जिला एवं राज्यों पर राज्य के स्वच्छता मिशन द्वारा की जाएगी|
5.3.3 क्षमता निर्माण कार्य योजना के लिए वित्तपोषण प्रत्येक जिले की कुल परियोजना लागत के 0.75 प्रतिशत तक के आई ई सी बजट में से किया जाएगा, जिसमें से 0.25 प्रतिशत धनराशि का व्यय राज्य स्तर पर किया जा सकता है| व्यय में हिस्सेदारी का मानदंड केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच 75.25 के अनुपात में होगा|
5.4 वैयक्तिक पारिवारिक शौचालयों का निर्माण
5.4.1 विधिवत पूर्ण पारिवारिक स्वच्छता शौचालय में एक संरचना जो सेनिटरी (जो मानव माल को सीमित करता है तथा इसके पूर्ण विघटन से पहले मानव संचालन की आवश्यकता को निष्प्रभावी करता है), एक अधिसंरचना है जिसमें सफाई एवं हाथ ढोने के लिए पानी की सुविधा और हाथ ढोने के यूनिट सहित शौचालय इकाई शामिल है| इस मिशन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी ग्रामीण परिवारों के पास शौचालयों की उपलब्धता है| अन्य के साथ-साथ ट्विन पिट, सेप्टिक टेंक, बायो-शौचालय जैसे सुरक्षित स्वच्छता प्रौद्योगिकियों के आधार पर उपलब्ध शौचालयों के कई मॉडल हैं| मंत्रालय अन्य स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के निर्माण को प्रोत्साहित करता है और राज्य, उपलब्ध प्रौद्योगिकियों और उनकी लागत के बारे में लाभार्थी को जानकारी का प्रचार-प्रसार करेंगे ताकि वे अपनी पसंद का शौचालय बना सकें| राज्य में मुख्य रूप से वहाँ परिवारों के समूहों के लिए “कतार” में शौचालय परिसर बनाने पर विचार भी कर सकता है जहाँ व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय बनाना संभव नहीं है| यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अलग - अलग परिवारों के लिए निर्मित शौचालय न्यूनतम डिजाइन विनिर्देशन के अनुरूप हो ताकि उनका स्थायित्व सुनिश्चित किया जा सके| यह सुनिश्चित करने के लिए ध्यान दिया जाना चाहिए कि ये शौचालय ओभर डिजाइन किया हुआ अथवा अधिनिर्मित अर्थात ज्यादा बड़ा पिट निर्माण तो नहीं है जो उन्हें सस्ता रखने और पेयजल के संदूषण जैसे समस्याओं के निवारण के लिए नहीं है| राज्यों को प्रभावी संचार के माध्यम से यह सुनिश्चित करना होता है कि ऐसी प्रवृतत्तियों पर रोक लगा दी गई है| निर्मित शौचालय के अनुरक्षण के संबंध में लाभार्थी के उपयुक्त जानकारी उपलब्ध करानी होती है| शौचालय के अनुरक्षण के संबंध में लाभार्थी के अनुकूल अधिसंरचना होनी चाहिए क्योंकि निर्मित शौचालय की खराब गुनवत्ता पूर्व स्वच्छता कार्यक्रमों के विरूद्ध मुख्य शिकायतें रही है| अधिसंरचना के विभिन्न विकल्पों की तलाश की जानी चाहिए और उनके लिए लाभार्थी को दिए गए विकल्पों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई जानी चाहिए|
मंत्रालय द्वारा जारी शौचालयों के कुछ ऑन – साईट प्रौद्योगिकी के वैकल्पिक डिजाइन विनिर्देशन, ऑन साईट स्वच्छता के तकनीकी विकल्पों के संबंध में पुस्तिका http://www.mdws.gov.in पर प्राप्त की जा सकती है | इस प्रकाशन को समय-समय पर अद्यतन किया जाएगा|
5.4.2 प्रोत्साहन जैसा कि व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय निर्माण के लिए मिशन के अंतर्गत प्रावधान किया गया है, गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले सभी परिवारों तथा गरीबी रेखा से ऊपर वाले अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों, लघु एवं सीमांत किसानों, वासभूमि वाले भूमिहीन श्रमिकों, शारीरिक रूप से विकलांग और महिला प्रमुख परिवारों तक सीमित होगी|
5.4.3 एस बी एम् (ग्रामीण) के अंतर्गत बी पी एल/ निर्धारित एपीएल परिवारों को व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के निर्माण एवं हाथ धोने तथा शौचालय की सफाई के लिए जल उपलब्ध कराने और भंडारण सहित के लिए दी जाने वाली प्रोत्साहन राशि 12000 रूपए तक होगी| स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालयों के लिए प्रोत्साहन राशि को केन्द्रीय अंशदान 9000 रूपए (75 प्रतिशत) होगा| राज्यांश 3000 रूपए (25 प्रतिशत) होगा| पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू एवं कश्मीर और विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए केन्द्रीय अंशदान 10,800 रूपए राज्यांश 1200 रूपये (90 प्रतिशत: 10 प्रतिशत) होगा| स्वामित्व को बढ़ावा देने के उद्देश से व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के निर्माण में अतिरिक्त अंशदान करने के लिए लाभार्थी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए| राज्यों को यह छूट होगी कि वे एसबीएम (जी) के अतिरिक्त अन्य स्रोतों से अधिक इकाई- लागत के पारिवारिक शौचालय के लिए अधिक प्रोत्साहन राशि उपलब्ध कराएँ| तथापि, इस अतिरिक्त राशि को किसी अन्य केंद्र प्रायोजित योजना के केन्द्रीय अंश से वित्तपोषित नहीं किया जा सकता है|
विशेष श्रेणी के राज्य वे राज्य हैं जिन्हें अन्य राज्यों के विकास स्तरों के समतुल्य लाने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा समय समय इनकी घोषणा की गई है| सिक्किम सहित, पूर्वोत्तर राज्यों के अलावा, सी समय उत्तराखंड जम्मू व कश्मीर और हिमाचल प्रदेश विशेष श्रेणी के राज्य हैं| वैचारिक तौर पर निर्माण क्रियाकलाप स्वयं लाभार्थी द्वारा संचालित किया जाना चाहिए जिसमें गाँव की एजेंसी की सहायता से अथवा उसके माध्यम से भी कराया जा सकता है|
राज्य को राज्य में अपनाए जाने वाले कार्यान्यवन तंत्र के संबंध में निर्णय लेने की छूट होगी| व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय का निर्माण स्वयं व्यक्तिगत लाभार्थी द्वारा गाँव की एंजेंसी की सहायता अथवा उसके माध्यम से किया जा सकता है| राज्य व्यक्तिगत प्रोत्साहन देने अथवा जहाँ ग्राम पंचायतों/ब्लॉकों/जिलों में मांग बढ़ाने के लिए समुदायिक मॉडल को को स्वीकार्य करना अनिवार्य है, समुदायों अथवा ग्राम पंचायतों को प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय ले सकते हैं|
प्रोत्साहन राशि का भुगतान नकद अथवा निर्माण सामग्री के निर्माण वोचर के रूप में किया जा सकता है| प्रोत्साहन राशि का दिए जा रहे व्यक्तियों के मामले में, यदि अपेक्षित हो, तो राज्य दो चरणों- पहला निर्माण पूर्व चरण और निर्माण पूर्व चरण में परिवारों को प्रोत्साहन रही तभी जारी की जा सकती है जब गाँव एक निश्चित समय तक खुले में शौच करने की प्रथा से मुक्त है| सुदृढ़ अनुवर्ती निगरानी तंत्र के माध्यम से इन दोनों निष्पादनों का मापन किया जा सकता है|
समुदाय - ग्राम पंचायत को व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय के लिए उपलब्ध कराई गई प्रोत्साहन राशि का उपयोग केवल जल एवं स्वच्छता संबंधी क्रियाकलापों के लिए किया जाना चाहिए| अंतिम उद्देश्य व्यवहारगत बदलाव लाना और खुले में शौच करने की आदत का परित्याग करवाना है|
5.4.4 केंद्र अथवा राज्य सरकार की सहायता से निर्मित सभी मकानों में निश्चित रूप से अभिन्न हिस्से के रूप में उपयुक्त स्वच्छता सुविधाएँ होने चाहिए| आईएवाई मकानों के लिए कार्यात्मक शौचालयों के प्रावधान के लिए इंदिरा आवास योजना कार्यक्रम में इस प्रावधान को अलग से शामिल किया जाएगा| मौजूदा आईएवाई व्यवस्था में ऐसा प्रावधान होने तक स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) से वित्तपोषण जारी रहेगा|
5.4.5 उपर्युक्त प्रोत्साहन राशि के माध्यम से कवर नहीं किए गए एपीएल परिवारों को स्वयं पारिवारिक शौचालय बनाने का कार्य शुरू करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित किया जाएगा| व्यवहारगत बदलाव पर ध्यान संकेन्द्रित करने वाले आई ई सी क्रियाकलाप बिना अपवाद के ग्राम पंचायत में सभी परिवारों को व्यापक कवरेज उपलब्ध कराएँगे| जैसा कि दिशा निर्देशों में उल्लेखित है निधियों की समस्या का सामना कर रहे एपीएल परिवारों की परिक्रामी निधि से सहायता की जा सकती है, अथवा नाबार्ड, बैंक और वित्तीय संस्थानों से किफायती वित्त पोषण के माध्यम से सहायता की जा सकती है|
5.4.6 “सिर पर मैला ढोने में रोजगार का प्रतिबंध और पुर्नवास अधिनियम, 2013” के पैरा 2(1) (ङ) में यथा परिभाषित “अस्वच्छ शौचालय” की ग्रामीण क्षेत्रों में अनुमति नहीं है| मौजूदा अस्वच्छ शौचालय, यदि कोई हो, को स्वच्छ शौचालयों में बदला जाना चाहिए तथा लक्षित लाभार्थियों के लिए प्रोत्साहन की हिस्सेदारी का मानदंड, व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालयों के निर्माण के समरूप होंगे|
5.4.7 प्राथमिकता कार्यक्रम के अंतर्गत, उन परिवारों को कवर करने पर प्राथमिकता दी जाएगी जिनमें:-
5.5 ग्रामीण स्वच्छता बाजार, उत्पादन केन्द्रों, स्व: सहायता समूहों के माध्यम से स्वच्छता सामग्री की उपलब्धता|
5.5.1 अनेक राज्यों में निजी क्षेत्र अच्छी गुणवत्ता वाली स्वच्छता सामग्री और हार्डवेयर बाजार में प्रतिस्पर्धा रूप में उपलब्ध करा रहा है| ऐसे राज्यों में ग्रामीण स्वच्छता बाजार/ उत्पादन केंद्र अपेक्षित नहीं हैं|
5.5.2 तथापि, कुछ राज्यों में स्वच्छता सामग्री से संबंधित बाजार की पहुँच अभी भी अपर्याप्त है| ऐसे मामलों में राज्य ग्रामीण बाजारों और उत्पादन केन्द्रों की व्यवस्था का उपयोग करने का निर्णय ले सकते हैं|
5.5.3 ग्रामीण स्वच्छता बाजार स्वच्छता शौचालय, सोख्ता एवं कंपोस्ट गड्ढा, वर्मी कंपोस्ट, वाशिंग प्लेटफार्म, प्रमाणित घरेलू वाटर फिल्टर और अन्य स्वच्छता साफ- सफाई उपकरणों आदि के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री, हार्डवेयर और डिजाइन के विक्रय केंद्र है| आरएसएम की मौजूदगी का उद्देश्य लाभार्थी के निवास स्थान स्थान के आस पास स्वच्छ पर्यावरण के लिए विभिन्न प्रकार के शौचालय एवं अन्य स्वच्छता सामग्रीओं के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री, सेवा एवं मार्गदर्शन उपलब्ध कराना है| आरएसएम् को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि लाभार्थियों की पसंद के विभिन्न प्रकार के पेन (ग्रामीण, मिट्टी निर्मित, एचडीपी, फाइबर कांच) युक्तिसंगत दरों पर उपलब्ध होनी चाहिए जो स्वच्छता पैकेज के हिस्से के रूप में अपेक्षित हैं| यह सामाजिक उद्देश्या वाला वाणिज्यिक उद्यम है|
5.5.4 उत्पादन केंद्र ग्रामीण उपभोग के लिए उपयुक्त स्थानीय मांग के अनुसार स्थानीय स्तर पर किफायती सस्ती स्वच्छता सामग्री के निर्माण करने के साधन हैं| राज्यों को यह सुनिश्चित करना है कि निगरानी तंत्र की स्थापना यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि निर्मित एवं बिक्री की जा रही वस्तुओं की गुनवत्ता एवं लागत स्वीकार्य स्तर की है| वे आरएसएम से स्वतंत्र अथवा उनका हिस्सा हो सकती हैं|
5.5.5 उत्पादन केन्द्रों/ग्रामीण स्वच्छता बाजारों की स्थापना उन क्षेत्रों में की जा सकती है जहाँ वे स्व:सहायता समूहों/ महिला संगठनों/ पंचायतों/ गैर-सरकारी संगठनों आदि द्वारा निर्मित एवं परिचालित होते हैं| प्रभावी आपूर्ति श्रृखंला सुनिश्चित करने के लिए निजी उद्यमियों की सहायता भी ली जा सकती है|
सभी मामलों में ग्राम पंचायतों को क्षेत्र में प्रशिक्षत राज मिस्त्रियों के समूह की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होती है जिनका उपयोग शौचालयों के निर्माण के लिए किया जा सकता है|
5.5.6 डीडब्ल्यूएसएम/डीडब्ल्यूएससी/ग्राम पंचायतों के पास यह सुनिश्चित करने के लिए कि ग्रामीण स्वच्छता बाजार एवं उत्पादन योजनाओं के अनुकूल है, बनाई गए निगरानी तंत्र के साथ आरएसएम/ पीसी के साथ समझौता ज्ञापन किया जाना चाहिर| आरएसएम के पास उनके उत्पादों के गुणवत्ता प्रमाणीकरण की पद्धति और प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों एवं प्रेरकों का समूहों होना चाहिए|
5.5.7 खरीदी जाने वाली मदों में से प्रत्येक मद के लिए गुणवत्ता मानदंडों (जो बीआई एस अथवा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा अधिसूचित हो) का सख्त अनुपालन किया जाना चाहिए| यह एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है क्योंकी आरएसएम/पीसी से प्राप्त की गई ख़राब गुणवत्ता की वस्तुएँ कार्यक्रम को काफी विफल कर सकती हैं|
5.5.8 जिले के पास उपलब्ध परिक्रामी निधि में से आरएसएम- पीसी स्थापित करने के लिए प्रत्येक मामले में 5 लाख रूपए तक का ब्याज मुक्त ऋण दिया जा सकता है| आरएसएम- पीसी के लिए परिक्रामी निधि से दिए गए ऋण, ऋण प्राप्त करने की तारीख से एक वर्ष के बाद 12- 18 किस्तों में वसूले जायेंगे| राज्य आवश्यकतानुसार वैचारिक तौर पर स्थापित किये जाने वाले प्रति प्रखंड एक इकाई, के हिसाब से आरएसएम/ पीसी की संख्या के संबंध में निर्णय ले सकते हैं| तथापि, 10000 से अधिक आबादी वाले बड़े प्रखंडों में अनेक आरएसएम/पीसी हो सकते हैं|
5.5.9 आरएसएम/पीसी प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए एक कार्य योजना बनाएँगे और समीक्षा के लिए डीडब्ल्यू एसएम/डीडब्ल्यूएससी के पास प्रस्तुत करेंगे| ऐसी योजना व्यक्तिगत पारिवारिक शौचालय तथा आय प्रकार के शौचालयों के साथ परिचालन के अपने-अपने क्षेत्रों में सभी गांवों को कवर करने के लिए हार्डवेयर सहायता उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त रूप से व्यवहारिक होनी चाहिए| कार्य योजना के निर्धारित किस्तों में डीडब्ल्यूएसएम की परिक्रामी निधि की राशि को वापस करने के लिए पर्याप्त आय सृजन को भी दर्शाना चाहिए| प्रत्येक आरएसएम/पीसी को कार्य योजना के अनुसार इसके निष्पादन के बारे में डीडब्ल्यू एसएम/डीडब्ल्यूएससी को आवश्यक सहायता की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए|
5.510 बड़ी संख्या में ऐसे स्व:सहायता समूह हैं जिनका निर्माण विभिन्न आजीविका सहायता कार्यक्रमों के अंतर्गत किया गया | ये स्व:सहायता समूह इस समय अनके राज्यों में बड़ी संख्या में हैं| स्व:सहायता समूहों के आस – पास बनाई गई स्वच्छता आपूर्ति श्रृंखला की संभावना का पता लगाया जा सकता है और राज्य द्वारा स्थापित की जा सकती है| जो देश में स्व:सहायता समूहों के व्यापक विस्तार को ध्यान में रखते हुए अभिगम्यता की समस्या का समाधान कर सकती है| पुराने कार्यक्रम के साथ उपयुक्त तालमेल रूपरेखा अपनाकर, यदि आवश्यक हो, आरएसएम/पीसी के अनुकूल स्व:सहायता समूहों को उपयुक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का निर्णय ले सकते हैं|
5.6 जिले में परिक्रामी निधि का प्रावधान
5.6.1 परिक्रामी निधि एस बी एम (जी) निधियों से जिला स्तर पर उपलब्ध होंगे| राज्यों द्वारा उनके निर्णय के अनुसार सोसाइटी, स्व:सहायता समूह अथवा अन्य समूहों को परिक्रामी निधि उपलब्ध कराई जाए ताकि वे उनके सदस्यों को जिनकी विश्वसनीयता कायम हैं, शौचालयों के निर्माण के लिए सस्ता वित्त उपलब्ध कराएँ| इस निधि से दिया गया ऋण 12-18 किस्तों में वसूला जाए| राज्यों को परिक्रामी निधि से संस्वीकृति देने के लिए अन्य नियमों एवं शर्तों को निर्धारित करने की छूट है|
यह परिक्रामी निधि उन एपीएल परिवारों द्वारा प्राप्त की जा सकती है जो दिशा-निर्देशों के अंतर्गत प्रोत्सहान राशि के लिए कवर नहीं किए गए हैं| वैसे परिवार जिन्होंने पूर्व में किसी स्वच्छता योजन के अंतर्गत प्रोत्साहन राशि प्राप्त की हैं वे भी ऋण के रूप में वित्त प्राप्त कर सकते हैं| वैसे परिवार (बीपीएल और एपीएल) जो प्रोत्साहित राशि के अंतर्गत कवर किए गए हैं, स्नान घर की सुविधा के साथ बेहतर शौचालयों की अतिरिक्त लागत की पूर्ति करने के लिए परिक्रामी निधि के अंतर्गत वित्तपोषण के लिए भी संपर्क कर सकते हैं| जिले के वार्षिक परियोजना परिव्यय की 5 प्रतिशत राशि तक अधिकतम 1.50 करोड़ रू.का उपयोग परिक्रामी निधि सहित आरएसएम/पीसी की स्थापना के लिए वित्तपोषण के रूप में किया जाए| किसी जिले में परिक्रामी निधि का प्रावधान का अनुमोदन डीडब्ल्यू एस एम/डीडब्ल्यूएससी के द्वारा किया जाएगा| केंद्र और राज्य के बीच परिक्रामी निधि में हिस्सेदारी 80:20 के आधार पर किया जाएगा|
5.7 शौचालयों के निर्माण को सूक्ष्म वित्तपोषण
5.7.1 स्वच्छता सुविधाओं के सर्वव्यापीकरण की आवश्यकता के मद्देनजर पारिवारिक शौचालयों के निर्माण के लिए अलग – अलग परिवारों को किफायती वित्तपोषण प्राप्त करने में समर्थ बनाने और ऐजेंसियों जैसे नाबार्ड और अन्य वित्तीय संस्थाओं जैसी एजेंसियों द्वारा निर्धारित गैर – सरकारी संगठनों तथा स्व: सहायता समूहों के नेटवर्क का उपयोग करने के लिए सूक्ष्म वित्तपोषण व्यवस्था की स्थापना की संभावना का पता राज्यों एवं पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा लगाया जाना चाहिए| इससे एसबी एम (जी) के अंतर्गत प्रत्येक्ष प्रोत्साहन राशि के अपात्र परिवारों द्वारा शौचालय की मांग को पूरा करने और/ अथवा वित्तपोषण प्राप्त करके ज्यादा महंगा शौचालय बनाने के इच्छुक परिवारों के लिए वित्तीय संसाधनों, प्रबंधन कौशल एवं अभिगम्यता संबंधी क्षमता को समावेशित करने में सुविधा मिलेगी|
5.7.2 राज्य एवं जिला स्वच्छता संबंधी क्रियाकलापों के संचालन के लिए स्थानीय स्तर पर ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से संभावनाओं का मूल्यांकन कर सकते हैं जिसे स्वतंत्र रूप से अथवा स्वच्छ भारत मिशन के क्रियाकलापों के साथ तालमेल करके किया जा सकता है| ऐसे वित्तपोषण अन्य बातों के साथ-साथ बैंक, मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थाओं अथवा आजीविका संबंधी माध्यम से हो सकते हैं|
5.8 सामुदायिक स्वच्छता परिसर
5.8.1 शौचालय की सीटों, स्नान घरों, धोने की जगह, वाश बेसिन आदि की उपयुक्त संख्या सहित सामुदायिक स्वच्छता परिसरों की स्थापना गाँव में उस स्थान में की जा सकती है जो सभी को स्वीकार्य एवं सभी के लिए अभिगम्य हो| साधारण तौर पर ऐसे परिसरों का निर्माण केवल तब किया जाएगा जब पारिवारिक शौचालयों के निर्माण के लिए गाँव में जगह की कमी हो और समुदाय/ग्राम पंचायत उनके परिचालन एवं अनुरक्षण की जिम्मेवारी लें तथा उसके लिए विशिष्ट मांग करें| ऐसे परिसरों का निर्माण उन सार्वजनिक जगहों, बाजारों बस पड़ावों आदि जगहों पर किया जा सकता है जहाँ बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं| ऐसे परिसरों का अनुरक्षण बहुत आवश्यक है जिसके के लिए ग्राम पंचायत को मुख्य रूप से जिम्मेवारी ग्रहण करनी चाहिए और परिचालन एवं अनुरक्षण सुनिश्चित किया जाना चाहिए| यदि विशेष रूप से परिवारों को कहा जा सकता है कि वे सफाई एवं अनुरक्षण के लिए युक्तिसंगत मासिक प्रयोक्ता शुल्क दें| समुदायिक संकेन्द्र के स्थान के परिसरों के लिए भुगतान करो एवं उपयोग करो मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए| सामूदायिक स्वच्छता परिसरों की स्थापना के प्रस्ताव को राज्य स्तरीय योजना मंजूरी समिति द्वारा अनुमोदित किया जाएगा| परिसर के समुचित अनुरक्षण और निगरानी संबंधी दिशा- निर्देश जारी किए का सकते हैं|
मंत्रालय के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों की स्थापना एवं प्रबंधन के संबंध में एक पुस्तिका जारी की है| इसे ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे परिसरों की स्थापना के लिए उपयोग किया जा सकता है है| इस पुस्तिका को मंत्रालय की वेबासाइटhttp://www.mdws.gov.in से डाउनलोड किया जा सकता है|
5.8.2 सामुदायिक स्वच्छता परिसर के लिए निर्धारित प्रति इकाई अधिकतम सहायता 2 लाख रूपये है| सरकार, राज्य और समुदाय के बीच हिस्सेदारी 60:30:10 के अनुपात में होगी| तथापि, पंचायत द्वारा अपने संसाधनों से, वित्त आयोग के अनुदान से, इसके द्वारा विधिवत अनुमति प्राप्त राज्य की किस अन्य निधि से अथवा राज्य, जिला या ग्राम पंचायत से यथा प्राप्त किसी अन्य स्रोत से सामुदायिक अंशदान किया जा सकता है| सामुदायिक स्वच्छता परिसरों/सार्वजनिक शौचालयों के वित्तपोषण के लिए राज्य अलग-अलग परिसरों की लागत बढ़ाने के लिए सीएसआर /सी एस ओ/ एन जी ओ से अतिरिक्त निधियां जुटा सकते हैं| सुविधाओं के परिचालन एवं अनुरक्षण की आवश्यकता पूरी करने के लिए सार्वजनिक निजी साझेदारी (पीपीपी)/ वीजीएफ तरीके से हो सकती है| इन सामुदायिक स्वच्छता परिसरों में जल आपूर्ति की सूनिश्च्यन सामुदायिक स्वच्छता परिसर की स्वीकृत होने से फेल एनआरडीडब्ल्यूपी के अंतर्गत किया जाना होगा|
5.9 इक्विटी एवं समावेश
5.9.1 इक्विटी एवं समावेशन मामले स्वच्छ एवं साफ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है| जो लोग सुरक्षित स्वच्छता सुविधाओं को प्राप्त एवं उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं, की विभिन्न श्रेणियों को सुविधाएँ उपलब्ध कराना, कार्यान्यवन एजेंसियों की प्राथमिकता होगी| इस श्रेणी में अन्य के अतिरिक्त उन लोगों को शामिल किया जाए जो सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित हैं, मानक डिजाइन के साथ निर्मित स्वच्छता सुविधाओं का उपयोग करने में असमर्थ हैं| महिलाओं, बच्चों एवं विभिन्न जातियों मतों एवं प्रजातियों के लोग, वृद्धों गर्भवती महिलाओं, विकलांगो, भौगोलिक रूप से सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले लोग जहाँ उच्च जल स्तर, बलुआही मिट्टी एवं पत्थरों के कारण साधारण शौचालय बनाना कठिन है, को कवरेज की योजना बनाते समय प्राथमिकता दी जा कस्ती है| मर्यादा एवं संरक्षा संबंधी मामले सहित लिंग संबंधी मामले सहित लिंग संबंधी आवश्यकता एवं संवेदनशीलता को स्वच्छता संबंधी मामलों की आयोजन, कार्यान्वयन एवं कार्यान्वयन पश्च प्रबंधन की प्रत्येक चरण में ध्यान में रखा जाएगा|
5.9.2 महिलाओं की व्यक्तिगत साफ-सफाई से संबंधित मामले मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई पर एस बी एम (जी) के अंतर्गत ध्यान केन्द्रित करना है| लड़कियों एवं महिलाओं की अपने मासिक धर्म चक्र से संबंध साफ- सफाई एवं स्वच्छता संबंधी आवश्यकताएं होती है| महिलाओं को मासिक धर्म संबंधी स्वस्थता प्रबंधन संबंधी सुरक्षित पद्धति के बारे में जानकारी के अभाव में कठिनाई का सामना करना पड़ता है| अनेक उदहारण हैं जहाँ सी एस ओ और स्व: सहायता समूहों ने समुदाय के साथ काम किया है, मासिक धर्म सम्बंधी साफ-सफाई की प्रक्रिया के बारे में उन्हें जागरूकता बनाया है और स्वच्छता नेपकिन कि मांग पूरी करने के लिए आर्थिक मॉडल भी विकसित किया है| यह एक ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ से सी एस ओ और स्व: सहायता समूह मुख्य भूमिका निभा सकते हैं|
5.9.3 आई ई सी घटक में अंतर्गत उपलब्ध निधियों का उपयोग सभी स्थानों में एवं विशेषकर विद्यालय में किशोरियों में इस मामले मासिक धर्म के दौरान साफ –सफाई प्रबंधन के संबंध में जागरूकता एवं कौशल बढ़ाने की आईईसी के लिए किया जाए| आई ई सी योजनाओं में सभी स्टेक होल्डरों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए इस घटक को शामिल किया जाएगा| एस एल डब्ल्यू एम घटकों के अंतर्गत निधियों का उपयोग मासिक धर्म के दौरान साफ-सफाई के अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान के लिए विद्यालयों, प्राथमिक स्वास्थय केन्द्रों और सार्वजनिक शौचालयों में भाष्म्क की स्थापना के लिए भी किया जा सकता है|
5.9.4 विकलांग लोगों की आवश्यकता की प्रति अभिक्रियाशील स्वच्छता सुविधाओं के प्रावधान को उन प्रौद्योगिकी में शामिल किया जाएगा जिसका उपयोग शौचालयों के निर्माण के लिए किया जा सकता है इसके लिए सुझाव संबंधी मॉडल तथा लागत अनुमान तैयार कर परिचालित किए जायेंगे|
5.10 ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन
5.10.1 एस बी एम (जी) का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई, स्वास्थय शिक्षा एवं सामान्य जीवन स्तर में सुधार लाना है| ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन इस कार्यक्रम के मुख्य घटकों में से एक घटक है| गाँव को स्वच्छ बनाने के लिए यह आवश्यक है की आई ई सी संबंधी पहलों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित किया जाए ताकि आबादी के बीच इन क्रियाकलापों के लिए महसूस की गई आवश्यकता पैदा की जा सके| इससे अपशिष्ट के वैज्ञानिक निपटान के लिए तंत्र की स्थापना इस प्रकार होगी जिसका आबादी पर प्रत्येक्षा प्रभाव पड़ता है| समुदाय/ ग्राम पंचायत के आगे आने और ऐसे तंत्र की मांग करने के लिए प्रेरित करना होगा जिसका उन्हें बाद में परिचालन एवं अनुरक्षण करना है|
5.10.2 मांग सृजित होने पर यह संसाधनों का उपयोग प्रभावी ढंग से सुनिश्चित करने के लिए परिवारों की संख्या के आधार पर किसी ग्राम पंचायत के लिए एस एल डब्ल्यू एम् को परियोजना मोड़ में शुरू करना है ताकि सभी ग्राम पंचायतों को स्थायी एस एल डब्ल्यू एम परियोजना को कार्यान्वित करने में समर्थ बनाया जा सके| एस एल डब्ल्यू एम परियोजनाओं के लिए एस बी एम (जी) के अंतर्गत कूल सहायता प्रत्येक ग्राम पंचायत में कुल परिवारों की संख्या के आधार पर निर्धारित की जाएगी जो 150 परिवारों वाली ग्राम पंचायतों के लिए अधिकतम 7 लाख रूपये, 300 परिवारों वाली ग्राम पंचायतों के लिए 12 लाख रूपये, 500 परिवारों तक वाली ग्राम पंचायतों के लिए 15 लाख रूपए और 500 से अधिक परिवारों वाली ग्राम पंचायतों के लिए अधिकतम 20 लाख रूपए होगी| एस बी एम (जी) के अंतर्गत एस एल डब्ल्यू एम परियोजना के लिए निधि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा 75:25 के अनुपात में उपलब्ध कराई जाती है| अतिरिक्त लागत आवश्यकता की पूर्ति राज्य/ग्राम पंचायत से और वित्त आयोग वित्तपोषण, सीएसआर, स्वच्छ भारत कोष जैसे अन्य स्रोतों से और पीपीपी मॉडल के माध्यम से की जानी होती है|
5.10.3 ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के अंतर्गत अन्य के साथ साथ निम्नलिखित क्रियाकलाप शुरू किए जा सकते हैं :
(i) ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए : - राज्यों को अपने – अपने क्षेत्रों के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को तय करना होता है| प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन पर विचार किया जाए| घरेलू कचरों का संकलन, पृथक्करण और सुरक्षित निपटान, घरेलू कम्पोष्ट बनाना और बायो – गैस संयंत्र जैसे विकेंद्रीकृत तंत्रों की भी अनुमति होगी| खाद के रूप में जैविक ठोस अपशिष्टों के अधिकतम पुन: उपयोग से संबंधित क्रियाकलापों को अपनाया जाना चाहिए| ऐसी प्रौद्योगिकियों में वर्मी कंपोस्ट अथवा कंपोस्ट बनाने की अन्य कोई विधि, व्यक्तिगत एवं सामुदायिक बायो गैसे संयंत्र शामिल किए जा सकते हैं| ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आबंटित निधियों का उपयोग मासिक धर्म के दौरान हुए अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान साधनों को अपनाने के लिए किया जा सकता है और विद्यालयों, महिला समुदायिक स्वच्छता परिसरों, प्रथमिकत स्वास्थय केंद्र अथवा गांव में किसी उपयुक्त स्थान में भाष्मक (इन्सिनरेटर) स्थापना और संग्रहण तंत्रों का उपयोग किया जा सकता है| प्रौद्योगिकियों में उपयुक्त विकल्प शामिल हो सकते हैं जो सामाजिक रूप से स्वीकार्य और पर्यावरणीय रूप से स्वच्छ हों|
(ii) तरल अपशिष्ट निपटान: राज्यों को उपयुक्त प्रौद्योगिकी निर्धारित करनी है| तरल अपशिष्टों के प्रबंधन के लिए अपनाई गई प्रणाली के अंतर्गत न्यूनमत परिचालन एवं अनुरक्षण लागतों के साथ कृषि प्रयोजनों के लिए ऐसे अपशिष्ट के अधिकतम पुन: उपयोग पर ध्यान केन्द्रित किया जाए| गंदे जल के संकलन के लिए, किफायती नाला, छोटा बोर सिस्टम, सोख्ता गड्ढा का उपयोग में लाया जाए| गंदे जल के शोधन के लिए अन्य के साथ – साथ गंदे जल के शोधन के लिए अन्य के साथ-साथ निम्नलिखित प्रौद्योगिकियों पर विचार किया जाए|
क. अपशिष्ट स्थिरीकरण तालाब प्रौद्योगिकी
ख. डकवीड आधारित गन्दा जल शोधन
ग. फाईटोरिड प्रौद्योगिकी (निरी द्वारा विकसित)
घ. अवायुजीवी (अनारोबिक) विकेंद्रीकृत अपशिष्ट जल शोधन
ग्रामीण क्षेत्रों के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों के ब्यौरा के लिए एक पुस्तिका “ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तकनीकी विकल्प” तथा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा जारी किए जाने हेतु तैयार किये जा रहे अन्य प्रकाशनों का संदर्भ लिया जाए| इन प्रकाशनों को शीर्ष “प्रकाशन” अथवा यूआरएल http://www.mdws.gov.in में देखा जा सकता है|
5.10.4 सभी ग्राम पंचायतों को एस एल डब्ल्यू एम परियोजना के साथ कवरेज हेतु लक्षित किया जाना है| प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए एस एल डब्ल्यू एम परियोजनाएँ वार्षिक जिला योजना का भाग होनी चाहिए| वार्षिक जिला योजना को स्टेट लेवल स्कीम सेंसनिंग कमेटी द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए| अलग –अलग राज्यों की तकनीकी एवं वित्तीय नियमावली के अनुसार प्रत्येक वैयक्तिक एस एल डब्ल्यू एम परियोजना को डीडब्ल्यूएससी स्तर पर अनुमोदित किया जाए| इसका उद्देश्य बिना विलम्ब के सभी ग्राम पंचायतों में एस एल डब्ल्यू एम परियोजनाओं को शुरू करना है|
5.10.5 प्रत्येक राज्य में राज्य स्तर पर कम से कम एक एसएल डब्ल्यू एम परामर्शदाता तथा प्रत्येक जिला डी डब्ल्यू एस एम/डीडब्ल्यूएससी में एक एस एल डब्ल्यू एम परामर्शदाता प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए ईएसएल एल डब्ल्यू एम परियोजनाओं की तैयारियों का मार्गदर्शन करने हेतु होना चाहिए| ऐसी परियोजनाओं को तैयार करने, विकसित/ जाँच/कार्यान्वित करने के लिए पेशेवर एजेंसियों/ गैर – सरकारी संगठनों की सहायता प्राप्त की जा सकती है| ऐसी एजेंसियों को एसएलडब्ल्यू एम परियोजनाओं की तैयारी, पर्यवेक्षण तथा निगरानी के लिए देय लागत को परियोजना लागत का भाग बनाया जा सकता है| परिचालन के प्रथम पांच वर्षों के लिए अनुरक्षण लागत को परियोजना लागत का भाग बनाया जा सकता है| एसएलडब्ल्यूएम परियोजनाओं को अन्य कार्यक्रमों जैसे महात्मा गाँधी नरेगा, एम्पीएलड, एमएलएएलएडी निधियों, वित्त आयोग निधियों, सीएसआर अंशदान, स्वच्छ भारत कोष, दानदाता से निधियों का अंतरण करके तथा वित्तपोषण से व्यवहारिक कार्यकम बनाया जा सकता है| अन्य मंत्रालयों अरु विभागों के कार्यक्रमों का वित्तपोषण का भी तालमेल किया जाए|
5.10.6 एसएलडब्ल्यूएम परियोजनाएँ शुरू करने से पहले सतत परिचालन एवं अनुरक्षण प्रणालियों को भी व्यवस्थित किया जाए|
5.10.7 पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय एमडीडब्ल्यू एस पर समय समय पर तकनीकी सूचना सहित, सूचना तथा मैनुअल पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय वेबसाइट में प्रकाशित करेगा|
5.11 प्रशासनिक प्रभार
5.11.1 राज्यों को इस घटक के अंतर्गत, इसकी आवश्यकता के अनुसार, निधियों का उपयोग करने की अनुमति होगी| प्रशासनिक प्रभारों में आमतौर से राज्य, जिला, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तरों पर एस बी एम (जी) के विभिन्न घटकों के निष्पादन हेतु नियोजित अस्थाई कर्मचारियों तथा एजेंसियों के वेतन पर होने वाले व्यय, सहायक सेवाओं, ईंधन प्रभारों, वाहन को भाड़े पर लेने के प्रभार, लेखन सामग्री, निगरानी तथा मूल्यांकन गतिविधियों, निगरानी तथा सत्यापन, प्रभावन आदि दौरों के लिए तैनात किए गए अंतर – राज्य एवं अंतर- जिला सर्वेक्षण दलों को यात्रा भत्ता/महंगाई भत्ता की अनुमित होगी|
परियोजनाओं को पेशेवर रूप से कार्यान्वित करने के लिए, आई ई सी, मानव संसाधन विकास, विद्यालय स्वच्छता तथा साफ- सफाई शिक्षा, एस एल डब्ल्यू एमम निगरानी एवं मूल्यांकन आदि क्षेत्रों से विशेषज्ञों/ परामर्शदाताओं/ एजेंसियों को परियोजना अवधि के लिए राज्य एवं जिला स्तरों पर भाड़े पर लिया जा सकता है|
5.11.2 राज्य सरकारों को परामर्श दी जाती है कि वे पूर्णकालिक ब्लॉक स्वच्छता अधिकारी के रूप में एक सरकारी अधिकारी की तैनाती करें| जब तक इसका परिचालन नहीं किया जाता है, तब तक राज्य सरकारें एस बी एम गतिविधियों का विशेषरूप से सरकारी तौर पर ब्लॉक स्तर पर नियुक्त एक वरिष्ठ अधिकारी को सौंप सकती है| उसकी सहायता संविदा पर नियोजित एक ब्लॉक समन्वयक तथा एक डाटा एंट्री आपरेटर द्वारा की जा सकती है जिसे राज्य द्वारा यथा निर्णित परिलब्धियों का भुगतान किया जाए| इस ब्लॉक स्तरीय व्यवस्था में योजना के कार्यान्वयन में प्रत्येक ग्राम पंचायत की सहायता, पर्यवेक्षण और निगरानी का कार्य किया जाएगा|
5.11.3 प्रत्येक ब्लॉक् को सहायक साजो सामान के साथ एक कंप्यूटर भी उपलब्ध कराया जायेगा| प्रत्येक ब्लॉक को मासिक प्रभारों सहित इंटरनेट सुविधा लेने की अनुमति हो|
5.11.4 एक वर्ष में परियोजना पर खर्च की गई राशि का 2 प्रतिशत तक प्रशासनिक घटक पर वर्ष – वार उपयोग किया जाएगा| इसको जिला स्तर पर समायोजित किया जाएगा जहाँ प्राअधिकारी 1.8 प्रतिशत व्यय कर सकेगा| राज्य हाथ में लिए गए सभी जिलों के कुल कार्यक्रम व्यय की 0.2 प्रतिशत राशि खर्च कर सकेगा| व्यय का भागीदारी पैटर्न केंद्र और राज्य के बीच 75.25 होगा जिसे वित्तीय वर्ष के अंत में समायोजित किया जाएगा| इस घटक की व्यय न की गई अधिशेष राशि अगले वर्ष के लिए अग्रेनीत होगी|
5.11.5 यह सुनिश्चित करने के लिए कि राज्य स्तर पर निगरानी एवं मूल्यांकन गतिविधियाँ चलाई जा रही हैं, प्रशासनिक व्यय के लिए उपलब्ध सभी निधियों के 5 प्रतिशत राशि का उपयोग कार्यक्रम से संबंधित निगरानी एवं मूल्यांकन अध्ययनों के लिए किया जाएगा| राज्य समवर्ती निगरानी और सोसल ऑडिट के लिए व्यवस्था करेगा| तृतीय पक्षकार का स्वतंत्र मूल्यांकन एवं संघात अध्ययन भी इस प्रयोजन के लिए सूचीबद्ध प्रख्यात राष्ट्रीय स्तर की एजेंसियों द्वारा आयोजित कराया जाए|
5.11.6 “प्रशासनिक खर्चों” के अंतर्गत व्यय की निम्नलिखित मदें विशेषरूप से प्रतिबंधित हैं:
क. वाहनों की खरीद
ख. भूमि एवं भवनों की खरीद
ग. सरकारी भवनों तथा विश्राम गृहों का निर्माण (इसमें एन बी ए परियोजनाओं के लिए आवश्यक शौचालय इकाइयाँ शामिल नहीं हैं)|
घ. किसी भी राजनैतिक एवं धार्मिक संगठनों के लिए व्यय
ङ. भेंट तथा चंदा के लिए व्यय
च. राज्य में किसी भी अन्य योजना के लिए निधियों अथवा निधि का अंतरण
6.1 एस बी एम (ग्रामीण) के अंतर्गत राष्ट्रीय योजना स्वीकृति समिति का गठन निर्धारित अवधि की लिए किया जाएगा जो राज्य/संघ शासित क्षेत्रों की सरकारों से प्राप्त, राज्य स्तरीय योजना स्वीकृत समिति द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित और मूल्यांकन समिति द्वारा अंतिम रूप दिया गया हो का राज्यों/जिलों के लिए परियोजना कार्यान्वयन योजनाएँ तथा वार्षिक कार्यान्वयन योजना नामक भावी योजनाओं का अनुमोदन अथवा संशोधन करेगा|
एनएसएससी का गठन निम्न प्रकार होगा :
7.1 स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर सामाजिक एकजुटता और निगरानी अपेक्षित है| राष्ट्र/राज्य/जिला/ब्लॉक ग्राम स्तर पर पांच स्तरीय कार्यान्वयन तंत्र की स्थापना की जानी चाहिए| जिसका विवरण नीचे दिया गया है|
7.2 राष्ट्रीय स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एन एस बी एम जी
7.2.1 स्वच्छ भारत मिशन की स्थापना पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में की जाएगी| सचिव, पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के निदेशक होंगे तथा उनकी सहायता अपर सचिवों, संयुक्त सचिवों, निदेशकों, उप सचिवों एवं तकनीकी सलाहकारों द्वारा की जाएगी और इसका निर्णय भारत सरकार द्वारा समय-समय पर लिया जाएगा|
7.2.2 मिशन में एक निगरानी एवं मूल्यांकन प्रकोष्ठ होगा जो एनएसएसओ और भारत के महापंजीयक जैसी अन्य एजेंसियों के परामर्श से राज्यों में एस बी एम् (जी) के कार्यान्यवन के संगत एवं उपयुक्त वार्षिक अथवा द्वि वार्षिक कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए उत्तरदायी होगा| यह प्रकोष्ठ निगरानी पर राज्यों एवं जिलों के समन्वय के लिए जिम्मेवार होगा| यह प्रकोष्ठ देश में बदलती हुई स्वच्छता की स्थिति के बारे में विभिन्न एजेंसियों और संगठनों द्वारा प्रकशित की जा रही रिपोर्टों और प्रकाशनों की भी निगरानी करेगा|
इस प्रकोष्ठ को स्वच्छ भारत मिशन के संबंध में भारत सरकार के अन्य सभी मंत्रालयों और अलग-अलग राज्यों/संघ शासित क्षेत्रों की गतिविधियों की निगरानी करने की जिम्मेवारी होगी|
यह प्रकोष्ठ एनआईसी के सहयोग से मंत्रालय की एसबीएम (जी) – एम आई एस के विकास का कार्य करेगा|
7.2.3 इस प्रकोष्ठ में एक संचार सेल भी होगा जो पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की वार्षिक एवं दीर्घकालीन संचार योजना को तैयार तथा कार्यान्वित करेगा| यह प्रकोष्ठ योजना पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, डीएवीपी दूरदर्शन, आकाशवाणी एनएफडीसी तथा अन्य संचार एजेंसियों के साथ समन्वय करेगा| यह प्रकोष्ठ सामान्य रूप से फोकस एवं प्रयोजना सुनिश्चित करने के लिए राज्यों की संचार योजना तथा गतिविधियों की भी निगरानी करेगा|
7.2.4 राष्ट्रीय संसाधन केंद्र (एनआरसी) जो पेयजल आर स्वच्छता तथा जल आपूर्ति के विभिन्न पहलुओं में विशेषज्ञों का एक समूह है, स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लिए एक तकनीकी सहायता इकाई होगी|
7.3 राज्य स्वच्छ भारत मिशन (एसएसबीएम(जी) राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम)
7.3.1 ग्रामीण स्वच्छता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति, विद्यालयी शिक्षा, स्वास्थय, महिला एवं बाल विकास, जल संसाधन, कृषि, प्रचार आदि का कार्य देख रहे राज्य विभागों के बीच समन्वय तथा तालमेल प्राप्त करने की दिशा में एक कम के रूप में, राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) की राज्य/संघ शासित प्रदेश स्तर पर स्थापना की जानी चाहिए| इसे राज्य में ग्रामीण जल आपूर्ति एवं स्वच्छता को कार्यान्वित करने वाले विभाग/बोर्ड/निगम/प्राधिकरण/एजेंसी के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसाइटी होना चाहिए|
7.3.2 चूंकि राज्य एक समुचित ढांचे पर निर्णय लेंगे, अत: राज्य मिशन को सहायता तथा परामर्श देने के लिए राज्य स्तर एक शीर्षस्थ समिति होनी चाहिए| इस समिति का अध्यक्ष मुख्य सचिव होना चाहिए तथा सदस्य के रूप में शामिल होंगे पीएचडी, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, वित्त, स्वास्थय को कार्यान्वित करने वाले विभाग/बोर्ड/निगम/प्राधिकरण/एजेंसी के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसाइटी होना चाहिए|
7.3.2 चूंकि राज्य के समुचित ढांचे पर निर्णय लेंगे, अत: राज्य मिशन को सहायता तथा परामर्श देने के लिए राज्य स्तर पर एक शीर्षस्थ समिति होनी चाहिए| इस समिति के अध्यक्ष मुख्य सचिव होना चाहिए तथा सदस्य के रूप में शामिल होंगे पीएचईडी, ग्रामीण विकास (आरडी), पंचायती राज, वित्त स्वास्थ्य, सूचना एवं जन संपर्क के प्रभारी सचिव, राज्य के स्वच्छता का कार्य देख रहे विभाग के प्रधान सचिव/सचिव, एसबीएम् (जी) के सभी गतिविधियों और मिशन की बैठकें आयोजित करने के लिए उत्तरदायी नोडल सचिव होंगे|
स्वच्छता, हैड्रोलोजी, आई ई सी, एचआरड, एमआईएस, गैर – सरकारी संगठनों आदि के क्षेत्र में विशेषज्ञों के सदस्यों के रूप सहयोजित किया जाए| राज्य भारत मिशन (ग्रामीण), राज्य सरकार के कार्यान्वयन विभाग के भीतर स्थापित होना चाहिए विभाग का प्रभारी मंत्री शासी निकाय का अध्यक्ष होगा| कार्यान्वयन विभाग के प्रभारी सचिव /सचिव उपाध्यक्ष तथा मिशन निदेशक सदस्य-सचिव होंगे|
7.3.3 राज्य स्तर के वरिष्ठ अधिकारी की अध्यक्षता में एसएसबीएम (जी) निदेशालय, राज्य में परियोजना जिलों में एसबीएम (जी) के कार्यान्वयन का पर्यवेक्षण लाइन विभागों के बीच तंत्र में तालमेल करेगा, जिले की आवश्कतानुसार प्रत्येक जिले के लिए वार्षिक कार्यान्वयन योजना को तैयार करवाना सुनिश्चित करेगा, उसे राज्य की वार्षिक कार्यान्वयन योजना में समेकित करेगा, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय/राष्ट्रीय स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के साथ उस भागीदारी एवं विचार- विमर्श करेगा, केंद्र से अनुदान-सहायता प्राप्त करेगा और उसका आवश्यकतानुसार डी डब्ल्यू एस एम/ जिला परिषद/डीआरडीए को संवितरण करेगा| राज्य, राज्य मिशन के लिए पर्याप्त, प्रशासनिक, तकनीकी और सहायक स्टॉफ उपलब्ध कराएगा| मिशन में सभी सरकारी कर्मचारियों की पारिश्रमिक राशि को राज्य द्वारा वहन किया जाएगा| एसएसबीएम (जी) कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्रदान किए जाने हेतु परामर्शदाताओं के रूप में तकनीकी विशेषज्ञों को नियोजित कर सकता है|
7.3.4 राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति एक ऐसी समिति हैं जिसमें राज्य स्तर पर तकनीकी प्रकृति की जिला परियोजनाओं और अन्य प्रस्तावों की जाँच करने तथा अनुमोदित करने हेतु राज्य सरकार द्वार लिए गए निर्णय के अनुसार, विभिन्न तकनीकी विभागों, संस्थाओं तथा संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हैं| इस समिति में पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय का एक प्रतिनिधि शामिल होगा|
7.3.5 इस समय स्वच्छता के लिए स्थापित जल एवं स्वच्छता संगठन /सम्प्रेष्ण एवं क्षमता विकास इकाई को राज्य स्वच्छ भारत मिशन इकाई को राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में सम्मिलित कर दिया जायेगा| यदि पयेजल आपूर्ति एवं स्वच्छता का कार्य विभिन्न विभागों द्वारा देखा जा रहा है तब डब्ल्यूएसएसओ (स्वच्छता) को एसएसबीएम (जी) के साथ मिला दिया जाएगा|
7.3.6 एसएसबीएम (जी) के लिए लेखा व्यवस्था एस डब्ल्यू एस एम के लिए मौजूदा व्यवस्था और पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय एवं राज्य सरकार द्वारा समय – समय पर किए गए संशोधन के अनुसार होगी|
7.3.7 एसएसबीएम(जी) के प्रशासनिक सहायता घटक में आदर्श रूप से निम्नलिखित न्यूनतम मानव संसाधन शामिल होंगे:
निदेशक 1
राज्य समन्वयक 1
परामर्श दाता :
एचआरडी/ क्षमता 1
निर्माण विशेषज्ञ
आई ई सी विशेषज्ञ 1
एम्एंडई विशेषज्ञ 1
एसएलडब्ल्यूएम विशेषज्ञ 1
एम आई एस विशेषज्ञ 1
लेखाकार 1
डाटा एंट्री ऑपरेटर 2
सभी परामर्शदाताओं की विशिष्टियों और उनकी परिलब्धियों पर राज्यों द्वारा निर्णय लिया जाना है| तथापि, राज्यों को महात्मा गाँधी नरेगा और एनआरएलएम जैसे अन्य कार्यक्रमों की परिलब्धि ढांचे के साथ समानता रखनी चाहिए|
7.4 जिला स्वच्छ भारत मिशन (डीएसबीएम (जी) :
7.4.1 जिला स्वच्छ भारत मिशन का जिला स्तर पर गठन किया जाएगा| इस कार्य का जिला जल एवं स्वच्छता मिशन/समिति (डीडब्ल्यू एस एम/सी) में उचित परिवर्तन करके किया जाए| चूंकि लाइन विभाग कार्यक्रम के कार्यान्वयन में उत्प्रेरक भूमिका अदा करेंगे, अत: जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट की प्रधान भूमिका होगी|
चूंकि राज्य समुचित तंत्र पर निर्णय लेंगे अत: डीएसबीएम (जी) का सुझाया गया गठन निम्न प्रकार हो:
7.4.2 जिला कलेक्टर/मजिस्ट्रेट के अध्यक्षता में एक जिला स्वच्छ भारत मिशन प्रबंधन समिति (डी एस बी एमएमसी) का गठन किया जाएगा जिसमें संबंधित विभागों के सभी जिला स्तरीय अधिकारी तथा सभी खंड विकास अधिकारी और स्वच्छता के प्रभारी ब्लॉक स्तरीय अदिकारी शामिल होंगे तथा मिशन के कार्यान्यवन की आयोजन तथा निगरानी करने हेतु प्रत्येक महीने में इसके एक बार बैठक होगी| यह समिति नियमति रूप से ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर की समीक्षाएं भी करेगी| जिला कलेक्टर/उपायुक्त/मजिस्ट्रेट/जिला पंचायत के सीईओ समिति के नोडल अधिकारी होंगे जो मिशन के कार्यान्यवन के लिए उत्तरदायी होंगे| मिशन में सभी कर्मचारियों के पारिश्रमिक को राज्य द्वारा वहन किया जाएगा| डीएसबीएमएमसी कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता दिए जाने हेतु परामर्शदाता के रूप में तकनीकी विशेषज्ञों को नियोजित कर सकते हैं|
7.4.3 डीएस बी एम (जी) के लिए लेखा व्यवस्था डी डब्ल्यू एस एम के लिए मौजूदा व्यवस्था और पेयजल और स्वच्छता मंत्रलय तथा राज्य सरकार द्वारा समय – समय पर किए गए संशोधन के अनुसार होगी|
7.4.4 जिले में कार्यान्वयन स्तर, निम्नलिखित मानव संसाधनों के आदर्श रूप से डीएसबीएम (जी) में सुनिश्चित किया जाएगा :
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का प्रभारी जिला समन्वयक 1
सहायक समन्वयक (तकनीकी): परामर्शदाता 1
आई ई सी/इक्विटी/समाजिक सम्प्रेषण तथा व्यवहारिक परिवर्तन
सम्प्रेष्ण 1
एचआरडी/क्षमता निर्माण : 1
एमएंडई सह एम आई एस: 1
तकनीकी विशेषज्ञ स्वच्छता एवं साफ सफाई 1
एसएल डब्ल्यू एम: 1
लेखाकार: 1
डाटा इंट्री ऑपरेटर 2
सभी परामर्शदाता की विशिष्टियों और परिलब्धियों पर राज्यों द्वारा राज्यों द्वारा निर्णय लिया जाना है| तथापि, राज्यों को महात्मा गाँधी नरेगा एवं एनआरएलएम जैसे अन्य कार्यक्रमों की परिलाब्धि ढांचे के साथ समानता रखनी चाहिए|
7.5 ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (बीपीएमयू)
7.5.1 ग्राम पंचायत में स्वच्छता स्थिति की निगरानी करने तथा मार्गदर्शन एवं सहायता उपलब्ध कराने हेतु ग्रामीण स्वच्छता क्षेत्र में ब्लॉक स्तरीय पहल की भूमिका को महत्वपूर्ण रूप से सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है| एक ग्राम पंचायत अथवा ग्राम पंचायतों के समूह को सहायता मुहैया कराने हेतु ब्लॉक स्तर एक एक आर्दश इकाई है| राज्यों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार ब्लॉक स्तरीय व्यवस्था को अंतिम रूप देना चाहिए|
7.5.2 आदर्शत: राज्य को एक ब्लॉक कार्क्रम प्रबंधन इकाई (बी पी एम यू) स्थापित करनी है| बी पी एम यू जिला विशेषज्ञों और ग्राम पंचायतों के बीच एक पूल के रूप में कार्य करेगा तथा ग्रामीण समुदायों, ग्राम पंचायतों और वी डब्ल्यू एस सी के जागरूकता सृजन, प्रेरणा, एकजुटता, प्रशिक्षण और सहायता के लिए लगातार सहायता उपलब्ध कराएगा|
राज्य सरकारों से उम्मीद है कि वे पूर्णकालिक ब्लॉक स्वच्छता अधिकारी (बी एस ओ) के रूप में एक सरकारी अधिकारी को तैनात करेंगे| जब तक यह व्यवस्था की जाती है, तब तक राज्य बीए एस ओ के रूप में ब्लॉक स्तरीय एक बड़े अधिकारी को पदनामित करेगा| उसकी सहायता के लिए एक ब्लॉक समन्वयक और एक डाटा एंट्री ऑपरेटर को अनुबंध पर रखा जाए और जिनका पारिश्रमिक राज्य द्वारा तय किया जाएगा| यह ब्लॉक स्तरीय व्यवस्था कार्यक्रम की सहायता, पर्यवेक्षक और निगरानी तथा प्रत्येक ग्राम पंचायत में निर्मित किए जा रहे शौचालयों की गुणवत्ता और उनके प्रयोग के साथ कार्यान्वित की जाएगी| ग्राम स्तरीय कामगारों तथा स्वच्छता सेनाओं की मदद करने के लिए ब्लॉक स्तर पर सामाजिक संचालकों की आवश्यकता हो सकती है|
7.5.3 राज्य उन स्थानों पर भी उप – ब्लॉक अर्थात कलस्टर स्तर की इकाइयाँ स्थापित कर सकते हैं जहाँ एक ब्लॉक में ग्राम पंचायतों की अधिक संख्या है| सामाजिक संचालकों तथा तकनीकी पर्यवेक्षकों की एक टीम को 20-30 ग्राम पंचायतों के लिए नियोजित किया जा सकती है| राज्यों द्वारा ब्लॉक् और कलस्टर स्तरों पर नियोजित सभी व्यक्तियों को परिलब्धियों पर निर्णय लिया जाना है|
7.5.4 स्वच्छता के विभिन्न पहलुओं पर ग्राम समुदायों के बीच में मांग में वृद्धि सहित क्षमता निर्माण और जागरूकता सृजन का कार्य पदनामित सी एस ओ आदि/स्वच्छता दूत/सेना के माध्यम से शुरू किया जाएगा| यह ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त स्थिति प्राप्त करने, प्रभावी प्रेरणा के साथ इसको सतत रूप से जारी रखने और शौचालयों का निर्माण तथा कम लागत ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में भी सहायता करेगा|
7.5.5 इन कर्मियों पर होने वाले व्यय को एसबीएम (जी) के प्रशासनिक शीर्ष से किया जाएगा|
7.6 ग्राम पंचायत/ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति
7.6.1 ग्राम पंचायतों की कार्यक्रम के कार्यान्वयन में प्रधान भूमिका हो सकती है| राज्य ग्राम पंचायतों संस्थाओं के माध्यम से ग्राम पंचायत स्तर पर गतिविधियों के लिए निधियों के निर्गम को मार्गीकृत करने पर निर्णय लें| ग्राम पंचायत रूपरेखा (फ्रेमवर्क) के अंतर्गत कार्यरत सभी संस्थाओं और समितियों को अपने कार्यक्रमों के भीतर स्वच्छता को प्राथमिकता प्रदान करनी होगी|
7.6.2 कार्यक्रम के प्रेरणा, एकजुटता, कार्यान्वयन तथा पर्यवेक्षण के लिए सहायता उपलब्धता कराने के लिए, ग्राम पंचायत की उप समिति के रूप में एक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति (वी डब्ल्यू एस सी) का गठन किया जाएगा| वी डब्ल्यू एस सी को खुले में शौच मुक्त ग्रामों की स्थिति प्राप्त करने के लिए व्यापक एवं पूर्णता दृष्टिकोण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करनी चाहिए| वी डब्ल्यू एस सी की सदस्यता में ग्राम पंचायत के प्रत्येक वार्ड से 6 से अधिक सदस्यों का प्रातिनिधित्व हो| इनमें से 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होनी चाहिए| इसमें अनुसूचित जाती तथा अनुसूचित जनजाति और समाज के गरीब तबकों (वर्गों) से भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए| इस समिति को ग्राम पंचायत की जल एवं स्वच्छता संबंधी स्थायी समिति के रूप में कार्य करना चाहिए और इसे ग्राम पंचायत का एक अभिन्न अंग होना चाहिए| ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का गठन और कार्यकलाप राज्य सरकार द्वारा तय किए जाएँ|
7.6.3 एक ग्राम पंचायत की प्रत्येक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति के लिए अलग खाता खोला जाना चाहिए और ग्राम पंचायत के ‘सरपंच/प्रधान’ को प्रत्येक ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति का अध्यक्ष होगा| स्वच्छ भारक की निधियां वी डब्ल्यू एस सी/ग्राम पंचायतों के माध्यम से मार्गिकृत होगी| यह खाता सामाजिक लेखा परीक्षा सहित समय – समय पर कि गई लेखा परीक्षाओं के अध्यधीन होगा|
7.6.4 ग्राम पंचायतों तथा ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों को यथा शीघ्र अपने ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त एवं स्वच्छ बनाने के प्रयास करने होंगें| राज्यों को ऐसी ग्राम पंचायतों को मान्यता तथा पुरस्कार प्रदाने करने चाहिए|
7.6.5 यद्यपि स्थानीय निकायों की भागीदारी का परामर्श किया गया है, फिर भी स्थानीय परिस्थितियों और ग्राम पंचायतों और ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों द्वारा अदा की जाने वाली भूमिका पर आधारित कार्यक्रम के कार्यान्वयन कार्यनीति पर निर्णय लेने के लिए राज्य और जिला स्तरों पर छूट होगी|
7.7 स्वच्छता दूत/सेना
7.7.1 ग्राम स्तर पर एक समर्पित प्रशिक्षित और उपयुक्त रूप से प्रोत्साहित स्वच्छता कार्य बल की जरूरत है| इस बात को देश में किए गए अनके निगरानी एवं मूल्यांकन और अनुसंधान अध्ययनों द्वारा बताया गया है| इन स्वच्छता दूतों/ सेना को बहूउद्देशीय औपचारिकताएँ और सम्प्रेषण गतिविधियाँ जारी रखने की आवश्कता होती है जिन्हें मांग सृजन और उसके बाद शौचालय निर्माण के दौरान पूरी करने की जरूरत होती है| लाभार्थी की पहचान करना, आई ई सी में सहायता करना, रिकार्डों का रख/रखाव करना तथा प्रगति की खोज खबर रखना अनिवार्य क्रियकलाप हैं जिन्हें ग्राम पंचायत स्तर पर चलाए जाने की आवश्यकता है|
ग्राम/पंचायत/ग्राम जल एवं स्वच्छता समिति ग्राम पंचायत में स्वच्छता से संबंधित ऐसी सभी गतिविधियों को चलाने के लिए स्वच्छता दूतों अथवा सेना को नियोजित कर सकती है जो ऐसी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार होंगे| अधिमानत: ये दूत लक्षित ग्राम पंचायतों से होने चाहिए| राज्य इस कार्य को सीबीओ/एनजीओ/एस एच जी/आदि को सौंप सकते हैं| राज्यों द्वारा ऐसे दूतो के नियोजन के लिए दिशा-निदेशों, और उनके मानदेय/पारिश्रमिक पर निर्णय लेना है जो समर्पित एवं लगनशील कामगारों को आकृष्ट करने हेतु अनिवार्य हैं| आशा, आंगनबाड़ी कर्मियों, एएनएम कर्मियों के प्रयोग पर भी विचार किया जा सकता है, तथापि, आदर्शता: उन्हें पूर्णकालिक आधार पर कार्य करने वाला होना चाहिए| स्वच्छता दूतों पर होने वाले व्यय को एस बी एम् (जी) के आई ई सी घटक से वहन किया जाए| तथापि, स्वच्छता दूतों सहित किसी भी व्यक्ति, जो शौचालयों का निर्माण करने के लिए परिवारों को प्रेरित करते हैं जिसके परिणाम करने के लिए परिवारों को प्रेरित करते हैं जिसके परिणाम स्वरूप परिवार में खुले में शौच की प्रवृति से बदलाव आता है, को प्रति मामले में 150/- रू. की प्रोत्साहन राशि दी जा सकती है| तथापि, राज्य अपनी आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त राशि में निर्णय लें| इसके अलावा, स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए निर्माण –पश्च मानदेय के प्रावधान की भी व्यवस्था की जानी चाहिए|
7.8 पर्याप्त अवसंरचना सुनिश्चित करने के लिए पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की भूमिका:
7.8.1 राज्य में विभिन्न स्तरों पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यान्वयन हेतु पर्याप्त अवसंरचना के सृजन की पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा निगरानी की जाएगी और जो इस मामले में जरूरी एडवाइजरी जारी कर सकता है| राज्यों की ए आई पी के अनुमोदन और सहायता की रिलीज इस प्रकार के निदेशों के अनुपालन पर नैमित्तिक बनाई जाए
8.1 संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम, 1992 के अनुसार, स्वच्छता को 11 अनुसूची में शामिल किया गया है| तदनुसार, ग्राम पंचायतों की एस बी एम (जी) के कार्यान्वयन में प्रधान भूमिका होती है| इस कार्यक्रम को सभी स्तरों पर पंचायती राज संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित किया जा सकता है| उनकी सही भूमिका का निर्णय राज्यों द्वारा, राज्य में आवश्यकता के अनुसार, लिया जा सकता है| ग्राम पंचायतों मांग में वृद्धि, शौचालयों के निर्माण तथा अपशिष्ट सामग्री के सुरक्षित निपटान के जरिए स्वच्छ पर्यावरण का रख - रखाव करने के लिए, समाजिक एकजुटता में भागीदारी करेंगी| अंतर –वैयक्तिक सम्प्रेषण तथा प्रशिक्षण को जारी रखने में मदद देते हेतु भागीदारी के लिए अनुभवी एवं प्रख्यात गैर-सरकारी संगठनों पर भी विचार किया जा सकता है| अंतर – वैयक्तिक सम्प्रेषण तथा प्रशिक्षण को जारी रखने में मदद देते हेतु भागीदारी के लिए अनुभवी एवं प्रख्यात गैर-सरकरी संगठनों पर भी विचार किया जा सकता है| एस बी एम (जी) के अंतर्गत निर्मित सामुदायिक परिसरों का रख-रखाव पंचायतों/स्वैच्छिक संगठनों/चेरिटीबल ट्रस्टों द्वारा वित्त आयोगों, प्रयोक्ता प्रभारों, अन्य राज्य निधियों, सीएसआर निधियों आदि के माध्यम से किया जाएगा| ग्राम पंचायतें विद्यालय स्वच्छता और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन आवस्थापन के लिए अपने स्वयं के संसाधनों से कूल मिलाकर निर्धारित राशि के योगदान दे सकते हैं| जिला ग्राम पंचायतों के ले परिसम्पत्तियों का सृजन करने तथा परिचालन एवं अनुरक्षण के लिए व्यवसायियों, कार्पोरेट, सामाजिक संगठनों और बैंकों तथा बीमा कंपनियों जैसे संस्थाओं से सहायता प्राप्त करने के प्रयास करेंगे| ग्राम पंचायतें एव बी एम (जी) के अंतर्गत निर्मित सामुदायिक परिसरों, पर्यावरणीय स्वच्छता अवसंरचनाओं, ड्रेनेज आई जैसी परिसम्पत्तियों के अभिरक्षक के रूप कार्य करेंगी| ग्राम पंचायतें उत्पादन केंद्र/ग्रामीण स्वच्छता बाजार भी खोल और संचालित कर सकती हैं|
8.2 ग्राम पंचायतें शौचालयों, एसएलडब्ल्यूएम घटकों तथा स्वास्थय शिक्षा के लिए अंतर-वैयक्तिक सम्प्रेषण के नियमित प्रयोग, अनुरक्षण तथा उन्नयन को बढ़ावा देने में जो मुख्य भूमिका अदा कर सकती हैं| वे ऐसी एजेंसियों जो कार्यान्वयन की अग्रणी श्रेणी में हैं, की भी यह सूनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि एस बी एम (जी) के सभी घटकों के साथ सुरक्षा मानकों को पूरा किया जा रहा है अर्थात जल स्रोत और शौचालय के बीच दूरी, आवश्यकतनुकूल गढ्डे की गहराई, प्रदूषण रोकने के लिए पिट लाइनिंग, पिट का ढह जाना आदि| उपरोक्त मानक मुख्य साफ-सफाई संबंधी व्यवहार अर्थात हैण्डपम्पों, जल स्रोतों के आप - पास वातावरण को स्वच्छ तथा साफ-सुथरा तथा मानव एवं पशुओं के मल-मूत्र से मुक्त रखने पर भी लागू होंगे|
8.3 ब्लॉक और जिला स्तरीय दोनों पंचायती राज संस्थाओं को कार्यक्रम के कार्यान्वयन की नियमित रूप से निगरानी करनी चाहिए| ग्राम पंचायतों को स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) कार्यक्रम की निगरानी में भी भूमिका अदा करनी चाहिए| ग्राम पंचायत कार्यक्रम के सामाजिक लेखा परीक्षा करवाने के लिए आयोजन और उसमें सहायता करेगी| प्रत्येक ग्राम पंचायत में 6 माह के भीतर एक बार सामाजिक लेखा परीक्षा की बैठक आयोजित की जाएगी| डीएसबीएम (जी) और बी पी एम यू यह सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी होंगी कि निर्धारित समय –सारणी का अनुपालन किया जा रहा है|
8.4 खुले में शौच मुक्त स्थिति प्राप्त करने की दिशा में समुदाय स्तर पर कारवाई को सुस्पष्ट करने का एक महत्वपूर्ण भाग समूचे ग्राम पंचायत स्तर पर संकल्प अथवा इस गतिविधि में तेजी लाने के माइस्टोन के रूप में ली जाने वाली शपथ को स्वीकार करना है| यह कार्य ग्राम पंचायत में खुले में शौच मुक्त स्थिति के लिए प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण भाग हो सकता है तथा इस प्रक्रिया का समुचित तथा प्रभावी रूप से प्रयोग करना होगा|
8.5 कार्यक्रम की सामाजिक लेखा-परीक्षा की जिम्मेदारी किसी भी विशिष्ट ग्राम स्तरीय निकाय/समिति/स्व-सहायता समूह आदि को दी जा सकती है जो ग्राम पंचायत के सहयोग से इसे कार्यान्वित करेंगे|
9.1 यदि इसका कुशलता के साथ उपयोग किया जाए, तो सीबीओ/एन जी ओ/ अन्य संगठनों की ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के कार्यान्वयन में उत्प्रेरक भूमिका हो सकती है| बाहरी और जमीनी स्तर से जुड़े ऐसे संगठन सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिए कार्यक्रम में सहयोग दे सकते हैं तथा उन्हें इसमें शामिल किया जा सकता है| उन पर मांग सृजन और सुविधाओं के सतत प्रयोग में वृद्धि करने, क्षमता निर्माण, निर्माण में मदद देने एवं स्वच्छता का सतत, प्रयोग सुनिश्चित करने सहित आई ई सी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए विचार किया जा सकता है| आदर्शत: प्रत्येक ग्राम पंचायत में, स्वच्छता कार्यक्रम को आगे ले जाने में सहायता देने हेतु एल सहायक संगठन (एस ओ) होना चाहिए|
राज्य और जिला मिशन प्रत्येक ग्राम पंचायत को एक सहायक संगठन उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक कदम उठाएँ|
9.2 जागरूकता सृजन और सूचना का प्रचार-प्रसार:- ये संगठन विविध, प्रभावी तथा बहु – विधि साक्ष्य आधारित भागदारी सम्प्रेषण कार्यनीति की योजना एवं कार्यान्वयन द्वारा खुले में शौच की दुष्परिणाम, साफ – सफाई और पर्यावर्णीय स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल आदि पर समुदाय के लिए जन – जागरूकता सृजित कर सकते हैं|
9.3 संस्थागत निर्माण : सी बी ओ/एन जी ओ/अन्य संगठनों को मानव संसाधनों को नियोजित करने, अहर्ताओं, अनुभव, मुआवजे आदि के बारे में अनुबंधों का अनुपालन करने बी पी एम यू जैसी ब्लॉक स्तरीय संस्थाओं के कार्यान्वयन में लगाया जा है| ये संस्थाएँ ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) तथा पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई), ग्रामीण जल एवं स्वच्छता समिति (वी डब्ल्यू एस सी) स्वैच्छिक संगठन (वीओ) तथा जमीनी स्तर के कामगारों सहित ग्राम स्वच्छता एवं जल सुरक्षा योजना, पर्यावरणीय स्वच्छता के विकास और कार्यन्वयन में समुदाय की क्षमता निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं|
9.4 क्षमता निर्माण : इन संगठनों को राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तरीय मुख्य संसाधन केन्द्रों के रूप में क्षमता निर्माण प्रक्रिया के लिए प्रभावी रूप से नियोजित किया जा सकता है| उनकी विश्वसनीयता और पूर्व रिकार्ड को सुनिश्चित करने के बाद उन्हें कार्यकर्त्ताओं (अर्थात जिला समन्वयकों, ब्लॉक समन्वयकों, कलस्टर समन्वयकों, बीडीओ, पंचायती राज संस्था, “स्वच्छता दूत, आशा, आंगनबाड़ी कर्मियों, स्व;सहायता समूहों, पीआरआई, अध्यापकों, वी डब्ल्यू एस सी के सदस्य, राजमिस्त्री आदि जैसे जमीनी स्तर के कर्मियों) के लिए मॉडल तैयार करने हेतु नियोजित किया जा सकता है|
9.5 शौचालयों के लिए गुणवत्ता के हार्डवेयर के लिए आरएसएम/प्रदाता:- अनेक राज्यों में, पेन पेन ट्रैप, टाईल्स, पिट्स के लिए रिंग्स, लीड ऑफ पिट, पाइप, दरवाजों, रूफ जैसे शौचालय साजो-सामान के विकल्पों की किस्में ब्लॉक स्तर पर ही उपलब्ध होती है| परिवारों के पास ग्राम पंचायत के नजदीक ब्लॉक स्तर अपनी इच्छानुसार शौचालय के विविध प्रकार के सहायक सामानों की खरीद के विकल्प होते हैं| तथापि, कुछ राज्यों में जहाँ ग्राम पंचायतें दूरवर्ती क्षेत्रों में स्थित हैं, वहाँ आरएसएम अभी भी वैयक्तिक पारिवारिक शौचालयों, सामुदायिक शौचालयों, विद्यालय शौचालयों और आंगनबाड़ी शौचालयों की आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के लिए अपरिहार्य आवश्यकता है| तथापि, गुणवत्ता हिस्से- पूर्जों की आपूर्ति और शौचालयों के निर्माण के जरिए स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए सिरेमिक पेंस, पेन ट्रैप्स, पाइप, सुपर, स्ट्रक्चर ऑफ़ ब्रिक्स, पिट्स, में ब्रिक लाईनिंग अथवा कंक्रीट से निर्मित रिंग्स, पिट की गहराई व आकार एस्बेस्टस/टीन की छत, लोहे की फ्रेम वाले दरवाजे, ट्विन पिट्स आदि जैसी समाग्रियों की विशिष्टयों को निर्धारित किया जाना चाहिए|
9.6 निगरानी एवं मूल्यांकन : स्वच्छता, साफ सफाई, जल प्रयोग, संचालन एवं अनुरक्षण, आदि के बारे में मुख्य व्यवहार और प्रत्येक्ष शिक्षण परिवर्तनों को सुनिश्चित करने के लिए निगरानी एवं मूल्यांकन सर्वेक्षण और विशेषकर पीआरए आयोजित करने में सीबीओ/एनजीओ/अन्य संगठनों को नियोजित किया जा सकता है| एस.ओ. सामाजिक लेखा परीक्षा में मदद कर सकता है|
9.7 सीबीओ/एनजीओ/एसएचजी/ अन्य संगठनों का चयन: - इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि सामाजिक क्षेत्रों में ख्याति प्राप्त, बेहतर ट्रैक रिकार्ड और अनुभव वाले संगठनों को काम में लगाया जा रहा है| उनका चयन योग्यता/क़ाबलियत तथा क्षमता के आधार पर उचित तथा पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा किया जाना चाहिए| राज्य द्वारा विशिष्ट आवश्यकताओं बनाम मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, पात्रता अथवा, योग्यता मानदंडों को परिभाषित किया जाना चाहिए| चयनित एजेंसियों के पास अपेक्षित फील्ड साक्ष्य आधारित कौशल, विशेषज्ञता और अनुभव होना चाहिए| पर्याप्त संसाधनों का आबंटन किए जाने की जरूरत है ताकि प्रभावी रूप कार्य करने में उन्हें समर्थ बनाने के लिए सी एस ओ का क्षमता निर्माण किया जा सके| इस प्रकार के संगठनों के कार्य निष्पादन की निगरानी जिला कलेक्टर द्वारा प्रत्येक छ: महीने में एक बार करनी होगी तथा संतोषजनक परिणाम दर्शाने वाले संगठनों को ही बनाए रखा जा सकेगा| चूंकि ये संगठन ग्राम पंचायत और ब्लॉक स्तरों पर कार्य करेंगे, अत: यह जिला कलेक्टर/उपायुक्त/मजिस्ट्रेट/ जिला पंचायत के सीईओ की जिम्मेवारी होगी कि वे इन एजेंसियों के नियोजन तथा कार्य निष्पादन को सुनिश्चित करें|
9.8 इन संगठनों को डी एस बी एम (जी) तथा बी पी एम यू के पर्यवेक्षण में जिला स्तरीय आर. ए. एल. यू के सहयोग से कार्य करना चाहिए| राज्य एक पारदर्शी प्रक्रिया का अनुकरण करते हुए, बेहतर ट्रैक रिकार्ड वाले समर्पित सीबीओ/ एनजीओ/ एसएचजी/ अन्य संगठनों का चयन करेंगे| इन संगठनों के कार्य की समीक्षा कम से कम तिमाही रूप से की जानी चाहिए|
10.1 कार्पोरेट सामाजिक उत्तर दायित्व (सी एस आर) के अनिवार्य भाग के रूप में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) भागीदारी करने के लिए कार्पोरेट घरानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए| यह बात अनुभव की गई है कि एक स्वच्छ कार्य बल अपने परिणाम के लिए बेहतर सेवाओं का योगदान दे सकता है| अपने उत्पादों तथा सेवाओं का विपणन करने हेतु लोकप्रियता हासिल करने के मुद्दे अथवा केवल शुरू करने और लोगों के साथ परस्पर संबंध बढ़ाने के लिए आकृष्ट करते हैं| इस प्रकार एस बी एम (जी) कार्पोरेट घरानों के लिए उनकी सीएसआर का समाधान करने हेतु एक प्लेटफार्म के रूप में कार्य कर सकते हैं|
10.2 कार्पोरेट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आई ई सी, मानव संसाधन विकास अथवा प्रत्येक्ष लक्षित पहलों के जरिए स्वच्छता के मुद्दों को शुरू कर सकते हैं जैसे कि :
क) ग्रामीण आबादी के लिए स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत उपलब्ध प्रौद्योगिकी विकल्पों को प्रदर्शित करने हेतु प्रदर्शन क्षेत्र/ग्रामीण स्वच्छता पार्क स्थापित करना|
ख) प्रदर्शनियों/स्वच्छता मेलों का आयोजन|
ग) समुचित स्वच्छता एवं साफ – सफाई के बारे में विद्यालयों में बच्चों को आवश्यक प्रकटीकरण उपलब्ध कराना|
घ) उपयुक्त स्थानीय संगठन के माध्यम से ग्रामीण आबादी के लिए उचित स्वच्छता सामग्री के रूप में अथवा स्वच्छता सृजित करने में ग्रामीण परिवारों के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन उपलब्ध कराना|
ङ) बाजार अथवा अन्य सार्वजनिक स्थानों में/कार्य स्थलों अथवा ऐसे स्थानों के आप - पास स्वच्छता परिसर उपलब्ध कराना|
च) प्रभावी ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी और संसाधनों में सहायता उपलब्ध कराना|
छ) स्वच्छता सुविधाओं तथा/अथवा राज्य स्तरीय जल मिशन प्रतिष्ठानों के अनुरक्षण के लिए प्रशिक्षित जनशक्ति उपलब्ध कराना|
ज) जन मीडिया और ग्राम पंचायत स्तरीय पहलों के जरिए कार्यक्रम का प्रचार करना|
झ) बसावटों/ग्रामों/ग्राम पंचायतों को खुले में शौच मुक्त बनाने हेतु उन्हें स्वीकार्य करना|
10.3 पयेजल और स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छता कार्यों से सीएसआर संसाधनों की सम्बन्ध को सुगम बनाने हेतु दिशा निर्देश जारी किए हैं| राज्य सीएस आर निधियों को आकृष्ट, प्राप्त तथा उपयोग करने के लिए अपने स्वयं की प्रक्रिया विकसित करने के आधार के रूप में, इन दिशा निर्देशों का प्रयोग कर सकते हैं|
11.1 एनबीए घटक वार निर्धारण तथा वित्तपोषण पैटर्न :
क्र.सं. |
घटक |
एसबीएम (ग्रामीण) परियोजना परिव्यय के प्रतिशत के रूप में निर्धारित राशि |
भागीदारी का हिस्सा |
||
भारत सरकार |
राज्य |
लाभार्थी परिवार/समुदाय |
|||
क. |
आईईसी, प्रारंभिक गतिविधि तथा क्षमता संवर्धन |
कूल परियोजना लागत 8% तक जिसमें से 3% तक केंद्रीय स्तर पर उपयोग होगा और 5% राज्य स्तर पर |
75% |
25% |
0% |
ख. |
परिक्रामी निधि |
5% तक |
80% |
20% |
0% |
ग. |
1. वैयक्तिक पारिवारिक शौचालय |
पूर्ण कवरेज के लिए अपेक्षित वास्तविक राशि |
9000 रू (75%) (पूर्वोत्तर राज्य जम्मू एवं कश्मीर और विशेष श्रेणी के राज्यों के मामले में 10800 रू. 90%) |
3000 रू (25%) (पूर्वोतर राज्य जम्मू एवं कश्मीर और विशेष श्रेणी के राज्यों के मामले में 1200 रू. 10%) |
|
|
2. सामुदायिक स्वच्छता परिसर |
पूर्ण कवरेज के लिए आवश्यक वास्तविक राशि |
60% |
30% |
10% |
घ. |
प्रशासनिक प्रभार |
परियोजना लागत के 2%तक |
75% |
25% |
0% |
ङ. |
ठोस/तरल अपशिष्ट प्रबंधन (पूंजीगत लागत) |
अनुमत सीमा के अधीन एसएलडब्ल्यूएम परियोजना लागत के अनुसार वास्तविक राशि |
75% |
25% |
0% |
किसी अन्य केंद्र प्रायोजित योजना से कोई भी अतिरिक्त वित्तपोषण की अनुमति नहीं दी जाएगी|
12.1 वार्षिक कार्यान्यवन योजना (ए आई पी) का मुख्य उद्देश्य स्वच्छ ग्रामों के सृजन हेतु कार्यक्रम को एक निश्चित दिशा प्रदान करना है| वित्तीय वर्ष के दौरान साथ ही सुनिश्चित गतिविधियों के मासिक एवं त्रैमासिक प्रगति की निगरानी हेतु एक आधार प्रदान करना अपेक्षित है|
ए आई पी की तुलना में उपलब्धियाँ - उन राज्यों को प्रोत्साहित करे के लिए आधार के रूप में होंगी जो बेहतर कार्य करते हैं| ए आई पी की तुलना में कार्य निष्पादन का मूल्यांकन किया जाएगा और राज्यों के कार्य निष्पादन को पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जायेगा| एक डैश बोर्ड जिसमें कार्य निष्पादन संकेतकों की परिधि में आवधिक रूप से राज्यों के रैंक तैयार किए जाएंगे तथा उन्हें राज्यों को सूचित किया जाएगा|
12.2 राज्यों की वार्षिक कार्यान्वयन परियोजनाओं (ए आई पी) में आयोजन, कार्यान्वयन तथा स्थायित्व चरणों पर विस्तृत अध्याय शामिल होने चाहिए|
क) ए आई पी उद्देश्यों की तुलना में पिछले वर्षों के दौरान स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के उद्देश्यों को प्राप्त करने में राज्यों द्वारा की गई प्रगति की रिपोर्ट|
ख) भिन्नता के लिए कारण तथा टिप्पणियाँ, यदि कोई हों|
ग) चालू वित्तीय वर्ष में शुरू की जाने वाली प्रस्तावित आई ई सी, ट्रिगरिंग तथा क्षमता निर्माण गतिविधियों की विस्तृत योजनायें|
घ) प्रस्तावित वित्तीय वर्ष के लिए एस बी एम (जी) के प्रत्येक घटक के अंतर्गत वास्तविक एवं वित्तीय अनुमानों के साथ गतिविधियों की एक योजना, जिला स्तर की आयोजना का सार उपलब्ध करवाना हैं|
ङ) मासिक/ त्रैमासिक अनुमानित लक्ष्य, ताकि प्रगति की समीक्षा की जा सके|
च) की गई पहलों का स्थायित्व सुनिश्चित करने की योजना|
छ) राज्य स्तर पर शुरू की जाने वाली निगरानी और मूल्यांकन गतिविधियों के लिए विस्तृत योजनाएँ|
ज) सफलता की कहनियाँ, बेहतर पद्धति शुरू की गई अभिनव पहले, प्रयोग की गई नई प्रौद्योगिकियां आदि|
12.3 ग्राम पंचायतों की योजनाओं परामर्श करके जिले के लिए ए आई पी तैयार की जानी चाहिए| ग्राम पंचायतों की योजनाओं को ब्लॉक कार्यान्वयन योजनाओं में और आगे चलकर जिला कार्यान्वयन योजना में समेकित होनी चाहिए| जिला कार्यान्वयन योजनाओं को ठीक से सामेकित कर, राज्य मिशन, राज्य कार्यान्वयन योजना बनाएगा|
12.4 पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में सन्युक्त सचिव (स्वच्छता) की अध्यक्षता में एक योजना मूल्यांकन समिति होगी जिसमें संबद्ध राज्य के स्वच्छता के प्रभारी प्रधान सचिव, राज्य एस बी एम (जी) समन्वयक तथा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में निदेशक (स्वच्छता) सदस्य होंगे| राज्य/ संघ शासित प्रदेश सरकारें, ए आई पी तैयार करेंगी और उन्हें पूरा किए जाने वाले अधिशेष कार्यों के आधार पर वित्तीय वर्ष के आंरभ में अंतिम रूप देने सुझावों/संशोधनों के साथ अथवा उनके बगैर अंतिम रूप दिया जाएगा| निधियों के आवंटन के आधार पर राज्यों द्वारा अंतिम ए आई पी तैयार की जाएगी तथा उसे पीएसी में चर्चा के पन्द्रह दिनों के भीतर मंत्रालय को भेज दिया जाएगा इसके पश्चात अनुमोदन हेतु एनएससीसी को प्रस्तुत किया जायेगा तथा उसके बाद ऑन – लाइन मोनिटरिंग प्रणाली के माध्यम से वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जायेगा| एक वित्तीय वर्ष में पीएससी की सिफारिश उसी वित्तीय वर्ष के लिए वैध होगी| अनुवर्ती वर्ष के लिए ए आई पी को अंतिम रूप देते समय पिछले वर्ष में राज्य द्वारा ए आई पी में प्राप्त उपलब्धियों को भी ध्यान में रखा जाएगा| राज्यों को वर्ष दौरान अनुपूरक ए आई पी तैयार करने की अनुमति दी जाएगी, यदि ए आई पी की प्रगति संतोषजनक है और आगे भी उपलब्धियों के जारी रहने की संभावना समझी जाती है|
12.5 ग्राम पंचायत के निर्धारण के आधार पर विस्तृत स्वच्छता एवं जल कवरेज पर प्रकाश डालते हुए संयुक्त दृष्टिकोण को अपना कर ए आई पी तैयार की जाएगी| ग्राम पंचायतों को सही ढंग से सूचीबद्ध किया जाएगा| जैसे की ब्लॉक/जिले में सभी ग्राम पंचायतों को टी से कवर कर लिया गया है ताकि राज्य को “स्वच्छ” बनाया जा सके| जिला ए आई पी में आई ई सी/आई पी सी तथा ट्रिगरिंग करवाई शामिल होंगी जिन्हें चिन्हित ग्राम पंचायतों में शुरू किया जाएगा| ए आई पी बजटिंग के एस बी एम (जी) के लागत मानदंडों का अनुपालन करना चाहिए तथा वर्ष दौरान केन्द्रीय अंशदान के लिए वित्तीय मांग की परियोजना बनाने हेतु उनका अनुपालन किया जाना चाहिए|
12.6 प्रोत्साहन
12.6.1 कार्यक्रम में राज्यों को उनके कार्य निष्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा| निर्धारित तारीखों से पहले अपने लक्ष्यों को प्राप्त करे वाले राज्यों को आगे भी प्रोत्साहित किया जाएगा|
13.1 राज्य स्तरीय कार्यान्वयन निकाय को केंद्र से रिलीज
13.1.1 पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा वित्त मंत्रालय के समय-समय पर जारी दिशा – निर्देशों के अनुसार, राज्यों को इलेक्ट्रोनिक रूप से राज्य सरकार के खाते में निधियां रिलीज की जाएंगी| राज्य सरकारें भारत सरकार से निधियां का अंतरण के 15 दिनों के भीतर राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एस एस बी एम (जी) को निधियां रिलीज करेंगे| एस एस बी एम (जी) किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक अथवा राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत बैंक में एकल बचत खाता संचालित करेगा जिसके जरिए राज्य सरकार की निधियां केन्द्रीय अंश, राज्य अंश, लाभार्थी अंश अथवा अन्य कोई प्राप्ति सहित एस एस बी एम (जी) से संबंधित सभी लेन देनों के लिए प्रचालित की जाती हैं| एस एस बी एम (जी) बैंक खाते का ब्यौरा बैंक का नाम, आई एफ एस सी कोड तथा खाता संख्या आदि सहित, पेयजल ओर स्वच्छता मंत्रालय को भेजना होगा| उस विविरण को पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय किन पूर्व अनुमति के बगैर परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान बदला जाना नहीं चाहिए| कार्यक्रम के अंतर्गत रिलीज की गई निधियां भारत सरकार की केन्द्रीय योजना स्कीम निगरानी प्रणाली (सी पी एस एम एस) के माध्यम से होनी चाहिए|
13.1.2 ए आई पी में प्रतिवर्ष लिए गए निर्णय तथा राष्ट्रीय स्तर निधियों की उपलब्धता के अनुसार, राज्यों की अनुमोदित मांग के आधार पर, सभी राज्यों को राष्ट्रीय आवंटन की गणना दो किस्तों में निधियों की रिलीज के लिए की जाएगी| सभी मामलों, जहाँ दूसरी किस्त अनुवर्ती वर्ष में बिना शर्त के रिलीज कर दी गई है, वहाँ, राज्य वित्तीय वर्ष के दौरान प्रथम किस्त की स्वत: रिलीज के लिए पात्र होंगे| अन्य राज्य आंवटन की केवल 25 प्रतिशत राशि के लिए पात्र होंगे| वित्त मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार, प्रथम किस्त में रिलीज की गई निधियां पी ए सी में अनुमोदित राशि की 50 प्रतिशत होंगी| राज्य को पिछले वर्ष की गई रिलीज के 10 प्रतिशत से अधिक अथशेष/खर्च न की गई राशि तक इसे कम कर दिया जायेगा|
13.1.3 निधियों की दूसरी किस्त, ए आई पी में अनुमोदित किए गए अनुसार, निम्नलिखित शर्तों को आगे पूरा करने पर रिलीज की जाएगी:
13.1.4 उत्तम निष्पादन के लिए प्रोत्साहन राशि सहित वित्त वर्ष के दौरान निधियों की अनुवर्ती रिलीज पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा यथा अपेक्षित आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने के आधार पर होगी|
13.2 राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर तक रिलीज
13.2.1 राज्य/संघ राज्य क्षेत्र केन्द्रीय अनुदान की प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर जिला कार्यान्वयन एजेंसी/एजेंसियों [डी एस बी एम (जी)] को सदृश्य राज्य अंश के साथ - साथ प्राप्त केन्द्रीय अनुदान रिलीज करेंगे| जिलों को रिलीज की गई एस बी एम (जी) निधियां जिला योजना, जिले में मांग सृजन की मात्रा, व्यय मानदंड और शेष निधियों के आधार पर होगी| राज्य ऐसे रिलीज आदेश जारी होने के 48 घंटे के भीतर आई एम आई, एस पर निधियों का अंतरण का आंकड़ा प्रविष्ट करेंगे| राज्य कार्यक्रम का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिले में निधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से जिले में निधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगा|
13.2.2 यदि राज्य भारत सरकार से प्राप्ति के 15 दिनों के भीतर जिलों के निधियों (केन्द्रीय अंशदान तथा समतुल्य राज्य अंशदान) का अंतरण नहीं कर पाते हैं तो राज्य सरकार द्वारा विलंब के लिए प्रतिवर्ष 12% की दर से कार्यान्वयन एजेंसियों की निधियों की मूल धनराशि के साथ दांडिक ब्याज का अंतरण करना भी आवश्यक होगा|
13.2.3 एस बी एम (जी) के अंतर्गत उपलब्ध कराई गई निधियों के अंतर जिला अंतरण की अनुमति निम्नलिखित के अध्यधीन वित्त वर्ष के दौरान एक बार दी जाएगी:
क) निधियों का अंतरण दोनों जिलों में परिवर्तित वास्तविक लक्ष्यों (एआईपी के अंतर्गत) के लिए होगा अर्थात किसी जिले में निधियों की उपलब्धता में परिवर्तन किया जा रहे क्रियाकलापों में परिलक्षित किया जाना चाहिए|
ख) अंतरण केंद्र सरकार के पूर्व अनुमोदन से होना चाहिए|
ग) ऐसे अंतरण के 3 दिनों के भीतर राज्य/जिला द्वारा मंत्रालय के आई एम आई एस में निधियों के अंतर – जिला अंतरण को परिलक्षित करेगा|
13.2.4 चूंकि जिला कार्यक्रम के कार्यान्वयन की इकाई है इसलिए कार्यक्रम के कार्यान्वयन के इए निधियां जिला स्तर पर प्रबंधित की जाएगी| जिला कार्यान्वयन एजेंसी किए गए विभिन्न क्रियाकलापों के लिए ग्राम पंचायतों अथवा किसी अन्य एजेंसी जिन्होंने प्रोत्साहन राशि के लिए सहित क्रियाकलापों को संचारित किया है, को निधियां अंतरित करेगी| जिला स्तर पर निधियों की उपलब्धता एवं उपयोग की निगरानी आई एम एस के माध्यम से की जाएगी|
13.3 एस बी एम (जी) के अंतर्गत रिलीज की गई निधियों पर अर्जित ब्याज
13.3.1 एस बी एम (जी) निधियों (केंद्र अरु राज्य) को बैंक बचत खाता में रखा जाना चाहिए| पारिवारिक/लाभार्थी अंशदान, यदि कोई हो को इस खाते में जमा करने की आवश्यकता नहीं है| एस बी एम (जी) निधियों पर अर्जित ब्याज को एस बी एम (जी) संसाधन का हिस्सा माना जाएगा| जिला कार्यान्वयन एजेंसी को अनुवर्ती किस्तों के लिए दावों के साथ- साथ एस बी एम (जी) निधियों पर उपार्जित ब्याज का उपयोगिता प्रस्तुत करना होगा है तथा इसे उपयोगिता प्रमाण – पत्रों में परिलक्षित किया जाना चाहिए|
14.1 कार्यक्रम की प्रभावी निगरानी आवश्यक है| परिणामों की निगरानी ओ डी एफ समुदायों के निर्माण के यथा परिलक्षित शौचालय के उपयोग के रूप में मापित किए जाने वाले प्रमुख संकेन्द्रण होंगे| व्यय और सृजित परिसंपत्तियों की निगरानी के रूप में प्रशासनिक प्रयोजनार्थ परिणामों की निगरानी भी की जाएगी|
निगरानी रूपरेखा निम्नलिखित की निर्धारित करने के लिए सक्षम होना चाहिए :
14.2 प्रस्तावित रूपरेखा की निगरानी निश्चित रूप से 2 प्रकार की होगी|
1) वार्षिक निगरानी सर्वेक्षण : इसे देश भर में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता की स्थिति की तृतीय पक्ष द्वारा स्वतंत्र निगरानी पर ध्यान संकेद्रित करते हुए राष्ट्रिय स्तर पर संचालित प्रक्रिया के माध्यम से संचालित किया जाएगा| स्वतंत्र एजेंसियां ऐसी निगरानी करेंगी जो संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (जेएमपी) जैसी राष्ट्रीय एवं अंतर-राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप होंगी|
2) समवर्ती निगरानी : वैचारिक तौर पर समुदाय स्तरीय भागदारी के माध्यम से कार्यक्रम के कार्यान्वयन की समवर्ती निगरानी की जाएगी| इसमें वैचारिक तौर पर एस बी एम (जी) – एम आई एस में आंकड़ों की प्रविष्टि करने के लिए सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आई सी टी) का उपयोग किया जाएगा| ऐसी निगरानी के आंकड़ें विभिन्न स्तरों पर मिशन निदेशालयों और आर ए एल यू के लिए जानकारी का मुख्य स्रोत होगा|
उपरोक्त के अतिरिक्त, निगरानी संबंधी अन्य क्रियाकलाप भी संचालित किए जा सकते हैं|
14.3 राष्ट्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में जिले में विशेषज्ञों वाली समर्पित विशिष्ट निगरानी इकाइयाँ होंगी जो मिशन के क्रियाकलापों की निगरानी के लिए जिम्मेदार होंगी, जिसमें क्षेत्र स्तरीय निगरानी शामिल होगी| प्रत्येक तीन माह पर इकाई द्वारा निगरानी रिपोर्ट तैयार की जाएगी| यह निगरानी ग्राम पंचायत/समूह (जहाँ अपेक्षित हो)/ प्रखंड एवं जिला स्तरों पर होगी|
14.4 कार्यक्रम की समवर्ती निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसियों/सी एस ओ/एन जी ओ के उपयोग की अनुमति है| केंद्र और राज्य मिशन निगरानी क्रियाकलापों में विशेषज्ञता वाली तथा संबंधित राज्यों में इस प्रयोजनार्थ मौजूदगी वाली ऐसी एजेंसियों को कार्य में लगा सकते हैं| केंद्र एवं राज्य स्तरों पर स्वतंत्र तृतीय पक्ष द्वारा कार्यक्रम का मूल्यांकन भी किया जा सकती है| पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा निगरानी एवं मूल्यांकन निधियों का उपयोग पर इसे किया जाना होगा| राज्य स्तर पर निगरानी एवं मूल्यांकन क्रियाकलापों के लिए राज्य स्तरीय प्रशासनिक घटक की 5 प्रतिशत धनराशि तक का उपयोग किया जा सकता है|
15.1 पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने एस बी एम (जी) के लिए ऑन – लाइन निगरानी तंत्र विकसित किया है| बेसलाइन सर्वेक्षण 2012-13 के आधार पर राज्यों द्वारा देश में सभी ग्राम पंचायतों की स्वच्छता संबंधी सभी परिवार स्तरीय आंकड़ों को एम आई एस पर उपलब्ध कराना होगा| राज्यों को प्रत्येक वर्ष मार्च – अप्रैल माह में बेसलाइन सर्वेक्षण स्थिति को अद्यतन करने की अनुमति होगी|
15.2 मिशन के लिये निगरानी – व्यवस्था पर मुख्य जोर शौचालय के उपयोग करने के माध्यम से ओ डी एम समुदायों के निर्माण पर है| एम आई एस को उन्नयति किया जाएगा ताकि उन्हें ओ डी एम समुदाय के निर्माण एवं अनुरक्षण की रिपोर्ट को समर्थकारी बनाया जा सके|
15.3 सभी एस बी एम (जी) परियोजना जिलों को इस ऑन लाइन एम आई एस के माध्यम से प्रत्येक माह कार्यक्रम के कार्यन्वयन की वास्तविक एवं वित्तीय प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी है जिसके लिए राज्यों, जिलों एवं प्रखंडों को यूजर – आई डी एवं पासवर्ड जारी किया गया है| प्रत्येक माह के लिए ग्राम पंचायत- वार वास्तविक एवं वित्तीय प्रगति को प्रखंड अथवा जिला स्तरीय स्वच्छता मिशनों द्वारा अगले माह की 10 तारीख तक एसबीएम एमआई एस में शौचालयों के फोटोग्राम के साथ, दर्ज करना होगा| उपरोक्त के लिए एक मोबाइल आधारित एप्लीकेशन आईएमआईएस पर सृजित किया गया है ताकि साईट से ही फोटो अपलोड किए जा सकें| पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा अग्रेषित किये जाने से पहले इसे माह की 15 तारीख तक राज्य स्तर पर अनुमोदित कराना होगा| राज्यों का प्रत्येक वर्ष मार्च – अप्रैल माह में बेसलाइन सर्वेक्षण स्थिति की अद्यतन करने की अनुमति होगी|
15.4 एस बी एम (जी) परियोजना की निगरानी सभी स्तरों पर की जाएगी| जिला स्तर पर जिला कलक्टर/उपायुक्त/ मजिस्ट्रेट/ जिला पंचायत की सीईओ प्रत्येक पखवाड़े में एक बार प्रत्येक ग्राम पंचायत में मिशन की प्रगति की समीक्षा करेंगे| इसी तरह, राज्य के ग्रामीण स्वच्छता के प्रभारी – सचिव मासिक आधार पर जिला अधिकारीयों के साथ प्रगति की समीक्षा करेंगे|
16.1 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को राज्य स्तर पर एस बी एम (जी) के कार्यान्वयन के संबंध में आवधिक मूल्यांकन अध्ययन कराना चाहिए| जैसा कि राज्य द्वारा तय किया गया है, प्रसिद्ध संस्था एवं संगठनों के माध्यम से मूल्यांकन अध्ययन कराया जा सकता है| राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा कराए गए इन मूल्यांकन अध्ययनों की रिपोर्ट की प्रतियाँ भारत सरकार को प्रस्तुत की जानी चाहिए| इन मूल्यांकन अध्ययनों में की गई टिप्पणी के आधार पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा उपचारात्मक करवाई की जाएगी| ऐसे अध्ययनों के लिए लागत को एस बी एम (जी) के प्रशासिनक प्रभार घटक पर भारित किया जा सकता है|
16.2 केंद्रीय स्तर पर मिशन के अंतर्गत राज्यों के निष्पादन का मूल्यांकन प्रख्यात एजेंसियों के माध्यम से समय – समय पर किया जाएगा|
17.1 एस बी एम (जी) के अंतर्गत शौचालयों और ठोस एवं द्रव अपशिष्ट प्रबंधन तंत्रों के लिए उपयुक्त स्वच्छता प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित किया जाएगा| पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में उन्नयन एवं कार्यान्वयन के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों की जाँच करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियों संबंधी एक समिति है|
इस मिशन के अंतर्गत पहले से ही न्यूनतम स्वीकार्य प्रौद्योगिकियों की एक सूची है जिसके लिए इस कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता उपलब्ध होगी| इसे समय –समय पर अद्यतन किया जाएगा| राज्य अपने क्षेत्र के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी के संबंध में निर्णय ले सकते हैं| लाभार्थी/समुदाय कार्यान्वित किए जाने वाली प्रौद्योगिकी के चयन में भी भाग लेंगे|
17.2 स्वच्छ भारत मिशन से संबंधित सभी क्रियाकलापों के संबंध में निर्णय ले सकते हैं| लाभार्थी/ समुदाय कार्यान्वित किए जाने वाली प्रौद्योगिकी के चयन में भी भाग लेंगे|
17.2 स्वच्छ भारत मिशन से संबंधित सभी क्रियाकलापों के संबंध में अनुसंधान करने के लिए निधियां उपलब्ध होंगी| स्वच्छता के क्षेत्र में विश्वसनीय अनुसंधान संस्थानों, संगठनों एवं गैर-सरकारी संगठनों और स्वास्थ्य, सफाई, जल आपूर्ति एवं स्वच्छता के मामले से संबंधित अनुसंधान/ अध्ययन में शामिल राष्ट्रीय/राज्य स्तरीय संस्थाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में मानव मल एवं अपशिष्ट निपटान तंत्रों की नई प्रौद्योगिकियां विकसित करने में शमिल किया जाएगा| अनुसंधान/ अध्ययन के परिणाम को प्रौद्योगिकी के सुधार में विभिन्न भु- जल विज्ञान संबंधी स्थितियों की आवश्यकता के अनुकूल ज्यादा किफायती एवं पर्यावरणीय रूप से स्वच्छ बनाने को समर्थ बनाना चाहिए| अपशिष्ट के निपटान के लिए पर्यावरणीय रूप से दीर्घकालीन समाधान को प्रोत्साहित करना चाहिए| शौचालय की डिजाइन संबंधी अनुसंधान/अध्ययन ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं द्रव अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्थायी विधियों/ प्रौद्योगिकियों, उच्च जल स्तर, बाढ़, जल की कमी की स्थितियों, तटीय क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाएगी| पारितंत्रीय स्वच्छता/स्थल पर अपशिष्ट प्रबंधन को अशोधित अपशिष्ट के निष्कासन के माध्यम से अपशिष्ट परिवहन एवं जल निकायों की अधिक लागत को कम करने के लिए प्रोत्साहित किए जाएंगे| आई ई सी, क्षमता निर्माण एवं निगरानी तथा मूल्यांकन जैसी पहलों के संबंध में अनुसंधान की अनुमति की जाएगी|
17.3 सचिव की अध्यक्षता वाली अनुसंधान एवं विकास अनुमोदन समिति (आर डी एसी) जिसमें पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय द्वारा समय-समय paपर तथा निर्णित तकनीकी एवं गैर-तकनीकी सदस्य शामिल रहेंगे, अनुसंधान संबंधी सभी प्रस्तावों की जाँच करेंगे और उपयुक्त पाये जाने पर अनुमोदन देंगे|
17.4 राज्य भी मिशन के सी ए जी द्वारा तय लेखापरीक्षा संबंधी सभी आवश्यकताओं का अनुपालन किया जाएगा|
एस एस बी एम (जी) यह सुनिश्चित करेंगे कि लेखाओं की लेखा परीक्षा भारत सरकार के सामान्य वित्तीय नियमों के अनुसार वित्तीय वर्ष के अंत के छ: माह के भीतर, सी ए जी अनुमोदित सूची से चयनित सनदी लेखाकार द्वारा की जाएगी और लेखाओं का लेखापरीक्षित विविरण मंत्रालय को प्रस्तुत करेंगे|
लेखा परीक्षा रिपोर्ट
(स्वच्छ भारत मिशन (जी) के लिए समेकित लेखा परीक्षा रिपोर्ट)
जिसमें निम्नलिखित विषय दस्तावेज अंतर्विष्ट हैं:-
( भी टिप्पणी के प्रेक्षित, उत्तर पर, सनदी लेखाकार के प्रति हस्ताक्षर होना जरूरी हैं)
हस्ताक्षर ............................. पूरा नाम ..........................................
दिनांक .............................. एसडब्ल्यू के सक्षम प्राधिकारी के कार्यालय की मुहर
टिप्पणी : सभी दस्तावेज मूल रूप में होने चाहिए और कार्यालय की मुहर के साथ एस डब्ल्यू एस एम के सक्षम प्राधिकारी द्वारा उन प्रति हस्ताक्षर किये जाने चाहिए|
लेखा परीक्षक की रिपोर्ट
सेवा में,
राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन,
पता
क. तुलनपत्र में 31.03.201* की स्थिति के अनुसार, अनुदानग्राही “लेखा-स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम (जी)** की स्थिति एवं कार्यों की सही स्थिति दी गई है|
ख. आय और व्यय लेखा में 31..03.201* को समाप्त अवधि में व्यय की अपेक्षा अधिक आय की सही स्थिति दर्शाई गई है|
ग. प्राप्ति एवं भुगतान लेखा में 31.03.201* को समाप्त अवधि के लिए कार्यक्रम/योजना के अंतर्गत लेन देन की सही एवं स्पष्ट स्थिति दर्शाई गई हैं|
v. आय एवं व्यय लेखा में सूचित व्यय उक्त अवधि के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र
(प्रमाण पत्रों) में उपयुक्त रूप से दर्शाया गया है|
सनदी लेखाकार की सील हस्ताक्षर
पूरा नाम ...................................................................
सदस्यता संख्या ..........................................................
कैग नामावली संख्या तथा वर्ष
दूरभाष संख्या:
ई – मेल आईडी :
वर्ष 201* - 1* की लेखा परीक्षा रिपोर्ट
राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ................................................
दिनांक 01 अप्रैल, 201* से 31 मार्च, 201* तक अवधि की लिए प्राप्ति एवं भुगतान लेखे योजना का नाम: स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम-जी) लाख रू. में
प्राप्ति |
राशि |
भुगतान |
राशि |
1. अथशेष (i) नकद राशि (ii) बैंक में नकदी (iii) प्रभाग/जिलों आदि में जमा राशि 2. अनुदानों की प्राप्ति (i) केंद्र सरकार (ii) राज्य सरकार (iii) अन्य 3. बैंकों से प्राप्त ब्याज (i) राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन स्तर पर (ii) जिला जल एवं स्वच्छता मिशन/डी डब्ल्यूएससी स्तर पर (iii) अन्य 3. निम्नलिखित से अग्रिम/ऋण/अनुदान की प्रतिपूर्ति (i) कार्यान्वयन एजेंसियां (ii) कोई अन्य एजेंसी आदि 5. विविध |
|
1. निम्न को दी गई अग्रिम राशि (i) कार्यान्वयन एजेंसियां (ii) कोई अन्य एजेंसिया आदि 2. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत शुरू किए गए अनुमोदित कार्य के प्रयोजनार्थ किया गया व्यय: (i) वैयक्तिक पारिवारिक शौचालय (ii) स्वच्छता परिसर (iii) विद्यालय शौचालय (iv) आंगनबाड़ी शौचालय (v) एस एल डब्लू एम (vi) आईईसी आदि 3. लेखा परीक्षा शुल्क 4. प्रशासन व्यय
5. विविध व्यय आदि 6. अंत शेष
|
|
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर सनदी लेखाकार की मुहर सहित हस्ताक्षर
पूरा नाम ...................... पूरा नाम ..................
कार्यालय की मुहर ..................... सदस्यता संख्या ............................
दूरभाष संख्या ............................... कैग नामावली संख्या तथा वर्ष ..............
ई –मेल आई डी..................... दूरभाष संख्या
ई- मेल आई डी........................
वर्ष 201* - 1* की लेखा परीक्षा रिपोर्ट
राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण)...........................................
दिनांक 01 अप्रैल, 201* से 31 मार्च, 201* तक की अवधि के लिए आय एवं व्यय लेखा योजना का नाम: स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एस बी एम – जी)
व्यय |
राशि |
आय |
राशि |
1. स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत शुरू किये गए अनुमोदित कार्य के प्रयोजनार्थ किया गया व्यय –
2. लेखा परीक्षा शुल्क 3. प्रशासन पर व्यय
4. विविध व्यय आदि 5. तुलन पत्र में अग्रेनीत व्यय से अधिक आय
|
|
1. निम्नलिखित से प्राप्त अनुदान- सहायता/राज सहायता
2. बैंक खातों से वर्ष के दौरान प्राप्त ब्याज - वर्ष के दौरान प्राप्त - जमा: वर्ष के दौरान जमा - घटा: पिछले वर्ष से संबंधित 3. कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा अप्रयुक्त अनुदान राशि की प्रतिपूर्ति 4. विविध प्राप्तियाँ 5. तुलनपत्र में अग्रेनीत अधिक व्यय |
|
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर सनदी लेखाकार की मुहर सहित हस्ताक्षर
पूरा नाम ...................... पूरा नाम ..................
कार्यालय की मुहर ..................... सदस्यता संख्या ............................
दूरभाष संख्या ............................... कैग नामावली संख्या तथा वर्ष ..............
ई –मेल आई डी..................... दूरभाष संख्या
ई- मेल आई डी........................
वर्ष 201* - 1* की लेखा परीक्षा रिपोर्ट
राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) ....................................
31 मार्च, 201* की स्थिति के अनुसार तुलनपत्र
योजना का नाम: स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम – जी)d
पूंजीगत निधि एवं देयताएं |
पिछले वर्ष राशि |
चालू वर्ष राशि |
संचित निधि अथशेष जमा/घटा आय एवं व्यय लेखा से अंतरित अधिशेष चालू देयताएं
कूल परिसंपत्तियां अचल परिसंपत्तियां
चालू परिसम्पत्तियां एवं अग्रिम राशि
कुल |
|
|
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर (सनदी लेखाकार की मुहर सहित हस्ताक्षर)
पूरा नाम ...................... पूरा नाम ..................
कार्यालय की मुहर ..................... सदस्यता संख्या ............................
दूरभाष संख्या ............................... कैग नामावली संख्या तथा वर्ष ..............
ई –मेल आई डी..................... दूरभाष संख्या
ई- मेल आई डी........................
लेखाओं को तैयार करने वाले भाग पर टिप्पणियाँ :
आय एवं व्यय लेखा में यथा सूचित उपयोग की गई निधियों के लिए राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम – जी) के अंतर्गत वास्तविक परिणाम :
घटक |
कार्य निष्पादन/निर्मल इकाइयों की संख्या |
|
1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. |
वैयक्तिक पारिवारिक शौचालय-बीपीएल/एपीएल स्वच्छता परिसर विद्यालय शौचालय इकाइयाँ आंगनबाड़ी शौचालय ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन ग्रामीण स्वच्छता केंद्र निर्मित केंद्र |
|
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर (सनदी लेखाकार की मुहर सहित हस्ताक्षर)
पूरा नाम ...................... पूरा नाम ..................
कार्यालय की मुहर ..................... सदस्यता संख्या ............................
दूरभाष संख्या ............................... कैग नामावली संख्या तथा वर्ष ..............
ई –मेल आई डी..................... दूरभाष संख्या
ई- मेल आई डी........................
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (एसबीएम – जी)
वर्ष 201* - 1*
लेखा परीक्षक की टिप्पणियाँ
अनुदान प्राप्तकर्ता का नाम :
क्र. सं. |
मुद्दे |
लेखा परीक्षक की टिप्पणियाँ |
1 |
प्राप्ति एवं भुगतान लेखा के अथशेष और अंतशेष राशि का रोकड़ भी के साथ मिलान करना |
|
2 |
स्वीकृत अथशेष का पिछले वर्ष के अंतशेष के साथ मिलान करना |
|
3 |
क्या मौजुदा दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए अनुदान-ग्राही अथवा अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों ने इस अवधि के दौरान एक योजना से अन्य केन्द्रीय योजना अथवा राज्य वित्तपोषित योजना में निधियों का अपवर्तन/अंतर-अंतरण किया है? यदि हाँ, तो कृपया उसका ब्यौरा प्रस्तुत करें| |
|
4 |
क्या अनुदान-ग्राही अथवा अन्य अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा वर्ष के दौरान निधियों का कोई दुरूपयोग/असंबंध व्यय तथा दूर्विनियोजन किया गया है ? यदि हाँ, तो कृपया उसका व्यौरा दें |
|
5 |
यह योजना के लिए बैंक खातों की केवल निर्धारित संख्या है| |
|
6 |
वर्ष के दौरान किसी भी स्तर पर कोई भी निगेटिव अधिशेष नहीं है| |
|
7 |
क्या निधियों की रिलीज के समय मंत्रालय के स्वीकृति आदेश में कतिपय शर्तें विनिर्दिष्ट की गई हैं, तथा क्या उन्हें पूरा कर लिया गया है| |
|
8 |
योजना संबंधी निधियों को बचत खाते में रखा जा रहा है| |
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9 |
अर्जित ब्याज राशि को योजना निधि में जमा कर दिया गया है| |
|
10 |
क्या मौजूदा दिशा-निर्देशों में यथा-निर्धारित कार्यक्रम प्रयोजनों के लिए ब्याज राशि का सख्ती से उपयोग किया जा रहा है| |
|
11 |
कार्यक्रम दिशा- निर्देशों के अनुसार, वर्ष के दौरान इस वर्ष के लिए राज्य अंशदान प्राप्त हो गया है| |
|
12 |
सभी प्राप्तियों/पुनर्भूगतान राशि की सही रूप से गणना कर ली गई है तथा उसे योजना के बैंक खाते में जमा कर दिया गया है| |
|
13 |
योजना की निधियों को राज्य कोषागार में नहीं रखा जा रहा है| |
|
14 |
बैंक सामंजस्यकरण का कायर नियमित रूप से किया जा रहा है| |
|
15 |
विगत लेखा परीक्षक का नाम एवं पता |
|
सक्षम प्राधिकारी के हस्ताक्षर (सनदी लेखाकार की मुहर सहित हस्ताक्षर)
पूरा नाम ...................... पूरा नाम ..................
कार्यालय की मुहर ..................... सदस्यता संख्या ............................
दूरभाष संख्या ............................... कैग नामावली संख्या तथा वर्ष ..............
ई –मेल आई डी..................... दूरभाष संख्या
ई- मेल आई डी........................
उपयोगिता प्रमाण पत्र
राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (राज्य का नाम)
(केन्द्रीय अंशदान/राज्य अंशदान)
संदर्भ सं. : दिनांक:
क्र.सं. |
पत्र सं. और तारीख |
धनराशि |
प्रमाणित क्या जाता है कि पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय, भारत सरकार के हाशिए में दिए गए पत्रांक के तहत राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) (राज्य के नाम) के पक्ष में वर्ष ..... के दौरान स्वीकृत अनुदान सहायता की ............. की रू. की राशि तथा पिछले वर्ष में जिला स्वच्छ भारत मिशनों (ग्रामीण) संलग्न सूची के अनुसार) द्वारा स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत शुरू किए गए अनुमोदित कार्य के प्रयोजनार्थ ............ रू. राशि का उपयोग कर लिया गया है, जिसके लिए यह धनराशि स्वीकृत की गई थी तथा यह कि .....रू. की राशि उपयोग न किए जाने के कारण जिला स्वच्छ भारत मिशनों (ग्रामीण) (संलग्न सूची के अनुसार) के पास वर्स के अंत में अधिशेष थी जिसे कार्यक्रम के कार्यान्वयन हेतु अगले वर्ष के लिए अग्रेनीत कर दिया जाएगा| |
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2. उपरोक्त उपयोग की गई निधियों के वास्तविक परिणाम
घटक |
कार्य-निष्पादन/निर्मित इकाइयों की संख्या |
वैयक्तिक घरेलू शौचालय- बीपीएल |
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वैयक्तिक घरेलू शौचालय-एपीएल |
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स्वच्छता परिसर |
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विद्यालय शौचालय इकाइयाँ |
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आंगनबाड़ी शौचालय |
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ग्रामीण स्वच्छता केंद्र |
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उत्पादन केंद्र |
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फ्लेक्सी फंड के अंतर्गत की गई परियोजनाएँ |
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3. प्रमाणित किया जाता है कि मैं स्वयं इस बात से संतुष्ट हूँ कि उन शर्तों जिनके आधार पर अनुदान – सहायता स्वीकृत का गई थी, को एतदवार पूरा कर लिया गया है/पूरा किया जा रहा है तथा यह की मैंने यह देखने के लिए निम्नलिखित जांचे की हैं धनराशि का वास्तविक रूप से उसी प्रयोजन के लिए वास्तविक रूप से उपयोग किया गया था जिसके लिए इसे स्वीकृति प्रदान की गई थी|
की गई जांचों की किस्म
सदस्य सचिव (एसडब्ल्यूएसएम) द्वारा प्रति हस्ताक्षरित
हस्ताक्षर .................................
नाम .......................................
पदनाम ....................................
(अध्यक्ष एसडब्ल्यूएसएम)
तारीख ..................................
(कार्यालय की मुहर लगाएँ)
राज्य स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) एसएसबीएम (जी)
एसएसबीएम (जी) के अंतर्गत रिलीज के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए जाँच सूची
क्र.सं |
दस्तावेज |
क्या संलग्न हैं/पूरे दिए गए हैं(कृपया निशान लगाएं) |
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1. |
पिछले वर्ष के लिए मूल रूप में अलग से उपयोग प्रमाण पत्र |
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क) केन्द्रीय निधियां |
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ख) राज्य निधियां |
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2. |
क) उपयोगिता प्रमाण पत्रों में फ़ाइल संदर्भ है |
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ख) अध्यक्ष/सदस्य सचिव एसएसबीएम द्वारा हस्ताक्षरित |
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ग) संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव/सचिव द्वारा प्रति – हस्ताक्षरित |
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घ) सरकारी मुहर के साथ |
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ङ) हस्ताक्षरकर्त्ता का नाम, पदनाम, दूरभाष संख्या, ई –मेल आईडी |
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3. |
इस आशय का प्रमाण पत्र की जिलों ने कुल उपलब्ध संसाधनों का 60 प्रतिशत उपयोग कर लिया है| |
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4. |
विगत वर्ष के लिए निर्धारित प्रपत्र के अनुसार लेखा परीक्षा रिपोर्ट/लेखाओं का लेखा परीक्षित विवरण |
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5. |
यदि सनदी लेखाकार द्वारा लेखा परीक्षा की है है तो क्या वह कैग के पैनल में नामांकित सनदी लेखाकार है| |
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6. |
इस पैनल नामांकन के समर्थन में कैग कार्यालय द्वारा जारी पत्र की एक प्रति भेजी गई है| |
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7. |
उपयोग प्रमाण पत्रों में दिए गए आंकड़े लेखा परीक्षा रिपोर्ट के अनुरूप हैं |
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क) अनुदान |
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ख) व्यय |
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ग) अथशेष/अंतशेष |
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8. |
यदि नहीं, तो भिन्नता के लिए स्पष्टीकरण दे दिये गए हैं| |
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9. |
लेखा परीक्षक द्वारा इसकी विधिक्षा करवाने के बाद लेखा परीक्षा रिपोर्ट में लेखा परिक्षण द्वारा की गई टिप्पणियों पर की गई कारवाई रिपोर्ट भजे दी गई है| |
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10. |
राज्य समतुल्य अंशदान रिलीज कर दिया गया है| |
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11. |
राज्य को सभी जिलों से समीक्षा मिशन रिपोर्टें प्राप्त हो गई हैं| |
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संदर्भ के लिए भारत सरकार और पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के प्रकाशन
क्र.सं |
संदर्भ |
1. |
स्थल पर स्वच्छता के लिए तकनीकी विकल्पों पर पुस्तिका |
2. |
ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए तकनीकी |
3. |
ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन में बढ़ोतरी करने पर पुस्तिका| |
4. |
स्वच्छता एवं साफ-सफाई सम्प्रेषण नीति, 2012 |
5. |
ग्राम पंचायत पुस्तिका |
6. |
ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक स्वच्छता परिसरों की स्थापना और प्रबंधन| |
7. |
स्वच्छता दूत दिशानिर्देश 2011 |
8. |
ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए फ्रेमवर्क |
9. |
ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) संबंधी दिशानिर्देश |
स्रोत: पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय/भारत सरकार
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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