स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में स्थित राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण सेल (एनटीसीसी) राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के तहत लागू विभिन्न गतिविधियों की समग्र नीति बनाने, नियोजन, कार्यान्वयन, मॉनीटरिंग और मूल्यांकन के लिए उत्तरदायी है। राष्ट्रीय सेल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के कार्यक्रम प्रभारी अर्थात् संयुक्त सचिव / निदेशक के सीधे मार्गदर्शन और निगरानी में कार्य करता है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय में चिन्हित अधिकारियों यथा उपमहानिदेशक (डीडीजी) / मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की जाती है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण सेल (एनटीसीसी) को नीतिगत, राष्ट्रीय समन्वय, विधि तथा आईईसी आदि जैसे तम्बाकू रोकथाम वाले विशिष्ट क्षेत्रों में परामर्शकों द्वारा सहयोग दिया जाता है।
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ वर्ष 2007-08 में प्रारंभ किया गया था-
तम्बाकू के उपयोग के नुकसानदायक प्रभावों तथा तम्बाकू नियंत्रण कानूनों के बारे में व्यापक जागरूकता उत्पन्न करना;
तम्बाकू नियंत्रण कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करना;
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के अंतर्गत कार्यकलापों की बड़े पैमाने पर मौलिक तथा प्रारंभिक स्तर पर बचाव की योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के प्रमुख क्षेत्र निम्न प्रकार हैं -
क) स्वास्थ्य एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं, एनजीओ, स्कूल अध्यापकों, प्रवर्तन अधिकारियों आदि को प्रशिक्षण;
ख) सूचना, शिक्षा एवं संचार (आईईसी) गतिविधियां,
ग) स्कूली कार्यक्रम;
घ) तम्बाकू नियंत्रण कानूनों की मॉनिटरिंग
ड) ग्राम स्तरीय गतिविधियों के लिए पंचायती राज संस्थाओं के साथ समन्वय;
च) जिला स्तर पर फार्माकोलॉजीकल उपचार सुविधाओं के प्रावधान सहित निवारण सुविधाओं की स्थापना करना एवं ठन्हें सुदृढ़ बनाना।
वर्तमान में, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) का क्रियान्वयन 42 जिलों को शामिल करते हुए कुल 21 राज्यों (प्रति राज्य 2 जिले) में किया जा रहा है। प्रथम चरण में, राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) के तहत राजस्थान, असम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, तमिल नाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली और मध्य प्रदेश राज्य, दो जिला तम्बाकू नियंत्रण सेल (डीटीसीसी) के साथ-साथ प्रत्येक राज्य में राज्य तम्बाकू नियंत्रण सेल (एसटीसीसी) को सहयोग किया गया। दूसरे चरण में नागालैंड, त्रिपुरा, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, झारखण्ड, बिहार, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गोवा, आन्ध्र प्रदेश और ओडिशा राज्य तथा प्रत्येक राज्य में केवल दो जिला तम्बाकू नियंत्रण सेल (डीटीसीसी) को सहायता दी जा रही है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में, पूरे देश को शामिल करने हेतु कार्यक्रम को चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाया जायेगा |
जिलों (राज्य-वार) की सूची इस प्रकार है :
क्रम.स. |
राज्य / केंद्र शासित प्रदेश |
1 |
बिहार (पटना व मुंगेर) |
2 |
छत्तीसगढ (रायपुर) |
3 |
हिमाचल प्रदेश (शिमला) |
4 |
जम्मू व कश्मीर (लेह/लद्दाख) |
5 |
झारखण्ड (धनबाद एवं जमशेदपुर) |
6 |
मध्य प्रदेश (खंडवा एवं ग्वालियर) |
7 |
ओडिशा (कटक एवं खुर्दा) |
8 |
राजस्थान (जयपुर एवं झुंझनू) |
9 |
उत्तर प्रदेश (लखनऊ एवं कानपुर) |
1O |
उत्तराखंड (देहरादून एवं टिहरी गढ़वाल) |
11 |
आन्ध्र प्रदेश (हैदराबाद एवं गुंटूर) |
12 |
गुजरात (वडोदरा एवं साबरकांठा) |
13 |
गोवा (उत्तरी गोवा एवं दक्षिणी गोवा) |
14 |
हरियाणा (अम्बाला) |
15 |
कर्नाटक (बंगलुरू एवं गुलबर्गा) |
16 |
केरला (कोझिकोड - कालीकट) |
17 |
महाराष्ट्र (थाणे, औरंगाबाद एवं गढचिरोली) |
18 |
पंजाब (भटिंडा) |
19 |
तमिलनाडु (विलुपुरम एवं कांचीपुरम) |
20 |
पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद एवं कूचबिहार) |
21 |
दिल्ली (पूर्वी दिल्ली एवं नई दिल्ली) |
22 |
अरूणाचल प्रदेश (पूर्वी सियांग एवं पश्चिमी कामेंग) |
23 |
असम (कामरूप एवं जोरहाट) |
24 |
मणिपुर (इम्फाल पूर्वी एवं चूड़ाचंदपुर) |
25 |
मेघालय (पूर्वी खासी हिल्स / शिलांग एवं पश्चिम गारो हिल्स/तुरा |
26 |
मिजोरम (ऐजवाल एवं लुंगली) |
27 |
नागालैण्ड (कोहिमा एवं टीमापुर) |
28 |
सिक्किम (पूर्वी सिक्किम एवं दक्षिणी सिक्किम) |
29 |
त्रिपुरा (पश्चिम त्रिपुरा एवं धलाई त्रिपुरा) |
सचिव (स्वास्थ्य) की ओर से सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महानिदेशक, पुलिस को भेजे गए पत्र (पीडीएफ में) को डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें। इस पत्र में पीओएस के नियमों को लागू करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के लिए अनुरोध किया गया था।
संशोधित तिमाही रिपोर्टिग प्रारूप का उद्देश्य राज्य एवं जिला स्तरों पर एनटीसीपी के क्रियान्वयन की गुणवत्ता को सुधारना है। नए प्रारूप में समग्र रिपोर्टिंग क्रियाविधि में उद्देश्य परकता के तत्वों को शामिल किया गया है।
प्रारूप में तीन भागों वाले दो खण्ड हैं जैसे कि भाग-क (हां अथवा नहीं में उत्तर ), भाग-ख (केवल प्रासंगिक संख्या ही बताई जानी है) और भाग-ग (व्यय का विवरण)| दूसरे खण्ड (डीटीसीसी से एसटीसीसी के रूप में अंकित) की रिपोर्टिंग प्रत्येक जिला तम्बाकू नियंत्रण सेल (डीटीसीसी) द्वारा राज्य तम्बाकू नियंत्रण सेल (एसटीसीसी) को की जाएगी और सूचना का समायोजन करके तथा राज्य स्तरीय आंकड़ों को उसमें शामिल करके एसटीसीसी द्वारा यह जानकारी प्रथम खण्ड (एसटीसीसी से एनटीसीसी अंकित) के माध्यम से एनटीसीसी को भेजी जाएगी। एनटीसीसी के पास तिमाही रिपोर्ट तिमाही समाप्त होने पर 15 दिनों के भीतर पहुंच जानी चाहिए।
1. सीओटीपीए क्या है?
सीओटीपीए का आशय सिगरेट तथा अन्य तम्बाकू उत्पादों (विज्ञापनों का निषेध और व्यापार व वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का विनियमन) अधिनियम, 2003 है। यह अधिनियम किसी भी रूप में तम्बाकू रखने वाले सभी उत्पादों पर लागू है, जिसका विवरण अधिनियम की अनुसूची में दिया गया है। यह अधिनियम, जम्मू व कश्मीर राज्य सहित पूरे भारतवर्ष में लागू है।
2. जीएटीएस क्या है ?
जीएटीएस का आशय वैश्विक वयस्क तम्बाकू सर्वेक्षण से है। जीएटीएस इंडिया का आयोजन वर्ष 2009-2010 में किया गया था, जिसके तहत 15 वर्ष तथा ठससे अधिक आयु वाले व्यक्तियों का घरेलू सर्वेक्षण किया गया। निवासियों (शहरी एवं ग्रामीण) तथा लैंगिक आधार पर राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय (उत्तर, पूर्व, दक्षिण, मध्य और उत्तर-पूर्व) का आकलन करने और लैंगिक आधार पर राज्य आकलन करने के लिए एक राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व बारम्बारता नमूने का उपयोग किया गया। मानकीकृत प्रश्नावली, समुचित नमूना डिजाइन, और प्रभावी डाटा संकलन व प्रबंधन कार्यविधियों का उपयोग करके तम्बाकू उपयोग और अन्य तम्बाकू नियंत्रण संकेतकों पर अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक आंकड़े प्राप्त करने हेतु सर्वेक्षण की रूपरेखा तैयार की गई।
3. क्या सीओटीपीए देश में तम्बाकू उत्पादों को पूरी तरह से प्रतिबंधित करता है?
सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञान का निषेध और व्यापार व वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण) अधिनियम, 2003 द्वारा तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापनों, संवर्धन और प्रायोजकता पर प्रतिबंध लगाकर; सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान को निषिद्ध करके; अवयस्कों को तथा ठनके द्वारा तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाकर; शैक्षणिक संस्थायों के 100 गज के दायरे में तम्बाकू उत्पादों की बिक्री पर रोक लगाकर; और सभी तम्बाकू उत्पादों के पैकेटाँ पर निर्दिष्ट चित्र वाली स्वास्थ्य चेतावनी प्रदर्शित करने को जरूरी बनाकर तम्बाकू उत्पादों की खपत, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण को नियंत्रित किया जाता है। इसके द्वारा तम्बाकू उत्पादों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाता। हालांकि, खाद्य सुरक्षा व मानक अधिनियम, 2006 के तहत दिनांक 1 अगस्त, 2011 को अधिसूचित खाद्य सुरक्षा व मानक (निषेध एवं बिक्री पर प्रतिबंध) के तहत गुटखा जैसे तम्बाकू अथवा निकोटिन वाले खाद्य उत्पादों के उत्पादन, बिक्री, भण्डारण और वितरण को निषिद्ध किया गया है।
4. क्या तम्बाकू खाने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और अकाल मृत्यु होती है?
भारत में तम्बाकू नियंत्रण पर रिपोर्ट-2004 के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष तम्बाकू का सेवन करने से 8-9 लाख मौतें होती हैं। पुन: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा वर्ष 2OO4 तक प्रकाशित साहित्य के विश्लेषण के आधार पर गैर संचरणीय रोगों के कारण बोझ का आकलन शीर्षक के तहत किए गए अध्ययन के अनुसार, तम्बाकू का सेवन करने के कारण हृदयाघात (78 प्रतिशत), तपेदिक (65.6 प्रतिशत), इस्केमिक हृदय रोग (85.2 प्रतिशत), गंभीर मायोकार्डियल इनफ्रेक्शन (52 प्रतिशत) इसोफेजियल कैंसर (43 प्रतिशत) और मुंह का कैंसर (38 प्रतिशत) तथा फेफड़ों का कैंसर (16 प्रतिशत) का रोग जोखिम है। तम्बाकू का धूम्रपान और साथ ही इसे चबाकर सेवन करने से प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम सामने आते हैं और अकाल अथवा समय से पहले मृत्यु हो जाती है।
5. देश में तम्बाकू उत्पादों की खपत तथा धूम्रपान को रोकने के लिए भारत सरकार का अग्रणी कार्यक्रम क्या है ?
भारत सरकार द्वारा वर्ष 2007-08 में राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम (एनटीसीपी) को प्रारंभ किया गया जिसके उद्देश्य थे-
1) तम्बाकू सेवन के नुकसानदायक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा करना;
2) तम्बाकू उत्पादों के उत्पादन और आपूर्ति में कमी करना;
3) दि सिगरेट एवं अन्य तम्बाकू उत्पाद (विज्ञापनों का निषेध, व्यापार व वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का नियंत्रण) अधिनियम, 2OO3 (सीओटीपीए) के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना; और
4) तम्बाकू सेसेशन केन्द्रों के माध्यम से लोगों को तम्बाकू छोड़ने में मदद करना। वर्तमान में, इस कार्यक्रम को 42 जिलों को शामिल करते हुए 21 राज्यों में क्रियान्वित किया जा रहा है। 12वीं पंचवर्षीय योजना में, इस कार्यक्रम को पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से विस्तारित किया जाएगा।
जिलों (राज्य-वार) की सूची इस प्रकार है-
क्रम.स |
राज्य / केंद्र शासित प्रदेश |
1 |
बिहार (पटना व मुंगेर) |
2 |
छत्तीसगढ (रायपुर) |
3 |
हिमाचल प्रदेश (शिमला) |
4 |
जम्मू व कश्मीर (लेह/लद्दाख) |
5 |
झारखण्ड (धनबाद एवं जमशेदपुर) |
6 |
मध्य प्रदेश (खंडवा एवं ग्वालियर) |
7 |
ओडिशा (कटक एवं खुर्दा) |
8 |
राजस्थान (जयपुर एवं झुंझनू) |
9 |
उत्तर प्रदेश (लखनऊ एवं कानपुर) |
10 |
उत्तराखंड (देहरादून एवं टिहरी गढ़वाल) |
11 |
आन्ध्र प्रदेश (हैदराबाद एवं गुंटूर) |
12 |
गुजरात (वडोदरा एवं साबरकांठा) |
13 |
गोवा (उत्तरी गोवा एवं दक्षिणी गोवा |
14 |
हरियाणा (अम्बाला) |
15 |
कर्नाटक (बंगलुरू एवं गुलबर्गा) |
16 |
केरल (कोडिनकोड - कालीकट) |
17 |
महाराष्ट्र (थाणे, औरंगाबाद एवं गढचिरोली) |
18 |
पंजाब (भटिंडा) |
19 |
तमिल नाडु (विलुपुरम एवं कांचीपुरम) |
20 |
पश्चिम बंगाल (मुर्शिदाबाद एवं कूचबिहार) |
21 |
दिल्ली (पूर्वी दिल्ली एवं नई दिल्ली) |
22 |
अरुणाचल प्रदेश (पूर्वी सियांग एवं पश्चिमी कामेंग) |
23 |
असम (कामरूप एवं जोरहाट) |
24 |
मणिपुर (इम्फाल पूर्वी एवं चूड़ाचंदपुर) |
25 |
मेघालय (पूर्वी खासी हिल्स/ शिलांग एवं पश्चिम गारो हिल्स/तुरा |
26 |
मिजोरम (ऐजवाल एवं लुंगली) |
27 |
नागालैण्ड (कोहिमा एवं दीमापुर) |
28 |
सिक्किम (पूर्वी सिक्किम एवं दक्षिणी सिक्किम) |
29 |
त्रिपुरा (पश्चिम त्रिपुरा एवं धलाई त्रिपुरा)
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6. सेकण्ड हैण्ड स्मोक (एसएचएस) क्या है ?
सेकण्ड हैण्ड स्मोक (एसएचएस) धूम्रपान का ऐसा तरीका है जिसमें धूम्रपान करने वाला व्यति(मेनस्ट्रीम धूम्रपान) अथवा धूम्रपान को सिगरेट / बीडी / सिगार आदि (साइड स्ट्रीम
धूम्रपान) के जलने वाले सिरे की ओर से किया जाता है।
7. क्या एसएचएस स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है ?
एसएचएस के परिणामस्वरूप वयस्कों में फेंफड़ों का कैंसर और हृदय रोग, बच्चों में एसआईडीएस (अचानक नवजात मृत्यु सिन्ड्रोम), चिरकालिक श्वसन संक्रमण, गंभीर अस्थमा, फेंफड़ों का पूरी तरह कार्य न करना, कान के अंदर के रोग और गंभीर सांस संबंधी रोग पाए गए। घर पर धूम्रपान करने से छोटे बच्चों के साथ-साथ बुजुर्ग व अन्य वयस्क विशेषकर महिलाएं प्रभावित होती हैं।
8. थर्ड हैण्ड तम्बाकू धूम्रपान क्या है ?
थर्ड हैण्ड धूम्रपान (स्मोक) ऐसा तम्बाकू धूम्रपान संदूषण है जो कि बीड़ी / सिगरेट को बुझाने के बाद भी बना रहता है। तम्बाकू के धुएं के अपशिष्ट बीड़ी / सिगरेट फेंकने वाली सतह पर लंबे समय तक बने रहते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए एक संभावित खतरा है। इससे कम आयु के बच्चों को सबसे जयादा खतरा होता है।
9. एसएलटी का क्या अर्थ है?
एसएलटी का आशय धुआंरहित तम्बाकू ठत्पाद है। इसमें ऐसे सभी तम्बाकू उत्पाद शामिल हैं जिनका सेवन बिना जलाए रूप में किया जाता है। धुआंरहित तम्बाकू का सेवन मुंह अथवा सूघकर किया जा सकता है। भारत में धुआंरहित तम्बाकू का सेवन चबाकर, चूने के साथ अथवा चूने के बिना किया जाता है। गुटखा, खैनी तथा जर्दा ऐसे ही कुछ ठदाहरण हैं। सूघकर उपयोग करने का एक ठदाहरण नसवार है। तम्बाकू का धूम्रपान और साथ धूम्रपान के बिना सेवन करने से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है और इससे अकाल मृत्यु को बढ़ावा मिलता है।
10. क्या तम्बाकू के सेवन को छोडना संभव है?
हां, तम्बाकू सेवन को छोड़ना पूरी तरह से संभव है। समुचित परामर्श और सामाजिक सहयोग और मजबूत इच्छाशति की इसमें प्रमुख भूमिका है। समय पर, गंभीर रूप से आदी लोगों को डि-एडिक्शन प्रक्रिया में निकोटिन च्यूईगम अथवा निकोटिन पैच्स (निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी - एनआरटी) के अस्थाई उपयोग की जरूरत हो सकती है।
अनुसंधान से स्पष्ट रूप से पता चला है कि तम्बाकू सेवन को छोड़ने में सामाजिक आर्थिक लाभ के साथ-साथ निधित रूप से स्वास्थ्य लाभ होता है।
11. क्या पर्यावरण प्रदूषण और संदूषण में तम्बाकू का भी योगदान है ?
जी हां, पर्यावरणीय प्रदूषण में तम्बाकू भी एक प्रमुख योगदानकर्ता है। यह वनों की कटाई, मृदा के पोषक-तत्वों में कमी और जल स्रोतों के संदूषण का मुख्य कारण है।
स्रोत: भारत सरकार का स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय
अंतिम बार संशोधित : 2/21/2020
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